रविवार, 25 अप्रैल 2021
प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र का निधन
ज़कात का पैसा निकालो तो फौरन हक़दार को अदा करो
रमज़ान हेल्प लाईन: आपके सवालों का जवाब दे रहें हैं मुफ्ती साहब
लोहता से, जिस पर उलेमा ने कहा कि पहले बिस्मिल्लाह करके रोज़ा खोले फिर रोज़े की दुआ पढ़े। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।
इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई
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रमज़ान का पैग़ाम-12(25-04-2021)
सब्र व एखलाक में नरमी सिखाता है रमजान
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) मुकद्दस रमज़ान हमें सब्र करने के साथ ही अपने एखलाक में नरमी की सीख भी देता है। रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का पैगाम देता है। इसकी वजह यह है कि एक रोज़ेदार को रमज़ान में अल्लाह ने हर उस काम से बचने का हुक्म दिया है, जिसकी इजाज़त शरीयत नहीं देती। इसी के चलते 12 महीनों में इस एक महीने का अपना अलग मुकाम है। रमज़ान इबादत और अदब का महीना तो है ही साथ ही इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही बेशुमार इबादत करते हुए तमाम तरह का सब्र अख्तियार करता है। मेरे प्यारे नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। रमज़ान में मासूम बच्चों व नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लो, यह महीना इबादत और अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि रमज़ान आते ही बंदियों को रिहा कर दो। इस महीने में झगड़ा और फसाद को सख्ती से मना फरमाया गया है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि मारपीट, बहस, लड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करें। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छा समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथ, दूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करे, पड़ोसी मुसलमान हो या हिन्दू या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाए। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम करार दिया गया है। मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने वाली हरकतों से बचना चाहिए। यह महीना बक्शीश का महीना है। इसलिए बंदों को चािहए कि अल्लाह और उसके रसूल से अपने तमाम गुनाहों के लिए रो-रोकर माफी मांगे। देर रात तक खूब इबादत करे। ऐ परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, इबादत करने की तौफीक दे ताकि हम सबकी जिन्दगी कामयाब हो जाये.. आमीन।
मो. शाहिद खां
{सदर, हिन्दुस्तानी तहजीब वाराणसी}
जी हां मैं हूँ नन्हें रोज़ेदार
हट्टे-कट्टे बेरोज़ेदारों के लिए आईना है नन्हा अज़हान
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। भीषण गर्मी से लोगों का बुरा हाल है, मगर धूप, उमस और भीषण गर्मी की परवाह किये बिना भी बहुत से छोटे-छोटे बच्चे रोज़ा रख रहे हैं। ऐसे ही बच्चों की फेहरिस्त में शामिल है। हुकुलगंज के नन्हे रोज़ेदार मोहम्मद अज़हान। आदिल इस्लाम व नौशीन परवीन के लख्ते जिगर अज़हान ने आज अपनी जिन्दगी का पहला रोज़ा रखा। सात साल की छोटी सी उम्र में रोज़ा रखकर इस नन्हें रोज़ेदार ने उन बेरोज़ेदारों को आईना दिखाया है जो हट्टे-कट्टे होकर भी रब की रज़ा के लिए रोज़ा नहीं रखते। आदिल कहते हैं कि हम लोगों को यकीन ही नहीं हुआ कि अज़हान सच में रोज़ा रख लेगा मगर जब 12 बजे तक उसने कुछ नहीं खाया तो हम लोगों ने भी मना नहीं किया। शाम में जब अज़ान हुई तो रोज़ा खोलकर नन्हें अज़हान ने पूरी कायनात के लिए दुआएं की।
मुख्तार अंसारी को भी कोरोना
मुख्तार समेत बांदा जेल के 291 कैदी बीमार
बांदा(दिल इडिया लाइव)। उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में भी कोरोना फैल गया है। यहाँ खास बात यह है कि जेल में बंद मऊ के बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी कोरोना संक्रमित हो गये है। शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जेल जाकर सैंपल लिया था। रविवार को आई रिपोर्ट में 291 लोग संक्रमित मिले हैं। इसमें मुख्तार अंसारी सहित जेल के कई बंदी पॉजिटिव पाए गए हैं। फिलहाल मुख्तार अंसारी की हालत स्थिर है। बांदा में कुल संक्रमितों की संख्या 6760 पहुंच गई है। सक्रिय संक्रमितों की संख्या 1538 है। जिले में अब तक कुल 76 मौतें हुईं हैं।
कोरोना से निजात की दुआ संग चढ़ी चादर
गाज़ी मियां की लगन संग शादी की सस्म शुरु
वाराणसी (दिल इंंडिया लाइव) वाराणसी के बड़ी बाजार स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह की शादी के सवा महीने पूर्व आज लगन रखी गयी। इस दौरान कोरोना महामारी को देखते हुए जहां सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखा गया था, वहीं कोरोना से निजात की दुआएं भी मांगी गई। इसके बाद कुछ ही देर में दरगाह बंद कर दिया गया। इसी के साथ गाज़ी मियां की लग्न के साथ ही गाज़ी मियां की शादी की रस्म की शुरुआत भी हो गई।
दरगाह गाज़ी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी की देखरेख में हल्दी की रस्म निभाई गई। आयोजन में इलाकाई जायरीन और दरगाह कमेटी के सदर हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान, जीशान अहमद, अब्दुल अब्दुल्लाह हाशमी की अगुवाई में फातिहा और चादर पोशी की गयी और जायरीनों को हल्दी लगायी गयी। जिसमें कुछ ही अकीदतमंदों ने हिस्सा लिया। अन्त में सभी इलाकाई साथियों का दरगाह कमेटी के लोगों ने शुक्रिया अदा किया ।
शनिवार, 24 अप्रैल 2021
पता करो कोई पड़ोस में भूखा तो नहीं है...
रमज़ान का पैग़ाम: 11(24-04-2021)
रब कहता है मांगों न दूं तो कहो, मगर हमें मांगना ही नहीं आता
वाराणसी (अमन/दिल इंडिया लाइव)। पूरी दुनिया कोरोना कि आपदा से खौफज़दा है, मरने वालों और बीमार होने वालो का आंकड़ा रोज़ नया रिकार्ड बना रहा है। इस बार कोरोना कि रफतार काफी तेज़ है, इस बार कोई ये भी नही कह रहा है कि कोरोना जमातियो ने या नमाज़ियो ने फैलाया। कहीं कोई किसी पर दोष भी नही दे रहा है बल्कि सब यही चाह रहे हैं कि किसी तरह वो इसकी जद में न आये। मुसलमानो के लिए तो ईमान मज़बूत करने का ये वक्त है, क्यों कि कोरोना आपदा के साथ ही एक ऐसा महीना भी आ गया है जिस महीने को रब ने अपना महीना कहा है, रब तो यहाँ तक कहता है कि मांगो न दूं तो कहना। मगर हम कितने बदनसीब हैं कि हमें मांगना ही नही आता। हम रमज़ान का रोज़ा रख रहे हैं मगर हम मांग नहीं पा रहे हैं कि, मौला कोरोना कि आपदा दूर कर दे। रोज़ मस्जिदों से ऐलान हो रहा है कि आज फला का इंतेकाल हो गया, आल फला गुज़र गया मगर हमें क्या हो गया है कि हम केवल और केवल अपना सोचते हैं। हमारी इफ्तार कि थाली में वो सारे लज़ीज़ पकवान हो जो दुनिया में बेहतर माने जाते हैं भले ही रहमतपुर, पुरानापुल, बजरडीहा, जोल्हा और लोहता कि गरीब बस्ती में कारोबार खराब होने कि वजह से फाके का मंज़र हो, वहाँ के रोज़ेदारो को रोज़ा खोलने के लिए खजूर तो दूर पानी भी अगर मयस्सर न हो तो कैसे खुद को हम मुसलमान कहेंगे।
इस्लाम कह रहा है कि पता करो कोई पड़ोस में भूखा तो नहीं हैं, अगर कोई तुम्हारे पड़ोस में भूखा हैं, उसके घर पर इफ्तारी का सामान नही है तो उसकी भूख मिटाना, उसे इफ्तारी का सामान मुहैया कराना तुम्हारी ज़िम्मेदारी है। मगर हम पहले अपना पेट भरने के चक्कर में अपनी ज़िम्मेदारी भूलते जा रहे हैं। इस्लाम ने अगर पड़ोसी का अधिकार दिया है तो ज़कात का सिस्टम भी बनाया है ताकि हर साहिबे निसाब अपने दौलत और जमा कमाई का शरीयत कि ओर से तय मानक (ढाई फीसद (2.5%) ) के हिसाब से गरीबो को ज़कात दे दें ताकि वो भी रमज़ान और ईद कि खुशियां मना सकें, मगर जब पूरा रमज़ान जाने लगेगा तब ज़कात निकाली जायेगी तो किसी का क्या भला होगा। इस्लाम यह भी कह रहा है कि एक हाथ से दो तो दूसरे को पता न चले कि क्या दिया और किसे दिया, कितना दिया। आज ज़कात देने में भी दिखावा और चालाकी कि जा रही हैं। शायद यही वजह है कि तमाम आपदाएं और परेशानिया हमें घेरे हुए हैं।
ज़कात देना हर साहिबे नेसाब पर वाजिब है। साहबे नेसाब वो है जिसके पास साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी में से कोई एक हो, या फिर बैंक, बीमा, पीएफ या घर में इतने के बराबर साल भर से रकम रखी हो तो उस पर मोमिन को ज़कात देना वाजिब है। ज़कात शरीयत में उसे कहते हैं कि अल्लाह के लिए माल के एक हिस्से को जो शरीयत ने मुकर्रर किया है मुसलमान फक़़ीर को मालिक बना दे। ज़कात की नीयत से किसी फक़़ीर को खाना खिला दिया तो ज़कात अदा न होगी, क्योंकि यह मालिक बनाना न हुआ। हां अगर खाना दे दे कि चाहे खाये या ले जाये तो अदा हो गई। यूं ही ज़कात की नियत से कपड़ा दे दिया तो अदा हो गई। ज़कात वाजिब के लिए चंद शर्ते है : मुसलमान होना (इसलिए कि ये इस्लामी टैक्स है), बालिग होना, आकि़ल होना, आज़ाद होना, मालिके नेसाब होना, पूरे तौर पर मालिक होना, नेसाब का दैन से फारिग होना, नेसाब का हाजते असलिया से फारिग होना, माल का नामी होना व साल गुज़रना। आदतन दैन महर का मोतालबा नहीं होता लेहाज़ा शौहर के जिम्मे कितना दैन महर हो जब वह मालिके नेसाब है तो ज़कात वाजिब है। ज़कात देने के लिए यह जरूरत नहीं है कि फक़़ीर को कह कर दे बल्कि ज़कात की नीयत ही काफी है।
फलाह पाते हैं जो ज़कात देते है
नबी-ए-करीम ने फरमाया जो माल बर्बाद होता है वह ज़कात न देने से बर्बाद होता है और फरमाया कि ज़कात देकर अपने मालों को मज़बूत किलों में कर लो और अपने बीमारों को इलाज सदक़ा से करो और बला नाज़िल होने पर दुआ करो। रब फरमाता है कि फलाह पाते हैं वो लोग जो ज़कात अदा करते है। जो कुछ रोज़ेदार खर्च करेंगे अल्लाह ताला उसकी जगह और दौलत देगा, अल्लाह बेहतर रोज़ी देने वाला है। आज हम और आप रोज़ी तो मांगते है रब से, मगर खाने कि, इफ्तार कि खूब बर्बादी करके गुनाह भी बटौरते है, इससे हम सबको बाज़ आना चाहिए।
उन्हे दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो
अल्लाह रब्बुल इज्जत फरमाता है जो लोग सोना, चांदी जमा करते हैं और उसे अल्लाह की राह में खर्च नहीं करते उन्हें दर्दनाक अज़ाब की खुशखबरी सुना दो। जिस दिन जहन्नुम की आग में वो तपाये जायेंगे और इनसे उनकी पेशानियां, करवटें और पीठें दागी जायेगी। और उनसे कहा जायेगा यह वो दौलत हैं जो तुमने अपने नफ्स के लिए जमा किया था। ऐ अल्लाह तू अपने हबीब के सदके में हम सबको ज़काते देने की तौफीक दे..आमीन
'हमारी फिक्र पर पहरा लगा नहीं सकते, हम इंकलाब है हमको दबा नहीं सकते'
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