गुरुवार, 27 अप्रैल 2023
Varanasi Mitram ने किया सदस्यों को सम्मानित
मंगलवार, 25 अप्रैल 2023
Fr p victor के पुरोहिताभिषेक की 28 वीं वर्षगाँठ में उमड़े मसीही
Jounpur (dil india live)। सेंटजॉन्स, सिद्दीकपुर, jounpur के प्रधानाचार्य फादर पी विक्टर के पुरोहिताभिषेक की 28 वीं वर्षगाँठ में मसीही समुदाय का हुजूम उमड़ा। इस दौरान सेंट जोंस स्कूल में विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। गौरतलब हो कि 28 वर्ष पूर्व आज ही के दिन फादर के चाचा विशप फ्रांसिस द्वारा फादर को पुरोहित के रूप में अभिषिक्त किया गया था।
कन्याकुमारी के नायर कोयल गाँव में माता विंसेंट मेरी एवं पिता पीटर के घर जन्मे फादर पी विक्टर ने अपना पौरोहित्य जीवन काशी धर्मप्रान्त को समर्पित कर दिया। पुरोहित के साथ ही साथ फादर का जीवन शिक्षा एवं पर्यावरण को समर्पित रहा।फादर ने काशी के अतिरिक्त गाजीपुर एवं जौनपुर में लाखों वृक्ष लगवाएऔर बच्चों को उपहार के रूप में पौधे प्रदान करते रहे।फादर के पुरोहिताभिषेक की 28 वीं वर्षगाँठ पर विद्यालय परिवार ने शुभकामना प्रस्तुत किया। इस अवसर पर फादर के दीर्घ जीवन एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय की अध्यापिका समीना फ़ारूक़ी ने पुष्प-गुच्छ देकर फादर को सम्मानित किया।दीप्ती कश्यप ने भजन कि प्रस्तुति से लोगों का दिल जीत लिया। इस मौके पर परवेज अहमद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। अंत में फादर ने कहा कि पुरोहित का जीवन आसान नहीं होता, यह कठोर तपस्या का जीवन होता है। पुरोहित को धर्म एवं समाज के कार्य के लिए स्वयं को अर्पित करना होता है। उसका अपना व्यक्तिगत कुछ भी नहीं होता। फादर ने कहा कि व्यक्ति सुख की तलाश करता है पर सुख भौतिक संसाधनों में नहीं अपितु अच्छे लोगों कि संगति में होता है। अच्छे लोगों का संग ईश्वर के मार्ग में प्रेरित कर वास्तविक सुख प्रदान करता है।पुरोहित अपने आचरण द्वारा समाज को दिशा एवं दशा प्रदान करता है और सन्मार्ग के लिए प्रेरित करता है।
इस अवसर पर अध्यापक परवेज़ अहमद एवं अध्यापिका प्रियंका श्रीवास्तव ने कुशल मंच संचालन किया।
World malaria day(25 april)
प्रभावी रणनीति व कार्यवाई से होगा मलेरिया उन्मूलन: CMO
समय पर जांच, उपचार व नियंत्रण से मलेरिया का बचाव सम्भव
लार्वा स्रोतों को नष्ट कराना, एंटीलार्वा का छिड़काव व फागिंग बेहद जरूरी
इस बार की थीम है “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार, कार्यान्वयन”
Varanasi (dil india live). देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जनपद में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग प्रभावी रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है। इसका परिणाम यह रहा कि वर्ष 2017 में जनपद में मलेरिया के करीब 400 मरीज पाये गए थे लेकिन पिछले वर्ष 78 रोगी पाये गए। संचारी रोग नियंत्रण अभियान के साथ-साथ विभिन्न गतिविधियों, प्रचार-प्रसार की वजह से मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। इसी उद्देश्य से हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दी
सीएमओ कहा कि इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम “शून्य मलेरिया देने का समय : निवेश, नवाचार व कार्यान्वयन’ रखी गई है। इस थीम का उद्देश्य मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को प्राप्त करने में निवेश करना, आधुनिक तकनीकों और अनुसंधान कर नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना तथा उसको जमीनी स्तर पर लागू करना है। मलेरिया पर प्रभावी नियंत्रण करने के लिए चार प्रमुख रणनीति बनाई गई हैं। पहला एक्टिव सर्विलान्स जिसमें आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को जागरूक करने के साथ ही साथ रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट के माध्यम से मलेरिया की जांच कर रही हैं। दूसरा पैसिव सर्विलान्स ओपीडी के दौरान बुखार ग्रसित सभी रोगियों की मलेरिया की जांच की जा रही है। तीसरा नियमित स्वास्थ्य कैंप के जरिये मलेरिया के रोगी खोजना है। चौथा कहीं भी एक रोगी मिलने पर स्वास्थ्यकर्ताओं के माध्यम से आसपास के क्षेत्र की कोंट्रेक्ट ट्रेसिंग और रोकथाम करना है। सीएमओ ने सभी सीएचसी, पीएचसी व हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर को निर्देशित किया गया है कि समय पर मलेरिया की जांच व पहचान कर मरीज को निर्धारित समय तक उपचार दिया जाये।
जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडेय ने बताया कि जनपद की आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। वर्तमान में सभी हॉटस्पॉट में हाउस इंडेक्स एक से कम है जो सामान्य स्थिति में है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। मलेरिया व डेंगू के लिए पूर्व से चिन्हित ग्रामीण के 62 व शहर के 55 हॉटस्पॉट क्षेत्रों में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी करायी जा रही है। इस कार्य में नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग सहयोग कर रहे हैं। यदि किसी जलपात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें। जैसे कूलर, गमला, टीन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे की सफाई हमेशा करते रहना आवश्यक है।
डीएमओ ने बताया कि मलेरिया का प्रसार मादा एनीफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय लगता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आना, सिरदर्द, उल्टी, पेट में दर्द, रक्त अल्पता, मांसपेशियों में दर्द, अत्यधिक पसीना आना आदि लक्षण दिखाई देते हैं। समय से जांच व उपचार मिलने पर रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। उपचार के दौरान ध्यान रखें कि स्वस्थ भोजन खाएं, शरीर में पानी की कमी न होने दें, प्रोटीन युक्त आहार लें, वसायुक्त मसालेदार भोजन न करें, उच्च फाइबर वाले खाद्य पदार्थ और कैफीन युक्त पेय का सेवन न करें।
एक नजर आंकड़ों पर
जनपद में पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया के स्थिति की बाते करें तो जिला मलेरिया विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में 406 रोगी पाये गए थे। वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2020 में 46, वर्ष 2021 में 164, वर्ष 2022 में 78 और वर्ष 2023 में अब तक सिर्फ सात मलेरिया रोगी पाये गए।
सुविधा : मलेरिया की जांच व उपचार की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी शहरी व ग्रामीण सीएचसी, पीएचसी, आयुष्मान भारत - हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर उपलब्ध है। आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर संभावित रोगी की पहचान कर किट से त्वरित जांच का रही हैं। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर रोगी का सम्पूर्ण उपचार किया जा रहा है।
बचाव : मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। आसपास दूषित पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।
शनिवार, 22 अप्रैल 2023
Benaras k Govindpura में सबसे पहले मनी थी eid ki khushi
Kashi में Ganga jamuni tahzeeb देख बादशाह कुतुबुद्दीन को हुआ था आश्चर्य
ईद पर दोनों मजहब की अलग-अलग पहचान करने में उसे हुई थी मुश्किल
Varanasi (dil india live). ईद मिल्लत और मोहब्बत का त्योहार है। सभी जानते हैं कि हफ्ते भर चलने वाले इस महापर्व से हमें खुशी और एकजुटता का पैगाम मिलता है, मगर कम लोग जानते हैं कि ईद का ऐतिहासिक पक्ष क्या है। इस्लामिक विद्वान मौलाना अज़हरुल क़ादरी ने ईद की तवारीखी हैसियत पर रौशनी डालते हुए बताया कि सन् 2 हिजरी में सबसे पहले ईद मनायी गयी। पैगम्बरे इस्लाम नबी-ए-करीम हज़रत मोहम्मद (स.) का वो दौर था। उन्होंने सन् 2 हिजरी में पहली बार ईद की नमाज़ पढ़ी और ईद की खुशियां मनायी। उसके बाद से लगातार आज तक पूरी दुनिया में ईद की नमाज़े अदा की जाती है और लोग इसकी खुशियों में डूबे नज़र आते हैं।
जहां तक बनारस में ईद के त्योहार का सवाल है, इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ तथ्यो को खंगालने के बाद बताते हैं कि बनारस में गोविन्द्रपुरा व हुसैनपुरा दो मुहल्ले हैं जहां सबसे पहले ईद मनाये जाने कि पोखत तस्दीक होती है। वो बताते हैं कि हिन्दुस्तान में मुसलमानों के आने के साथ ही ईद मनाने के दृष्टांत मिलने लगते हैं। जहां तक बनारस की बात है यहां मुस्लिम सत्ता की स्थापना से पूर्व ही मुस्लिम न सिर्फ आ चुके थे बल्कि कई मुस्लिम बस्तियां भी बस गयी थी। दालमंडी के निकट गोविन्दपुरा और हुसैनपुरा में ईद की नमाज़ सबसे पहले पढ़े जाने का संकेत तवारीखी किताबों से ज़ाहिर है।
इतिहासकार डा. मोहम्मद आरिफ बताते हैं कि जयचन्द की पराजय के बाद बनारस के मुसलमानों की ईद को देखकर बादशाह कुतुबुद्दीन ऐबक को उस दौर में आश्र्चर्य हुआ था कि ईद की नमाज़ के बाद बनारस में जो सौहार्दपूर्ण गंगा जमुनी माहौल दिखाई दिया था उसमें उन्हें हिन्दू-मुसलमान की अलग-अलग पहचान करना मुश्किल था। यह बनारसी तहज़ीब थी जो देश में मुस्लिम सत्ता की स्थापना के पूर्व ही काशी में मौजूद थी। जिसने एक नई तहज़ीब, नई संस्कृति हिन्दुस्तानी तहज़ीब को जन्म दिया। तब से लेकर आज तक ईद की खुशियां बनारस में जितने सौहार्दपूर्ण और एक दूसरे के साथ मिलकर मनाया जाता है उतना अमनों-सुकुन और सौहार्दपूर्ण तरीके से दुनिया के किसी भी हिस्से में ईद नहीं मनायी जाती।
ईद का इस्लामी पक्ष
प्रमुख इस्लामी विद्धान मौलाना साक़ीबुल क़ादरी कहते हैं कि ईद रमज़ान की कामयाबी का तोहफा है। वो बताते हैं कि नबी का कौल है कि रब ने माहे रमज़ान का रोज़ा रखने वालों के लिए जिंदगी में ईद और आखिरत के बाद जन्नत का तोहफा मुकर्रर कर रखा है। यानी रमज़ान में जिसने रोज़ा रखा है, इबादत किया है नबी के बताये रास्तों पर चला है तो उसके लिए ईद का तोहफा है।
दूसरों को खुशिया बांटना है पैगाम
आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां फाजिले बरेलवी पर रिसर्च करने वाले प्रमुख उलेमा मौलाना डा. शफीक अजमल की माने तो ईद का मतलब केवल यह नहीं कि महीने भर जो इबादत करके नेकियों की पूंजी एकत्र किया है उसे बुरे और बेहूदा कामों में ज़ाया कर देना बल्कि ईद का मतलब है कि दूसरों को खुशियां बांटना। अपने पड़ोस में देखों कोई भूखा तो नहीं है, किसी के पास पैसे की कमी तो नहीं है, कोई ऐसा बच्चा तो नहीं जिसके पास खिलौना न हो, अगर इस तरह की बातें मौजूद है तो उन तमाम की मदद करना हमारा फर्ज़ है। और यही रमज़ान हमें सिखाता है। मौलाना शफी अहमद कहते हैं कि दूसरो की मदद करना ईद का सबसे बड़ा मकसद है तभी तो रमज़ान में जकात, फितरा, खैरात, सदका बेतहाशा निकालने का हुक्म है ताकि कोई गरीब, मिसकीन, फकीर नये कपड़े से महरुम न रह जाये। ईद की खुशी में सब खुश नज़र आयें। यही वजह है कि ईद पर हर एक के तन पर नया लिवास दिखाई देता है।
ईद ग्लोबल फेस्टिवल
एक माह रोज़ा रखने के बाद रब मोमिनीन को ईद कि खुशियो से नवाज़ता है, आज वक्त के साथ वही ईद ग्लोबल फेस्टीवल बन चुकी है जो टय़ूटर, वाट्स एप, स्टेलीग्राम से लेकर फेसबुक तक पर छायी हुई है।
Eid Ramadan Mubarak कि कामयाबी का अज़ीम तोहफा
ईद उसकी जो रमज़ान के इम्तेहान में हुआ पास
Varanasi (dil india live)। मज़हबे इस्लाम में सब्र और आजमाइश को आला दर्जा दिया गया है। कहा जाता है कि रब वक्त-वक्त पर हर बंदों का इम्तेहान लेता है और उन्हें आज़माता है। ईद की कहानी भी सब्र और आज़माइश का ही हिस्सा है। यानी माह भर जिसने कामयाबी से रोज़ा रखा, सब्र किया, भूखा रहा, खुदा की इबादत की, वो रमज़ान के इम्तेहान में पास हो गया और उसे रब ने ईद कि खुशी अता फरमायी। दरअसल ईद उसकी है जो सब्र करना जानता हो, जिसने रमज़ान को इबादतों में गुज़ारा हो, जो बुरी संगत से पूरे महीने बचता रहा हो, मगर उस शख्स को ईद मनाने का कोई हक़ नहीं है जिसने पूरे महीने रोज़ा नहीं रखा और न ही इबादत की। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया कि रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया, सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर किया, उस पर अमल करता रहा, वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। यह महीना इस बात की ओर भी इशारा करता है कि अगर एक महीने की इबादत के बाद ईद की खुशी बंदों को रब देता है तो 12 महीने अगर इबादतों में गुज़ारा जाये तो जिन्दगी में हर दिन ईद जैसा और हर रात रमज़ान जैसी होगी। रमज़ान महीने की इबादत इसलिए भी महबूब है क्यों कि ये अल्लाह का महीना है और इस महीने के पूरा होते ही खुदा ईद का तोहफा देकर यह बताता है कि ईद की खुशी तो सिर्फ दुनिया के लिए ह। इससे बड़ा तोहफा कामयाब रोज़ेदारों को आखिरत में जन्नत के रूप में मिलेगा। पूरी दुनिया में यह अकेला ऐसा त्योहार है जिसमें कोईभी पुराने या गंदे कपड़ों में नज़र नहीं आता। अगर एक महीने की इबादत के बाद ईद मिलती है तो हम साल के बारह महीने इबादत करें तो हमारा हर दिन ईद होगा। तो हम क्यों न हर दिन हर महीना अपना इबादत में गुज़ारे।
Aatif Mohammad Khalid
(शिक्षक, कमलापति त्रिपाठी इंटर कालेज वाराणसी)
Eid Mubarak 2023: desh duniya mana rahi Eid ka jashn
पहले किया सिजदा, फिर दी ईद कि मुबारकबाद
Varanasi (dil india live). Duniya bhar में Ramadan Mubarak का एक माह का रोजा कामयाबी से मुकम्मल करने बाद शनिवार को लाखों मुसलमानों ने ईद की खुशियां मनायीं। यूं तो खुशियों का आगाज ईद के चांद के दीदार के साथ ही हो गया था जब हिंदुस्तान में ईद का चांद देखा जा रहा था तब खाड़ी देशों में ईद कि खुशियां मनाई जा रही थी। हिंदुस्तान में ईद का जश्न ईदुल फित्र कि नमाज़ अदा करने के बाद अपने शबाब पर पहुंच गया। मज़हबी शहर वाराणसी में तो ईद का मज़ा और रंग ही औरो से जुदा है। यहां सभी मज़हब के लोग मिलजुल कर एक साथ ईद का जश्न मनाते है। उधर बलिया के सिकंदरपुर में सपा के कद्दावर नेता व विधायक मोहम्मद रिजवी लोगों को ईद कि मुबारकबाद देने ईदगाह से पैदल ही आवाम के बीच पहुंच गए। उनका सभी ने गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्होंने कहा कि ईद मुबारक प्यार और मिल्लत का पर्व है। देश दुनिया में सभी मिल जुल कर इसे मनाते हैं। उनके साथ युवा नेता बांबे रययान भी मौजूद थे।
यहां अदा हुई नमाज़े ईदैन
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच मस्जिद लाट सरैया में मौलाना जियाउर्रहमान ने नमाज अदा करायी तो खानकाह शक्कर तालाब में मुफ्ती-ए-बनारस अहले सुन्नत मौलाना मोइनुद्दीन अहमद फारुकी प्यारे मियां, शाही मस्जिद ढाई कंगूरा में हाफिज नसीम अहमद बशीरी, शाही मुगलिया मस्जिद बादशाहबाग में मौलाना हसीन अहमद हबीबी, मस्जिद लंगड़े हाफिज में मौलाना जकीउल्लाह असदुल कादरी, सदर इमामबाड़े में मौलाना जफरुल हुसैनी, ईदगाह विद्यापीठ में मुफ्ती शमीम, मस्जिद उल्फत बीबी में मौलाना साकीब रजा, मस्जिद खाकी शाह में मौलाना मुनीर, जामा मस्जिद कम्मू खां डिठोरी महाल में मौलाना शमशुद्दीन साहब ने नमाज अदा कराती।
मस्जिद ज्ञानवापी में मौलाना अब्दुल आखिर, खोजित कुआं में मौलाना वकील अहमद मिस्बाही, ईदगाह मस्जिद लाटशाही में हाफिज हबीबुर्रहमान, जामा मस्जिद नदेसर में मौलाना मजहरुल हक, मस्जिद नगीना में हाफिज सैफुल मलिक, मस्जिद सुल्तानिया में अब्दुल्लाह सऊद अत्तारी, मदनपुरा अल्लू की मस्जिद में मौलाना शकील, ऊंची मस्जिद में मौलाना एहसन कमाल, ढोमन की मस्जिद में कारी फराज अहमद, मस्जिद बरतला में अयाज महमूद व हाफिज मो. ताहिर ने मस्जिद याकूब शहीद में नमाज अदा करायी। ऐसे ही ईदगाह दायम खां, मस्जिद बुलाकी शहीद अस्सी, मस्जिद नईबस्ती गौरीगंज, मस्जिद हबीबिया गौरीगंज, आलमगीर मस्जिद धरहरा, मस्जिद कुश्ताबेगम, मस्जिद मदीना, मस्जिद गौसिया, मस्जिद ताराशाह, मस्जिद छित्तनपुरा इमलिया तले, मस्जिद नूरैन समेत शहर और आसपास की मस्जिदों में ईदुल फितर की नमाज पूरी अकीदत के साथ अदा की गई। इसी के साथ ईद का सप्ताहव्यापी महापर्व शुरू हो गया। हिंदू-मुस्लिम से गले मिलने का नजारा गंगा-जमुनी शहर बनारस की तस्वीर पेश करने में सफल रहा। लोहता, लालपुर, कोटवा, बाबतपुर, रामनगर, मिल्कीपुर आदि में भी ईद की खुशियां धूमधाम से मनायी गयीं। ईद की नमाज सकुशल संपन्न होने पर वाराणसी कमिशनरेट की पुलिस ने वाराणसी की अमनपसंद आवाम की सराहना की।
घरों में चलेगी देर रात तक दावत
ईद जैसे ग्लोबल पर्व पर सेवइयों की घुलन ने हर एक को अपने आगोश में ले लिया, हर आमो-खास ईद के रंग में रंगा नजर आया। ईद की नमाज अदा कर लौटे लोगों ने दूसरे वर्ग के लोगों को ईद की दावत दी। मुस्लिम घरों में दावतों का शुरू हुआ सिलसिला दौर देर रात तक चलेगा। हिंदू-मुस्लिमों ने गले मिलकर एक-दूसरे को ईद की मुबारकबाद दी। कई जगहों पर ईद पार्टी रखी गयी थी। पार्टी में शामिल होने वालों के हिसाब से मीनू तैयार किया गया था। कुछ मुस्लिम घरों में गैर-मुस्लिमों के लिए सेवइयों के साथ शाकाहारी सब्जी और पूड़ी का इंतजाम भी था। यहां ईद मिलने समाजिक संगठनों व सियासी दलों के लोगों का हुजूम जुटा हुआ था।
ईदी पाकर निहाल हुए बच्चे
माहे रमज़ान का रोज़ा मुकम्मल करने के बाद लाखों मुसलमानों ने मज़हबी शहर बनारस में सभी मज़हब के लोगों संग मिलकर ईद की खुशियां मनायी। खुशियों का आगाज़ नमाज़-ए-ईदुल फित्र अदा करने के साथ हुआ। शहर के तकरीबन एक दर्जन ईदगाह और पांच सौ से ज्यादा मस्जिदों में इबादतगुज़ारों ने रब के सामने जहां सिर झुकाया वहीं अपनी रोज़ी रोटी, देश की तरक्की और खुशहाली के लिए रब की बारगाह में हाथ उठाया। इस मौके पर मस्जिदों और ईदगाहों में नमाजियों का जन सैलाब नमाज़ अदा करने उमड़ा हुआ था।
पुरखों के दर पर लगाईं हाजिरी
ईद की नमाज के बाद लोगों ने शहर के कब्रिस्तानों में जाकर वलियों, बुजुर्गों वो अपने पुरखों के दर पर हाजिरी लगाई और फातेहा पढ़ा। टकटकपुर, हुकुलगंज, मदनपुरा, रेवड़ीतालाब, बजरडीहा, जलालीपुरा, गौरीगंज, फातमान आदि आस्ताने पर हाजिरी लगाई गई। हजरत बाबा लाटशाही बाबा, चंदन शहीद, हजरत याकूब शहीद, बहादुर शहीद, सरदार शाह बाबा आदि के आस्ताने पर भी अकीतदमंदों का हुजूम उमड़ा।
वाराणसी में ईद की नमाज सकुशल संपन्न हो गई। इस दौरान अपर पुलिस आयुक्त, कानून एवं व्यवस्था व डीसीपी काशी जोन द्वारा ईद-उल-फितर के अवसर पर ईदगाह लाट सरैया में मुस्तैद पुलिस कर्मियों को सुरक्षा के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिया वो ईद की नमाज को सकुशल सम्पन्न होने पर चौदहो के सरदार मकबूल हसन, हाजी मो. सुहैल आदि को ईद की मुबारकबाद पेश की।
Earthday celebration में बच्चों ने मस्ती संग सेव अर्थ का दिया नारा
विद्यालय में students ने किया पौधारोपण
Varanasi (dil india live). प्राथमिक विद्यालय बनपुरवां काशी विद्यापीठ में पृथ्वी दिवस का आयोजन किया गया जिसमें विद्यालय के सभी छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। कुछ छात्रों ने विद्यालय में पौधारोपण किया एवं अन्य कक्षा के छात्रों ने सेव अर्थ थीम पर पोस्टर एवं स्लोगन लिखे। इस मौके पर प्राथमिक कक्षाओं के सभी बच्चों के लिए मॉडल एवं चार्ट मेकिंग प्रतियोगिता रखी गई थी। आयोजन में विद्यालय के छात्रों ने पृथ्वी संरक्षण की प्रतिज्ञा ली एवं अपने अपने विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम संयोजक अध्यापिका छवि अग्रवाल ने पृथ्वी संरक्षण पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि विद्यालय के बच्चों को पृथ्वी संरक्षण के लिए उचित कदम उठाने चाहिए, इस दौरान उन्हें विभिन्न प्रकार के उपाय बताए ताकि ग्लोबल वार्मिंग को कम किया जा सके। पृथ्वी के संसाधनों को संरक्षित करते हुए उनका सीमित उपयोग कैसे किया जाए उन्हें यह भी बताया गया कि पृथ्वी के संसाधनों का दोहन सीमित मात्रा में करना चाहिए और जितना पृथ्वी से हम ले रहे हैं कोशिश करनी चाहिए कि उसे उसी अनुपात में लौटा सके। विद्यालय के बच्चों को पौधारोपण के लिए प्रेरित किया गया। बाल संसद के पर्यावरण मंत्री प्रियांशु ने अपने सभी बाल मंत्रियों के साथ मिलकर फेस पेंटिंग के माध्यम से जागरूकता एक्ट प्रस्तुत किया और नन्हे मुन्नों ने पृथ्वी बचाने का सार्थक संदेश दिया।
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