मंगलवार, 16 नवंबर 2021

नियमित करायें आंखों का परीक्षण

बरतें सावधानी व रखें विशेष ध्यान :सीएमओ

जिले में अप्रैल से अबतक 15,380 मरीजों की हुई स्क्रीनिंग  

इस साल 1870 मरीजों का हुआ मोतियाबिंद का निःशुल्क इलाज 



वाराणसी, 16 नवंबर(dil india live)। बढ़ती उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में मोतियाबिंद सबसे सामान्य समस्या है, अगर सूर्यास्त के बाद सामने से सीधी आ रही रोशनी से आपको चोंधी लगती है या उस रोशनी से आपको देखने में परेशानी होती है तो आप इसकी अनदेखी कतई न करें। यह मोतियाबिंद के लक्षणों में से एक है। बढ़ती उम्र के साथ मोतियाबिंद हो जाना सामान्य समस्या है। आंखों का परीक्षण समय पर कराते रहें। इससे आंखों में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. राहुल सिंह का।

डा. राहुल सिंह ने बताया कि मोतियाबिंद की समस्या लोगों में 50 साल के बाद पायी जाती हैं। जिला अस्पताल में यदि अंधता निवारण के 100 मरीज आते हैं तो उनमें लगभग 40 फीसदी मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या पायी जाती है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी नहीं हो पाती है। उन्होंने बताया कि 40 साल के बाद नजर में कमी होने पर शीघ्र ही चिकित्सक को दिखाएं। जनपद के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सरकारी चिकित्सालयों पर आँख की निःशुल्क जांच व परामर्श की सुविधा उपलब्ध है। 

     कार्यक्रम के नोडल अधिकारी एवं एसीएमओ डा. ए. के. गुप्ता ने बताया कि राष्ट्रीय अंधता निवारण व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 45 वर्ष के ऊपर के बुजुर्गों तथा 1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को चश्मा दिया जाता है । भारत में अभी अंधता का प्रतिशत 0.36  है इसे 2024 तक 0.3% तक लाना है। भारत में बच्चों में होने वाली दृष्टिहीनता का एक बड़ा एवं मुख्य कारण उनके नेत्रों में होने वाले इनफेक्सन, विटामिन ए की कमी, कुपोषण, नेत्रों में लगने वाली चोटें, बाल्यावस्था में होने वाला मोतियाबिंद और निकट एवं दूर दृष्टि दोष आदि हैं। लगभग 70 से 80% बच्चों की दृष्टिहीनता को रोका या बहुत कम खर्च में किए जाने वाले प्रयासों से ही ठीक किया जा सकता है। नियमित अंतराल पर नेत्र परीक्षण करायें तथा  नियमित शारीरिक अभ्यास तथा योग करें। हरी सब्जियों और फलों का प्रयोग करते रहने से नेत्र संबंधी परेशानियों से बचा जा सकता है।

     एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के वरिष्ठ परामर्शदाता एवं नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.के. सिंह ने बताया कि कार्यक्रम के अंतर्गत एसएसपीजी मंडलीय चिकित्सालय के कमरा नं. 15 में मरीजों की ओपीडी की जाती है। पहले लगभग 70 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन होती थी, अब लगभग 150 मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन हो रही है। अप्रैल 2021 से अबतक 15380 मरीजों की स्क्रीनिंग की गई तथा वर्ष 2020-21 में कुल 31,425 मरीजों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। कोरोना काल में वर्ष 2020-21 में 1870 मरीजों का मोतियाबिन्द का निःशुल्क इलाज किया गया। 

    डा. सिंह ने बताया कि इस कार्यक्रम के अन्तर्गत निःशुल्क मोतियाबिंद का आपरेशन (इंट्रा ओकुलर लेंस – आईओएल) का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। मरीजों की जांच, दवा, आपरेशन के उपरान्त की दवा भी निःशुल्क दी जाती है। आपरेशन पूरे वर्ष भर सोमवार से शनिवार दिवस में किया जाता है। मोतियाबिंद आपरेशन के मरीज नियत दिवसों में आते हैं। यहाँ पर उनका आवश्यकतानुसार समुचित इलाज किया जाता है। यहाँ समलबाई (ग्लूकोमा), नासूर (डीसीआर), नाखूना (टेरेजियम) तथा भैंगापन का भी इलाज किया जाता है। गंभीर बीमारियों के लिए मरीजों को सर सुंदरलाल चिकित्सालय (बीएचयू) रेफर किया जाता है।

     डा. सिंह ने बताया कि धूम्रपान न करें, गुटखा, तम्बाकू व खैनी के प्रयोग से बचें यह तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है/ काले चश्मे का प्रयोग करें यह सूरज कि परबैगनी किरणों से बचाता है। खतरनाक काम करते समय सुरक्षा चश्में का प्रयोग करें। कंपूटर स्क्रीन को दूर से देखें।

लाभार्थियों ने सराहा

1- चोलापुर ब्लॉक, धरसौना ग्राम निवासी कन्हैया गुप्ता (75) ने बताया कि उन्हें आंखों से कम दिखाई देता था। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर में डाक्टर को दिखाया, तो उन्होने बताया कि आंखों में मोतियाबिंद है। उन्होने मंडलीय चिकित्सालय कबीरचौरा रेफर किया। यहाँ डाक्टर ने बताया कि बायीं आँख का मोतिया पका है। इसका आपरेशन होगा। भर्ती होने के बाद शुगर, ब्लडप्रेशर, एचआईवी तथा कोरोना की जांच हुई और इसके बाद शुक्रवार को सफलतापूर्वक आपरेशन हुआ। सभी जांच तथा दवाएं निःशुल्क हैं, यहाँ सुविधा बहुत अच्छी है, मुझे कोई समस्या नहीं हुई।  

2- चोलापुर ब्लॉक, ग्राम महमूदनगर निवासी गुजराती (70) के परिजनों ने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चोलापुर से यहाँ रेफर किया गया था। गुरुवार को मरीज को भर्ती कराया है। जांच के बाद शुक्रवार को आपरेशन हुआ है। यहाँ सुविधा अच्छी है, तथा जांच, दवा सभी निःशुल्क है।    

यह हैं मोतियाबिंद के लक्षण 

धुँधली या अस्पष्ट दृष्टि

रोशनी के चारों ओर गोल घेरा सा दिखना

रात के वक्त कम दिखाई देना

हर वक्त दोहरा दिखाई देना

हर रंग का फीका दिखना

मोतियाबिंद होने के कारण 

बढ़ती उम्र 

अधिक देर तक सूर्य की रोशनी आँखों पर पड़ना

आँख में चोट लगना

डायबिटीज 

इस तरह करें बचाव 

आंखों का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए

वृद्धावस्था में आंखों के प्रति सचेत रहना चाहिए

मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज होने की समस्या अधिक होती हैं जिससे की मोतियाबिंद होने का जोखिम भी बढ़ जाता हैं। इसलिए अपने शरीर के वजन को नियंत्रित रखें और डायबिटीज को भी कंट्रोल में रखें।

घर से बाहर निकलने से पहले धूप या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से बचने के लिए चश्में जरूर पहनें।

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