बेनियाबाग मैदान में शायरों से गुलज़ार रही सर्द शब
शबीना अदीब के अशरार ने लूटी वाहवाही, बनारसी कलाम भी लोगों को आएं पसंद
Mohd Rizwan
Varanasi (dil India live)। बेनियाबाग के सिमट चुके मैदान में इतवार की शब शायरों से गुलज़ार रही, एक तरफ सर्द हवाएं बह रही थी तो दूसरी ओर नबी पर नातिया कलाम से गुल ए सबा ने मुशायरे की इब्तिदा की। कभी शायर हालाते हाजरा तो कभी इश्क और मां की मोहब्बत से सामइन से दाद लेने की भरसक कोशिश करते दिखाई दिए। मशहूर शायरात शबीना अदीब के अशरार ने खूब वाहवाही, हालांकि उनके पेश किए कलाम बनारस के लोगों के ज़ेहन में पहले से ही ताज़ा थे। इस दौरान बनारसी शायरों के कलाम भी लोगों की दाद लेने में कामयाब नज़र आएं। शबीना अदीब ने जब तरन्नुम में पढ़ा,
खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में उल्फत नई-नई है, अभी तकल्लुफ है गुफ्तगू में, अभी मोहब्बत नई-नई है। लोग झूम उठे। उनकी अगली कड़ी, अभी न आएंगी नींद न तुमको, अभी न हमको सुकूं मिलेगा अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा, अभी मुहब्बत नई नई है...। बनारस मुशायरा में शबीना अदीब ने फिर शायरी की, बहार का आज पहला दिन है, चलो चमन में टहल के आएं, फिजा में खुशबू नई-नई है गुलों में रंगत नई नई है। जो खानदानी रईस हैं वो मिजाज रखते हैं नर्म अपना, तुम्हारा लहजा बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है। ज़रा सा कुदरत ने क्या नवाज़ा के आके बैठे हो पहली सफ में, अभी क्यों उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई नई है...।
कानपुर से आयीं शबीना अदीब के बाद इस्माइल नजर ने अपनी शायरी से लोगों को बांधे रखा। इस दौरान जब अमजद खान ने मेरी नजरों में मुहब्बत का वो हकदार नहीं, गम के मारों को जिसे कोई सरोकार नहीं..पढ़कर खूब तालियां बटोरी। डॉ. प्रशांत सिंह ने अपने कलाम से लोगों को खूब हंसाया तो अलीशा मेराज ने बेटी व वालिद की मोहब्बत पर शायरी की।
अरशद मेहताब ने, घर से मैं अपने मां की दुआ लेकर आया हूं.. सुनाकर मां की अहमियत पर रौशनी डाली। मोहन मुंतजिर, इस्माईल नजर, धर्मराज उपाध्याय, सलीम शिवालवी, डॉ प्रशांत सिंह ने खूबसूरत शायरी से लोगों को आखिर तक बांधे रखा। शायरों का खैरमकदम कमेटी के सदर अनिल यादव बंटी ने व निजामत सुधांशु श्रीवास्तव व दमदार बनारसी ने किया।
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