सोमवार, 3 अप्रैल 2023

Roza kushai में सजा लजीज पकवान

नन्हें रोजेदार को मुबारकबाद देने जुटे अजीज़ 
रोज़ा इफ्तार में जुटे बच्चों का हुजूम 


Jounpur (dil india live). जौनपुर के मुल्ला टोला निवासी मौलाना अब्दुल मोमिन के साहबजादे मोहम्मद मुअज्जम ने अपनी जिंदगी का जब पहला रोजा रखा तो तमाम अजीज़ो व रिश्तेदारों ने उसे घर पहुंच कर मुबारकबाद दी। अल सहर से शाम तक भूखे प्यासे रहने के बाद शाम में मुअजजम के पहले रोजे कि कामयाबी पर रोज़ा कुशाई का जश्न मनाया गया। इस दौरान सभी ने लजीज इफ्तारी से रोज़ा खोला।

ज़कात निकाले और सही राह में करें दिल खोल कर खर्च

Ramadan Mubarak -11


Varanasi (dil india live)। इस्लाम में जकात फर्ज हैं। जकात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का ज्यादा हक है। ऐसे में जल्द से जल्द हकदारों तक ज़कात पहुंचा दें ताकि वह रमजान व  ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। ये ज़कात देने का सही वक्त है। जकात फर्ज होने की चंद शर्तें है। मुसलमान अक्ल वाला हो, बालिग हो, माल बकदरे निसाब (मात्रा) का पूरे तौर का मालिक हो। मात्रा का जरुरी माल से ज्यादा होना और किसी के बकाया से फारिग होना, माले तिजारत (बिजनेस) या सोना चांदी होना और माल पर पूरा साल गुजरना जरुरी हैं। सोना-चांदी के निसाब (मात्रा) में सोना की मात्रा साढ़े सात तोला (87 ग्राम 48 मिली ग्राम ) है जिसमें चालीसवां हिस्सा यानी सवा दो माशा जकात फर्ज है।

सोना-चांदी के बजाय बाजार भाव से उनकी कीमत लगा कर रुपया वगैरह देना जायज है। जिस आदमी के पास साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या उसकी कीमत का माले तिजारत हैं  और यह रकम उसकी हाजते असलिया से अधिक हो। ऐसे मुसलमान पर चालीसवां हिस्सा यानी सौ रुपये में ढ़ाई रुपया जकात निकालना जरुरी हैं। दस हजार रुपया पर ढ़ाई सौ रुपया, एक लाख रुपया पर ढ़ाई हजार रुपया जकात देनी हैं। सोना-चांदी के जेवरात पर भी जकात वाजिब होती है। तिजारती (बिजनेस) माल की कीमत लगाई जाए फिर उससे सोना-चांदी का निसाब (मात्रा) पूरा हो तो उसके हिसाब से जकात निकाली जाए। अगर सोना चांदी न हो और न माले तिजारत हो तो कम से कम इतने रूपये हों कि बाजार में साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना खरीदा जा सके तो उन रूपर्यों की जकात वाजिब होती है।

इन्हें दी जा सकती हैं जकात

"ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशा वालों को। ऐसे छात्र को भी "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। ऊपर बताये गये लोगों को जकात तभी दी जायेगी जब सब गरीब हो, मालिके निसाब न हो।

जकात का इंकार करने वाला काफिर और अदा न करने वाला फासिक और अदायगी में देर करने वाला गुनाहगार  हैं। मुसलमानों को चाहिए कि जल्द से जल्द जकात की रकम निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा मुसलमान को दें दे ताकि वह अपनी जरुरतें पूरी कर लें। जकात बनी हाशिम यानी हजरते अली, हजरते जाफर, हजरते अकील और हजरते अब्बास व हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की औलाद को देना जाइज नहीं। किसी दूसरे मजहब को जकात देना जाइज नहीं है। क्यों की ये एक मज़हबी टैक्स है। सैयद को जकात देना जाइज नहीं इसलिए कि वह भी बनी हाशिम में से है। कम मात्रा यानी चांदी का एतबार ज्यादा बेहतर हैं कि सोना इतनी कीमत का सबके पास नहीं। नबी के जमाने में सोना-चांदी की मात्रा मालियत के एतबार से बराबर थीं। अब ऐसा नहीं हैं। गरीब के लिए भलाई कम निसाब (मात्रा) में हैं।

 अगर आप "मालिके निसाब" हैं, तो हक़दार को "ज़कात" ज़रुर दें, क्योंकि "ज़कात" ना देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन शरीफ में आया है। जकात हलाल और जाइज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए। क़ुरआन शरीफ में हलाल माल  को खुदा की राह में ख़र्च करने वालों के लिए ख़ुशख़बरी है, जैसा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि... "राहे ख़ुदा में माल ख़र्च करने वालों की मिसाल ऐसी है कि जैसे ज़मीन में किसी ने एक दाना बोया, जिससे एक पेड़ निकला, उसमें से सात बालियां निकलीं, उन बालियों में सौ-सौ दाने निकले। गोया कि एक दाने से सात सौ दाने हो गए। अल्लाह इससे भी ज़्यादा बढ़ाता है। जिसकी नीयत जैसी होगी, वैसी ही उसे बरकत देगा"।

   डा. एम. एम. खान

        चेयरमैन

मुग़ल एकेडमी, लल्लापुरा, वाराणसी

कई मस्जिदों में Namaz-e-taravih mukammal






Varanasi (dil india live). रमजान का मुकद्दस महीना चल रहा है। रहमत का पहला अशरा पूरा हो चुका है और मगफिरत का दूसरा अशरा शुरू हो गया है। शहर कि ज्यादातर मस्जिदों में तरावीह की नमाज मुकम्मल हो गई है। इसी कड़ी में पितृकुण्डा स्थित मस्जिद चिरकुट में हाफिज मोहम्मद आसिफ ने 10 दिन की तरावीह की नमाज मुकम्मल करायी। उन्होंने चिरकुट वाली मस्जिद में 10 दिन की तरावीह की नमाज अदा कराई। 

ऐसे ही बड़ी मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में हाफिज अनीसुररहमान ने कुरान पूरी करायी। यहां मौलाना शमशुद्दीन साहब ने लोगों का खैरमकदम किया। यही नहीं मस्जिद दायम खां, मस्जिद लंगड़े हाफिज, मस्जिद बीबी रजिया समेत शहर की ज्यादातर मस्जिदों में तरावीह मुकम्मल हो चुकी है।

उधर मोहम्मद कलीम ने बताया की मस्जिद चिरकुट में 10 दिन की तरावीह मुतवल्ली हाजी अताउर रहमान कि सरपरस्ती में पढ़ाई जाती है। 10 दिन की तरावीह की नमाज अदा करने के बाद  मस्जिद हाफ़िज़ आसिफ ने मुल्क की तरक्की और भाई चारगी और अम्नो अमान के लिए व सभी कि रोजी रोजगार में बरक्कत के लिए दुआएं की। बख्शी जी मस्जिद अंधरापुल में सोमवार को तरावीह मुकम्मल की जिएगा।

रविवार, 2 अप्रैल 2023

Bhagwan mahavir त्रयोदशी महोत्सव के पूर्व संध्या पर हूए विविध आयोजन

महावीर स्वामी के उपदेशो से सम्पूर्ण विश्व में आएगी खुशहाली 





Varanasi (dil india live)।  श्री दिगम्बर जैन समाज काशी एवं जैन मिलन द्वारा नरिया स्थित श्री दिगम्बर जैन मन्दिर में सायंकाल रविवार को जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर की दिव्य बड़ी प्रतिमा का व समवशरण की चारो दिशाओ में स्थापित भगवान महावीर की विग्रह के 108 दीपक जलाकर दीप दान किया गया। 

इस दौरान कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भजन संध्या, नृत्य नाटिका की प्रस्तुती से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। इस मौके पर भगवान महावीर के 2622 वें त्रयोदशी महोत्सव में काफी संख्या मे महिलाए, पुरूष व बच्चों ने यहां जन्म से लेकर मोक्ष तक की लघु नाटिका की प्रस्तुती का आंनद लिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथी  पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन एवं लखनऊ के दीपक जैन थे। 

इस अवसर पर अशोक मुथा जैन ने कंहा-आज वर्तमान को वर्धमान की आवश्यकता है। भगवान महावीर स्वामी के सन्देशो को हमें जन जन तक पहुंचाना है उन्ही के उपदेशो से सम्पूर्ण विश्व मे शान्ति और खुशहाली का वातावरण रहेगा।जीयो और जीने दो व अहिंसा परमो धर्म की सम्पूर्ण विश्व की आवश्यकता है। 

सोमवार 3-04-2023 को इसी क्रम में भव्य शोभायात्रा निकाली जायेगी। आयोजन मे प्रमुख रुप से समाज के उपाध्यक्ष आर सी जैन, राजेश जैन, विनोद जैन, संजय जैन महामंत्री अरूण जैन, तरूण जैन, आकाश जैन, सुरेंद्र जैन, प्रोफेसर फूल चन्द प्रेमी, प्रोफेसर अशोक जैन प्रोफेसर कमलेश जैन, प्रमिला सांवरिया, जैन मिलन के अध्यक्ष विजय कुमार जैन, मन्त्री संजय गर्ग उपस्थित थे। 

Midhat ने रखा roza हुई रोज़ा कुशाई


Varanasi (dil india live). जौनपुर मुल्ला टोला के मौलाना अबु मुआविया व आरफा बानो की बेटी  मिदहत ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा कर मिसाल कायम की है। यूकेजी कि मिदहत ने सहरी किया और रोज़ा रखने कि जिद कर बैठी। दिन भर रोज़ा रखने के बाद शाम को उसकी रोज़ा कुशाई का एहतमाम किया गया है। घर वाले व अजीज़ इस नन्ही रोज़ेदार को मुबारकबाद दे रहे हैं। मिदहत के नाना हाजी अफज़ल ने कहा कि बच्चे अगर रोज़ा रखने कि ज़िद करें तो मना नहीं किया जाना चाहिए। अल्लाह रोज़ा रखने कि उन्हें ताकत देता है।

Ramadan help line:सवाल आपके, जवाब उलेमा के

रमज़ान का रोज़ा कब फर्ज हुआ  


Varanasi (dil india live )। रमज़ान का रोज़ा उम्मते मोहम्मदिया पर कब फर्ज़ हुआ ? यह सवाल  कोयला बाजार से  पप्पू ने रमज़ान हेल्प लाइन में किया। इस पर उलेमा ने कुरान और हदीस की रौशनी में जवाब देते हुए कहा कि 10 शाबान सन् 2 हिजरी को कुरान की आयते नाज़िल हुई, जिसमें हुक्म हुआ कि ऐ मुसलमानों तुम पर रोज़ा फर्ज़ हो गया है। तभी से मुसलमान रोज़ा रख रहे हैं।

रेवड़ीतालाब से मोहम्मद रमज़ान ने फोन किया कि सहरी में नींद नहीं खुली, सुबह उठे तो भूलकर ब्रश कर लिया जब याद आया कि रोज़ा हैं तो ब्रश निकाल कर मुंह धो लिया, इस पर रोज़ा होगा या नहीं? मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी व सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी एवं मौलाना अज़हरूल क़ादरी ने जवाब दिया, रोज़ा हो जायेगा क्यों कि आपको याद नहीं था और आपने फौरन ब्रश निकाल कर मुंह धो लिया। अगर आप याद आने के बाद भी ब्रश करते रहते तो रोज़ा नहीं होता। पिण्डा से हकीमुल्ला ने फोन किया कि रोज़ा क्या खाकर खोला जाये? इस पर उलेमा ने कहा कि इफ्तार यूं तो कुछ भी खाकर किया जा सकता है मगर नबी की सुन्नत खजूर है इसलिए खजूर या पानी से रोज़ा इफ्तार करना अफजल है। उसके बाद कोई भी इफ्तारी करें।

आपके जेहन में भी हो कोई सवाल तो करें फोन 

इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है- 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

Sanatan Dharma के उत्थान के लिए समर्पित थे आनन्द बहादुर सिंह - स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद

शंकराचार्य के दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ 




Varanasi (dil india live)। ज्योतिष पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती शनिवार को सन्मार्ग के पूर्व संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार रहे स्व. आनन्द बहादुर सिंह के भदैनी स्थित आवास पर पहुँचे। प्रातः काल उनके आगमन की सूचना पर भक्तों की भारी भीड़ उनके दर्शन करने के लिये एकत्रित हो गयी। भक्तों ने गुलाब की पंखुड़ियों और हर हर महादेव के उद्घोष से शंकराचार्य का अभिनंदन किया। इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने परिजनों और उपस्थित भक्तों के बीच स्व. आनन्द बहादुर सिंह के कृतित्व का स्मरण करते हुए कहा कि वें सनातन धर्म के नैतिक मूल्यों पर चलने वाले बेबाक पत्रकार थे, उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी द्वारा शुरू किए गए पत्र सन्मार्ग की सेवा में ही लगा दिया। धर्म के प्रति उनकी जीवटता के कारण ही उन्हें करपात्री जी महाराज एवं स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जैसे संतों का विशेष अनुराग प्राप्त हुआ। उनकी लेखनी ने कभी भी सनातन धर्म के हित के विरुद्ध समझौता नही किया।  

इससे पूर्व डा.आंनद बहादुर सिंह के पुत्र विजय बहादुर सिंह ने शंकराचार्य का पादुका पूजन किया। संत सत्कार प्रताप बहादुर सिंह एवं एडवोकेट अमृत प्रभात ने किया। आरती मालती सिंह, सविता राय, गोपेश चंद्र राय, वैशाली, आकांक्षा आदि ने उतारी। इस मौके पर जगद्गुरू शंकराचार्य ने आनन्द बहादुर सिंह के पौत्र प्रताप बहादुर सिंह के विवाह के उपलक्ष्य में नव दम्पती को आशीर्वाद भी दिया। इस अवसर पर ब्रह्मचारी मुकुंदानंद, डॉ. श्री प्रकाश मिश्रा, गिरीश तिवारी, राजेश कुमार सिंह, अनिल कुमार शुक्ला, प्रतीक सिंह सहित बड़ी संख्या में भक्त उपस्थित रहे

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...