शुक्रवार, 24 मार्च 2023

Gunji Azaan कि सदाएं, खोला गया पहला रोजा

लजीज इफ्तारी का रोजेदारों ने उठाया लुत्फ 



Varanasi (dil india live). रमजान के पहले रोज मस्जिदों से जैसे ही अजान की सदाएं, अल्लाह हो अकबर, अल्लाह हो अकबर... की गूंज सुनाई दी, तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से  इस साल का पहला रोजा खोला। इफ्तार में कई तरह के लजीज पकवान संग शर्बत भी सजाया गया था। रोज़ा इफ्तार, और मस्जिदों में नमाज के साथ ही चारों तरफ नूर ही नूर, हर तरफ खुशी ही खुशी मुस्लिम बहुल इलाकों में देखने को मिली। रमजान की रहमत जहां बरस रही थी वहीं दूसरी ओर इफ्तार के बाद बाजार गुलजार हो गए। पहला रोजा जुमे को पड़ने की वजह से मस्जिदें पहले ही दिन नमाजियों से भरी हुई थी। इफ्तार के बाद लोगों ने बाजार का रुख किया। इस दौरान सहरी के लिए खरीदारी करते हुए मोमीनीन बाजारों में दिखाई दिए।

इससे इससे पहले मस्जिदों में जुमे की नमाज़ के दौरान इमाम साहब आने लोगों को नेकी की दावत दी। कहां यह महीना नेकियों का महीना है इस महीने की अजमत को समझें और बुराइयों को छोड़कर मोमिनीन ज्यादा से ज्यादा सवाब कमाने में जुट जाएं। 

Ramadan Mubarak -1

यह महीना ही है नेकी, सवाब और बरकत वाला 


Varanasi (dil india live)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है। 
रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दी, सहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लिया, जो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता है, इसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादत, नबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

      मौलाना शफी अहमद

{सदर, अंजुमन जमात रजाए मुस्तफा, बनारस}

गुरुवार, 23 मार्च 2023

Ramadan Mubarak2023: रमजान की रौनक से फिर रौशन हुई दुनिया

चांद देखने मस्जिदों, घरों व छतों पर उमड़ा हुजूम 

मस्जिदों से लेकर बाजार तक में छायी रमजान की रौनक 




Varanasi (dil india live)। चांद के दीदार के साथ माहे रमजान का आज शाम आगाज़ हो गया। मोमीनीन ने एक दूसरे को इस मुकद्दर महीने कि शुरुआत पर रमजान मुबारक कह कर विश किया। यह सिलसिला सोशल मीडिया पर भी चलता रहा। इससे पहले चांद देखने मस्जिदों, घरों व छतों पर लोगों का हुजूम उमड़ा। घर से मस्जिद, मस्जिद से बाजार तक रमजान की रौनक से रोशन हो उठे। 

दरअसल रहमतों का महीना रमजान शुरू होते ही नमाजे तरावीह की खास नमाज मस्जिदों में शुरू हो गई। अल्लाह के नेक बंदे रमजान की रहमतों को पाने के लिए मस्जिदों में उमड़ पड़े। तरावीह की नमाज खत्म होते ही लोग सहरी के लिए खरीदारी करते दिखाई दिए। खजूर, इमरती, ब्रेड, मक्खन, दूध आदि लेने लोगों का हुजूम बाजार में देर रात तक जुटता है। 

हाफ़िज़ शफी अहमद बताते हैं कि माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम ख्वाहिश को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादतगुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है। कारी शाहबुद्दीन कि मानें तो इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है।

रमज़ान शुरू होते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है। इस माह में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना रब बढ़ा देता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख  के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।

रमज़ान तीन अशरों कि अहमियत 

अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है। यानी रोज़ादारो की मगफिरत कर देता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का है। जिसने तीनों अशरा कामयाबी से पूरा किया रब उसे जहन्नुम से आज़ाद कर देता है।

माहे रमजान क्या है 

महीने भर के रोज़े  रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार  कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है।

बुधवार, 22 मार्च 2023

Rahul Gandhi को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाना है: हाजी वकास अंसारी





Varanasi (dil india live). उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष व UP प्रभारी प्रियंका गांधी के निर्देश पर पूरे उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा " आप की पार्टी आप के गांव " कार्यक्रम दि010 मार्च से चलाया जा रहा है जिसका समापन आज किया गया। यह कार्यक्रम अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पार्षद हाजी ओकास अंसारी के नेतृत्व में चलाया गया। इस मैके पर हाजी ओकास अंसारी ने कहा कि प्रियंका गांधी जी के निर्देश एवं चेयरमैन शाहनवाज आलम साहब के आह्वाहन पर पूरे UP में अल्पसंख्यक कांग्रेस के पदाधिकारी गांव गांव मुहल्ले मुहल्ले जाकर प्रियंका गांधी जी के संदेश को पहुंचाया। मैं वाराणसी में कांग्रेसजनो के साथ के कई वार्डो में पिछले 10 दिन से डोर टू डोर जा कर प्रियंका गांधी जी के संदेश को लोगो तक पहुंचाया और जनता ने इसका रिस्पांस बहुत अच्छा दिया। आने वाले 2024 के चुनाव में जनता ने पूरा मन बना लिया है कि इस बार देश के विकास के लिए कांग्रेस पार्टी की सरकार बनानी है और राहुल गांधी जी को देश का अगला प्रधानमंत्री बनाना है। ताकि देश का असल विकास हो सके। कार्यक्रम के अंतिम दिन कमलगडहा वार्ड में महानगर कांग्रेस के उपाध्यक्ष अफरोज अंसारी और पार्षद बेलाल अंसारी के साथ सैकड़ों घरों में जा कर डोर टू डोर जनसंपर्क कर प्रियंका गांधी जी के संदेश को बाटा गया।

मंगलवार, 21 मार्च 2023

Health news : कहीं Tb का संकेत तो नहीं है लगातार पीठ व रीढ़ का दर्द ?

दर्द को न करें नजरंदाज, हो सकते हैं गम्भीर परिणाम 

समय से उपचार न होने पर दिव्यांगता का भी रहता है अंदेशा



Varanasi (dil india live). लल्लापुरा निवासी 48 वर्षीय शकील (परिवर्तित नाम) के पीठ व कमर में दो वर्ष पूर्व लगातार दर्द था। सोचा कोई वजनी वस्तु उठाने से हुए खिंचाव की वजह से दर्द  है। मालिश व दर्द निवारक गोलियों का सहारा लिया।  कोई आराम नहीं मिला। दर्द बढ़ता जा रहा था। घर के अंदर  चार कदम चलना तो दूर पैरों पर खड़ा होना मुश्किल हो गया तो  परिजनों के सहयोग से मण्डलीय अस्पताल पहुंचे। वहां चिकित्सक ने कई तरह की जांच कराया तो पता चला रीढ़ की हड्डी में टीबी है। डेढ़ वर्ष तक चले उपचार के बाद पूरी तरह स्वस्थ हो गए। 

सब्जी बेचकर अपनी गृहस्थी चलाने वाले शकील बताते है कि इस दौरान स्वास्थ्य विभाग के साथ परिवार का पूरा सहयोग मिला। शिव प्रसाद गुप्त अस्पताल परिसर स्थित जिला क्षय रोग केन्द्र के चिकित्सा अधिकारी डॉ.अन्वित श्रीवास्तव का कहना है कि आम तौर पर लोग पीठ , कमर के दर्द को तब तक नजरअंदाज करते हैं  जब तक  चलना-फिरना मुश्किल नहीं हो जाता। दर्द असहनीय हो जाता है तो चिकित्सक के पास जाते हैं। यह आभास भी नहीं होता  कि  रीढ़ की हड्डी में टीबी भी हो सकती है।  वह बताते हैं  कि पिछले वर्ष जनवरी से दिसम्बर तक जिले में 142 रीढ़ की हड्डी में टीबी के मामले सामने आये। उपचार से लगभग 100 लोग स्वस्थ हो चुके है, शेष का उपचार चल रहा है।


कैसे होती है रीढ़ की  हड्डी में tb

 डॉ.अन्वित का कहना है कि वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करती  है लेकिन कुछ मामलों में नाखून व बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में हो सकती है।  रीढ़ की हड्डी में टीबी तब होती है जब टीबी का संक्रमण फेफड़ों के बाहर फैलकर रीढ़ तक पहुंच जाता है। रीढ़ की हड्डी में टीबी के कारण होने वाले पीठ दर्द के वास्तविक कारण की जानकारी न होने की वजह से शुरू में अधिकतर  लोग इसके प्रति लापरवाह होते हैं। उन्हें आभास  नहीं होता है कि टीबी हुई है। यही स्थिति गंभीर  होती है। इसलिए लगातार पीठ दर्द में आराम न हो तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें| चिकित्सक की सलाह पर जांच कराएँ कि कहीं यह टीबी तो नहीं| लापरवाही करने से यह दिव्यांग तक बना सकती है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के कारण

क्षय रोगी के संपर्क में आने से भी रीढ़ की हड्डी में टीबी हो सकती  है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से रीढ़ तक भी पहुंच सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb के लक्षण

 पीठ में लगातार दर्द, कमजोरी महसूस करना,भूख न लगना, वजन कम होना, रात के समय बुखार आना, दिन में बुखार उतर जाना भी रीढ़ की हड्डी में टीबी का लक्षण हो सकता है।

 रीढ़ की हड्डी में tb का उपचार

 डॉ.अन्वित का कहना है कि रीढ़ की हड्डी में टीबी का उपचार संभव है लेकिन इसके लिए यह भी जरूरी है कि इसका समय से उपचार हो। सरकारी अस्पतालों में उपचार की व्यवस्था है, जहां टीबी रोगियों को दवाएं भी दी जाती हैं । सरकार की ओर से निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे भेजी जाती है। वह बताते हैं कि दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से रीढ़ की हड्डी में हुआ टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है ।

Kashi prabudh mahila Manch ने कि मोटे अनाज पर संगोष्ठी

नारी सम्मान समारोह में बताया मोटे अनाज के फायदे 



Varanasi (dil india live). काशी प्रबुद्ध महिला मंच की ओर से भेलुपुर स्थित एक होटल मे श्री अन्न (millets) पर संगोष्ठी एवं नारी सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। इस दौरान मंच कि अंजलि अग्रवाल ने मोटे अनाज के फायदे तथा ज्यादा से ज्यादा अपनी खुराक में उसे शामिल करने, परिवार को स्वादिष्ट व्यंजन मोटे अनाज के बना कर देने पर प्रकाश डाला। अन्य महिला सदस्यों ने मोटे अनाज कि उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए बाजरा, रागी, जौ, मक्का के विभिन्न व्यंजन बताए। कार्यक्रम में समाज में अपना महत्व पूर्ण योगदान देने वाली महिलाओं को सम्मानित भी किया गया। 

कार्यक्रम का संचालन रेनू कैला एवं Dr ममता तिवारी ने किया। संयोजन एवं धन्यवाद शोभा कपूर ने किया। प्रिया अग्रवाल, Dr रीता भट्ट, ममता पंड्या, रीता अग्रवाल, रीता कश्यप, ममता जायसवाल, छवि अग्रवाल, Dr कमलेश गुप्ता, सगीता अग्रवाल, निधि मेहरोत्रा, नूतन रंजन, चंद्रा शर्मा, नीतू सिंह, मनीषा अग्रावल को सम्मानित किया गया।

Ustad Bismillah Khan को जयंती पर किया गया याद



Varanasi (dil india live). शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 107 वीं जयंती मंगलवार को मनायी गयी। इस दौरान परिजनों और अपनों ने कब्र पर गुलाब के फूल (गुलपोशी) व इत्र की खुशबू करके उन्हें याद किया गया। इस दौरान लोगों ने फातेहा पढ़ कर उस्ताद की मगफिरत की दुआएं की। कार्यक्रम में कांग्रेस नेता व पूर्वमंत्री अजय राय व पूर्व मेयर रामगोपाल मोहले दरगाहे फातमान पहुंचे और उस्ताद की कब्र पर फूल चढ़ाकर उन्हें याद किया। इस दौरान न कोई अधिकारी पहुंचा और न कोई मंत्री।

शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की कब्र पर पुष्पार्पित (गुलपोशी) कर अजय राय ने कहा कि खां साहब जैसा व्यक्ति शताब्दियों में पैदा होता है। उन्होंने काशी का नाम पूरी दुनिया में रौशन किया है। हम ईश्वर से दुआ करते हैं कि इनका आशीर्वाद हम सभी को मिले।

इस अवसर पर अब्बास मुर्तजा शमसी, शकील अहमद जादूगर,आफाक हैदर आदि ने कहा कि बहूत दुःख कि बात है कि सरकार को उस्ताद जैसे फनकार की सुध लेने की फुर्सत नहीं है। पहले राजनीतिक और प्रशासनिक नुमाइंदे यहां आते थे पर कई वर्ष से कोई नहीं आता, यह दुखद है। 

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...