बुधवार, 13 जुलाई 2022

अत्याधुनिक नंदघरों का लोकार्पण

ब्लाक प्रमुख ने किया लोकार्पण 

25 को सौंपी गई चाभियाँ 

आराजी लाईन के 14 नंद घर की आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को मिला आईएसओ प्रमाण पत्र



Varanasi (dil india live). वाराणसी के आराजीलाईन ब्लॉक के ग्राम सभा रखौना स्थित नंदघर में अवार्ड रिवार्ड कार्यक्रम का अयोजन वेदांता की सहयोगी संस्था हुमाँना पीपल टू पीपल इंडिया के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि आराजीलाईन ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि डा. महेंद्र सिंह पटेल विशिष्ट अतिथि सीडीपीओ अंजू चौरसिया ने रखौना गाँव सहित चयनित 14 नंद घर की आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों को आईएसओ प्रमाण पत्र और उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति पत्र सम्मानित किया। इस दौरान सराहनीय कार्य के लिए कार्यकत्री को उपहार देकर सम्मानित किया गया, इसके पहले अतिथियों ने रखौना गाँव के कायाकल्प हुए अत्याधुनिक नंदघर का दीप प्रज्वलन कर लोकार्पण किया, अंत में संस्था के पदाधिकारियों ने चयनित कायाकल्पित 25 नंद घरों की चाभियाँ अतिथियों के हाथों कार्यकत्रियो को सौंपा यानी उक्त नंदघरो को हैंडओवर किया। कार्यक्रम में जिला समन्वयक भानू सिंह, वेदांता से रोहित कुमार, उप जिला समन्वयक अर्जुन कुमार, आजाद सिंह, प्रमोद कुमार, संगीता देवी, श्रृंखला श्रीवास्तव, चांदनी राय उपस्थित रहे। जिला समन्वयक भानू सिंह के द्वारा नंद घर के बारे मे विस्तार से बताया गया और साथ ही ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि डा. महेंद्र सिंह पटेल ने भी नंद घर कार्यक्रम की सराहना की कार्यक्रम में सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार गुप्ता, अनिल पटेल, शोभनाथ पटेल, विक्रमा पटेल, कमल, राहुल सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। संचालन रामसिंह वर्मा ने किया तो वही आभार अर्जुन कुमार ने किया।

भारतीय सांस्कृतिक पर्व गुरुपूर्णिमा


Dr. Sanjay Kumar   

MP (dil india live). भारतीय संस्कृति में गुरु का विशेष महत्व माना गया है। गुरु ही मनुष्य में ज्ञान का आधान करता है। इसलिए आषाढ पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। यद्यपि भारत देश ऋषि प्रधान देश रहा है, हर युग में ऋषियों के प्रति आदर - सम्मान का भाव देखने को मिलता है।काश्यप, आंगिरा, भृगु, वशिष्ठ, अगस्त्य, भारद्वाज, जमदग्नि, विश्वामित्र, याज्ञवल्क्य, जैमिनी, बाल्मीकि, दुर्वाषा आदि  की  एक वृहद ऋषि परंपरा देखने को मिलती है। इन सभी के प्रति शिष्यों द्वारा अपार श्रद्धा का भाव भी दृष्टिगोचर होता है। यह देश ज्ञान वैभव का देश है। यहाँ अपरा और परा विद्याओं का संगम है। आत्मा तथा शारीर के साथ ही आदिभौतिक , आदिदैविक और आध्यात्मिक चिन्तन परम्परा का विकास ऋषियों के मनीषा से ही व्यक्त होती है। भारत में ज्ञान के मूलभूमि ऋषि ही हैं। क्योंकि सभी शास्त्र उन्ही के द्वारा श्रुत परंपरा से संरक्षित रहे हैं। इसलिए ऋषि परंपरा को ही गुरुपरंपरा के रूप वन्दना की जाती है। लेकिन एक मान्यता के अनुसार महर्षि वेदव्यास का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा के दिन हुआ था। उन्हीं के सम्मान में आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा के दिन ही  गुरु पूर्णिमा पर्व का आयोजन होता है। ऐसा भी बताया जाता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास ने अपने शिष्यों व मुनियों को सर्वप्रथम श्रीमाद्भागवद्पुरण का उपदेश दिया था। श्रीमाद्भागवद्पुरण उनके अट्ठारह पुराणों में इसलिए श्रेष्ठ है क्योंकि इसमें भगवत- भक्ति के द्वारा मोक्ष का मार्ग  बतलाया  गया है। कुछ लोगों का यह भी  मानना है कि महर्षि वेदव्यास ने ब्रह्मसूत्र को लिखना  इसी दिन प्रारंभ किया था। इसलिए वेदांत दर्शन के प्रारंभिक दिन को गुरुपूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है| ब्रह्मसूत्र वेदान्त दर्शन का वह ग्रन्थ है  जो जीव–व्रह्म की एकता की घोषणा करता है। यहाँ  यह भी बताना उचित होगा कि भक्ति काल के संत श्रीघासीदास का जन्म भी  आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही  हुआ था। जो कबीर दास के शिष्य थे|पूर्णिमा के दिन का भौगोलिक रूप से भी अत्यधिक  महत्व माना जाता है। इस दिन चंद्रमा का पृथ्वी के जल से सीधा संबंध होता है| फलत: समुद्र में ज्वार- भाटा उत्पन्न हो जाता है। चंद्रमा समुद्र के जल को अपनी ओर खींचता है। यह क्रिया मनुष्य को भी प्रभावित करती है क्योंकि मनुष्य के शरीर में भी अधिकांश भाग जल का ही है |इसलिए मनुष्य के शरीर की  जल की गति बदल जाती है |गुण में भी परिवर्तन हो जाता है। आत्म- विस्तार की स्थिति बनने लगती है जिससे  एक अपूर्व आनंद की अनुभूति है।

      महर्षि वेदव्यास संस्कृत के प्रकांड विद्वान थे।उन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहा जाता है | वे आदि  गुरु हैं| इसलिए उनके जन्मदिन आषाढ़पूर्णिमा को गुरुपूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। वेदांत दर्शन व अद्वैत वाद  के संस्थापक वेदव्यास ऋषि पाराशर के पुत्र थे तथा उनकी माता का नाम सत्यवती था। पत्नी  आरुणि से उत्पन्न महान बाल योगी सुखदेव  इनके पुत्र  हैं| एक परंपरा के अनुसार पांडू, धृतराष्ट्र और विदुर भी महर्षि वेदव्यास  के संतान माने जाते हैं | वेदव्यास ने महाभारत, ब्रह्मसूत्र ,18 पुराण ,18 उपपुराण की रचना किए हैं |इसके अतिरिक्त इन्होंने वेदों को उनके विषय के अनुसार ऋग्वेद, यजुर्वेद ,सामवेद, अथर्ववेद के रूप में चार भागों में विभाजित किया है| महर्षि वेदव्यास की शिष्य परंपरा में  पैल ,जैमिनी, वैशंपायन, समन्तु मुनि , रोमहर्षण आदि का नाम महत्वपूर्ण रूप से सामने आता है| यह आषाढ़ पूर्णिमा गुरु महात्मा का पर्व है| इस दिन गुरु की पूजा का विधान शास्त्रों में मिलता है |गुरुपूर्णिमा वर्षा ऋतु में पङती है। इस दिन से 4 महीने तक परिव्राजक साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान का प्रकाश चारों ओर बिखेरते हैं। यह 4 माह प्राकृतिक रूप से बहुत रमणीय  होता  है|  ना अधिक गर्मी पड़ती है ना सर्दी का भान होता है| इसलिए चाहे ज्ञान क्षेत्र हो या अध्ययन क्षेत्र हो दोनों दृष्टि से यह समय बड़ा ही उपयुक्त माना जाता है। ऐसे समय में साधक  द्वारा की गई साधना फलीभूत होती है। ठीक वैसे ही जैसे  सूर्य के ताप से तप्त  भूमि को वर्षा की शीतलता एवं पौधे उत्पन्न करने की शक्ति मिलती है वैसे ही गुरु के सानिध्य में उपस्थित होकर साधकों की  ज्ञानशक्ति, भक्ति, शांति और योग की प्राप्ति होती है।

 यद्यपि भारतीय संस्कृति  ऋषियों का आचरण –व्यावहार द्वारा परिष्कृत संस्कृति है | यहाँ पर ऋषियों –मुनियों के प्रति जीवन के प्रारम्भिक काल से ही श्रद्धा का भाव देखने को मिलता है | ऋषि अपने आचरण मात्र  से  शिष्यों के अन्त: करण में ज्ञान का प्रकाश प्रज्वलित कर देता है |ऋषि ज्ञान का  प्रकाश अत्यंत गंभीर ,गुरु  व भारी होता है | इसी लिए उपदेशक ऋषियों को गुरु की संज्ञा से विभूषित किया गया है |गुरु शब्द दो वर्णों के योग से बना है –गु और रु | गु का अर्थ होता है–अंधकार या अज्ञान तथा रु का अर्थ होता है– हटाने वाला या अवरोधक। इसलिए गुरु शब्द का अर्थ अज्ञान को हटाने वाला या अंधकार को दूर करने वाला होता है। गुरु का ज्ञान भारी है, गुरु का कार्य भारी है और गुरु की सेवा भी भारी ही है | इसलिए वह गुरु कहलाता है | गुरु ही अज्ञान तिमिर का अपने ज्ञानांजन शलाका से हरण कर देता है |यानि अंधकार को हटाकर प्रकाश की ओर ले जाने का कार्य गुरु ही करता है | जिसके सम्बन्ध में ठीक ही कहा गया है –

                   अज्ञान तिमिरंध्श्च  ज्ञानांजन शलाकया |

                   चक्षुन्मिलितं   येन तस्मै श्री गुरुवे नम: ||

 एक  बात और ध्यान देने योग्य है कि गुरु का महत्व सभी धर्मों व सम्प्रदायों में है | जैन, बौद्ध , सिक्ख ,इसाई,पारसी,इस्लाम  आदि सभी किसी न किसी रूप में गुरु की सत्ता में विश्वास रखते है  | सभी गुरु का आदर करते हैं |क्योंकि गुरु ही सबके ज्ञान का आधार है | मैं ऐसा धर्म ,संप्रदाय ,जाति नहीं देखता हूँ जो विना गुरु का हो , सबके  अपने –अपने गुरु हैं |गुरु के महात्म्य के सम्बन्ध में आदिकवि वाल्मीकीय भी कहते हैं –

              स्वर्गोधनं वा धान्यं वा विद्या पुत्रा: सुखानि च |

                गुरुवृत्यनुरोधेन न किंचिदपि  दुर्लभम्   || (१/३०/३६)

अर्थात् गुरुजनों की सेवा का अनुसरण करने से स्वर्ग ,धन ,धान्य,विद्या ,पुत्र ,और सुख कुछ भी दुर्लभ नहीं होता है | यहाँ सेवा से अभिप्राय  गुरु का अनुशासन है, उसका निर्देश ही सेवा है | भारतीय परंपरा में गुरु को व्रह्म , विष्णु  और महेश के समकक्ष मानते हुए का गया है _

                   गुरुर्वह्मा  गुरुर्विष्णु  गुरुर्देवो महेश्वर:|

                 गुरु साक्षात् परव्रह्म तस्मै श्री गुरवे नाम ||

हिंदी के भक्तकवि तुलसीदास  भी गुरु -गौरव के विषय में कहा है –

                 श्रीगुरुचरन  सरोज रज निज मनु मुकुर सुधारी |

                 वरनऊँ रघुबर विमल  जसु जो दायक फल चारी ||

इस प्रकार भारतीय संस्कृति  में गुरु का स्थान बहुत श्रेष्ठ है। सभी मनुष्य के जीवन में  ज्ञानी गुरु की महती आवश्यकता होती है। गुरु ही जीवन लक्ष्य का प्रकाशक होता है। मनुष्य जीवन तो एक हाड.–मास के  पुतले  के समान है| उस पुतले को  ज्ञान संपन्न ,गुण सम्पन्न और विवेक संपन्न गुरु ही बनता है।  उसके विना देवता भी अधूरे हैं। राम और  कृष्ण भी विना गुरु के ज्ञानी नहीं बन सके। गुरु शास्त्र और शस्त्र से  शिष्य का मार्ग प्रशस्त करता है। वही जीवन में परम ज्योति जलाता है। इतिहास साक्षी बिना गुरु के ज्ञान से कोई भी संवृद्ध नहीं हुआ है। यह गुरुपूर्णिमा पर्व समस्त ऋषि व  गुरुपरंपरा का प्रतीक शुभ दिवस है।

(लेखक संस्कृत विभाग, डाक्टर हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर ( म.प्र.) में सहायक आचार्य हैं।

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मंगलवार, 12 जुलाई 2022

गर्भवती न करें नादानी वर्ना गर्भस्थ को हो सकती है परेशानी

गर्भावस्था में कुपोषण की जद में आने का मां ही नहीं बच्चे पर भी पड़ता है दुष्प्रभाव

अविकसित अंग, ब्रेन डैमेज के साथ ही गर्भपात का भी रहता है जोखिम


Varanasi (dil india live). यदि आप गर्भवती हैं तो पौष्टिक आहार पर विशेष ध्यान दें। इसमें जरा सी भी लापरवाही सिर्फ गर्भवती ही नहीं बल्कि गर्भस्थ के लिए भी नुकासनदायक हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान कुपोषण से समय से पहले जन्म, गर्भपात जैसी समस्या के अलावा अविकसित अंग, ब्रेन डैमेज जैसी गंभीर बीमारियों का भी सामना शिशु को करना पड़ सकता है।

जिला महिला चिकित्सालय की स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि अच्छी सेहत के लिए  शरीर को पोषक तत्वों की विशेष जरूरत होती है। एक महिला के लिए यह नितांत जरूरी तब और हो जाता है जब वह गर्भवती होती हैं । गर्भावस्था में होने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए मां को पोषक तत्व ही सहारा देता है। गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास के लिए भी यह जरूरी होता है। शरीर को पर्याप्त पोषक तत्वों के न मिलने से गर्भवती कुपोषित हो जाती है। 

 



कुपोषण से गर्भवती को जोखिम

डा. मधुलिका का कहना है कि जिन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कुपोषण होता है, प्रसव के दौरान उनको ज्यादा जोखिम रहता  है। कुपोषण से ग्रसित ऐसी महिलाएं कभी-कभी गर्भपात की भी शिकार हो जाती हैं । ऐसी अधिकतर गर्भवती आयरन की कमी के चलते एनीमिया की समस्या से ग्रसित हो जाती हैं। उनके शरीर में लालरक्त कणिकाएं कम हो जाती हैं, जिसकी वजह से उन्हें पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती है। प्रोटीन और ब्लडप्रेशर इतना बढ़ जाता है कि उससे गर्भवती को जान का भी जोखिम रहता है।

 गर्भस्थ को जोखिम 

जिला महिला चिकित्सालय की *बाल रोग विशेषज्ञ डा. मृदुला मल्लिक* बताती हैं कि मां के कुपोषित होने से गर्भ में पल रहे शिशु का ठीक से विकास नहीं हो पाता। इससे उसकी गर्भ में ही मृत होने की आशंका बनी रहती है अथवा वह अविकसित अंगों वाले शिशु के रूप में भी जन्म लेता है। ऐसे अधिकतर बच्चे जन्म के समय  कम वजन वाले होते हैं और कई बीमारियों से उनके ग्रसित होने की आशंका ज्यादा होती है। बड़े होने पर ऐसे बच्चों में ब्रेन डैमेज, ह्रदय रोग, ब्लड प्रेशर,डायबिटीज होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।

 बरतें सतर्कता-

स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मधुलिका पाण्डेय का कहना है कि स्वस्थ बच्चे को जन्म देने के लिए गर्भधारण के साथ ही महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। इसके लिये उन्हें पौष्टिक आहार का सेवन पर्याप्त मात्रा में करना जरूरी होता है। इसके साथ ही उन्हें समय-समय पर अपने करीब के स्वास्थ्य केंद्र में जांच कराते रहना चाहिए। यहां से निःशुल्क मिलने वाली आयरन व कैल्शियम की गोली का सेवन चिकित्सक की सलाह के अनुसार करना चाहिए |  आंगनबाड़ी कार्यकताओं के माध्यम से सरकार की ओर से वितरित किये जा रहे निःशुल्क पोषक आहार का लाभ उठाना चाहिए। उनका कहना है  कि गर्भवती  को हर चार घंटे में कुछ न कुछ जरूर खाना चाहिए।हरी सब्जियां, दाल, राजमा, सोयाबीन, काबुली चना, दूध, अण्डा, मांस के साथ ही केला, अनानास,संतरा जैसे फल भी गर्भवती लिए फायदेमंद होते हैं।गर्म व मसालेदार चीजें खाने से गर्भवती को बचना चाहिए।गर्भवती को सब्जियों का सूप और जूस लेना चाहिए।

रविवार, 10 जुलाई 2022

Eid-ul-azha mubarak 2022: ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न शुरु

कुर्बानी से पहले किया ईदुल अजहा की नमाज़ अदा






Varanasi (dil india live). देश-दुनिया के साथ ही बनारस में सुबह ईदुल अजहा की नमाज़ के साथ बकरीद का जश्न पूरी अकीदत के साथ शुरु हो गया। नमाज के बाद लोगों ने एक दूसरे को बकरीद की मुबारकबाद दी। मसजिदों और ईदगाह से नमाज़ मुकम्मल करके अकीदतमंद घर पहुँचे जहां कुर्बानी का सिलसिला शुरु हुआ। नमाज़ के दौरान उलेमा ने अपनी तकरीर में जहां लोगों को दीन के रास्ते पर चलने की दावत दी वही बकरीद के दिन को कुर्बानी और त्याग का दिन बताया। उलेमा ने कहा कि जानवर का गोश्त और हड्डी रब के पास नहीं जाती बाल्कि रब हमारी नियत देखता है, इसलिए हमे चाहिए कि जब भी हमारी जरुरत हो हम कुर्बानी के लिए तैयार रहे। वो कुर्बानी धन, दौलत, जानवर ही नहीं बाल्कि अपनी कौम और वतन के लिए भी हो सकती है। इस दौरान मुल्क में अमन, मिल्लत बुराईयों के खात्मे के लिए भी दुआएं मांगी गई। 

पता हो कि इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के मुताबिक, कुर्बानी का त्योहार बकरीद रमजान के दो महीने बाद आता हैं। इस्लाम धर्म में बकरीद के तीन दिन आमतौर पर छोटे-बड़े जानवरों की कुर्बानी दी जाती है। इस दिन जानवर को अल्लाह की राह में जहां कुर्बान कर दिया जाता हैं। वहीं काबा में ज़ायरीन हज के अरकान मुकम्मल करते हैं।

बकरीद की जाने क्या है कहानी

बकरीद पैगम्बर हजरत इब्राहिम की सुन्नत है। एक बार खुदा ने हजरत इब्राहिम का इम्तिहान लेने के लिए आदेश दिया कि हजरत अपनी सबसे अजीज की कुर्बानी दें। हजरत इब्राहिम के लिए सबसे अजीज उनका बेटे हजरत इस्माइल थे, जिसकी कुर्बानी के लिए वे तैयार हो गए। उन्हे कुर्बानी के लिए ले भी गये मगर ऐन कुर्बानी से पहले रब ने हजरत इस्माईल की जगह ये कहते हुए कुर्बानी के लिए दुम्बा भेज दिया कि वो हज़रत इब्राहिम का इम्तेहान ले रहे थे और इम्तेहान में वो पास हो गये, तभी से कुर्बानी का पर्व मनाया जाता है।

अल सुबह हुई नमाजें

इस साल 10 जुलाई को पूरे देश में बकरीद का पर्व शुरु हुआ। ईदगाहों और प्रमुख मस्जिदों में ईद-उल-अजहा की विशेष नमाज सुबह 6 बजे से लेकर 10.30 बजे तक अदा की गई। कई जगहों पर मस्जिद और ईदगाहों के आसपास मेले जैसा माहौल दिखाई दिया। नमाज़ मुकम्मल करके जब मोमिन घर पहुंचे, घरों में सेवईयों का लुत्फ उठाया।


शनिवार, 9 जुलाई 2022

दसवीं का छात्र घर से लापता


Varanasi (dil india live). फुलवरिया निवासी राजकीय क्वींस कॉलेज में दसवीं कक्षा का छात्र 15 वर्षीय रेहान अहमद सिद्दीकी आज शनिवार की सुबह 10:00 बजे कहीं गुम हो गया। वो घर से बिना बताए निकला और अभी तक घर वापस नहीं आया है। आसपास खोजने पर भी कहीं उसका पता नहीं चला है। इससे परिजनों का बुरा हाल है। अगर कोई भी जानकारी किसी को मिले तो मोबाइल नंबर 7392011577 पर सूचना दे। बच्चा काले रंग की हाफ टीशर्ट, काले रंग का लोवर, फिरोजी रंग की स्लीपर पहने हुए है।

Dav pg college:समाज में कुछ नया लाने के लिए करे शोध-प्रो. शबनम



Varanasi (dil india live)। डीएवी पीजी कॉलेज के रिसर्च प्रमोशन सेल एवं कला संकाय के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे 8 दिवसीय कला एवं मानविकी में रिसर्च मेथडोलॉजी पर राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन उर्दू में तहक़ीक़ के उसूल-ओ-जवावित विषय पर व्याख्यान हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग की प्रोफेसर शबनम हमीद ने उर्दू विषय मे शोध की आवश्यक पहलुओं पर विमर्श किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उर्दू भाषा मे भी शोधार्थी सिर्फ डिग्री या स्कॉलरशिप के लिए शोध ना करे बल्कि समाज के सामने कुछ नया लाए। बीए की पढ़ाई के दौरान से ही उन्हें तहक़ीक़ की अहमियत बतानी होगी, ताकि उनकी परवरिश एक अच्छे शोधार्थी की तरह ही हो। उन्होंने कहा कि शोध में सच की तलाश करना चाहिए और ईमानदारी से विषय मे नई बात पैदा करने का जुनून होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शोध के दौरान जो रुकावटें आती है उससे घबराने की जरूरत नही है बल्कि उससे निकलने का रास्ता बनाने की दिशा में बढ़ना चाहिए।शोध का कार्य सिर्फ खूबियां गिनाना ही नही है बल्कि कमियों को भी उजागर करना चाहिए। अंत मे उन्होंने शोधार्थियों को पुस्तकालय का नियमित दौरा, फील्ड विजिट ये सब जरूरी कदम है जिससे शोध की गुणवत्ता में सुधार आता है। 

अतिथि का स्वागत रिसर्च प्रमोशन सेल की समन्वयक प्रोफेसर मधु सिसोदिया ने किया। संचालन उर्दू विभाग की डॉ. तमन्ना शाहीन तथा धन्यवाद ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक डॉ. मिश्री लाल ने दिया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. राकेश कुमार द्विवेदी, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. सतीश कुमार सिंह, डॉ. राकेश कुमार राम, डॉ. संगीता जैन, डॉ. प्रशांत कश्यप, डॉ. रामेंद्र 

सिंह, डॉ. बंदना बाल चंदनानी, डॉ. समीर कुमार पाठक आदि शामिल रहे। कार्यशाला में विभिन्न महाविद्यालयों के 50 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए l

Eid-ul-azha 2022: पहले रब की बारगाह में होगा सिजदा, फिर कुर्बानी

ईद-उल-अजहा कल, सुरक्षा चाकचौबंद

-कमिश्नर ने किया ईदगाहों का मुआयना

-नमाज के बाद शुरू होगी कुर्बानी




Varanasi (dil india live). ईद-उल-अजहा की नमाज कल पूरी अकीदत के साथ अदा की जाएगी। इस दौरान सुरक्षा चाक-चौबंद रहे, इसके लिएपु लिस कमिश्नर ने न सिर्फ सख्त हिदायत दी है बल्कि ईदगाहों का आज उन्होंने मुआयना भी किया और जरुरी दिशा निर्देश दिया।

बता दें कि कुर्बानी का यह त्योहार ईद-उल-फित्र के करीब 70 दिन बाद मनाया जाता है। इस त्योहार पर मुस्लिम नमाज पढ़ने के बाद बकरा, भेड़, दुंबे आदि जानवरों की कुर्बानी देते हैं। कुर्बानी का सिलसिला अल-सुबह फज्र की नमाज के बाद शुरू हो जाएगा।

बकरीद की विशेष नमाज के लिए  ईदगाह से लेकर  छोटी, बड़ी सभी मस्जिदों में नमाज की तैयारियां पूरी कर ली गई है। नमाज सुबह 6 बजे से 11बजे के बीच अदा की जाएगी।

तीन हिस्से में बंटता है कुर्बानी का गोश्त

बकरीद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह के नाम पर छोटे बड़े जानवरों की कुरबानी देते हैं। कुर्बानी के गोश्त को तीन हिस्सों में बांटा जाता है। एक खुद के इस्तेमाल के लिए, दूसरा गरीबों के लिए और तीसरा अजीजो के लिए लिए। वैसे ज्यादातर लोग सभी हिस्सों का गरीबों में बांट देते हैं।शहर काजी ने सादगी के साथ ईदुल अजहा का पर्व मनाने की अपील की है।

Om Prakash Rajbhar बोले आदर्श समाज के निर्माण में स्काउट गाइड का योगदान सराहनीय

भारत स्काउट्स एंड गाइड्स के स्थापना दिवस सप्ताह का समापन जमीयत यूथ क्लब के बच्चों ने किया मंत्री ओपी राजभर का अभिनंदन Varanasi (dil India li...