मंगलवार, 31 दिसंबर 2024

Ek Sham Urdu Sahitya K Naam अजीमुश्शान मुशायरा व कवि सम्मेलन में जुटे लोग

शायरों को दिया गया फरोगे उर्दू अवार्ड 

सब ये कहते हैं कि उर्दू है बड़ी शीरीं ज़बान, हम यह कहते हैं इसे फिर आप पीते क्यों नहीं...
  • Mohd Rizwan 

Varanasi (dil India live)। अदबी तंजीम " बज़्म चिराग ए नव " वाराणसी की ओर से बजरडीहा स्थित हमीदा हाल में एक अजीमुश्शान मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन उस्ताद शायर अहमद हनीफी बनारसी की अध्यक्षता व मशहूर शायर जमजम रामनगरी के संचालन में देर रात संपन्न हुआ। इस अवसर पर शायरों व कवियों को " फ़रोगे उर्दू अवार्ड " से सम्मानित भी किया गया। मुशायरे की शुरुआत रहीमुल्लाह अंसारी ने नाते पाक से किया। अतिथियों का इस्तकबाल संस्था बज़्म चिराग ए नव वाराणसी के संरक्षक आमिर शौकी ने व धन्यवाद ज्ञापन अध्यक्ष जमाल वारसी उर्फ महतो ने किया। 

कार्यक्रम में कोने-कोने से आए मशहूर शायरों और कवियों ने अपने कलाम और गीतों से लोगों को देर रात तक बांधे रखा। इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉक्टर शाहिद मलिक असिस्टेंट प्रोफेसर बद्री विशाल डिग्री कॉलेज फर्रुखाबाद ने शिक्षा पर विशेष बल दिया और अध्यक्षीय संबोधन में उस्ताद शायर अहमद हनफी बनारसी ने दिलों को जोड़ने तथा आपसी सौहार्द की बात कही। देर रात तक चलने वाले अजीमुशान मुशायरा में भारी संख्या में लोग जमे रहे और शायरी का लुत्फ उठाते दिखाई दिए।


नाजिम ए मुशायरा ज़म ज़म रामनगरी ने कहा कि एक मुद्दत से तड़पती फिर रही है ये ज़बान, आप उसका दामन सद चाक सीते क्यों नहीं। सब यह कहते हैं कि उर्दू है बड़ी शीरीन ज़बान, हम यह कहते है कि इसे फिर आप पीते क्यों नहीं...।

सिराजुल आरिफ़ीन ने सुनाया कि, लुकम ए तर की तलब गर्दिश ए अय्याम में है, बुझते सूरज से सहर ख़ेज़ी ए तनवीर न मांग। इसके अलावा जमाल बनारसी उर्फ महतो ने कहा कि हुस्न का ध्यान कूजा गर रखना, जब भी मिट्टी को चाक पर रखना। बेहतरीन अंदाज में सुनाया।

नौशाद अमान सोज़ की शायरी पर सामइन झूम उठे कहा कि 'देखा है जिंदगी में यह मंजर कभी कभी, शीशे से टूट जाता है पत्थर कभी कभी'। के साथ आमिर शौकी ने फरमाया कि ज़ुल्मत ली ज़द में आ गये, उफ़ कैसे वह चिराग रखते थे जो हमेशा उजाला समेट कर। उनके कलाम ने खूब वाहवाही लूटी।कार्यक्रम में प्रस्तुत करने वाले रचनाकार और साहित्यकारों के नाम हैं डॉक्टर शाहिद मलिक (प्रोफेसर बद्री विशाल डिग्री कालेज फर्रुखाबाद), सिराजुल आरफीन, कुंवर सिंह कुंवर, प्रशांत सिंह, ज़म ज़म रामनगरी, सैयद इलिया गाजीपुरी, शम्स खालिद, नौशाद अमान सोज़, जमाल बनारसी, युनुस फैज़ी, सफा अमरी इत्यादि शायर ने अपनी ग़ज़लों गीतों से लोगों के दिलों पर राज किया।

इसके अतिरिक्त सामाजिक संस्था सुल्तान क्लब के अध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक, शमीम रियाज़, समाज सेवी परवेज़ कादिर खां, रोशन जमील, पूजा यादव, इरफान अंसारी पार्षद, पूर्व पार्षद उमेश चंद्र यादव इत्यादि भारी संख्या में शामिल थे।

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