बुधवार, 27 जुलाई 2022

World hepatitis day 28 July

हेपेटाइटिस है गंभीर, जन जागरूकता से ही दूर होगी यह बीमारी

गर्भावस्था में जरूर कराएं जांच, बचेगी जच्चा-बच्चा दोनों की जान

जन्म के तुरंत बाद शिशु को लगवाएँ हेपेटाइटिस बी का टीका

सरकार ने की वर्ष 2030 तक हेपेटाइटिस उन्मूलन करने की पहल


Varanasi (dil india live).वायरल बीमारी के बारे में जन जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल 28 जुलाई को विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाया जाता है। हेपेटाइटिस वायरस को पांच प्रकार यथा ए, बी, सी, डी और ई के रूप में जाना जाता है। यह सभी यकृत (लिवर) को प्रभावित करते हैं, लेकिन उत्पत्ति, संचरण और गंभीरता के संदर्भ में उनके बीच महत्वपूर्ण अंतर है। बता दें कि वर्ष 1967 में अमेरिकी डॉक्टर बारूक सैमुअल ब्लमबर्ग ने हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी। नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक के सम्मान में उनके जन्मदिन पर विश्व हेपेटाइटिस दिवस के रूप में मनाया जाता है। 

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी* ने कहा कि इस दिवस को हेपेटाइटिस के विभिन्न रूपों और उनके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य वायरल हेपेटाइटिस के साथ-साथ संबंधित बीमारियों के प्रबंधन, पता लगाने और रोकथाम में सुधार करना है। इस वर्ष दिवस की थीम ‘आई काँट वेट’ यानि ‘मैं इंतजार नहीं कर सकता हूँ’, जिसका मतलब है कि हेपेटाइटिस की जांच के लिए ज्यादा इंतजार न करें। समय रहते इसकी जांच और डॉक्टर के परामर्शानुसार उपचार कराएं । 

*सीएमओ* ने कहा कि हेपेटाईटिस नियंत्रण के लिये सरकार ने वर्ष 2030 तक देश से हेपेटाइटिस वायरस का उन्मूलन करने की पहल की है। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम वर्ष 2018 में शुरु किया गया । इसका प्रमुख उद्देश्य हेपेटाइटिस का मुकाबला करते हुए वर्ष 2030 तक संपूर्ण देश से 'हेपेटाइटिस सी' का उन्मूलन करना, हेपेटाइटिस 'बी' एवं 'सी' से होने वाला संक्रमण तथा उसके परिणामस्वरूप सिरोसिस और लीवर कैंसर के कारण होने वाली रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना, हेपेटाइटिस 'ए' और 'ई' से होने वाले जोखिम, रुग्णता एवं मृत्यु में कमी लाना है। 

रोकथाम 

•जागरूकता निर्माण और संचार व्यवहार में बदलाव

•हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण (जन्म पर खुराक, स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारी)

•रक्त और रक्त उत्पादों की सुरक्षा

•सुरक्षित इंजेक्शन और सुरक्षित सामाजिक-सांस्कृतिक अभ्यास

•शुद्ध पेयजल तथा साफ़ एवं स्वच्छ शौचालय का उपयोग   

गर्भावस्था और हेपेटाइटिस बी 

शहरी सीएचसी दुर्गाकुंड की अधीक्षक व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सारिका राय ने कहा कि गर्भावस्था और गर्भस्थ शिशु को हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए समय पर समय जांच अवश्य करानी चाहिए। समय से जांच, उपचार और डॉक्टर से परामर्श से प्रसव के समय कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होने कहा कि पॉज़िटिव होने पर प्रसव के दौरान यह वायरस माँ से शिशु तक पहुँचने की संभावना होती है। ऐसे में नॉर्मल और सिजेरियन दोनों तरह की प्रसव कराना संभव है। इसके अतिरिक्त कोई अन्य जटिलताएं नहीं होती हैं। डॉ सारिका ने बताया कि जन्म के तुरंत बाद शिशु को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए। यदि शिशु किसी कारणों से संक्रमित हो गया है, तो यह टीका उससे बचाव करेगा। हेपेटाइटिस बी होने पर इन बातों की संभावना रहती है जो इस प्रकार हैं - 

समय पूर्व शिशु का जन्म

गर्भपात

कम वजन का शिशु

गर्भावधि मधुमेह (जेस्टेशनल डायबिटीज) होना

कारण  

-दूषित भोजन-अशुद्ध पानी के सेवन से हेपेटाइटिस ए और ई संभावित।

-असुरक्षित यौन संबंध से हेपेटाइटिस-बी और सी (काला पीलिया) संभावित।

-असुरक्षित इंजेक्शन-उपचार से हेपेटाइटिस बी और सी संभावित।

-गर्भवती के बच्चे को भी काला पीलिया संभावित। 

बचाव 

-शौच से पहले, खाना खाने से पहले हाथों को अच्छी तरह से धोएं।

-ठीक से पका हुआ भोजन, पानी उबालने के बाद ठंडा कर पिएं।

-रक्त चढ़वाना है तो लाइसेंस प्राप्त रक्त सेंटर से लें।

-सुई-रेजर किसी अन्य के साथ साझा न करें।

-सुरक्षित यौन संबंध बनाएं।

-बच्चे के जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस-बी का टीका लगवाएं।

यह भी जानना है जरूरी

-हेपेटाइटिस का उपचार व रोकथाम संभव है।

-हेपेटाइटिस के इलाज में लापरवाही से लिवर कैंसर हो सकता है।

-जिला अस्पताल सहित अन्य केंद्रों में जन्म लेने वाले शिशुओं का हेपेटाइटिस बी का टीकाकरण होता है।

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