बुधवार, 27 जुलाई 2022

World hepatitis day 28 July

हेपेटाइटिस है गंभीर, जन जागरूकता से ही दूर होगी यह बीमारी

गर्भावस्था में जरूर कराएं जांच, बचेगी जच्चा-बच्चा दोनों की जान

जन्म के तुरंत बाद शिशु को लगवाएँ हेपेटाइटिस बी का टीका

सरकार ने की वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस उन्मूलन करने की पहल


Varanasi (dil india live).वायरल बीमारी के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। हेपेटाइटिस वायरस को पांच प्रकार यथा ए, बी, सी, डी और ई के रूप में जाना जाता है। यह सभी यकृत (लिवर) को प्रभावित करते हैं, लेकिन उत्पत्ति, संचरण और गंभीरता के संदर्भ में उनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है। बता दें कि वर्ष 1967 में अमेरिकी डॉक्टर बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग ने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक के सम्मान में उनके जन्मदिन पर विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी* ने कहा कि इस दिवस को हेपेटाइटिस के विभिन्न रूपों और उनके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के साथ-साथ संबंधित बीमारियों के प्रबंधन, पता लगाने और रोकथाम में सुधार करना है। इस वर्ष दिवस की थीम ‘आई काँट वेट’ यानि ‘मैं इंतजार नहीं कर सकता हूँ’, जिसका मतलब है कि हेपेटाइटिस की जांच के लिए ज्यादा इंतजार न करें। समय रहते इसकी जांच और डॉक्टर के परामर्शानुसार उपचार कराएं । 

*सीएमओ* ने कहा कि हेपेटाईटिस नियंत्रण के लिये सरकार ने वर्ष 2030 तक देश से हेपेटाइटिस वायरस का उन्मूलन करने की पहल की है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 2018 में शुरु किया गया । इसका प्रमुख उद्देश्य हेपेटाइटिस का मुकाबला करते हुए वर्ष 2030 तक संपूर्ण देश से 'हेपेटाइटिस सी' का उन्मूलन करना, हेपेटाइटिस 'बी' एवं 'सी' से होने वाला संक्रमण तथा उसके परिणामस्वरूप सिरोसिस और लीवर कैंसर के कारण होने वाली रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना, हेपेटाइटिस 'ए' और 'ई' से होने वाले जोखिम, रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना है। 

रोकथाम 

•जागरूकता निर्माण और संचार व्यवहार में बदलाव

•हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण (जन्म पर खुराक, स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी)

•रक्त और रक्त उत्पादों की सुरक्षा

•सुरक्षित इंजेक्शन और सुरक्षित सामाजिक-सांस्कृतिक अभ्यास

•शुद्ध पेयजल तथा साफ़ एवं स्वच्छ शौचालय का उपयोग   

गर्भावस्था और हेपेटाइटिस बी 

शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड की अधीक्षक व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सारिका राय ने कहा कि गर्भावस्था और गर्भस्थ शिशु को हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए समय पर समय जांच अवश्य करानी चाहिए। समय से जांच, उपचार और डॉक्टर से परामर्श से प्रसव के समय कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होने कहा कि पॉज़िटिव होने पर प्रसव के दौरान यह वायरस माँ से शिशु तक पहुँचने की संभावना होती है। ऐसे में नॉर्मल और सिजेरियन दोनों तरह की प्रसव कराना संभव है। इसके अतिरिक्त कोई अन्य जटिलताएं नहीं होती हैं। डॉ सारिका ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए। यदि शिशु किसी कारणों से संक्रमित हो गया है, तो यह टीका उससे बचाव करेगा। हेपेटाइटिस बी होने पर इन बातों की संभावना रहती है जो इस प्रकार हैं - 

समय पूर्व शिशु का जन्म

गर्भपात

कम वजन का शिशु

गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) होना

कारण  

-दूषित भोजन-अशुद्ध पानी के सेवन से हेपेटाइटिस ए और ई संभावित।

-असुरक्षित यौन संबंध से हेपेटाइटिस-बी और सी (काला पीलिया) संभावित।

-असुरक्षित इंजेक्शन-उपचार से हेपेटाइटिस बी और सी संभावित।

-गर्भवती के बच्चे को भी काला पीलिया संभावित। 

बचाव 

-शौच से पहले, खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं।

-ठीक से पका हुआ भोजन, पानी उबालने के बाद ठंडा कर पिएं।

-रक्त चढ़वाना है तो लाइसेंस प्राप्त रक्त सेंटर से लें।

-सुई-रेजर किसी अन्य के साथ साझा न करें।

-सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।

-बच्चे के जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस-बी का टीका लगवाएं।

यह भी जानना है जरूरी

-हेपेटाइटिस का उपचार व रोकथाम संभव है।

-हेपेटाइटिस के इलाज में लापरवाही से लिवर कैंसर हो सकता है।

-जिला अस्पताल सहित अन्य केंद्रों में जन्म लेने वाले शिशुओं का हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण होता है।

Bhadohi news: ज्ञानपुर में लगा डाक मेला

डिजिटल इंडिया में डाक विभाग निभा रहा अहम भूमिका

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने किया डाक मेले का उद्घाटन



Bhadohi (dil india live). वित्तीय समावेशन और डिजिटल इंडिया में डाक विभाग अहम भूमिका निभा रहा है। एक ही छत के नीचे तमाम सेवाएं उपलब्ध कराकर डाकघरों को बहुउद्देश्यीय बनाया गया है। बचत, बीमा, आधार, पासपोर्ट, कॉमन सर्विस सेंटर, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, रेलवे टिकट, गंगाजल की बिक्री जैसी तमाम सुविधाएं डाकघरों में उपलब्ध हैं। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने ज्ञानपुर में आयोजित डाक मेले में संबोधन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये।  इस अवसर पर पोस्टमास्टर जनरल द्वारा उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मचारियों को सम्मानित किया एवं सुकन्या समृद्धि योजना, डाक जीवन बीमा और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के विभिन्न लाभार्थियों को पासबुक एवं पॉलिसी बॉन्ड का वितरण किया गया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आमजन में डाकघर की बचत योजनाएँ बेहद लोकप्रिय हैं और इनमें लोग पीढ़ी दर पीढ़ी सुरक्षित निवेश करते आ रहे हैं। भदोही जिले में अब तक 2.60 लाख बचत खाते, 21 हजार आईपीपीबी खाते और 16 हजार सुकन्या समृद्धि खाते खोले जा चुके हैं। 27 गाँवों को सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम, 9 गाँवों को सम्पूर्ण बीमा ग्राम एवं 3 गाँवों को 5 स्टार ग्राम बनाया जा चुका है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के तहत आरंभ 'सुकन्या समृद्धि योजना' बालिकाओं के सुरक्षित भविष्य के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के माध्यम से डाकिया और ग्रामीण डाक सेवक आज एक चलते फिरते बैंक के रूप में कार्य कर रहे हैं। किसानों सहित अन्य तमाम लाभार्थियों के बैंक खातों में आने वाली डीबीटी राशि की निकासी के लिए अब किसी को भी बैंक या एटीएम जाने की जरूरत नहीं, बल्कि घर बैठे ही सभी अपने आधार लिंक्ड बैंक खाते से डाकिया के माध्यम से निकासी कर सकते हैं। आईपीपीबी में खाता होने पर डाकघर की सुकन्या, आरडी, पीपीएफ, डाक जीवन बीमा में भी ऑनलाइन जमा किया जा सकता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, वाहनों का बीमा, स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना बीमा, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना जैसी तमाम सेवाओं का लाभ भी डाकिया के माध्यम से लिया जा सकता है। सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाने हेतु आधार जरूरी है, ऐसे में अब घर बैठे डाकिया के माध्यम से ही आधार से लिंक मोबाइल नम्बर भी अपडेट किया जा सकता है। श्री यादव ने बताया कि आमजन को विभिन्न सेवाओं के लिए भटकना न पड़े और सारी सेवाएं एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो सकें, इसके लिए अब डाकघरों में भी काॅमन सर्विस सेंटर के माध्यम से एक साथ केंद्र व विभिन्न राज्य सरकारों की 73 सेवाएँ मिल रही हैं। वाराणसी पश्चिमी मंडल के अधीक्षक डाकघर श्री पीसी तिवारी ने कहा कि विभिन्न डाक योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक करने हेतु डाक विभाग द्वारा पहल की जा रही है।

ज्ञानपुर उपमंडल के डाक निरीक्षक अखण्ड प्रताप गोस्वामी ने बताया कि डाक मेले के दौरान 1,350 से ज्यादा डाकघर बचत बैंक खाते और 250 बेटियों के सुकन्या समृद्धि खाते खोले गए। डाक मेले में 3.15 लाख का डाक जीवन बीमा प्रीमियम जमा किया गया है एवं 300 से अधिक किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना कराया। 

इस कार्यक्रम में डाकघर अधीक्षक, वाराणसी (पश्चिम) मण्डल पी. सी. तिवारी, ग्राम प्रधान रामापुर ज्ञानपुर रीता देवी, सभासद मोहम्मद अबरार,  निरीक्षक डाकघर अखण्ड प्रताप गोस्वामी, श्रीकान्त पाल, पोस्टमास्टर ज्ञानपुर उपडाकघर मुकेश श्रीवास्तव, सीनियर मैनेजर इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक ज्ञानपुर निकेश कुमार पाण्डेय सहित तमाम स्थानीय जनप्रतिनिधि, अधिकारी -कर्मचारी एवं सम्मानित जनता ने भागीदारी की।

गब्बर सिंह को देश दुनिया में आज किया जा रहा याद

बालीवुड के मशहूर अभिनेता अमजद खान की पुण्य तिथि




Varanasi (dil india live).बेहतरीन किरदार के जरिए अपने फैंस के दिलों पर अमिट छाप छोड़ने वाले फिल्मी दुनिया के गब्बर सिंह को आज देश दुनिया भर में याद किया जा रहा है। आज सुपर हिट फिल्म शोले के महा खलनायक अमजद खान कि पुण्य तिथि है। शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभा कर देश दुनिया में चर्चित हुए अमजद खान आज भले ही हम लोगों के बीच नहीं हैं मगर आज भी उनकी कला और फिल्मों के जरिए सभी उन्हें याद कर रहे हैं।

भारतीय इतिहास में ऐसे कई कलाकारों के नाम दर्ज हैं, जिन्होंने अपने बेहतरीन अभिनय की अमिट छाप छोड़ी है। शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभाने वाले अभिनेता अमजद खान भी ऐसे ही कलाकारों में से एक हैं। डाकू के किरदार से घर-घर प्रसिद्ध हुए अभिनेता अमजद खान ने अपने इस किरदार को इतनी शिद्दत से निभाया कि लोगों के मन में उनकी डाकू वाली छवि आज तक मिट नहीं पाई है। अपनी दमदार आवाज और बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के दम पर गब्बर सिंह हिंदी सिनेमा के खूंखार खलनायकों में आज भी अव्वल है। फिल्म जगत का नायाब सितारा आज ही के दिन दुनिया को अलविदा कह गया था।

पेशावर में हुए थे पैदा

12 नवंबर 1940 को पेशावर में जन्मे अमजद खान ने अपने फिल्मी करियर में यूं तो कई फिल्मों में काम किया, लेकिन फिल्म शोले में गब्बर का किरदार निभा कर उन्हें जो शौहरत हासिल हुई, वह शायद ही किसी खलनायक को आज तक मिली हो। लेकिन बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि गब्बर सिंह के इस दमदार किरदार के लिए अमजद खान पहली पसंद नहीं थे। इस रोल के लिए पहले अभिनेता डैनी से संपर्क किया गया था, लेकिन उस समय फिल्म धर्मात्मा की शूटिंग में व्यस्त थे। ऐसे में उन्होंने शोले में इस किरदार को करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद यह रोल अमजद खान की झोली में आ गिरा और इस किरदार के चलते अमजद खान ने सभी को पछाड़ कर अमर हो गये।

गब्बर सिंह के लिए अमजद खान का नाम बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के पिता सलीम खान ने सुझाया था। कौन जानता था कि सलीम खान का यह सुझाव नाम इतिहास के पन्नों में अमजद खान को हमेशा के लिए अमर कर देगा। गब्बर सिंह के किरदार के लिए चुने जाने के बाद इस किरदार में ढलना अमजद खान के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी। फिल्म में अमजद खान के बोले गए डायलॉग आज भी लोगों की जुबां पर हैं। अमजद खान के अंदाज को लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया वह अभिनेता का ओरिजिनल स्टाइल नहीं था। फिल्म में अमजद खान के बात करने का तरीका उनके गांव के एक धोबी से प्रेरित था।

दरअसल, अमजद खान के गांव में एक धोबी रहता था, जो रोज सुबह इसी अंदाज में लोगों से बात किया करता था। अभिनेता ना सिर्फ धोबी के इस स्टाइल से काफी प्रभावित थे, बल्कि उसे गौर से सुना भी करते थे। धोबी की इस शैली से प्रभावित होकर अमजद खान ने किसी और की शैली कॉपी करने की जगह धोबी के इस ठेठ अंदाज को अपनाने का फैसला किया और अभिनेता के इस फैसले में उन्हें हिंदी सिनेमा में एक अलग मुकाम पर पहुंचा दिया। शूटिंग के दौरान जब अमजद खान ने धोबी की स्टाइल में डायलॉग बोलना शुरू किया तो फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी समेत पूरी यूनिट हैरान रह गई और इस तरह शोले के गब्बर सिंह का यह किरदार हमेशा के लिए अमर हो गया। 

बाल कलाकार के तौर पर की थी इंडस्ट्री में इंट्री

1951 में फिल्म नाजनीन से बतौर बाल कलाकार इंडस्ट्री में कदम रखने वाले अभिनेता ने अपने करियर में कई फिल्में कीं। 17 साल की उम्र में बॉलीवुड में डेब्यू करने वाले अमजद खान ने 1973 में आई फिल्म हिंदुस्तान की कसम के जरिए बतौर हीरो डेब्यू किया था। अपने लंबे फिल्मी करियर के दौरान अमजद खान ने परवरिश, मुकद्दर का सिकंदर, लावारिस, हीरालाल- पन्नालाल, सीता और गीता जैसी फिल्मों में भी काम किया था। 27 जुलाई 1992 में दिल का दौरा पड़ने से फिल्म जगत का यह नायाब सितारा हमेशा के लिए दूर चला गया। अभिनेता ने महज 51 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। कहना ग़लत न होगा कि अमजद खान कुछ दिन और रहे होते तो फिल्म इंडस्ट्री का इतिहास कुछ और ही होता।


मंगलवार, 26 जुलाई 2022

Shihab के हौंसले को सलाम

आंखों में काबा का ख्वाब संजोए, पैदल ही निकले हज करने केरल के शिहाब

2022 में शुरू किया सफर, 2023 में होगा मुकम्मल हज

जानिए कौन कौन से देशों से होकर पहुंचेंगा ये हज यात्री काबा



Sarfaraz Ahmad

Varanasi (dil india live). कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो....। किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि अगर इंसान ठान ले तो क्या नहीं कर सकता, इंसान चाहे तो आसमान में सुराख भी कर दे। लेकिन ज़रूरत है उस जुनून की, जिसकी बात शायर अपने कलाम में कर रहा है। ऐसे ही एक जूनूनी शख्स हैं केरल के ‘शिहाब’। वो केरल से मक्का तक पैदल ही हज के सफर पर निकल पड़े हैं। आज वो विभिन्न शहरों से होते हुए गुजरात पहुंचे। वहां लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया। जिस रास्ते से वो गुज़र रहें हैं। उनकी एक झलक पाने को सभी बेताब दिखाई दे रहे हैं।

शिहाब केरला से रवाना हुए और 2023 में हज से पहले मक्का पहुंचना उनका लक्ष्य है, ताकि वह हज का फरीजा अदा कर सकें। शिहाब करेला से निकल कर भारत के कई राज्यों को पार करते हुए पाकिस्तान, ईरान, फिर इराक, फिर कुवैत और अंत में सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर पहुंचेंगे। शिहाब ने अपनी अनोखी पैदल यात्रा के बारे में उनकी तैयारी को लेकर मीडिया से बात की। उन्होने बताया की उन्हे तैयारी करने में लगभग छह महीने का समय लग गया, क्योंकि उन्होंने भारतीय राजधानी नई दिल्ली में देश के दूतावासों के चक्कर लगाना पड़े अपनी यात्रा की परमीशन लेने के लिए। मक्का जाने का फैसला करने के बारे में, शिहाब कहते हैं, “मैंने पैदल ही हज की योजना बनाई रहा है। यह मेरी बचपन की ख्वाहिश थी। अल्हम्दुलिल्लाह। मैं अल्लाह का शुक्रिया अदा करता हूं। मेरी मां की दुआ से अल्लाह ने मेरी यह मन्नत और दुआ पूरी कर दी। सरकार ने मुझे पैदल हज पर जाने की इजाजत दे दी, सभी प्रक्रियाओं को मैंने पूरा कर लिया या। इंशा अल्लाह यात्रा मेरी 2022 में केरल से शुरू हो गई है जो 2023 में काबा में हज मुकम्मल करके पूरी होगी। शिहाब ने बताया कि कई लोगों ने उसकी यात्रा के रास्ते में मदद करने का वादा किया है, यह पुष्टि करते हुए कि यात्रा बहुत लंबी है और इसमें महीनों लगते है।

केरल में एक सुपरमार्केट चलाने वाले शिहाब का लक्ष्य भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत के रास्ते सऊदी अरब जाना है।शिहाब ने इस सैर के लिए आठ महीने तक तैयारी की। वह हर दिन कम से कम 25 किमी पैदल चलते हैं।केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और कई अन्य लोगों ने शिहाब को हज का ख्वाब पूरा करने में मदद की।वह कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से होते हुए वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे। शिहाब कहते हैं कि

"मेरा लक्ष्य 280 दिनों में 8,640 किमी चलना है। मैं एक दिन में औसतन 25 किमी पैदल चल रहा हूं। मैं 2023 में हज करना चाहता हूं। मेरे परिवार, दोस्तों और अन्य लोगों ने मेरी यात्रा के लिए अपना सहयोग दिया है, "उन्होंने कहा कि उसके पास एक बेडशीट, कपड़े और एक10 किलो का बैग है। रास्ते में वह मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और रात आराम करने के बाद फिर निकल पड़ते है, हज के सफर में...।"

Hajj 2022: काबा से काशी लौटे जायरीन का हुआ खैरमकदम

हज मुकम्मल कर लौट रहे हाजी, हो रहा खैरमकदम

हज से लौटे मास्टर तजम्मुल, हुआ इस्तेकबाल

Varanasi (dil india live). जामिया अरबिया मतलउल उलूम कमनगढ़ा वाराणसी के सेवानिवृत अध्यापक तजम्मुल अहमद का हज बैतुल्लाह से लौटने पर सरैयां स्थित आवास पर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उनका स्वागत किया और ढेर सारी उनसे दुआएं लीं। हाजी तजम्मुल अहमद का कहना है  कि अल्लाह का लाख लाख शुक्र है कि मुझे अपने दरबार में बुलाया और हज जैसे बड़े फ़र्ज़ को अदा करने की तौफीक दी। दुआ है कि खुदा सभी को हज बैतुल्लाह की जियारत नसीब करे।

केवल मास्टर तजम्मुल ही नहीं, बल्कि हज का सफर मुकम्मल करके काबा से काशी लौट रहे तमाम हाजी साहेबान की यही कैफियत है। वो हज मुकम्मल करके अपने अजीजो के बीच पहुंच कर बेहद खुश हैं। यही वजह है कि वो सभी मिलने जुलने वालों के लिए रब से दुआ करते नहीं थक रहे हैं। इस दौरान शहर भर में विभिन्न स्थानों पर हाजी साहेबान के वतन लौटने की खुशी में दावतों का सिलसिला भी जारी है।

        हाजी साहेबान का स्वागत करने वालों में मदरसा मतलउल उलूम के प्रबंधक हाजी मंजूर अहमद, सामाजिक संस्था "सुल्तान क्लब" के अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक, मौलाना निसार अहमद, मास्टर अकील अहमद, डॉक्टर नसीम अख्तर, रशीद अहमद, हाफिज मुनीर, मुहम्मद शोएब, अखलाक अहमद, मास्टर हारून, इमरान अहमद, हाजी रमजान अली, मोइनुद्दीन, मकबूल अहमद, मास्टर महताब, मुहम्मद जहीर, अफजाल अंसारी, अशरफ, असगर इत्यादि थे।

सोमवार, 25 जुलाई 2022

बरसात में रखें सेहत का ख्याल, नहीं पड़ेंगे बीमार, बनें रहेंगे ऊर्जावान

साफ सफाई का रखें ख्याल, बाहर का खाना, न बाबा न...

शरीर को हाइड्रेटेड रखें, पर्याप्त नींद लें, मच्छरों से करें बचाव



Varanasi (dil india live). कभी धूप तो कभी छाँव और उसके बाद बारिश, आजकल कुछ ऐसा ही मौसम हो रहा है। तेज गर्मी के बीच अचानक बारिश होने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक (इम्यूनिटी) क्षमता कमजोर है, वह संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। बारिश में सर्दी, खांसी, फूड पॉइजनिंग, दस्त, बुखार आदि बीमारी से बचाव का ख्याल और स्वस्थ व संतुलित खानपान बेहद जरूरी है। यह कहना है *एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता व फिजीशियन डॉ आरएन सिंह का। 

डॉ सिंह ने कहा कि बारिश के दौरान स्वास्थ्य व स्वच्छता सम्बन्धी सावधानियां आवश्यक है। इस मौसम में पानी एवं मच्छरों से होने वाली बीमारियां जैसे डायरिया, मलेरिया, डेंगू की संभावना बढ़ जाती है। आजकल बुखार, सर्दी, खांसी, दस्त आदि के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। बारिश के मौसम में चारों तरफ पानी भरा होने से कीटाणु अधिक पैदा होते हैं। खेतों में पानी भरने से जर्म का खतरा रहता है। मौसम में ठंडक बढ़ने से ठंडा-गर्म की शिकायत हो जाती है। सेहत के अलावा बारिश के मौसम में त्वचा का भी ख्याल रखना जरूरी है। 

साफ-सफाई व स्वच्छता का रखें ख्याल

 डॉ सिंह ने कहा कि किसी भी मौसम में स्वच्छता और साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए सामान्य बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे भोजन से पहले-बाद में, छींकने और खांसने के बाद, कोई भी बाहरी वस्तु छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह धोएँ। नहाने के बाद तौलिया को धोकर तेज धूप में सुखाएं। धूप नहीं होने पर खुली हवा में सुखा दें। बाथरूम को अच्छे से साफ करें और कीटाणुनाशक स्प्रे से छिड़काव करें।

पकाने से पहले फलों व सब्जियों को धोएं

 डॉ सिंह ने कहा कि मौसम कोई भी हो, पकाने से पहले सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए। लेकिन बारिश में इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। फल और सब्जियां के माध्यम से बैक्टीरिया घर तक पहुंच जाते हैं। अगर उन्हें अच्छे से साफ नहीं करते हैं तो उनका शरीर में जाने का खतरा बना रहता है और वह आपको बीमार बना सकते हैं।

बाहर का खाना करें मना

 उन्होने कहा कि व्यक्ति की सेहत उसके खाने पर ही निर्भर करती है। वह जैसा खाता है, वैसी ही उसकी सेहत रहती है। बारिश के दौरान देर तक कटे हुए और रखे हुए फल व सब्जियां खाने से बचने की भी सलाह दी जाती है। मानसून के दौरान घर का बना खाना खाएं। अगर बारिश के मौसम में पकौड़ी खाने का मन है तो बाहर की बजाय घर में ही बनाकर खाएं। इस दौरान इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फल और सब्जियां जैसे कद्दू, ब्रोकली, पालक, मकई, बैंगन, सेब, तोराई, लौकी, चुकंदर, आम, शरीफा इत्यादि हैं। 

शरीर को हाइड्रेटेड रखें

 डॉ सिंह ने कहा कि शरीर को हाइड्रेटेड रखना स्वास्थ्य के लिए हमेशा फायदेमंद रहता है। इसलिए बारिश के मौसम में भी ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इससे स्वस्थ महसूस करेंगे और बीमारी होने का खतरा भी कम हो जाएगा। वजन घटाने के साथ ही हाइड्रेटेड रहने से कीटाणुओं और संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।

पर्याप्त नींद लें

 पर्याप्त नींद लेना हर किसी के लिए जरूरी होता है। अच्छी नींद नहीं लेने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और बीमारियां होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए कम से कम 7 से 8 घंटे की गहरी नींद जरूर लें। कोशिश करें रात में एक साथ ही पर्याप्त नींद लें। दिन में सोने से बचें। इससे स्वस्थ महसूस करेंगे। पूरी नींद नहीं लेने से शरीर में कमजोरी बनती है। इससे संक्रमण और वायरल बुखार होने का खतरा बढ़ सकता है।

डॉ सिंह ने कहा कि गंदगी में जाने से बचें, मच्छर अधिक हों तो उन्हें भगाने के उपाय करें, किसी को अगर वायरल है तो उससे दूर रहें, आदि। इन सभी तरीकों से बारिश के मौसम में स्वस्थ व ऊर्जावान रहा जा सकता है। किसी अन्य प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परामर्श के लिए नजदीकि चिकित्सालय में डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

सरैया के अजीमुद्दीन पहलवान नये सरदार और महतो बने बेलाल अहमद




Varanasi (dil india live). सरैयां में बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी हाफिज मोईनुद्दीन के हाथो नये सरदार और महतो की दस्तार बंदी हुयी। इस मौके पर पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने बताया की इस मोहल्ले में सरदार और महतो का पद ख़ाली था जिसमें बाईसी के सरदार हाजी मोईनुद्दीन साहब ने सरदार की जिम्मेदारी अजीमुद्दीन उर्फ़ पहलवान और महतो की जिम्मेदारी बेलाल अहमद को दी। दोनों के सिर पर दस्तार का ताज सजाया गया। इस मौके पर बाईसी के सरदार हाजी मोईनुद्दीन ने कहा की सरदार और महतो की जिम्मेदारी काँटों भरा ताज होता है। जिसमें बहुत ही सोच समझ कर सभी फैसले लेने होते है। इसमें चाहे कोई अपना हो या परया सभी के साथ इंसाफ होना चाहिए। किसी के साथ भेद भाव नहीं होना चाहिए। इस मौके पर मैं आप लोगो से जरूर कहूँगा की बच्चों को ज्यादा से ज्यादा तालीम दीजिये। क्यूं की बच्चे ही हमारे भविष्य है। तक़रीर मौलाना आमिर आजम ने किया। 

इस मौके पर मौजूद सरदार गुलाम मोहम्मद दरोगा, हाजी बाबू, हाजी तुफैल, हाजी हाफिज नसीर, बाबू महतो, हाजी गुलाब, हाफिज रमजान, मौलाना यासीन, हाजी महबूब अली, हाजी हारुन, इस्तेयाक, सफीउररहमान समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...