शुक्रवार, 19 नवंबर 2021

वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई को दी संगीतांजली

जयंती पर निकली शोभायात्रा, शामिल हुई झांकी

स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव का हुआ शुभारंभ


वाराणसी 19 नवम्बर(dil india live)। काशी की बेटी महारानी लक्ष्मी बाई जिनका बचपन का नाम मनु था। मनु को उनकी जयंती पर काशी के प्रबुद्ध जनों ने एक अलग ही तरह से श्रद्धांजलि अर्पित की। विख्यात संगीतकार सितार वादक पंडित देवब्रत मिश्र ने सितार पर वंदेमातरम की धुन प्रस्तुत कर उनके श्री चरणों में नमन किया। अवसर था अमृत महोत्सव आयोजन समिति, मानस नगर, काशी द्वारा शुरू किए गए स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के प्रथम चरण के शुभारंभ का। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव कार्यक्रम का शुभारंभ शुक्रवार को अस्सी स्थित महारानी लक्ष्मी बाई की जन्मस्थली से हुआ जिसमें विविध सांस्कृतिक एवं बौद्धिक कार्यक्रमों से उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किया गया। इस अवसर पर आयोजित संगीत सभा में  ख्यातिलब्ध सितारविद पंडित देवब्रत मिश्र ने राग भटियार में  निबद्ध वंदे मातरम की अत्यंत मनमोहक धुन प्रस्तुत कर वीरांगना के चरणों में नमन किया। उनके साथ तबले पर रहे प्रशांत मिश्र ने तबले पर घोड़े के टापो की आवाज निकाल कर सबको अचंभित कर दिया। उनके साथ कृष्णा मिश्रा सितार पर रहे।  इस अवसर पर आयोजित विद्वत सभा में नगर के कई गणमान्य विद्वानों ने विचार व्यक्त किया। मुख्य वक्ता उत्कर्ष स्माल फाइनेंस बैंक के निदेशक त्रिलोक शुक्ला ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के जरिये हम राष्ट्र के उन उन्नायकों के बारे में भी आने वाली पीढ़ियों से अवगत करा पा रहे है जिन्होंने स्वातंत्र संघर्ष में अपना बलिदान दिया। इसके अलावा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्र एवं दिनेश पाठक ने भी विचार व्यक्त किया।

इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता एवं रानी लक्ष्मीबाई के प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ। विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया गया। अंत मे विशाल शोभायात्रा भी निकाली गई जो विभिन्न मार्गों से होते हुए दुर्गाकुण्ड पहुँच कर समाप्त हुई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रोफेसर कविता शाह ने क़िया।  कार्यक्रम का संयोजन केशव जालान, स्वागत डॉ. रजनीश उपाध्याय, संचालन प्रीतेश आचार्य तथा धन्यवाद ज्ञापन नवीन श्रीवास्तव ने दिया। इस मौके पर मोहिनी झँवर, बी.एस. सुब्रह्मण्यम मणि, भाऊ आचार्य तोड़पे, सीए आलोक मिश्र, राजमंगल पाण्डेय, सुबोध, ज्ञानेश्वर, हरीश वालिया, पवन शर्मा, जेपी सिंह, मांधाता मिश्र, गोविंद, जगन्नाथ ओझा आदि प्रबुद्ध जन शामिल रहे।

हज़रत मौलाना शाह के उर्स में उमड़े ज़ायरीन

मौलाना शाह बाबा का तीन दिनी उर्स अकीदत के साथ शुरू

  •  अस्थाई दुकाने सजी
  •  सजा मौलाना शाह बाबा का दर  
  • रौशनी से नहा उठा आस्ताना



वाराणसी (dil india live)।  हजरत मौलाना शाह सैय्यद मोहम्मद वारिस रसूलेनुमा का सालाना तीन दिनी उर्स पूरी अक़ीदत के साथ आज शुरू हो गया। उर्स में सभी मज़हब के लोग उमड़े हुए थे। मौलाना शाह बाबा को रसुलेनुमा कहा जाता है। माना जाता है कि बाबा के दर पर जो  आता है वो अपनी झोली भर के जाता है। पहले ही रोज़ बाबा का दर अक़ीदतमंदों से गुलज़ार हो गया। बाबा के दर पर अस्थाई दुकाने सज गयी। इस दौरान फुलवारी शरीफ के सज्जादानशीं भी उर्स में पहुंचे हुए थे। 

दिखती है गंगा जमुनी तहज़ीब 

कोयला बाज़ार स्थित बाबा का दर गंगा जमुनी तहज़ीब का मरकज़ है। 21 नवंबर तक चलने वाले उर्स में जुमे को नमाज़ के बाद लोगों का हुजुम फातेहा पढ़ने उमड़ पड़ा। इस दौरान सभी मज़हब के लोग पहुंच कर उर्स में हाज़िरी लगाते दिखाई दिये। बाबा के चाहने वाले फातेहा पढ़ने के साथ ही वहां लगी अस्थाई दुकाने से खरीददारी करके उर्स से वापस लौटते हैं। 


सूफिज़्म का है मरकज़

मौलाना शाह बाबा ने दुनिया को सूफिज्म का सीधा सच्चा रास्ता दिखाया था। यही वजह है कि धर्म और मज़हब के झगड़ों से दूर यहां सभी अपनी परेशानी दूर करने के लिए यहां पहुंचते हैं। उर्स के दौरान सभी मज़हब की हाज़िरी इस बात की दलील है कि बाबा किसी एक के नहीं बल्कि सभी के हैं।

क्यों लोकप्रिय है मौलाना शाह 

हजरत मौलाना शाह सैय्यद मोहम्मद वारिस रसूलनुमा (1087-1166 हिजरी) की मजार है, मज़ार स्थल और आसपास के इलाक़े को 'मौलवी जी का बाड़ा' के नाम से जाना जाता है। जो आदमपुरा वार्ड में कोयला बाजार के घनी आबादी वाले मुहल्ले में है। यह बाड़ा अपनी पुरानी परंपराओं और प्रथाओं के लिए भी प्रसिद्ध है। मौलवी जी का बड़ा में कुतुब शाह सैय्यद की वर्षगांठ समारोह 12 से 14 वीं रबी-उसानी को आयोजित किया जाता है और इसे शानदार पैमाने पर मनाया जाता है। उर्स के दौरान यहां चादर और गागर लेकर तमाम लोग आते हैं। मगरिब की नमाज के बाद तबरुक (प्रसाद) के साथ गगार की पेशकश करते हुए वे अपनी मन्नत पूरी करने की दुआएं मांगते हैं। रवायत के तहत खुशबू, गुलाब-जल और चंदन के साथ बाबा का गुस्ल किया है और चादर पोशी की जाती है। 

बुधवार, 17 नवंबर 2021

 पीरों के पीर गौस ए आजम का एहसान है इसलाम पर

 

ग्यारहवीं शरीफ का त्योहार त्योहार पीरों के पीर शेख सैय्यद अबू मोहम्मद अब्दुल कादिर जीलनी रहमतुल्लाह अलैह से निस्बत रखता है. जिन्हें गौस ए आजम के नाम से जाना जाता है।

गौस ए आजम के करामात बचपन से ही दुनिया वालों ने देखा है. जब आप छोटे ही थे तो इल्म हासिल करने के लिए मां ने 40 दीनार (रुपये) देकर काफिला के साथ बगदाद रवाना किया. रास्ते में 60 डाकुओं ने काफिला को रोक कर लूटपाट मचाया. डाकुओं ने किसी को भी नहीं छोड़ा और सबों का माल व पैसे लूट लिये. गौस ए आजम को नन्हा जान कर किसी ने नहीं छेड़ा. चलते-चलते जब एक डाकू ने यूं ही पूछ लिया कि तुम्हारे पास क्या है. गौस ए आजम ने पूरी इमानदारी से कहा मेरे पास 40 दीनार है. वह मजाक समझा और आगे निकल गया. एक दूसरे डाकू के साथ भी यही सब हुआ। जब लूट का माल लेकर डाकू अपने सरदार के पास पहुंचे और नन्हें बच्चे का जिक्र किया तो सरदार ने बच्चे को बुलाकर कर मिलना चाहा। सरदार ने भी जब वही बातें पूछा तो गौस ए आजम ने जवाब में वही दोहराये कि मेरे पास चालीस दीनार हैं। तलाशी ली गई तो 40 दीनार निकले।

डाकुओं ने जानना चाहा कि आप ने ऐसा क्यों किया। गौस ए आजम ने फरमाया सफर में निकलते वक्त मेरी मां ने कहा था हमेशा हर हाल में सच ही बोलना. इसलिए मैं दीनार गंवाना मंजूर करता हूं लेकिन मां की बातों के विरुद्ध जाना पसंद नहीं किया. गौस ए आजम की बातों का इतना असर हुआ कि सरदार समेत सभी डाकूओं गुनाहों से तौबा कर नेक इंसान बन. गये. गौस पाक अपनी जिंदगी में मुसीबतें झेल कर वलायत के मुकाम तक पहुंचे। उन्हें वलायत में वह मुकाम हासिल हुआ जो किसी अन्य वली को नहीं मिला। इसलिए गौस ए आजम ने फरमाया मेरा यह कदम अल्लाह के हर वली की गर्दन पर है। यह सुन कर संसार के सभी वलियों ने अपनी गर्दन झुका ली।

मुल्क शाम में पीरों के पीर कहे जाने वाले हजरत मोहम्मद बिन उमर अबू बकर बिन कवाम ने भी गौस ए आजम के एलान पर अपनी गर्दन झुका ली। ख्वाजा गरीब नवाज सय्यदना मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेरी रहमतुललाह अलैह मुल्क खरामां के एक पहाड़ में उन दिनों इबादत किया करते थे. जब आप गौस ए आजम का एलान सुने तो अपना सिर पुरी तरह जमीन तक झुका लिया और अर्ज किये गौस ए आजम आप का एक नहीं, बल्कि दोनों पैर मेरे सिर और आंखों पर है। गौस ए आजम परहेजगार, इबादत गुजार, पाकीजा, पाक व अल्लाह वालों के इमाम हैं. आप के हुक्म पर आम इंसान ही नहीं बल्कि सभी वली भी अमल करते हैं। अल्लाह ने गौस ए आजम को वह बलुंद मुकाम अता फरमाया कि वह अपनी नजर ए वलायत से वह सब कुछ देख लेते, जहां तक किसी आम इंसान की नजर, अक्ल व सोच भी नहीं जाती।

गौस ए आजम की मजलिस में चाहने वालों का मजमा लगा होता था. लेकिन आप की आवाज में अल्लाह ने वह असर दिया था कि जैसे नजदीक वालों को आवाज सुनाई देती थी, वैसी ही दूर वालों को भी। गौस ए आजम की पैदाइश रमजान महीने में हुई थी। जन्म के समय ही आप सेहरी से इफ्तार तक मां का दूध नहीं पीते जिस तरह रोजेदार रोजा रखता है, उसी तरह आप मां का दूध केवल सेहरी व इफ्तार के वक्त पीते थे. आप जब दस साल के हुए और मदरसा में पढ़ाई करने जाया करते थे तो फरिश्ते आते और आप के लिए मदरसा में बैठने की जगह बनाते थे।

फरिश्ते दूसरे बच्चों से कहते थे अल्लाह के वली के लिए बैठने की जगह दो. आप का लकब मोहिउद्दीन है. जिसका अर्थ मजहब को जिंदा करने वाला है. आप मजहब की तबलीग करने के लिए बगदाद गये. आप ने 521 हिजरी में बगदाद में लोगों को मजहब व दीन की बातें फैलाने के लिए बयान फरमाये और 40 सालों तक अर्थात 561 हिजरी तक मुसलसल बहुत मजबूती से नेकी व मजहब की बातों को फैलाते रहे।

आप की मजलिस में लोगों की भीड़ उमड़ती। भीड़ को देखकर ईदगाह में बयान देना शुरू किये, लेकिन वहां भी जगह कम पड़ जाती इसके बाद शहर से बाहर दूर खाली जगहों पर जाकर बयान करते। उस जमाने में मजलिस में 70-70 हजार लोगों की भीड़ उमड़ आती थी. रवायत है कि आपका बयान सुनने के लिए जिन्नात भी आया करते थे। आप के पास बेशुमार इल्म था। जिसका फायदा दुनिया को मिला और इस्लाम नये सिरे से जिंदा हुआ।

महिला आयोग की सदस्य ने कराया बच्चों को अन्नप्राशन

कुपोषित को सुपोषित करने की दी गई जानकारी



ग़ाज़ीपुर, 17 नवम्बर (dil india live)। गर्भवती व कुपोषित बच्चों को सुपोषित करने की जिम्मेदारी बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग पर है, जिसको लेकर विभाग के द्वारा लगातार कार्यक्रम व गतिविधियां की जा रही हैं, जिससे समुदाय में जागरूकता आ सके। बुधवार को आंगनबाड़ी केंद्र छावनी लाइन पर महिला आयोग की सदस्य शशि मौर्य के द्वारा आंगनबाडी केंद्र का भ्रमण किया गया। इस दौरान केंद्र पर छह माह पूरे कर चुके पाँच बच्चों का अन्नप्राशन कराया गया। इसके साथ ही कुपोषण से बचने के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। इस मौके पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को स्मार्ट फोन भी बांटे गए। 

जिला कार्यक्रम अधिकारी दिलीप कुमार पांडे ने बताया कि शासन के निर्देश के क्रम में लगातार आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को अन्नप्राशन और गर्भवती का गोद भराई का कार्यक्रम किया जा रहा है। बुधवार को उत्तर प्रदेश महिला आयोग की सदस्य शशि मौर्या के द्वारा हार्दिक, आर्यन, श्रेया, दिव्यांश व श्रेया का अन्नप्राशन भारतीय परंपरा के अनुसार कराया गया। इस मौके पर महिला आयोग की सदस्य शशि मौर्य के द्वारा बच्चों को अन्नप्राशन कराने के महत्व के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी गई। बच्चों को कुपोषण से कैसे बचा सकते हैं, के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी गई।  उन्होंने बताया कि शासन के द्वारा आँगनबाडी कार्यकर्ता को ऑनलाइन जोड़ने के उद्देश्य से इस स्मार्टफोन का वितरण शासन के प्राथमिकता में है जिसके तहत उन्हें स्मार्टफोन का दिये जा रहे हैं।

इस अवसर पर सीडीपीओ अंजू सिंह ,मुख्य सेविका तारा सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी प्रभात कुमार, वन स्टॉप सेंटर के वर्कर के साथ ही क्षेत्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं लाभार्थी महिलाएं उपस्थित रही।

भारतीय ज्ञान परम्परा के संवाहक प्रभुनाथ द्विवेदी

आधुनिक संस्कृत और ज्ञान परम्परा को दी थी गति

 डा .संजय कुमार 

 वाराणसी (dil india live)। आधुनिक संस्कृत के उच्च शिखर पर प्रतिष्ठित आचार्य प्रभुनाथ द्विवेदी का जन्म २५ अगस्त १९४७ ई.को मीरजापुर ,उत्तर प्रदेश के भैसा (कछवा) ग्राम में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री नन्दकिशोर द्विवेदी तथा माता का नाम श्रीमति रामकुमारी देवी था। बचपन से ही द्विवेदी जी का विशेष लगाव संस्कृत भाषा साहित्य से था। यही वजह थी कि स्नातक विज्ञान विषय से उत्तीर्ण होने के बाद भी इन्होने संस्कृत विषय में स्नातकोत्तर और पीएचडी की उपाधि प्राप्त कर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, उ.प्र. में जनवरी १९७८  सहायक आचार्य के पद पर न्यूक्त हो गए। यहीं  सह आचार्य एवं आचार्य पद पर रहते हुए संकायाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद का निर्वाह किया।  जून २०१० ई.  में सेवा निवृत्त हो गए लेकिन उनके ह्दय में विराजमान अध्यापकत्व उन्हें कभी भी सेवा निवृत्त नहीं होने दी। फलस्वरूप वे संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी, शंकरशिक्षायतन, नई दिल्ली, विश्वभारती, शान्ति निकेतन (प.ब.), कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र  एवं रानी पद्मावती तारायोगतंत्र आदर्श संस्कृत महाविद्यालय, शिवपुर, वाराणसी  में मानद आचार्य के रूप में अध्यापन करते रहे।

      द्विवेदी जी के  अध्यापन के सामान ही लेखन कार्य भी महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने कथासंग्रह के रूप में श्वेतदुर्वा,  कथाकमौदी, अंतर ध्वनि, कनकलोचन, शालिवीथी आदि के साथ लगभग ६० ग्रंथों का प्रणयन किया। इन्होने रामानन्दचरित एक संस्कृत भाषा में उपन्यास लिखा है। इस कोरोना महामारी पर भी इनके द्वारा कोरोनशतकम काव्य लिखा गया ह। जिसमे १०८ श्लोक है। यह काव्य विषेश रूप से कोरोना से बचाव तथा वैश्विक परिदृश्य के साथ ही राजनीतिक दृष्य को भी उपस्थित  करता है। २०१८ ई .में इनके द्वारा  स्वच्छ्ताशतकम काव्य की   रचना की  गयी  जिसमें सम्पूर्ण भारत को स्वच्छ रखने की कमना की गयी है। प्रभुनाथ द्विवेदी अंग्रेजी भाषा के अच्छे जानकर थे। इन्होंने अभी-अभी सनातन धर्म पर एक ग्रन्थ लिखा है। अलंकारोदारणम यह ग्रन्थ वस्तुतः किसी अंग्रेजी ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद है। इनके द्वारा इसके अतरिक्त २२९ शोध निबन्ध ,२४५ ललित निबन्ध भी द्विवेदी जी के प्रकाशित हैं। प्रो. प्रभुनाथ द्विवेदी जी के अध्यवसाय का यह प्रमाण है कि उनके निर्देशन में ३६ शोधार्थी शोध उपाधि प्राप्त किये हैं। द्विवेदी जी के आकशवाणी और दूरदर्शन पर ९१ प्रसारण कार्यक्रम भी हुए हैं। इनके कृतित्त्व और व्यक्तित्व पर अनेक विश्वविद्यालयों में शोधकार्य भी चल रहा है।

     डा.प्रभुनाथ द्विवेदी  के साहित्यिक अवदान पर विभिन्न संस्थाओं से ३४ पुरस्कार दिए गये है जिनमे राष्ट्रपति पुरस्कार(२०१७ ) साहित्य अकादमी पुरस्कार (२०१४ ) बाल्मिकीय पुरस्कार, बाणभट्ट पुरस्कार, कालिदास पुरस्कार, श्रीरामानंदचार्य पुरस्कार मुख्य हैं। प्रो.द्विवेदी जी बहुमुखी प्रतिभा के धनी, विद्वान, महामनीषी थे। विषम परिस्थिति में कभी भी विचलित नहीं होते थे, ह्दय रोग से पीड़ित होने पर भी सतत अपने लेखन कार्य से भारतीय ज्ञान परंपरा को सुगम और सुबोध बनाने का प्रयत्न करते रहे। लेकिन दाम्पत्य जीवन के घनीभूत प्रेम अनुरागी पत्नी निर्मला देवी के स्वास्थ्य ठीक न होने के कारण ईधर कुछ दिनों से हताश और निराश हो गए थे। जिसके कारण अचानक  मस्तिष्क में विकार उतपन्न हुआ और लाख चिकित्सीय प्रयास करने पर भी १५ नवम्बर,२०२१ को मध्य रात्रि में अपने नश्वर शारीर छोड़कर शिवसायुज्य के लिए अनन्त पथ के गामी हो गए संस्कृत के ऐसे महामनीषी के देव लोक गमन पर हम अपनी पूत ह्दय भावांजलि अर्पित करते हैं।

(लेखक: डा. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर, म. प्र. में सेवारत हैं)

सरकार ग़ौसे आज़म थे पैदाइशी वली

दावते इस्लामी के जलसे में जुटे लोग, हुई तकरीर


वाराणसी 16 नवंबर (dil india live)। जश्ने गौसुल वारा का जलसा दालमंड़ी में मसजिद रंगीले शाह में अकीदत व एहतराम के साथ किया गया। दावते इस्लामी की ओर से हुए जलसे में प्रमुख इस्लामी विद्वानों ने सरकार शेख अब्दुल कादिर जिलानी रहमुतल्लाह अलैह की जिन्दगी और उनके करामात पर रौशनी डाली। मो. महमूद साहब ने कहा कि ग़ौसे आज़म वो पैदायशी वली हैं जिन्होंने मां के पेट में रहते हुए पाक कुरान के 18 पारे याद कर लिया था। अगर ग़ौसे पाक के बताये रास्ते पर इंसान चले तो उसकी ज़िंदगी और आखिरत दोनों सवर जायेंगे। इस मौके पर मुबारक अत्तारी, मो. फारुक, मो. सादिक, कारी अब्दुल कादरी, मो. उमर अत्तारी, सलमान अत्तारी आदि ने शिरकत किया। लोगों का खैरमखदम डा. साजिद ने किया तो शुक्रिया मसजिद के इमाम मो. सऊद अत्तारी ने किया।

मंगलवार, 16 नवंबर 2021

नियमित करायें आंखों का परीक्षण

बरतें सावधानी व रखें विशेष ध्यान :सीएमओ

जिले में अप्रैल से अबतक 15,380 मरीजों की हुई स्क्रीनिंग  

इस साल 1870 मरीजों का हुआ मोतियाबिंद का निःशुल्क इलाज 



वाराणसी, 16 नवंबर(dil india live)। बढ़ती उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में मोतियाबिंद सबसे सामान्य समस्या है, अगर सूर्यास्त के बाद सामने से सीधी आ रही रोशनी से आपको चोंधी लगती है या उस रोशनी से आपको देखने में परेशानी होती है तो आप इसकी अनदेखी कतई न करें। यह मोतियाबिंद के लक्षणों में से एक है। बढ़ती उम्र के साथ मोतियाबिंद हो जाना सामान्य समस्या है। आंखों का परीक्षण समय पर कराते रहें। इससे आंखों में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राहुल सिंह का।

डा. राहुल सिंह ने बताया कि मोतियाबिंद की समस्या लोगों में 50 साल के बाद पायी जाती हैं। जिला अस्पताल में यदि अंधता निवारण के 100 मरीज आते हैं तो उनमें लगभग 40 फीसदी मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या पायी जाती है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी नहीं हो पाती है। उन्होंने बताया कि 40 साल के बाद नजर में कमी होने पर शीघ्र ही चिकित्सक को दिखाएं। जनपद के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सरकारी चिकित्सालयों पर आँख की निःशुल्क जांच व परामर्श की सुविधा उपलब्ध है। 

     कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डा. ए. के. गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय अंधता निवारण व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 45 वर्ष के ऊपर के बुजुर्गों तथा 1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को चश्मा दिया जाता है । भारत में अभी अंधता का प्रतिशत 0.36  है इसे 2024 तक 0.3% तक लाना है। भारत में बच्चों में होने वाली दृष्टिहीनता का एक बड़ा एवं मुख्य कारण उनके नेत्रों में होने वाले इनफेक्सन, विटामिन ए की कमी, कुपोषण, नेत्रों में लगने वाली चोटें, बाल्यावस्था में होने वाला मोतियाबिंद और निकट एवं दूर दृष्टि दोष आदि हैं। लगभग 70 से 80% बच्चों की दृष्टिहीनता को रोका या बहुत कम खर्च में किए जाने वाले प्रयासों से ही ठीक किया जा सकता है। नियमित अंतराल पर नेत्र परीक्षण करायें तथा  नियमित शारीरिक अभ्यास तथा योग करें। हरी सब्जियों और फलों का प्रयोग करते रहने से नेत्र संबंधी परेशानियों से बचा जा सकता है।

     एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.के. सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के कमरा नं. 15 में मरीजों की ओपीडी की जाती है। पहले लगभग 70 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी, अब लगभग 150 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन हो रही है। अप्रैल 2021 से अबतक 15380 मरीजों की स्क्रीनिंग की गई तथा वर्ष 2020-21 में कुल 31,425 मरीजों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। कोरोना काल में वर्ष 2020-21 में 1870 मरीजों का मोतियाबिन्द का निःशुल्क इलाज किया गया। 

    डा. सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निःशुल्क मोतियाबिंद का आपरेशन (इंट्रा ओकुलर लेंस – आईओएल) का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। मरीजों की जांच, दवा, आपरेशन के उपरान्त की दवा भी निःशुल्क दी जाती है। आपरेशन पूरे वर्ष भर सोमवार से शनिवार दिवस में किया जाता है। मोतियाबिंद आपरेशन के मरीज नियत दिवसों में आते हैं। यहाँ पर उनका आवश्यकतानुसार समुचित इलाज किया जाता है। यहाँ समलबाई (ग्लूकोमा), नासूर (डीसीआर), नाखूना (टेरेजियम) तथा भैंगापन का भी इलाज किया जाता है। गंभीर बीमारियों के लिए मरीजों को सर सुंदरलाल चिकित्सालय (बीएचयू) रेफर किया जाता है।

     डा. सिंह ने बताया कि धूम्रपान न करें, गुटखा, तम्बाकू व खैनी के प्रयोग से बचें यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है/ काले चश्मे का प्रयोग करें यह सूरज कि परबैगनी किरणों से बचाता है। खतरनाक काम करते समय सुरक्षा चश्में का प्रयोग करें। कंपूटर स्क्रीन को दूर से देखें।

लाभार्थियों ने सराहा

1- चोलापुर ब्लॉक, धरसौना ग्राम निवासी कन्हैया गुप्ता (75) ने बताया कि उन्हें आंखों से कम दिखाई देता था। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर में डाक्टर को दिखाया, तो उन्होने बताया कि आंखों में मोतियाबिंद है। उन्होने मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा रेफर किया। यहाँ डाक्टर ने बताया कि बायीं आँख का मोतिया पका है। इसका आपरेशन होगा। भर्ती होने के बाद शुगर, ब्लडप्रेशर, एचआईवी तथा कोरोना की जांच हुई और इसके बाद शुक्रवार को सफलतापूर्वक आपरेशन हुआ। सभी जांच तथा दवाएं निःशुल्क हैं, यहाँ सुविधा बहुत अच्छी है, मुझे कोई समस्या नहीं हुई।  

2- चोलापुर ब्लॉक, ग्राम महमूदनगर निवासी गुजराती (70) के परिजनों ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर से यहाँ रेफर किया गया था। गुरुवार को मरीज को भर्ती कराया है। जांच के बाद शुक्रवार को आपरेशन हुआ है। यहाँ सुविधा अच्छी है, तथा जांच, दवा सभी निःशुल्क है।    

यह हैं मोतियाबिंद के लक्षण 

धुँधली या अस्पष्ट दृष्टि

रोशनी के चारों ओर गोल घेरा सा दिखना

रात के वक्त कम दिखाई देना

हर वक्त दोहरा दिखाई देना

हर रंग का फीका दिखना

मोतियाबिंद होने के कारण 

बढ़ती उम्र 

अधिक देर तक सूर्य की रोशनी आँखों पर पड़ना

आँख में चोट लगना

डायबिटीज 

इस तरह करें बचाव 

आंखों का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए

वृद्धावस्था में आंखों के प्रति सचेत रहना चाहिए

मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज होने की समस्या अधिक होती हैं जिससे की मोतियाबिंद होने का जोखिम भी बढ़ जाता हैं। इसलिए अपने शरीर के वजन को नियंत्रित रखें और डायबिटीज को भी कंट्रोल में रखें।

घर से बाहर निकलने से पहले धूप या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से बचने के लिए चश्में जरूर पहनें।

Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...