शनिवार, 2 मार्च 2024

Imam Mehdi की शान में हुई महफिल, हुई भव्य सजावट

जश्न बकीतुल्लाह में शायरों ने कलाम से लूटी महफ़िल 

Varanasi (dil India live). 18 शाबान शनिवार को जश्न बकीतुल्लाह का आयोजन मौलाना शमीमुल हसन साहब की सदारत में शनिवार को किया गया। हकीम मोहम्मद काजिम के दालमंडी स्थित इमामबाड़े में आयोजित हुए जश्न की शुरुआत पाक कुरान की तिलावत से हुई। निजा़मत मौलाना गुलजा़र  मौलाई कर रहे थे। आयोजन में मुकामी शायर के साथ-साथ मेहमान शायर भी तशरीफ लाएं जिसमें मुख्य रुप से मेहमान  खुसूसी में मौलाना तजीबुल हसन रांची, जुल्फिकार सिवान, फैय्याज रायबरेली, वहदत जौनपुरी, इमरान गदीरी, वारिस जलालपुरी, रेहान जलालपुरी के साथ-साथ शहर बनारस के मशहूर शायर प्रोसेसर अजीज हैदर, रेहान बनारसी, मौलाना दिलकश गाजीपुरी, मौलाना गुलजार मौलाई, अतश बनारसी, ऋषि बनारसी, मौलाना बाकर बलियावी मौजूद थे ।

जश्न में शहर बनारस में तराने बा खिदमत इमाम ई ज़माना सलाम फरमनदे का आयोजन किया जा रहा है जश्न में आए तमाम मेहमानों का स्वागत जश्न के बानी जि़या मरहूम के बेटे साकिब अब्बास ने किया। यह जश्न मध्यरात्रि रात तक चला जिसमें बड़ी तादाद में लोगों ने शिरकत किया और इमाम की विलादत का जश्न मनाया। इस दौरान शायरों ने अपने कलाम से महफ़िल लूट ली। एक से एक खूबसूरत कलाम से लोगों को शायरों ने फैज़याब किया। आखिर में सैयद फरमान हैदर ने लोगों का शुक्रिया अदा किया।

रविवार, 25 फ़रवरी 2024

shab-a-baraat पर हुई इबादत, लोगों ने मांगी मगफिरत की दुआएं

इबादत में मशगूल रहे लोग, होती रही नूर की बारिश 



Mohd Rizwan

Varanasi (dil India live)। शबे बरात पर रौशनी के बीच इबादतगाह और कब्रिस्तान जहां Sunday को जायरीन से गुलजार रही, वहीं लोगों का हुजूम फातेहा पढ़ने व दुआएं मगफिरत मांगने के लिए बुजुर्गों के दर पर उमड़ा हुआ नजर आया। यह सिलसिला पूरी रात चलेगा। चले भी क्यों नहीं इबादत कि रात जो है।

दरअसल इस्लाम में शब-ए-बरात की खास अहमियत है। इस्लामिक कैलेंडर का आठवां महीना शाबान का महीना है। इस महीने की 14 तारीख का दिन गुजार कर जो शब आती है उस 15 वीं शब की रात में शब-ए-बरात (मगफिरत की रात) मनाया जाता है। इतवार की रात को देश दुनिया की तरह अपने शहर बनारस में भी शबे बरात पर सारा जहां रौशन नजर आया। शब-ए-बरात इबादत, फजीलत, रहमत और मगफिरत की रात मानी जाती है। इसीलिए तमाम मुस्लिमों ने रात में इबादत शुरू किया और अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगी, यह सिलसिला पूरी रात चलेगा। मर्द ही नही घरों में ख्वातीन भी शबे बरात पर इबादत करती नज़र आयी। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होते हुए। 

इससे पहले इतवार की शाम को मगरिब की अजान होने के साथ शब-ए-बरात की इबादत शुरू हो गयी। यह सिलसिला सोमवार को फजर की नमाज तक चलेगा। इस दौरान काफी लोग शाबान का नफिल रोजा भी रखते हैं। जो लोग रोज़ा रहेंगे वो सोमवार को अल सहर सहरी करके रोज़ा रहेंगे और शाम में मगरिब की अज़ान के साथ इफ्तार करके रोज़ा खोलेंगे।

क्या है shab-a-baraat

दरअसल शबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी। किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा। साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ व रौशन रखते हैं। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटी हुई थी। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो गई। 

यहां दिखा अकीदत का हुजूम

बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरी, कबीरनगर कब्रिस्तान (निकट संजय शिक्षा निकेतन), बजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैया, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानी टोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर, टेंगरा मोड़ आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोगों का हुजूम फातेहा पढ़ने उमड़ा हुआ था। यहां लोगों ने शमां रौशन किया और फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगी। इसी के साथ शबे बरात के 15 दिनों के बाद मुक़द्दस रमजान का महीना शुरू हो जाएगा और 30 रोज़े मुकम्मल होने पर ईद आएगी।

शनिवार, 24 फ़रवरी 2024

Shab-E-Baraat: होगी पूरी रात इबादत, पढ़ी जायेगी फातेहा

आस्तानों पर होगा चिरांगा, घरों में हलवे की फातेहा



Varanasi (dil India live)। शबे बरात  इतवार को है। यह अज़ीम रात इबादत और बस इबादत के लिए ही बनी है। इस बाबरकत रात रब के सभी नेक बंदे अपने पाक परवर दीगार कि इबादत में मशगुल रहेंगे। सारी रात मोमिनीन खास नमाज़ अदा करेंगे। शबे बरात पर अपनों व बुजुर्गो की क्रबगाह पर अज़ीज चिरागा करेंगे व घरों में रोशनी कि जाएगी। मगरिब की नमाज के बाद शिरनी कि फातेहा होगी।

घरों में लौटेगी पुरखों की रूह 

मौलाना साकीबुल कादरी कहते हैं कि शबे बरात से ही रुहानी साल शुरू होता है। इस रात रब फरिश्तों की डय़ूटी लगाता है। लोगों के नामे आमाल लिखे जाते हैं। किसे क्या मिलेगा, किसकी जिंदगी खत्म होगी। मौलाना हसीन अहमद हबीबी ने बताया कि किसके लिये साल कैसा होगा, पूरे साल किसकी जिन्दगी में क्या उतार-चढ़ाव आयेगा, ये इसी रात लिखा जाता है। साथ ही पुरखों की रूह अपने घरों में लौटती है जिसके चलते लोग घरों को पाक साफ व रौशन रखते हैं। मर्द ही नही घरों में ख्वातीन भी शबे बरात की रात इबादत करती हैं। इबादत में छोटे-छोटे बच्चे भी शामिल होते हैं। सुबह से शाम तक घरों में ख्वातीन हलवा व शिरनी बनाने में जुटती हैं। शाम में वो भी इबादत में मशगूल हो जाती हैं। 

यहां लगाई जाएंगी हाज़िरी

बनारस शहर के प्रमुख कब्रिस्तान टकटकपुर, हुकुलगंज, भवनिया कब्रिस्तान गौरीगंज, बहादर शहीद कब्रिस्तान रविन्द्रपुरी, बजरडीहा का सोनबरसा कब्रिस्तान, जक्खा कब्रिस्तान, सोनपटिया कब्रिस्तान, बेनियाबाग स्थित रहीमशाह, दरगाहे फातमान, चौकाघाट, रेवड़ीतालाब, सरैया, जलालीपुरा, राजघाट समेत बड़ी बाजार, पीलीकोठी, पठानीटोला, पिपलानी कटरा, बादशाहबाग, फुलवरिया, लोहता, बड़ागांव, रामनगर आदि इलाक़ों की कब्रिस्तानों और दरगाहों में लोग हर साल पहुच कर शमां रौशन करते हैं, फातेहा पढ़कर अज़ीज़ों की बक्शीश के लिए दुआएं मगफिरत मांगते हैं।

शांतिपूर्ण त्योहार के लिए बैठक

शबे बरात इतवार को शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो सकें इसके लिए सम्मानित विशिष्टजनो, सामाजिक कार्यकर्ताओं व पुलिस अधिकारियों के साथ शहर भर में सभी थाना क्षेत्रों में बैठक की गई। बैठक में कोई भी नई परम्परा कायम न हो, शांति व्यवस्था कायम रहे इस पर मंथन किया गया।

सोमवार, 19 फ़रवरी 2024

Dr Renu Shahi ने दिया 'राजस्थानी लोक परंपरा' पर व्याख्यान

अमरकंटक के राष्ट्रीय संगोष्ठी में प्रस्तुत किया शोध पत्र 





Jaipur (dil India live). नर्मदा के उद्गम स्थान अमरकंटक में 16  से 20 फरवरी तक  देश के प्रतिष्ठित संस्थान ' इंडियन आर्ट हिस्ट्री कॉंग्रेस', गुवाहाटी (जो कि भारतीय कला एवं पुरातात्विक पक्ष के सभी पहलुओं के ऊपर शोध का कार्य करवाती है) तथा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजाति विश्विद्यालय, अमरकंटक के तत्वावधान में संयोजित रूप से "भारतीय कला पर लोक एवं जनजाति तत्वो के प्रभाव" शीर्षक पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया l जिसमें  जयपुर (राजस्थान) से डॉ. रेणु शाही को शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इन्होंने नाथद्वारा शैली में लोक परंपराओं, लोक तत्वों, लोक मान्यताओं एवं लोक कथाओं को केन्द्रित करते हुए एवं एक लघु चित्र शैली जो राजस्थान के चार प्रमुख चित्र शैलियों मारवार, मेवाड़, ढूंढार एवं हाड़ौती में मेवाड़ की एक उप-शैली नाथद्वारा शैली के वर्तमान स्वरूप के ऊपर अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया। इसे सभी कला मर्मज्ञों, इतिहासकारों व बुद्धजीवियों द्वारा सराहा गया I दृष्य कला से संबंध रखने वाली डॉ. रेणु शाही मूलतः उतर प्रदेश के गोरखपुर से है और कला शिक्षा वाराणसी में रहकर पूर्ण किया हैं और वर्तमान में जयपुर में रहते हुये एक कला महाविद्यालय में शिक्षण के साथ-साथ लेखन एवं कला इतिहास पर शोध एवं समीक्षा का कार्य करती है l अब तक इनके  लगभग तीस से चालीस शोध कार्य एवं कला समीक्षाएं अलग-अलग पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है l साथ ही कलात्मक गतिविधियों में भी भागीदारी करती है l चित्रकारी के साथ-साथ लेखक में भी सक्रिय है l इनका कहना है कि 'निरंतर एवं मंदगति का प्रवाह एक सुखद अनुभूति होती है' l

शुक्रवार, 16 फ़रवरी 2024

Mister Kashi बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता 18 को




Varanasi (dil India live). काशी जिला बॉडीबिल्डिंग एंड फिटनेस एसोसिएशन द्वारा तीसरा मिस्टर काशी बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता का आयोजन 18 फरवरी को आयोजित की जा रही है। यह बॉडीबिल्डिंग प्रतियोगिता जीरो से 55, 55-60, 60- 65, 65-70,70-75 व 75 से अधिक भार वर्ग में आयोजित किया जा रहा है। यह प्रतियोगिता न्यू वायरस जिम चौरसिया कटरा, अमरोहा बाजार में  आयोजित है। इस संदर्भ में काशी जिला बॉडीबिल्डिंग एंड फिटनेस एसोसिएशन के अध्यक्ष अहमद फैसल महतो ने बताया कि इस प्रतियोगिता में हर ग्रुप के विजेता को ट्रॉफी, सर्टिफिकेट, सप्लीमेंट व टी शर्ट भेंट किया जाएगा। साथ ही टाइटल कैश मनी 31सौ व मसल्स मैन कैश मनी 21सौ रुपयों का विशेष पुरस्कार रखा गया है। साथ ही ट्रैक सूट व सर्टिफिकेट भी दिया जाएगा।इसके साथ ही हर भर वर्ग ग्रुप से 5 बेस्ट  और दो फिटनेश फिजिक चुने जाएंगे जिसमे एक 5.6 इंच तक में से तो दूसरा 5.6 इंच के अधिक का होगा। इन्हे भी विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।

गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

Sp Leader Lari ने देखिए अखिलेश यादव से क्या मांगा

राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा स्वीकार न करें

सपा मुखिया अखिलेश यादव के साथ वाराणसी के वरिष्ठ नेता अतहर जमाल लारी (फाइल फोटो)

Varanasi (dilindialive). समाजवादी पार्टी वाराणसी के वरिष्ठ नेता अतहर जमाल लारी ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से मांग किया है कि वह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा स्वीकार न करें। उन्होंने कहा है कि यह हमारी अपील है। स्वामी प्रसाद मौर्य पीडीए के एक प्रमुख स्तंभ है और समाजवादी पार्टी में उनकी जरूरत है। उनका पद पर बने रहना चाहिए, उनसे मेरी यही अपील है हम आशा करते हैं कि अध्यक्ष जी कार्यकर्ता की आवाज को सुनेंगे यह केवल मेरी नहीं बहुत से कार्यकर्ताओं की आवाज है। कृपया इस पर ध्यान जरूर दें।

मंगलवार, 13 फ़रवरी 2024

Ash Wednesday संग शुरु होगा 40 दिनी मसीही समुदाय का महाउपवास काल

माथे पर पवित्र राख से मसीही बनाएंगे क्रूस का निशान

-इस बार देश दुनिया में 14 फरवरी से शुरू होगा महा उपवास

-जानिए क्या है महा उपवास काल, क्यों मनाया जाता है इसे




Varanasi (dil India live). ऐश वेडनेस डे यानी राख बुधवार के साथ ही मसीही समुदाय का 40 दिन का उपवास काल इस बार 14 फरवरी से शुरु होगा। विश्व भर के ईसाई ऐश वेडनेसडे से 40 दिन के उपवास की शुरुआत करते हैं। ऐश वेडनेसडे यानी राख बुधवार प्रभु यीशु के दुख भोग के रुप में मनाया जाता है। इन 40 दिनों तक ईसाई वर्ग प्रभु से प्रार्थना करते हैं। इस दौरान लोग प्रभु यीशु के बलिदान को याद करते हैं। वाराणसी धर्मप्रान्त से जुड़े फादर चंद्रकांत की माने ईसा मसीह ने 40 दिन का व्रत रखा था, उनके 40 दिन के व्रत को त्याग, बलिदान के रुप में मसीही न सिर्फ याद करते हैं बल्कि इन 40 दिनों में मसीही समुदाय ईसा मसीह द्वारा क्रूस पर दिये बलिदान को याद किया जाता है। पादरी बीएन जान कहते हैं कि इसका मकसद प्रभु पर भरोसा करना होता है। इस महा उपवास काल को त्याग और मंथन के रुप में जाना जाता है। इस दौरान मसीही अहंकार को दूर करते हुए जहां पुण्य कार्यों में लगे रहते है वही महाउपवास काल के दौरान गुप्त दान भी खूब किया जाता है।

क्या है ऐश वेडनेस डे

ऐश वेडनेसडे ईसाई समुदाय का वो पवित्र दिन होता है। जिस दिन माथे पर पवित्र राख लगाकर मसीही चालीस दिनी महाउपवास की शुरुआत करते हैं। प्रभु यीशु के प्रति मसीही अपनी आस्था दिखाते हैं। पादरी आदित्य कुमार कहते है कि ऐश वेडनेस डे ईसाई वर्ग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। ऐश वेडनेस डे से लेंट काल की शुरुआत होती हैं। यह पूरा समय ही आत्म मंथन का होता है, इस चालीस दिन को मसीही प्रभु यीशु के नाम कर देते है, प्रभु की आराधना, गुप्त दान आम हो जाता है।

-मिट्टी में मिल जाओगे

फादर फिलिप्स बताते हैं कि राख बुधवार के दिन कैथलिक ईसाई पवित्र राख से माथे पर क्रूस का निशान बनाते हुए ईसा मसीह को याद करते हैं। इस दौरान पुरोहित माथे पर राख लगाते हुए लोगों को याद दिलाते है कि तुम मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओगे। इसके साथ लोगों को अंहकार छोड़कर अच्छी सीख दी जाती है।


पास्टर एंड्रू थामस कहते हैं कि पाम संडे, जिसे पैशन संडे के नाम से भी जाना जाता है, इस बार 24 मार्च को है। पाम संडे ईस्टर से पहले का रविवार है और पवित्र सप्ताह की शुरुआत का प्रतीक है, जो ईसाइयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसके बाद 29 मार्च को गुड फ्राइडे व 31को ईस्टर की मसीही खुशी मनाएंगे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...