शनिवार, 29 जुलाई 2023

आग के अंगारों पर दौड़ा विश्व प्रसिद्ध 'दूल्हे' का जुलूस

Ya Husain...ya Husain...की गूंजी सदाएं, निकला दूल्हे का जुलूस 

  • गश्ती अलम का निकला जुलूस 








  • Mohd Rizwan 
Varanasi (dil India live). हज़रत कासिम की याद में नौवीं मोहर्रम की मध्यरात्रि विश्व प्रसिद्ध कदीमी (परंपरागत) दूल्हे का जुलूस निकाला गया। यह जुलूस इमामबाड़ा हज़रत कासिम नाल के सदर परवेज कादिर खां कि अगुवाई में अदब और एहतराम के साथ निकाला गया। सवारी पढ़ने के बाद जुलूस को दूल्हा कमेटी ने आवाम के हवाले किया जो अपने कदीमी रास्तों में लगी आग पर से होकर आगे बढ़ रहा था।अकीतदमंदों का जनसैलाब शिवाला में उमड़ा हुआ था। 

लोगों का हुजूम या हुसैन, या हुसैन...की सदाएं बुलंद करते हुए आग के अंगारों पर चलकर हज़रत इमाम हुसैन, हज़रत कासिम समेत कर्बला में शहीद हुए 72 हुसैनियों को सलामी पेश करते हुए इमाम चौकों पर बैठायी गई तकरीबन 60 ताजियों को सलामी देने व 72 अलाव से होता हुआ शनिवार की सुबह वापस लौटेगा। जुलूस शहर के छह थाना क्षेत्रों से गुजरता है। इस दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दिखाई दी।

इससे पहले दूल्हा कमेटी ने एक ओहदेदारान को दूल्हा बनाया जिस पर सवारी पढ़ी गई। डंडे में लगी घोड़े की नाल लिये दूल्हे को पकड़ने की लोगों में होड़ मची हुई थी। पीछे पीछे अकीदतमंदों का जनसैलाब जुलूस में शामिल था। जुलूस विभिन्न मुहल्लों में इमाम चौकों पर बैठे ताजिये को सलामी देता हैं, समाचार लिखे जाने तक दूल्हा शिवाला कि गलियों में लगी आग से होकर अस्सी कि ओर बढ़ रहा था। जुलूस के साथ विभिन्न थानों की पुलिस के अलावा रिजर्व पुलिस, पीएसी के जवान तैनात थे। कमेटी के अध्यक्ष परवेज कादिर खां ने बताया कि जुलूस शनिवार को पुन: शिवाला सिथत इमामबाड़ा दूल्हा कासिम नाल पहुंच कर ठंडा होगा। जुलूस जब ठंडा हो जाता है उसके बाद ही कर्बला के लिए ताजिया निकलती है। दूल्हे का जुलूस निकलने के बाद गश्ती अलम का जुलूस विभिन्न शिया इमामबाडों से निकाला गया जो गश्त करते हुए एक जगह से दूसरे जगह तक जाता दिखाई दिया। 

शुक्रवार, 28 जुलाई 2023

Sports college में Allahabad के अहमद हसन का चयन

बेटे कि उपलब्धि पर ख़ुश हैं पिता हसन व मां जेबा



Allahabad (dil India live). शहर के उभरते हुए हाकी खिलाड़ी अहमद हसन उस्मानी का चयन गुरु गोविंद सिंह स्पोर्ट्स कालेज लखनऊ में हुआ है। वह करेलाबाग लाल कालोनी के रहने वाले हैं। पिता हसन महमूद उस्मानी और मां जेबा उस्मानी ने बेटे की उपलब्धि पर खुशी जाहिर करते हुए रब का शुक्रिया अदा किया है। कहां कि हसन मजीदिया इस्लामिया इंटर कालेज (एमआईसी) में फरदीन खान से हाकी का प्रशिक्षण ले रहे हैं। उनके चयन पर फरदीन खान ने इसे अहमद हसन कि मेहनत का नतीजा बताया। कहां कि अहमद हसन लगातार कड़ी मेहनत कर रहा था और उसी का नतीजा है कि उसका चयन हुआ।

गुरुवार, 27 जुलाई 2023

Moharram 8: जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के...

आठवीं मोहर्रम को निकला कदीमी दुलदुल का जुलूस

–शान से बैठायी गई प्रमुख ताजियां, कल आग से होकर गुजरेगा दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस  






Varanasi (dil India live)।  मोहर्रम पर शहर की प्रमुख रांगे की ताजिया, पीतल की ताजिया, नगीने की ताजिया, कुम्हार की ताजिया आदि लोगों की जियारत के लिए इमामबाडे में बैठा दी गई। बची हुई सभी ताजिया जुमे को इमाम चौकों पर बैठायी जाएंगी और शनिवार को उन्हें कर्बला में दफन किया जाएगा। मोहर्रम को देखते हुए पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर पैदल गश्त बढ़ा दी गई। थाना प्रभारियों ने विभिन्न स्थानों पर गश्त कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी किया। इस दौरान प्रभारी निरीक्षक सिगरा व चौकी प्रभारी लल्लापुरा मय सशस्त्र बल चौकी क्षेत्र लल्लापुरा में रांगे कि कदीमी ताजिया और दरगाहे फातमान आदि का पैदल गस्त कर निरीक्षण किया। 

निकला अलम, ताबूत का जुलूस

चाहमाहमा स्थित ख्वाजा नब्बू साहब के इमामबाड़े से कदीमी आठवीं मोहर्रम का तुर्बत व अलम का जुलूस अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार संयोजक सैयद मुनाज़िर हुसैन 'मंजू' के ज़ेरे इंतेजाम जहां उठाया गया वहीं अर्दली बाजार में दुलदुल, अलम व ताबूत का कदीमी जुलूस निकला।

चाहमाहमा के ख्वाजा नब्बू के इमामबाड़े में तुर्बत व अलम का जुलूस जुलूस उठने से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए अब्बास मूर्तज़ा शम्सी ने मौला अब्बास की शहादत बयान किया। जुलूस उठने पर लियाकत अली खां व उनके साथियों ने सवारी शुरू की- "जब हाथ कलम हो गए सक्काए हरम के, और अर्शे बरी हिल गया गिरने से अलम के"। जुलूस चाहमामा होते हुए दालमंडी स्थित हकीम साहब के अज़ाख़ाने पर   पहुँचा जहां से अंजुमन हैदरी चौक बनारस ने नौहाख्वानी शुरू की। "अब्बास क्या तराइ में सोते हो चैन से" जिसमें शराफत हुसैन, लियाकत अली खां, साहब ज़ैदी, शफाअत हुसैन शोफी, मज़ाहिर हुसैन, राजा व शानू ने नौहाख्वानी की।

जुलूस दालमंडी, खजुर वाली मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल, पितरकुंड, मुस्लिम स्कुल होते हुए लल्लापूरा स्थित फ़ातमान पहुँचा। पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के पौत्र नासिर अब्बास, आफाक हैदर व उनके साथियों ने शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश किया। फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा, रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क कपड़ा मंडी, कोदई चौकी, सर्राफा बाजार, टेढ़ी नीम, बांस फाटक, कोतवालपूरा, कुंजीगरटोला, चौक, दालमंडी, चाहमामा होते हुए इमामबाङे में समाप्त होगा l उधर सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित आवास से 8 वीं मोहर्रम गुरुवार को दुलदुल अलम, ताबूत का जुलूस 27 जुलाई को रात्रि 9 बजे उठा। जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी हाता स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के  इमामबाङा पर समाप्त हुआ। जुलूस में अंजुमन इमामिया नौहा व मातम किया। इरशाद हुसैन "शद्दू" ने शुक्रिया अदा किया।  

कल निकलेगा दूल्हे का विश्व प्रसिद्ध जुलूस 

विश्व प्रसिद ‘दूल्हा’ कासिम नाल कमेटी के सदर परवेज कादिर खां की अगुवाई में नौवीं तारीख की रात सदियों पुरानी परंपरा शहीदाने कर्बला की याद में एशिया का इकलौता 'दूल्हे का जुलूस' निकलेगा। इमाम हुसैन के भतीजे हजरत कासिम के घोड़े की नाल के साथ 'दूल्हा' नंगे पांव 30 टन लकडि़यों के दहकते अंगारों पर से होकर गुजरेगा तो साथ में ‘या हुसैन, या हुसैन’...की सदाएं बुलंद करते हुए लाखों लोग शामिल होंगे। दूल्हे के वापस इमामबाड़ा पहुंचने के बाद ही ताजियों का जुलूस दसवीं मोहर्रम को उठना शुरू होगा। दूल्हा नाल कमेटी के सदर परवेज कादिर खान के मुताबिक कर्बला की जंग के समय हजरत कासिम की शादी तय थी लेकिन शहीद होने के कारण दूल्हा नहीं बन सके उनकी याद में ही इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार  सैकडो साल पुरानी परंपरा काशी में चली आ रही है। हजरत कासिम के घोड़े की नाल को पकड़ने वाले को दूल्हा कहा जाता है और उस पर इमाम हुसैन की सवारी आती है।

कमेटी के मो. खालिद ने बताया कि इमामबाड़े में हज़रत कासिम के घोड़े की नाल रखी हुई है। इसे सिर्फ इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवीं व दसवीं मुहर्रम को ही बाहर निकाला जाता है। इमामबाड़ा की दीवारों पर प्रतीकात्मक रूप से खून के छींटे कर्बला के मंजर की याद दिलाते हैं।

दूल्हे का जुलूस शनिवार की रात 9 बजे शिवाला से प्रारंभ होकर शहर के भदैनी, अस्सी दुर्गाकुंड, गौरीगंज’ भेलूपुर, रेवड़ी तालाब, नई सड़क होते हुए माध्यरात्रि के बाद फातमान पहुंचेगा। 12 किलोमीटर लंबे रास्ते में जगह-जगह लोग जुलूस आने के पहले ही दस-दस मन लकड़ी के अलाव जलाएंगे। इन्हीं अंगारों पर से दूल्हा और जुलूस में शामिल लोग दौड़ते हुए आगे बढ़ते हैं।

Moharram 8: आज निकलेगा दुलदुल, पेश होगा आंसुओं का नजराना

निकला मेहंदी का जुलूस, पेश हुआ दर्द भरा नौहा


Varanasi (dil India live)। कर्बला के शहीद hazrat kasim की याद में चौहट्टा लाख खां के इमामबाड़े से अंजुमन आबिदया के जेरे इंतेज़ाम बुधवार को मेहंदी का मशहूर जुलूस निकाला गया। इस मौके पर तमाम अंजुमनों ने दर्द भरे नौहों के बोल पर मातम का नजराना पेश किया। नौहे सुनकर सभी की आंखें नम हो गई। 

इस मौके पर पहला जुलूस मरहूम अच्छन छत्तन के इमामबाड़े से शाम 7 बजे निकला तो दूसरा रात 9.30 बजे जस्टिस सर फजले अली (पूर्व राज्यपाल आसाम) के इमामबाड़े से उठाया गया। अंतिम जुलूस चौहट्टा लाल खां में दानिश रिजवी, शामिल रिजवी, के इमाबाड़े से उठाया गया। जुलूस विभिन्न स्थानों से होकर लाट सरैयां स्थित सदर इमामबाड़े पर पहुंच कर समाप्त हुआ। 

मोहर्रम कि 8 वी तारीख आज ही के दिन भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ चांदी की शहनाई से नौहा बजाकर आसुंओ का नज़राना पेश करते थे। आज उन्ही की रिवायत को बिस्मिल्लाह खाँ साहब के पौत्र आफाक हैदर खाँ और उनके साथी फातमान  में रात्रि के 10 बजे शहनाई से आसुंओ का नज़राना पेश करेगेl यह जानकारी कार्यक्रम संयोजक शकील अहमद जादूगर ने दी  है।

ऐसे ही आठवीं मोहर्रम का तुर्बत व अलम का जुलूस अपनी पुरानी परंपराओं के अनुसार चाहमामा स्थित ख्वाजा नब्बू साहब के इमामबाड़े से सायं 8 बजे उठेगा l जिसमें अब्बास मूर्तज़ा शम्सी मजलिस पढ़ेंगे, जुलूस उठने पर लियाकत अली खां व उनके साथी सवारी पढ़ेंगे l जुलूस चाहमामा होते हुए दालमंडी  स्थित हकीम साहब के अज़ाख़ाने पर पहुंचेगा फिर वहाँ  से अंजुमन हैदरी चौक बनारस नौहाख्वानी व मातम करेगी। जुलूस दालमंडी, खजुर वाली  मस्जिद, नई सड़क, फाटक शेख सलीम, काली महल, पितरकुंड, मुस्लिम स्कुल होते हुए लल्लापूरा स्थित फ़ातमान पहुंचेगा। पूरे रास्ते उस्ताद फतेह अली खां व भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के पौत्र नासिर अब्बास, आफाक हैदर व  उनके साथी शहनाई पर आंसुओं का नज़राना पेश करेंगे l फ़ातमान से जुलूस पुनः वापस मुस्लिम स्कुल, लाहंगपूरा , रांगे की ताज़िया, औरंगाबाद, नई सड़क कपड़ा मंडी, कोदई चौकी सर्राफा बाजार  टेढ़ी नीम बांस फाटक कोतवालपूरा, कुंजीगर टोला, चौक, दालमंडी, चाहमामा होते हुए इमामबाड़े में समाप्त होगा l

अंर्दली बाजार में दुलदुल, अलम का जुलूस 

सैय्यद जियारत हुसैन के अंर्दली बाजार तार गली स्थित आवास से 8 वीं मोहर्रम  गुरुवार को दुलदुल अंलम, ताबूत का  जुलूस 27 जुलाई  को रात्रि 9 बजे  उठेगा। जुलूस अपने कदीमी (पुराने) रास्ते से होकर उल्फत बीबी हाता स्थित स्व.मास्टर जहीर साहब के  इमामबाङा पर  समाप्त होगा। जुलूस में अंजुमन  इमामिया नौहा व मातम करेंगी। यह जानकारी इरशाद हुसैन "शद्दू"  ने दी है।

नाना के दीन को हुसैन ने बचा लिया 

काली महाल के जेपी टावर में सलमान हैदर के अजाखाने में मजलिस हुई तो दूसरी ओर मोहतरमा नुजहत फातिमा ने शेख सलीम फाटक में मजलिस को खिताब किया। उन्होंने कहा कि इमाम हसन के बेटे व इमाम हुसैन के भतीजे जनाब-ए-कासिम महज 13 साल की उम्र में शहीद हो गए। कर्बला वालों ने हक़ और दीन के लिए अपनी शहादत देकर नाना के दीन इसलाम को बचा लिया। 

आज इमामबाड़े पहुंचेगा दुलदुल 

 छठी मोहर्रम यानी मंगलवार को अंजुमन जव्वादिया के संयोजन में कच्ची सराय इमामबाड़ा से निकला दुलदुल का कदीमी जुलूस बीती रात दरगाहे फातमान पहुंचा। वहां से सुबह फजर की नमाज के बाद फिर जुलूस जैतपुरा, बड़ी बाजार, नक्कीघाट होते हुए रात करीब 9 लौट सरैया पहुंचा। इस दौरान अंजुमनें नौहा मातम करती चल रही थी। आज गुरवार को वापस कच्चीसराय पहुंच कर जुलूस सम्पन्न होगा।

उधर लोहता में सुन्नी लोगों ने बुधवार कि शाम अलग-अलग मुहल्ले से अलम सद्दा का जुलूस निकाला। जुलूस विभिन्न मार्गो से होते हुए लोहता चौमुहानी पहुंचा। जुलूस में फन-ए-सिपाहगिरी का मुजाहिरा करते हुए अखाड़े भी शामिल थे। जुलूस को चौमहानी कुछ देर रुकने के हरपालपुर गांव ठंडा किया गया। 

मंगलवार, 25 जुलाई 2023

Bunkar कारोबार मंदी से जूझ रहा: इदरीस अंसारी

बुनकर सरदार इदरीस अंसारी का हुआ स्वागत 


Varanasi (dil India live). शाह वेलफेयर सोसाइटी के प्रदेश उपाध्यक्ष मास्टर अज़ीज़ुल इस्लाम के औरंगाबाद आवास पर बुनकर बिरादराना तंज़ीम बारहवें के नए सरदार इदरीस अन्सारी का इस्तकबाल किया गया. इस मौके मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए सरदार इदरीस अन्सारी ने कहा कि जिस उम्मीद के साथ लोगों ने मुझे जिम्मेदारी दी है और ऐसे समय में मिली है कि पावरलूम बुनकरों के उपर,मानो संकट के पहाड़ टूट पड़ा है कारोबार पूरी तरह मंदी से जूझ रहा है महंगाई चरम सीमा पार कर चुकी है. सरकार द्वारा नए शासनादेश जारी कर पावरलूम बुनकरों कि कमर तोड़ दिया है. ऐसे संकट में बुनकर समाज को मुझसे जो उम्मीद है उसे पूरी करने के लिए संघर्ष, करने से पीछे नहीं हटूंगा. जिस तरह से बुनकर समाज ने मुझ पर भरोसा किया है उसी तरह से मुझे भी अपने बुनकर भाइयों पर भरोसा है, जब उनकी जरूरत पड़ेगी तो वह भी मेरे साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर मेरा साथ देने को तैयार रहेंगे.

इस मौके पर मौजूद लोगों में मुख्य रूप से अज़ीज़ुल इस्लाम शाह शमशेर शाह निजामुद्दीन शाह सलीम शाह गुलजार अहमद मुस्तकीम अन्सारी कमरुद्दीन अंसारी मकबूल अहमद जैनुद्दीन अंसारी मुम्ताज़ अहमद अख्तर खान आदि लोग मौजूद थे

6 moharram को निकला ‘दुलदुल’ का जुलूस

कच्चीसराय का यह जुलूस 40 घंटे तक चलेगा लगातार 

  • जुलूस कि जियारत को उमड़ रहे अकीदतमंद 



Varanasi (dil India live)। विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक लगातार चलने वाला ‘दुलदुल’ का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से उठाया गया। मुतवल्ली सैयद इकबाल हुसैन एडवोकेट के जेरे इंतेजाम निकाले गए इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मशहूर बैंड भी मौजूद रहता था जो मातमी धुन बजाते हुए चल रहा था। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर नई सडक, काली महाल, माताकुंड, पितरकुंडा होकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाएगा। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होगा। यह जुलूस 6 से 8 मोहर्रम तक लगातार चलता ही रहता है। जुलूस में अंजुमन जववादिया बनारस ने नौहाख्वानी व मातम का नजराना पेश किया।

Teliabagh church 167 वर्ष पहले आज ही हुआ था स्थापित






Varanasi (dil India live). सीएनआई चर्च तेलियाबाग का 167 वां तीन दिवसीय स्थापना दिवस समारोहपूर्वक मनाया गया। आयोजन का आगाज़ बाइबिल पाठ से हुआ। पहले दिन मध्यप्रदेश कटनी से आए मशहूर भक्ति सिंगर पास्टर जय मोसेस ने संगीतमय आराधना करायी। उन्होंने कई मसीही गीतों से लोगों को प्रभु कि भक्ति में लीन कर दिया। 3 दिनों तक चले चर्च के स्थापना दिवस पर चर्च कमेटी के सचिव विशाल न्यूक ने बताया कि 25 जुलाई 1856 को इस चर्च की स्थापना कि गई। तभी से यह आराधना के लिए खुला हुआ है। यह चर्च लंदन मिशनरी सोसायटी की सेवा का परिणाम है।

तेलियाबाग चर्च का इतिहास 

सीएनआई चर्च तेलियाबाग अपने भीतर उस दौर कि यादें समेटे हुए है। यूं तो चर्च का वर्तमान भवन 25.07.1856 से आराधना के लिए शुरू किया गया था मगर चर्च कि बुनियाद का पत्थर तकरीबन तीन दशक पूर्व ही पड़ गया था। कमेटी के सचिव विशाल ल्यूक ने दिल इंडिया लाइव के संपादक अमन से चर्च कि यादें साझा की। विशाल कि माने तो यह चर्च लंदन मिशनरी सोसाइटी की सेवा का परिणाम है, जिनके प्रथम मिशनरी के रूप में रेव्ह० मैथ्यू थॉमसन एडम अगस्त 1820 में बनारस आये, किन्तु यह मात्र एक-डेढ़ वर्ष ही बनारस में रहे। 1826 में रेव्ह० जेम्स राबर्टसन के आगमन के बाद बनारस में लंदन मिशन सोसाइटी का काम आरम्भ हुआ। जिसमें रेव्ह विलियम बायर्स 1832 के आरम्भ में जुड़े, किन्तु 15 माह उपरान्त ही रेव्ह० जेम्स राबर्टसन हैजे के कारण दूर हो गये और रेव्ह० विलियम बायर्स और उनकी पत्नी एलिजाबेथ द्वारा सेवा को आगे बढ़ाया गया। 1834 के आरम्भ में रेव्ह० जे० ऐ० शरमन और रेव्ह० राबर्ट सी० माथर इनसे जुड़ गये, 1838 में रेव्ह डब्लू०पी० लियोन भी इनसे जुड़ गये और सेवा का कार्य सक्रिय रूप से चलने लगा। 1837-38 का अकाल भारत में स्वतंत्रता के पूर्व युग की प्रमुख घटनाओं में एक है। इनके द्वारा इस अकाल से प्रभावित अनाथ बच्चों और उजड़ गये लोगों के लिए खाने रहने, चिकित्सा और शिक्षा की व्यवस्था की गयी। इन सेवा कार्यों में श्रीमती बायर्स की भूमिका अग्रणी रहीं जो महिलाओं और अनाथ बच्चियों के आवास भोजन आदि की व्यवस्था में लगी रहीं। इसी मध्य रेव्ह० डब्लू०पी० लियोन अस्वस्थता के कारण बनारस से चले गये। रेव्ह० व श्रीमती बायर्स सेवाकार्य में लगे रहे. 03.09.1857 को गम्भीर डायरिया के कारण श्रीमती बायर्स का निधन हो गया, जिनके बारे में एक शिलापट्ट यहां मौजूद है। 1839 में रेव्ह० जेम्स कैनेडी बनारस आये और अपनी पुस्तक "Life and work in Benares and Kumaon 1839-1877 के तीसरे अध्याय में तेलियाबाग चर्च की सेवा का संक्षिप्त वर्णन मिलता है। 1839 में ही रेव्ह० लियोन बनारस से चले गये। रेव्ह० बायर्स, रेव्ह० शरमन, रेव्ह0 केनेडी व अन्य इस सेवा को उस समय बढ़ाते रहे और इस छोटे चैपल ने 25 जुलाई 1856 को एक चर्च का रूप ले लिया, तत्समय रेव्ह० एम०ए० शैरिंग जो 1852 में बनारस आये, चर्च की सेवा कार्य में लगे थे और चर्च निर्माण में उपस्थित थे। यह एक विद्वान मिशनरी थे और एम०ए० एल०एल०बी० थे, इनके द्वारा कई पुस्तकें लिखी गयीं। जिनके बारे में एक शिलापट्ट यहां मौजूद है, अगस्त 1880 में इनकी मृत्यु हुई। रेव्ह जॉन मुलेट का द्वारा 1882-83 में इस चर्च में सेवा प्रदान किये। 24.11.1970 को 6 चर्चेज के संविलियन के बाद से यह चर्च, चर्च ऑफ नार्थ इण्डिया लखनऊ डायसिस के अधीन अपनी सेवा प्रदान कर रहा है। वर्तमान में शशि प्रकाश चर्च के पादरी के रूप में कार्यरत हैं। इससे पहले पादरी आदित्य कुमार, पादरी अखिलेश माथुर, पादरी एम.ए. दान भी यहा बतौर पादरी अपनी सेवाएं दे चुके हैं।

दिखा उल्लास और उत्सव 

चर्च स्थापना के 167 वर्ष पर मसीही समाज ने बढ़चढ़ कर भागीदारी की और तीन दिनों तक उल्लास और उत्सव मनाया। इस दौरान यहां आराधना व स्तुति गीत प्रस्तुत किये गये। मुख्य वक्ता जय मोसेस द्वारा खूबसूरत गीतों से समां बांध दिया और यीशु मसीह के शान्ति प्रेम व भाईचारे के संदेश को प्रसारित किया। कार्यक्रम का संचालन सचिव विशाल ल्यूक द्वारा किया गया, कार्यक्रम में विजय दयाल, पादरी संजय दान, कुशल प्रकाश, पृथ्वीराज सिंह, लाजर लाल, निर्मय स्वरूप, सुदेश प्रकाश, श्वेता पाठक, संगीता ल्यूक, एकता रोजारियो, कंचन ल्यूक, अनुराग, खुशी, श्रेया, विरल, अभिषेक, सनी, रवि, सना, शालोम, नेहा डेविड ने अपना सहयोग प्रदान किया।

Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...