शुक्रवार, 26 मई 2023

Dr Renu shahi ने दिया नेपाल में live demonstration

अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी में डॉ. रेणु संग चार भारतीय चित्रकारों ने किया शिरकत 




Varanasi (dil india live). छ:वी अंतरराष्ट्रीय कला प्रदर्शनी 2023 का आयोजन नेपाल में किया गया। चीबहाल आर्ट इंस्टिट्यूट, सुनाकोठी, ललितपूर, नेपाल के द्वारा होटल आर्ट काठमांडू में हुई इस प्रदर्शनी का उद्घाटन नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल के कर कमलों द्वारा फीता काटकर किया गया। प्रदर्शनी में कुल 38 कलाकारों की प्रतिभागिता रही। जिसमें भारत से चार कलाकारों की कृतियों को सम्मिलित किया गया था। यहां पर उदयपुर से ममता जयपुर से डॉक्टर रेणु शाही, नवल किशोर मिश्र और धनमेष की कृतियां प्रदर्शित हुयी थी। डॉक्टर शाही को एक अतिथि चित्रकार के रूप में आमंत्रित किया गया था। उन्होंने संस्था की ओर से आयोजित कला शिविर में कई चित्रो के चित्रण किये तथा पेंटिंग का live demonstration देकर वहां के कलाकारों एवं कला रसिक लोगों के बीच भारत का गौरव बढ़ाया। डॉक्टर रेणु जयपुर के ललित कला महाविद्यालय में चित्रकला विषय की सहायक आचार्य है तथा कला इतिहास भी पढ़ाती है। उनके इस गुण से प्रभावित हो, त्रिभुवन विश्वविद्यालय के केंद्रीय ललित कला संकाय में भारतीय लघुचित्र परंपरा व कला एवं सौंदर्य पर व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित गया l  प्रदर्शनी एवं कला कार्यशाला का आयोजन 18 se 22 मई तक रहा l 24  मई को Art and  Aesthetics फोरम नेपाल द्वारा इन्हें 'भारतीय सौंदर्यशास्त्र' पर  चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया। वर्तमान में यह जयपुर में निवास कर रही है, परतुं उनकी आत्मा में काशी बसा हुआ है। यही कारण है कि वो अपने चित्रों में काशी के मंदिरों एवं घटों को चित्रित करती है। नेपाल में भी इन्होंने काशी के प्रति अपने प्रेम को चित्र धरातल पर प्रदर्शित किया। इनकी कला शिक्षा वाराणसी से ही हुयी है l तथा जीवन का एक लंबा समय भी यहां बिताया है।

हृदयाघात उपचार परियोजना, मृत्यु को कम करने में निभाएगा अहम भूमिका: पार्थ सारथी सेन शर्मा

प्रदेश के 8 जनपदों में शुरू होगा स्पोक एंड हब मॉडल

बीएचयू ट्रामा सेंटर में हुई आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट की प्रदेश स्तरीय कार्यशाला

टीएसयू मेडिकल हेल्थ के कार्यकारी निदेशक समेत आईसीएमआर-आईजीएमसी विशेषज्ञ, आईएमएस बीएचयू के प्रोफेसर ने की चर्चा

विभिन्न जनपदों के सीएमओ व वाराणसी के चिकित्सकों व स्टाफ नर्सों को स्टेमी केयर के बारे में दी गई जानकारी



Varanasi (dil india live). चिकित्सा स्वास्थ्य व परिवार विभाग एवं आईएमएस बीएचयू के संयुक्त सहयोग से वाराणसी में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हुए आईसीएमआर के हृदयाघात उपचार परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) को प्रदेश के आठ अन्य जनपदों में शुरू किया जाएगा। वाराणसी में यह प्रोजेक्ट बीएचयू के हृदयरोग विभाग के प्रोफेसर व स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक डॉ धर्मेन्द्र जैन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी के नेतृत्व में चल रहा है। वाराणसी के जिला चिकित्सालय व स्वास्थ्य केन्द्रों में ईसीजी और थ्रंबोलिसिस थेरेपी की व्यवस्था की गई है। वाराणसी के इसी मॉडल को प्रदेश के आठ जनपदों कानपुर नगर, गोरखपुर, लखनऊ, रायबरेली, सीतापुर, झाँसी, अलीगढ़ एवं प्रयागराज में शुरू किया जाएगा। यह प्रोजेक्ट हृदय रोग से होने वाली मृत्यु में कमी लाने में अहम भूमिका निभाएगा। 

उक्त बातें शुक्रवार को बीएचयू ट्रामा सेंटर सभागार में आयोजित हुई आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट पर प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला की अध्यक्षता कर रहे चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहीं। उन्होंने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्देश्य हृदयाघात के मामलों को त्वरित स्वास्थ्य लाभ देने के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सक व नर्स को विस्तृत जानकारी देना है। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए स्पोक (जिला चिकित्सालय व स्वास्थ्य केंद्र) एंड हब (मेडिकल कॉलेज) सेंटर को मजबूत करना होगा। सेंटर पर ईसीजी, जांच, निदान, इंजेक्शन, थ्रंबोलिसिस थेरेपी सहित अन्य आवश्यक संसाधनों की शत-प्रतिशत उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा। जिला चिकित्सालयों व स्वास्थ्य केन्द्रों पर आने वाले हृदयाघात के मरीजों का सम्पूर्ण उपचार करना सुनिश्चित होना चाहिए। मेडिकल कॉलेजों में हृदय रोग विशेषज्ञ 24 घंटे सातों दिन टेलीमेडिसिन सेवा के माध्यम से जुड़े रहें। इससे किसी भी मरीज को कोई परेशानी न हो सके। इसके अलावा मेडिकल कॉलेजों, जिला चिकित्सालयों व स्वास्थ्य केन्द्रों में तैनात सभी चिकित्सक, सिस्टर व नर्स को प्रशिक्षित करना बेहद जरूरी है। इस प्रोजेक्ट में किसी भी स्तर पर मानव संसाधनों की कमी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने बीएचयू के प्रो डॉ धर्मेन्द्र जैन और सीएमओ डॉ संदीप चौधरी को वाराणसी में शुरू किए गए प्रोजेक्ट के सफल संचालन के लिए उत्साहवर्धन किया। विभिन्न जनपदों से आए सीएमओ, चिकित्सक व नर्स को यह परियोजना जल्द से जल्द शुरू करने के लिए प्रेरित किया।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर बीएचयू के कुलगीत से किया गया। इस दौरान बीएचयू के कुल सचिव प्रो वीके शुक्ला ने कहा कि प्रमुख सचिव स्वास्थ्य के सहयोग और मार्गदर्शन से बीएचयू के इस प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में सम्पूर्ण रूप से सफल बनाया जाएगा। बीएचयू का हृदयरोग विभाग इसके लिए तत्पर है। उन्होंने बीएचयू के प्रोफेसर डॉ धर्मेन्द्र जैन व सीएमओ डॉ संदीप चौधरी को धन्यवाद दिया। शुभारंभ के दौरान आईएमस बीएचयू के निदेशक प्रो डॉ एसके सिंह, आईएमएस बीएचयू के डीन प्रो डॉ अशोक कुमार, बीएचयू ट्रामा सेंटर के प्रो डॉ सौरभ सिंह ने अपने विचार प्रस्तुत किए। 

आईसीएमआर नई दिल्ली की डॉ मीनाक्षी शर्मा ने स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के बारे में विस्तृत चर्चा की। उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों से यह प्रोजेक्ट देश के नौ आकांछिय जनपदों में पायलट के रूप में चलाया जा रहा है। इसके साथ ही मोबाइल मेडिकल एंबुलेंस कुछ जनपदों में संचालित की जा रही है। स्पोक एंड हब सेंटर सभी नौ आकांछिय जनपदों में संचालित किया जा रहा है, जिसमें वाराणसी जनपद भी शामिल है। इसकी सफलता के बाद यह प्रोजेक्ट विभिन्न राज्यों के कई जनपदों में शुरू किया जाएगा। उत्तर प्रदेश में यह प्रोजेक्ट प्रथम चरण में आठ जनपदों में शुरू किया जाएगा। इसके बाद अन्य जनपदों में भी इसको शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हृदयाघात के लक्षण, उपचार व बचाव के बारे में समुदाय को जागरूक करने के लिए एएनएम व आशा कार्यकर्ताओं का सहयोग लिया जाएगा। लुधियाना, शिमला में इसी तरह का कार्यक्रम चल रहा है। इस प्रोजेक्ट के लिए मजबूत हेल्थ नेटवर्क का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि यह प्रोजेक्ट मूल्यांकन के उद्देश्य से नहीं बल्कि अनुसंधान के उद्देश्य से संचालित किया जा रहा है।

मेडिकल हेल्थ उत्तर प्रदेश टीएसयू जे कार्यकारी निदेशक डॉ वसंत कुमार एन ने प्रदेश में स्टेमी केयर प्रोजेक्ट की भविष्य योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में गैर संचारी रोग (एनसीडी) के कारण प्रतिवर्ष लगभग 10 लाख से अधिक मृत्यु हो रही है, जिसमें दिल का दौरा पड़ने (हार्ट अटैक) से होने वाली मृत्यु कि संख्या लगभग दो लाख है। इसी की रोकथाम के लिए यूपी के चिन्हित नौ जनपदों में यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा रहा है। केजीएमयू लखनऊ के प्रो डॉ एसके द्विवेदी ने सीने में होने दर्द एवं उसके निदान के बारे में विस्तृत चर्चा की। आईजीएमसी शिमला के प्रो डॉ पीसी नेगी ने शिमला जनपद में संचालित किए जा रहे स्पोक एंड हब कार्यक्रम के बारे में विस्तार से जानकारी दी तथा इसी मॉडल को अपनाए जाने पर बल दिया।  

कार्यशाला का संचालन कर रहे प्रो डॉ धर्मेंद्र जैन ने स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के स्पोक एंड हब के लिए डाटा एंट्री एप व व्हाट्सएप ग्रुप के बारे में जानकारी दी। इस एप और व्हाट्सएप ग्रुप से आईसीएमआर, आईएमएस के विशेषज्ञ, चिकित्सक सहित सभी चिकित्सा इकाइयों के चिकित्सक व स्टाफ जुड़े रहेंगे। सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने हृदयाघात (स्टेमी) के निदान ईसीजी की भूमिका के बारे में विस्तार से जानकारी दी। हार्ट इंडिया चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ आलोक कुमार सिंह ने एक्यूट कोरोनारी स्निड्रोम के बारे में विस्तृत जानकारी दी। सीनियर रिसर्च फैलोशिप डॉ पायल सिंह ने स्टेमी प्रोटोकॉल के कार्यान्वयन, रोगियों के सहमति पत्र, चेकलिस्ट आदि के विषय में विस्तृत जानकारी दी।  

इस मौके पर एनसीडी वैज्ञानिक डॉ रूपा एस, डॉ सुयश त्रिपाठी, प्रो डॉ ओएम शंकर, विभिन्न जनपदों के सीएमओ, नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, समस्त डिप्टी सीएमओ व एसीएमओ, डॉ शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी, डॉ अतुल सिंह, डॉ सौरभ सिंह, अधीक्षक, एमओआईसी, स्टाफ नर्स एवं अन्य अधिकारी ने प्रतिभाग किया।

गुरुवार, 25 मई 2023

Hazrat Syed mukhtar अली शाह (लाटशाही) बाबा का उर्स शुरू

लाटशाही बाबा के दर पर अकीदतमंदों ने लगाई हाजिरी 



Varanasi (dil india live). हजरत सैयद मुख्तार अली शाह शहीद, (लाटशाही बाबा) रहमतुल्ला अलैह का तीन दिवसीय सालाना उर्स आज पूरी हकीकत के साथ शुरू हो गया। उर्स में पहले रोज फजिर कि नमाज के बाद सुबह कुरआनख्वानी का एहतमाम किया गया। बाबा के दर पर दूर दराज से पहुंच कर जायरीन ने जहां पाक कुरान कि तेलावत की, वहीं हाजिरी लगाने वाले फातेहा पढ़ते व मन्नतें और मुराद मांगते दिखाई दिए। सुबह से दोपहर और दोपहर से शाम तक बाबा के दर पर अकीदतमंदों का हुजूम उमड़ा हुआ था। हर कोई बाबा के दर पर अकीदत लुटाता नज़र आया। समाचार लिखे जाने तक उर्स अपने शबाब पर था। 

महाराजा बनारस ने बनाया था गवर्नर 

हजरत सैयद मुख्तार अली शाह शहीद (लाटशाही बाबा रह.) का असली नाम काजी मुख्तार अली शाह था। बाबा फतेहपुर से उस दौर में (1742) बनारस आए। बनारस में उन्हें महाराजा बनारस राजा चेतसिंह ने अपना सिपहसालार नियुक्त किया। उनकी दीनी ख़िदमात को देखते हुए उलेमा-ए-बनारस ने लोगों की फरियाद सुनने के लिए उन्हें शिवपुर परगना का काजी-ए-शहर बना दिया। महाराजा बनारस के सिपहसालार होते हुए उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ 1782, 1784 व 1786 में राजा चेतसिंह की ओर जंग लड़ी। इस जंग में जब अंग्रेज हार गए तो उन्होंने अपनी हार मानते हुए संधि की। इसके बाद अंग्रेजों की ओर से दूसरा गवर्नर भेजा गया। 1798 में उसने धोखे से जंग छेड़ दी। इस जंग में महाराजा बनारस राजा चेतसिह का कुनबा जब अंग्रेजों से घिरा हुआ था उस समय लाटशाही बाबा अंग्रेजों से लोहा लेते हुए खुद शहीद हो गए मगर महाराजा बनारस और उनके कुनबे को बचा लिया। 

परेशानहाल लोगों को मिलता है सुकून 

आस्ताने के सूफी जाफर हसनी बताते हैं कि राजा चेतसिंह के दौर में बाबा शहर काजी के साथ ही साथ सिपहसालार व लार्ड गवर्नर भी थे, यही वजह है कि शहीद होने के बाद वो लाटशाही बाबा के नाम से मशहूर हो गए। वो बताते हैं कि बाबा कि दुआओं में इतना असर था कि बाबा के पर्दा करने से पहले ही लोगों कि जमात जुटती थी। बीमार, परेशानहाल लोग बाबा के पास से भले चंगे होकर लौटते थे। यह सिलसिला बाबा के पर्दा करने के बाद भी कायम है 

हृदयाघात उपचार परियोजना की प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला कल

प्रमुख सचिव स्वास्थ्य पार्थ सारथीसेन शर्मा करेंगे अध्यक्षता

बीएचयू ट्रौमा सेंटर में होगी कार्यशाला

18 जिलों के सीएमओ, चिकित्सक व नर्सेज लेंगी ईसीजी व थ्रंबोलिसिस थेरेपी कि जानकारी

आईएमएस बीएचयू के निदेशक, आईसीएमआर विशेषज्ञ, हृदयरोग विभागाध्यक्ष समेत विभिन्न प्रोफेसर करेंगे चर्चा


Varanasi (dil india live). प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) उत्तर प्रदेश पार्थ सारथी सेन शर्मा की अध्यक्षता में शुक्रवार (26 मई) को बीएचयू ट्रौमा सेंटर सभागार में आईसीएमआर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के तहत हृदयाघात से बचाव के लिए ईसीजी व थ्रंबोलिसिस थेरेपी को लेकर प्रदेश स्तरीय बैठक व प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यशाला में वाराणसी समेत प्रदेश के 18 जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं वाराणसी के चिकित्सक व स्टाफ नर्स प्रतिभाग करेंगे जहां हृदयाघात उपचार परियोजना (स्टेमी केयर प्रोजेक्ट) के बारे में विस्तृत चर्चा होगी। विभिन्न बिन्दुओं व विषयों पर संवाद किया जाएगा। चिकित्सकों व स्टाफ नर्स को ईसीजी व थ्रंबोलिसिस थेरेपी के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।

उक्त बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने वृहस्पतिवार को दुर्गाकुंड स्थित सीएमओ कार्यालय में आयोजित मीडिया ब्रीफिंग में कहीं। सीएमओ ने कहा कि हृदयाघात उपचार परियोजना से जिले में हार्टअटैक के मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। वाराणसी जिले को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चिन्हित किया गया है। इस प्रोजेक्ट के तहत जिले के मण्डलीय एवं जिला चिकित्सालयों सहित सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में दिल के मरीजों को इलाज की सुविधा दी जाएगी। उन्होंने बताया कि मरीजों की जांच के लिए सभी चिकित्सा इकाइयों पर ईसीजी मशीनों के अन्य उपकरण उपलब्ध कराए गये हैं। चिकित्सक व कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है यहां पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के बाद इसे दूसरे जिलों में लागू किया जाएगा।       

सीएमओ ने कहा कि प्रदेश में बहु विषयक अनुसंधान इकाई (एमडीआरयू) आईएमएस बीएचयू में है। यहां रिसर्च के लिए विशेषज्ञ तैनात हैं देश के जिन राज्यों में एमडीआरयू है, वहां पर स्टेमी केयर प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। इसी वजह से वाराणसी को भी यह सुविधा मिली है। ग्रामीण क्षेत्र में हार्टअटैक के बाद उच्च शिक्षा संस्थान आईएमएस बीएचयू तक पहुंचने से पहले ही लोगों की मौत हो जाती है या गंभीर हो जाते हैं। इस नई व्यवस्था में लोग सीधे नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र जाएंगे जहां ईसीजी होगी। इसकी रिपोर्ट कार्डियोलॉजी विभाग आईएमएस बीएचयू सुपर स्पेशलिटी के विशेषज्ञों को भेजकर उनके निर्देश के अनुसार इलाज किया जाएगा। उन्होंने बताया कि थ्रोम्बोलिसिस या थ्रोम्बोलाइटिक थेरेपी रक्त वाहिकाओं में खतरनाक थक्कों को भंग करने, रक्त के प्रवाह में सुधार करने और अंगों और ऊतकों को नुकसान को रोकने के लिए किया जाने वाला एक प्रकार का उपचार है। थ्रोम्बोलिसिस में रक्त वाहिका के अंदर बनने वाले रक्त के थक्के को तोड़ने या भंग करने के लिए कुछ दवाओं का उपयोग शामिल होता है। इस प्रक्रिया के बिना  रक्त के थक्के बढ़ सकते हैं, ढीले हो सकते हैं, और ऊतकों और अंगों को रक्त की आपूर्ति में कटौती कर सकते हैं। इससे दिल का दौरा, स्ट्रोक (मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती है), और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। रोगी की स्थिति के आधार पर थ्रोम्बोलिसिस का उपयोग अनुसूचित उपचार के रूप में या आपात स्थिति में किया जा सकता है। 

नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा ने बताया कि मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (एमआई) अर्थात दिल का दौरा तब होता है जब हृदय की कोरोनरी धमनी में रक्त प्रवाह कम हो जाता है या रुक जाता है, जिससे हृदय की मांसपेशियों को नुकसान होता है। सबसे आम लक्षण सीने में दर्द या बेचैनी है जो कंधे, हाथ, पीठ, गर्दन या जबड़े तक जा सकता है। अक्सर यह छाती के केंद्र या बाईं ओर होता है और कुछ मिनटों से अधिक समय तक रहता है। बेचैनी कभी-कभी नाराज़गी की तरह महसूस हो सकती है। अन्य लक्षणों में सांस की तकलीफ, मतली, बेहोशी महसूस करना, ठंडा पसीना या थकान महसूस करना शामिल हो सकते हैं। लगभग 30 प्रतिशत लोगों में असामान्य लक्षण होते हैं। महिलाएं एवं मधुमेह के रोगी कभी कभी  सीने में दर्द के बिना उपस्थित होती हैं और इसके बजाय उन्हें गर्दन में दर्द, बांह में दर्द या थकान महसूस होती है। 75 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में लगभग पाँच प्रतिशत में लक्षणों का बहुत कम या कोई इतिहास नहीं है। एक एमआई दिल की विफलता, एक अनियमित दिल की धड़कन, कार्डियोजेनिक शॉक या कार्डियक अरेस्ट का कारण बन सकता है। 

कार्यशाला में इनकी रहेगी मौजूदगी - इस कार्यशाला में मुख्य संरक्षक की भूमिका में बीएचयू के कुलसचिव व संरक्षक के रूप में बीएचयू के अधिशिक्षक (रेक्टर) मौजूद रहेंगे। गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में आईएमएस बीएचयू के निदेशक, अनुसंधान के डीन, सरसुंदर लाल चिकित्सालय के अधीक्षक, ट्रौमा सेंटर के प्रभारी, टीएसयू मेडिकल हेल्थ उत्तर प्रदेश सरकार के कार्यकारी निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी वाराणसी व हार्ट इंडिया चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष मौजूद रहेंगे। आईसीएमआर विशेषज्ञ के रूप में केजीएमयू लखनऊ के प्रो डॉ एसके द्विवेदी, आईजीएमसी शिमला के प्रो डॉ पीसी नेगी, एनसीडी डिवीजन के वैज्ञानिक डॉ मीनक्षी शर्मा व डॉ रूपा एस मौजूद रहेंगी। मोडरेटर के रूप में हृदयरोग विभागाध्यक्ष समेत कई विभागों के विभागाध्यक्ष, चिकित्सक व विशेषज्ञ मौजूद रहेंगे। संयोजक के रूप में आईएमएस बीएचयू में हृदयरोग विभाग के प्रोफेसर व स्टेमी केयर प्रोजेक्ट के प्रधान अन्वेषक डॉ धर्मेंद्र जैन मौजूद रहेंगे। सह संयोजक के रूप में जनपद स्तरीय नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, सह नोडल अधिकारी डॉ शिव शक्ति द्विवेदी, डॉ अतुल सिंह व डॉ पायल सिंह मौजूद रहेंगी।

मीडिया ब्रीफिंग में नोडल अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा, प्रशासनिक अधिकारी शेषमणि, डीएचईआईओ हरिवंश यादव, एएमओ केके राय एवं मीडिया बंधु मौजूद रहे।

बुधवार, 24 मई 2023

Bunkar barbaad हो जाएंगे अगर पुरानी फ्लैट रेट बिजली नहीं मिली

बिजली की बढ़ी दर सरकार से कम करने की उठी मांग



Varanasi (Dil india live). बुधवार को बिजली की बढ़ी हुई फ्लैट रेट को सरकार से कम करने की मांग को लेकर इन दिनों बुनकर आंदोलन कि राह पर हैं।

इसी क्रम में आज जलालीपुरा में बुनकर एकता जागरूक मंच के प्रयास से बनारस के बुनकर बिरादराना तंजीम के सरदार, महतो साहबान और उनके काबिना और बुनकर संगठनों के साथ एक अहम बैठक हुई, जिसमें कई मुहल्ले से बुनकर शामिल हुए। बैठक में वक्ताओं ने कहा कि फ्लैट रेट बिजली की जो बढ़ी हुई नई लिस्ट आई है उसको लेकर पूरा बुनकर समाज चिंतित और घबराया हुआ है। जहां एक मशीन की फ्लैट रेट 75/ रुपया देना होता था अब बिजली विभाग 2 HP के कनेक्शन के हिसाब से एक मशीन वाले बुनकरों से लगभग दो हजार वसूल रहा है। यही वजह है कि तमाम पावरलूम बुनकरों की बिजली काटी जा रही है, साथ ही साथ बुनकरों का जमकर शोषण किया जा रहा है। इन तमाम मुद्दों पर सभी तंजीम के सरदार साहबान और बुनकर संगठन के लोगो ने इन तमाम मुद्दों पर गंभीरता से विचार विमर्श कर आगे की रणनीति तय की। निर्णय लिया गया कि सरकार से बात कर फिर से वही पुरानी फ्लैट रेट बिजली की व्यवस्था की मांग की जाएगी। मीटिंग में मऊ से शामिल होने आए बुनकर समिति के अध्यक्ष अबू बकर अंसारी ने कहा की 2006 से उत्तर प्रदेश की सरकार पावरलूम बुनकरों की बदहाली को देखते हुए हम बुनकरों के अथक प्रयास से सरकार ने इस कुटीर उद्योग को बचाने के लिए 65/ प्रति लूम 130/ HP के हिसाब से हम बुनकरों को अपनी अपनी जीविका चलाने के लिए और इस कुटीर उद्योग को बचाने के लिए ये फ्लैट रेट व्यवस्था दी। जिसकी वजह से कपड़ा को बुनने वाले बुनकरों की वजह से पूरी दुनिया में भारत कि एक अलग पहचान बनी और पूरे विश्व में हिंदुस्तान सबसे ज्यादा कपड़ा सप्लायर देश बना। अब न जाने किसकी नजर इस कुटीर उद्योग पर पड़ गई की फ्लैट रेट की नई नई शासनादेश जारी होने लगे जिसकी वजह से पूरे उत्तर प्रदेश का बुनकर समाज बदहाल और परेशान हो गया। बुनकर अपने अपने शहरो से दूसरे प्रदेशों में पलायन करने लगे। न जाने सरकार की क्या मंशा है की बुनकरों के साथ इस तरह का सौतेला व्यवहार कर रही है, हम सबको वही पुरानी फ्लैट रेट बिजली चाहिए ये हम सब सरकार से मांग करते है। इस मौके पर वाराणसी वस्त्र बुनकर संघ के अध्यक्ष राकेश कांत ने कहा की आज पूरे उत्तर प्रदेश में बुनकारी लाइन में जितना मुस्लिम है उतना ही हम हिंदू भाई शामिल है, हम सब एक दूसरे के साथ मिल कर इस ताने बाने के कारोबार को करते है और लोगो को रोजगार देते है। हम सबका ये बुनकर समाज आत्मनिर्भर समाज है जैसा कि हमारे प्रधान मंत्री कहते है आत्मनिर्भर बनाना तो हमारा बुनकर समाज आत्मनिर्भर है और उस समाज को जो फ्लैट रेट बिजली सरकार दे रही थी उस फ्लैट रेट को तीस गुना बढ़ा दिया, जब कि दुनिया में किसी भी वस्तु पर या किसी भी रोजगार पर सरकार इतना ज्यादा बढ़ोतरी नहीं करती कुछ लोगो की वजह से हम बुनकरों के कारोबार को समाप्त करने की साजिश रची जा रही है जिसे हम सब कतई कामयाब होने नही देंगे। 

बनारस के सभी बुनकर तंजीमों के सरदार साहबान ने कहा की हम सब की तंजीम लगातार सरकार के संपर्क में है और जो नई बिजली की फ्लैट रेट आई है उसको खत्म कर के वही पुरानी फ्लैट रेट व्यवस्था लागू करे और बिजली विभाग द्वारा को बुनकरों की बिजली काट कर उनका शोषण किया जा रहा है उन अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही किया जाए ये मांग पूरा बुनकर तंजीम मा0 मुख्य मंत्री जी से करता है । जो हमारी बुनकारी की कला है उसको बचाने के लिए हम सब को पूरा यकीन है की मा0 मुख्यमंत्री जी हम बुनकरों की कला को समाप्त होने नही देंगे हम सब बुनकर कपड़ो पर भारी मात्रा में GST सरकार को देते है जिससे देश की विकास में योगदान बुनकर समाज जो योगदान है वो और ज्यादा हो उसके लिए इस कुटीर उद्योग को मा0 मुख्यमंत्री जी जरूर बचाएंगे और हम लोगो की मांगों को जरूर पूरा करेंगे । मीटिंग की सदारत हाजी गुड्डू सरदार ने की । निजामत आफताब आलम बबलू ने किया।  

मीटिंग में तंजीम बवानी, बाईसी, चौतीस, चौदहो, बारहो व पांचों सहित सभी तंजीम के सरदार साहबान महतो साहबान और काबीना के साथ मौजूद मऊ से अबू बकर अंसारी, राकेश कांत राय, हाजी ओकास अंसारी पार्षद पति, बिस्मिल्ला अंसारी, शैलेश सिंह, ज्वाला सिंह, संजय प्रधान, अफरोज अंसारी, अब्दुल रब अंसारी, नसरुद्दीन, अली हसन, हाजी बाबू, बाबू लाल किंग, गुलशन अली पार्षद, बेलाल अंसारी पार्षद, रमजान अली पार्षद, तुफैल अंसारी पार्षद, कल्लू, रमजान अली, हाजी रहमतुल्ला, इद्रीस अंसारी, अकील अंसारी, जुबैर अदील, अखलाक, इकबाल अंसारी, हाजी मुमताज, अकरम अंसारी, गुड्डू सरदार, पार्षद डाक्टर इम्तियाजुद्दीन, हकीम महतो, जलालुद्दीन, जिशान, हाजी बहाउद्दीन, बेलाल अंसारी, लालू, मो. फारूक, हाजी रहमतुल्ला, नुरुल ऐन, अनारू, इकबाल अहमद सहित सैकड़ों बुनकर मौजूद थे।

सोमवार, 22 मई 2023

Khushaal pariwar diwas पर मिली परिवार नियोजन कि सेवाएं

• आदर्श ब्लॉक सेवापुरी व अराजीलाइन में लगा कैंप,11 महिलाओं ने कराई नसबंदी

• लाभार्थियों को सीमित व खुशहाल परिवार के बारे में मिला उचित परामर्श




Varanasi (dil india live). जिले के समस्त ब्लॉक व नगर स्तरीय प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, हेल्थ एंड वेलनेस सेन्टर समेत जिला महिला चिकित्सालय कबीरचौरा पर सोमवार को खुशहाल परिवार दिवस मनाया गया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने एवं स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से हर माह की 21 तारीख को खुशहाल परिवार दिवस मनाया जाता है। 21 को रविवार को होने की वजह से यह दिवस 22 मई को मनाया गया। 

परिवार कल्याण कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं डिप्टी सीएमओ डॉ एचसी मौर्य ने बताया कि सोमवार को जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों व जिला महिला चिकित्सालय पर परिवार नियोजन के अस्थायी साधन कंडोम, माला-एन, अंतरा तिमाही गर्भनिरोधक इंजेक्शन, छाया साप्ताहिक गर्भ निरोधक गोली, कॉपर-टी के साथ ही स्थायी साधनों की सेवाएं दी गईं। उन्होने बताया कि पुरुष नसबंदी पर लाभार्थी को 3000 रुपये और महिला नसबंदी पर 2000 रुपये प्रोत्साहन राशि विभाग की ओर से दी जाती है। इसके अलावा अन्य सेवाओं के लिए भी प्रोत्साहन राशि दी जाती है।

आदर्श ब्लॉक सेवापुरी के पीएचसी पर आयोजित कैंप में करीब 70 से अधिक लाभार्थियों को परिवार नियोजन की सेवाओं के साथ परामर्श भी दिया गया। इसमें 7 महिला नसबंदी, 3 को छाया, 2 को माला-एन गर्भनिरोधक गोली, 2 को पीपीआईयूसीडी एवं 60 लाभार्थियों को कंडोम प्रदान किया गया। महिला चिकित्सक डॉ शालिनी ने लाभार्थियों को सीमित व खुशहाल परिवार के लिये दंपत्ति को स्थायी व अस्थायी साधनों को अपनाने के बारे में प्रेरित किया गया। इस दौरान प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ देवदत्त, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र कुमार चौहान, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक अनूप कुमार मिश्रा, बीसीपीएम एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।

सीएचसी अराजीलाइन पर लगाए गए कैंप में 228 से अधिक लाभार्थियों को परिवार नियोजन की सेवाओं के साथ परामर्श भी दिया गया। इसमें 4 महिला नसबंदी, 12 को अंतरा इंजेक्शन, 23 को छाया, 34 को माला-एन गर्भनिरोधक गोली, 13 को आईयूसीडी, 5 को पीपीआईयूसीडी एवं 153 लाभार्थियों को कंडोम प्रदान किया गया। इस दौरान अधीक्षक डॉ नवीन सिंह, स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी मनोज कुमार, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक बृजमोहन शर्मा, बीसीपीएम एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद रहे।    

लाभार्थियों ने भी सराहा

सेवापुरी पीएचसी पर पहुंची चंदा (26) ने बताया कि वह अनचाहे गर्भ से राहत चाहती हैं। इसलिए वह साप्ताहिक गर्भ निरोधक गोली छाया का उपयोग कर रही हैं। कंचन (28) ने बताया कि अनचाहे गर्भ से सुरक्षित रहने के लिए वह छाया साप्ताहिक गर्भ निरोधक गोली का सेवन कर रही हैं। साथ ही समय-समय पर चिकित्सक व एएनएम से परामर्श भी ले रही हैं। उन्होने बताया कि क्षेत्र की आशा दीदी के जरिए सभी महत्वपूर्ण दिवस के बारे में जानकारी मिलती रहती है।

शनिवार, 20 मई 2023

Medical news : गर्मी का कहर, डायरिया दिखा रहा असर

• खानपान में परहेज के साथ ही रखें साफ-सफाई

 • तेज धूप में जाने से बचे, इसी में है भलाई 



Varanasi (dil india live). केस-1 गिलट बाजार निवासी रामप्रकाश सिंह का सात वर्षीय बेटा ईशान दोपहर की तेज धूप में स्कूल से जब घर लौटा तो उसके पेट में मरोड़ के साथ तेज दर्द हो रहा था। शाम होते-होते उसे चार-पांच दस्त हुई। हालत इस कदर बिगड़ी की उसे रात में श्री शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय में भर्ती कराना पड़ा। तब पता चला कि उसे डायरिया हुआ है। चार दिनों तक चले उपचार के बाद उसे अस्पताल से छुट्टी मिली।

केस-2 रामकटोरा निवासी राकेश मालवीय की पांच वर्षीय पुत्री शालिनी को पहले उल्टियां हुई और फिर दस्त शुरू हो गया। श्री शिव प्रसाद गुप्त चिकित्सालय में उपचार के लिए पहुंचे तो डाक्टर ने बताया कि वह डायरिया से पीड़ित है। दो दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद उसे छुट्टी मिली।


श्री शिव प्रसाद गुप्त मण्डलीय चिकित्सालय में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सीपी गुप्ता बताते हैं कि भीषण गर्मी के चलते इन दिनों डारिया से पीड़ित होकर अस्पताल आने वाले बच्चों की संख्या तेजी से बढ़ी है। वह कहते हैं कि गर्मी का असर वैसे तो हर आयु के लोगों पर पड़ रहा है, लेकिन इससे बच्चे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।  डायरिया सबसे ज्यादा बच्चों को चपेट में ले रहा है। शरीर में पानी की कमी होने पर डायरिया से पीड़ित बच्चों को भर्ती भी करना पड़ रहा है। डॉ गुप्ता के अनुसार उनकी ओपीडी में  हर रोज लगभग सवा सौ बच्चे आते हैं। इनमें 60 प्रतिशत डायरिया से पीड़ित होकर आ रहे हैं,  शेष अन्य बीमारियों के। वह बताते हैं कि अस्पताल में 18 बेड के चिल्ड्रेन वार्ड में 14 बेड डायरिया पीड़ित बच्चों से ही भरा रह रहा है।

क्या है डायरिया

डा. सीपी गुप्ता कहते हैं कि डायरिया में पेट में मरोड़, ऐंठन, दर्द की समस्या के साथ ही दस्त होता है। दिन में कई बार दस्त होने से शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिससे मरीज डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है। वह बताते हैं कि दरअसल गर्मियों में खाना जल्दी खराब हो जाता है और कई बार लोग इसे नजरअंदाज कर ऐसे ही खा लेते हैं, तो इससे खाने में मौजूद खतरनाक बैक्टीरिया उनके शरीर में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे पेट में तेज दर्द के साथ लूज मोशन होने लगते हैं। इसे ही डायरिया कहा जाता है। इसके साथ ही दूषित पानी का सेवन, बाजार की तली भूनी चीजें, फास्ट फूड का ज्यादा सेवन, बासी व दूषित भोजन, गर्म वातावरण से एक दम ठंडे वातावरण में जाना व साफ-सफाई का ध्यान न रखना भी डायरिया के कारण होते हैं।

 डायरिया के लक्षण

 लूज मोशन, सिर दर्द व थकान, पेशाब का कम होना, चक्कर आने के साथ चिड़चिड़ापन, पेट में मरोड़, मुंह का सूखना, जी मिचलाना, सुस्ती व ज्यादा नींद आना डायरिया के लक्षण होते हैं।

डायरिया से बचाय के उपाय

 डायरिया से बचाव के लिए तेज धूप में जाने से बचना चाहिए। अगर किसी जरूरत पर जाना भी है तो छाते का प्रयोग करें। इसके साथ ही डारिया से बचाव के लिए खानपान पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसी चीजों का ही सेवन ज्यादा करना चाहिए जिनका पाचन जल्द हो सके। बेहतर है कि ताजा बने भोजन का ही सेवन करें और साफ-सफाई का खास ध्यान रखें। डायरिया से बचाव के लिए तरल पदार्थों का सेवन ज्यादा करना चाहिए और बाजार में बनी चीजों का सेवन करने से बचना चाहिए। कटे व खुले फल जैसे तरबूज, खरबूज व खीरा खाने से बचें। खाना खाने से पहले बच्चे का हाथ साबुन से अच्छी तरह साफ करा लें।

 डायरिया के लक्षण दिखने पर क्या करें

डा. सीपी गुप्ता कहते हैं कि डायरिया के लक्षण नजर आने पर बच्चे को ओआरएस का घोल देते रहे, उसे जूस व तरल पदार्थ का सेवन कराएं ताकि उसके शरीर में पानी की कमी न होने पाये। साथ ही  चिकित्सक से तत्काल सम्पर्क कर उसका उपचार शुरू करा देना चाहिए। ध्यान रहे थोड़ी सी भी लापरवाही से बच्चे की स्थिति गंभीर हो सकती है।

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