मंगलवार, 1 अगस्त 2023

Bhadohi SP हैं एमबीबीएस डॉक्टर

भदोही की पुलिस अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी कात्यायन मूल रूप से हैं झारखंड निवासी 


Bhadohi (dil India live). भदोही की नवागत पुलिस अधीक्षक डॉ. मीनाक्षी कात्यायन मूल रूप से झारखंड की रहने वाली हैं। वह एमबीबीएस डॉक्टर हैं। एमबीबीएस करने के बाद मीनाक्षी कात्यायन ने वर्ष 2012 में संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सर्विसेज परीक्षा दी थी। वह सफल रहीं और वर्ष 2014 आईपीएस बैच में शामिल हुईं। उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला है। वर्ष 2018 में भारतीय पुलिस सेवा का सीनियर स्केल हासिल कर चुकी हैं।एम्स में रह चुकीं जूनियर डॉक्टर, पति एम्स में कार्यरत हैं।डा.मीनाक्षी का मानना है कि पुलिस सर्विस में रहकर जनता की सेवा करने का ज्यादा अवसर है। मेडिकल की पढ़ाई को पुलिस सर्विस में घटनाओं के अन्वेषण में मददगार मानती हैं। 12 जुलाई 1982 को झारखंड के रांची में एक सामान्य परिवार में जन्मी मीनाक्षी ने अपनी पढ़ाई बैंक से लोन लेकर पूरी की। पिता सामन्य व्यवसाय करते हैं। माता गृहणी हैं। दिल्ली के एम्स में वह जूनियर डाक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे चुकी हैं। उनके पति एम्स में डाक्टर हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ डॉ.मीनाक्षी कात्यायन ने बिहार के बेगूसराय में पोलियों उन्मूलन में खास योगदान दिया था।

गर्म टापू बना शहर, कभी भी हो सकती है मूसलाधार बारिश

पर्यावरण संरक्षण को करें पौधारोपण, वरना नतीजे होंगे भयावाह 

-मौसम वैज्ञानिक ने किया दावा



Varanasi (dil India live). मौसम वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पर्यावरण असंतुलन के कारण बनारस गर्म टापू बन चुका है। बारिश की संभावना निरन्तर बनी है कभी भी मूसलाधार बारिश हो सकती है या फिर गरज चमक के साथ छींटे पड़ सकते हैं। भीषण गर्मी कि मार झेल रहे पूर्वांचल के लोगों को मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी से उम्मीद की किरण जागी है अगर बरसात होती है खेती के लिए काफी बेहतर होगा वरना इसका असर खेती पर बहुत ही खराब पड़ सकता है। मौसम वैज्ञानिक एसएन पांडेय कहते हैं कि बारिश की संभावना निरन्तर बनी है। बनारस गर्म टापू बन चुका है अतः विलम्ब हो रहा है। यह सब पर्यावरण असंतुलन के कारण है। लोगों को चाहिए कि अपने मकानो, जमीनों, और मैदानों में ज्यादा से ज्यादा पौधारोपण करें ताकि पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को बल मिल सके वरना आने वाला समय और भी भयावाह हो सकता है।

abhee na jao छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं...

मो. रफी की बरसी पर डर्बीशायर क्लब ने खिलाया मछलियों को चारा



Varanasi (dil India live)। डर्बीशायर क्लब के तत्वावधान में सोमवार को पूर्वान्ह 11:00 बजे फ़िल्मी दुनिया के महान गायक मो. रफी की पितरकुण्डा कुण्ड की मछलियों को चारा खिलाकर 42 वीं पुण्यतिथि मनायी गयी। इस मौके पर अध्यक्ष शकील अहमद ने कहा कि रफी साहब का जन्म 24 दिसंबर 1928 को हुआ था। रफी साहब ने 50 व 60 के दशक के मशहूर अभिनेताओं के लिये अपनी मधुर आवाज दी जिसमें ओ दुनिया के रखवाले सुन, दर्द भरे मेरे नाल कर, चले हम फिदा जानो तन साथियों, अभी न जाओ छोड़कर के दिल अभी भरा नहीं, असली क्या है नकली क्या है पूछो दिल से मेरे, झिलमिल सितारों का आगन होगा रिमझिम बरसता सावन होगा आया सावन झूम के जैसे गीत, गाकर ढेरों पुरस्कार जीते। उनके गाये नधुर गीत आज भी हमारे दिलों में राज कर रहे हैं। शकील ने कहा कि 31 जुलाई 1980 को हमारे महान गायक रफी साहब इस फानी दुनिया से रुखसत हो गये। आज हमसब रफी साहब की याद में उन्हें खिराजे अकीदत पेश कर रहे हैं। अन्त में शकील ने कहा कि हमारा क्लब कब से भारत सरकार से ये मांग कर रहा है कि जिस तरह से मशहूर गीतकार कैफी आजमी की याद में कैफियात नाम से ट्रेन चलायी है उसी तरह रफी साहब की भी याद में एक ट्रेन चलायी जाये। हमारी इस मांग पर भारत सरकार ने अभी तक चुप्पी साध रखी है। कार्यक्रम में प्रमोद वर्मा, हैदर, आफाक हैदर, हाजी असलम, साजिद खां, जैनुल अंसारी, मुन्नू, युसुफ, मुश्ताक अली, लक्ष्मण पांडेय, संजीर खां आदि मौजूद थे।

सोमवार, 31 जुलाई 2023

Moharram 12: या हुसैन...की सदाओं पर निकला अलम सद्दा


बोल मोहम्मदी...या हुसैन की सदाओं संग निकला तीजे का जुलूस






Varanasi (dil India live)। इमाम हुसैन (रजि.) समेत कर्बला के तमाम शहीदों का तीजा सोमवार को पूरी अकीदत और एहतराम के साथ मनाया गया। इस मौके पर मुस्लिमों ने अलम सदा का जुलूस निकाल कर कर्बला में फूल-माला जहां ठंडा किया। तीजे पर इमाम चौकों पर फातेहा कर तबर्रुक तकसीम किया गया। गौरीगंज स्थित मरहूम नन्हें खां के इमामबाड़े से, बोल मोहम्मदी, या हुसैन... या हुसैन...व, नारे तकबीर अल्लाह हो अकबर...। की सदाओं के साथ अलम सद्दा का जुलूस उठा। यह जुलूस शिवाला पहुंचा जहां से विभिन्न रास्तों से होकर शिवाला घाट जाकर सम्पन्न हुआ। ऐसे ही शिवाला से अलम का जुलूस उठाया गया। जुलूस में बड़ी संख्या में पुलिस अधिकारी व पुलिस के जवान शामिल थे। उधर अर्दली बाजार, शिवपुर, तरना आदि का जुलुस अपने कदीमी रास्तों से कचहरी, वरुणापुल होकर नदेसर पहुंचा। अर्दली बाजार का जुलूस जब नदेसर पहुंचा तो उसके पीछे-पीछे नदेसर, राजा बाजार, पक्की बाजार आदि का जुलूस भी फातमान की ओर निकल चला। जुलूस की कमान शाहिद खां, भजपा नेता मलिक, मो. खालिक, गफ्फार, सिकंदर, शहजादे खां, नेयाज अहमद, शमशाद, हम्जा आदि साथ-साथ चल रहे थे। ऐसे ही रामपुरा, रेवड़ीतालाब व मदनापुरा का जुलूस भी निकला। यह जुलूस जंगमबाड़ी, गौदोलिया होते हुए फातमान पहुंच कर सम्पन्न हो गया। उधर ककरमत्ता से जुलूस निकला जो कर्बला पहुंच कर समाप्त हुआ। बजरडीहा, गौरीगंज, नई सड़क, शेख सलीम फाटक, पीलीकोठी, सरैया, छत्तनपुरा, राजा बाजार, प्राहलादघाट, सुंदरपुर, नरिया, दालमंडी, लल्लापुरा, पितरकुंडा, कोयला बाजार, बड़ी बाजार आदि जगहों से भी अलम का जुलूस निकाला गया। 

4 से लेकर 40 मीटर तक के अलम :–

अलम सददे के जुलूस में 4 फीट से लेकर चालीस मीटर तक के रंग-बिरंगे अलम अकीदतमंद ऐसे संभले हुए चल रहे थे कि वो जमीन पर न पड़े। जहां बिजली के तार व टेलीफोन कैबिल रास्ते में आता दिखाई दे रहा था, उससे बचने के लिए पैर पर अलम रखकर बेहद खूबसूरती से धीरे-धीरे संभालते हुए लोग उसे पार करा रहे थे। यह खूबसूरत लम्हा देखते ही बन रहा था। 

खिचडे की हुई फातेहा :–

इमाम हुसैन व इमाम हसन के तीजे पर शहर भर में अकीदतमंदों ने घरों व इमामबाडों में फातेहा कराया। इस दौरान कहीं शिरनी तो कहीं खिचडा बना। फातेहा का तबर्रुक लेने की लोगों में होड मची हुई थी। यह सिलसिला सुबह से देर रात तक चलता रहा।

सिपहगिरी का फन देखने को जुटा मजमा  

अलम सददा के जुलूस के साथ साथ फन-ए-सिपहगिरी के सिपाही अपने साथियों के साथ फन का मुजाहिरा सड़कों पर करते हुए दिखाई दिये। इस रणकौशल का लुत्फ लेने के लिए लोगों ने पलके बिछायी। कचहरी, शिवपुर, अर्दली बाजार, राजा बाजार, नदेसर, लल्लापुरा, बजरडीहा, गौरीगंज, रेवड़ी तालाब, मदनपुरा आदि इलाकों से अखाड़े निकले। इस दौरान जुलूस के आगे आगे खलीफा चल रहे थे। फन-ए-सिपहगीरी एसोसिएशन के लोग मोर्चा संभाले हुए थे। 

इस दौरान सामाजिक संगठन भी सक्रिय रहे। मोहर्रम के जुलूसों के दौरान सामाजिक संगठनों ने पितरकुंडा पर जिया क्लब की ओर से सुबह 10 बजे से शाम तक रिलीफ कैम्प लगाया गया जिसमें चिकित्सा व्यवस्था कि सीएमओ की ओर से खास व्यवस्था की गयी थी। संचालन शकील अहमद जादूगर कर रहे थे। नईसड़क पर अंजुमन इस्लामिया के सदर हाजी मो. शाहिद अली खां मुन्ना की देखरेख में सहायता शिविर लगा था। पासबा क्लब की ओर से लल्लापुरा रांगे की ताजिया के समीप लगे कैम्प में काफी लोग व्यवस्था संभाले हुए थे। 

दरगाहे फातमान में शमां किया रौशन

दरगाहे फातमान में शिया वर्ग ने इमाम हुसैन के तीजे पर इमाम हुसैन के रौजे पर सैयद फरमान हैदर की अगुवाई में शमां रौशन की गई। इस दौरान काफी लोग मौजूद थे।

रविवार, 30 जुलाई 2023

Munshi Premchand ने समाज की विसंगतियों पर चलाई सदैव कलम

डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने लिखी साहित्य की नई इबारत: पोस्टमास्टर जनरल

आज भी प्रासंगिक हैं प्रेमचन्द के साहित्यिक व सामाजिक विमर्श

(प्रेमचंद की जन्मस्थली लमही में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव)


Varanasi (dil India live). हिन्दी साहित्य के इतिहास में उपन्यास सम्राट के रूप में प्रसिद्ध मुंशी प्रेमचंद के पिता अजायब राय श्रीवास्तव लमही, वाराणसी में डाकमुंशी (क्लर्क) के रूप में कार्य करते थे। ऐसे में प्रेमचंद का डाक-परिवार से अटूट सम्बन्ध था। मुंशी प्रेमचंद को पढ़ते हुए पीढ़ियाँ बड़ी हो गईं। उनकी रचनाओं से बड़ी आत्मीयता महसूस होती है। ऐसा लगता है मानो इन रचनाओं के  पात्र हमारे आस-पास ही मौजूद हैं। प्रेमचंद जयंती (31 जुलाई) की पूर्व संध्या पर उक्त उद्गार चर्चित ब्लॉगर व साहित्यकार एवं वाराणसी परिक्षेत्र  के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने व्यक्त किये। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि लमही, वाराणसी में जन्मे डाककर्मी के पुत्र मुंशी प्रेमचंद ने साहित्य की नई इबारत  लिखी। हिंदी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936  तक के कालखंड को 'प्रेमचंद युग' कहा जाता है। प्रेमचंद साहित्य की वैचारिक यात्रा आदर्श से यथार्थ की ओर उन्मुख है। मुंशी प्रेमचंद स्वाधीनता संग्राम के भी सबसे बड़े कथाकार हैं। श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, प्रेमचंद की स्मृति में भारतीय डाक विभाग की ओर से 30 जुलाई 1980 को उनकी जन्मशती के अवसर पर 30 पैसे मूल्य का एक डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, प्रेमचन्द के साहित्यिक और सामाजिक विमर्श आज भूमंडलीकरण के दौर में भी उतने ही प्रासंगिक हैं। उनकी कृतियों के तमाम चरित्र, मसलन- होरी, मैकू, अमीना, माधो, जियावन, हामिद कहीं-न-कहीं वर्तमान समाज के सच के सामने फिर से तनकर खड़े हो जाते हैं। प्रेमचंद ने साहित्य को सच्चाई के धरातल पर उतारा। प्रेमचन्द जब अपनी रचनाओं में समाज के उपेक्षित व शोषित वर्ग को प्रतिनिधित्व देते हैं तो निश्चिततः इस माध्यम से वे एक युद्ध लड़ते हैं और गहरी नींद सोये इस वर्ग को जगाने का उपक्रम करते हैं। श्री यादव ने कहा कि प्रेमचन्द ने अपने को किसी वाद से जोड़ने की बजाय तत्कालीन समाज में व्याप्त ज्वलंत मुद्दों से जोड़ा। उनका साहित्य शाश्वत है और यथार्थ के करीब रहकर वह समय से होड़ लेती नजर आती हैं।

घिर घिर आई बदरिया...

कैसे खेलन जैबू सावन में कजारिया... पर किया नृत्य


Varanasi (dil India live).स्माइल मुनिया एवं अखिल भारतीय वैश्य महिला समाज द्वारा घिर घिर आई बदरिया... कार्यक्रम गीत संगीत के साथ धूमधाम से मनाया गया। इस मौके पर मजेदार गेम्स खेलें गये व बच्चों को कॉपी, पेन व अन्य स्टेशनरी का समान बांटा गया। 

संस्था की अध्यक्ष एवं संस्थापक अंजलि अग्रवाल ने तीज की बधाई देते मित्रता दिवस की फ्रेंडशिप बैंड बांध दोस्ती के रिश्ते को और प्रगाढ़ किया। संचालन निशा अग्रवाल ने किया तथा धन्यवाद सुशीला जयसवाल ने किया। डॉक्टर ममता तिवारी, ऊषा ने कैसे खेलन जैबू सावन मे कजारिया... पर नृत्य प्रस्तुत किया। सुषमा एवं सरोज राय ने रोचक गेम्स कराए। इरा, नीलू, चंद्रा, रेखा, प्रीती जयसवाल, विनीता इत्यादि ने कजरी, सावन गीत प्रस्तुत कर बारिश का एहसास कराया। रानी, मिथिलेश, सलोनी, रागिनी की उपस्तिथि ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई।

Moharram 11: चुप का डंका बजाते हुए निकला लूटा हुआ काफिला






सरफराज अहमद
Varanasi (dil India live)। दालमंडी से इतवार को चुप का डंका बजाते हुए लुटा हुआ काफिले का जुलूस निकला। इस मौके पर शिया मस्जिद के प्रवक्ता सैयद फरमान हैदर सलाम और कलाम पेश करते हुए जुलूस में चल रहे थे। 

दालमंडी स्थित मरहूम डॉ.नाजिम जाफरी के अजाखाने से निकले लुटे काफिले के जुलूस में फरमान हैदर ने कलाम पेश किया। अशरे को भी शब्बीर का जो गम नहीं करते, वो पैरवी-ए-सरवरे आलम नहीं करते, हिम्मत हो तो महशर में पयंबर से भी कहना, हम जिंदा-ए-जावेद का मातम नहीं करते...। जुलूस के कदीमी रास्ते में आलिमों ने तकरीर पेश की। तकरीर में जब उन्होंने लुटे हुए काफिले का मंजर बयान किया तो शिया समुदाय के लोग बिलखते देते गए। 

सैकड़ों साल कदीमी इस लुटे काफिले के जुलूस में अलम, दुलदुल व परचम भी शामिल था। जुलूस के आते नई सड़क पर चारों ओर लोगों का मजमा ज़ियारत करने उमड़ा दिखा। जुलूस में परचम के पीछे दो लोग चुप का डंका, बजाते हुए दरगाहे फातमान की ओर बढ़े। आयोजन में अब्बास मुर्तजा शम्सी, समर शिवालवी, सलमान हैदर, सैफ जाफरी, सिराज वगैरह कलाम पढ़ते हुए चल रहे थे। मुज्तबा जाफरी व डा. मुर्तज़ा जाफरी के संयोजन में निकले जुलूस में कर्बला के शहीदों का लुटा हुआ काफिला नई सड़क, फाटक शेख सलीम, पितरकुंडा, लल्लापुरा होकर होकर दरगाहे फातमान पहुंचा। जहां उलेमा ने तकरीर में कहा कि कर्बला में यजीद ने मोर्चा तो जीत लिया मगर जंग वो हार गया, आज पूरी दुनिया में इमाम हुसैन का नाम सबसे ज्यादा रखा जा रहा है मगर यज़ीद का नामलेवा कोई नहीं है। यजीद था और इमाम हुसैन हैं।

अज़ादारी जनाबे जैनब की देन

दालमंडी में ख्वातीन की मजलिस को खिताब करते हुए मोहतरमा नुजहत फातेमा ने कहा कि कर्बला में इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनकी बहन जनाबे ज़ैनब व उम्मे कुलसुम, उनके बेटे इमाम ज़ैनुल आबदीन व चार साल की छोटी बहन जनाबे सकीना ने ज़ालिम यज़ीद के जुल्म के सामने घुटने नहीं टेके बल्कि बहादुरी से सामना किया। दर्दनाक जुल्म सहते हुए कर्बला के बाद इमाम हुसैन के मिशन को दुनिया तक कामयाबी से पहुंचाया। यहां डा. नसीम जाफरी ने शुक्रिया अदा किया। दुनिया में अजादारी जनाबे जैनब की देन है।


शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...