वाराणसी 25 जनवरी (dil india live)। भारत में दो राष्ट्रीय पर्व ऐसे हैं जिसके आने पर सब में देशभक्ति की भावना जागृत हो उठती है। वह हैं स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस यानी 26 जनवरी। स्वतंत्रता दिवस के बारे में तो सभी जानते है कि यह 15 अगस्त को देश आज़ाद होने का जश्न का दिन है। इसके बावजूद काफी लोगों को यह नहीं पता है कि 26 जनवरी को मनाया जाने वाला भारतीय गणतंत्र दिवस आखिर क्यों मनाया जाता है? तो आइये हम आपको यहां बताने जा रहे हैं कि 26 जनवरी को आखिर हुआ क्या था? और इसे भारत में क्या राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है? भारतीय गणतंत्र दिवस के बारे में जानें विस्तार से।
गणतंत्र का अर्थ
गणतंत्र शब्द दो शब्द के मिलने से बना है। गण और तंत्र, गण का अर्थ होता है पूरी जनता और तन्त्र का अर्थ होता है प्रणाली। इस तरह गणतंत्र का अर्थ हुआ पूरी जनता द्वारा नियंत्रित प्रणाली।
गणतंत्र की परिभाषा
सीधे शब्दों में गणतंत्र एक ऐसा तंत्र है, जिसमें हर व्यक्ति का योगदान होता है। एक ऐसा तंत्र जहां हर व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा की जाती है। हर व्यक्ति को समान अधिकार दिए जाते हैं। वो भी बिना किसी भेदभाव के। यानी गणतंत्र जहां भी है वहां किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता। जनता का प्रतिनिधि जनता द्वारा चुना जाता है। वह जनता के हित में काम करता है। ऐसा ही तंत्र गणतंत्र कहलाता है। यह देश के हर राज्य में एक समान होता है।
गणतंत्र और लोकतंत्र में अंतर
ज्यादातर लोग प्राय: गणतंत्र को ही लोकतंत्र मान लेते हैं। परन्तु दोनों में अंतर है। गणतंत्र में लोगों का प्रतिनिधि एक सामान्य व्यक्ति होता है लेकिन वो काम जनता की नहीं अपनी इच्छा के अनुसार करता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण जर्मनी का हिटलर है। जो पहले एक सामान्य व्यक्ति था राज्य उसके हाथ में आने के बाद वो अपनी इच्छा अनुसार काम करता था। वहीं लोकतंत्र में एक वंश राज करता है। जिसकी आगे वाली पीढ़ी को ही राज्य का शासन मिलता है। परन्तु उसका शासन लोगों द्वारा चलता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ब्रिटेन है। जहां कई सालों से एक ही वंश की पीढ़ियाँ राज कर रही हैं। वहां का शासन लोगों के अनुसार चलता है। भारत में गणतंत्र और लोकतंत्र दोनों हैं।जो दुनिया के तमाम मुल्कों से इसे अलग करता है।
गणतंत्र दिवस का महत्व
गणतंत्र दिवस का भारतीय इतिहास में बहुत महत्त्व है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने जुलाई 1945 में एक कैबिनेट मिशन भारत भेजा। जिसमें 3 मंत्री थे। जिसमें 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता की घोषणा हुयी। देश आज़ाद हो गया। आज़ादी के बाद भारत का अपना संविधान बनाने के लिए संविधान सभा की घोषणा हुयी जिसमें जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि मुख्या सदस्य थे।
इस सभा ने इस संविधान सभा ने 2 वर्ष, 11 माह, 18 दिन में कुल 114 दिन की बैठकों के बाद 26 नवंबर 1949 को संविधान का निर्माण कार्य पूरा किया। इसी कारण 26 नवंबर का दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। डा. भीमराव अंबेडकर की संविधान के इस निर्माण कार्य में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसके चलते उन्हें संविधान का निर्माता भी कहा जाता है। संविधान के निर्माण के बाद अंग्रेजों के कानून भारत सरकार अधिनियम (एक्ट) (1935) को हटाकर भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 में लागू किया गया। इसी दिन भारत में लोकतंत्र और गणतंत्र को अपनाया गया । भारत अंग्रेजों से तो 15 अगस्त को स्वतंत्र हो गया था परन्तु अपना कानून न होने के कारण मानसिक तौर पर अभी भी अंग्रेजों का गुलाम ही था। इस गुलामी की बेड़ियों से मुक्ति हमें 26 जनवरी 1950 को मिली। इसी कारण यह दिवस एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है।
कैसे मनाये गणतंत्र दिवस
गणतंत्र दिवस पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हर तरफ बस राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा ही दिखता है। राजधानी दिल्ली में यह बहुत ज्यादा उत्साह के साथ मनाया जाता है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का भाषण सुनने के लिए लाल किले पर बहुत भरी भीड़ एकत्रित होती है। भारत के राष्ट्रपति इसी दिन भारतीय राष्ट्र ध्वज फहराते हैं। उसके बाद राष्ट्रीय गान गाया जाता है।
प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर पुष्प अर्पित करते हैं जो कि इंडिया गेट के पास है। फिर शहीदों की याद में 2 मिनट का मौन रखा जाता है। उसके बाद इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक परेड निकली जाती है। इस परेड में भिन्न-भिन्न प्रकार की झांकियां निकाली जाती हैं। भारतीय जल, थल और वायु सेना के जवान अपने जौहर का प्रदर्शन करते हैं। झांकियों में अलग-अलग राज्यों की कला और संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है। इस बार बनारस का विश्वनाथ धाम भी उत्तर प्रदेश की झांकी में शामिल किया गया है। इस तरह भारतीय गणतंत्र दिवस की अपने आप में बहुत महानता है। यदि हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत को आज़ाद कराने के लिए लड़ाई तेज न करते और अपनी कुर्बानी न देते तो शायद हम आज भी अंग्रेजों के ही गुलाम होते। इसीलिए 15 अगस्त को हम लोग देश की आज़ादी की लड़ाई जीतने का जश्न और 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर संविधान पूरा होने की खुशी मनाते हैं। यह दोनों दिन हमारे लिए अति गर्व का दिन है।
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