मंगलवार, 26 जुलाई 2022

Shihab के हौंसले को सलाम

आंखों में काबा का ख्वाब संजोए, पैदल ही निकले हज करने केरल के शिहाब

2022 में शुरू किया सफर, 2023 में होगा मुकम्मल हज

जानिए कौन कौन से देशों से होकर पहुंचेंगा ये हज यात्री काबा



Sarfaraz Ahmad

Varanasi (dil india live). कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो....। किसी शायर ने ठीक ही कहा है कि अगर इंसान ठान ले तो क्या नहीं कर सकता, इंसान चाहे तो आसमान में सुराख भी कर दे। लेकिन ज़रूरत है उस जुनून की, जिसकी बात शायर अपने कलाम में कर रहा है। ऐसे ही एक जूनूनी शख्स हैं केरल के ‘शिहाब’। वो केरल से मक्का तक पैदल ही हज के सफर पर निकल पड़े हैं। आज वो विभिन्न शहरों से होते हुए गुजरात पहुंचे। वहां लोगों ने उन्हें सिर आंखों पर बैठाया। जिस रास्ते से वो गुज़र रहें हैं। उनकी एक झलक पाने को सभी बेताब दिखाई दे रहे हैं।

शिहाब केरला से रवाना हुए और 2023 में हज से पहले मक्का पहुंचना उनका लक्ष्य है, ताकि वह हज का फरीजा अदा कर सकें। शिहाब करेला से निकल कर भारत के कई राज्यों को पार करते हुए पाकिस्तान, ईरान, फिर इराक, फिर कुवैत और अंत में सऊदी अरब के पवित्र मक्का शहर पहुंचेंगे। शिहाब ने अपनी अनोखी पैदल यात्रा के बारे में उनकी तैयारी को लेकर मीडिया से बात की। उन्होने बताया की उन्हे तैयारी करने में लगभग छह महीने का समय लग गया, क्योंकि उन्होंने भारतीय राजधानी नई दिल्ली में देश के दूतावासों के चक्कर लगाना पड़े अपनी यात्रा की परमीशन लेने के लिए। मक्का जाने का फैसला करने के बारे में, शिहाब कहते हैं, “मैंने पैदल ही हज की योजना बनाई रहा है। यह मेरी बचपन की ख्वाहिश थी। अल्हम्दुलिल्लाह। मैं अल्लाह का शुक्रिया अदा करता हूं। मेरी मां की दुआ से अल्लाह ने मेरी यह मन्नत और दुआ पूरी कर दी। सरकार ने मुझे पैदल हज पर जाने की इजाजत दे दी, सभी प्रक्रियाओं को मैंने पूरा कर लिया या। इंशा अल्लाह यात्रा मेरी 2022 में केरल से शुरू हो गई है जो 2023 में काबा में हज मुकम्मल करके पूरी होगी। शिहाब ने बताया कि कई लोगों ने उसकी यात्रा के रास्ते में मदद करने का वादा किया है, यह पुष्टि करते हुए कि यात्रा बहुत लंबी है और इसमें महीनों लगते है।

केरल में एक सुपरमार्केट चलाने वाले शिहाब का लक्ष्य भारत, पाकिस्तान, ईरान, इराक और कुवैत के रास्ते सऊदी अरब जाना है।शिहाब ने इस सैर के लिए आठ महीने तक तैयारी की। वह हर दिन कम से कम 25 किमी पैदल चलते हैं।केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन और कई अन्य लोगों ने शिहाब को हज का ख्वाब पूरा करने में मदद की।वह कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब से होते हुए वाघा सीमा के रास्ते पाकिस्तान में प्रवेश करेंगे। शिहाब कहते हैं कि

"मेरा लक्ष्य 280 दिनों में 8,640 किमी चलना है। मैं एक दिन में औसतन 25 किमी पैदल चल रहा हूं। मैं 2023 में हज करना चाहता हूं। मेरे परिवार, दोस्तों और अन्य लोगों ने मेरी यात्रा के लिए अपना सहयोग दिया है, "उन्होंने कहा कि उसके पास एक बेडशीट, कपड़े और एक10 किलो का बैग है। रास्ते में वह मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं और रात आराम करने के बाद फिर निकल पड़ते है, हज के सफर में...।"

Hajj 2022: काबा से काशी लौटे जायरीन का हुआ खैरमकदम

हज मुकम्मल कर लौट रहे हाजी, हो रहा खैरमकदम

हज से लौटे मास्टर तजम्मुल, हुआ इस्तेकबाल

Varanasi (dil india live). जामिया अरबिया मतलउल उलूम कमनगढ़ा वाराणसी के सेवानिवृत अध्यापक तजम्मुल अहमद का हज बैतुल्लाह से लौटने पर सरैयां स्थित आवास पर सैकड़ों की संख्या में लोगों ने उनका स्वागत किया और ढेर सारी उनसे दुआएं लीं। हाजी तजम्मुल अहमद का कहना है  कि अल्लाह का लाख लाख शुक्र है कि मुझे अपने दरबार में बुलाया और हज जैसे बड़े फ़र्ज़ को अदा करने की तौफीक दी। दुआ है कि खुदा सभी को हज बैतुल्लाह की जियारत नसीब करे।

केवल मास्टर तजम्मुल ही नहीं, बल्कि हज का सफर मुकम्मल करके काबा से काशी लौट रहे तमाम हाजी साहेबान की यही कैफियत है। वो हज मुकम्मल करके अपने अजीजो के बीच पहुंच कर बेहद खुश हैं। यही वजह है कि वो सभी मिलने जुलने वालों के लिए रब से दुआ करते नहीं थक रहे हैं। इस दौरान शहर भर में विभिन्न स्थानों पर हाजी साहेबान के वतन लौटने की खुशी में दावतों का सिलसिला भी जारी है।

        हाजी साहेबान का स्वागत करने वालों में मदरसा मतलउल उलूम के प्रबंधक हाजी मंजूर अहमद, सामाजिक संस्था "सुल्तान क्लब" के अध्यक्ष डॉक्टर एहतेशामुल हक, मौलाना निसार अहमद, मास्टर अकील अहमद, डॉक्टर नसीम अख्तर, रशीद अहमद, हाफिज मुनीर, मुहम्मद शोएब, अखलाक अहमद, मास्टर हारून, इमरान अहमद, हाजी रमजान अली, मोइनुद्दीन, मकबूल अहमद, मास्टर महताब, मुहम्मद जहीर, अफजाल अंसारी, अशरफ, असगर इत्यादि थे।

सोमवार, 25 जुलाई 2022

बरसात में रखें सेहत का ख्याल, नहीं पड़ेंगे बीमार, बनें रहेंगे ऊर्जावान

साफ सफाई का रखें ख्याल, बाहर का खाना, न बाबा न...

शरीर को हाइड्रेटेड रखें, पर्याप्त नींद लें, मच्छरों से करें बचाव



Varanasi (dil india live). कभी धूप तो कभी छाँव और उसके बाद बारिश, आजकल कुछ ऐसा ही मौसम हो रहा है। तेज गर्मी के बीच अचानक बारिश होने से बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक (इम्यूनिटी) क्षमता कमजोर है, वह संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। बारिश में सर्दी, खांसी, फूड पॉइजनिंग, दस्त, बुखार आदि बीमारी से बचाव का ख्याल और स्वस्थ व संतुलित खानपान बेहद जरूरी है। यह कहना है *एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता व फिजीशियन डॉ आरएन सिंह का। 

डॉ सिंह ने कहा कि बारिश के दौरान स्वास्थ्य व स्वच्छता सम्बन्धी सावधानियां आवश्यक है। इस मौसम में पानी एवं मच्छरों से होने वाली बीमारियां जैसे डायरिया, मलेरिया, डेंगू की संभावना बढ़ जाती है। आजकल बुखार, सर्दी, खांसी, दस्त आदि के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। बारिश के मौसम में चारों तरफ पानी भरा होने से कीटाणु अधिक पैदा होते हैं। खेतों में पानी भरने से जर्म का खतरा रहता है। मौसम में ठंडक बढ़ने से ठंडा-गर्म की शिकायत हो जाती है। सेहत के अलावा बारिश के मौसम में त्वचा का भी ख्याल रखना जरूरी है। 

साफ-सफाई व स्वच्छता का रखें ख्याल

 डॉ सिंह ने कहा कि किसी भी मौसम में स्वच्छता और साफ-सफाई का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। इसके लिए सामान्य बातों का ध्यान रखना जरूरी है। जैसे भोजन से पहले-बाद में, छींकने और खांसने के बाद, कोई भी बाहरी वस्तु छूने के बाद हाथों को अच्छी तरह धोएँ। नहाने के बाद तौलिया को धोकर तेज धूप में सुखाएं। धूप नहीं होने पर खुली हवा में सुखा दें। बाथरूम को अच्छे से साफ करें और कीटाणुनाशक स्प्रे से छिड़काव करें।

पकाने से पहले फलों व सब्जियों को धोएं

 डॉ सिंह ने कहा कि मौसम कोई भी हो, पकाने से पहले सब्जियों और फलों को अच्छी तरह धो लेना चाहिए। लेकिन बारिश में इस पर अधिक ध्यान देने की जरूरत होती है। फल और सब्जियां के माध्यम से बैक्टीरिया घर तक पहुंच जाते हैं। अगर उन्हें अच्छे से साफ नहीं करते हैं तो उनका शरीर में जाने का खतरा बना रहता है और वह आपको बीमार बना सकते हैं।

बाहर का खाना करें मना

 उन्होने कहा कि व्यक्ति की सेहत उसके खाने पर ही निर्भर करती है। वह जैसा खाता है, वैसी ही उसकी सेहत रहती है। बारिश के दौरान देर तक कटे हुए और रखे हुए फल व सब्जियां खाने से बचने की भी सलाह दी जाती है। मानसून के दौरान घर का बना खाना खाएं। अगर बारिश के मौसम में पकौड़ी खाने का मन है तो बाहर की बजाय घर में ही बनाकर खाएं। इस दौरान इम्यूनिटी बढ़ाने वाले फल और सब्जियां जैसे कद्दू, ब्रोकली, पालक, मकई, बैंगन, सेब, तोराई, लौकी, चुकंदर, आम, शरीफा इत्यादि हैं। 

शरीर को हाइड्रेटेड रखें

 डॉ सिंह ने कहा कि शरीर को हाइड्रेटेड रखना स्वास्थ्य के लिए हमेशा फायदेमंद रहता है। इसलिए बारिश के मौसम में भी ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं। इससे स्वस्थ महसूस करेंगे और बीमारी होने का खतरा भी कम हो जाएगा। वजन घटाने के साथ ही हाइड्रेटेड रहने से कीटाणुओं और संक्रमण से लड़ने में मदद मिलती है।

पर्याप्त नींद लें

 पर्याप्त नींद लेना हर किसी के लिए जरूरी होता है। अच्छी नींद नहीं लेने से इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है और बीमारियां होने का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए कम से कम 7 से 8 घंटे की गहरी नींद जरूर लें। कोशिश करें रात में एक साथ ही पर्याप्त नींद लें। दिन में सोने से बचें। इससे स्वस्थ महसूस करेंगे। पूरी नींद नहीं लेने से शरीर में कमजोरी बनती है। इससे संक्रमण और वायरल बुखार होने का खतरा बढ़ सकता है।

डॉ सिंह ने कहा कि गंदगी में जाने से बचें, मच्छर अधिक हों तो उन्हें भगाने के उपाय करें, किसी को अगर वायरल है तो उससे दूर रहें, आदि। इन सभी तरीकों से बारिश के मौसम में स्वस्थ व ऊर्जावान रहा जा सकता है। किसी अन्य प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी परामर्श के लिए नजदीकि चिकित्सालय में डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

सरैया के अजीमुद्दीन पहलवान नये सरदार और महतो बने बेलाल अहमद




Varanasi (dil india live). सरैयां में बुनकर बिरादराना तंज़ीम बाईसी के सरदार हाजी हाफिज मोईनुद्दीन के हाथो नये सरदार और महतो की दस्तार बंदी हुयी। इस मौके पर पार्षद हाजी ओकास अंसारी ने बताया की इस मोहल्ले में सरदार और महतो का पद ख़ाली था जिसमें बाईसी के सरदार हाजी मोईनुद्दीन साहब ने सरदार की जिम्मेदारी अजीमुद्दीन उर्फ़ पहलवान और महतो की जिम्मेदारी बेलाल अहमद को दी। दोनों के सिर पर दस्तार का ताज सजाया गया। इस मौके पर बाईसी के सरदार हाजी मोईनुद्दीन ने कहा की सरदार और महतो की जिम्मेदारी काँटों भरा ताज होता है। जिसमें बहुत ही सोच समझ कर सभी फैसले लेने होते है। इसमें चाहे कोई अपना हो या परया सभी के साथ इंसाफ होना चाहिए। किसी के साथ भेद भाव नहीं होना चाहिए। इस मौके पर मैं आप लोगो से जरूर कहूँगा की बच्चों को ज्यादा से ज्यादा तालीम दीजिये। क्यूं की बच्चे ही हमारे भविष्य है। तक़रीर मौलाना आमिर आजम ने किया। 

इस मौके पर मौजूद सरदार गुलाम मोहम्मद दरोगा, हाजी बाबू, हाजी तुफैल, हाजी हाफिज नसीर, बाबू महतो, हाजी गुलाब, हाफिज रमजान, मौलाना यासीन, हाजी महबूब अली, हाजी हारुन, इस्तेयाक, सफीउररहमान समेत सैकड़ों लोग मौजूद थे।

फारूक अंसारी अध्यक्ष व हसीन अहमद सेक्रेटरी

मदरसा दायरतुल इस्लाह चिरागे उलूम के प्रबंध समिति  चुनाव

Varanasi (dil india live)। मदरसा दायरतुल इसलाह चिरागे उलूम रसूलपुरा वाराणसी के प्रबंध समिति का चुनाव मदरसा प्रांगण में संपन्न हुआ। जिसमे सर्वसम्मति से 17 सदस्यीय कमेटी का चुनाव हुआ।

           इस चुनाव में सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद पर मुहमाद फारूक अंसारी, हाजी हसीन अहमद को सेक्रेटरी/मैनेजर और जहांगीर को कोषाध्यक्ष के पद पर चुना गया। पदाधिकारियों सहित 17 सदस्यीय कार्यकारिणी समिति का चुनाव सकुशल संपन्न हुआ।

शनिवार, 23 जुलाई 2022

Ajay Rai को मुख्तार अंसारी से जान का खतरा

पूर्व मंत्री अजय राय की सुरक्षा की कांग्रेस ने उठाया मांग

पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट को सौंपा मांग पत्र


Varanasi (dil india live). उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग का एक प्रतिनिधि मंडल कांग्रेस विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट के नेतृत्व में पूर्व मंत्री अजय राय की सुरक्षा का मांग पत्र पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट को सौंपते हुए कहा कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश में एक ख़तरनाक अपराधी है, जिसका भय जनमानस में इतना व्याप्त है कि गवाह उसके विपक्ष में गवाही देने से मुकर जाते हैं। यहां तक कि कृष्णानंद राय हत्याकांड जो उत्तर प्रदेश का एक चर्चित हत्याकांड था जिसके सभी गवाह या पैरवी कार या तो स्वत: मर गये या मार दिए गए और मुख्तार अंसारी बरी हो गया । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कल ही मुख्तार अंसारी के ऊपर टिप्पणी करते हुए कहा है कि" लोगों के दिल व दिमाग में मुख्तार अंसारी का भय है" प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह एडवोकेट ने कहा कि ऐसे अपराधी के खिलाफ अवधेश राय हत्याकांड में अजय राय जी गवाह के साथ साथ एक मात्र पैरवी कार है साथ में मुख्तार अंसारी को यह पता है कि अजय राय को रास्ते से हटा देने पर उपरोक्त मुकदमा में कोई पैरवी करने वाला नहीं है।पूर्व विधायक अजय राय की सुरक्षा व्यवस्था केवल तारीख के दिन ही नहीं जब तक अवधेश राय हत्याकांड का मुकदमा विचाराधीन है तब तक रात दिन तत्काल प्रभाव से उनकी सुरक्षा बढ़ाई जाय। अन्यथा मुख्तार अंसारी किसी भी समय घटना घटित करा सकता है। प्रतिनिधिमंडल में कल्पना शर्मा, अशोक कुमार, परमहंस शास्त्री सिराज अहमद, संजय कुमार, अमित विश्वकर्मा, साहिल खान मुख्य थे।

व्यवहारिकता में बहुत लचीले लेकिन मूल्यों के प्रति बहुत कठोर हैं गांधी

Dr mohd arif

Varanasi (dil india live). गांधीजी एक बहुत सधे हुए क्रांतिकारी थे।  वे हर व्यक्ति के साथ अपना जुड़ाव महसूस  करते थे। सभी के लिए उनमें जुड़ाव है पर एक जगह पर आकर वे कठोर भी हैं ।जहां पर तुम उसकी आस्था बदलने की कोशिश करते हो। वहां वे बहुत कठोर है। इसी लिए आस्था बदलने के मुद्दे पर गांधी पहाड़ की तरह अडिग दिखाई देते हैं। कई लोग कहते हैं कि गांधीजी बहुत जिददी थे लेकिन जब हम इसे समझने की कोशिश करते हैं तो पता चलता हैं कि गांधी उन चीजों के लिए जिद्दी हैं जहाँ कोई उनके मूल्यों को बदलने की कोशिश करे। उन जगहों पर वे बहुत लचीले हैं जहां बात  व्यवहारिक हो। 

गांधी लोगों से केवल इस प्रकार व्यवहार नहीं करते थे कि वे किसी समुदाय के सदस्य हैं बल्कि उनके साथ काम करने वालों का यह कहना है कि  वे हर किसी से एक व्यक्ति के रूप में रिश्ता कायम करते थे। हर कोई अलग व्यक्ति है, उसकी  जरूरतें अलग हैं और वे उन जरूरतों का ख्याल रखते थे।अपने आग्रहों को छोड़ते हुए। आश्रम में रहने आये बहुत से लोगों से वे कहते थे कि तुम यह करो हालांकि आश्रम का नियम यह है और आश्रम वाले इसको कभी नहीं समझेंगे लेकिन तुम अपना ख्याल छोड़ना मत। यह जो सोच है गांधी की क़ि व्यक्ति को बुनियाद मानना यह गांधी के चिंतन की एक मजबूत बुनियाद है।

एक बार एक इंग्लैंड की ईसाई लड़की गांधीजी के अहमदाबाद आश्रम पर उनसे मिलने आई लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि गांधीजी को पुलिस गिरफ्तार करके ले गयी। गांधी जाते जाते उस लड़की से कह गए कि तुम अपना ख्याल खुद रखना। आश्रम के नियम बहुत कठोर हैं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना। गांधी, आश्रम के लोगों से भी कह गए कि ये लड़की जैसे रहना चाहे इसे रहने देना। आश्रम के नियम इस पर लागू मत करना। जब बहुत महीनों तक गांधीजी की जेल से रिहाई नहीं हुई तो उस लड़की ने गांधीजी को पत्र लिखा कि महात्मा जी मेरा दुर्भाग्य है कि मैं आपसे नहीं मिल सकी अब मैं वापस इंग्लैंड जा रही हूँ। गांधीजी ने जो जवाबी  पत्र लिखा उसमें उन्होंने लिखा कि मुझे अफसोस है कि तुमसे मेरी मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरे आश्रम से जब निकलोगी तो तुम एक बहुत अच्छे ईसाई की तरह वर्ताब व व्यवहार करोगी।तुम एक अच्छी इंसान बनकर मेरे आश्रम से निकलोगी।

गांधी खुद आधी धोती पहनते थे। ज्यादा ठंड पड़ती थी तो एक चादर ओढ़ लेते थे। लेकिन उन्होंने कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में ऐसा कोई नियम नहीं बनाया कि सभी आधी धोती पहनें। गांधी के बगल में नेहरू बैठते थे जो पायजामा और अचकन पहनते थे। उसमें गुलाब का फूल भी लगाते थे। दूसरी ओर मौलाना आजाद बैठते थे  और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के एकमात्र सदस्य थे जो गांधीजी के सामने सिगार पीते थे। गांधीजी का लचीलापन देखिए कि उनके सामने कोई सिगरेट पिये इसके लिए उसको हिम्मत की जरूरत होगी  क्योंकि वे तो मना नहीं करते।

एक बार नेहरू क्यूबा यात्रा पर गए वहां किसी ने उन्हें सिगार का पैकिट भेंट में दिया। क्यूबा की सिगार बड़ी बेशकीमती है। जब वे वहां से लौटकर आये तो वे गांधी को दिखाते हैं कि देखो बापू  मुझे क्या मिला गिफ्ट में, और उन्होंने गांधीजी को  सिगार का पैकिट दिखाया।  गांधीजी ने तुरन्त पैकिट उठा लिया और कहा कि इस पैकिट को मैं  अपने पास रख लेता हूँ  और मौलाना को दे दूंगा, उन्हें बहुत पसंद है सिगार। गांधीजी ये ध्यान रखते हैं कि ये चीज मौलाना को पसंद है।

इसी प्रकार जब सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान  सेवाग्राम आश्रम में आये तो गांधीजी ने बाजार से उनके लिए मांसाहारी भोजन मंगवाया। उन्होंने कहा कि ये आदमी रात को खाना कैसे खायेगा? इसको तो आदत है यही खाने की। जबकि आश्रम में मांसाहार वर्जित था। लेकिन सीमान्त गांधी के लिए उन्होंने इस नियम को लचीला बना दिया। व्यक्ति के बारे में कितना लचीलापन है यह समझने की जरुरत है।

महाराष्ट्र के एक बड़े नेता थे जो कांग्रेस की कमेटी में मौजूद थे। कुछ लोगों ने गांधीजी से कहा कि आपने किसको वर्किंग कमेटी में ले रखा है? ये तो शराब पीता है। तो गांधी ने पूछा कि शराब कब पीता है? रात में पीता है न। तो दिन में उससे काम लिया जा सकता है न । हर आदमी का इस्तेमाल है मेरे पास। कल को वह शराब छोड़ देगा तो मैं रात को भी उससे काम ले सकूंगा। और बड़ी जगह हो जाएगी उनके लिए।  क्योंकि वे बड़े वकील भी थे। इतना लचीलापन है उनमें।

दूसरी ओर इतनी कठोरता है कि वे अपनी बात से एक इंच भी इधर से उधर होने को तैयार नहीं। दिल्ली के अंतिम उपवास के समय जब सरदार पटेल गांधीजी से कहते हैं कि आप अपना उपवास स्थगित कर दें तो वे कहते हैं कि सरदार तुम दिल्ली की कानून व्यवस्था देखो क्योंकि ये तुम्हारी नैतिक जिम्मेदारी है। मैं वही कर रहा हूँ जो इस समय मुझ जैसे अहिंसक व्यक्ति को करना चाहिए। आमरण अनशन में मैं खुद अपनी देह दांव पर लगा रहा हूँ , यही ईश्वर की इच्छा है। 

ये सब बात समझना इसलिए जरूरी है कि इनके बिना गांधी को समझने में दिक्कत होगी। इसीलिए मैंने लिखा किगांधीजी एक बहुत सधे हुए क्रांतिकारी थे।  वे हर व्यक्ति के साथ अपना जुड़ाव महसूस  करते थे। सभी के लिए उनमें जुड़ाव है पर एक जगह पर आकर वे कठोर भी हैं ।जहां पर तुम उसकी आस्था बदलने की कोशिश करते हो। वहां वे बहुत कठोर है। इसी लिए आस्था बदलने के मुद्दे पर गांधी पहाड़ की तरह अडिग दिखाई देते हैं। कई लोग कहते हैं कि गांधीजी बहुत जिददी थे लेकिन जब हम इसे समझने की कोशिश करते हैं तो पता चलता हैं कि गांधी उन चीजों के लिए जिद्दी हैं जहाँ कोई उनके मूल्यों को बदलने की कोशिश करे। उन जगहों पर वे बहुत लचीले हैं जहां बात व्यवहारिक हो। 

(लेखक:  गांधीवादी व इतिहासकार हैं, लेखक के फेसबुक वॉल से। )

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'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते'

'बेटियां है तो घर निराला है, घर में इनसे ही तो उजाला है....' डीएवी कॉलेज में मुशायरे में शायरों ने दिया मोहब्बत का पैगाम Varanasi (d...