शनिवार, 29 जनवरी 2022

अब दो अंकों में सिमट चुकी है कुष्ठ रोगियों की संख्या

 अंतर्राष्ट्रीय कुष्ठ रोकथाम दिवस (30 जनवरी) पर विशेष

घर-घर खोजने पर मिले सिर्फ 26 नये कुष्ठ रोगी 

जिले में नये-पुराने कुष्ठ रोगियों की कुल संख्या महज 79 

वाराणसी 29 जनवरी (dil india live)। जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या दो अंकों में सिमट चुकी है। कुष्ठ रोगियों को घर-घर खोजने के लिए पूरे देश भर चले अभियान में भी महज 26 नये कुष्ठ रोगी मिले हैं। नये और पुराने कुष्ठ रोगियों की संख्या भी अब सिर्फ 79 रह गयी है। इसे एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

कुष्ठ रोग से मुक्ति के लिए समय पर इलाज कराना जरूरी है। कुष्ठ रोग के उन्मूलन एवं रोगियों से भेदभाव को समाप्त करने के लिए हर साल कुष्ठ रोकथाम दिवस राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि (30 जनवरी) पर मनाया जाता है। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. राहुल सिंह ने बताया कि वर्ष 2016-17 में जिले में कुष्ठ रोगियों की संख्या 303 थी। वर्ष 2017-18 में यह घटकर 226 हो गयी। वर्ष 2018-19 में 133 और वर्ष 2019-20 में 128 कुष्ठ रहे। वर्ष 2020-21 में यह संख्या सिमट कर महज 79 हो गयी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में अप्रैल से दिसंबर तक चले इस अभियान में 26 नये कुष्ठ रोगी मिले। इसमें विद्यापीठ ब्लाक में सात, चिरईगांव में चार, आराजी लाइन में तीन, सेवापुरी में पांच, हरहुआ में एक बड़ागांव में तीन, पिण्डरा में दो और शहरी क्षेत्र में एक नया कुष्ठ रोगी मिला। चोलापुर ब्लाक में एक भी नया कुष्ठ रोगी नहीं पाया गया।

बताते हैं कि कभी कुष्ठ को लाइलाज रोग माना जाता था। इसके रोगियों को लोग अछूत मानते हुए उनसे दूरी बना लेते थे। यहां तक कि कुष्ठ रोगियों को घर-परिवार से दूर कर उन्हें असहाय हालत में छोड़ दिया जाता था। इस गंभीर समस्या को देखते हुए ही सरकार ने इस रोग के खिलाफ अभियान चलाया। नतीजा रहा कि वर्ष 2005 में कुष्ठ रोग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया, लेकिन सरकार ने इस रोग से अपनी लड़ाई निरंतर जारी रखी। कुष्ठ के रोकथाम व नियंत्रण के लिए सरकार ने इसके रोगियों को खोजने के लिए अभियान शुरू किया। घर-घर कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए 86 टीमों ने जिले में सभी ऐसे क्षेत्रों में सर्वे शुरू किया गया ।  जहां इस रोग के मरीजों के पाये जाने की संभावना थी। 

शून्य हुआ बाल एवं दिव्यांग कुष्ठ रोगियों का प्रतिशत

 कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम में जिले को महत्वपूर्ण सफलता हासिल हुई है। वर्ष 2013-14 में बाल कुष्ठ रोगियों का प्रतिशत 4.17 था जो अब 2020-21 में शून्य हो चुका है । इसी तरह वर्ष 2013-14 में दिव्यांग कुष्ठ रोगियों का प्रतिशत 3.30 था, यह भी अब शून्य हो चला है। मतलब साफ है की नये कुष्ठ रोगियों में बाल एवं दिव्यांग कुष्ठ रोगी शून्य है।

कुष्ठ रोगियों को मिलती है आर्थिक सहायता

 जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह ने बताया कि द्वियांग कुष्ठ रोगियों को भरण-पोषण के लिए सरकार की ओर से हर माह 25 सौ रुपये की आर्थिक सहायता दी जाती है। दिव्यांग कुष्ठ रोगियों को यह सहायता आजीवन प्रदान की जाती है। जिले में 128 द्वियांग कुष्ठ रोगियों को यह सहायता प्रदान की जाती है।

क्या है कुष्ठ रोग

 जिला कुष्ठ रोग अधिकारी बताते हैं कि अन्य रोगों की तरह कुष्ठ रोग भी एक प्रकार के सुक्ष्म कीटाणु से होता है। इसके रोगी की त्वचा पर हल्के पीले, लाल अथवा तांबे के रंग के धब्बे हो जाते है। इसके साथ ही उस स्थान पर सुन्नपन होना, बाल का न होना, हाथ-पैर में झनझनाहट आदि कुष्ठ रोग के लक्षण  हो सकते हैं।

होती है मुफ्त जांच व उपचार 

 डॉ. राहुल सिंह कहते हैं कि कुष्ठ रोग अब असाध्य नहीं रहा। इससे भयभीत होने की जरूरत नहीं। प्रारम्भिक अवस्था में उपचार से ही इसके रोगी ठीक हो जाते है और उनमें दिव्यांगता  नहीं हो पाती। वह बताते हैं  कि सभी सरकारी अस्पतालों, स्वास्थ्य केन्द्रों में इसके जांच व उपचार की मुफ्त व्यवस्था है। इसके उपचार में यदि कहीं किसी को दिक्कत आ रही हों तो वह उनसे सीधे भी सम्पर्क कर सकता है। उन्होने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के कमरा नम्बर- 321 में प्रत्येक कार्यदिवस प्रातः 10 बजे से दोपहर दो  बजे तक निःशुल्क ओपीडी की जाती है। 

कुष्ठ रोग को हराने में रोल मॉडल बना काशी

कुष्ठ रोग को हराने में काशी रोल मॉडल बन चुका है। जिला कुष्ठ रोग अधिकारी राहुल सिंह बताते हैं कि सरकार ने वर्ष 2016 में कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए अभियान शुरू किया था। उस समय  सर्वे के दौरान चिरर्इगांव-कमौली के 42 घरों वाले पुरवे में 27 नये रोगी मिले। एक ही स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में कुष्ठ रोगियों का मिलना एक चुनौती भी थी। तब हमने कुष्ठ रोगियों का उपचार शुरू करने के साथ ही एक नया प्रयोग भी किया। रोगी को कुष्ठ रोग की दवा खिलाने के साथ ही उसके परिवार और आस-पास  के घरों में तपेदिक (टीबी) के  उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा की सिंगल खुराक दी। इसके सार्थक परिणाम आये। परिवार और पड़ोसियों का भी संक्रमित होना बंद हो गया। इस प्रयोग को पूरे जिले में उन सभी जगहों पर किया गया जहां-जहां सर्वे के दौरान कुष्ठ रोगियों का पता चलता था। नतीजा हुआ कि कुष्ठ रोग का संक्रमण पूरी तरह रुक गया। डा. राहुल सिंह बताते हैं कि काशी में हुए इस नव प्रयोग की प्रदेश भर में जमकर सराहना हुर्इ और और उप महानिदेशक (कुष्ठ) डा. अनिल कुमार ने अक्टूबर 2018 में इसे पूरे प्रदेश में लागू करने का निर्देश दिया। अब बनारस ही नहीं पूरे प्रदेश में कुष्ठ के संक्रमण को रोकने के लिए इस मॉडल पर काम चल  रहा है।

गुरुवार, 27 जनवरी 2022

एनसीसी कैडेटों ने दी परेड की सलामी

डी.ए.वी में मनाया गया 73 वाँ गणतंत्र दिवस



वाराणसी, 26 जनवरी (dil india live)। डी.ए.वी. पी.जी. काॅलेज में बुधवार को 73 वाँ गणतंत्र दिवस समारोह बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रातःकाल महाविद्यालय के पी.एन. सिंह क्रीड़ा प्रांगण में प्राचार्य डाॅ. सत्यदेव सिंह एवं मंत्री/प्रबन्धक अजीत कुमार सिंह यादव ने ध्वजारोहण किया। राष्ट्रगान के उपरान्त महाविद्यालय के एन.सी.सी. प्रभारी कैप्टन डाॅ. सत्यगोपाल के नेतृत्व में प्राचार्य को परेड की सलामी दी गई। परेड में एनसीसी कैडेटों ने मार्चपास्ट कर कदम से कदम मिलाकर सलामी दी। इस अवसर पर महाविद्यालय के समस्त अध्यापक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

ऐसे ही डीएवी इंटर कॉलेज में 73 वें गणतंत्र दिवस की धूम रही। डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह, प्रबंधक अजीत कुमार सिंह यादव, प्रधानाचार्य डॉ. दयाशंकर मिश्र ने ध्वजारोहण किया। इस अवसर पर एनसीसी प्रभारी नरेंद्र कुमार सिंह के नेतृत्व में एनसीसी कैडेटों ने परेड की सलामी दी। इस अवसर पर कॉलेज के कोषाध्यक्ष हरिबंश सिंह भी उपस्थित रहे। वहीं डीएवी काॅलेज परिसर में संचालित मानव शिक्षण संस्थान में भी गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया। मुख्य अतिथि डाॅ. सत्यदेव सिंह एवं अजीत कुमार सिंह यादव ने ध्वजारोहण किया। 

बनारस पत्रकार एसोसिएशन ने मनाया गणतंत्र दिवस, किया ध्वजारोहण

बीपीए के सदस्यों ने देश की रक्षा के लिए ली शपथ 


वाराणसी 27 जनवरी (dil india live)। सारनाथ के तिलमापुर स्थित बनारस पत्रकार एसोसिएशन के प्रांतीय कार्यालय पर ध्वजारोहण धूमधाम से किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ प्रदेश अध्यक्ष सुधीर दुबे एवं सारनाथ प्रभारी अर्जुन सिंह ने ध्वजारोहण कर किया।उक्त अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष एवं जिला अध्यक्ष सहित संगठन के समस्त पषदाधिकारीयो एवं सदस्यों ने शपथ लिया कि हम भारत  माता की रक्षा व सुरक्षा के लिए सदैव तत्पर रहेगे। इस दौरान संगठन को मजबूत बनाने पर भी ज़ोर दिया ग्या।कार्यक्रम मे मुख्य रूप से प्रदेश उपाध्यक्ष सत्येंद्र प्रकाश उपाध्याय, माया शंकर दुबे, प्रदेश महामंत्री अनिल पाठक, जिला अध्यक्ष भारतेन्दु तिवारी, ज्ञान प्रकाश सिंह,  डा. रमेश कुमार सहित संगठन के सभी पदाधिकारी तथा सदस्य उपस्थित रहे।धन्यवाद ज्ञापन जिला अध्यक्ष भारतेन्दु तिवारी ने किया।

सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मना गणतंत्र दिवस

सुल्तान क्लब में शान से लहराया तिरंगा


वाराणसी 27 जनवरी (dil india live)। सामाजिक संस्था " सुल्तान क्लब" की ओर से संजय गाँधी नगर कालोनी , बड़ी बाज़ार में कोविड -19 का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम बड़े ही हर्षोल्लास के वातावरण में मनाया गया। संस्थाध्यक्ष डॉ एहतेशामुल हक व समाजसेवी हाजी सलमान बशर ने संयुक्त रूप से ध्वजारोहण किया।ध्वजारोहण के पश्चात राष्ट्रगान पढ़ा गया, देश प्रेम से सरोबार नज्मे भी पढ़ी गई। स्वच्छता व मतदाता जागरूकता अभियान के लिए लोगों को जागरूक भी किया गया। इस अवसर पर अतिथियों ने खिताब करते हुए कहा कि देश की एकता एवम अखण्डता को कायम रखने के लिए सभी धर्मों का सम्मान व देश के कानून पर अमल करना होगा,मिल जुलकर रहने पर ही हमारा देश तरक्की करेगा यही हमारी गंगा जमनी तहजीब की पहचान है।हमें धार्मिक शिक्षा के साथ साथ दुनियावी व साइंस की तालीम भी लेनी होगी,देश की आजादी व सविधान में सभी धर्मों के लोगों ने भाग लिया,लाखों उलमा - ए - एकराम शहीद हुए।डॉ भीमराव अंबेडकर जी का बनाया हुआ संविधान पर सभी लोगों को चलना होगा तभी हमारा देश एक बार फिर सोने की चिड़िया कहलाएगा,आतंकवाद व भ्रष्टाचार के विरोध में हमेशा खड़ा रहना होगा।अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ. एहतेशामुल हक ने कहा कि बच्चे देश के भविष्य हैं देश में तरक्की व खुशहाली लाने के लिए हमे सत्य और अहिंसा के रास्ते पर हर हाल में चलना होगा। 

कार्यक्रम का संचालन कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़ ने किया उपाध्यक्ष महबूब आलम ने लोगों का स्वागत किया। इस अवसर पर समाजसेवी हाजी सलमान बशर, अध्यक्ष डॉ. एहतेशामुल हक, सचिव जावेद अख्तर, महासचिव एच. हसन नन्हें, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़, उपाध्यक्ष अजय वर्मा, मुहम्मद इकराम, अब्दुर्रहमान, मौलाना अब्दुल्लाह, हाफिज़ मुनीर, इरफान इत्यादि ने भाग लिया।

सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा...

कम्पोज़िट विद्यालय खानपुर में गणतंत्र दिवस मनाया गया 



वाराणसी 26 जनवरी(dil india live)। कम्पोज़िट विद्यालय खानपुर विकासखंड चिरईगांव में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पंजीकृत 1160) के जिलाध्यक्ष श्री महेंद्र बहादुर सिंह एवं चिरईगांव प्रधान संघ के ब्लॉक अध्यक्ष लाल बहादुर पटेल द्वारा संयुक्त रुप से झंडोत्तोलन का कार्यक्रम संपन्न किया गया ।इस अवसर पर आजादी के लिए अपना तन मन धन न्योछावर करने वाले महान पुरुषों को तथा संविधान का निर्माण किये जाने वाले महान पुरुष बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी के कृतित्व व व्यक्तित्त्व पर चर्चा करते हुए महान पुरुषो  को नमन किया गया तथा उनके रा बताए गए मार्ग  पर चलने का संकल्प लिया गया  उक्त अवसर पर कोविड प्रोटोकॉल का बाकायदा ध्यान रखते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया। कार्यक्रम में सर्वश्री इंचार्ज प्रधानाध्यापिका श्रीमती इंदिरा सिंह श्रीमती मालती यादव श्रीमती सुनीता भट्ट श्रीमती नीलिमा प्रभाकर श्रीमती पार्वती राय श्रीमती पूजा तिवारी श्रीमती सरवरी खातून श्रीमती ममता देवी कु0 पूजा सहायिका  पंचायत भवन इत्यादि लोगो ने शिरकत किया।धन्यवाद प्रकाश इंचार्ज प्रधानाध्यापिका श्रीमती इंदिरा सिंह ने किया। अंत मे मिष्ठान वितरण के पश्चात कार्यक्रम का समापन किया गया।

बुधवार, 26 जनवरी 2022

गणतंत्र दिवस पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले डाककर्मी हुए सम्मानित

पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने फहराया राष्ट्रीय ध्वज

लोक कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को जोड़ने में डाक विभाग की अहम भूमिका: पीएमजी कृष्ण कुमार यादव




वाराणसी 26 जनवरी (dil india live)। डाक विभाग द्वारा वाराणसी परिक्षेत्र में 26 जनवरी, 2022 को 73 वां  गणतंत्र  दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने  कैंट प्रधान डाकघर कैम्पस स्थित क्षेत्रीय कार्यालय पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया और सराहनीय सेवाओं के लिए 20 डाककर्मियों को प्रशस्ति-पत्र देकर सम्मानित भी किया। पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि डाक विभाग आम जन से जुड़ा हुआ है, ऐसे में गणतंत्र में इसकी भूमिका और भी अहम हो जाती है। इस बार 73वें गणतंत्र दिवस पर  राजपथ पर विभिन्न राज्यों और सरकारी मंत्रालयों/विभागों की निकली झाँकियों (Tableau) में 'आजादी का अमृत महोत्सव : भारतीय डाक' की झाँकी भी रही। महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित इस झाँकी में डाक सेवाओं में हुए तमाम बदलावों को भी प्रदर्शित किया गया।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि संविधान हमारे देश की आत्मा है। भारतीय संविधान की उद्देशिका में निहित शब्दों और उनमें निहितार्थ भाव को अंगीकार करने की जरूरत है, जिसकी शुरुआत 'हम भारत के लोग' से हुई है। यही हमारे लोकतंत्र और गणतंत्र का मूल है। भारतीय डाक विभाग भी समाज के अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुँच सुनिश्चित कर लोक कल्याणकारी योजनाओं से लोगों को जोड़ता है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि आज ही के दिन हमने संविधान के तहत लोकतान्त्रिक व्यवस्था को अंगीकार कर देश के प्रत्येक नागरिक के कल्याण एवं सर्वोन्मुखी विकास का संकल्प लिया था। ऐसे में संविधान में प्रदत्त अधिकारों के साथ-साथ कर्तव्यों का भी विवेकपूर्ण अनुपालन आवश्यक है। एक जिम्मेदार नागरिक और सरकारी व्यवस्था के अंग दोनों रूप में, संविधान द्वारा स्थापित तंत्र की मजबूती हेतु कार्य करते हुए  हमारा दायित्व होना चाहिए कि सरकार की सभी कल्याणकारी योजनाएं आम जन तक पहुंचें और इसके लिए हमें अधिक प्रभावी और प्रतिबद्ध रूप में कार्य करना होगा। गणतंत्र दिवस के दिन हम सभी को लोकतंत्र की उपलब्धियों का उत्सव मनाना चाहिए और एक शांतिपूर्ण, सौहार्दपूर्ण एवं प्रगतिशील भारत के निर्माण में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए। 

इस अवसर पर प्रवर डाक अधीक्षक राजन राव, डाक अधीक्षक संजय वर्मा, सहायक निदेशक राम मिलन, सहायक अधीक्षक आर के चौहान, अजय कुमार, डाक निरीक्षक श्रीकांत पाल, वीएन द्विवेदी, संतोषी राय, पोस्टमास्टर कैंट प्रधान डाकघर रमाशंकर वर्मा सहित तमाम लोग उपस्थित रहे।   

 20 लोगों का हुआ सम्मान 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने सराहनीय सेवाओं हेतु विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले डाककर्मियों को सम्मानित किया। इनमें वाराणसी (पूर्वी) मण्डल से सिटी महिला डाकघर की पोस्टमास्टर सी. अनिथा, सन्नी कुमार गुप्ता, कुलभूषण तिवारी, रवीन्द्र पासवान, अनिल कुमार शर्मा, ग्रामीण डाक सेवक संदीप सरोज, पोस्टमैन राजेश सिंह पटेल, डायरेक्ट एजेंट राम आशीष सिंह, मेल ओवरसियर राम प्रसाद तो 

वाराणसी (पश्चिम) मंडल से डाक सहायक सिद्धार्थी, शिव शंकर राम, ग्रामीण डाक सेवक दीपू शर्मा, मिथिलेश सिंह, हाफिज़ अहमद, कमलेश कुमार, पोस्टमैन कुमारी नीलम, पवन कुमार, डायरेक्ट एजेंट नीलेश जायसवाल और क्षेत्रीय कार्यालय से एमटीएस नागेंद्र यादव, इंद्रजीत गौतम को सम्मानित  किया गया।

मंगलवार, 25 जनवरी 2022

जानिए गणतंत्र दिवस क्यो मनाया जाता है

 




वाराणसी 25 जनवरी (dil india live)। भारत में दो राष्ट्रीय पर्व ऐसे हैं जिसके आने पर सब में देशभक्ति की भावना जागृत हो उठती है। वह हैं स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी। स्वतंत्रता दिवस के बारे में तो सभी जानते है कि यह 15 अगस्त को देश आज़ाद होने का जश्न का दिन है। इसके बावजूद काफी लोगों को यह नहीं पता है कि 26 जनवरी को मनाया जाने वाला भारतीय गणतंत्र दिवस आखिर क्यों मनाया जाता है? तो आइये हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि 26 जनवरी को आखिर हुआ क्या था? और इसे भारत में क्या राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है? भारतीय गणतंत्र दिवस के बारे में जानें विस्तार से।

गणतंत्र का अर्थ 

गणतंत्र शब्द दो शब्द के मिलने से बना है। गण और तंत्र, गण का अर्थ होता है पूरी जनता और तन्त्र का अर्थ होता है प्रणाली। इस तरह गणतंत्र का अर्थ हुआ पूरी जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली। 

  गणतंत्र की परिभाषा

सीधे शब्दों में गणतंत्र एक ऐसा तंत्र  है, जिसमें हर व्यक्ति का योगदान होता है। एक ऐसा तंत्र जहां हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की जाती है। हर व्यक्ति को समान अधिकार दिए जाते हैं। वो भी बिना किसी भेदभाव के।  यानी गणतंत्र जहां भी है वहां किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। जनता का प्रतिनिधि जनता द्वारा चुना जाता है। वह जनता के हित में काम करता है। ऐसा ही तंत्र गणतंत्र कहलाता है। यह देश के हर राज्य में एक समान होता है।

गणतंत्र और लोकतंत्र में अंतर

ज्यादातर लोग प्राय: गणतंत्र को ही लोकतंत्र मान लेते हैं। परन्तु दोनों में अंतर है। गणतंत्र में लोगों का प्रतिनिधि एक सामान्य व्यक्ति होता है लेकिन वो काम जनता की नहीं अपनी इच्छा के अनुसार करता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण जर्मनी का हिटलर है। जो पहले एक सामान्य व्यक्ति था राज्य उसके हाथ में आने के बाद वो अपनी इच्छा अनुसार काम करता था। वहीं लोकतंत्र में एक वंश राज करता है। जिसकी आगे वाली पीढ़ी को ही राज्य का शासन मिलता है। परन्तु उसका शासन लोगों द्वारा चलता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ब्रिटेन है। जहां कई सालों से एक ही वंश की पीढ़ियाँ राज कर रही हैं। वहां का शासन लोगों के अनुसार चलता है। भारत में गणतंत्र और लोकतंत्र दोनों हैं।जो दुनिया के तमाम मुल्कों से इसे अलग करता है।

 गणतंत्र दिवस का महत्व

गणतंत्र दिवस का भारतीय इतिहास में बहुत महत्त्व है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने जुलाई 1945 में एक कैबिनेट मिशन भारत भेजा। जिसमें 3 मंत्री थे। जिसमें 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता की घोषणा हुयी। देश आज़ाद हो गया। आज़ादी के बाद भारत का अपना संविधान बनाने के लिए संविधान सभा की घोषणा हुयी जिसमें जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि मुख्या सदस्य थे।

इस सभा ने इस संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन की बैठकों के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान का निर्माण कार्य पूरा किया। इसी कारण 26 नवंबर का दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। डा. भीमराव अंबेडकर की संविधान के इस निर्माण कार्य में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके चलते  उन्हें संविधान का निर्माता भी कहा जाता है। संविधान के निर्माण के बाद अंग्रेजों के कानून भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया। इसी दिन भारत में लोकतंत्र और गणतंत्र को अपनाया गया । भारत अंग्रेजों से तो 15 अगस्त को स्वतंत्र हो गया था परन्तु अपना कानून न होने के कारण मानसिक तौर पर अभी भी अंग्रेजों का गुलाम ही था। इस गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति हमें 26 जनवरी 1950 को मिली। इसी कारण यह दिवस एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।

कैसे मनाये गणतंत्र दिवस

गणतंत्र दिवस पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हर तरफ बस राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा ही दिखता है। राजधानी दिल्ली में यह बहुत ज्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के लिए लाल किले पर बहुत भरी भीड़ एकत्रित होती है। भारत के राष्ट्रपति इसी दिन भारतीय राष्ट्र ध्वज फहराते हैं। उसके बाद राष्ट्रीय गान गाया जाता है।

प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर पुष्प अर्पित करते हैं जो कि इंडिया गेट के पास है। फिर शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा जाता है। उसके बाद इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकली जाती है। इस परेड में भिन्न-भिन्न प्रकार की झांकियां निकाली जाती हैं। भारतीय जल, थल और वायु सेना के जवान अपने जौहर का प्रदर्शन करते हैं। झांकियों में अलग-अलग राज्यों की कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है। इस बार बनारस का विश्वनाथ धाम भी उत्तर प्रदेश की झांकी में शामिल किया गया है। इस तरह भारतीय गणतंत्र दिवस की अपने आप में बहुत महानता है। यदि हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत को आज़ाद कराने के लिए लड़ाई तेज न करते और अपनी कुर्बानी न देते तो   शायद हम आज भी अंग्रेजों के ही गुलाम होते। इसीलिए 15 अगस्त को हम लोग देश की आज़ादी की लड़ाई जीतने का जश्न और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर संविधान पूरा होने की खुशी मनाते हैं। यह दोनों दिन हमारे लिए अति गर्व का दिन है।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...