रविवार, 17 मार्च 2024

नव्या क्लब की मेम्बर्स ने रंग बरसें कार्यक्रम में किया जमकर धमाल






Varanasi (dil India live). महिला भूमिहार समाज के नव्या क्लब का रंग बरसे कार्यक्रम सिगरा स्थित होटल कैस्टिलों में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस दौरान एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाते हुए महिलाओं ने खूब मस्ती की। कार्यक्रम की शुरुवात दीप प्रज्वलित कर डाॅ शीला शर्मा, बीना, माधुरी राय, डॉक्टर सरोज पांडेय, मंजुश्री, राजकिरन राय ने किया।आये हुए अतिथियों का स्वागत अनुपमा राय ने फूलों का गुलदस्ता और अंगवस्त्रम देकर किया।

होली मिलन समारोह में लोगों ने एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं। इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्याक्रम का भी आयोजन किया गया जिसमें होली के गीत होली खेलो रंग भीरा जगत में विमला राय और साधना राय ने गाया इसके साथ ही परी राय सोनाली सिंह और स्मिता राय ने एकल नृत्य किया जिसे लोगों ने बेहद पसंद किया।  

इस अवसर पर डाॅ. राजलक्ष्मी राय ने कहा कि ' होली आपसी भाईचारे का संदेश देते हैं। यह त्योहार आपसी सद्भावना का प्रतीक है। सारे भेदभाव भूलाकर उसे मनाना चाहिए। अनुपमा राय ने कहा कि होली मिलन समारोह एकता का प्रतीक है। यह त्योहार गिले-शिकवे को दूर करने का है। पुराने गिले-शिकवे को भूलकर एक-दूसरे को गले लगाया जाता है। माधुरी राय ने कहा कि होली का रंग ऐसा रंग है जिसमें सभी मस्त मगन होकर नाचते और गाते हैं साथी एक दूसरे को रंग गुलाल लगाकर शुभकामनाएं देते हैं।

कार्यक्रम को सफल बनाने मे ऋतु राय, नीलिमा राय, रूबी राय, सोनिया राय, पूनम सिंह, प्रीति राय, शुभ्रा सिंह प्राची राय नीतू सिंह, किरन सिंह, सोनिया राय, सौम्या राय अर्पिता राय अंजली तिवारी श्रद्धा राय, सीमा राय, अमिता माधुरी राय, मंजूश्री सिंह, सीमा राय, अमिता राय, अर्चना राय, सविता सिंह, शिवि राय, श्वेता राय, माधुरी सहित लगभग 200 की संख्या में उपस्थित थी। आये हुए अतिथियों का आभार अनुपमा राय और डाक्टर राजलक्ष्मी राय ने किया।

शनिवार, 16 मार्च 2024

ईदगाह पुराना पुल में मुकम्मल हुई तरावीह, पांच रोज़ा हुआ मुकम्मल




Varanasi (dil India live). रमजान का पहला अशरा अपने रफ्तार में है। शनिवार को पहले अशरे का पांचवां रोज़ा मोमिन ने अज़ान की सदाओं के साथ मुकम्मल किया। इस दौरान लजीज इफतारी दस्तरख्वान पर सजायी गई थी। तमाम रोजेदारों ने इफतारियो का लुत्फ उठाया। इफ्तार के बाद तमाम लोगों ने सहरी के लिए खरीदारी की और इसके बाद तरावीह की तैयारियों में जुट गए।
दरअसल रहमत के इस अशरे में अल्लाह के नेक बंदे इबादत में मशगूल है। सभी मस्जिदों में तरावीह का सिलसिला जारी है। मस्जिदों में तीन दिन व चार दिन की तरावीह मुकम्मल हो चुकी है। ऐसे ही पुरानापुल स्थित ईदगाह पुलकोहना में चार दिन की तरावीह खत्म हुई। यहां तरावीह काजीसदुल्लापूरा के हाफिज कल्लू ने मुकम्मल कराई। इस ईदगाह में हजारों की तादाद में लोगो ने तरावीह पढ़ी। 

पार्षद पति हाजी ओकास अंसारी ने बताया कि यहां तरावीह की नमाज बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी के सरदार हाजी हाफिज मोइनुद्दीन साहब की सरपरस्ती में अदा कराई गई। इस मौके पर मौजूद उस्ताद हाफिज अल्ताफ, हाजी बाबू, सरदार नसीर, पार्षद बेलाल अंसारी, हाजी चांद, हाजी भुल्लन, जियाउल्लाह अंसारी, पप्पू मोकादम, मुमताज, नूरुल अमीन, अल्ताफुर्रहमान, जब्बार, इंतजार अहमद, हाफिज जमालु, हाफिज मो. अलीम, हफीजुर्रहमान सहित तमाम लोग मौजूद थे।

शुक्रवार, 15 मार्च 2024

ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदक़े में इस मुल्क में अमन और तरक्की दे...आमीन

रमज़ान के पहले जुमे को मस्जिदो में दिखा हुजुम 

 
Varanasi (dil India live)। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदक़े में इस मुल्क में अमन और तरक्की दे, जो लोग परेशानहाल हैं उनकी परेशानी दूर कर, जो बेरोज़गार हैं उन्हें रोज़गार दे, जो बेऔलाद हैं उन्हें औलाद दे, जिसने रोज़ा रखा इबादत की उसे कुबुल कर, जो नहीं रख सकें उन्हें हिदायत दे, की वो अपनी जिंदगी इबादत में गुजारे। रमज़ान के पहले जुमे को नमाज़ के बाद मस्जिद ईदगाह लाटशाही में जब इमाम हाफिज़ हबीबुर्रहमान ने कुछ ऐसी ही दुआएं की तो तमाम लोग...आमीन, कह उठें। इस दौरान इमाम साहब ने कहा कि रब के बताए हुए रास्ते पर चल कर ही हमें कामयाबी मिल सकती है। जो रास्ता नबी ने दिखाया वहीं रास्ता अमन, इल्म, इंसानियत और मोहब्बत का रास्ता है। जो इस रास्ते पर चलेगा वही दीन और दुनिया दोनों में कामयाब होगा। इस दौरान शहर भर की तमाम मस्जिदों में जुमे की नमाज़ पर खुतबा पढ़ा गया। मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शम्सुद्दीन साहब, मस्जिद मुग़लिया बादशाह में मौलाना हाफिज़ हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद लंगड़े हाफिज़ में मौलाना ज़कीउल्लाह असदुल क़ादरी, मस्जिद शक्कर तालाब में मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी में मौलाना मुजीब, मस्जिद खाकी शाह में मौलाना मुनीर, मस्जिद याकुब शहीद में हाफिज़ ताहिर ने नमाज़ अदा करायी। ऐसे ही बनारस की तकरीबन पांच सौ मस्जिदों में अकीदत के साथ नमाज़े अदा की गयी। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था देखने को मिली। इस्लाम धर्म के लोगों ने इस दिन अल्लाह की इबादत के साथ इस बात का शुक्र अदा किया कि उन्हें माह-ए-रमजान में रोजा रखने, तरावीह पढ़ने और अल्लाह की इबादत करने का रब ने मौका दिया। इस दौरान मस्जिदों से इमाम साहेबान ने रोजेदारों से अपील किया कि ज़कात देने में जल्दी करें ताकि गरीबों की भी ईद हो जाए।

चिरईगांव शिक्षक संघ के अध्यक्ष हुए राजीव व मंत्री बने मनीष

Varanasi (dil India live)। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ वाराणसी के जिला इकाई के तत्वावधान में गुरुवार को चिरईगांव ब्लॉक के ब्लॉक इकाई का गठन किया गया। चुनाव अधिकारी राकेश पाठक ने नामांकन पत्र दाखिल करने के साथ सभी प्रकियाओं को पूर्ण करने के पश्चात निर्विरोध निर्वाचित करने की घोषणा की। जिसमे अध्यक्ष राजीव कुमार सिंह, मंत्री डॉ मनीष कुमार कुशवाहा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष कमलेश कुमार सिंह, कोषाध्यक्ष वाकर जहीर, संयुक्त मंत्री श्रीनिवास सिंह समेत अनेक पदों पर निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए। चुनाव पर्यवेक्षक के रूप में जिलाध्यक्ष चन्दौली विनोद कुमार सिंह ने निर्विरोध निर्वाचित पदाधिकारियों को पद व गोपनीयता की शपथ दिलाई।
जिलाध्यक्ष सकलदेव सिंह, जिलामंत्री शैलेन्द्र विक्रम सिंह, जितेन्द्र सिंह, रमेश यादव, विनोद सिंह, मनोज कुमार सिंह, रमेश त्रिपाठी, दिनेश सिंह,श्यामजी गुप्ता, अनुरूद्ध वर्मा, संतोष सिंह, राकेश तिवारी, दीपक पांडेय,राजेश्वर सिंह,आरती देवी,अनीता सिंह,प्रमिला सिंह,सादिया तबस्सुम,मुहम्मद इकबाल व अरविंद यादव समेत सैकड़ों शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।

गुरुवार, 14 मार्च 2024

मुकम्मल हुई तरावीह तो हाफिज साहब का हुआ इसतेकबाल


कई मस्जिदों में मुकम्मल हुई तीन दिन की तरावीह 

तरावीह मुकम्मल होने के बाद हाफीज़ साहब का खैरमकदम करते 



Varanasi (dil India live)। रमजान के मुक़द्दस महीने में तमाम मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल होना शुरू हो गई है। किसी मस्जिद में तीन दिन की तरावीह तो किसी मस्जिद में सात दिन तो किसी में दस दिन की तो कहीं पंद्रह दिन की तरावीह की नमाज पढ़ाई जा रही है । इसी कड़ी में लाट सरैया स्थित मखदूम शाह बाबा की मस्जिद पर तीन दिन की तरावीह और लाट मस्जिद पर भी तीन दिन की तरावीह की नमाज मुकम्मल हुई । 

मखदूम शाह बाबा मस्जिद पर तीन दिन की तरावीह हाफिज मोहम्मद अहमद साहब ने अदा कराई और लाट मस्जिद पर तीन दिन की तरावीह मोहम्मद जुबैर साहब ने अदा कराई। इन दोनो मस्जिदों पर हजारों लोगो ने तराबी की नमाज पढ़ी। इन दोनो मस्जिदों पर बुनकर बिरादराना तंजीम के सरदार हाजी मकबूल अहमद (मतवल्ली) की सरपरस्ती व पार्षद पति हाजी ओकास अंसारी की मौजूदगी में तरावीह मुकम्मल कराई गई। इस मौके पर कमेटी के तमाम लोग मौजूद थे। ऐसे ही मदरसा ख़ानम जान अर्दली बाजार में भी तरावीह मुकम्मल हुई।

बुधवार, 13 मार्च 2024

रब की रज़ा का जज़्बा और रख लिया नन्ही उम्र में रोज़ा



Varanasi (dil India live)। रब की रज़ा का जज़्बा दिल में हो तो खुदा बड़े से बड़े काम को आसान कर देता है, यही वजह है कि गौरीगंज के इमरान खान की लखते जिगर मरियम खां ने नन्ही सी उम्र में रोज़ा रखकर मिसाल पेश की है। क्लास 2 की स्टूडेंट मरियम खां ने रमजान का पहला और दूसरा दोनों रोज़ा मुकम्मल किया। मरियम के बड़े पापा इम्तियाज खां कहते हैं कि महज सात साल की मरियम ने मिसाल पेश की है। उसे मुहल्ले के लोग और रिश्तेदारों ने बहुत मुबारकबाद दी। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि मरियम नन्ही उम्र में रोज़ा रख देगी, मगर उसने इसे सच साबित किया।

गरीबों व जरुरतमंदों की मदद का नाम है जकात


ये हैं रमजान का असर पैगाम 


Varanasi (dil India live)। इस्लाम में जकात फर्ज हैं। जकात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का ज्यादा हक है। ऐसे में जल्द से जल्द हकदारों तक ज़कात पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। ये ज़कात देने का सही वक्त है। जकात फर्ज होने की चंद शर्तें है। मुसलमान अक्ल वाला हो, बालिग हो, माल बकदरे निसाब (मात्रा) का पूरे तौर का मालिक हो। मात्रा का जरुरी माल से ज्यादा होना और किसी के बकाया से फारिग होना, माले तिजारत (बिजनेस) या सोना चांदी होना और माल पर पूरा साल गुजरना जरुरी हैं। सोना-चांदी के निसाब (मात्रा) में सोना की मात्रा साढ़े सात तोला (87 ग्राम 48 मिली ग्राम ) है जिसमें चालीसवां हिस्सा यानी सवा दो माशा जकात फर्ज है।

सोना-चांदी के बजाय बाजार भाव से उनकी कीमत लगा कर रुपया वगैरह देना जायज है। जिस आदमी के पास साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या उसकी कीमत का माले तिजारत हैं और यह रकम उसकी हाजते असलिया से अधिक हो। ऐसे मुसलमान पर चालीसवां हिस्सा यानी सौ रुपये में ढ़ाई रुपया जकात निकालना जरुरी हैं। दस हजार रुपया पर ढ़ाई सौ रुपया, एक लाख रुपया पर ढ़ाई हजार रुपया जकात देनी हैं। सोना-चांदी के जेवरात पर भी जकात वाजिब होती है। तिजारती (बिजनेस) माल की कीमत लगाई जाए फिर उससे सोना-चांदी का निसाब (मात्रा) पूरा हो तो उसके हिसाब से जकात निकाली जाए। अगर सोना चांदी न हो और न माले तिजारत हो तो कम से कम इतने रूपये हों कि बाजार में साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना खरीदा जा सके तो उन रूपर्यों की जकात वाजिब होती है।

"ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशा वालों को। ऐसे छात्र को भी "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। ऊपर बताये गये लोगों को जकात तभी दी जायेगी जब सब गरीब हो, मालिके निसाब न हो।

जकात का इंकार करने वाला काफिर और अदा न करने वाला फासिक और अदायगी में देर करने वाला गुनाहगार हैं। मुसलमानों को चाहिए कि जल्द से जल्द जकात की रकम निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा मुसलमान को दें दे ताकि वह अपनी जरुरतें पूरी कर लें। जकात बनी हाशिम यानी हजरते अली, हजरते जाफर, हजरते अकील और हजरते अब्बास व हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की औलाद को देना जाइज नहीं। किसी दूसरे मजहब को जकात देना जाइज नहीं है। क्यों की ये एक मज़हबी टैक्स है। सैयद को जकात देना जाइज नहीं इसलिए कि वह भी बनी हाशिम में से है। कम मात्रा यानी चांदी का एतबार ज्यादा बेहतर हैं कि सोना इतनी कीमत का सबके पास नहीं। नबी के जमाने में सोना-चांदी की मात्रा मालियत के एतबार से बराबर थीं। अब ऐसा नहीं हैं। गरीब के लिए भलाई कम निसाब (मात्रा) में हैं।

 अगर आप "मालिके निसाब" हैं, तो हक़दार को "ज़कात" ज़रुर दें, क्योंकि "ज़कात" ना देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन शरीफ में आया है। जकात हलाल और जाइज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए। क़ुरआन शरीफ में हलाल माल को खुदा की राह में ख़र्च करने वालों के लिए ख़ुशख़बरी है, जैसा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि... "राहे ख़ुदा में माल ख़र्च करने वालों की मिसाल ऐसी है कि जैसे ज़मीन में किसी ने एक दाना बोया, जिससे एक पेड़ निकला, उसमें से सात बालियां निकलीं, उन बालियों में सौ-सौ दाने निकले। गोया कि एक दाने से सात सौ दाने हो गए। अल्लाह इससे भी ज़्यादा बढ़ाता है। जिसकी नीयत जैसी होगी, वैसी ही उसे बरकत देगा"।

डा. एमएम खां (चेयरमैन मुग़ल एकेडमी लल्लापुरा)

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...