रविवार, 10 अप्रैल 2022

गर्भवती की करें खास देखभाल ताकि जच्चा-बच्चा बनें खुशहाल

राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस (11 अप्रैल) पर विशेष

प्रसव पूर्व जरूरी जांच कराएं, खुद के साथ गर्भस्थ को सुरक्षित बनाएं 

० पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत तीन किश्तों में 5000 रुपये पाएँ 

० जननी सुरक्षा योजना व मुफ्त एम्बुलेंस की सुविधा का भी लाभ उठाएं 

 वाराणसी 10 अप्रैल (dil India live ) मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने पर सरकार व स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है। इसके तहत हर जरूरी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने की हरसंभव कोशिश की जा रही है ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाया जा सके। समुदाय में इस बारे में पर्याप्त जागरूकता लाने और इसके लिए मौजूद हर सुविधाओं का लाभ उठाने के बारे में जागरूकता के लिए ही हर साल 11 अप्रैल को सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी *मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने दी। 

    डॉ संदीप चौधरी का कहना है कि गर्भवती की प्रसव पूर्व मुफ्त जांच के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत हर माह की नौ तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर विशेष आयोजन होता है। जहाँ एमबीबीएस चिकित्सक द्वारा गर्भवती की सम्पूर्ण जांच नि:शुल्क की जाती है और कोई जटिलता नजर आती है तो उन महिलाओं को चिन्हित कर उन पर खास नजर रखी जाती है, ताकि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाया जा सके। 

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ एके मौर्य ने बताया कि पहली बार गर्भवती होने पर प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत सही पोषण और उचित स्वास्थ्य देखभाल के लिए तीन किश्तों में 5000 रूपये दिए जाते हैं । इसके अलावा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना है, जिसके तहत सरकारी अस्पतालों में प्रसव कराने पर ग्रामीण महिलाओं को 1400 रूपये और शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रूपये दिए जाते हैं । प्रसव के तुरंत बाद बच्चे की उचित देखभाल के लिए जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम है तो यदि किसी कारणवश मां की प्रसव के दौरान मृत्यु हो जाती है तो मातृ मृत्यु की समीक्षा भी होती है । सुरक्षित प्रसव के लिए समय से घर से अस्पताल पहुँचाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की सेवा भी उपलब्ध है । 

० जटिलता वाली गर्भवती (एचआरपी) की पहचान 

० दो या उससे अधिक बार बच्चा गिर गया हो या एबार्शन हुआ हो 

० बच्चे की पेट में मृत्यु हो गयी हो या पैदा होते ही मृत्यु हो गयी हो 

० कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो 

० प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्तस्राव हुआ हो 

पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो।

 गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो 

० हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या मधुमेह (डायबीटीज) 

० दिल या गुर्दे की बीमारी , टीबी या मिर्गी की बीमारी 

पीलिया, लीवर की बीमारी या हाईपोथायराइड 

वर्तमान गर्भावस्था में यह दिक्कत तो नहीं

० गंभीर एनीमिया- सात ग्राम से कम हीमोग्लोबिन 

० ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक 

० गर्भ में आड़ा/तिरछा या उल्टा बच्चा 

० चौथे महीने के बाद खून जाना 

० गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना 

० एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना  

क्या कहते हैं विशेषज्ञ 

स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका राय* का कहना है कि जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने के लिए सरकार द्वारा कई योजनायें चल रहीं हैं । इनका प्रचार-प्रसार भी किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकें । आशा कार्यकर्ता इसमें अहम् भूमिका निभा रहीं हैं । उनका कहना है कि मां-बच्चे को सुरक्षित करने का पहला कदम यही होना चाहिए कि गर्भावस्था के तीसरे-चौथे महीने में प्रशिक्षित चिकित्सक से जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि किसी भी जटिलता का पता चलते ही उसके समाधान का प्रयास किया जा सके । इसके साथ ही गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखे और खाने में हरी साग-सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करे, आयरन और कैल्शियम की गोलियों का सेवन चिकित्सक के बताये अनुसार करे । प्रसव का समय नजदीक आने पर सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल का चयन कर लेना चाहिए और मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एम्बुलेंस का नम्बर याद रखना चाहिए । समय का प्रबन्धन भी अहम् होता है क्योंकि  एम्बुलेंस को सूचित करने में विलम्ब करने और अस्पताल पहुँचने में देरी से खतरा बढ़ सकता  है।  

गर्भावस्था की सच्ची सहेली बनीं आशा

  आशा कार्यकर्ता गर्भ का पता चलते ही गर्भवती का स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराने के साथ ही इस दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में जागरूक करने में सच्ची सहेली की भूमिका अदा करती हैं । इसके साथ ही प्रसव पूर्व जरूरी जांच कराने में मदद करती हैं । संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित करतीं हैं और प्रसव के लिए साथ में अस्पताल तक महिला का साथ निभाती हैं ।

खजूर की डालियों संग मसीही समुदाय ने निकाला जुलूस

महागिरजा समेत चर्चेज में येरुसलम की घटना का हुआ जिक्र

वाराणसी १० अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। ईसाई समाज ने प्रभु यीशु के यरुसलम में आने की खुशी में रविवार को खजूर इतवार मनाया। इस मौके पर गिरजाघरों को खजूर की पत्तियों से सजाया गया था। साथ ही विशेष प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में मसीही समुदाय के लोगो ने शिरकत की। आयोजन के दौरान महागिरजा समेत चर्चेज में येरुसलम की उस घटना का जिक्र जब प्रभु यीशु यरुशलम में राजाओं की तरह प्रवेश किया था।

इस दौरान सेंट मेरीज महागिरजा में बिशप यूजीन जोसेफ की अगुवाई में जुलूस निकाला गया तो फादर विजय शांति राज के संयोजन में प्रार्थना सभा हुई। ऐसे ही लाल गिरजा से पादरी संजय दान, चर्च आफ बनारस में पादरी बेन जान, राम कटोरा चर्च में पादरी आदित्य कुमार, ईसीआई चर्च में पादरी दशरथ पवार, पादरी नवीन ज्वाय, सेंट पाल चर्च में पादरी सैम जोशुआ, सेंट थॉमस चर्च में पादरी न्यूटन स्टीवन्स व विजेता प्रेयर मिनीस्ट्रीज में पादरी ने अजय कुमार पास्टर एसपी सिंह ने आराधना कराया। ऐसे ही बनारस और आसपास के तमाम गिरजाघरों में खजूर की डालियों संग जुलूस निकाला गया। मसीही विश्वासी खजूर की डालियां लेकर चर्च जायें और धार्मिक अनुष्ठान में शामिल हुए। संडे को जुलूस सम्पन्न होने के साथ ही सोमवार से दुःख भोग सप्ताह की शुरुआत होगी। कोविड काल के बाद पहली बार यह पर्व जोश और उत्साह से मनाया गया।

दरअसल खजूर इतवार प्रभु यीशु के यरुशलम में प्रवेश करने की खुशी में मनाया जाता है। उस दौर में येरुशलम के लोगों ने उनका स्वागत खजूर की डालियां लहरा कर राजा की तरह किया था। उनकी इसी याद के रूप में पाम संडे मनाया जाता है। अब 14 अप्रैल को पवित्र गुरुवार होगा तो 15 अप्रैल को गुड फ्रायडे मनाया जाएगा। 17 को प्रभु यीशु मसीह के जी उठने की खुशी में ईस्टर मनेगा।


हज़रत अली के घर रमज़ान


हजरत अली के घर में सबने रोजा रखा। हजरत फातिमा ने भी रोजा रखा, दो बच्चे है उनके अभी छोटे है पर रोजा रखा हुआ है। मगरिब का वक़्त होने वाला है, इफ्तारी का वक़्त होने वाला है, सबके सब मुसल्ला बिछा कर रो-रोकर दुआ मांगते हैं। हजरत फातिमा दुआ खत्म करके घर में गयी और चार (4) रोटी बनाई, इससे ज्यादा उनके घर में अनाज नही है। हजरत फातिमा चार रोटी लाती है। पहली रोटी अपने शौहर अली के सामने रख दी! दूसरी रोटी अपने बड़े बेटे हसन के सामने! तीसरी रोटी छोटे बेटे हुसैन के सामने रख दी! ओर एक रोटी खुद रख ली। 

मस्जिद-ए-नबवी में आजान हो गयी, सबने रोजा खोला, सबने रोटी खाई। मगर दोस्तो...अल्लाह की कसम वो फातिमा थी जिसने आधी रोटी खाई ओर आधी रोटी को दुपट्टे से बांधना शुरू कर दिया। ये मामला हजरत अली ने देखा और कहा के फातिमा तुझे भूख नही लगी, एक ही तो रोटी है उसमे से आधी रोटी दुपट्टे में बांध रही हो? फातिमा ने कहा!! ऐ अली हो सकता है मेरे बाबा जान(नबी पाक)को इफ्तारी में कुछ ना मिला हो, वो बेटी कैसे खायगी जिसके बाप ने कुछ खाया नही होगा?

फातिमा दुपट्टे में रोटी बांध कर चल पड़ी है उधर हमारे नबी मगरिब की नमाज़ पढ़ा कर आ रहे हैं हजरत फातिमा दरवाजे पर है देखकर हुजूर कहते हैं ऐ फातिमा तुम दरवाजे पर कैसे, फातिमा ने कहा ए अल्लाह के रसूल मुझे अंदर तो लेके चले। हजरत फातिमा की आंखों में आंसू थे, कहा जब इफ्तार की रोटी खाई तो आपकी याद आ गयी कि शायद आपने खाया नही होगा इसलिए आधी रोटी दुपट्टे से बांध कर लाई हूँ।

रोटी देखकर हमारे नबी की आंखों में आंसू आ गए और कहा, ए फातिमा अच्छा किया जो रोटी ले आई वरना चौथी रात भी तेरे बाबा की इसी हालात में निकल जाती। दोनों एक दूसरे को देखकर रोने लगते हैं। अल्लाह के रसूल ने रोटी मांगी, फातिमा ने कहा बाबा जान आज अपने हाथों से रोटी खिलाऊंगी ओर चौडे चोड़े टुकड़े किये और हुजूर को खिलाने लगी। रोटी खत्म हो गयी और हजरत फातिमा रोने लगती है। हुजूर पाक ने देखा और कहा के फातिमा अब क्यों रोती हो?कहा अब्बा जान कल क्या होगा? कल कोन खिलाने आयगा? कल क्या मेरे घर मे चुहला जलेगा ? कल क्या आपके घर में चुहला जलेगा? नबी ने अपना प्यारा हाथ फातिमा के सर पर रखा और कहा कि फातिमा तू भी सब्र करले ओर मैं भी सब्र करता हूँ। हमारे सब्र से अल्लाह उम्मत के गुनाहगारों के गुनाह माफ करेगा! अल्लाहु अकबर ये होती है मोहब्बत जो नबी को हमसे थी, उम्मत से थी। ये गुनाहगार उम्मती हम ही है जिनके लिए हमारे नबी भूखे रहे, नबी की बेटी भूखी रही! और आज हमलोग क्या कर रहे हैं, उनके लिए। कल कयामत के दिन मैं ओर आप क्या जवाब देंगे?

सोशल मीडिया 

होम्योपैथी सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक

 विश्व होम्योपैथी दिवस (10 अप्रैल) पर विशेष

भारत होम्योपैथी के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश

इस वर्ष की थीम - "पीपुल्स चॉइस ऑफ वेलनेस"

रोगों को जड़ से दूर करती है, दवाओं का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं


वाराणसी १० अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। होम्योपैथी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसकी पहुंच में सुधार लाने के उद्देश्य से हर साल 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. क्रिश्चियन फ्रेडरिक सैमुअल हैनीमैन के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

*जिला होम्योपैथिक अधिकारी डॉ रचना श्रीवास्तव* ने बताया कि होम्योपैथी के संस्थापक डॉ. हैनीमैन के 267वें जन्मदिवस पर विश्व होम्योपैथी दिवस 2022 की थीम "पीपुल्स चॉइस ऑफ वेलनेस" निर्धारित की गई है। होम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली का मानना है कि शरीर अपने आप ठीक हो सकता है। होम्योपैथी दवा पौधों और खनिजों जैसे प्राकृतिक पदार्थों से बनी होती है, क्योंकि इसमें हीलिंग गुण होते हैं। इस दिवस पर, विभिन्न प्रकार के सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं जिसमें होम्योपैथी के बारे में बेहतर जागरूकता पैदा करना, इसकी पहुंच में सुधार करना और चिकित्सा प्रणाली को आधुनिक बनाना है।

*डॉ श्रीवास्तव* ने बताया कि होम्योपैथी यूनानी शब्द होमो से आया है जिसका अर्थ है समान और पैथोस जिसका अर्थ है दुःख या बीमारी। होम्योपैथी आज दुनिया में सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक उपचारों में से एक है। भारत में होम्योपैथी सबसे लोकप्रिय चिकित्सा प्रणालियों में से एक है। भारत विश्व स्तर पर सबसे बड़े होम्योपैथिक दवा निर्माताओं और व्यापारियों में से एक है। होम्योपैथी चिंतित और उदास रोगी को ठीक कर सकती है लेकिन रोगी आक्रामक हो जाता है, क्योंकि इसमें धीरे-धीरे सुधार होता है। व्यक्ति को विभिन्न खाद्य विकल्पों का पालन करना चाहिए और दवा लेने के लिए मानसिक स्थिरता होनी चाहिए। होम्योपैथिक दवा लेने से व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार होता है। इस दिवस को मनाने का एक और लाभ यह है कि बीमारियों को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक दवा के लाभों के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक किया जा रहा है। 

होम्योपैथी विभाग के वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ मनीष त्रिपाठी ने बताया कि एलोपैथ, आयुर्वेद तथा प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों की भांति होम्योपैथी की भी कुछ अलग विशेषताएं हैं और इन्हीं विशेषताओं के कारण आज होम्योपैथी विश्वभर में सौ से भी अधिक देशों में अपनाई जा रही है। भारत होम्योपैथी के क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश है। होम्योपैथी दवाओं को विभिन्न संक्रमित और गैर संक्रमित बीमारियों के अलावा बच्चों और महिलाओं की बीमारियों में भी विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है। हालांकि होम्योपैथिक दवाओं के बारे में धारणा है कि इन दवाओं का असर रोगी पर धीरे-धीरे होता है लेकिन इस चिकित्सा प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता यही है कि यह रोगों को जड़ से दूर करती है और इन दवाओं के साइड इफेक्ट भी नहीं के बराबर होते हैं। इसके साथ ही यह चिकित्सा प्रणाली बेहद सरल, सस्ती व सुलभ है जिसको सरकार भी निरंतर बढ़ावा दे रही है। 

डॉ त्रिपाठी ने बताया कि होम्योपैथी दवाएं प्रत्येक व्यक्ति पर अलग तरीके से काम करती है और अलग-अलग व्यक्तियों पर इनका असर भी अलग ही होता है। होम्योपैथी चिकित्सकों की मानें तो डायरिया, सर्दी-जुकाम, बुखार जैसी बीमारियों में होम्योपैथी दवाएं एलोपैथी दवाओं की ही भांति तीव्रता से काम करती हैं लेकिन अस्थमा, गठिया, त्वचा रोगों इत्यादि को ठीक करने में ये दवाएं काफी समय तो लेती हैं लेकिन इन रोगों को जड़ से खत्म कर देती हैं। विभिन्न शोधों के अनुसार कार्डियोवैस्कुलर बीमारी की रोकथाम, मैमोरी पावर बढ़ाने, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने तथा ऐसी ही कुछ अन्य बीमारियों में होम्योपैथी दवाएं अन्य दवाओं की तुलना में ज्यादा कारगर होती हैं। 

यहाँ होंगे जन जागरूकता कार्यक्रम - जिला होम्योपैथिक अधिकारी डॉ रचना श्रीवास्तव ने बताया कि रविवार (10 अप्रैल) को जिला होम्योपैथिक अधिकारी कार्यालय, शिवपुर सीएचसी कैंपस में जन जागरूकता कार्यक्रम किया जाएगा । वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी व आरोग्य भारती, काशी प्रांत के संगठन सचीव डॉ मनीष त्रिपाठी ने बताया कि आरोग्य भारती, काशी प्रांत द्वारा विश्व होम्योपैथिक दिवस का कार्यक्रम द्रव्यगुण विभाग सभागार, आयुर्वेद संकाय, आईएमएस, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी में किया जाएगा। दोनों ही कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि के रूप में आयुष राज्यमंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ होंगे ।

इस तालाब पर तो किसी की नज़र ही नहीं है

गंदगी, कचरे से भरा है राजातालाब का ऐतिहासिक संगम तालाब

वाराणसी १०अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। आज जहां जल जीवन हरियाली को लेकर लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर तालाब का निर्माण, पुराने तालाबों का जीर्णोद्धार और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तालाबों से अतिक्रमण हटाने में पूरा प्रशासनिक अमला जुटा है वहीं राजातालाब तहसील और आराजी लाईन ब्लाक मुख्यालय स्थित कचनार गाँव का ऐतिहासिक संगम तालाब अधिकारियों और जनप्रतिनीधियों की उपेक्षा से गंदे नाले में तब्दील हो गया है। लोगों का कहना है कि एक दशक पहले मनरेगा योजना से नाम मात्र भर इसकी सफाई कराई गई थी लेकिन तालाब के जीर्णोद्धार के लिए कभी कारगर प्रयास नहीं किए गए। अभी स्थिति यह है कि सरकारी अनदेखी के कारण इन दिनों तालाब को जलकुंभी के बढ़ते जंगलों ने पूरी तरह अपने आगोश में ले लिया है। इससे जलस्तर घटने के साथ पानी दुर्गंध युक्त और विषाक्त हो चला है। पूरा तालाब कूड़े-कचरे से पट गया है। इसके आसपास रोज हो रहे अतिक्रमण और बढ़ते प्रदूषण से क्षेत्रवासी बेहद चिंतित हैं। एक समय था जब इस तालाब पर राजातालाब वासी गर्व करते थे और आज इसकी दुर्दशा को देखकर सभी का मन व्यथित है। जानकार बताते हैं कि तीन दशक पहले तक इस तालाब में घंटों नहाना, कपड़े धोना, पशुओं को पानी पिलाना और तालाब के महार पर घूमने जाना लोगों की आदतों में शुमार था। यहां तक कि इस तालाब के पानी का उपयोग प्रमुख मंदिरों में होता था। आज स्थिति ठीक इसके विपरीत है। अब लोग पानी को हाथ में लेना भी पसंद नहीं करते हैं। इस तालाब में बाजार का अधिकांश कूड़ा-कचरा बेरोकटोक फेंका जा रहा है। तालाब के आस पास अतिक्रमित घरों का गंदा पानी इसी में बहाया जा रहा है। तालाब के किनारे शौच करना और गंदगी के ढेर पर सुअरों का जमावड़ा तालाब की दुर्दशा की सच्चाई है। सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता ने बताया कि उक्त तालाब के जिर्णोद्धार के लिए कई बार ज़िम्मेदार लोगों से बात कई ग गई मगर हुआ कुछ भी नहीं।


उत्कृष्ट कार्य के लिए डाककर्मियों को मिला 'डाक सेवा अवार्ड'

सम्पूर्ण महिला डाकघर, वाराणसी सिटी की पोस्टमास्टर सी. अनीथा 'डाक सेवा अवार्ड' से सम्मानित


लखनऊ (दिल इंडिया लाइव)। सिटी महिला डाकघर की पोस्टमास्टर श्रीमती सी. अनीथा को 'डाक सेवा अवार्ड' से सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री कौशलेंद्र कुमार सिन्हा ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्कृष्ट महिला कर्मचारी संवर्ग में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने श्रीमती सी. अनीथा को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि सामान्य डाक सेवाओं के अलावा सिटी डाकघर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रसाद के लिए भी नोडल ऑफिस है, जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई। गौरतलब है कि 'डाक सेवा अवार्ड' परिमंडलीय स्तर पर डाककर्मियों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। उत्तर प्रदेश डाक परिमंडल में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले डाककर्मियों को इस वर्ष वैयक्तिक श्रेणी में 7 और समूह श्रेणी में 3 अवार्ड सहित कुल 10 डाक सेवा अवार्ड दिए गए। इनमें वैयक्तिक श्रेणी में वाराणसी परिक्षेत्र को दो अवार्ड प्राप्त हुए।    

वाराणसी परिक्षेत्र के अधीन वाराणसी सिटी महिला डाकघर की पोस्टमास्टर श्रीमती सी. अनीथा को उत्कृष्ट महिला कर्मचारी संवर्ग और बलिया में  कसौंदर ब्रांच पोस्ट ऑफिस के पोस्टमास्टर श्री अरविन्द कुमार सिंह को ग्रामीण डाक सेवक संवर्ग में डाक सेवा अवार्ड से सम्मानित किया। पोस्टमैन और एमटीएस संवर्ग में श्री तेज बहादुर, पोस्टमैन प्रधान डाकघर प्रयागराज, डाक सहायक संवर्ग में श्री शरद यादव, डाक निरीक्षक और सहायक अधीक्षक संवर्ग में श्री नेत्रपाल सिंह, उत्तरी उपमंडल, आगरा मंडल,  समूह क और ख संवर्ग में श्री संजीव कुमार जैन, डाक अधीक्षक हरदोई मंडल, तकनीकी  संवर्ग में श्री राकेश कुमार शर्मा, वरिष्ठ लेखाकार कार्यालय डाक लेखा, महाप्रबंधक लखनऊ  को डाक सेवा अवार्ड प्रदान किया गया। इसी क्रम में स्वच्छतम डाक घर की श्रेणी में बरेली, स्वच्छतम रेल डाक सेवा ऑफिस की श्रेणी में झांसी और स्वच्छतम स्पीड पोस्ट सेंटर श्रेणी में नेशनल सॉर्टिंग हब आगरा को डाक सेवा अवार्ड से सम्मानित किया गया।

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

Palm Sunday कल, खजूर की डालियों संग मसीही निकालेंगे जुलूस


वाराणसी ०९ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव) । प्रभु ईसा मसीह के दुःख भोग सप्ताह की शुरुआत सोमवार ११ अप्रैल से हो जाएगा। १० अप्रैल को खजूर रविवार मसीही मनायेंगे। खजूर रविवार के साथ ही इसाई धर्मावलंबियों का यह पर्व गुड फ्राइडे व ईस्टर तक मसीही घरों व गिरजाघरों में हर दिन लगातार मनाया जाएगा।

सेंट मेरीज महागिरजा, लाल गिरजा, चर्च आफ बनारस, राम कटोरा चर्च, ईसीआई चर्च, सेंट पाल चर्च, सेंट थॉमस चर्च व तेलियाबाग समेत बनारस और आसपास के तमाम गिरजाघरों में खजूर की डालियों संग कल जुलूस निकाला जाएगा। मसीही विश्वासी खजूर की डालियां लेकर चर्च जायेंगे और धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होंगें। संडे को जहां जुलूस निकाला जाएगा वहीं सोमवार से दुःख भोग सप्ताह की शुरुआत होगी। कोविड काल के बाद पहली बार यह पर्व जोश और उत्साह से मनाया जाएगा।


मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...