बुधवार, 27 अप्रैल 2022

कुरान की आयते फिजा में होती रही बुलंद

शबे कद्र पर मोमिनीन ने अदा कि नफ्ल नमाजे

 वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमजान का चौबीसवां रोजा पूरा करके इबादतगुजारों ने 25 वीं रमजान की तीसरी शबे कद्र पर जागकर इबादत किया और सहरी खाकर पचीसवां रोजा रखा। वहीं घरों और मस्जिदों में हाथों में तस्बीह और लब पर रब का नाम लेते इबादतगुजार दिखाई दिये। इस दौरान तमाम इबादतगुजारो ने खूब नफ्ल नमाजे अदा की, कई जगहो पर रोजा इफ्तार दावत का भी आयोजन किया गया, उस्ताद हाफिज नसीम अहमद बशीरी की सरपरस्ती में शबीने का भी शहर में कई जगहों पर एहतमाम किया गया। इसमें कई मस्जिदो, मदरसो दरगाहो में खास इंतेजाम किया गया था। जहां शबीना सुनने लोगों का हुजुम जुटा हुआ था। देर रात तक इबादतों का दौर जारी रहा जो सहरी में पूरा हुआ। इस दौरान घरों से पाक कुरान की आयते फिजा में बुलंद हो रही थी। लोगो ने सहरी करके रोजा रखा। रोज़ेदार आज शाम अज़ान की सदाएं सुनकर रोज़ा इफ्तार करेंगे।

मंगलवार, 26 अप्रैल 2022

मधुमेह पीड़ित भी रखे रोज़ा, लज़ीज पकवानों का ले लुत्फ

मधुमेह से हैं पीड़ित तो मीठे को करे बाय

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुस्लिमों के सबसे बड़े त्योहार ईद की बुनियाद रमज़ान है। पहले रमजान आता है जिसमें पूरे महीने मोमिनीन रोज़ा रखते हैं। इन दिनों रमज़ान चल रहा है। रमज़ान मुकम्मल होने पर ईद आयेगी। जब तक ईद नहीं आती तब तक पूरा महीना रमज़ान जोश-ओ-खरोश के मनाया जाता है। लोग अपने घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के साथ मिल बांटकर दिन भर रोज़ा रखने के बाद शाम में लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। काफी लोग यह सोचते है कि रमज़ान के पकवान का लुत्फ मधुमेह से पीड़ित नही ले सकते है इसलिए काफी मधुमेह पीड़ित रोज़ा रखने से भी बचते है, जबकि चिकित्सको का कहना है कि मधुमेह से पीड़ित हैं तो भी आप रोज़ा रख सकते है और लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठा सकते है, बस आपको बचना है, मीठे से। रमज़ान के साथ आपकी ईद भी हंसी-खुशी बीत जाये इसके लिए हमें रमज़ान में खास ख्याल रखना पड़ेगा। खास कर ऐसे मौकों पर जब घर में लज़ीज मीठे पकवान बनते हैं तो डायबिटीज के मरीजों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है। क्यों कि इन लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका लेने से इफ्तार में वो अपने को रोक नहीं पाते, या तो कोई उन्हें खिला देता है या फिर वो खुद मीठे पकवान खा लेते है। बेहतर हो कि आप अपनी केस हिस्ट्री लेकर नज़दीकी चिकित्सक से सम्पर्क करे और उनसे उचित सलाह ले कर रोज़ा रखे, मीठे से बचते हुए लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका ले और ईद भी मनाये है।

खुद ही अपने स्वास्थ्य का रखना पड़ेगा ध्यान 

चिकित्सक डा. एहतेशामुल हक की माने तो रमज़ान में मधुमेह के मरीज़ों को खुद ही अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योंकि अगर कोई मुश्किल आ गई तो रमज़ान का रोज़ा तो जायेगा ही साथ ही उसके ईद का भी मज़ा फीक़ा हो सकता है। इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों को थोड़ा ख्याल रखने और एहतेयाद की ज़रूरत है। चिकित्सक डा. गुफरान जावेद की माने तो रोजे के दौरान शाम में इफ्तार के वक्त हर हाल में मीठे शर्बत व मीठें पकवान से परहेज़ करें तो मुश्किल टल सकती है, और ईद की खुशियां दुगनी हो सकती है।

क्या है हाइपरगिलेसेमिया ?

रोजे के दौरान मधुमेह के मरीज़ों को ग्लूकोज में अचानक गिरावट होने से हाइपोगिलेसेमिया हो सकती है इसमें मरीज को चक्कर और बेहोशी आने लगती है। हाथ-पांव ठंडे पड़ जाते हैं। रोजे के दौरान मरीज के खून में शुगर की मात्रा अधिक हो सकती है जिसे हाइपरगिलेसेमिया कहा जाता है। जिसमें मरीजों की आंखों के सामने धुंधलापन, बेहोशी, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में रोज़ा रखने से पूर्व अपने चिकित्सकों से परामर्श ज़रूर ले कि उन्हें सहरी में क्या खाना है और इफ्तार व खाने में उन्हें रात को क्या लेना है।

इन बातों को न करें नजरअंदाज

-जिन फलों में मीठा अधिक हो उनका सेवन ना करें।

-जितनी भूख हो उतना ही खाएं, रोजा समझकर ज्यादा ना खाएं।

-मीठे चीजों को एकदम दूरी बनाएं रखें।

-अपने आहार में रस भरे फल, सब्जियां, जूस और दही में चीनी का सेवन ना करें।

-भोजन और सोने के बीच दो घंटे का अंतराल रखें।

-सोने से पहले किसी भी कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन ना करें।

-अधिक तले भोजन से परहेज करें, रोटी और चावल में स्टार्च होता है इसलिए इनका भोजन भी कम ही करें।

ईद की सुबह पैदा हुए बच्चे का भी देना होगा फितरा

रमज़ान हेल्पलाइन: मुफ्ती साहब दे रहे हैं आपके सवाल का जवाब


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। पीलीकोठी से कलीम अंसारी ने फोन किया फितरे या ज़कात की रक़म अपने सगे भाई या बहन को दिया जा सकता हैं, या नहीं? जवाब दिया उलेमा ने, कहा कि अगर बहन या भाई शरई तौर पर फक़ीर हैं यानी मालिके नेसाब नहीं तो दे सकते हैं। हां अगर वो मालदार है तो उन्हें ज़कात या फितरा देना दुरुस्त नहीं है। मेरे घर में 28 रमज़ान को लड़का हुआ है, उस लड़के पर फितरा ज़रूरी है या नहीं? जवाब में मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी,  मुफ्ती बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी वह मौलाना अजहरुल क़ादरी ने कहा कि ईद की सुबह सूरज निकले से पहले तक अगर कोई बच्चा पैदा हो जाये तो उसका भी फितरा घर वालों को निकालना ज़रूरी है। बेशक आप उस बच्चे का फितरा ज़रूर निकालें।

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

पहल : आशा घर-घर जाकर करेंगी मलेरिया के मरीजों की पहचान

विश्व मलेरिया दिवस (25 अप्रैल) पर विशेष

जागरूकता और मच्छरों पर नियंत्रण से ही मलेरिया से बचाव सम्भव : सीएमओ

मच्छर पनपने वाले स्रोतों को नष्ट कराना, एंटीलार्वा का छिड़काव व फागिंग भी बेहद जरूरी
वाराणसी 24 अप्रैल (dil India live )। देश को वर्ष 2030 तक मलेरिया से मुक्त करने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही जनपद में मलेरिया पर नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग रणनीति बनाकर कार्य कर रहा है। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी का। सीएमओ ने बताया कि मलेरिया के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। 

सीएमओ ने कहा कि इस बार विश्व मलेरिया दिवस की थीम “मलेरिया रोग के बोझ को कम करना और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करना” है। इस थीम का उद्देश्य वैश्विक उन्मूलन लक्ष्यों को प्राप्त करने में नवाचार की ओर ध्यान आकर्षित करना है। सीएमओ ने कहा कि इस वर्ष मलेरिया पर नियंत्रण करने के लिए खास रणनीति बनाई गयी है जिसके तहत ग्रामीण क्षेत्र की समस्त आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर किट के माध्यम से मलेरिया की जांच करेंगी। पॉज़िटिव आने पर उनका जल्द से जल्द उपचार शुरू किया जाएगा।

जिला मलेरिया अधिकारी (डीएमओ) शरद चंद पांडे* ने बताया कि मलेरिया दिवस पर समस्त प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर जन जागरूकता स्वास्थ्य कैंप का आयोजन किया जाएगा। वह बताते हैं कि आबादी के अनुसार मच्छरों का घनत्व जितना कम होगा लोग मलेरिया से उतने ही अधिक सुरक्षित होंगे। इसके चलते ही शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मच्छरों के प्रजनन स्रोतों को नष्ट कराया जा रहा है। एंटी लार्वा का छिड़काव तथा फागिंग भी करायी  जा रही है। इस कार्य में नगर विकास विभाग एवं पंचायती राज विभाग सहयोग कर रहे हैं। बुखार ग्रसित सभी रोगियों की जांच के लिए सभी सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देशित किया गया है जिससे समय पर मलेरिया की पहचान कर मरीज को 14 दिन का उपचार दिया जा सके। 

कहां-कहां है सुविधा 

डीएमओ ने बताया कि मलेरिया की जांच की सुविधा जिला मुख्यालय के अलावा सभी सीएचसी/पीएचसी पर उपलब्ध है। शासन के निर्देशानुसार अब आशा कार्यकर्ता ग्रामीण क्षेत्र में जाकर रोगी की पहचान कर रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) किट से त्वरित जांच करेंगी। इसके लिए समस्त आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित भी किया गया है। जांच में मलेरिया धनात्मक पाए जाने पर जल्द से जल्द रोगी का नि:शुल्क पूर्ण उपचार किया जाएगा।   

कैसे होता है मलेरिया

मलेरिया मादा एनीफिलीज मच्छर के काटने से होता है। मलेरिया हो जाने पर रोगी को ठंड देकर नियमित अंतराल पर बुखार आता है और बुखार छोड़ते वक्त पसीना होता है। समय पर दवा न मिलने पर रोगी अत्यधिक कमजोर हो जाता है।

कैसे करें बचाव

मलेरिया से बचाव के लिए रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए। आसपास दूषित  पानी इकट्ठा नहीं होने देना चाहिए। साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार होने पर तुरंत अच्छे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। सही समय पर निदान उपचार होने से रोगी पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है।

वेक्टर जनित (संक्रामक) रोग

मलेरिया का प्रसार मादा एनीफिलीस मच्छर के काटने से होता है। एक अंडे से मच्छर बनने की प्रक्रिया में पूरा एक सप्ताह का समय  लगता है। इस वजह से ही सप्ताह में एक बार एंटीलार्वा का छिड़काव किया जाता है। यदि किसी जलपात्र में पानी है तो उसे सप्ताह में एक बार जरूर खाली कर दें। जैसे कूलर, गमला, टीन का डिब्बा, नारियल का खोल, डिब्बा, फ्रीज के पीछे का डीफ्रास्ट ट्रे की सफाई हमेशा करते रहना आवश्यक है।

पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया की स्थिति 

बात करें जनपद में पिछले पाँच वर्षों में मलेरिया के स्थिति की तो वर्ष 2017 में 406 रोगी पाये गए थे। वर्ष 2018 में 340, वर्ष 2019 में 271, वर्ष 2022 में 46, वर्ष 2021 में 164 और वर्ष 2022 में अब तक कुल 32 मलेरिया रोगी पाये गए हैं ।

रमज़ान का पैग़ाम: मौलाना हसीन अहमद हबीबी

हक़ की जिन्दगी जीने की हमे तौफीक देता है रमज़ान

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना रमज़ान, ये वो महीना है जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है। चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है, अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया, सिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसदी जक़ात निकालता है। और दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा।


सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे ..आमीन।

महिलाएं कठिन कार्य करने में सक्षम : प्रो. निर्मला एस. मौर्या

शास्त्र और शिक्षा के समन्वय से महिला कल्याण: प्रो. हरेराम

नेक कार्य करने के लिए कोई मुहुर्त नहीं: ज्वाइंट सीपी सुभाष दुबे




वाराणसी (dil India ive)। वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. निर्मला एस. मौर्य ने कहा कि जहां चाह वहां राह है। हम कोई भी काम करते हैं तो वहां कोई न कोई राह निकल ही आता है। आज के दौर में कठिन से कठिन कार्य करने के लिए महिलाएं पूरी तरह से सक्षम हैं। हर सफल पुरुष के पीछे एक नारी ही होती है। कहा कि किसी परिवार में यदि मां शिक्षित होती है तो दो परिवार शिक्षित होता है। पिता यदि शिक्षित होता है तो एक परिवार शिक्षित होता है। रविवार को वे सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पाणिनी भवन सभागार में विश्वविद्यालय और दीक्षा महिला कल्याण शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संस्था के छठवें स्थापना दिवस व पुरस्कार वितरण समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी।

 उन्होंने कहा कि कहा कि आज के बदलते परिवेश में शिक्षा की जो स्थिति है, उसमें बच्चा पढ़ना नहीं चाहता है और गुरु पढ़ना नहीं चाहते हैं। इसको बदलने की जरुरत है। भगवान भी अपने गुरु को प्रणाम करते हैं। सही मायने में देखा जाय तो हमारी पहली गुरु मां ही होती है। गर्भ में भी रह कर बच्चे बहुत कुछ सीखते हैं। हमने तो महिलाओं को गर्भ संस्कार भी कराया। महिलाओं को बताया कि गर्भावस्था में कैसे रहना चाहिए। कहा कि मेरी पांचवीं पुस्तक महिला सशक्तिकरण पर आ रही है। उन्होंने दो पंक्तियों- कोई न समझे अबला हमको हम सृष्टि की नारी है... के साथ समापन किया।

अध्यक्षता करते हुए सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने बहुत ही सरल तरीके से शास्त्र और शिक्षा को महिला के कल्याण जोड़ते हुए बताया कि किस तरह से हमारे शास्त्रों में नारी को देवी का दर्जा दिया गया है और उनकी उपस्थिति को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। भारत के अंदर पौराणिक काल में महिलाओं को श्रेष्ठ दर्जा प्राप्त था, क्योंकि वे अपने अधिकारों को लेकर सजग रही। उन्होंने दीक्षा महिला कल्याण शोध संस्थान के कार्यों की सराहना की और कहा कि हर किसी को महिलाओं और बेटियों के उद्थान के लिए कार्य करना चाहिए।

 विशिष्ट अतिथि ज्वाइंट सीपी कमिश्नरेट वाराणसी आईपीएस सुभाष दुबे ने कहा कि नेक कार्य करने के लिए कोई मुहुर्त नहीं होता है। निश्चित रुप से समाज के जो कमजोर तबके के बच्चों को संस्था शिक्षा की ओर प्रेरित कर रही है। इससे ज्यादा पुण्य कार्य और कुछ नहीं हो सकता है। अच्छा कार्य करने का जब संकल्प लेते हैं तभी आप जीवन में सफल हो सकते हैं। कहा कि जब जागो तभी सबेरा। कहा गया है कि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। संगोष्ठी को डाॅ. आरके चैधरी, दीपक बजाज, ई. अशोक यादव, डाॅ. विजय यादव, प्रमिता सिंह, डाॅ. सोमनाथ सिंह और पंकज राजहंस ने भी संबोधित किया। स्वागत संस्था की अध्यक्ष संतोषी शुक्ला और संचालन नेहा तिवारी ने किया।

 बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम ने मोहा अतिथियों मन

इसके पहले कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन कर की। इसके पश्चात् नन्हें-मुन्हें बच्चों ने विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। कार्यक्रम अतुल्य भारत, गल्र्स एजुकेशन और स्वालंबन पर केन्द्रीत रही। जिसमें बच्चों ने नृत्य और नाटक की प्रस्तुति के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया। बच्चों की प्रस्तुति को देखकर अतिथियों ने उनकी खुब सराहना की।

 अव्वल बच्चों को किया गया पुरस्कृत

स्थापना दिवस के अवसर पर संस्था ने तीन विद्यालयों में कक्षा तीन से पांच के बच्चों के बीच चित्रकला और छह से आठ के बीच सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का आयोजन किया था। जिसमें चिल्ड्रेन एकेडमी लहुराबीर से चित्रकला प्रतियोगिता में कक्षा तीन से लीजा अजीज अंसारी, अन्वी सिंह और श्रुति पाण्डेय, चार से समृद्धि, तनीषा, अक्षत और कक्षा पांच से वैभव, तनीषा और अंकिता ने क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्राप्त किया। इसी प्रकार सामान्य ज्ञान में कक्षा छह से नमन, आरव, उज्ज्वल, कक्षा सात सूर्यांश, अवनीष, जान्हवी और कक्षा आठ से रिद्धिमा, इशिरा और अंश प्रथम, द्वितीय और तृतीय पुरस्कार प्राप्त किये। डीएवी इंटर काॅलेज सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता में कक्षा छह से नमन, श्रेष्ठ, प्रतिभा, कक्षा सात अब्दुल, अंकित, यश और कक्षा आठ से चैतन्या, निखिल और उज्ज्वल प्रथम, द्वितीय व तृतीय रहे। चिल्ड्रेन एकेडमी कमच्छा से चित्रकला कक्षा तीन में आराध्या, अमिरा, सार्थक, कक्षा चार में सगुन, इशिता, रिषिता और कक्षा पांच में आयशा, अब्दुल और मोहक क्रमशः प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान पर रहे। सामान्य ज्ञान में कक्षा छह से प्रथम स्थान पर सिद्धांत, द्वितीय स्थान पर रूपांगी और दिशा तथा तृतीय स्थान पर श्रद्धा रही। कक्षा सात में प्रथम स्थान पर अर्नव, द्वितीय स्थान पर ईशी व मोहम्मद अनस तथा तृतीय स्थान पर अब्दुल्लाह सादिया रही। कक्षा आठ में प्रथम विराट, द्वितीय तनिष्का सेन और तीसरे स्थान का पुरस्कार प्रकृति और निखिल को प्राप्त हुआ।

 सामाजिक क्षेत्र के लोगों का भी सम्मान

इस दौरान सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट योगदान देेने वाले लोगों का भी सम्मान हुआ। जिसमें दुर्जेन्द्र पाण्डेय, नागेन्द्र पाल, मुकेश सिंह, आशुतोष सिंह, राजन तिवारी, श्रद्धा पाण्डेय, डाॅ. सुधीर यादव, डाॅ. राम सिंह, डाॅ. राज यादव, सर्वेश पाण्डेय, ममता राय, सोनम जायसवाल, शोभा चैरसिया, श्वेता श्रीवास्तव, उपेन्द्र जायसवाल, दिलीप खन्ना, दीपू शुक्ला, ऋषिकांत सिंह, नेहा तिवारी, मनोज गुप्ता, अभिषेक मिश्रा, सोनू, ज्योति गुप्ता, डीवी भट्टाचार्या, कोमल गुप्ता, शालिनी गोस्वामी और डाॅ. राजलक्ष्मी को विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया गया।

रोज़ा इफ्तार दावत में अमन की दुआएं



वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। सिगरा के गुलाब बाग में इफ्तेखार अहमद के यहा सामूहिक रोजा इफ्तार दावत का एहतराम नूरानी माहौल में हुआ। इस दौरान मस्जिदों से जैसे ही अज़ान की सदाएं... अल्लाह हो अकबर, अल्लाह, फिजा में बुलंद हुई तमाम रोजेदारों ने खजूर और पानी से रोज़ा इफ्तार शुरू किया। इस दौरान कई लज़ीज़ इफ्तारी दस्तरखान पर सजाया गया जिसका रोजेदारों ने लुत्फ उठाया। रोज़ा इफ्तार में मुल्क में अमन, मिल्लत व देश की तरक्की की दुआएं मांगी गई।

 इस मौके पर आफताब अहमद,  हाजी बदरूद्दीन, जकी अहमद, इरफान अहमद, इब्राहिम खान, डॉक्टर जुबेर, डॉक्टर बख्तियार, बबलू चुनरी, अरशद मेराज, इरशाद खान, रियाज अहमद, युवा व्यासाई तिरंगी तस्बीह वालें अल्तमश अहमद अंसारी आदि सैकड़ों लोग मौजूद थे। रोज़ा इफ्तार के बाद नमाज भी वहां जमात से अदा की गई।

मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...