रविवार, 3 जुलाई 2022

हड्डियों में जकड़न और दर्द की न करें अनदेखी, हो सकता है ‘बोन टीबी’

सही समय से उपचार न होने पर अपाहिज होने का भी खतरा

सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध है मुफ्त उपचार की सुविधा

क्षय रोगी को हर माह मिलता है 500 रूपये पोषण भत्ता भी



Varanasi (dil india live). पहड़िया की रहने  वाली अर्चना (52 वर्ष) कई वर्ष से हाई शुगर से पीड़ित हैं। इधर छह माह से एक हाथ की कोहनी के पूरा न खुलने को लेकर वह परेशान थीं। उनका वह हाथ ऊपर उठाना भी मुश्किल था। पड़ोसी चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने कुछ दवाएं लिखने के साथ ही उन्हें शुगर कंट्रोल करने की सलाह दी। पर रोग कम होने की बजाय बढ़ता ही गया। जोड़ों में असह दर्द के साथ ही भूख लगना भी बंद हो गया और वजन तेजी से गिरने लगा। पं.दीन दयाल चिकित्सालय में दिखाने और वहां के चिकित्सक की  सलाह पर जब उन्होंने जांच करायी तो पता चला कि उन्हें ‘बोन टीबी’ है। कुछ ऐसा ही हुआ चौकाघाट के रहने वाले 60 वर्षीय राधेश्याम विश्वकर्मा के साथ। उन्हें भी पहले से शुगर था, दोनों घुटनों में अचानक जकड़न भी आ गयी। दर्द इतना की उनका उठना बैठना भी मुश्किल हो गया। उन्हें भी पहले यही लगा कि यह सब शुगर की वजह से है पर जब उन्होंने पं.दीन दयाल चिकित्सालय में जांच कराया तो पता चला कि उन्हें भी ‘बोन टीबी ’ है। 

यह कहानी सिर्फ अर्चना और राधेश्याम की ही नहीं ऐसे तमाम अन्य लोगों की है जो कोहनियों के न खुलने, घुटनों के न मुड़ने अथवा हड्डियों की अन्य समस्या को वह शुगर बढ़ने के कारण मान लेते हैं, जबकि ऐसे लोगों को यह समस्या ‘बोन टीबी’ के कारण भी हो सकती है। सही समय से उपचार न होने से मरीज के अपाहिज होने का खतरा रहता है। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह बताते हैं कि  वैसे तो टीबी मुख्य रूप से फेफड़ों, श्वसन तंत्र और पाचन तंत्र को प्रभावित करता है। लेकिन कुछ मामलों में यह नाखून व बालों को छोड़कर शरीर के अन्य किसी भी अंग में भी हो सकता है। हड्डियों में होने वाले टीबी को मस्कुलोस्केलेटल टीबी भी कहा जाता है। वह बताते है कि टीबी दो तरह की होती हैं। पहला पल्मोनरी टीबी और दूसरा एक्स्ट्रापल्मोनरी टीबी। जब टीबी फैलता है, तो इसे एक्स्ट्रापल्मोनरी ट्यूबरकुलोसिस (ईपीटीबी) कहा जाता है। ईपीटीबी के ही एक रूप को हड्डी व जोड़ की  टीबी के नाम से भी जाना जाता है। बोन टीबी हाथों के जोड़ों, कोहनियों और कलाई ,रीढ़ की हड्डी, पीठ को भी प्रभावित करता है। 

 बोन टीबी के कारण

किसी क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी बोन टीबी हो सकता है। टीबी हवा से माध्यम से भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। टीबी रोगी के संपर्क में आने के बाद यह फेफड़ों या लिम्फ नोड्स से रक्त के माध्यम से हड्डियों, रीढ़ या जोड़ों में जा सकता है।

 बोन टीबी के लक्षण

बोन टीबी के लक्षण शुरुआती दौर  में नजर नहीं आते हैं। शुरुआत में इसमें दर्द नहीं होता है लेकिन जब व्यक्ति इस बीमारी से पीड़ित हो जाता है, तो उसमें इसके लक्षण दिखाई देने लगते है। इनमें जोड़ों का दर्द, थकान, बुखार, रात में पसीना, भूख न लगना, वजन का कम होना आदि शामिल हैं।

 बोन टीबी का उपचार

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह कहते हैं बोन टीबी का उपचार पूरी तरह संभव है। इसका निःशुल्क उपचार किया जाता है और दवाएं भी सभी सरकारी चिकित्सालयों में मुफ्त दी जाती हैं। इतना ही नहीं निक्षय पोषण योजना के तहत पोषण के लिए पांच सौ रुपये की धनराशि प्रतिमाह मरीज के खाते में सीधे स्थानान्तरित किये जाते हैं। दवाओं, परहेज और पौष्टिक तत्वों से भरपूर संतुलित आहर लेने से बोन टीबी पूरी तरह ठीक हो जाता है।

शनिवार, 2 जुलाई 2022

बच्चों को दी स्वर्णप्राशन की निःशुल्क खुराक

भद्रासी आयुष चिकित्सालय में स्वर्णप्राशन शिविर आयोजित

बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए अभियान

Varanasi (dil india live) . बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आयुर्वेद विभाग अभियान चला रहा है। इसके तहत शनिवार को भद्रासी स्थित एकीकृत आयुर्वेद अस्पताल में स्वर्णप्राशन शिविर का आयोजन किया गया। इसमें 216 बच्चों को स्वर्णप्राशन की निःशुल्क खुराक दी गयी।

शिविर का उद्घाटन राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में प्रसूति विभाग की अध्यक्ष डा. शशि सिंह ने एक बच्चे को स्वर्णप्राशन की खुराक देकर किया। क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डा. भावना द्विवेदी ने बताया कि बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने के उद्देश्य से चलाये जा रहे अभियान के तहत हर माह स्वर्णप्राशन शिविर का आयोजन किया जाता है। शिविर में बच्चों को स्वर्णप्राशन की निःशुल्क खुराक दी जाती है। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद से जुड़े हमारे ऋषि मुनियों ने हजारों वर्ष पूर्व वायरस और बैक्टीरिया जनित बीमारियों से लड़ने के लिए एक ऐसा रसायन तैयार किया था जिसे स्वर्णप्राशन कहा जाता है। इसे शुद्ध स्वर्णभस्म के निश्चित अनुपात में गाय के घी व शहद के साथ ड्रॉप के रूप में तैयार किया जाता है। स्वर्णप्रशान बच्चों के लिए बेहद ही लाभदायक होता है। यह उनकी इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ-साथ उनकी बौद्धिक क्षमता को बढ़ाने में भी मददगार होता है।  इस बात को ध्यान में रखकर ही विभाग की ओर से आज इस शिविर का आयोजन किया गया था ताकि क्षेत्र के अधिक से अधिक बच्चे इसका लाभ उठा सकें।  शिविर में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. नरेन्द्र कुमार सिंह, डा. जितेन्द्र कुमार पाल, डा. सनातन राय, डा. आनंद कुमार यादव, डा. देवानंद पाण्डेय समेत अन्य चिकित्सक मौजूद थे। शिविर में अपने सात वर्षीय बेटे पंकज का स्वर्णप्रशन कराने आये गोविन्दपुर निवासी संतोष शर्मा ने बताया कि लगातार तीसरे माह उन्होंने बेटे का स्वर्णप्राशन कराया है। इससे उसे काफी लाभ है।

निः शुल्क दंत चिकित्सा शिविर में हुआ दवा का वितरण


Varanasi (dil india live ). बड़ी बाजार स्थित मनोमय डेंटल केयर क्लिनिक में दंत चिकित्सक डाक्टर हिना मेहरा की तरफ से निः शुल्क दंत शिविर का आयोजन किया गया।जिसमें 125 मरीजों  ने दांतों से संबंधित बीमारी का इलाज कराया, और दंत चिकित्सक ने दांतों में होने वाली सभी तरह की बीमारियों से अवगत कराया। 

इस दौरान डा हीना ने कहा की अपने दांतों का नियमित चैकप कराते रहे ताकि पायरिया, कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचा जा सके। तंबाकू गुटका, सिगरेट इत्यादि के सेवन से भी उन्होंने बचने की हिदायत दी और कहा कि इससे गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है। शिविर में सभी मरीजों को निः शुल्क दावा भी वितरित किया गया। इस अवसर पर मशहूर व्यापारी अमित कपूर मुख्य अतिथि थे।इसके अलावा द मॉडर्न पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल अबुल वफा अंसारी, क्षेत्रीय सभासद और भारी संख्या में मरीज उपस्थित थे।

Doctor's day: इनरव्हील ने किया चिकित्सकों का सम्मान

 


Varanasi (Dil India live). डॉक्टरों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने एवं डॉक्टर्स के जीवन बचाने के प्रति त्याग और समर्पण की भावना को सम्मान देने के उद्देश्य से आज सिग्नस उजाला हॉस्पिटल भेलूपुर में इनरव्हील सृष्टि के सदस्यों द्वारा डॉक्टर्स डे के शुभ अवसर पर सम्मान समारोह आयोजित किया गया।

समारोह में डॉक्टर विनीता श्रीवास्तव, डॉ प्रियरंजन MD एनेस्थेसिया, डॉ नीरज सिंह, डॉ प्रियंका एवं समस्त स्टाफ उपस्थित रहे। इनरव्हील सृष्टि की अध्यक्ष  शुभ्रा ओझा द्वारा सभी डॉक्टरों को पौधे और उपहार सप्रेम भेंट दिए गए। संस्था के पदाधिकारियों में एडिटर छवि अग्रवाल ,संयोजक संगीता सिंह, सेक्रेटरी अर्चना सिंह,आदि उपस्थित ।

शुक्रवार, 1 जुलाई 2022

bakharid 2022: त्याग और बलिदान की कहानी बकरीद



varanasi (dilindialive)। देश-दुनिया में 10 जुलाई को ईदुल अजहा यानी बकरीद का त्योहार पूरी अकीदत के साथ मनाया जाएगा। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। देर रात तक बकरो और सेवईयो की खरीदारी bakharid पर होती है। बकरीद के दिन को कुर्बानी और त्याग के दिन के रूप में याद किया जाता है। इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक, कुर्बानी का त्योहार बकरीद रमजान के दो महीने बाद आता हैं। इस्लाम धर्म में बकरीद तीन दिन होती है, आमतौर पर छोटे-बड़े जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। इस दिन जानवर को अल्लाह की राह में जहां कुर्बान कर दिया जाता हैं। वहीं काबा में ज़ायरीन हज के अरकान मुकम्मल कर रहे होते हैं। उधर बकरों की खरीद के साथ ही खोवा, सेवई, मेवा, प्याज,अदरक आदि की भी खरीदारी देर रात तक होती है, दरअसल कुर्बानी के साथ ही घरों में लज़ीज सेवईयां भी बनती है। इसकी तैयारियां ख्वातीन देर रात से ही करती हैं।

bakharid की  कहानी

बकरीद पैगम्बर हजरत इब्राहिम की सुन्नत है। एक बार खुदा ने हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए ख्वाब में हुक्म दिया कि इब्राहिम अपनी सबसे अजीज चीज़ रब के लिए कुर्बानी दें। हजरत इब्राहिम के लिए सबसे अजीज उनका बेटा हजरत इस्माइल थे, जिसकी कुर्बानी के लिए वे तैयार हो गए। उन्हे कुर्बानी के लिए ले भी गये मगर ऐन कुर्बानी से पहले रब ने हजरत इस्माईल की जगह ये कहते हुए जेबाह के लिए दुम्बा भेज दिया कि वो हज़रत इब्राहिम का इम्तेहान ले रहे थे और इम्तेहान में वो पास हो गये, तभी से कुर्बानी का पर्व मनाया जाता है।

इस साल ये है तैयारी

इस साल 10 जुलाई को पूरे देश में बकरीद का पर्व मनाया जाएगा। ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10.30 बजे तक अदा करने की तैयारी है। दुनिया भर के मुसलमान ईद की तरह कुर्बानी पर भी गरीबों का खास ख्याल रखते हैं। कुर्बानी के सामान का तीन हिस्सा बांटकर एक हिस्सा गरीबों को दिया जाता है। दो हिस्सों में एक खुद के लिए और दूसरा हिस्सा दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए रखा जाता है। मुसलमानों का विश्वास है कि पैगंबर हजरत इब्राहिम की कठिन परीक्षा ली गई। अल्लाह ने उनको अपने बेटे पैगम्बर हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने को कहा जिसमें वो पास हो गये।

बुधवार, 29 जून 2022

नहीं भुलाया जा सकता डा.अकबर की ख़िदमात

डा.अकबर अली की पहली बरसी पर पेश किया गया खिराजे अकीदत

Varanasi (dil India live). पूर्वांचल हज सेवा समिति की बैठक में पूर्वांचल हज सेवा समिति के सदर जनाब हाजी रईस अहमद एडवोकेट की सदारत मे हज कमेटी के मास्टर हज ट्रेनर एवम पूर्वांचल हज सेवा समिति के जनरल सिक्रेटरी मरहूम डॉ. अकबर अली की पहली बरसी पर खिराजे अकीदत पेश किया गया। जिसमे मरहूम डॉ. अकबर अली साहब की समाज एवम हाजियों के लिए की गई बेश कीमती खिदमात को सराहा गया और उनकी कमी को महसूस किया गया।

सभी ने दुआएं की, कि अल्लाह ताला उन्हें जन्नतुल् फिरदौस मे आला मुक़ाम अता फरमाए, करवट करवट जन्नत आता फ़रमाए और उनके घर वालों को सब्र व् तहम्मूल अता फर्माए। बैठक में हाजी ज़ुबैर, हाजी अहद, मौलाना रियाज़ कादिरी, हाजी अहमद अली, तारिक हसन बबलू, हाजी अदनान खां, साबिर अराफ़ात, मसूद अख्तर सोना, अख्तर् अली, हाजी शर्फुद्दीन, शमसुल आर्फिन, तलत् महमूद, इम्तियाज़ आदि लोग मौजूद रहे।

शनिवार, 25 जून 2022

साड़ियों पर लगाया पोषण अभियान का लोगो

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों एवं सहायिका के लिए है ये बड़ी खुशखबरी

 3636 आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों व 2918 सहायिका को मिलेगी साड़ी



Varanasi (dil india live). बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के अंतर्गत कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका के लिए खुशखबरी है। जिले के 3914 आंगनबाड़ी केंद्रों पर तैनात आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को शीघ्र ही एक जोड़ी साड़ी प्रदान की जाएगी। सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को नि:शुल्क दो-दो साड़ी मिल सके, इसके लिए शासन की ओर से आईसीडीएस विभाग को 13,146 साड़ियां उपलब्ध करा दी गई हैं। कार्यालय की ओर से अगले सप्ताह सभी विकास खंडों में वितरण के लिए साड़ी भेज दी जाएंगी। यह जानकारी जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह ने दी। 

   डीपीओ ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका को साड़ी खरीदने में किसी भी प्रकार की मुश्किल न हो, इसके लिए शासनकी ओर से बीते दिनों इनको नकद राशि की बजाय एक जोड़ी साड़ी प्रत्येक वर्ष दिये जाने के निर्देश दिये गए थे। अब तक इन्हें एक जोड़ी साड़ी खरीदने के लिए 400-400 रुपये दिए जाते थे। उन्होने बताया कि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में 3914 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें 3636 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं 2918 सहायिका की तैनाती है। अगले सप्ताह इनको साड़ियाँ वितरित की जाएंगी। 

इस बार साड़ियों की रूप रंग में परिवर्तन किया गया है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को दी जाने वाली साड़ी हल्के गुलाबी रंग की है जबकि सहायिका के लिए पीले रंग की साड़ी दी जा रही है। साड़ियों के किनारी पर पोषण अभियान का लोगो लगाया गया है। कार्यालय के अनुसार संबंधित बाल विकास परियोजना अधिकारियों (सीडीपीओ) को निर्देशित किया गया है कि शीघ्र ही कार्यकर्ताओं में साड़ी का वितरण कर दिया जाए। इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही न की जाए। डीपीओ ने कहा कि आंगनबाड़ी केंद्रों से संचालित योजनाओं का पात्रों को समुचित लाभ मिल सके, इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।

Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...