बुधवार, 14 सितंबर 2022

Satya Dev डिग्री कालेज में मनाया गया हिन्दी दिवस




Himanshu Rai 

Ghazipur (dil india live). सत्यदेव डिग्री कालेज, गाजीपुर में हिंदी दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी और लघु कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर  सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेजेज के प्रबंध निदेशक डा. सानंद कुमार सिंह जी के हिंदी के मंचासिन विद्वानों के साहित्यिक परिचय के साथ स्वागत करते हुए कहा कि यह गौरव के उत्सव का क्षण है ।आज इस अवसर पर हम सभी साहित्यकारों के साहित्यिक कृतियों को याद करते हुए उनसे प्रेरणा ले।उन्होंने सभी छात्रों का आह्वान किया कि वे आज से हिंदी लिखने का अभ्यास शुरू करे।उन्होंने कहा की हिंदी भाषा का सम्मान करते हुए कम से कम एक पत्र मुझे ही संबोधित कर लिखे।उन्होंने मंच पर बैठे विद्वत जनों को  इंगित करते हुए कहा की ये जो लोग मंच पर बैठे है इन्होंने हिंदी को समृद्ध करने के लिए कुछ न कुछ दिया है।हमे हिंदी को दुनिया के कोने कोने में पहुंचने का प्रयास करना है।हम हिंदी का आदर करते हुए संकल्प लेते है कि हम सभी हिंदी को समृद्ध बनाने का सतत प्रयत्न करते रहे। इस अवसर पर हिंदी के विद्वानों में डा. प्रमोद श्रीवास्तव जी, डा. ऋचा राय जी, डा. संगीता मौर्य जी, डा. निरंजन जी,श्री कामेश्वर दूबे जी,का सम्मान अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह देकर किया गया।

 संगोष्ठी में डा. ऋचा राय, डा. संगीता मौर्य, डा. निरंजन जी ने हिंदी साहित्य के संदर्भ में शोधपरक व्याख्यान दिए वही डा. प्रमोद, कामेश्वर दूबे ने अपनी कविताएं सुनाकर उपस्थित छात्र छात्राओं का मन मोह लिया।

संगोष्ठी के अध्यक्ष श्री अखिलेश्वर प्रसाद सिंह ने सभी वक्ताओं के व्यक्तव्य का निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए ऐसे भव्य संगोष्ठी के आयोजन के लिए संस्था प्रमुख डा. सानंद सिंह का आभार व्यक्त किया।

अंत में डा. सानंद सिंह जी ने संगोष्ठी में उपस्थित सभी लोगो के प्रति आभार प्रकट करते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया।संगोष्ठी का संचालन डिग्री कालेज के प्राचार्य डा o राम चन्द्र दूबे जी ने किया। संगोष्ठी में सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेजेज के काउंसलर श्री दिग्विजय उपाध्याय जी,सत्यदेव डिग्री कालेज के निदेशक श्री अमित रघुवंशी जी सत्यदेव इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटेक्निक के प्राचार्य,डिग्री कालेज के सभी प्राध्यापक और कर्मचारियों ने सहभागिता की।

Kavi kn lal को श्रद्धांजलि सभा में दी गई पुष्पांजलि


Ghazipur (dil india live). सत्यदेव डिग्री कालेज में जिले के प्रसिद्ध होमियोपैथिक चिकिसक और कवि डा. केएन लाल के निधन पर एक श्रृद्धांजली सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजली सभा में सत्यदेव ग्रुप ऑफ़ कालेजेज के प्रबंध निदेशक डा. सानंद सिंह, काउंसलर दिग्विजय उपाध्याय, सत्यदेव डिग्री कालेज के निदेशक अमित रघुवंशी, प्राचार्य डॉ. राम चन्द्र दूबे और नगर के कई महाविद्यालयों और इंटर कालेज के प्राध्यापको ने डा. के एन लाल के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि दी।

श्रद्धांजली सभा में बोलते हुए डा. सानंद सिंह ने डा. लाल को अपने पिता का अभिन्न मित्र बताते हुए संस्थान का अभिन्न हितैषी बताया। कहा कि डा. लाल एक कुशल चिकित्सक ही नहीं बल्कि समाज सेवक के रूप में भी विख्यात थे। उनकी रुचि हिंदी साहित्य में भी थी उन्होंने दर्जनों कविता की रचना भी की है।

शोक सभा में प्रसिद्ध समाज सेवी डा. केएन लाल के बेहद करीबी कौशलेंद्र ने डा. लाल के समाज में सहज पैठ को याद करते हुए कहा कि वे नितांत सरल प्रकृति के व्यक्तित्व थे। वे न केवल एक कुशल होमियोंपैथ चिकित्सक थे बल्कि एक मजे हुए कवि भी थे। वे अपने कविताओं की भाषा में शब्दो का प्रयोग बड़े सूझ बूझ के साथ करते थे।

श्रद्धांजली सभा में उपस्थित डा. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, डा. ऋचा राय, डा. संगीता मौर्य, डा. निरंजन, डा. राम चन्द्र दूबे, कामेश्वर दूबे, अमित रघुवंशी, दिग्विजय उपाध्याय ने डा. लाल के चित्र पर पुष्पांजलि देते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया। अंत में सभी उपस्थित जन दो मिनट का मौन रखते हुए उनको श्रद्धांजली अर्पित की। श्रद्धांजली सभा का संचालन डिग्री कालेज के प्राचार्य डॉ. राम चन्द्र दूबे ने किया।

Hindi Divas: सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषा

भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण रखने में हिंदी का अहम योगदान: पीएमजी 

हिंदी दिवस का केन्द्रीय विद्यालय 39 में पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव ने किया शुभारम्भ




Varanasi (dil india live). सृजन एवं अभिव्यक्ति की दृष्टि से हिंदी दुनिया की अग्रणी भाषाओं में से एक है। हिन्दी सिर्फ एक भाषा ही नहीं बल्कि हम सबकी पहचान है, यह हर हिंदुस्तानी का हृदय है। भारतीय संस्कृति को अक्षुण्ण रखने में हिंदी का बहुत बड़ा योगदान है। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल एवं चर्चित साहित्यकार श्री कृष्ण कुमार यादव ने केन्द्रीय विद्यालय 39 गो.प्र.के. वाराणसी कैंट में आयोजित हिंदी दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किये। प्राचार्य श्री बैरिस्टर पांडेय ने हिन्दी दिवस पर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान का संदेश पढ़ कर विद्यार्थियों को हिंदी के प्रति प्रेरित किया। विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना एवं लोक विधा पर आधारित कजरी का भी प्रस्तुतिकरण किया गया तो छात्रा पल्लवी ने हिन्दी के महत्त्व एवं उपयोगिता पर अपना विचार प्रस्तुत किया। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने विद्यार्थियों से रूबरू होते हुए हिंदी को मातृ भाषा के रूप में जननी की तरह सम्मान देने और राष्ट्र निर्माण व आपसी भाईचारे के बढ़ाने में हिंदी की महत्ता पर जोर दिया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिन्दी की अहम् भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि हिन्दी सिर्फ साहित्य ही नहीं बल्कि विज्ञान से लेकर संचार-क्रांति, सूचना प्रौद्योगिकी और नवाचार की भाषा भी है। संविधान में वर्णित सभी प्रांतीय भाषाओं का पूर्ण आदर करते हुए इस विशाल बहुभाषी राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने में भी हिन्दी की एक महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में हिन्दी भाषा के प्रयोग पर हमें गर्व महसूस करना चाहिए। 

कार्यक्रम का संचालन श्री हरेन्द्रनाथ त्रिपाठी और धन्यवाद ज्ञापन हिन्दी विभाग के वरिष्ठ शिक्षक श्री सुरेन्द्र कुमार पाठक द्वारा किया गया।  इस अवसर पर सर्वश्री एस.के सिंह, पंकज शर्मा, राजबली सिंह, अरविन्द कुमार खरवार, के.एन.तिवारी सहित तमाम शिक्षक भी मौजूद रहे।

Hazrat Panjabi Shah बाबा के उर्स में जुटेंगे मन्नती

उर्स कल, सज गया पंजाबी शाह रहमतुल्लाह अलैह का दर



Varanasi (dil india live). हज़रत पंजाबी शाह बाबा  रहमतुल्लाह अलैह का सालाना उर्स जुमेरात को अकीदत के साथ गौरीगंज (भवनिया) सिथत दरगाह में मनाया जाएगा। पंजाबी शाह बाबा के दर पर उर्स के दौरान मन्नत वाह मुराद मांगने लोगों का हुजूम जुटता हैं। कोई बाबा के दर पर फातेहा पढ़ता है तो कोई मन्नतें वह मुराद मांगता दिखाई देता है। दरअसल बाबा का दर गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है। यहां सभी मजहब के लोग उर्स के दौरान अपनी अकीदत लुटाते दिखाई देते हैं। मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, मौलाना गुलाम मुस्तफा खां हबीबी, मौलाना हसीन अहमद हबीबी समेत तमाम उलेमा हज़रत की दीनी ख़िदमात पर रौशनी डालेंगे तो शायर नातियां कलाम पेश करेंगे।

मंगलवार, 13 सितंबर 2022

Hindi का देश की एकता और अखंडता बनाए रखने में बड़ा योगदान

सुल्तान क्लब ने हिन्दी दिवस की पूर्व संध्या पर कि संगोष्ठी


Varanasi (dil india live)। सामाजिक संस्था " सुल्तान क्लब " की  से विगत वर्षों की भांति इस वर्ष भी हिंदी दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार शाम 4 बजे एक गोष्ठी का आयोजन, रसूलपुरा स्थित कार्यालय में संस्थाध्यक्ष डॉ एहतेशमुल हक़ की अध्यक्षता व महासचिव एच हसन नन्हें के संचालन में सम्पन्न हुआ।

              इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री मालवीय इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य मुसर्रत इस्लाम ने कहा कि आजादी के बाद भी देश में अंग्रेजी के बढ़ते चलन और हिंदी की अनदेखी को रोकने के लिए हर साल 14 सितंबर 1953 ई0 से हिंदी दिवस के रूप में मनाते चले आ रहे हैं। इस भाषा की खास बात यह है कि इसमें जिस शब्द को जिस प्रकार से उच्चारित किया जाता है उसे लिपि में भी उसी प्रकार लिखा जाता है। स्वाधीनता आंदोलन के दौरान राष्ट्रभाषा हिंदी का स्वाभिमान लोगों में समा चुका था लेकिन आजादी के बाद संविधान में हिंदी की विचित्र स्थिति के कारण दुर्भाग्य से यह भाव पहले की अपेक्षा कमजोर ही हुआ यद्यपि सेना अर्धसैनिक बल रेलवे बैंक बीमा और राज्य व केंद्र सरकार के विभिन्न कार्यालयों आदि के माध्यम से हिंदी देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में बड़ा योगदान दे रही है।

हिन्दी मात्र एक भाषा ही नहीं बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाने का एक माध्यम है।यह हमारे चिंतन, मनन ,राष्ट्रगौरव और स्वाभिमान के साथ जुड़ी हुई है।राजभाषा हिंदी अब अंतरराषट्रीय भाषा बनने की ओर अग्रसर है ,फेसबुक और व्हाट्स ऐप भी बिना हिंदी से तालमेल बैठाए आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं,हिंदी भाषा में इंटरनेट संचालित करने वालों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है,हमें गर्व करना चाहिए कि हम हिन्दी भाषी हैं ।

           विशिष्ठ अतिथि जमीअतुल अंसार बनारस के महासचिव इशरत उस्मानी ने कहा कि हमें उर्दू के साथ साथ हिंदी की तरक्की के लिए प्रयासरत रहना चाहिए,हमें उर्दू और हिंदी दोनों से प्यार है।जब हम अपनी बातचीत मे कुछ संस्कृत के शब्दों का प्रयोग करते है तो वो हिंदी हो जाती है और जब बातचीत मे फ़ारसी के अल्फाज़ का इस्तेमाल करते हैं तो वो उर्दू हो जाती है।हक़ीक़त मे ये दोनों हिंदुस्तानी भाषा है।अध्यक्षीय सम्बोधन में डॉ एहतेशामुल हक ने कहा कि हिंदी और उर्दू ये हिंदुस्तान की ऐसी ज़बान है जैसे लगता है कि दो सगी बहने हैं। हिंदी एक ऐसी ज़बान है जिसने बहुत सी ज़बानो के अल्फाज़ को अपने अंदर समाहित करके अपनी विशालता को और बढ़ाया है।हिंदी के विकास के लिए मेरा विचार है कि उच्च शिक्षा मे भी सभी विषय यथा विज्ञान, कला, वाणिज्य, अर्थशास्त्र, चिकित्सा को हिंदी मे पढ़ाया जाना चाहिए। कार्यक्रम की शुरुआत हाफिज मुनीर ने कुरआन की तिलावत से किया,धन्यवाद ज्ञापन अजय कुमार वर्मा ने दिया।

        इस अवसर पर अध्यक्ष डाक्टर एहतेशामुल हक, प्रधानाचार्य मुसर्रत इस्लाम, उपाध्यक्ष अजय कुमार वर्मा व महबूब आलम, महासचिव एच हसन नन्हें, सचिव मुस्लिम जावेद अख्तर, कोषाध्यक्ष शमीम रियाज़, प्रधानाचार्य अबुल वफ़ा अंसारी, इशरत उस्मानी, अब्दुर्रहमान, खलील अहमद ख़ां, मौलाना अब्दुल्लाह, हाफ़िज़ मुनीर, मुख़्तार अहमद, मुहम्मद इकराम, इरफ़ान मौजूद थे।

सोमवार, 12 सितंबर 2022

Sahitya समाज में संस्कारों और संस्कृति का संवाहक :पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव

पीएमजी ने राम बचन सिंह की तीन पुस्तकों का किया विमोचन


Varanasi (dil india live). साहित्य समाज में संस्कारों व संस्कृति का संवाहक है। ऐसे में साहित्यकारों का दायित्व है कि ऐसा लेखन करें जो साहित्य के माध्यम से भारतीय संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाए। उक्त उद्गार साहित्यकार एवं वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने सेवानिवृत्त उप बेसिक शिक्षा अधिकारी श्री राम बचन सिंह यादव 'बेराही' की तीन पुस्तकों - नायाब नायक कर्ण (खंड काव्य), अंतर्बोध (काव्य संग्रह) और असुरवंश बनाम राजवंश (खंड काव्य) का विमोचन करते हुए व्यक्त किया। लाइफ लाइन हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, आजमगढ़ के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में श्री चंद्रजीत सिंह यादव, उप शिक्षा निदेशक, मिर्जापुर मंडल, प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन डॉ. अनूप कुमार सिंह, डॉ. गायत्री सिंह, गीता सिंह भी मंचासीन रहे।

पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि एक तरफ रामायण काल की घटनाओं को सहेजे खंड-काव्य 'असुरवंश बनाम राजवंश' तो दूसरी तरफ महाभारत काल के 'नायाब नायक कर्ण' के जीवन के अंतर्द्वंदों को सहेजे खंड-काव्य की रचना, वहीं जीवन की तमाम अनुभूतियों व संवेदनाओं को सहेजता काव्य संग्रह 'अंतर्बोध'  एक कवि के रूप में श्री राम बचन सिंह यादव की आध्यात्मिक व दार्शनिक प्रवृत्ति, सांस्कृतिक विरासत से जुड़ाव, इतिहास बोध का भरपूर ज्ञान और महापुरुषों से युवा पीढ़ी को जोड़ने का सत्साहस दिखाता है। परिस्थिति और ऐतिहासिक चेतना के द्वंद से उबरते हुए उन्होंने लोग-मंगल से जुड़कर युगीन सत्य को भेदकर मानवीयता को खोजने का प्रयत्न किया। श्री यादव ने कहा कि रामायण और महाभारत जैसे महाकाव्यों ने ज्ञान, भक्ति और कर्म की त्रिवेणी प्रवाहित कर भारतीय जनमानस को जागृत किया। इनमें  जिन प्रगतिशील मूल्यों व समानता के भावों पर बल दिया है, उसे आज बार- बार उद्धृत करने की जरूरत है।

पोस्टमास्टर जनरल श्री यादव ने कहा कि सरकारी सेवाओं में रहते हुए भी साहित्य सृजन का कार्य व्यक्ति की दृष्टि को और भी व्यापक बनाता है। शिक्षा व्यक्ति में ज्ञान उत्पन्न करती है तो साहित्य संवेदना की संपोषक है। इसी कड़ी में श्री राम बचन सिंह यादव न केवल एक शिक्षक एवं पथ प्रदर्शक के रूप में रहे, बल्कि साहित्य के विकास एवम उन्नयन में भी महती भूमिका निभाने को तैयार हैं।

आजमगढ़ से जुड़े अपने अनुभवों को साझा करते हुए श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि तमाम ऋषियों-मुनियों, क्रांतिकारियों व साहित्यकारों की पावन धरा रहे आजमगढ़ में साहित्य की समृद्ध परंपरा रही है। राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध', आचार्य चंद्रबली, श्याम नारायण पांडेय,अल्लामा शिब्ली नोमानी, कैफी आजमी जैसे यहाँ के साहित्यकारों ने देश-दुनिया में ख्याति अर्जित की है। आज भी आजमगढ़ के तमाम साहित्यकार न सिर्फ उत्कृष्ट रच रहे हैं बल्कि समाज को एक नई राह दिखा रहे हैं। 

चंद्रजीत सिंह यादव, उप शिक्षा निदेशक, मिर्जापुर मंडल ने कहा कि श्री राम बचन सिंह यादव की कविताएं पाठक को खुद अपना अंतर्बोध कराती प्रतीत होती हैं। मानवीय मूल्यों के पतन और समाज की वर्तमान स्थिति को उन्होंने अपनी कविताओं में अक्षरक्ष: उतार दिया है। न्यूरोसर्जन डॉ. अनूप कुमार सिंह ने कहा कि अच्छी पुस्तकें जीवन के लिए टॉनिक का कार्य करती हैं। इनके अध्ययन-मनन से  एकाकीपन, निराशा और अवसाद से भी बचा जा सकता है। युवाओं में पुस्तकें पढ़ने की आदत विकसित करनी होगी। 

अपनी रचना प्रक्रिया पर राम बचन सिंह यादव ने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम और नायक कर्ण का व्यक्तित्व सदैव से प्रभावित करता रहा है, जिन्होंने तमाम संघर्षों और विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी जीवन में मूल्यों का साथ नहीं छोड़ा। इन पर खंड-काव्य लिखकर अपने को बेहद सौभाग्यशाली समझता हूँ। पिताजी के अंतिम दिनों की अवस्था देखकर भी मुझे जीवन का अंतर्बोध हुआ, जिसे काव्य संग्रह के रूप में परिणित किया।     

कार्यक्रम का संचालन डॉ. अभय प्रताप यादव, प्राचार्य, आर.के फार्मेसी, सठियांव, आजमगढ़ तो आभार ज्ञापन श्री प्रेम प्रकाश यादव ने किया. प्रो.आरके यादव, सरोज, ऋषि मुनि राय, मिथिलेश तिवारी, घनश्याम यादव, संजय यादव, आलोक त्रिपाठी, सूर्य प्रकाश सहित तमाम साहित्यकार और गणमान्य जन उपस्थित रहे।

रविवार, 11 सितंबर 2022

Jain dharam news: क्षमा कायरों का नहीं वीरों का धर्म

भगवान पार्श्वनाथ जन्मस्थली पर बही मैत्री, प्रेम  की गंगा 

विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर पूरे विश्व के लिए दिया गया प्रेम का सन्देश 





Varanasi (dil india live). श्री दिगम्बर जैन समाज काशी द्वारा भेलूपुर स्थित भगवान पार्श्वनाथ जी की जन्म स्थली पर रविवार को क्षमावाणी पूजन, तीर्थंकरो का प्रक्षाल नमन, विद्वत जनो का सम्मान एवं विश्व मैत्री क्षमावाणी पर्व पर भारी संख्या में लोगों ने एक दूसरे से क्षमायाचना व क्षमा का सन्देश पूरे विश्व के लिए हुआ। प्रारंभ में अपराह्न 1 बजे से क्षमावाणी पूजन एवंदेवाधिदेव श्री 1008 पार्श्वनाथ का अभिषेक मंत्रोच्चारण के साथ सायं तक चला। 
विश्व शांति के लिए शान्ती धारा की गई। 

राजेश जैन ने बताया कि यह वो दिन है जिस दिन बैर विरोध को शांत कर क्षमा, प्रेम और मैत्री भाव प्रकट किया जाता है। शत्रु भी इस दिन एक दूसरे को क्षमादान करके मन को शांत एवं निरबैर बनाने का प्रयत्न करते हैं। अनजाने में बिन चाहे भी भूल किसी से हो सकती है, ऐसे उन अंजान पलों की भूल हमारी माफ करें। 

क्षमावाणी पर्व पर हमें क्षमा का दान करे, मुझे गले से लगाकर मेरे ऊपर उपकार करें ,कलुष ह्रदय को साफ करें । तीर्थंकर पार्श्वनाथ अतिशय भूमि क्षेत्र में विश्व का यह अनूठा कार्यक्रम वाराणसी के भेलूपुर स्थित जैन मन्दिर में आयोजित हुआ। जहां बहती रही सिर्फ प्रेम, मैत्री एवं क्षमा की गंगा। इस पर्व पर सभी छोटे- बडे का भेदभाव मिटाकर महिलाए, बच्चे, बुजुर्ग एक दूसरे से अश्रुपूरित नेत्रो से पाँव पकड़कर गले से गले मिलकर क्षमा मांग रहे थे। 

तन-मन एवं आत्मा की शुद्धी पर्युषण की महानता, क्षमावाणी की सौजन्यता से विभूषित होकर जैन धर्म सभी के जीवन में उत्तम क्षमा का मंगलमयी सन्देश देता है। 

परस्परोप ग्रहो जीवानाम् की भावना एक -दूसरे के प्रति सभी के ह्रदय में प्रेम गहरा और प्रगाढ होता रहे। यही मैत्री के क्षमावाणी पर्व का मुख्य उद्देश्य है। यही सन्देश जैन धर्म पूरे विश्व में गुंजायमान करता है।क्षमावाणी सन्देश में प्रोः अशोक जैन ने कहां क्षमा अमृत है, क्षमा ज्योति पुंज है, आत्मनुभव का वास्तविक रूप है। प्रोः कमलेश जैन ने कहां-क्षमा श्रमण जो होता है विष को अमृत करता है। 

ब्रह्मचारी आकाश जैन ने कहां - क्षमा कायरो का नहीं वीरों का धर्म है। क्षमाशील आत्म पुरूषार्थ करते है। 

डां मुन्नी पुष्पा जैन ने कहां - क्षमा प्राणी मात्र का धर्म है। इसे किसी जाति, सम्प्रदाय से नहीं जोड़ा जा सकता। 

पं सुरेंद्र शास्त्री ने कहां- क्षमा आत्मा का स्वभाविक गुण है। क्षमा मोक्ष महल की आधार शिला है। 

धर्म प्रचारक राजेश जैन ने कहां-संस्कृत में पृथ्वी का एक नाम क्षमा, अचला, स्थिरा भी है, विवेकी व्यक्ति का ह्रदय पृथ्वी के समान अचल और आचरण में हमेशा स्थिर होना चाहिए। इसलिए कहां गया है क्षमा वीरसय् भूषणम् ।यही संदेश जैन धर्म पूरे विश्व मे गुंजायमान करता है। 

यह पर्व प्रेम, करूणा, वात्सल्य और नैतिकता के भाव जागृत करता है। 

विद्वानो ने क्षमावाणी पर्व को विश्व मैत्री बताते हुए इसकी तुलना अंहिसा दिवस से की। पर्व पर जैन साधको ने देश-विदेश में रहने वाले रिश्तेदारों ,इष्ट मित्र, व्यापारी, शुभचिंतक सभी वर्ग के लोगो को क्षमावाणी कार्ड, दूरभाष, ई मेल, एस एम एस द्वारा सन्देश देकर शुभकामना दी। 

विद्वानो में प्रोः अशोक जैन, प्रोः कमलेश जैन, डाः मुन्नी पुष्पा जैन, ब्रह्मचारी आकाश जैन, पं सुरेंद्र शास्त्री, पं मनीष जैन एवं 16 दिन से 3 दिनो का निर्जला व्रत करने वालो में श्री मति मोना काला (16)दिन, आलोक जैन (10)दिन, अर्पित जैन (10)दिन श्रीमति मंजू जैन (10)दिन, किशोर जैन (10)दिन, रजनी जैन, संध्या जैन, शोभा जैन, श्वेता जैन, नीति जैन, मनीषा जैन, इन सभी व्रत तपस्वीयों का सम्मान समाज के अध्यक्ष दीपक जैन, उपाध्यक्ष राजेश जैन, प्रधान मन्त्री अरूण जैन, विनय जैन, तरूण जैन, सुधीर पोद्दार, प्रमिला सांवरिया, शोभारानी जैन ने किया। 

आयोजन में प्रमुख रूप से आर सी जैन, संजय जैन, विनोद जैन, रत्नेश जैन, सौरभ जैन, निशांत जैन उपस्थित थे।

आधी रात को गूंजा Happy Christmas, merry Christmas..., कटी केक, गूंजा कैरोल गीत

ओहो प्यारी रात, ओहो न्यारी रात, खुशी की रात आयी... काशी से रोम तक मसीही समुदाय ने की प्रभु यीशु के जन्म की अगवानी   मंगलवार की आधी रात को फि...