तो उत्तर प्रदेश में खत्म होगी ऑक्सीजन की समस्यालखनऊ (प्रताप बहादुर सिंह/दिल इंडिया लाइव)। जहाँ एक ओर पूरे देश मे कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सिजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है, उसमे लखनऊ, मोहनलालगंज के तिरुपति कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग के छात्रों ने इस कमी को पूरा करने के लिए जरूरी 'ऑक्सीजन कांसट्रेटर' का निर्माण कर एक बार फिर से अपना लोहा मनवाया है। कॉलेज के इलेक्ट्रिकल विभाग एवं कॉलेज प्रबंधन द्वारा पिछले 20 दिनों से प्रोजेक्ट ''प्राणवायु'' पर काम चल रहा था, जिसे पूरा कर लिया गया है।
कॉलेज द्वारा बनाये गए ऑक्सीजन कांसट्रेटर की क्षमता 10 लीटर प्रति मिनट की है। इस मशीन को पीएसए (प्रेसर स्विंग एब्सॉर्प्शन) तकनीक पर बनाया गया है जिसकी मदद से यह मशीन वायुमंडल से ऑक्सीजन और नाइट्रोजन को अलग कर के 43 से 45 फीसदी शुद्ध ऑक्सीजन देता है। खास बात यह है कि इसे पूर्णतया स्वदेशी तकनीक पर बनाया गया है जिसका वजन मात्र 16 किलो है।
ज्ञातव्य हो कि इस समय देश मे ऑक्सीजन कांसट्रेटर की मांग बहुत ज्यादा है,परंतु उस सापेक्ष निर्माण बिल्कुल नही है। ऐसे में यदि सरकारी संस्थाएं और गैर सरकारी संस्थाएं तिरुपति द्वारा विकसित किये गए ऑक्सीजन कांसट्रेटर में रुचि दिखाते है तो उत्तर प्रदेश के हालात सामान्य होने में काफी मदद मिल सकती है। कॉलेज की प्रबंधक श्रीमती मोनिका शर्मा ने बताया कि इस प्रोजेक्ट प्राणवायु को ख्यात चिकित्सक डॉ. डी.एन. शर्मा एवं चैयरमैन डॉ. प्रभात त्रिपाठी की देखरेख में पूरा किया गया है। प्रोजेक्ट गाइड निदेशक आशुतोष शर्मा एवं अध्यापक राजेन्द्र दीक्षित के निर्देशन में फार्मेसी अंतिम वर्ष के छात्र आदित्य तिवारी एवं इलेक्ट्रिकल अंतिम वर्ष के छात्र आदर्श विक्रम सिंह ने प्रोजेस्ट प्राणवायु को अंतिम स्वरूप प्रदान किया।
मोनिका शर्मा ने यह भी बताया कि इसकी लागत बाजार में मिलने वाले चीन के ऑक्सीजन कांसट्रेटर से लगभग आधी है, यदि सरकार का सहयोग मिला तो यहाँ के छात्र प्रतिदिन 20 ऑक्सीजन कांसट्रेटर का निर्माण कर सकते है।
बताते चले कि महामारी की पहली लहर के दौरान भी तिरुपति के छात्रों ने ही सबसे पहली बार डिसिन्फेक्टिव टनल एवं सेन्सरयुक्त हैंड सेनेटाइज़ेशन मशीन बनाई थी। वही पानी से चलने वाली बाइक का निर्माण कर यहाँ के छात्र पहले ही अपना लोहा तकनीक के क्षेत्र में मनवा चुके है।