मंगलवार, 1 नवंबर 2022

Health department ने स्वाइन फ्लू के लिए जारी की एडवाइजरी

इन्फ्लुएंजा एच-1 एन-1 वायरस के लिए अलर्ट 

एसएसपीजी, डीडीयू, एलबीएस चिकित्सालय सहित सीएचसी-पीएचसी को सतर्कता बरतने के निर्देश


Varanasi (dil india live). सर्दी बढ़ने के साथ एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा के मरीज बढऩे की आशंका रहती है। इसके कारण वाराणसी सहित प्रदेश के अन्य जिलों में भी अलर्ट जारी किया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने मंगलवार को दिशा-निर्देश जारी करते हुए सभी सरकारी चिकित्सालयों के प्रमुख चिकित्साधीक्षक एवं प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्साधीक्षक को बीमारी के प्रति सतर्कता बरतने का निर्देश दिया है। साथ ही इन्फ्लूएंजा एच-1 एन-1 वायरस के मरीजों के लिए अस्पतालों में बेड आरक्षित रखने और जांच, दवा व अन्य संसाधनों की उपलब्धता बनाए रखने के निर्देश दिए हैं। सीएमओ ने एच-1 एन-1 इन्फ्लूएंजा के कारणों, रोकथाम व उपचार की जानकारी आम नागरिकों तक पहुंचाने का भी निर्देश दिया है ।

जिला सर्विलांस अधिकारी व अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने बताया कि स्वाइन इन्फ्लूएंजा एक संक्रामक सांस की बीमारी है जो कि आमतौर पर स्वाइन इन्फ्लूएंजा ए वायरस के एच-1 एन-1 के कारण होती है। स्वास्थ्य विभाग ने एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा को वर्तमान में सिजनल इन्फ्लुएंजा की श्रेणी में रखा है। यह उन लोगों को अधिक प्रभावित करती है जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी बीमारी के कारण कम हो गई हो। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छीकने या उसके संपर्क में रहने से फैलता है।

इन्फ्लुएंजा के लक्षण

डॉ कनौजिया ने बताया कि बुखार, नाक बहना, खांसी, गले में खराश, सिरदर्द, बदन दर्द, ठंड लगना व आंखों में लालिमा आना इस रोग के मुख्य लक्षण हैं । इस वायरस के कारण लोगों को बुखार, सर्दी जुकाम, संक्रमण, सिर दर्द जैसी बीमारियाँ हो सकती है । इसमें ठंड और गर्मी बारी-बारी से होने लगती है और बुखार तेज़ी से बढ़ने लगता है । सही उपचार न मिलने पर यह रोग जानलेवा भी हो सकता है । गंभीर होने पर सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, खांसी में खून आना और बेहोशी की स्थिति जैसे लक्षण दिख सकते हैं । संक्रमित बीमारी के चपेट में आने से अधिकांश जोखिम में गर्भवती, नवजात, वृद्धजन, रोग प्रतिरोधक क्षमता से कमजोर, चिकित्सीय एवं सर्जिकल बीमारी, लम्बे समय से दवा खा रहे व्यक्ति हैं । 

       उन्होंने बताया कि वाराणसी में इस बीमारी से निपटने के लिए बीएचयू में जांच सहित उपचार की व्यवस्था है । इसके अलावा सीएमओ द्वारा स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए पं. दीन दयाल राजकीय चिकित्सालय, लाल बहादुर शास्त्री राजकीय चिकित्सालय, श्री शिव प्रसाद मंडलीय चिकित्सालय सामुदायिक एवं प्राथमिक सवास्थ्य केंद्रों को सतर्कता बरतने और बेड आरक्षित करने के लिए निर्देशित किया गया है । सभी ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केंद्रों पर इसके बचाव की दवा निःशुल्क मौजूद हैं ।  

बचाव के तरीके

० छींकते समय टिश्यू पेपर से मुंह, नाक को ढकें और फिर उस पेपर को फौरन सावधानी से कचरे के डिब्बे में डाल दें । 

० अपने हाथों को लगातार साबुन से धोते रहें अपने घर, ऑफिस के दरवाजों के हैंडल, की-बोर्ड, मेज आदि साफ करते रहें । 

० लगातार पानी पीते रहें ताकि डिहाइड्रेशन ना हो । 

० घर से बाहर निकल रहे हों तो फेसमास्क पहनकर ही निकलने की कोशिश करें ।

Yeshu bhakto ने लगाया नये धर्मांतरण कानून के दुरुपयोग का आरोप


Varanasi (dil india live).  मसीही अनुयाइयों एवं यीशु भक्तों द्वारा पुलिस कमिश्नर वाराणसी ज़ोन और मंडलायुक्त वाराणसी से मिल कर अराजक तत्वों और लोकल पुलिस के नकारात्मक गठजोड़ पर गहरी आपत्ति दर्ज कराई और कार्रवाई की मांग की। आरोप लगाया कि विगत कुछ समय से एक कथित हिन्दू संगठन के पदाधिकारी होने का दावा करने वाले कुछ लोगों द्वारा निर्दोष मसीही नागरिकों के खिलाफ धर्मान्तरण के झूठे मामलों में फंसाने की साजिश की जा रही है। इस संबंध में एक अभ्यावेदन पुलिस कमिश्नर वाराणसी ज़ोन और मंडलायुक्त वाराणसी को दिया गया।

वक्ताओं ने कहा कि विगत दो वर्षों में नये धर्मांतरण कानून का यूपी में भारी दुरुपयोग जारी है। ईसाई समुदाय पर मेरठ, आजमगढ़, फतेहपुर, रायबरेली, प्रतापगढ़, मऊ ही नहीं बनारस इत्यादि में भी हमले फिर से कई गुना बढ़ गए है।

पुलिस कमिश्नर वाराणसी ज़ोन और मंडलायुक्त वाराणसी से मिल कर अनुरोध किया गया है, कि साम्प्रदायिक सद्भाव और शांति के हित में इलाके में कानून व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए इस मामले में आप अविलम्ब आवश्यक कार्रवाई करें।

प्रतिनिधि मंडल ने कि यह मांग 

1.वाराणसी मंडल में धार्मिक उन्मादी व् मनबढ़ लोगों को चेतावनी दिया जाये की समाज में वैमनस्य न फैलाएं।

2.पोलिस द्वारा रविवार को यीशु भक्तों की आराधना व् संगती बाधित न किया जाये।

3.पोलिस प्रशासन सभी वर्गों के लोगों के साथ न्यायपूर्ण व्यहवार करें व् 'उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून' का दुरूपयोग रोका जाये। 

4.सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सभी पोलिस स्टेशनों पर सी. सी. टीवी कैमरा लगाया जाये।

इनकी रही मौजूदगी

फादर आनंद, मनीष शर्मा, फादर कल्याण, फादर दशरथ पवार, फादर मारन, पास्टर नवीन जॉय, पास्टर विन्सेंट, दीनानाथ जैसवार इत्यादि।

सोमवार, 31 अक्तूबर 2022

National unity day के रूप में मनाया गया सरदार पटेल जयंती


Ghazipur (dil india live). सत्यदेव डिग्री कालेज, गाजीपुर में सरदार बल्लभ भाई पटेल की जयंती राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. राम चन्द्र दूबे ने राष्ट्रीय एकता दिवस पर सभी प्राध्यापको, कर्मचारियों और छात्र छात्राओं को शपथ दिलाया।

श्रद्धांजली सभा में डिग्री कालेज के निदेशक श्री अमित रघुवंशी जी,सत्यदेव ग्रुप ऑफ कालेजेज के काउंसलर श्री दिग्विजय उपाध्याय जी,ने सरदार पटेल के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की। प्राचार्य डा. दूबे ने पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जीवन परिचय देने के साथ ही बताया कि आज का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस समारोह के रूप में क्यों मनाया जा रहा है।

सभा में बोलते हुए निदेशक अमित रघुवंशी जी ने बताया कि सरदार वल्लभ भाई पटेल देश के पहले गृह मंत्री थे इस महत्व पूर्ण पद पर कार्य करते हुए उन्होंने भारत के 600 देशी रीयासतो का भारत राष्ट्र में विलय कराया।इस कार्य के लिए उन्हें देश भर का दौड़ा करना पड़ा अनेक राजाओं से समझौता कराना पड़ा,कुछ राज्यों से युद्ध भी करना पड़ा तब जाकर भारत का राष्ट्रीय एकीकरण पूरा हुआ।उनके इस महत्व पूर्ण कार्य को देखते हुए ही आज का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। अन्त में काउंसलर श्री दिग्विजय उपाध्याय जी ने सभी उपस्थित जनों का आभार ज्ञापन किया।

रविवार, 30 अक्तूबर 2022

Fastival: व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य दिया अर्घ्य


Ghazipur (dil india live)। सूर्य उपासना का महापर्व डाला छठ पर जनपद में गंगा तट वह गांव के सरोवर में व्रती महिलाओं ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। शाम लगभग 3:00 बजे से ही महिलाओं का घाटों पर जाना आरंभ हो गया। इसके साथ ही सूर्य उपासना का महापर्व डाला छठ का चिर परिचित गीत गाते” कांच ही बांस के बहंगिया,बहगीं लचकती जाय “के साथ ही महिलाओं ने गंगा घाटों पर पहुंचना आरंभ कर दिया । महापर्व का उत्साह नदियों , सरोवर ,तालाबों के किनारे देखा गया ।आज रविवार की शाम को व्रती महिलाओं ने घाटों पर पहुंचकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। पुलिस प्रशासन द्वारा घाटों के किनारे महिला कांस्टेबल तथा पुरुष कांस्टेबल की ड्यूटी लगी थी। पुलिस कांस्टेबलों द्वारा गंगा के किनारे नाव पर भी चक्रमण करते देखा गया। जिले के प्रशासनिक अधिकारी अलर्ट रहें ,पेट्रोलिंग करते देखा गया। आज सुबह से ही लोगों द्वारा फल की खरीदारी के लिए बाजरो में भीड़ उमरी रही । घाटों पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी रही । घाटों पर पूजन के लिए शाम के समय नगर एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया । 

Dpo बोले: पोषण के पाँच सूत्रों से रुकेगा कुपोषण

स्वस्थ समाज की आधारशिला के लिए व्यवहार परिवर्तन जरूरी 
Varanasi (dil india live). स्वस्थ समाज के निर्माण के लिए पोषण संबंधी व्यवहार में परिवर्तन और जीवन शैली के बदलाव की बेहद आवश्यकता है । भोजन में पोषक तत्वों की कमी से प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती जा रही है । जागरूकता की कमी और समुचित पोषण के अभाव से बच्चों को कई प्रकार की बीमारियां हो रही हैं। इसका सबसे बड़ा दुष्प्रभाव कुपोषण का एक विश्वव्यापी समस्या बनकर उभरना है । आहार के प्रति सही व्यवहार और जागरूकता से ही एक स्वस्थ समाज की परिकल्पना को साकार किया जा सकता है । यह कहना है जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह का ।

डीपीओ ने कहा कि स्वस्थ बच्चा - स्वस्थ समाज की आधारशिला को मजबूत बनाने के लिए समुदाय स्तर पर सभी की सहभागिता और जन-जागरूकता बहुत जरूरी है । एक स्वस्थ जीवन के लिए तैयारी गर्भावस्था के दौरान ही शुरू कर देनी चाहिए । स्वस्थ बच्चे के लिए मां का भी स्वस्थ होना उतना ही जरूरी है । इसमें पोषण के पांच सूत्र - पहले सुनहरे 1000 दिन, पौष्टिक आहार, एनीमिया की रोकथाम, डायरिया का प्रबंधन और स्वच्छता व साफ-सफाई स्वस्थ नए जीवन के लिए महामंत्र साबित हो सकते हैं । इस संबंध में उन्होने समस्त बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ), यूनीसेफ के मंडलीय समन्वयक व मुख्य सेविकाओं को ‘पोषण के पाँच सूत्रों’ के बारे में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को विस्तार से संवेदीकरण करने के लिए कहा ।

1-पहले सुनहरे 1000 दिन 

प्रथम हजार दिनों में तेजी से बच्चे का शरीरिक एवं मानसिक विकास होता है। इनमें गर्भावस्था के 270 दिन और जन्म के बाद दो साल तक 730 दिन, इस प्रकार एक हजार दिन शामिल होते हैं। इस समय मां और बच्चे को सही पोषण और खास देखभाल की जरूरत होती है। इस समय गर्भवती की कम से कम चार प्रसव पूर्व जांच होनी चाहिए। गर्भवती और धात्री महिला को कैल्शियम और आयरन की गोलियों का सेवन कराया जाना चाहिए। इसके साथ ही संस्थागत प्रसव को प्राथमिकता दी जानी चाहिए जिससे मां और बच्चे का जीवन सुरक्षित हो सके। जन्म के एक घंटे के भीतर बच्चे को मां का पहला पीला गाढ़ा दूध देना बहुत जरूरी है। छह माह से बड़े उम्र के बच्चे को स्तनपान के साथ ऊपरी आहार दिया जाना चाहिए। बच्चे को सूची अनुसार नियमित टीकाकरण और नौ माह होने पर विटामिन ए की खुराक दी जानी चाहिए।

2-सही समय पर ऊपरी आहार 

 छह माह से ऊपर के बच्चे को स्तनपान के साथ पर्याप्त मात्रा में तरह-तरह का अर्ध ठोसाहार अवश्य लेना चाहिए। पौष्टिक आहार में विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे अनाज, दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल लेने चाहिए। हरी सब्जियों में पालक, मेथी, चौलाई और सरसों, पीले फल जैसे आम व पका पपीता खाए जा सकते हैं। खाने में दूख, दूध से बने पदार्थ और मेवे आदि शामिल करें। स्थानीय रूप से उत्पादित पौष्टिक खाद्य पदार्थों को भी शामिल करें। यदि मांसाहारी हैं तो, अंडा, मांस और मछली आदि भोजन में लिया जा सकता है। *सेवापुरी की मुख्य सेविका लालिमा पांडे* बताती हैं कि सात माह के बच्चे को लाल मांस, अंडा, मछली प्यूरी बनाकर एक से दो छोटे चम्मच खिलाया जा सकता है। प्रोटीन की मात्र अधिक न हो इस बात का विशेष ख्याल रखना होगा। बढ़ती उम्र के अनुसार इसको धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।   

3-एनीमिया की रोकथाम

 स्वस्थ शरीर और तेज दिमाग के लिए एनीमिया (खून की कमी) की रोकथाम करें। सभी उम्र के लोगों में एनीमिया की जांच और पहचान किया जाना महत्वपूर्ण होता है, जिससे व्यक्ति की हीमोग्लोबिन के स्तर के अनुसार उपयुक्त उपचार प्रारंभ किया जा सके। एनीमिया की रोकथाम के लिए आयरन युक्त आहार खाएं। उम्र के अनुसार बच्चे को आईएफ़ए सिरप, किशोर-किशोरियों, गर्भवती और धात्री महिलाओं को आईएफ़ए की गोली और कृमिनाश के लिए कीड़े की दवा (एल्बेण्डाजोल) की निर्धारित खुराक दी जाती है।

4-डायरिया का प्रबंधन 

साफ-सफाई, आहार की स्वच्छता का ध्यान रखें और डायरिया से बचाव के लिए हमेशा स्वच्छ पानी पिलाएं। छह माह तक बच्चे को केवल स्तनपान ही करवाएं। कोई और खाद्य पदार्थ यहां तक पानी भी नही दें, क्योंकि वह भी बच्चे में डायरिया का कारण बन सकता है। डायरिया होने पर भी मां स्तनपान न रोकें बल्कि बार-बार स्तनपान कराएं । डायरिया होने पर तुरंत ओ0आर0एस0 घोल पिलाएं, जब तक डायरिया पूरी तरह से ठीक न हो जाए। डायरिया से पीड़ित बच्चे को डॉक्टर की सलाह पर 14 दिन तक जिंक दें, इस बीच अगर दस्त रूक जाए तो भी यह देना बंद नहीं करें। 

5-स्वच्छता और साफ-सफाई 

स्वास्थ्य और सफाई का हमेशा साथ रहा है। गंदगी कई बीमारियों का खुला निमंत्रण होती है। इसलिए व्यक्तिगत स्वच्छता सुनिश्चित करें। हमेशा खाना बनाने, स्तनपान से पहले, बच्चे को खिलाने से पहले, शौच के बाद और बच्चे के मल के निपटान के बाद साबुन और पानी से हाथ आवश्य धोएं। शौच के लिए हमेशा शौचालय का उपयोग ही करें। किशोरियां और महिलाएं माहवारी के दौरान व्यक्तिगत साफ-सफाई का ध्यान रखें।

शनिवार, 29 अक्तूबर 2022

Fast food liver को करता है खराब: डाक्टर जी डी गुप्ता


Varanasi (dil india live)। बड़ी बाजार स्थित द मॉडर्न पब्लिक स्कूल के प्रांगण में एक दिवसीय निः शुल्क हेल्थ चेकअप, खून जांच व निः शुल्क दवा वितरण का आयोजन किया गया। कैम्प में 235 मरीजों को देखा गया। इस शिविर में वाराणसी के प्रसिद्ध चिकित्सक डाक्टर जी डी गुप्ता (एम डी), डॉक्टर राकेश पटेल, डॉक्टर सुनील गुप्ता, डॉक्टर सफीना, डाक्टर जाहिद, डाक्टर प्रशांत ने रोगी का चेकअप करते हुए उसके निवारण का हल बतलाया।

 डॉक्टर जी डी गुप्ता ने शिविर में आए सभी मरीजों को संबोधित हुए कहा कि हमें फास्टफूड, तंबाकू, पान मसाला इत्यादि से बहुत दूर रहना चाहिए। आज समाज में 70 प्रतिशत लोग फास्ट फूड खा कर बीमार हो रहे है, और अपने लीवर किडनी, आंतो को खुद से खत्म कर रहे हैं। शुगर संबंधित  मरीजों को उचित सलाह देते हुए कहा कि फल और सलाद का सेवन अधिक मात्रा में करें जिससे शुगर लेवल अच्छा रहता है।

 इस निः शुल्क शिविर का आयोजन संस्था के प्रधानाचार्य अब्दुल वफा अंसारी ने किया और आए हुए चिकित्सकों को धन्यवाद भी दिया। इस मौके पर चिकित्सकों के अलावा फैयाज़ अहमद, शिक्षक फैजानुल हक, सोफिया अहमद, रोजीना,  अंकित, रहमतुल्लाह, जुबैदा इत्यादि उपस्थित थे। 

          

              प्रधानाचार्य

       श्री अब्दुल वफा अंसारी

Varanasi की नौ fr u पर मना ‘सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक’ दिवस

354 गर्भवती की हुई प्रसव पूर्व जांच, मिला पोषण व परिवार नियोजन सम्बन्धी  परामर्श

एचआरपी वाली  महिलाओं को सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए किया प्रेरित

हर माह 24 तारीख को मनाया जाता है ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक’

दीपावली के अवकाश के चलते शुक्रवार को मनाया गया दिवस

Varanasi (dil india live).


जनपद  की नौ प्रथम संदर्भन इकाइयों (एफ़आरयू) पर शुक्रवार को  ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक दिवस' मनाया गया । यह दिवस हर माह की 24 तारीख को मनाया जाता है लेकिन दीपावली के अवकाश के कारण इसका आयोजन शुक्रवार को किया गया। इसके तहत जिले की चार नई एफआरयू सहित नौ इकाइयों पर 354 गर्भवती की निःशुल्क प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) की गई । इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में बताया गया ।

    मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि महीने में अब दो बार “प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) दिवस” मनाया जाता है । हर माह की नौ तारीख को पहले से पीएमएसएमए दिवस मनाया जा रहा है और जनपद की सभी एफ़आरयू पर 24 तारीख को ‘प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व क्लीनिक दिवस के रूप में पीएमएसएमए दिवस मनाया जा रहा है।

सीएमओ ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए जनपद की स्वास्थ्य इकाइयों पर प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान दिवस का आयोजन किया जाता  है। गर्भवती के प्रसव पूर्व जाँच के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान को महीने में दो दिवस पर आयोजित करने का निर्णय लिया है। अभियान को सफल बनाने के लिए  एफआरयू जिला महिला चिकित्सालय कबीरचौरा, एलबीएस चिकित्सालय रामनगर, सीएचसी चोलापुर, सीएचसी आराजीलाइन, सीएचसी गंगापुर (पिंडरा) पर मनाया जा रहा है एवं चार नई एफआरयू डीडीयू चिकित्सालय स्थित एमसीएच विंग, सीएचसी हाथी (सेवापुरी), शहरी सीएचसी चौकाघाट एवं सीएचसी दुर्गाकुंड पर इस दिवस का आयोजन शुरू हुआ है।

    उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी (आरसीएच) डॉ. एच.सी. मौर्य ने बताया कि स्वास्थ्य केंद्र पर नियमित जांच व उच्च जोखिम  गर्भावस्था वाली महिलाओं  को प्रसव पूर्व जाँच (एएनसी) कर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है। गर्भवती की नियमित नि:शुल्क जांच एवं प्रसव पश्चात उचित देखभाल की सुविधा देने के लिए आयोजन का विस्तार किया गया है। इस दौरान गर्भवती के ब्लड ग्रुप, हीमोग्लोबिन, यूरिन, मधुमेह, सिफलिस, एचआईवी आदि की जांच की जाती है। जांच के दौरान ही उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) वाली महिलाएं चिह्नित की जाती हैं और उनके सुरक्षित प्रसव की व्यवस्था कराई जाती है। इसके लिए उन्हें प्रसव के दौरान उच्च चिकित्सा इकाइयों पर  रेफर भी किया जाता है। उच्च जोखिम गर्भावस्था वाली महिलाओं को गंभीर रक्त अल्पता, उच्च रक्तचाप, कम वजन, डायबिटीज, एचआईवी पाजिटिव तथा 35 साल से अधिक की उम्र में गर्भधारण आदि श्रेणियों में पहचान की जाती है।

    जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) संतोष सिंह ने बताया कि इस अभियान का उद्देश्य गर्भवती की प्रसव पूर्व विधिवत जांच विशेषज्ञ व महिला डॉक्टर की निगरानी में कराना है । मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता पूनम गुप्ता ने बताया कि इस दिवस पर जिले में करीब 354 गर्भवती  की जांच हुई, जिसमें लगभग 69 एचआरपी की श्रेणी में चिह्नित की गईं।  

यह सेवाएँ निःशुल्क दी गईं 

 इस दिवस पर समस्त गर्भवती की प्रसव पूर्व जाँचे (एएनसी) जैसे हीमोग्लोबिन, शुगर, यूरिन जांच, ब्लड ग्रुप, एचआईवी, सिफ़लिस, वजन, ब्लड प्रेशर एवं अन्य जाँचों की निःशुल्क सुविधा दी गईं। इसके साथ ही आयरन, कैल्शियम, एलबेंडाजॉल एवं आवश्यक दवाएं मुफ्त दी गईं। एचआरपी युक्त महिलाओं की पहचान, प्रबंधन एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा पोषण, परिवार नियोजन तथा प्रसव स्थान के चयन के बारे में भी उचित सलाह दी गई। 

       सीएचसी आराजीलाइन पहुंची पिंकी (22) की महिला डॉक्टर ने सभी प्रसव पूर्व जांच की। उन्होंने कहा कि हीमोग्लोबिन का स्तर सामान्य से कम पाये जाने पर डॉक्टर ने हरी साग सब्जियाँ, मौसमी फल, दूध, गुड़ आदि खाने की सलाह दी। इसके साथ ही नियमित लाल आयरन की गोली खाने की सलाह भी दी। वहीं मंजू यादव (22) ने बताया कि वह पहली बार माँ बनने जा रही हैं इसलिए सभी सावधानी बरत रही हैं। हीमोग्लोबिन का स्तर कम होने से डॉक्टर ने उन्हें पौष्टिक आहार लेने  की सलाह दी। यह भी बताया गया कि क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता से नियमित सलाह लेती रहें।

मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...