रविवार, 10 अप्रैल 2022

उत्कृष्ट कार्य के लिए डाककर्मियों को मिला 'डाक सेवा अवार्ड'

सम्पूर्ण महिला डाकघर, वाराणसी सिटी की पोस्टमास्टर सी. अनीथा 'डाक सेवा अवार्ड' से सम्मानित


लखनऊ (दिल इंडिया लाइव)। सिटी महिला डाकघर की पोस्टमास्टर श्रीमती सी. अनीथा को 'डाक सेवा अवार्ड' से सम्मानित किया गया है। उत्तर प्रदेश परिमंडल के चीफ पोस्टमास्टर जनरल श्री कौशलेंद्र कुमार सिन्हा ने लखनऊ में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्कृष्ट महिला कर्मचारी संवर्ग में उन्हें यह सम्मान प्रदान किया। वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने श्रीमती सी. अनीथा को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि सामान्य डाक सेवाओं के अलावा सिटी डाकघर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर प्रसाद के लिए भी नोडल ऑफिस है, जिसकी जिम्मेदारी उन्होंने बखूबी निभाई। गौरतलब है कि 'डाक सेवा अवार्ड' परिमंडलीय स्तर पर डाककर्मियों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है। उत्तर प्रदेश डाक परिमंडल में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले डाककर्मियों को इस वर्ष वैयक्तिक श्रेणी में 7 और समूह श्रेणी में 3 अवार्ड सहित कुल 10 डाक सेवा अवार्ड दिए गए। इनमें वैयक्तिक श्रेणी में वाराणसी परिक्षेत्र को दो अवार्ड प्राप्त हुए।    

वाराणसी परिक्षेत्र के अधीन वाराणसी सिटी महिला डाकघर की पोस्टमास्टर श्रीमती सी. अनीथा को उत्कृष्ट महिला कर्मचारी संवर्ग और बलिया में  कसौंदर ब्रांच पोस्ट ऑफिस के पोस्टमास्टर श्री अरविन्द कुमार सिंह को ग्रामीण डाक सेवक संवर्ग में डाक सेवा अवार्ड से सम्मानित किया। पोस्टमैन और एमटीएस संवर्ग में श्री तेज बहादुर, पोस्टमैन प्रधान डाकघर प्रयागराज, डाक सहायक संवर्ग में श्री शरद यादव, डाक निरीक्षक और सहायक अधीक्षक संवर्ग में श्री नेत्रपाल सिंह, उत्तरी उपमंडल, आगरा मंडल,  समूह क और ख संवर्ग में श्री संजीव कुमार जैन, डाक अधीक्षक हरदोई मंडल, तकनीकी  संवर्ग में श्री राकेश कुमार शर्मा, वरिष्ठ लेखाकार कार्यालय डाक लेखा, महाप्रबंधक लखनऊ  को डाक सेवा अवार्ड प्रदान किया गया। इसी क्रम में स्वच्छतम डाक घर की श्रेणी में बरेली, स्वच्छतम रेल डाक सेवा ऑफिस की श्रेणी में झांसी और स्वच्छतम स्पीड पोस्ट सेंटर श्रेणी में नेशनल सॉर्टिंग हब आगरा को डाक सेवा अवार्ड से सम्मानित किया गया।

शनिवार, 9 अप्रैल 2022

Palm Sunday कल, खजूर की डालियों संग मसीही निकालेंगे जुलूस


वाराणसी ०९ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव) । प्रभु ईसा मसीह के दुःख भोग सप्ताह की शुरुआत सोमवार ११ अप्रैल से हो जाएगा। १० अप्रैल को खजूर रविवार मसीही मनायेंगे। खजूर रविवार के साथ ही इसाई धर्मावलंबियों का यह पर्व गुड फ्राइडे व ईस्टर तक मसीही घरों व गिरजाघरों में हर दिन लगातार मनाया जाएगा।

सेंट मेरीज महागिरजा, लाल गिरजा, चर्च आफ बनारस, राम कटोरा चर्च, ईसीआई चर्च, सेंट पाल चर्च, सेंट थॉमस चर्च व तेलियाबाग समेत बनारस और आसपास के तमाम गिरजाघरों में खजूर की डालियों संग कल जुलूस निकाला जाएगा। मसीही विश्वासी खजूर की डालियां लेकर चर्च जायेंगे और धार्मिक अनुष्ठान में शामिल होंगें। संडे को जहां जुलूस निकाला जाएगा वहीं सोमवार से दुःख भोग सप्ताह की शुरुआत होगी। कोविड काल के बाद पहली बार यह पर्व जोश और उत्साह से मनाया जाएगा।


जानिए कौन हैं ज़कात का सही हकदार

पैगामे रमज़ान: ज़कात निकालने में करें जल्दी

वाराणसी ०९ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। इस्लाम में जकात फर्ज हैं। जकात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का ज्यादा हक है। ऐसे में जल्द से जल्द हकदारों तक ज़कात पहुंचा दें ताकि वह रमजान व  ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। ये ज़कात देने का सही वक्त है। जकात फर्ज होने की चंद शर्तें है। मुसलमान अक्ल वाला हो, बालिग हो, माल बकदरे निसाब (मात्रा) का पूरे तौर का मालिक हो। मात्रा का जरुरी माल से ज्यादा होना और किसी के बकाया से फारिग होना, माले तिजारत (बिजनेस) या सोना चांदी होना और माल पर पूरा साल गुजरना जरुरी हैं। सोना-चांदी के निसाब (मात्रा) में सोना की मात्रा साढ़े सात तोला (87 ग्राम 48 मिली ग्राम ) है जिसमें चालीसवां हिस्सा यानी सवा दो माशा जकात फर्ज है।

सोना-चांदी के बजाय बाजार भाव से उनकी कीमत लगा कर रुपया वगैरह देना जायज है। जिस आदमी के पास साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या उसकी कीमत का माले तिजारत हैं  और यह रकम उसकी हाजते असलिया से अधिक हो। ऐसे मुसलमान पर चालीसवां हिस्सा यानी सौ रुपये में ढ़ाई रुपया जकात निकालना जरुरी हैं। दस हजार रुपया पर ढ़ाई सौ रुपया, एक लाख रुपया पर ढ़ाई हजार रुपया जकात देनी हैं। सोना-चांदी के जेवरात पर भी जकात वाजिब होती है। तिजारती (बिजनेस) माल की कीमत लगाई जाए फिर उससे सोना-चांदी का निसाब (मात्रा) पूरा हो तो उसके हिसाब से जकात निकाली जाए। अगर सोना चांदी न हो और न माले तिजारत हो तो कम से कम इतने रूपये हों कि बाजार में साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना खरीदा जा सके तो उन रूपर्यों की जकात वाजिब होती है।

इन्हें दी जा सकती हैं जकात

"ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशा वालों को। ऐसे छात्र को भी "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। ऊपर बताये गये लोगों को जकात तभी दी जायेगी जब सब गरीब हो, मालिके निसाब न हो।
जकात का इंकार करने वाला काफिर और अदा न करने वाला फासिक और अदायगी में देर करने वाला गुनाहगार  हैं। मुसलमानों को चाहिए कि जल्द से जल्द जकात की रकम निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा मुसलमान को दें दे ताकि वह अपनी जरुरतें पूरी कर लें। जकात बनी हाशिम यानी हजरते अली, हजरते जाफर, हजरते अकील और हजरते अब्बास व हारिस बिन अब्दुल मुत्तलिब की औलाद को देना जाइज नहीं। किसी दूसरे मजहब को जकात देना जाइज नहीं है। क्यों की ये एक मज़हबी टैक्स है। सैयद को जकात देना जाइज नहीं इसलिए कि वह भी बनी हाशिम में से है। कम मात्रा यानी चांदी का एतबार ज्यादा बेहतर हैं कि सोना इतनी कीमत का सबके पास नहीं। नबी के जमाने में सोना-चांदी की मात्रा मालियत के एतबार से बराबर थीं। अब ऐसा नहीं हैं। गरीब के लिए भलाई कम निसाब (मात्रा) में हैं।

 अगर आप "मालिके निसाब" हैं, तो हक़दार को "ज़कात" ज़रुर दें, क्योंकि "ज़कात" ना देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन शरीफ में आया है। जकात हलाल और जाइज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए। क़ुरआन शरीफ में हलाल माल  को खुदा की राह में ख़र्च करने वालों के लिए ख़ुशख़बरी है, जैसा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि... "राहे ख़ुदा में माल ख़र्च करने वालों की मिसाल ऐसी है कि जैसे ज़मीन में किसी ने एक दाना बोया, जिससे एक पेड़ निकला, उसमें से सात बालियां निकलीं, उन बालियों में सौ-सौ दाने निकले। गोया कि एक दाने से सात सौ दाने हो गए। अल्लाह इससे भी ज़्यादा बढ़ाता है। जिसकी नीयत जैसी होगी, वैसी ही उसे बरकत देगा"।

   
       डा. एम. एम. खान
              चेयरमैन
मुग़ल एकेडमी, लल्लापुरा, वाराणसी

रोज़ा रखकर भी मां बच्चे को दूध पिला सकती है

रमज़ान हेल्प लाइन में हो रहे हैं रोचक सवाल जवाब 

मुफ्ती साहब दे रहे हैं सवालों के जवाब

 


वाराणसी ०९ अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रोज़े की हालत में मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है या नहीं? यह सवाल शकील अंसारी ने बजरडीहा से रमज़ान हेल्प लाइन में किया। जवाब में हेल्प लाईन से कहा गया कि बच्चे को दूध पिलाने से रोज़ेदार मां का रोज़ा नहीं टूटता है। बेशक ख्वातीन अपने बच्चे को रोज़े की हालत में दूध पिला सकती हैं। 

रमज़ान में रोज़ा रखकर सोना ठीक है या नहीं? मुनीर ने यह सवाल किया कोयला बाजार से, इस सवाल पर, मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी व सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अजहरूल कादरी ने जवाब में कहा कि रोज़ेदार का रमज़ान में सोना भी इबादत में शुमार है, मगर इसका ये मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि फर्ज़ छोड़कर नमाज़ के वक्त भी लगातार रोज़ेदार सोया रहे और अपनी नमाज़े कज़ा करें। इसलिए वक्त से सोये और नमाज़ के वक्त बेदार होकर नमाज़े अदा करें। 

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद है, इन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2022

भाई बहनों को भी ज़कात दे सकते हैं या नहीं?

रमज़ान हेल्प लाईन में आए सवालों का ये है खास जवाब

दालमंडी में एक दुकान पर रोज़ा इफ्तार के लिए जुटे

वाराणसी 08 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान हेल्प लाइन में जावेद ने दालमंडी से फोन किया कि ज़कात किसे दिया जा सकता है? क्या भाई को ज़कात दिया जा सकता है? इसके जवाब में उलेमा ने कहा कि अगर भाई साहिबे निसाब नहीं है (इस्लाम के नज़रिये से गरीब है) तो जकात भाई को दिया जा सकता है। "ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशे वालों को। वसीम ने पठानी टोला से फोन कि क्या स्टूडेंट को ज़कात दिया जा सकता है? मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अजहरूल कादरी ने जवाब दिया, ऐसे छात्र को "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। जकात तभी दी जायेगी जब वो गरीब हो, मालिके निसाब न हो।

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद है, इन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

सवाब और बरकत वाला महीना रमज़ान

रमज़ान का पैग़ाम: नेकी की दावत हो आम
वाराणसी 08 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। जिस महीने में सवाब ही सवाब और बरकतें ही बरकत अल्लाह बंदे पर निछावर करता है। उस मुकद्दस बेशुमार खूबियों वाले महीने को रमज़ान कहा जाता है। रमज़ान महीने का एक और सुन्नतों भरा तोहफा खुदा ने हमें सहरी के रूप में अता किया है। रोज़े में सहरी का बड़ा सवाब है। सहरी उस गिज़ा को कहते हैं जो सुब्ह सादिक से पहले रोज़ेदार खाता है। सैय्यदना अनस बिन मालिक फरमाते हैं कि ‘‘नबी-ए-करीम (स.) सहरी के वक्त मुझसे फरमाते कि मेरा रोज़ा रखने का इरादा है मुझे कुछ खिलाओ। मैं कुछ खजूरें और एक बर्तन में पानी पेश करता।’ इससे पता यह चला कि सहरी करना बज़ाते खुद सुन्नत है और खजूर व पानी से सहरी करना दूसरी सुन्नत है। नबी ने यहां तक फरमाया कि खजूर बेहतरीन सहरी है। नबी-ए-करीम (स.) इस महीने में सहाबियों को सहरी खाने के लिए खुद आवाज़ देते थे। अल्लाह और उसके रसूल से हमें यही दर्स मिलता है कि सहरी हमारे लिए एक अज़ीम नेमत है। इससे बेशुमार जिस्मानी और रुहानी फायदा हासिल होता है। इसलिए ही इसे मुबारक नाश्ता कहा जाता है। किसी को यह गलतफहमी न हो कि सहरी रोज़े के लिए शर्त है। ऐसा नहीं है सहरी के बिना भी रोज़ा हो सकता है मगर जानबूझ कर सहरी न करना मुनासिब नहीं है क्यों कि इससे रोज़ेदार एक अज़ीम सुन्नत से महरूम हो जायेगा। यह भी याद रहे कि सहरी में खूब डटकर खाना भी जरूरी नहीं है। कुछ खजूर और पानी ही अगर बानियते सहरी इस्तेमाल कर लें तो भी काफी है। रमज़ान वो मुकदद्स महीना है जो लोगों को यह सीख देता है कि जैसे तुमने एक महीना अल्लाह के लिए वक्फ कर दिया सुन्नतों और नफ़्ल पर ग़्ाौर कियाउस पर अमल करते रहे वैसे ही बचे पूरे साल नेकी और पाकीज़गी जारी रखो। नबी-ए-करीम (स.) ने फरमाया ‘‘तीन चीज़ों को अल्लाह रब्बुल इज्ज़त महबूब रखता है। एक इफ्तार में जल्दीसहरी में ताखीर और नमाज़ के कि़याम में हाथ पर हाथ रखना।’ नबी फरमाते हैं कि इस पाक महीने को जिसने अपना लियाजो अल्लाह के बताये हुए तरीकों व नबी की सुन्नतों पर चल कर इस महीने में इबादत करेगा उसे जन्नत में खुदावंद करीम आला मुक़ाम अता करेगा। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़ेदार की सेहत दुरुस्त हो जाती है। रोज़ेदार अपनी नफ्स पर कंट्रोल करके बुरे कामों से बचा रहता है। ये महीना नेकी और मोहब्बत का महीना है। इस पाक महीने में जितनी भी इबादत की जाये वो कम है क्यों कि इसका सवाब 70 गुना तक अल्लाहतआला बढ़ा देता हैइसलिए कि रब ने इस महीने को अपना महीना कहा है। ऐ पाक परवरदिगार तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रमज़ान की इबादतनबी की सुन्नतों पर चलने की व रोज़ा रखने की तौफीक अता फरमा..आमीन।

     हाफिज मौलाना शफी अहमद

{सदरअंजुमन जमात रजाए मुस्तफाबनारस}

गुरुवार, 7 अप्रैल 2022

युवा हौसलों को पंख लगा गया उड़ान -22

युवा महोत्सव ‘उड़ान - 22‘ का भव्य समापन

पुरस्कार पाकर खिले छात्रों के चेहरे



वाराणसी, 07 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। डीएवी पीजी कॉलेज के त्रिदिवसीय युवा महोत्सव ‘उड़ान - 22‘ के अन्तिम दिन गुरूवार को युवाओं ने जमकर धमाल मचाया। मंचकला की गायन, वादन एवं नृत्य की विधाओं में युवाओं की प्रस्तुतियों हर किसी के दिल में उतर आई। हर कोई उनके हौसले की उड़ान को सलाम करता नजर आया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रख्यात रंगकर्मी व्योमेश शुक्ला ने कहा कि युवाओं की उम्र रूकने की नही बल्कि कदम दर कदम आगे बढ़ने की है। युवाओं को उत्साह के साथ साथ बौद्धिकता में भी वृद्धि पर जोर देना चाहिए। विशिष्ट अतिथि कवि चन्द्रशेखर गोस्वामी ने प्रसिद्ध गीत ‘ जिन्दा शहर बनारस हूॅ‘ सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। विशिष्ट अतिथि कलाकार सतीश मिश्रा ने जैसे ही मंच से ‘छाप तिलक सब छीनी रे मुझसे नैना मिलायके‘ सुनाया तो समूचा प्रांगण तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। इसके अलावा उन्होंने मै नदी हूॅ बह रही हॅू ...भी सुनाकर सबकी वाहवाही लूटी।

इससे पूर्व महोत्सव का शुभारंभ मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। कार्यक्रम समन्वयक प्रो. अनूप कुमार मिश्रा ने अतिथियों को पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। स्वागत प्रो. ऋचारानी यादव, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. मीनू लकड़ा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संगीता जैन ने दिया।

 इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. सत्यगोपाल जी, प्रो. मधु सिसौदिया, डॉ. प्रतिभा मिश्रा, डॉ. इन्द्रजीत मिश्रा, डॉ. समीर कुमार पाठक, डॉ. वीएन दूबे, डॉ. शोभनाथ पाठक, डॉ. प्रियंका सिंह, डॉ. प्रतिमाा गुप्ता, डॉ. आहूति सिंह, डॉ. ओमप्रकाश आदि रहे। छात्रों में अनुश्री अग्रवाल, रतिकेश पूर्णोदय, अनीशा आदि ने संचालन किया। व्यवस्था में राजन कुमार, रोहन राज, नीतिश कुमार, शुभम आदि रहे।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की रही धूम

उड़ान - 22 के अन्तिम दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम रही। सर्वप्रथम गायन के क्रम में अश्विनी बरनवाल ने ‘ये दोस्ती हम नही छोड़ेंगे‘, संदीप कुमार ने काव्यपाठ किया। प्रगति जायसवाल ने शास्त्रीय नृत्य किया। इसके अलावा माइम, नृत्य एवं नाटक की भी प्रस्तुति हुई। वहीं संस्कृत संभाषण में भी प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।

ये प्रतिभागी रहे विजेता- उड़ान -22 में आयोजित विभिन्न प्रतियोगिता में विजयी प्रतिभागियों को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। क्विज में श्रवण श्रीवास्तव एवं अविनाश शुक्ला प्रथम, उज्ज्वल शर्मा एवं रोहित राज गुप्ता द्वितीय तथा श्रीकान्त यति एवं सुधांशु रंजन तृतीय रहे। हिन्दी सुभाषण में राहुल राज अर्जुन, अंग्रेजी सुभाषण में अभिषेक प्रद्योत, एवं संस्कृत सुभाषण में अमरजीत श्रीवास्तव प्रथम रहे। काव्य पाठ हिन्दी में रोशन मौर्या, अंग्रेजी में शुभम कुमार तथा संस्कृत में अनुराग चतुर्वेदी प्रथम रहे। शार्ट प्ले में आकाश वर्मा एवं समूह प्रथम रहा तोे माइम में निकिता सिंह एवं समूह प्रथम रहे। मिमिक्री में संतोष कुमार, एवं मोनो एक्टिंग में आकाश सिंह प्रथम रहे। कॉमेडी में राधेकृष्ण राम प्रथम रहे। पोस्टर निर्माण में आंचल वर्मा, स्केचिंग में रीना कन्नौजिया, मेंहदी में शिवानी मौर्या, रंगोली में अर्शिका जायसवाल प्रथम रही। फोटोग्राफी में राजन कुमार प्रथम रहे। एकल गायन में अभ्युदय नारायण सिंह प्रथम, नृत्य में शार्ली सिंह प्रथम रही। समुह नृत्य में रोहित राज एवं समूह तथा कोरियोग्राफी में श्रेया प्रथम रही। सभी विजयी प्रतिभागियों को स्मृति चिन्ह एवं प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का संयोजन प्रो. अनूप कुमार मिश्रा ने किया। इस अवसर पर सांस्कृतिक समिति के समस्त सदस्यों सहित बड़ी संख्या में अध्यापक, कर्मचारी एवं छात्र - छात्राएं शामिल थे।  

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...