रविवार, 4 जुलाई 2021

कोरोना काल में ग्रामीण चिकित्सकों ने मौत के सैलाब को बांध

आशा ट्रस्ट ने 16 ग्रामीण चिकित्सकों को दिया कोरोना योद्धा सम्मान

वाराणसी 4 जुलाई (दिल इंडिया लाइव)। आशा ट्रस्ट ने 16 ग्रामीण चिकित्सकों को  "कोरोना योद्धा सम्मान पत्र" और 'स्वास्थ्य सुरक्षा किट' देकर सम्मानित किया गया। ग्रामीण चिकित्सक सम्मान कार्यक्रम में चौबेपुर क्षेत्र के डुढूवां  ग्राम स्थित दुर्गा मंदिर परिसर में आयोजित कार्यक्रम में डुढूवां, सरैया, टेकुरी, लक्ष्मीसेनपुर, धौरहरा, हरिहरपुर और श्रीकंठपुर गाँव में चिकित्सा कार्य कर रहे 16 चिकित्सकों को "कोरोना योद्धा सम्मान" से सम्मानित किया गया साथ ही उन्हें स्वास्थ्य सुरक्षा किट भी प्रदान किया गया जिसमें ऑक्सीमीटर, थर्मल स्कैनर, वेपोराइजर, थर्मामीटर, फेस शील्ड, मास्क, आवश्यक दवाएं, पर्चे आदि दिए गये जिसका चिकित्सा के दौरान प्रयोग किया जा सके। कार्यक्रम के दौरान लोगों को दो गज दूरी के साथ ही मास्क लगाये रखने की अपील की गयी और कोविड से बचाव सम्बन्धी जागरूकता के परचे दिए गये।

उक्त कार्यक्रम  सामाजिक संस्था 'आशा ट्रस्ट' के तत्वावधान में किया गया।


कार्यक्रम समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि कोरोना संक्रमण के दूसरे लहर के दौरान जब सरकारी अस्पतालों और बड़े अस्पतालों में बेड और आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था उस समय दूर दराज गाँवों में चिकित्सकजन ने बड़ी  जिम्मेदारी के साथ पीड़ित और संक्रमित लोगों को चिकित्सा सुलभ कराइ. इन चिकित्सको के पास प्रायः बड़ी डिग्री नही होती लेकिन इनका विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज करने का अनुभव कही बहुत ज्यादा है और यही कारण था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन चिकित्सकों ने ग्रामीण क्षेत्र में हजारों लोगों की जान बचाई।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि, किसान नेता रामजनम भाई  ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में सेवा कर रहे तमाम निजी चिकित्सकों ने महामारी के दौर में मानवता की सेवा की मिसाल कायम की है, उन्हें प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है।

स्वागत करते हुए ग्राम प्रधान पारस यादव ने कहा प्रत्येक गाँव में मानदेय पर जन स्वास्थ्य रक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जिससे ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य जांच जैसे रक्तचाप, मधुमेह, ऑक्सीजन स्तर आदि आसानी से सुलभ हो सके। चिकित्सकों की तरफ से धन्यवाद ज्ञापन डा. शोभनाथ यादव ने किया कार्यक्रम में प्रदीप कुमार सिंह, रमेश प्रसाद, सूरज पाण्डेय आदि की प्रमुख भूमिका रही।

सम्मानित किये गये ये चिकित्सक

रंजीत सिंह यादव, जय प्रकाश यादव, तिलक धारी विश्वकर्मा, उत्तम कुमार राय, रविन्द्र यादव, शोभनाथ यादव, विमल विश्वकर्मा, संजय यादव, राजेश यादव, मो. बिस्मिल्लाह, विश्वनाथ प्रसाद, विनोद, भिक्खम राम, सुरेश प्रसाद, जवाहिर, मो. कादिर.।

शनिवार, 3 जुलाई 2021

क़ुरैशी समाज को सपा ने छला- शाहनवाज़ आलम

बकरीद पर स्लाटर हाउस खोलने के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस करेगी आंदोलन

प्रयागराज, 3 जुलाई (दिल इंडिया लाइव)। अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने अटाला इलाके में क़ुरैशी समाज के लोगों से मुलाक़ात कर उनके मुद्दों पर संघर्ष करने का वादा किया।

मीडिया से शाहनवाज़ ने कहा कि योगी सरकार में सांप्रदायिक द्वेष के कारण क़ुरैशी समाज के लोगों को फ़र्ज़ी मुकदमों में फंसाया जा रहा है। वहीं स्लाटर हाउस बन्द करा कर इस समाज के लोगों की आजीविका पर भी हमला किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन मुद्दों पर कांग्रेस सड़क पर संघर्ष करेगी।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पिछली सपा सरकार में कानपुर से ले कर हापुड़ तक टेनेरियों को बन्द कर के क़ुरैशी समाज के पेट पर लात मारा गया था। समाजवादी पार्टी क़ुरैशी बिरादरी के वोट और नोट से खड़ी हुई लेकिन क़ुरैशी समाज को पिछड़ा वर्ग में आने के बावजूद सपा ने कभी भी नौकरियों में भर्ती नहीं दी। उन्होंने कहा कि क़ुरैशी समाज 40 विधान सभा सीटों को प्रभावित करता है लेकिन सपा ने उनमें नेता नहीं पैदा होने दिया जबकि क़ुरैशी समाज अखिलेश यादव के सजातीय बिरादरी से ज़्यादा संख्या में है। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अल्पसंख्यक कांग्रेस ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जी के निर्देश पर 24 जून को हर ज़िले से राज्यपाल को ज्ञापन भेज कर क़ुरैशी समाज के मुद्दों को उठाया था। उन्होंने कहा कि बकरीद में स्लाटर हाउस खोलने और छोटे दुकानदारों को बूचड़ खाना खोलने की माँग को ले कर अल्पसंख्यक कांग्रेस आंदोलन करेगी।

प्रेस कां कांग्रेस शहर अध्यक्ष अरशद अली, नूरुल क़ुरैशी, इरफान उल हक़, जावेद उर्फी, तालिब अहमद, नाज़ खान, हाजी सरताज, अंजुम नाज़, मुस्तकीम क़ुरैशी, अरमान क़ुरैशी आदि मौजूद थे। 

गज़ल

      डॉ. अत्रि भारद्वाज

 वाराणसी 03 जुलाई (दिल इंडिया लाइव)


जीवन की मेरे इतनी बस राम कहानी है।
बचपन है गुलाबों का,पत्थर की जवानी है।।


यह फूल पे शबनम है,कागज पे है चिंगारी ।
जम जाए तो मोती है, बह जाए तो पानी है।।


इक चांद का टुकड़ा है,इक गीत का मुखड़ा है।
मौसम की जवानी की,एक शाम सुहानी है ।।


मेहनत का पसीना है,एहसास के माथे पर ।
दुनिया ये समझती है, चांदी की निशानी है ।।


साहिल पे खड़े हो कर,हर देखने वाले को ।
तूफां से गुजर जाना, आसान बयानी है।

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

इनरव्हील स्पार्कलिंग स्टार ने कि नशा मुक्ति की अपील


कैसे करें एनिमिया से बचाव दी गई जानकारी

वाराणसी 02 जुलाई (दिल इंडिया लाइव)। इनरव्हील क्लब स्पार्कलिंग स्टार के तत्वाधान में रामकटोरा स्थित हैल्थ मैक्स हास्पीटल में आयोजित जनजागरूक्ता कार्यक्रम में लोगों को नशा मुक्ति के प्रति जागरूक किया गया। साथ ही गर्भवती महिलाओं को आयरन कैप्सूल टेबलेट प्रदान किया गया और उसके इस्तेमाल एवं लाभ की जानकारी दी गई। साथ ही विशेषज्ञ चिकित्सकों ने शरीर में आयरन की कमी से होने वाले रोग एनिमिया से बचाव की जानकारी प्रदान की। 

क्लब की प्रसिडेंट मानसी अग्रवाल ने लोगों को नशा मुक्ति के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि नशा कोई भी हो वो आपके जीवन को बर्बाद करता हैं आपके इस अनमोल शरीर को अन्दर से खोखला कर देता हैं। धुम्रपान के सेवन से शरीर पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में लगभग सभी लोग जानते हैं, लेकिन फिर भी बड़े स्तर पर लोग आज सिगरेट के आदि हो चुके हैं, वहीं आज की युवा पीढ़ी में धूम्रपान की लत किस कदर है, इसका अंदाजा आप अपने घरों के आस-पास सिगरेट बेचने वाली दुकानों में लगी भीड़ से लगा सकते हैं। धुम्रपान करने से खुद का शरीर तो खराब होता ही है, इसके साथ ही ध्रूम्रपान करते वक्त जो भी शख्स ऐसे व्यक्ति के साथ होता है, तो उससे उस व्यक्ति के स्वास्थ्य पर भी इसका गलत प्रभाव पड़ता है। डा.तन्वी अग्रवाल ने कहा कि सिगरेट पीने से फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर, मुख कैंसर होने का खतरा तो बढ़ता ही है, साथ ही तमाम तरह की श्वास संबंधी बीमारियों को भी बढ़ावा मिलता है। हार्ट अटैक, रक्तचाप और रक्तवाहिनियों में खून का थक्का जमने का खतरा बढ़ जाता है, यही नहीं धूम्रपान करने से मनुष्य का शरीर अंदर से खोखला होता जाता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को खत्म कर देता है। जिसकी इस कोविड महामारी के दौरान अत्यन्त मजबूत बनाने की जरूरत है।

इस मौके पर डा.सुमित्रा अग्रवाल ने बताया कि एनीमिया एक विकार है। जो व्यक्ति के शरीर में खून की कमी या हीमोग्लोबिन की कमी के वजह से होता है। महिलाओं, बच्चों और लंबे समय से बीमारियों से पीड़ित लोगों को एनीमिया आसानी से हो सकता है। डा.सोनम ने महिलाओं को जागरूक करते हुए कहा कि प्रेग्नेंसी में एनीमिया होना सामान्य बात है। प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु के विकास के लिए शरीर अधिक मात्रा में खून बनाता है और अगर इस दौरान गर्भवती महिला पर्याप्त आयरन या अन्य पोषक तत्व नहीं ले रही हैं तो शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण रुक सकता है। कोई महिला गर्भवती हैं या गर्भधारण करना चाहती हैं तो उसे पर्याप्त मात्रा में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी12 जैसे पोषक तत्वों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए और पौष्टिक आहार लेना चाहिए।

इस अवसर पर क्लब की प्रेसिडेन्ट मानसी अग्रवाल, सेक्रेटरी रोमा जाडवानी, नन्दिता मिश्रा प्रमुख रूप से मौजूद थी।

गुरुवार, 1 जुलाई 2021

पूर्वांचल में पैर पसारने लगे ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का संगठन पर जोर

वाराणसी 01 जुलाईं (दिल इंडिया लाइव)। ओवैसी पूर्वांचल में पैर पसारने लगे है। बैरिस्टर असदुद्दीन ओवैसी की अगुवाई वाली ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन भले ही बंगाल और बिहार में कोई बड़ा उल्टफेर न कर पायी हो मगर यूपी में 2022 में होने वाले चुनाव को लेकर मजलिस उत्साह में है। इस चुनाव के पूर्व मजालिस का पूरा ज़ोर संगठन के गठन पर हैं। 

यही वजह है कि शौक़त अली (प्रदेश अध्यक्ष) की मुहिम को लगातार आगे बढ़ाते हुए  परवेज कादिर खान (प्रदेश सचिव) ने जिला वाराणसी के विधानसभा क्षेत्र कैंट 390 के चार वार्डो का गठन किया, जिसमे वार्ड नंबर 9 में नसीम अहमद अंसारी, वार्ड नंबर 23 मे कय्यूम अंसारी, वार्ड नंबर 25 में मो० फैजान इदरीसी, व वार्ड नंबर 48 मे मो० वसीम अख्तर को वार्ड अध्यक्ष बनाया गया तथा 22 बूथ अध्यक्ष को नियुक्ति किया गया है।

 जनसम्पर्क के लिए बनाई टीम



 जैनुल, हाफिज फरीद, सलीम, नसीम, मोबीन, मुस्तकीम, नसरुद्दीन, अबरार, ताज कुरैशी, शाहरुख खान, फैजुल रसूल खान, विशाल मौर्य, महेंद्र सिंह एडवोकेट, सुल्तान आदि जनसम्पर्क टीम में हैं। परवेज कादिर खां ने कहा कि संगठन को मजबूती प्रदान करने के लिए जनसम्पर्क के लिए टीम बनाई गई है।

वीर अब्दुल हमीद के खून में थी पहलवानी


आज हम मना रहे हैं परमवीर चक्र विजेता  वीर अब्दुल हमीद की जयंती




वाराणसी 1 जुलाई (शाहीन अंसारी/दिल इंडिया लाइव)। अब्दुल हमीद का नाम लेते ही आज भी  भारतवासियोँ का सीना गर्व से ऊंचा हो जाता है। उनकी वीरता की कहानियां लोगों की ज़ुबान पर आ जाती है। कम्पनी क्वार्टर मास्टर हवलदार शहीद 1965 में हुए भारत-पाक युद्ध में अपनी अद्भुत साहस और वीरता को दिखाते हुए  दुशमनो के कई शक्तिशाली अमेरिकन पैटन टैंकों को धवस्त  कर दुशमनो को मुहतोड़ जवाब देते हुए वीर गति को प्राप्त हो गए। अब्दुल हमीद के जन्म दिवस पर उनका हम सब नमन करते हैं।

अब्दुल हमीद भारतीय सेना के प्रसिद्ध सिपाही थे, जिनको अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल, रक्षा मेडल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए महावीर चक्र और परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था।

 अब्दुल हमीद का जन्म 1 जुलाई, 1933 को उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ीपुर ज़िले में स्थित धामूपुर नाम के छोटे से  गांव में एक ऐसे परिवार में हुआ, जो आर्थिक रुप से ज्यादा मजबूत न था। हालांकि उनके पिता सेना में लॉस नायक पद पर तैनात थे बावजूद इसके उनकी माता को परिवार की आजीविका चलाने के लिए  सिलाई करनी पड़ती थी ताकि परिवार का पालन-पोषण हो सके। मां अब्दुल हमीद के भविष्य के लिए चिंतित रहती थी इसलिए चाहती थी कि वह सिलाई का काम सीख लें। लेकिन अब्दुल हमीद का दिल इस सिलाई के काम में बिलकुल नहीं लगता था, उनका मन तो बस कुश्ती दंगल के दांव पेंचों में लगता था। क्योंकि पहलवानी उनके खून में थी जो विरासत के रूप में उनको मिली। उनके पिता और नाना दोनों ही पहलवान थे। उनके सिर पर कुश्ती का भूत सवार था। कुश्ती को लेकर उनकी दीवानगी कुछ ऐसी थी कि जब पूरा गांव सोता था, तो वह कुश्ती के हुनर सीखते थे। उनकी कद-काठी भी पेशेवर पहलवानों जैसी ही थी। इसके अलावा लाठी चलाना, बाढ़ में नदी को तैर कर पार करना, सोते समय फौज और जंग के सपने देखना तथा अपनी गुलेल से पक्का निशाना लगाना भी उनकी खूबियों में था। अब्दुल हमीद थोड़े बड़े हुए तो उनका दाखिला गांव के एक स्कूल में कराया गया। वह सिर्फ चौथी कक्षा तक ही स्कूल गये।

अब्दुल हमीद का व्यवहार गांव के लोगों के लिए बहुत विनम्र था। वह अक्सर लोगों की मदद करते रहते थे। इसी कड़ी में एक दिन कुछ यूं हुआ कि वह गांव के एक चबूतरे पर बैठे थे, तभी गांव का एक युवक दौड़ते हुए उनके पास आया। उसकी सांसे फूल रही थी। जैसे-तैसे उसने हमीद को बताया कि जमींदारों के दबंग लगभग 50 की संख्या में जबरदस्ती उसकी फसल काटने की कोशिश कर रहे हैं। युवक को परेशानी में देखकर हमीद आग बबूला हो गए। उन्होंने न आव देखा न ताव और तेजी से खेतों की तरफ दौड़ पड़े। उन्होंने दबंगों को ललकारते हुए कहा, अपनी ख़ैर चाहते हो तो भाग जाओ। शुरुआत में तो दंबगों ने सोचा कि एक अकेला व्यक्ति हमारा क्या कर लेगा। पर जब उन्होंने हमीद के रौद्र रुप को देखा तो वह अपनी जान बचाकर भागने पर मजबूर हो गये।

अब्दुल हमीद का  धरमापुर गांव मगई नदी के किनारे बसा हुआ था। इस कारण अक्सर बाढ़ का खतरा बना रहता था। एक बार इस नदी का पानी अचानक बढ़ गया। पानी का बहाव इतना ज्यादा था कि नदी को पार करते समय नजदीक के गांव की दो महिलाएं उसमें डूबने लगी। लोग चीखने लगे। डूबने वाली महिलाएं बचाओ-बचाओ कहकर मदद के लिए लोगों को बुला रहीं थीं,  मगर अफसोस लोग तमाशबीन बने देख रहे थे, लेकिन मदद के लिए कोई आगे न बढ़ सका। तभी अब्दुल हमीद का वहां से गुज़रना हुआ। भीड़ देखकर वह नदी के किनारे पर पहुंचे तो उनसे महिलाओं को डूबते हुए न देखा गया। उन्होंने झट से बिना कुछ  सोचे -समझे नदी में झलांग लगा दी। जल्द ही वह महिलाओं को नदी से निकालने में कामयाब  हो गए । हमीद के इस कारनामे ने उन्हें देखते-ही-देखते सभी का दुलारा बना दिया।

धीरे धीरे उनकी उम्र बढती गयी और वो 21 साल के हो गए। वह अपने जीवन यापन के लिए रेलवे में भर्ती होने  के लिए गए। लेकिन उनका मन तो बस देश-प्रेम के प्रति लगा था, वह सेना में भर्ती हो  कर  सच्चे मन से देश की सेवा करना चाहते थे । आख़िरकार उनका  सपना पूरा हुआ सन 1954 में सेना में भर्ती  हो गये और वहां अपना कार्यभार संभाला।

1962 में चीन का हमला भारत पर हुआ तब अब्दुल हमीद को मौका  मिला अपने  देश के लिए कुछ कर दिखाने का। उस युद्ध में भारतीय सेना का एक जत्था चीनी सैनिको के घेरे में आ गया जिसमे हमीद भी थे। यह उनकी परीक्षा की घड़ी थी। वह लगातार मौत को चकमा देकर मुकाबले के लिए मोर्चे पर डंटे रहे,  लेकिन उनका  शरीर लगातार खून से भीगता जा रहा था,उनके साथी एक-एक कर के कम होते जा रहे थे, लेकिन इसके विपरीत अब्दुल हमीद की मशीन गन दुशमनों पर मौत के गोले बरसा रही थी, लेकिन एक समय आया जब धीरे-धीरे  उनके पास उपलब्ध गोले और गोलिया ख़त्म हो गए।  अब हमीद करे तो क्या करे  जैसी स्थिति में आ गए। और खाली हो चुकी मशीन गन  दुशमनो के हाथ ना लगे इस लिए अपनी मशीनगन को तोड़ डाला और अपनी वीरता के साथ समझदारी दिखाते हुए बर्फ से घिरी पहाड़ियों से रेंगते हुए वहां से निकल पड़े। 

चीन के युद्ध में वीरता और समझदारी का परिचय देने वाले  जवान अब्दुल हमीद को 12 मार्च 1962 में सेना ने  'लॉसनायक अब्दुल हमीद ' बना दिया। वो इसी तरह अपनी बहादुरी का परिचय देते रहे और दो से तीन वर्षों  के अन्दर हमीद को नायक हवलदारी और कम्पनी क्वार्टर मास्टरी भी प्राप्त हो गयी। 

 8 सितम्बर 1965 की रात के समय पाकिस्तान ने भारत पर हमला बोल दिया और दोनों देशों के बीच जंग शुरू हो गयी तब एक बार फिर अब्दुल हमीद को अपनी जन्म भूमि के लिए कुछ करने का मौका मिल गया।

इस मोर्चे पर जाने से पहले अब्दुल हमीद ने अपने भाई के नाम एक ख़त लिखा और उस ख़त में उन्होंने लिखा कि,  'पल्टन में उनकी बहुत इज़्ज़त होती है जिन के पास कोई चक्र होता है। देखना झुन्नन हम जंग में लड़कर कोई न कोई चक्र जरूर लेकर लौटेंगे.. '

अब्दुल हमीद पंजाब के तरन तारन जिले के खेमकरण सेक्टर पंहुचे जहां युद्ध हो रहा था। पकिस्तान के पास उस समय सबसे घातक  हथियार के रूप में  “अमेरिकन पैटन टैंक”  थे जिसे लोहे का शैतान भी कहा जा सकता हैं और इन पैटन टैंकों पर पकिस्तान को बहुत नाज था। पाकिस्तान ने उन्ही टैंको के साथ “असल उताड़” गाँव पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया।

उधर पकिस्तान के पास अमेरिकन पैटन टैंकों का ज़खीरा था  इधर भारतीय सैनिको के पास उन तोपों से मुकाबला करने के लिए कोई बड़े हथियार ना थे। था तो बस भारत माता की दुशमनो से रक्षा करते हुए रणभूमि में शहीद हो जाने का हौसला और हथियार के नाम पर  साधारण “थ्री नॉट थ्री रायफल” और एल.एम्.जी । इन्ही हथियारों के साथ हमारे सभी वीर सैनिक दुश्मनों के छक्के छुड़ाने लगे।

इधर वीर अब्दुल हमीद के पास अमेरिकन पैटन टैंकों के सामने खिलौने सी लगने वाली “गन माउनटेड जीप” थी। पर दुशमनो को यह नहीं पता था उस पर सवार वीर नहीं परमवीर अब्दुल हमीद हैं। जिनका निशाना महाभारत के अर्जुन की तरह हैं। 

जीप पर सवार दुशमनो से मुकाबला करते हुए हमीद पैटन टैंकों के उन कमजोर हिस्सों पर अपनी बंदूक से इतना सटीक निशाना लगाते थे जिससे लोह रूपी दैत्य धवस्त हो जाता। अब्दुल हमीद ने अपनी बंदूक से एक-एक कर टैंको को नष्ट करना शुरू कर दिया। उनका यह पराक्रम देख दुश्मन भी चकित से रह गए।  जिन टैंको पर पकिस्तान को बहुत नाज़ था. वह साधारण सी बंदूक से  धवस्त हो रहे थे। अब्दुल हमीद को देख भारतीय सैनिको में और जोश बढ़ गया और वो पाकिस्तानी सेना को खदेड़ने में लग गए। अब्दुल हमीद ने एक के बाद एक कर सात पाकिस्तानी पैटन टैंकों को नष्ट कर दिया ।

असल उताड़ गाँव पाकिस्तानी टैंको की कब्रगाह में बदलता चला गया। पाकिस्तानी सैनिक अपनी जान बचा कर भागने लगे लेकिन वीर हमीद मौत बन कर उनके पीछे लगे थे, और भागते हुए सैनिको का पीछा जीप से करते हुए उन्हें मौत की नींद सुला रहे थे, तभी अचानक एक गोला हमीद के जीप पर आ गिरा जिससे वह बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए। और 9 सितम्बर 1965 को  देश का यह जांबाज़ सिपाही वीरता और अदम्य साहस से अपने देश की आन, बान और शान की ख़ातिर दुश्मनों से लड़ते हुए हम सब को छोड़ वीरगति को प्राप्त हो गया। इसकी अधिकारिक घोषणा 10 सितम्बर 1965 को की गई। 

इस युद्ध में वीरता पूर्वक अदुभुत पराक्रम का परिचय देने वाले वीर अब्दुल हमीद को पहले 'महावीर चक्र ' और फिर सेना के सर्वोच्च सम्मान 'परमवीर चक्र' से अलंकृत किया गया।

उसके बाद भारतीय डाक विभाग ने 28 जनवरी 2000 को वीर अब्दुल हमीदके सम्मान में पांच डाक टिकटों के सेट में 3 रुपये का एक सचित्र डाक टिकट जारी किया, इस डाक टिकट पर  रिकाईललेस राइफल से गोली चलाते हुए जीप पर सवार वीर अब्दुल हामिद का एक रेखा चित्र बना हुआ है। शहीद वीर अब्दुल हमीद की स्मृति में उनकी क़ब्र पर एक समाधि का निर्माण किया गया। हर साल उनकी शहादत पर उनकी समाधि पर एक विशेष मेले का आयोजन किया जाता है।

"शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले।

वतन पर मिटने वालों का ये ही बाक़ी निशाँ होगा।

पांचों में भी अब दो सरदार

ज़ियाउल हसन के सिर पांचों के सरदार की दस्तार




वाराणसी 30 जून (दिल इंडिया लाइव) बुनकर बिरादराना तंज़ीम पांचों में भी दो फाड़ हो गया है। एक दिन पहले बुनकर बिरादराना तंज़ीम पांचों के सरदार की दस्तारबंदी हुई थी, मगर 24 घंटा भी नहीं गुज़रा था कि दूसरे पछ ने उनसे खुद को अलग करते हुए पांचों का अपना न सिर्फ दूसरा सरदार चुन लिया बाल्कि उसकी दस्तारबंदी भी कर दी। खास यह था कि शहर उत्तरी के पूर्व विधायक हाजी अब्दुल समद अंसारी कल वाले आयोजन में भी दिखाई दिये और आज भी। 

ज़ियाउल हसन के सिर सजा ताज

कुशवाहा लान गंगा नगर कालोनी में बुनकर बिरादराना तन्ज़ीम पांचों पंचायत के नए सरदार हाजी ज़ियाउल हसन अंसारी पुत्र हाफीज़ हाजी मो. मुस्तफ़ा अंसारी की दस्तार बंदी हुई!  इस प्रोग्राम का आगाज़ तिलावते कलाम पाक से जनाब हाफ़िज़ नूरुददीन ने किया निज़ामत जनाब रेयाज़ अहमद नोमानी और सदारत सरदार अब्दुल गनी पठानी टोला ने किया 

सरदार मुर्तुजा के इंतकाल के बाद से पद खाली

बुनकर बिरादराना तन्ज़ीम पांचों पंचायत के सरदार मोहम्मद मुर्तुज़ा अंसारी के इन्तेक़ाल के बाद काफ़ी अर्से से ये पद खाली था जिसका चुनाव तन्ज़ीम पांचों पंचायत के सारे सरदार और तमाम अराकीन कमेटी के सभी ज़िम्मेदारान की सर्वसम्मति से होना था मगर ऐसा हो न सका, बाल्कि दो सरदार पांचों में भी हो गये जैसे चौदहों में हैं। आज हाजी ज़ियाउल हसन अंसारी को तन्ज़ीम पांचों पंचायत का नया सरदार चुना गया। मौजूद खास लोगों ने कहा कि हम सबको उम्मीद है कि नए सरदार क़ौम की खिदमत खुशदिली और पूरी ईमानदारी से करेंगे। इंशा अल्लाह।इस मौक़े पर तन्ज़ीम बाईसी के सरदार जनाब इकरामुददीन साहब और उनके काबीना के तमाम अराकीन। तन्ज़ीम चौदहों के सरदार जनाब हाजी मक़बुल हसन साहब और उनके काबीना के तमाम अराकीन और तन्ज़ीम पांचों के सरदार जनाब हाजी हाफ़िज़ अली अहमद और उनके काबीना के तमाम अराकीन ने शिरकत की और नए सरदार को सभी तन्ज़ीमो के मेमबरान ने मुबारकबाद पेश की और उन्हें दुआओ से नवाज़ा और उनका खैरमखदम किया। इस दस्तार बंदी में तन्ज़ीम पांचों पंचायत के सभी सरदार दुलहीपुर चन्दौली और बनारस के सभी सरदार मौजूद थे 

इस मौक़े पर पूर्व विधायक जनाब हाजी अब्दुल समद अंसारी, पार्षद मुमताज़ खाँ, पार्षद रोहित जायसवाल, पार्षद तुफ़ैल अंसारी,नागरिक सुरक्षा प्रखन्ड कोतवाली के डिप्टी डिवीज़नल वार्डेन शैलेन्द्र सिंह, और तन्ज़ीम पांचों पंचायत के तमाम अराकीने कमेटी के सदस्यगण मुनाऊ सरदार, मोहम्मद सरदार हाजी ज़ैनुल आब्दीन, हनीफ़ महतो, बाऊ हाजी, हाजी अनवार लूम वाले, एखलाक़ अहमद महतो, हाजी अनवार हसनपुरा, रमज़ान अली, रेयाज़ अहमद, हाजी ज़ैनुल फ़ुलवरिया, बाबुल मोक़ादम, जमालुददीन दुलहीपुर,अब्दुल अज़ीज़ दुलहीपुर एवं मोहल्ले के सभी लोग मौजूद थे। 

मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...