मंगलवार, 11 मई 2021

अल्लाह मुल्क में अमन चैन कायम कर....आमीन


नन्हें रोज़ेदार की है ये कहानी

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। काजीसादुल्लाह पुरा के रहने वाले बुनकर खुर्शीद आलम के 13 साल के साहबज़ादे ओबैदुल्लाह खालिद ने इस रमज़ान महीने का अब तक का पूरा रोज़ा रखकर मिसाल पेश किया है। ओबैदुल्लाह का आज 28 वां रोज़ा है। ओबैदुल्लाह खालिद के लगातार रोजा रखने से पूरे इलाके में उसकी तारीफ हो रही है।

 मां बाप के मना करने पर भी वो रोज़ ज़िद कर के सहरी में उठ जाता है,और नमाज़ की पाबंदी के साथ दुआ में मशगूल हो जाता है। मदरसा दारुल उलूम बागे नूर, बुनकर कालोनी में दर्जा चौथी का यह छात्र अल्लाह से दुआ करता है कि ऐ अल्लाह हम सबको सेहत व तंदुरुस्ती दे और कोरोना महामारी जैसी वबा से पूरे मुल्क के लोगों को बचा और अमन व शांति पैदा कर।

सोमवार, 10 मई 2021

ऐ मौला सब कुछ पहले सा कर दे...आमीन


आपसी सौहार्द व मदद का पैगाम है ईद- नबील हैदर

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। ईद का त्योहार सबको साथ लेकर चलने के लिए जाना जाता है। ईद सौहार्द की मिसाल वक्त वक्त पर पेश करती रही है।

उक्त बातें सैंयद नबील हैदर ने आज अर्दली बाजार में एक जलसे को खिताब करते हुए कही। उन्होंने कहा कि ईद पर हर मुसलमान एक साथ नमाज़ पढ़ते हैं और एक दूसरे को गले लगाते हैं। इस्लाम में जकात एक अहम पहलू है जिसमें हर मुसलमान को कुछ ना कुछ दान करने को कहा गया है। हिजरी कैलेंडर के शव्वाल महीने के पहले दिन इस त्यौहार को पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह महीना चांद देखने के साथ शुरु होता है इस तरह रमजान आखरी दिन चांद देखने के बाद अगले दिन ईद मनाई जाती है। नबील ने कहा कि एक समय पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब ने बद्र की लड़ाई में जीत हासिल की थी इसी जीत की खुशी में सबका मुंह मीठा कराया गया था।

इस्लामी कैलेंडर के अनुसार हिजरी सवत 2 यानी 624 ई. में पहली बार ईद उल फितर मनाया गया। नबील ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा कि पिछले साल और इस वर्ष में भी रमजान ईद कोरोना का भेंट चढ़ गया। उन्होंने रब से दुआ करते हुए कहा कि या रब इस मुसीबत से हम सब को निजात दे और पूर्व की भांति अमन चैन और सुकून की जिंदगी हम सब गुजरे, ऐ मौला सब कुछ पहले सा कर दे...आमीन।

ईद का पैग़ाम-3 (10-05-2021)

नबी-ए-करीम (स.) सादगी से मनाया करते थे ईद

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं होता मगर वो रमज़ान से इसलिए खुश होते हैं कि रमज़ान खत्म होते ही ईद आयेगीऔर ईद आने का मतलब है कि ईदी मिलेगी। ईद का जश्न रमज़ान के 29 या फिर 30 वीं तारीख का चांद देखे जाने के बाद अगली सुबह ईद की नमाज़ के साथ एक शव्वाल को शुरु होता है। यह एक ग्लोबल पर्व है। पूरी दुनिया इस त्योहार के अल्लास में कई दिन तक डूबी रहती है। मगर आपने कभी सोचा है प्यारे नबी हज़रत मोहम्मद (स.) ईद कैसे मनाते थे। 

 नबी-ए-करीम (स.) ईद सादगी से मनाया करते थे। इसलिए इस्लाम में सादगी से ईद मनाने का हुक्म है। एक वाक्या है, जिससे सभी को बड़ी सीख मिल सकती है। एक बार नबी-ए-करीम हजरत मोहम्मद (स.) ईद के दिन सुबह फज्र की नमाज़ के बाद घर से बाज़ार जा रहे थे। कि आपको एक छोटा बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया। नबी (स.) ने उससे कहा आज तो हर तरफ ईद की खुशी मनायी जा रही है ऐसे में तुम क्यों रो रहे होउसने कहा यही तो वजह है रोने कीसब ईद मना रहे हैं मैं यतीम हूंन मेरे वालिदैन है और न मेरे पास कपड़े और जूते-चप्पल के लिए पैसा। यह सुनकर नबी (स.) ने उसे अपने कंधों पर बैठा लिया और कहा कि तुम्हारे वालिदैन भले नहीं हैं मगर मैं तुम्हे अपना बेटा कहता हूं। नबी-ए-करीम (स.) के कंधे पर बैठकर बच्चा उनके घर गया वहां से तैयार होकर ईदगाह में नमाज़ अदा की। जो बच्चा यतीम था उसे नबी-ए-करीम (स.) ने चन्द मिनटों में ही अपना बेटा बनाकर दुनिया का सबसे अमीर बना दिया। इसलिए ईद आये तो सभी में आप भी खुशियां बांटे। इसे ईद-उल-फित्र इसलिए कहते हैं क्यों कि इसमें फितरे के तौर पर किलों 45 ग्राम गेंहू जो हम खाते हो उसके दाम के हिसाब से घर के तमाम सदस्यों को सदाका-ए-फित्र निकालना होता है। दरअसल ईद उसकी है जिसने रमज़ान भर इबादत कि और कामयाबी से रमज़ान के पूरे रोज़े रखे।

                   हाफिज़ नसीम अहमद बशीरी

        (इमामे जुमा, शाही मसजिद ढ़ाई कंगूरा, ज़ेरेगूलर)

     (फाईल फोटो)

रविवार, 9 मई 2021

शबे कद्र :रोजेदार कर रहे जाग कर इबादत

हज़ार रातों में अफज़ल है शबे कद्र की एक रात

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान महीने के आखरी अशरे के दस दिनों में पांच रातें ऐसी होती हैं जिन्हें ताक रातें कहा जाता है। ये हैं रमज़ान की 21, 23, 25, 27 व 29 वीं की शब। इममें से कोई एक शबेकद्र की रात होती है। यह रात हजार महीनों से बेहतर मानी जाती है। यही वजह है कि इन पांचों रातों में मुस्लिम मस्जिदों व घरों में अल्लाह की कसरत से इबादत करते हैं। 21, 23 व 25 की शबे कद्र बीत गई है। आज 27 वीं मुकददस रात है। यही वजह है कि मर्द ही नही महिलाएं और बच्चे भी घरों में रात जागकर इबादत करते दिखाई दिये। इसके बाद 29 वी की शब इस रमज़ान की आखिरी शबे कद्र की रात होगी। मौलाना हसीन अहमद हबीबी कहते हैं कि रब कहता है कि तुम्हारे लिए एक महीना रमजान का है, जिसमें एक रात है जो हजार महीनों से अफजल है। उस रात का नाम शबे कद्र है।यानी यह कद्र वाली रात है कि जो शख्स इस रात से महरूम रह गया वो भलाई और खैर से दूर रह गया। जो शख्स इस रात में जागकर ईमान और सवाब की नीयत से इबादत करता है तो उसके पिछले सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह रात बड़ी बरकतों वाली रात होती है। इस रात को मांगी गई दुआ हर हाल में रब कुबूल करता है।


ईद का पैग़ाम -02 (09-05-2021)

जो रमज़ान के इम्तेहान में पास हुआ उसी की ईद

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। जो रमज़ान के इम्तेहान में पास हुआ उसी को ईद मनाने का हक है। दरअसल मज़हबे इस्लाम में सब्र और आजमाइश को आला दर्जा प्राप्त है। कहा जाता है कि रब वक्त-वक्त पर हर बंदों का इम्तेहान लेता है और उन्हें आज़माता है। ईद की कहानी भी सब्र और आज़माइश का ही हिस्सा है। यानी माह भर जिसने कामयाबी से रोज़ा रखासब्र कियाभूखा रहाखुदा की इबादत कीवो रमज़ान के इम्तेहान में पास हो गया और उसे रब ने ईद कि खुशी अता फरमायी। दरअसल ईद उसकी है जो सब्र करना जानता होजिसने रमज़ान को इबादतों में गुज़ारा होजो बुरी संगत से पूरे महीने बचता रहा होमगर उस शख्स को ईद मनाने का कोई हक़ नहीं है जिसने पूरे महीने रोज़ा नहीं रखा और न ही इबादत की। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया कि रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दियासुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर कियाउस पर अमल करता रहावैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। यह महीना इस बात की ओर भी इशारा करता है कि अगर एक महीने की इबादत के बाद ईद की खुशी बंदों को रब देता है तो 12 महीने अगर इबादतों में गुज़ारा जाये तो जिन्दगी में हर दिन ईद जैसा और हर रात रमज़ान जैसी होगी। रमज़ान महीने की इबादत इसलिए भी महबूब है क्यों कि ये अल्लाह का महीना है और इस महीने के पूरा होते ही खुदा ईद का तोहफा देकर यह बताता है कि ईद की खुशी तो सिर्फ दुनिया के लिए ह। इससे बड़ा तोहफा कामयाब रोज़ेदारों को आखिरत में जन्नत के रूप में मिलेगा। पूरी दुनिया में यह अकेला ऐसा त्योहार है जिसमें कोईभी पुराने या गंदे कपड़ों में नज़र नहीं आता। अगर एक महीने की इबादत के बाद ईद मिलती है तो हम साल के बारह महीने इबादत करें तो हमारा हर दिन ईद होगा। तो हम क्यों न हर दिन हर महीना अपना इबादत में गुज़ारे।



             आतिफ मोहम्मद खालिद

(शिक्षक, कमलापति त्रिपाठी इंटर कालेज वाराणसी)

 

शनिवार, 8 मई 2021

ईद का पैगाम-1(08-05-2021)

 सबको खुशियां बांटने का नाम है ईद

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान के बाद जब ईद आये तो इस बात का पता करो कहीं कोई रो तो नहीं रहा हैकोई ऐसा घर तो नहीं बचा है जहां ईद के लिए सेवईयां न हो। कोई पड़ोसी भूखा तो नहीं है। अगर ऐसा है तो उसकी मदद करना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है।

अरबी में किसी चीज़ के बार-बार आने को उद कहा जाता है उद से ही ईद बनी है। ईद का मतलब ही वो त्योहार है जो बार-बार आये। यानी जिसने रोज़ा रखा है उसके लिए ईद बार-बार आएगी। ईद तोहफा है उनके लिए जिन्होंने एक महीना अपने आपको अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया। यही वजह है कि रमज़ान और ईद एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। अगर रमज़ान होता और ईद न होती तो हमें शायद इतनी खुशी न होती। खासकर छोटे-छोटे बच्चे जिन्हें किसी से कोई लेना देना नहीं होता मगर वो इसलिए खुश होते हैं कि रमज़ान खत्म होते ईद आयेगीईदी मिलेगी। इसे ईद-उल-फित्र भी कहते हैं क्यों कि इसमें फितरे के तौर पर किलों 45 ग्राम गेंहू जो हम खाते हो उसके दाम के हिसाब से घर के तमाम सदस्यों को सदाका-ए-फित्र निकालना होता है। दरअसल ईद उसकी है जिसने रमज़ान भर इबादत किया और कामयाबी से रमज़ान के पूरे रोज़े रखे। नबी-ए-करीम (स.) ईद सादगी से मनाया करते थे। इसलिए इस्लाम में सादगी से ईद मनाने का हुक्म है। एक बार नबी (स.) ईद के दिन सुबह फज्र की नमाज़ के बाद घर से बाज़ार जा रहे थे कि आपको एक छोटा बच्चा रोता हुआ दिखाई दिया। नबी (स.) ने उससे कहा आज तो हर तरफ ईद की खुशी मनायी जा रही है ऐसे में तुम क्यों रो रहे होउसने कहा यही तो वजह है रोने कीसब ईद मना रहे हैं मैं यतीम हूंन मेरे वालिदैन है और न मेरे पास कपड़े और जूते-चप्पल के लिए पैसा। यह सुनकर नबी (स.) ने उसे अपने कंधों पर बैठा लिया और कहा कि तुम्हारे वालिदैन भले नहीं हैं मगर मैं तुम्हे अपना बेटा कहता हूं। नबी-ए-करीम (स.) के कंधे पर बैठकर बच्चा उनके घर गया वहां से तैयार होकर ईदगाह में नमाज़ अदा की। जो बच्चा यतीम था उसे नबी-ए-करीम (स.) ने चन्द मिनटों में ही अपना बेटा बनाकर दुनिया का सबसे अमीर बना दिया। इसलिए ईद आये तो सभी में आप भी खुशियां बांटेसबको खुशी देंसही मायने में तभी आपकी ईद होगी। अल्लाह ताला सभी को रोज़ा रखने की तौफीक दे ताकि सभी की ईद हो जाये..आमीन।

                      


                      डा. मो. आरिफ

{लेखक मुस्लिम मामलो के जानकार व इतिहासकार हैं

शुक्रवार, 7 मई 2021

इन छात्रों ने बना डाला 'ऑक्सीजन कांसट्रेटर'


तो उत्तर प्रदेश में खत्म होगी ऑक्सीजन की समस्या




लखनऊ (प्रताप बहादुर सिंह/दिल इंडिया लाइव)। जहाँ एक ओर पूरे देश मे कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सिजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है, उसमे लखनऊ, मोहनलालगंज के तिरुपति कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों ने इस कमी को पूरा करने के लिए जरूरी 'ऑक्सीजन कांसट्रेटर' का निर्माण कर एक बार फिर से अपना लोहा मनवाया है। कॉलेज के इलेक्ट्रिकल विभाग एवं कॉलेज प्रबंधन द्वारा पिछले 20 दिनों से प्रोजेक्ट ''प्राणवायु'' पर काम चल रहा था, जिसे पूरा कर लिया गया है।

कॉलेज द्वारा बनाये गए ऑक्सीजन कांसट्रेटर की क्षमता 10 लीटर प्रति मिनट की है। इस मशीन को पीएसए (प्रेसर स्विंग एब्सॉर्प्शन) तकनीक पर बनाया गया है जिसकी मदद से यह मशीन वायुमंडल से ऑक्सीजन और नाइट्रोजन को अलग कर के 43 से 45 फीसदी शुद्ध ऑक्सीजन देता है। खास बात यह है कि इसे पूर्णतया स्वदेशी तकनीक पर बनाया गया है जिसका वजन मात्र 16 किलो है। 

ज्ञातव्य हो कि इस समय देश मे ऑक्सीजन कांसट्रेटर की मांग बहुत ज्यादा है,परंतु उस सापेक्ष निर्माण बिल्कुल नही है। ऐसे में यदि सरकारी संस्थाएं और गैर सरकारी संस्थाएं तिरुपति द्वारा विकसित किये गए ऑक्सीजन कांसट्रेटर में रुचि दिखाते है तो उत्तर प्रदेश के हालात सामान्य होने में काफी मदद मिल सकती है। कॉलेज की प्रबंधक श्रीमती मोनिका शर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट प्राणवायु को ख्यात चिकित्सक डॉ. डी.एन. शर्मा एवं चैयरमैन डॉ. प्रभात त्रिपाठी की देखरेख में पूरा किया गया है। प्रोजेक्ट गाइड निदेशक आशुतोष शर्मा एवं अध्यापक राजेन्द्र दीक्षित के निर्देशन में फार्मेसी अंतिम वर्ष के छात्र आदित्य तिवारी एवं इलेक्ट्रिकल अंतिम वर्ष के छात्र आदर्श विक्रम सिंह ने प्रोजेस्ट प्राणवायु को अंतिम स्वरूप प्रदान किया।

मोनिका शर्मा ने यह भी बताया कि इसकी लागत बाजार में मिलने वाले चीन के ऑक्सीजन कांसट्रेटर से लगभग आधी है, यदि सरकार का सहयोग मिला तो यहाँ के छात्र प्रतिदिन 20 ऑक्सीजन कांसट्रेटर का निर्माण कर सकते है।

बताते चले कि महामारी की पहली लहर के दौरान भी तिरुपति के छात्रों ने ही सबसे पहली बार डिसिन्फेक्टिव टनल एवं सेन्सरयुक्त हैंड सेनेटाइज़ेशन मशीन बनाई थी। वही पानी से चलने वाली बाइक का निर्माण कर यहाँ के छात्र पहले ही अपना लोहा तकनीक के क्षेत्र में मनवा चुके है।

Varanasi : गुटखा व्यवसायी ने खुद को गोली से उड़ाया

व्यापारी ने खुद को अपनी ही लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारी, मचा कोहराम  सरफराज अहमद Varanasi (dil India live)। चेतगंज थाना के पान दरीबा के काली...