मंगलवार, 2 दिसंबर 2025

BLW पहुंचा मोजाम्बिक रेलवे का 03 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल

प्रतिनिधिमंडल ने बरेका कार्यशाला के विभिन्न शॉपों का किया निरीक्षण 


F. Farooqui/Santosh Nagvanshi 

dil india live (Varanasi). मेसर्स राइट्स के अधिकारियों के साथ मोजाम्बिक रेलवे के प्रतिनिधिमंडल ने बनारस रेल इंजन कारखाना में 3300 HP केप गेज CFM मोज़ाम्बिक लोकोमोटिव के मैन्युफैक्चरिंग की स्थिति का आकलन के लिए 01.12.2025 को बरेका का दौरा किया। मोजाम्बिक के 03 सदस्यी प्रतिनिधिमंडल में कार्यकारी बोर्ड सदस्य कैंडिडो गुमिस्साई जोन, वरिष्ठ यांत्रिक इंजीनियर एरास्टो जैसिंटो इवानो मुलेम्ब्वे, बोर्ड सलाहकार अरुण कुमार नरसिम्हा पाई सम्मिलित थे। प्रतिनिधिमंडल के बरेका आगमन पर प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर एस.के. श्रीवास्तव ने बुके प्रदान कर स्वागत किया। 

सर्वप्रथम प्रतिनिधिमंडल ने बरेका कार्यशाला की विभिन्न शॉपों जैसे न्यू् ब्लाक शॉप, लाईट मशीन शॉप, सब असेम्बली शॉप, इंजन टेस्ट शॉप, लोको असेंबली शॉप सहित विभिन्न शॉपों का दौरा किया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल को मोज़ाम्बिक लोकोमोटिव के मैन्युफैक्चरिंग स्थिति के विभिन्न चरणों से अवगत कराया गया एवं बरेका में उपलब्ध अत्याधुनिक विनिर्माण सुविधाओं को भी दिखाया गया। कारखाना भ्रमण के उपरांत प्रतिनिधिमंडल ने बरेका के अभिकल्प (डिजाइन) विभाग का भ्रमण किया एवं बरेका में निर्माणाधीन मोजाम्बिक लोकोमोटिव को और बेहतर बनाने हेतु लोको के डिजाइन के संबंध में विशेष रूप से चर्चाएं की। प्रतिनिधिमंडल बरेका में उपलब्ध डिजाइन क्षमताओं और निर्माण सुविधाओं से काफी प्रभावित दिखे। 


तदोपरांत जीएम कॉन्फ्रेंस हॉल में आयोजित बैठक में मुख्य यांत्रिक इंजीनियर-उत्पादन एवं विपणन सुनील कुमार एवं मुख्य अभिकल्प  इंजीनियर-डीजल प्रवीण कुमार ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बरेका की उपलब्धियों, तकनीकी विकास, लोको उत्पादन, वैश्विक निर्यात के साथ ही मोज़ाम्बिक लोकोमोटिव के मैन्युफैक्चरिंग के विभिन्न तकनीकी पहलुओं एवं निर्माण प्रक्रिया पर विस्तारपुर्वक अवगत कराया। इस दौरान लोको में लगने वाले उन्नत क्रिटिकल आइटम पर विशेष रूप से चर्चा हुई। इस दौरान प्रमुख मुख्य विद्युत इंजीनियर एस. के. श्रीवास्तव, प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर विवेक शील, मुख्य अभिकल्प इंजीनियर-विद्युत अनुराग कुमार गुप्ता, मुख्य विद्युत इंजीनियर-निरीक्षण भारद्वाज चौधरी, मुख्य विद्युत इंजीनियर-लोको अरविंद कुमार जैन, मुख्य संरक्षा अधिकारी एस.बी.पटेल सहित काफी संख्या में बरेका अधिकारी उपस्थित थे।


उल्लेखनीय है कि मोजाम्बिक रेलवे (सीएफएम) ने बरेका को 10 अत्याधुनिक 3300 हॉर्स पावर एसी–एसी डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के निर्माण और आपूर्ति के लिए मेसर्स राइट्स के माध्यम से प्रदान किया था। इन 10 इंजनों में से 04 लोकोमोटिव का निर्माण कार्य पूर्ण कर अक्टूबर 2025 तक सफलतापूर्वक मोजाम्बिक के लिए रवाना कर दिया गया है, शेष 06 लोकोमोटिव शीघ्र ही उत्पादन कर मोजाम्बिक को प्रेषण कर दिया जाएगा। विदित हो कि ये इंजन केप गेज (1067 मिमी) पर 100 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति से चलने में सक्षम हैं। तकनीकी नवाचार और चालक-सुविधाओं से युक्त इंजन न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक हैं, बल्कि इसमें चालक के लिए रेफ्रिजरेटर, हॉट प्लेट, मोबाइल होल्डर, सौंदर्यबोध से परिपूर्ण कैब डिज़ाइन, शौचालय की सुविधा उपलब्ध है। ये विशेषताएं न केवल चालक की सुविधा सुनिश्चित करती हैं बल्कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप कार्यस्थल की गुणवत्ता को भी दर्शाती हैं। बरेका का यह प्रयास सिद्ध करता है कि भारतीय रेल निर्माण इकाइयाँ विश्व मानकों के अनुरूप इंजनों का उत्पादन कर सकती हैं और विश्व पटल पर ‘मेड इन इंडिया’ की पहचान को और मजबूत कर रही हैं।




23 अप्रैल 1956 को बनारस रेल इंजन कारख़ाना की स्थापना से अब तक बरेका भारतीय रेलवे, इस्पात संयंत्रों, खानों, बंदरगाहों और निर्यात के लिए 11000 से अधिक लोकोमोटिव बना चुका है। यह भारतीय रेलवे का उत्पादन इकाई लोको उत्पादन के क्षेत्र में अग्रणी है। जनवरी 1976 में पहला रेल इंजन तंजानिया को निर्यात किया गया। इसके बाद वियतनाम, माली, सेनेगल, अंगोला, म्यांमार, बंग्लादेश, श्रीलंका, मलेशिया, मोजाम्बिक, सूडान आदि देशों को अब तक यहां के निर्मित 176 रेल इंजन भेजे जा चुके हैं।   

                                                                         

Ummid portal नहीं कर रहा काम-कोऑर्डिनेटर सैय्यद एजाज़

तय समय सीमा में कैसे होंगे सारे वक़्फ़ रजिस्टर्ड !



Mohd Rizwan 

dil india live (Varanasi). भारत सरकार द्वारा सभी वक़्फ़ की संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर दर्ज कराने की आखिरी तारीख 5 दिसम्बर निर्धारित की गई है। जैसे जैसे अंतिम तिथि करीब आ रही है वैसे वैसे पोर्टल पर भारी दबाव है। वाराणसी में उत्तरप्रदेश शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड की ओर से वक़्फ़ की संपत्तियों को उम्मीद पोर्टल पर दर्ज कराने के लिए कोऑर्डिनेटर बनाये गए सैय्यद एजाज़ हुसैन "गुड्डू बाक़री" ने बताया कि पिछले कई दिनों से उम्मीद पोर्टल की वेबसाइट बिल्कुल भी नहीं खुल रही है और यदि खुल भी रही है तो एक फ़ाइल पोस्ट करने में कई कई घंटे लग जा रहे हैं। लोगों की लंबी लाइन है लेकिन अंतिम समय में साइट के बिल्कुल भी काम न करने से लोगों में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। अगर वेबसाइट का यही हाल रहा तो तय समय सीमा में सारी संपत्तियों का अपलोड कर पाना लगभग असंभव है।

अंतिम तिथि बढ़ाई जाए 
एजाज़ हुसैन ने उम्मीद पोर्टल के काम न करने और कि समस्या के समाधान के लिए कई बार अल्पसंख्यक आयोग को सीधे ईमेल किया है लेकिन वो कहते है कि हर बार जवाब यही आता है कि वेबसाइट ठीक चल रही है, जबकि साइट की धीमी गति के लिए पूरे देश से कंप्लेन पर कंप्लेन आ रही है। उन्होंने ने सरकार से मांग की है कि या तो वेबसाइट को तुरंत सही कराया जाए या अंतिम तिथि में बदलाव किया जाए ताकि सारी संपत्तियों को पोर्टल पर दर्ज किया जा सके।

सोमवार, 1 दिसंबर 2025

Seminar: Maulana Abul Kalam की शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020

मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने पारंपरिक शिक्षा से आगे जाकर आधुनिक शिक्षा पर दिया था जोर-प्रो. आफ़ताब



dil india live (Chandoli). Mughalsarai के होटल स्प्रिंग स्काई में तमिल फाउंडेशन के तत्वाधान में मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का शिक्षा दर्शन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 विषयक एक दिवसीय विचार गोष्ठी BHU उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आफ़ताब अहमद आफाक़ी की अध्यक्षता में हुई। इस मौके पर आफाकी ने कहा कि मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को कई विषयों में महारत प्राप्त थी। वह एक बड़े आलिम ए दीन, महान शिक्षाविद, दार्शनिक, बेबाक पत्रकार, कुशल राजनीतिज्ञ थे। पंडित जवाहरलाल नेहरू भी उनकी राजनीतिक कुशलता के प्रशंसक थे और उन्हें एक मझा हुआ राजनीतिज्ञ मानते थे। उन्होंने कहा मौलाना का विचार था कि बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ ऐसी शिक्षा दी जाए जिसके माध्यम से हमारी नस्ले दुनिया को समझें और दुनिया के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ें। इसके लिए उन्होंने 1948 में संस्कृत पाठशालाओं और मदरसे की नुमाइंदों के साथ अलग-अलग कॉन्फ्रेंस की, जिसमें उन्होंने दोनों संप्रदायों से कहा कि वे अपनी पारंपरिक शिक्षा से आगे बढ़कर पाठ्यक्रम में आधुनिक शिक्षा को जगह दें और बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ विज्ञान, टेक्नोलॉजी, कला, संस्कृति आदि भी सिखाएं, ताकि वे दुनिया के साथ चल सकें। उनका मानना ​​था कि अंग्रेजों द्वारा यूरोपीय शिक्षा प्रणाली ने छात्रों के दिमाग को बंद कर दिया है और उनके दिमाग से मानवीय मूल्यों, सहनशीलता और त्याग की भावना को खाली कर दिया है। 




विशेष अतिथि डिप्टी डायरेक्टर/प्रिंसिपल डाइट चंदौली ने कहा कि मौलाना आज़ाद स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ भारत में आधुनिक शिक्षा के संस्थापकों में से एक थे। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में मौलाना आज़ाद के शैक्षिक विचारों से जुड़ी कई बातें शामिल हैं। विशेष वक्ता BHU के हिंदी विभाग के पूर्व विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर बलराज पांडेय ने अपने भाषण में कहा कि मौलाना आज़ाद हमेशा मुसलमानों में राजनीतिक जागरूकता पैदा करने के लिए चिंतित रहते थे और कड़ी मेहनत करते थे। वे विभाजन के सख्त खिलाफ थे और इसे एक जानलेवा बीमारी बताते थे। उन्होंने हमेशा धार्मिक सहनशीलता और राष्ट्रवाद पर जोर दिया। BHU के भूगोल विभाग के प्रोफेसर सरफराज आलम ने आंकड़ों के हिसाब से मुसलमानों के पढ़ाई में पिछड़ेपन का जिक्र करते हुए कहा कि बेसिक एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन में प्रवेश लेने वालों में मुस्लिम बच्चों का हिस्सा मुस्लिम आबादी के हिस्से से ज़्यादा है, लेकिन यह धीरे-धीरे कम होता जाता है, यानी वे बीच में ही पढ़ाई छोड़ने लगते हैं। यह दर आगे चलकर बहुत ज़्यादा है, ग्रेजुएशन में भी यह संख्या दुर्भाग्य से घटकर लगभग ढाई प्रतिशत रह जाती है।


इंडियन रेलवे मुगलसराय जोन के पूर्व वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी दिनेश चंद्र ने अपने भाषण में कहा कि बच्चों को शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश दिलाने के साथ-साथ उनकी पढ़ाई आगे जारी रखना भी बहुत ज़रूरी है। परिवार के भविष्य के साथ-साथ देश के भविष्य की ज़िम्मेदारी भी उनके कंधों पर होती है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि जिसक़ौम से आज़ाद भारत के पहले शिक्षा मंत्री थे, वही क़ौम आज शिक्षा में पिछड़ रही है। इसका साफ़ मतलब है कि लोगों ने उनके कार्यों,विचारों और सेवाओं को भुला रखा है । उन्होंने मुसलमानों में शिक्षा के पिछड़ेपन के लिए मुस्लिमो को ही ज़िम्मेदार ठहराया। शिक्षा के महत्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूल खोलना जेल बंद करने जैसा है। डॉ. शम्स अज़ीज़, वाराणसी के रीजनल डायरेक्टर (MANU) ने भी मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद की शख्सियत पर रोशनी डाली। इस प्रोग्राम में 2025 में सेवा निर्मित हुए उर्दू टीचरों को भी उनकी शिक्षा सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया। अज़हर आलम हाशमी, इरफ़ान अहमद, सोहराब अली अंसारी, शाहजहां बेगम, जहांआरा, इश्तियाक अहमद को मेहमानों ने शॉल मुमेंटो और ततोहफे दिए । प्रोग्राम की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। अपने स्वागत भाषण में, डाइट लेक्चरर डॉ. अज़हर सईद ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए  तामीर फाउंडेशन  के कार्य और उसके मकसद से लोगों को रूबरू करवाया। उन्होंने कहा कि तामीर फाउंडेशन मुख्य रूप से शिक्षा, जागरूकता , इसके प्रचार प्रसार और विशेष रूप से उर्दू भाषा एवं साहित्य के विकास और उसके संरक्षण कलिए बनाया गया है और आज का कार्यक्रम इसी फाउंडेशन की देखरेख में आयोजित किया गया है। सुश्री अफशां रोमानी और शफाअत अली ने संयुक्त रूप से संचालन किया। कार्यक्रम का समापन इरफान अली मंसूरी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। 

मुशायरे में हुई उम्दा शायरी  


कार्यक्रम के दूसरे भाग में, एक भव्य मुशायरा का आयोजन किया गया। मुशायरा की अध्यक्षता बीएचयू (BHU) उर्दू विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर याकूब यावर ने की, जबकि अयाज़ आज़मी ने विशेष अतिथि थे। मुशायरे में डॉ. शाद मशरिकी, ज़मज़म रामनगरी, दानिश ज़ैदी, नसीमा निशा, आलम बनारसी, ज़िया अहसानी, नदीम  गाज़ीपुरी, शारिक फूलपुरी, अबू शहमा, सुरेश  अकेला, आकाश मिश्रा, अब्दुल रहमान नूरी, जिया अहसनी आदि ने अपने कलाम से लोगों को देर तक बांधे रखा। मुशायरा की निजामत करते हुए डॉ. अज़हर सईद ने खूब वाहवाही लूटी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।