बुधवार, 26 अक्तूबर 2022

Dengue के मरीज बढ़ने से स्वास्थ्य विभाग एलर्ट

निर्धारित प्रोटोकॉल से ही करें डेंगू का इलाज : सीएमओ

सरकारी व निजी चिकित्सालयों को दिये आवश्यक निर्देश

Varanasi (dil india live)। जनपद में डेंगू प्रभावित मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने सरकारी एवं निजी चिकित्सालयों को निर्देश दिया है कि उपरोक्त मरीजों को विभाग की ओर से तय प्रोटोकाल के अनुसार ही उपचार करें। संभावित मरीजों का ब्लड सैंपल माइक्रोबायोलॉजी विभाग बीएचयू और पंडित दीनदायल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय में जांच के लिए अवश्य भेजें। वहां से डेंगू रोग की पुष्टि होने के बाद उसकी सूचना जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे को अवश्य दें ।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में बुधवार को हुई बैठक में सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने कहा कि जिले में डेंगू के मरीजों पर स्वास्थ्य विभाग अपनी नज़र बनाए हुए है।संचारी व मच्छर जनित रोगों डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि से प्रभावित क्षेत्रों में रोकथाम व नियंत्रण के लिए कार्रवाई की जा रही है। गंदगी, जलभराव, गंदी नालियां, जगह-जगह बिखरे पड़े कचरे, चोक पड़ी नालियां, पीने के पानी में गंदगी आदि पर के नियमित साफ-सफाई के निर्देश हैं। नगरीय इलाकों के लिए स्वास्थ्य विभाग ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी को उचित कार्रवाई करने के लिए सुनिश्चित किया है । एंटी लार्वल टीमों को निर्देशित किया गया है कि प्रभावित इलाकों में एंटी लार्वल स्प्रे का छिड़काव और फोगिंग किया जाए । इस दौरान स्थानीय लोगों को भ्रमण के दौरान स्थानीय लोगों को डेंगू लक्षण, बचाव आदि के बारे में जानकारी दी जाये । चिकित्सालयों को निर्देशित किया कि संभावित रोगियों का इलाज एक अलग वार्ड या कमरे में किया जाए और मच्छरदानी का उपयोग अनिवार्य रूप से किया जाए। जनपद व ब्लॉक स्तरीय सभी सरकारी चिकित्सालयों में अलग से वार्ड स्थापित करते हुए उपचार की सम्पूर्ण व्यवस्था निःशुल्क है।

जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पांडे ने बताया कि इस वर्ष जनपद में अभी तक 189 डेंगू के मरीज पाये जा चुके हैं जिसमें शहरी इलाकों में 127 और ग्रामीण में 62 मरीज हैं । इसके अलावा मलेरिया के अभी तक 67 मरीज पाये गए । उन्होने बताया कि तेज बुखार, सिरदर्द, पीठदर्द, आँखों को हिलाने में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते, मसूड़ों/नाखूनों में दर्द आदि लक्षण दिखाई देने पर अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क करें, बिना चिकित्सीय सलाह के कोई भी दवा न लें । डेंगू की पुष्टि हो हो जाने पर घबराएँ नहीं, धैर्य रखें और चिकित्सीय सलाह के अनुसार अपना इलाज कराएं । सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें । सुबह शाम बाहर निकलते समय फुल आस्तीन के कपड़े और मोजे पहनें । सोने से पहले नीम का धुआँ करें । अपने घर के आसपास जलजमाव और गंदगी की स्थिति पैदा न होने दें । मरीज प्रचुर मात्रा पानी और तरल पदार्थ जरूर लें । ओआरएस घोल, नारियल पानी, फलों का रस आदि प्रचुर मात्रा में लें । शरीर का तापमान कम करने के लिए ठंडे पानी की पट्टी रखें ।

बैठक में समस्त एसीएमओ, डिप्टी सीएमओ, वरिष्ठ चिकित्साधिकारी एवं अन्य अधिकारी मौजूद रहे ।

रविवार, 23 अक्तूबर 2022

Queen's ने Dipawali की माताओं संग बांटी खुशियां




Varanasi (dil india live). क्वींस क्लब की महिलाओं ने रविवार को वृद्ध माताओं के साथ दीपोत्सव की खुशियां बांटी। मौका था क्लब की ओर से मनाए गए छोटी दीपावली उत्सव का। दुर्गाकुंड सिथत वृद्धाश्रम में क्लब की संस्थापक तनुश्री अग्रवाल की मौजूदगी व अध्यक्ष हीना वह सेक्रेटरी प्रियंका की अगुवाई में सभी ने खूब मस्ती की। माताएं क्लब मेम्बर्स को अपने बीच पाकर काफी खुश थी। इस मौके पर क्लब मेम्बर्स ने मिठाईयां, नमकीन, फल समेत खाने-पीने के काफी सामान माताओं को प्रदान किया। इस मौके पर तनु, प्रियंका, सपना, तरना, निहारिका, विनिता, ज्योति, पूजा, हनी, मिसकात, काजल, सोनम आदि ने रंगोली सजाकर गीत गाया और खूब मस्ती की।

शनिवार, 22 अक्तूबर 2022

Dengue पीड़ितों की मौत प्लेटलेट की कमी से नहीं : सीएमओ

अनावश्यक प्लेटलेट चढ़ाने से मरीज की तबीयत और हो सकती है खराब

 •निजी चिकित्सकों, नर्सिंगहोम संचालकों के साथ वर्चुवल मीटिंग सम्पन्न

 •डेंगू पीड़ित मरीजों के बेहतर उपचार पर हुई चर्चा

Varanasi (dil india live).प्लेटलेट की कमी डेंगू पीड़ित मरीजों की मौत का कारण नहीं होता। निजी चिकित्सकों नर्सिंग होम संचालकों के साथ शनिवार को हुई वर्चुवल मीटिंग में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने उक्त विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार, जब तक किसी मरीज का प्लेटलेट काउंट दस हजार से कम न हो और  सक्रिय रक्तस्राव न हो रहा हो तब तक उसे प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता नहीं होती है। डेंगू के इलाज में  प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन प्राथमिक इलाज नहीं है। वास्तव में, प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन मरीज को लाभ पहुंचाने की जगह नुकसान ही करता है यदि इसका उपयोग ऐसे रोगी में किया जाता है जिसमे प्लेटलेट्स की गिनती दस हजार से अधिक है।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने कहा डेंगू से पीड़ित रोगियों में मृत्यु का प्राथमिक कारण केशिका रिसाव है, जो इंट्रावास्कुलर कंपार्टमेंट में रक्त की कमी का कारण बनता है और जिसके फलस्वरूप बहु-अंग ( मल्टी ऑर्गन फेल्योर) विफलता होती है। इंट्रावास्कुलर कंपार्टमेंट से एक्स्ट्रावास्कुलर कंपार्टमेंट में प्लाज्मा रिसाव की स्थिति में, मरीज को प्रति घंटे 20 मिलीलीटर प्रति किलो शरीर के वजन की मात्रा में फ्लूड चढ़ाया  जाना चाहिए। इसे तब तक जारी रखना चाहिए जब तक कि ऊपरी और निचले रक्तचाप के बीच का अंतर 40 mmHg से अधिक न हो जाए, या रोगी को पर्याप्त मात्रा में पेशाब न हो जाए। यह वह सब है जो रोगी के इलाज के लिए आवश्यक है, अनावश्यक प्लेटलेट चढ़ाने से मरीज की तबीयत और खराब हो सकती है। डेंगू रोगियों का इलाज करते समय, चिकित्सकों को '20 का फॉर्मूला' याद रखना चाहिए यानी 20 से अधिक की पल्स रेट में वृद्धि, बीपी का 20 से अधिक गिरना, 20 से कम के निचले और ऊपरी बीपी के बीच का अंतर और 20 से अधिक रक्तस्रावी धब्बे की उपस्थिति टूर्निकेट परीक्षण के बाद हाथ पर दिखें, तो यह स्थिति एक उच्च जोखिम वाली स्थिति का सुझाव देते हैं, और व्यक्ति को तत्काल चिकित्सा ध्यान देने की आवश्यकता होती है।"

 सीएमओ ने कहा कि डेंगू बुखार एक दर्दनाक मच्छर जनित रोग है। यह चार प्रकार के डेंगू वायरस में से किसी एक के कारण होता है, जो एक संक्रमित मादा एडीज एजिप्टी मच्छर के काटने से फैलता है।डेंगू के सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, नाक बहना, त्वचा पर हल्के लाल चकत्ते, खांसी और आंखों के पीछे और जोड़ों में दर्द शामिल हैं। हालांकि, कुछ लोगों को लाल और सफेद धब्बेदार चकत्ते विकसित हो सकते हैं, जिसके बाद भूख में कमी, मतली, उल्टी आदि हो सकती है। डेंगू से पीड़ित मरीजों को चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और बहुत सारे तरल पदार्थ पीना चाहिए। बुखार को कम करने और जोड़ों के दर्द को कम करने के लिए पैरासिटामोल लिया जा सकता है। हालांकि, एस्पिरिन या इबुप्रोफेन नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि वे रक्तस्राव के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। 

 जटिलताओं का जोखिम

 डेंगू के 1% से भी कम मामलों में जटिलताओं का जोखिम होता है, यदि जनता को चेतावनी के संकेत ज्ञात हों, तो डेंगू से होने वाली सभी मौतों से बचा जा सकता है। डेंगू  के परीक्षणों में डेंगू NS1-सर्वश्रेष्ठ परीक्षण है। NS1 आदर्श रूप से दिन 1 से 7 तक पॉजिटिव रीडिंग होता है। यह फॉल्स पॉजिटिव रीडिंग नही देता। यदि पहले दिन -ve है, तो इसे अगले दिन दोहराएं। हमेशा एलिसा आधारित NS1 परीक्षण के लिए कहें क्योंकि कार्ड परीक्षण भ्रामक हैं।

आईजीजी और आईजीएम डेंगू का महत्व

 कम प्लेटलेट्स संख्या वाले और बीमारी के तीसरे या चौथे दिन "बीमार" दिखने वाले मरीज में, आईजीएम स्तर में सीमा रेखा वृद्धि और आईजीजी का एक बहुत ही उच्च स्तर सेकेंडरी डेंगू का प्रतीक है। इन मरीजों में जटिलता की संभावनाएं अधिक होती हैं। प्राथमिक डेंगू में आईजीजी 7 दिनों के अंत में + हो जाता है, जबकि आईजीएम दिन 4 के बाद + हो जाता है। अपरिपक्व प्लेटलेट अंश/आईपीएफ, थ्रोम्बोसाइटोपेनिया वाले मरीज के लिए डेंगू में एक बहुत ही उपयोगी परीक्षण है। यदि ऐसे मरीज में आईपीएफ> 10% है, तो अगर प्लेटलेट काउंट 20,000 भी है तो भी वह खतरे से बाहर है और 24 घंटे में प्लेटलेट्स बढ़ जाएंगे। यदि आईपीएफ 6% है, तो इसे अगले दिन फिर दोहराएं। अब अगर आईपीएफ बढ़कर 8% हो गया है तो उसके प्लेटलेट्स निश्चित रूप से 48 घंटे के भीतर बढ़ जाएंगे। यदि यह 5% से कम है, तो उसका अस्थि मज्जा 3-4 दिनों तक प्रतिक्रिया नहीं करेगा और वह मरीज प्लेटलेट चढ़ाने के लिए संभावित उम्मीदवार हो सकता है। बॉर्डरलाइन कम प्लेटलेट काउंट के साथ भी आईपीएफ परीक्षण करना बेहतर है। लो मीन प्लेटलेट वॉल्यूम या एमपीवी का मतलब है कि प्लेटलेट्स कार्यात्मक रूप से अक्षम हैं और ऐसे मरीज पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

गुरुवार, 20 अक्तूबर 2022

Panjab national bank में ग्राहक सेवा समिति की बैठक

 


Varanasi (dil india live). पंजाब नेशनल बैंक मंडल कार्यालय सभागार में ग्राहक सेवा समिति की बैठक सम्पन्न हुई। समिति की अध्यक्षता मंडल प्रमुख राजेश कुमार ने की, साथ ही उप मंडल प्रमुख बिमन कुमार, मुख्य प्रबंधक अमरजीत सिंह एवं समिति के नामित सदस्य अमिताभ भौमिक (शाखा प्रमुख, अर्दली बाज़ार शाखा), एस के चतुर्वेदी, एस पी सिंह (शाखा प्रमुख, नदेसर शाखा) , वरिष्ठ नागरिक प्रतिनिधि के रूप में महेंद्र नाथ शर्मा एवं महिला ग्राहक प्रतिनिधि के रूप में अंजना गुप्ता की गरिमापूर्ण उपस्थिति बैठक में हुई। 

ज्ञात हो कि कोरोना काल के बाद ग्राहक सेवा समिति की बैठक के नियमित संचालन का आज शुभारंभ भी हुआ। बैठक में ग्राहक सेवा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर सभी सम्मानित सदस्यों ने अपने बहुमूल्य सुझाव दिए एवं समस्याओं के निराकरण के लिए किए जाने वाले उपायों पर चर्चा की। पंजाब नैशनल बैंक ग्राहकों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए हमेशा जागरूक रहा है और यह बैठक इसी उद्देश्य की पूर्ति का एक हिस्सा है। मंडल प्रमुख ने हमारा प्रभूत मार्गदर्शन किया तथा इसके प्रतिमाह नियमित आयोजन एवं प्रत्येक बैठक में अलग अलग शाखाओं से ग्राहक प्रतिनिधियों को बुलाने का बहुमूल्य सुझाव दिया।

Jamiyat ullema की सीरत कान्फ्रेंस आज से, जुटेंगे उलेमा

दो दिन तक चलेगी सीरत कांफ्रेन्स, लोहता में होगी कई मुद्दों पर चर्चा 

Varanasi (dil india live). समाज में फैल रही भिन्न प्रकार की कुरीतियों एवं बुराइयों को रोकने, अच्छी बातों का संदेश देने, समाज के सभी वर्गों विशेष रूप से युवाओं को सही राह दिखाने एवं देश में अमन व अमान का माहौल बनाने के उद्देश्य से जमीयत उलमा ए बनारस के द्वारा विगत 29 वर्षों से आयोजित होने वाली दो दिवसीय सीरत कांफ्रेंस इस वर्ष 20, 21 अक्टूबर को लोहता में आयोजित हो रही है। इस वर्ष तीसवीं कांफ्रेंस आयोजित की जा रही है। दारुल उलूम देवबंद के कुलपति मुफ्ती अबुल क़ासिम नोमानी की अध्यक्षता में होने वाली इस कांफ्रेंस के मुख्य अतिथि जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष एवं पूर्व राज्यसभा सदस्य मौलाना महमूद मदनी शिरकत फरमाएंगे। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में मौलाना हकीमुद्दीन क़ासमी महासचिव जमीयत उलमा ए हिंद, मौलाना सलमान बिजनौरी उपाध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद, मुफ्ती राशिद आज़मी उपकुलपति दारुल उलूम देवबंद, मुफ्ती हुज़ैफा क़ासमी महाराष्ट्र, मुफ्ती अफ़फान मंसूरपुरी अमरोहा, मौलाना अब्दुर्रब आज़मी अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए उत्तर प्रदेश, मौलाना तौफीक अहमद जौनपुर, मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी मुफ्ती शहर बनारस और  कारी अहमद अब्दुल्लाह सेक्रेटरी जमीयत यूथ क्लब कार्यक्रम में शिरकत फरमाएंगे और इस जनसभा को संबोधित करेंगे। 

NRC ने बचा ली बच्चे की जान, कुपोषण के खतरे से थे अंजान

पोषक आहार बच्चे को खिलायें, इसका महत्व दूसरों को बतायें


Varanasi (dil india live). कुपोषण क्या बला होती है, इससे हम पूरी तरह अनजान थे। हमें यह भी नहीं पता था कि इससे हमारे बच्चे की जान भी खतरे में पड़ सकती है। यह तो अच्छा हुआ कि बच्चे को लेकर हम समय रहते एनआरसी (पोषण एवं पुनर्वास केन्द्र पहुंच गये और हमारे बच्चे की जान बच गयी। आज हमारे आंगन में किलकारी गूंज रही है तो वह एनआरसी की देन है। यूं कहे कि एनआरसी ने हमारे बच्चे को दूसरा जीवन दिया है तो यह कहीं से गलत नहीं होगा। अब पोषक आहार अपने बच्चे को खिलाने के साथ ही इसके महत्व के बारे में दूसरों को भी बतायेंगे।‘’

यह कहना है उन अभिभावकों का जिनके अति कुपोषित बच्चों को एनआरसी ने मौत के मुंह में जाने से बचाया। धूरीपुर-हरहुआ निवासी रामललित पेशे से मजदूर है। रामललित की पत्नी निशा बताती हैं कि 11 माह का उनका बेटा शीनू हमेशा बीमार ही रहता था। उसे कुछ भी नहीं पचता था और शरीर सूखता जा रहा था। हालत बिगड़ी तो गांव में इलाज कर रहे डाक्टर ने भी जवाब दे दिया। हम लोग रोने लगे, तभी वहां पहुंची आशा दीदी ने उन्हें सहारा दिया। सरकारी अस्पताल ले गयीं तब पता चला कि शीनू अति कुपोषित (सैम) हो चुका है। आशा दीदी ने ही शीनू को एनआरसी में भर्ती कराया। एनआरसी की ही देन है कि अब शीनू पूरी तरह स्वस्थ है। यहां बच्चे के भर्ती रहने के दौरान ही हमने पोषक आहारों के महत्व के बारे में भी जाना। अब हम बच्चे को पोषक आहार ही खिलायेंगे। पोषक आहार हम सब के लिए कितना महत्वपूर्ण है यह दूसरों को भी बतायेंगे ताकि हमारे शीनू की तरह किसी और बच्चे की जान पर संकट न आये। नगवा की रहने वाली सरोज बताती है कि उसकी बेटी सात माह की होने के बाद भी वजन महज तीन किलो था। उल्टी-दस्त से परेशान बेटी का उपचार कराने सरकारी अस्पताल पहुंची तब पता चला कि बेटी अति कुपोषित (सैम) हो चुकी है। एनआरसी में भर्ती होने के बाद उसकी बेटी को नई जिंदगी मिली है। साथ ही पोषक आहार कितना जरूरी होता है, इसका भी पता चला। सरोज कहती है कि बेटी को अब भरपूर पोषक आहार खिलायेंगे ताकि वह हमेशा स्वस्थ रहे।  एनआरसी में भर्ती होने के बाद स्वस्थ हुए शिवपुर निवासी एक वर्षीय आकाश की मां शीला और 11 माह के रमेश की मां निशा का भी यही कहना है कि हम लोग कुपोषण के खतरे से पूरी तरह अनजान थे। बच्चों पर आयी मुसीबत ने हमें पोषक आहार के महत्व से भी परिचित कराया।

 क्या होता है कुपोषण

 पं.दीन दयाल चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक व बाल रोग विशेषज्ञ डा. आरके सिंह कहते है ‘आहार में पोषक तत्वों का ठीक ढंग से शामिल न होना ही कुपोषण की समस्या को जन्म देता है। कुपोषण के कारण बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, जिससे वे आसानी से कई तरह की बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। कुपोषण के कारण बच्चे में एनीमिया, मानसिक विकलांगता जैसी बीमारियां भी होती है। कुपोषण बच्चे की लंबाई और वजन के विकास को बाधित कर उसके बढ़ने क्षमता को सीमित कर देता है। यदि इसका इलाज समय पर नहीं कराया गया तो इसे बाद में ठीक कर पाना मुश्किल होता है। इससे बच्चे की मृत्यु भी हो सकती है।

 बच्चे को कुपोषित होने से इस तरह बचाये

पोषण एवं पुनर्वास केन्द्र की आहार सलाहकार विदिशा शर्मा कहती हैं- पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन और उचित देखभाल ही बच्चे को कुपोषित होने से बचाता है। शिशुओं के लिए इस बात कर खास तौर पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि उसे छह माह तक मां के दूध के अलावा कुछ भी न दिया जाय। छह माह से दो वर्ष तक के बच्चे को स्तनपान कराने के साथ-साथ ऊपरी पोषक आहार दिया जाना चाहिए। शुरू में उसे फलों का जूस या दाल का पानी चावल का माड़ दिया जा सकता है। चूकि इस समय उसे दांत नहीं निकला होता लिहाजा उसे उबला या भांप में पकाया हुआ सेब, गाजर, लौकी, आलू या पालक आदि मसल कर दे सकते हैं। बाद में उसे दलिया, खिचड़ी, बेसन या आटे का हलुआ भी दिया जा सकता हैै। शिशु को पोषक आहार मिले, इसके लिए एक बेहतर और संतुलित आहार योजना का पालन करना चाहिए। इतना ही नहीं बच्चे के खाने की आदतों पर नजर रखना चाहिए। यदि बच्चा कुपोषण का शिकार होता नजर आता है तो उसका तत्काल उपचार शुरु कराना चाहिए।

बुधवार, 19 अक्तूबर 2022

JP की जन्मभूमि से निकली तिरंगा साइकिल यात्रा पहुंची काशी

  • 11 नवम्बर को प्रधानमंत्री कार्यालय दिल्ली पहुंचेगी साइकिल यात्रा 
  • 18 सदस्यीय साइकिल यात्रा दल का कैथी में हुआ अभिनंदन 
  • सभी के लिए समान शिक्षा की उपलब्धता की मांग को लेकर निकाली गयी है समान शिक्षा तिरंगा साइकिल यात्रा 


Varanasi (dil india live). देश में सभी के लिए गुणवत्ता पूर्ण समान शिक्षा की नीति पूरे देश में व्यावहारिक रूप से लागू किये जाने की मांग को लेकर बलिया से दिल्ली तक की समान शिक्षा तिरंगा साइकिल यात्रा के मंगलवार को गाजीपुर से वाराणसी जनपद में प्रवेश करने पर भंदहा कला कैथी स्थित आशा ट्रस्ट के प्रशिक्षण केंद्र पर अभिनंदन किया गया।

साइकिल यात्रा एवं समान शिक्षा संघर्ष मोर्चा के संयोजक राधेश्याम यादव ने बताया कि लोकनायक जय प्रकाश की जन्मस्थली सिताबदियारा बलिया से जेपी जयंती 11 अक्टूबर को यात्रा प्रारंभ हुयी है, रास्ते में जनसम्पर्क और परचा वितरण करने के साथ ही प्रत्येक जिला मुख्यालय पर ज्ञापन दिया जा रहा है. यात्रा में 18 सदस्य शामिल हैं . 11 नवंबर को दिल्ली पहुंच कर प्रधानमंत्री कार्यालय में इस मुद्दे पर ज्ञापन दिया जाएगा।

यात्रा दल का स्वागत करते हुए आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि देश में सभी को एक जैसी शिक्षा का अवसर मिलना चाहिए चाहे वह राष्ट्रपति की संतान हो अथवा किसान की. सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता बढ़ाने से ही यह संभव हो सकेगा. जिस प्रकार नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय विद्यालयों में प्रवेश के लिए अभिभावक उत्सुकता दिखाते हैं उसी प्रकार सरकारी प्राथमिक स्कूलों की भी गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार होने पर बच्चों के प्रवेश के लिए लोगों का झुकाव होगा।

यात्रा दल के सदस्यों को संस्था की तरफ से संविधान की उद्देशिका देकर विदा किया गया। यात्रा में प्रमुख रूप से श्रवण कुमार, अवनीश, मोहम्मद अरशद, संजय सिंह, कृष्ण चन्द्र पाण्डेय, विनोद मानव, बिट्टू तिवारी, धर्मेन्द्र यादव, राधेश्याम वर्मा, हरी जी आदि शामिल है. अभिनंदन कार्यक्रम में प्रदीप सिंह, सूरज पाण्डेय, नर नाहर पाण्डेय, त्रिभुवन आदि की प्रमुख भूमिका रही।

मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...