मंगलवार, 8 जून 2021

इतिहास को देखने का नज़रिया गिरीश का वैज्ञानिक और खोजी था





10 जून गिरीश कर्नाड की पुण्यतिथि पर विशेष

 वाराणसी ( डॉ मोहम्मद आरिफ/दिल इंडिया लाइव)। बात 1990 के दशक की है जब मैं प्रो.इरफान हबीब के आमंत्रण पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास, उच्च अध्धयन केंद्र में एक माह की विज़िटर्शिप के लिए गया हुआ था। इत्तफाक से उन्ही दिनों गिरीश जी भी अपने एक नाटक को जीवंत और तथ्यपरक बनाने के लिए प्रो हबीब के पास आये हुए थे। इरफान साहब ने  मेरा परिचय बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के नौजवान इतिहासविद और कम्युनिज्म तथा कांग्रेसियत के अद्भुत समावेशी व्यक्तित्व के रूप में कराया तो कर्नाड ने मुस्कुराते हुए कहा कि ये diversity /विविधता पर तो कब की जंग लगनी शुरू हो चुकी है तुम किस दुनिया से आये हो भाई,और फिर एक लंबी सांस खींचते हुए कहा कि हां समझ में आ गया ग़ालिब भी तो आपके शहर में जाकर गंगा स्नान करके इसी समावेशी तहजीब (diversity) का शिकार हो चला था और दारा शिकोह वली अहद से इंसान बन बैठा था, बाद की पीढ़ियों ने उनकी यादों को अब तक संजोए रखा पर लगता है हम वह आखिरी पीढ़ी है जो इस समावेशी संस्कृति की बर्बादी और तबाही को न केवल देखेंगे बल्कि उसके गवाह भी बनेंगे।

   इतिहास की उनकी समझ बहुत व्यापक थी और किसी भी इतिहास विद को चुनौती तो दे ही सकती थी। अजीब अजीब सवाल उनके मन में उभरते थे एक एक्टिविस्ट की तरह। वाकई उनका पूरा जीवन ही एक्टिविज्म करते बीता। व्यवस्था के खिलाफ उनका संघर्ष मित्र और अमित्र में भेद नही करता था। वे तो सिर्फ बेहतर समाज बनाने और विरासत को बचाये रखने वाले अपराजित योद्धा थे। माध्यम कभी कविता, संगीत, कभी नाटक कभी अभिनय कभी एक्टिंग तो कभी सामाजिक सरोकारों के विभिन्न मंच रहे जहां वे निर्भीक खड़े होकर हम जैसे अनेक लोगों का मार्गदर्शन करते रहे।

     उनका इतिहास को देखने का नज़रिया वैज्ञानिक और खोजी था। चलते चलते उन्होनें मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा कि एक मुलाकात आपसे शाम की तन्हाई में होनी चाहिए आपको भी कुछ जान परख लेते है। मैने  कहा कि  इरफान साहब से तथ्य आधारित बातचीत के एक लंबे दौर के बाद बचता ही क्या है बताने के लिए,और मैं भी तो इरफान साहब का एक अदना सा विद्यार्थी हूँ।

   गिरीश जी ने मुस्कुराते हुए कहा भाई इतिहासकार तथ्यों की मौलिकता को बचाये रखते हुए अपनी परिस्थितियों और वातावरण के अनुकूल व्याख्या करताहै। आपके शहर और आपके उस्तादों के नजरिये ने आपको इतिहास देखने परखने की जो दृष्टि दी है वो दृष्टिकोण भी हमारे लिए बहुत मायने रखता है। सहमति के बाद देर रात्रि तक उस दिन एकांत चर्चा चलती रही। कारनाड जी मुहम्मद तुग़लक़, कबीर, अकबर, औरंगजेब और बहादुर शाह जफर के बारे में तमाम जानकारियों पर बहस करते रहे। उन्हें गांधी, नेहरु, इंदिरा गांधी, अन्नादुरई,और देवराज अर्स में भी दिलचस्पी थी। उनका इतिहास ज्ञान अदभुत था और जिज्ञासा तो शांत ही नही होती थी, और कई बार अनुत्तरित भी कर देते थे। शंकराचार्य, बनारस, कबीर और रैदास के नजरिये की अद्भुद व्याख्या गिरीश ने की और ऐसा लगा की बनारस में रहकर मैं बनारस से कितना दूर हूँ और दूर रहकर भी गिरीश कितना नजदीक।

ग‍िरीश कर्नाड की लेखनी में ज‍ितना दम था, उन्होंने उतने ही बेबाक अंदाज में अपनी आवाज को बुलंदी दी। तमाम राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय भूमिका के साथ- साथ धर्म की राजनीति और भीड़ की हिंसा के प्रतिरोध में भी कर्नाड ने हिस्सा लिया। कर्नाड ने सीन‍ियर जर्नल‍िस्ट गौरी लंकेश की मर्डर पर बेबाक अंदाज में आवाज उठाई। गौरी लंकेश के मर्डर के एक साल बाद हुई श्रद्धांजलि सभा में वे गले में प्ले कार्ड पहनकर  पहुंचे थे जबकि उनके नाक में ऑक्सीजन की पाइप लगी थी।

  गिरीश कर्नाड सामाजिक वैचारिकता के प्रमुख स्वर थे और असहमति की भी कद्र करते थे। उन्होंने अपनी कृतियों के सहारे उसके अंतर्विरोधों और द्वन्द्वों को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया है। उनकी अभिव्यक्ति हमेशा प्रतिष्ठानों से टकराती रही हैं चाहे  सत्ता प्रतिष्ठान हो या धार्मिक प्रतिष्ठान। कोई भी व्यक्ति जो गहराई से आम आदमी से जुड़ा हुआ हो उसका स्वर प्रतिरोध का ही स्वर रह जाता है क्योंकि सच्चाई को उकेरने पर इन प्रतिष्ठानों को खतरा महसूस होता है। सरकार और उसकी मशीनरी को गिरीश हमेशा चुनौती देते रहे और आम आदमी उनकी चिंता का केंद्र बिंदु बना रहा जिसका खामियाजा उन्हें लगातार भुगतना भी पड़ा। गिरीश कनार्ड अब हमारे बीच नहीं हैं परन्तु उन्होंने जिन्दगी को जिस अर्थवान तरीके से बिताया वह हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है।

    अलीगढ़ से वापसी के बाद हम सब अपनी अपनी दुनियां में लौट आये और खो गए पर मजेदार बात ये रही कि गिरीश जी को ये बात याद रही। जब 1994-95 के दौरान दिल्ली में तुग़लक़ नाटक का मंचन होने वाला था तो एक दिन उनका फोन आया और मैं चौंक पड़ा क्योंकि उन दिनों मेरे पास लैंडलाइन फोन नही था और मैं अपने पड़ोसी सज्जन के फोन पर सन्देश मंगाया करता था। उन्होंने न केवल हमारा सम्पर्क सूत्र पता किया वल्कि सम्मानजनक ढंग से हमें आमंत्रित करना न भूले। ये थी उनकी रिश्तों की समझ।

  आज हम ऐसे दौर से गुजर रहे है जब इतिहास के तथ्य रोज तोड़े मरोड़े जा रहे है और अप्रशिक्षित राजनीतिक हमें इतिहास पढ़ा रहे है गिरीश तुम्हारा होना नितांत आवश्यक था। तुम चले गए और हमे ये जिम्मेदारी देकर की हम इतिहास की मूल आत्मा को मरने न दें। बड़ा गुरुतर भार देकर और अपनी पारी बेहतरीन और खूबसूरत खेलकर गए हो। उनके जाने से खालीपन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि समकालीन कला जगत में उनके आसपास तो कोई है भी नहीं। इस खाली जगह को भरना आसान नहीं दिखता.गिरीश इतिहास सदैव तुम्हे याद रखेगा। श्रद्धांजलि।

(लेखक जानेमाने इतिहासकार और सामाजिक कार्यकर्ता है)

सोमवार, 7 जून 2021

ग्रामीण चिकित्सको को "कोरोना योद्धा सम्मान


सम्मान पत्र और मेडिकल किट देकर किया सम्मानित

आशा ट्रस्ट द्वारा ग्रामीण चिकित्सकों द्वारा कोरोना काल में किये गये योगदान की सराहना

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। कोरोना संकट की दूसरी लहर के दौरान गाँव गाँव में चिकित्सा सेवा से जुड़े लोगों का बहुत ही सराहनीय और उल्लखनीय योगदान रहा, जब सरकारी अस्पतालों और बड़े अस्पतालों में बेड और आक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ था उस समय दूर दराज गाँवों में चिकित्सकजन ने बड़े ही जिम्मेदारी से पीड़ित और संक्रमित लोगों को चिकित्सा सुलभ करायी। इन चिकित्सको के पास प्रायः बड़ी डिग्री नही होती लेकिन इनका विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज करने का अनुभव कही बहुत ज्यादा है। और यही कारण था कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इन चिकित्सकों ने ग्रामीण क्षेत्र में हजारों लोगों की जान बचाई।

सामाजिक संस्था 'आशा ट्रस्ट' द्वारा विभिन्न जिलों में ऐसे ग्रामीण चिकित्सकों को चिन्हित करके उन्हें "कोरोना योद्धा सम्मान " से सम्मानित किये जाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। इस क्रम में ट्रस्ट के कैथी भंदहा कला स्थित केंद्र पर 21 चिकित्सकों को सम्मानित किया गया. साथ में उन्हें स्वास्थ्य रक्षक किट भी प्रदान की गयी जिसमे आक्सीमीटर, थर्मामीटर,  थर्मल स्कैनर, वेपोराइजर, फेस शील्ड, दस्ताना, मास्क, दवाएं आदि है जिसका चिकित्सा के दौरान प्रयोग किया जा सके.

इस अवसर पर मुख्य अतिथि वरिष्ठ समाजवादी चिंतक डॉ आनंद प्रकाश तिवारी ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में सेवा कर रहे निजी चिकित्सकों ने महामारी के दौर में मानवता की सेवा की मिसाल कायम की है, उन्हें प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। डा. सरोज आनंद ने कहा कि ग्रामीण चिकित्सकों को आधुनिक चिकित्सा उपकरणों के उपयोग का  प्रशिक्षण दिए जाने की जरूरत है जिससे भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर वे बेहतर से सेवा दे सकें।


आशा ट्रस्ट के समन्वयक वल्लभाचार्य पाण्डेय ने कहा कि ट्रस्ट द्वारा कई जिलों में मिला कर कुल 250 ग्रामीण  चिकित्सकों को चिन्हित कर सम्मानित करने की योजना है, भविष्य में हम इन्हें ऑक्सीजन कंसंट्रेटर आदि भी उपलब्ध कराने के बारे में विचार कर रहे हैं . उन्होंने कहा कि देश में सभी को बेहतर स्वास्थ्य के अधिकार के लिए जन आंदोलन की आवश्यकता है, जिसमे हर 1000 की आबादी पर न्यूनतम आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग हो। किसान नेता राम जनम भाई ने कहा कि प्रत्येक गाँव में मानदेय पर जन स्वास्थ्य रक्षकों की नियुक्ति की जानी चाहिए जिससे ग्रामीण क्षेत्र में सामान्य जांच जैसे रक्तचाप, मधुमेह, ऑक्सीजन स्तर आदि आसानी से सुलभ हो सके।

कार्यक्रम में चिकित्सकों ने कोरोना संकट काल के समय के अपने अनुभवों को साझा किया. कार्यक्रम में दीन दयाल सिंह, सूरज पाण्डेय, रमेश प्रसाद, प्रदीप कुमार सिंह, विनय सिंह, अभिषेक, वैभव, आनंद प्रिया, अजय पटेल , हर्षित आदि की प्रमुख भूमिका रही।

सम्मानित किये गये ये चिकित्सक 

संजय त्रिपाठी, सुभाष सिंह, बिहारी लाल, सतीश मिश्र, काशी नाथ यादव, रामबली, राजेश सिंह, कृष्णमुरारी श्रीवास्तव, मोहम्मद यूनुस खान, नखडू प्रसाद, सत्यनारायण यादव, नरेंद्र सोनकर, धीरेन्द्र सोनकर, कैलाश नाथ यादव, आनंद तिवारी, मोहम्मद इम्तियाज, गोविन्द पाण्डेय, हरिश्चंद्र त्रिपाठी, बचाऊ निषाद।

रविवार, 6 जून 2021

ई-पाठशाला से बच्चों को शिक्षा से जोड़ने पर बल

गूगल मीट द्वारा मिशन प्रेरणा शिक्षा पर चर्चा

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। प्राचार्य जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान, सारनाथ वाराणसी की अध्यक्षता में गूगल मीट पर जनपद वाराणसी के समस्त BEOs, SRGs, डाइट मेंटर्स, ARPs, जिला समन्वयक (प्रशिक्षण) की ऑनलाइन बैठक प्रातः 11 बजे प्रारंभ हुई, जिसमें मिशन प्रेरणा के अंतर्गत कॅरोना वैश्विक महामारी चुनौतियों के बीच परिषदीय स्कूलों के बच्चों की शिक्षा किस प्रकार निर्बाध चलाई जाय, इस पर गहनता से विचार किया गया। श्री उमेश कुमार शुक्ल, प्राचार्य डाइट द्वारा राज्य स्तर से जारी निर्देशो से प्रतिभागियो को अवगत कराते हुए  ई-पाठशाला सीजन 4 की विशेषताओं पर विस्तृत विचार रखा गया। ई पाठशाला के अंतर्गत किस प्रकार विद्यालय के समस्त बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाय, प्रधानाध्यापक,शिक्षको व मेंटर्स का क्या दायित्व है विस्तार से बताया गया,साथ ही प्रेरणा साथी की भूमिका बच्चों के शिक्षण,अभ्यास कार्य,क्विज में प्रतिभाग करने में क्या होगा स्पष्ट किया गया।उन्होंने सभी मेंटर्स से ऑनलाइन मॉनिटरिंग(ई मॉनिटरिंग) में आ रही चुनौतियो के सम्बंध में पृच्छा किया साथ ही सर्वसम्मति से उन चुनौतियो को दूर करने व ई पाठशाला को प्रभावी रुप से वाराणसी जनपद में लागू किये जाने के लिए आवश्यक सुझाव व निर्देश दिए। उन्होंने मिशन प्रेरणा के अंतर्गत क्लास रूम ट्रांसफॉर्मेशन के लिए आवश्यक सामग्रियों, आगामी प्रशिक्षण कार्यक्रमो, की जानकारी देते हुए प्रशिक्षण मॉड्यूल, प्रेरणा लक्ष्य, रीड एलांग व दीक्षा ऐप के शिक्षको, अभिभावकों व प्रेरणा साथी द्वारा प्रभावी प्रयोग किये जाने पर बल दिया। उन्होंने शिक्षको को अपने व्यावसायिक विकास के लिए दीक्षा ऐप पर ऑनलाइन प्रशिक्षण व प्रशिक्षण मॉड्यूल का नियमित अध्ययन करने की सलाह दिया। बैठक में सभी मेंटर्स ने उत्साह पूर्वक भाग लेते हुए अपने अनुभवों को भी शेयर किया साथ ही आ रही चुनौतियो को भी मंच के समक्ष रखा, जिसका समुचित निराकरण सर्वसम्मति से प्राचार्य महोदय द्वारा किया गया। प्राचार्य महोदय ने जून माह में फेसबुक लाइव के जरिये विभिन्न शैक्षिक वीडियो की ऑनलाइन समीक्षा व गणित किट के प्रभावी प्रयोग करने के तरीके की प्रस्तुति की जिम्मेदार मेंटर्स को सौंपी।

बैठक में डाइट मेंटर्स के रूप में श्री नरसिंह मौर्य, श्रीअरविंद सिंह,श्रीप्रमोद सिंह, श्रीहरगोविंद पूरी, श्रीअनुराग सिंह, श्रीगोविंद चौबे, श्रीलालधारी यादव, श्रीमती नगमा बेगम व SRG श्री राजीव कुमार सिंह, SRGश्री अखिलेश्वर गुप्त,


SRGश्री कुँवरभगत सिंह सहित सभी 45 ब्लॉक स्तरीय एकेडमिक संदर्भ पर्सन(ARPs) ने प्रतिभाग किया।

बैठक के अंत मे कोरोना महामारी के दूसरी लहर में दिवंगत शिक्षको व उनके परिजनों की आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना सभा का आयोजन कर बैठक को समाप्त किया गया।

बुनकर व मज़दूरों की मदद को बढ़ाया हाथ

 राशन पाकर मिली राहत

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) सरैया में अल्पसंख्यक कांग्रेस की ओर से कोरोना महामारी व लाकडाउन में पार्षद एवं  अल्पसंख्यक कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष हाजी ओकास अंसारी की ओर से गरीब मजदूरो एवं बुनकरों को राशन किट बाटा गया। राशन पाकर काफी लोगों को मिली राहत। मुख्य अतिथि कांग्रेस के पूर्व शहर अध्यक्ष एवं पार्षद दल के नेता सीताराम केशरी थे। इस अवसर पर सीताराम केशरी ने कहा की इस लॉकडाउन में जहा सब लोग अपने अपने घरो में कैद थे और सभी का कारोबार बन्द था तब गरीब, मजदूर और बुनकर भाइयो को राशन किट हाजी ओकास अंसारी की तरफ वितरण किया गया। इस तरह का कार्य ये हमेशा करते रहते है। इस क्रम में आज लगभग 250 लोगो को राशन किट दिया गया हम कांग्रेसजन हमेशा से सेवा भाव कर लोगों की मदद करते है। इस मौके पर हाजी ओकास अंसारी ने कहा की इस लाकडाउन में इससे पहले कुछ अपनों की मदद से हम लोगो ने तीन फ्री मेडिकल कैंप लगा कर सैकडा लोगो को फ्री में दवा दी थी। आज उसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए 250 लोगो को 5 किलो आटा, 2 किलो चावल, 2 किलो आलू ,1 किलो दाल, 250 ग्राम सरसों का तेल, 1 किलो नमक का किट बना कर जरुरत मंदो को दिया गया ये हम सब का एक छोटा सा प्रयास है और ये प्रयास अपनों की मदद से इंशाह अल्लाह आगे भी जारी रहेगा।

इस मौके पर शाहिद तौसीफ, दयाराम पटेल, अफ़रोज़ अंसारी, पार्षद रमजान अली, पार्षद अफजाल अंसारी, पार्षद बेलाल अंसारी, हाजी यासीन, अब्दुल रब, इक़बाल बाबू, जुनैद अंसारी,  यासीन,  अमान अंसारी आदि लोग मौजूद थे । 

          

शनिवार, 5 जून 2021

कोरोना महामारी के दौर में मानव व पर्यावरण के संबंधों पर पुनर्विचार की जरूरत


प्रकृति का संतुलन बरकरार रखने के लिए वृक्षारोपण जरुरी

पर्यावरण शुद्ध रहेगा तो आचरण भी शुद्ध रहेगा:पोस्ट मास्टर जनरल कृष्ण कुमार 

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण बेहद जरुरी है। वृक्ष न सिर्फ हमारे पर्यावरण को शुद्ध करते हैं, बल्कि जीवन के लिए उपयोगी प्राणवायु भी उपलब्ध कराते हैं।  कोरोना महामारी ने भी यही चेताया है कि पर्यावरण से खिलवाड़ घातक है। ऐसे में सम्पूर्ण धरा और प्रकृति को सुरक्षित व संतुलित रखने हेतु हमें पर्यावरण के प्रति लोगों को सजग बनाना होगा। उक्त उद्गार वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने 'विश्व पर्यावरण दिवस' पर वाराणसी कैण्ट प्रधान डाकघर कैम्पस में पौधारोपण करते हुए व्यक्त किये। इस अवसर पर डाक विभाग के तमाम अधिकारियों - कर्मचारियों ने भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। 

पोस्ट मास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि, कोरोना महामारी के दौर में मनुष्य और पर्यावरण के संबंधों पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।  भारतीय परंपरा में पेड़-पौधों को परमात्मा का प्रतीक मान कर उनकी पूजा का विधान बनाया गया  है। पर्यावरण शुद्ध रहेगा तो आचरण भी शुद्ध रहेगा। पर्यावरण को शुद्ध और प्रदूषण मुक्त रखने में वृक्षों का महत्वपूर्ण योगदान है। ऐसे में हर व्यक्ति की यह जिम्मेदारी है कि वह एक पौधा अवश्य लगाए। 

पोस्टमास्टर जनरल श्री  कृष्ण कुमार यादव ने इस अवसर पर डाककर्मियों  से पर्यावरण में बढ़ रहे प्रदूषण और उसके चलते पैदा हो रही विसंगतियों की ओर ध्यान आकर्षित करके हर डाककर्मी से पौधारोपण द्वारा उनके निवारण में भागीदार बनने का भी आह्वान किया। श्री यादव ने कहा कि हमारी परंपरा में एक वृक्ष को दस संतानों के समान माना गया है, क्योंकि वृक्ष पीढ़ियों तक हमारी सेवा करते हैं। उन्होंने कहा कि पौधारोपण और उनके रक्षण के  दायित्व का निर्वाह कर सृष्टि को भावी विनाश से बचाया जा सकता है ।   

इस अवसर पर वाराणसी पश्चिमी मंडल के अधीक्षक डाकघर संजय कुमार वर्मा, सहायक निदेशक राम मिलन,  सहायक डाक अधीक्षक अजय कुमार, जाँच निरीक्षक श्रीकांत पाल,  कैण्ट प्रधान डाकघर के पोस्टमास्टर रमाशंकर वर्मा, राजेंद्र यादव, श्री प्रकाश गुप्ता, राकेश कुमार सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित रहे।

Plantation is necessary to save the environment - Postmaster General Krishna Kumar Yadav


Varanasi(dil india live). Plantation is very important to save the environment.  Trees not only purify our environment, but also provide fresh air for life.  The corona pandemic has also warned that playing with the environment is fatal.  In such  situation, to keep the entire earth and nature safe and balanced, we have to make people aware of the environment.  The above words were expressed by the Postmaster General of Varanasi Region, Shri Krishna Kumar Yadav while planting saplings in the Varanasi Cantt Head Post Office campus on 'World Environment Day'.  On this occasion, many officials of the Postal Department also gave the message of environmental protection by planting saplings following the covid protocol.

Postmaster General Shri Krishna Kumar Yadav said that there is a need to reconsider the relationship between human being and environment in the era of corona pandemic.  In Indian tradition, trees are worshiped as God.  If the environment is pure, then the behavior will also be pure.  Trees play an important role in keeping the environment clean and pollution free. It is the responsibility of every person to plant a sapling.

On this occasion, Postmaster General Shri Krishna Kumar Yadav also called upon the postal employees to draw their attention towards the increasing pollution in the environment and the anomalies arising due to it, and also called upon every postal employee to become a partner in their redressal by planting saplings.  Shri Yadav said that in our tradition, one tree is considered equal to ten children, because trees serve us for generations.  He said that by fulfilling the responsibility of planting trees and protecting them, the world can be saved from future destruction.

On this occasion, Superintendent of Post Office Varanasi West Division Sanjay Kumar Verma, Assistant Director Ram Milan, Assistant Superintendent of Posts Ajay Kumar,  Investigation Inspector Shrikant Pal, Postmaster of Cantt Head Post Office Ramashankar Verma, Rajendra Yadav, Shri Prakash Gupta, Rakesh Kumar along with many employees were present.

पर्यावरण दिवस पर जागरूक हुई काशी

आक्सीजन देते पेड़ को हमें बचाना होगा: अनिल जैन


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। विश्व पर्यावरण दिवस पर श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी के परमानंदपुर परिसर में पर्यावरण स्नेही एवम् नेपाल द्वारा पर्यावरण योद्धा सम्मान से सम्मानित, पीपल नीम तुलसी अभियान से जुड़े मनोविज्ञान विभाग के प्राध्यापक डा ओपी चौधरी ने सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देने वाले और भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त देव वृक्ष पीपल का रोपण किया और रक्षा सूत्र बांधकर बकस्वाहा जंगल, छतरपुर, मध्य प्रदेश की रक्षा करने के संकल्प को दुहराया। 

महाविद्यालय के प्रबंधक श्री अनिल कुमार जैन ने सचल भाष के माध्यम से वृक्षों के महत्व के बारे में बताते हुए कहा कि पेड़ पौधे या समूची प्रकृति हमारे स्वस्थ जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है। आज हम इस महामारी के दौर में जितना अधिक प्रकृति के नजदीक रहेंगे, उतना ही ज्यादा महफूज रहेंगे। प्राचार्या डा कुमकुम मालवीय ने भी दूरभाष पर ही अपना संदेश दिया और कहा की प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारा पुनीत दायित्व है। डा मालवीय ने मुक्त कंठ से डा ओपी चौधरी के पर्यावरण के संरक्षण के सतत प्रयास की सराहना भी किया। पीपल नीम तुलसी अभियान के संस्थापक अध्यक्ष पटना (बिहार) निवासी डा धर्मेंद्र कुमार सिंह जो इस समय बकस्वाहा जंगल को कटने से बचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रयासरत हैं। सम्पूर्ण पर्यावरण संरक्षण से जुड़े कार्यकर्ताओं का आह्वान किया है कि समस्त भारत वर्ष में आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बकस्वाहा जंगल बचाओ अभियान के तहत यह कार्य किया जा रहा है।

1.सभी पर्यावरण योद्धा अपने क्षेत्र में वृक्षों पर रक्षा सूत्र बांधेगे।

2.11 बजे से INDIA WITH BUXWAHA FOREST ट्विटर पर ट्रेंड होगा।

3.पोस्ट कार्ड अभियान की शुरुआत।

4.शाम को बकस्वाहा जंगल बचाने के लिए अपने अपने घरों पर दीप प्रज्ज्वलित किया जायेगा।

वृक्षारोपण कार्यक्रम के साथ ही डा ओ पी चौधरी ने बताया कि बकस्वाहा जंगल मध्य प्रदेश के छतरपुर जनपद में है,जो 362 एकड़ में फैला हुआ है, उसको हीरे की खदान के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने 50 वर्ष की लीज पर दे दिया है।हीरे की खदान के लिए 2.15 लाख पेड़ काटे जायेंगे जिसका विरोध पूरे देश के पर्यावरण प्रेमी कर रहे हैं। आज का यह कार्यक्रम उसी कड़ी में आयोजित किया गया है। वैसे महाविद्यालय में प्रतिवर्ष वृक्षारोपण का कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है। इस अवसर पर छविनाथ, सुनील, शमशेर, शिवधनी, इजहार, बेचू राम,चंद्रकांत आदि उपस्थित रहे, सभी ने एक सुर से पर्यावरण संरक्षण हेतु अपनी प्रतिबद्धता दुहराई।

बुधवार, 2 जून 2021

एक दिन का वेतन क्यों दें शिक्षक



वेतन कटौती न हो, विरोध में उतरा शिक्षक संघ

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पंजिकृत1160) के प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में निर्णय लिया गया कि मृतक शिक्षको के आश्रितों के सहायतार्थ कार्यरत शिक्षको के एक दिन के वेतन की कटौती की जो बातें की जा रही है वो बिल्कुल निराधार और गलत व खिलाफ कानून है। पंचायत चुनाव में कोरोना महामारी से संक्रमित होकर दिवंगत हुए शिक्षकों शिक्षा मित्रों अनुदेशकों एवम कर्मचारियों के परिवार को 50 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की मांग परिवार के एक सदस्य को योग्यतानुसार सरकारी नॉकरी एवम बीमार कर्मियों को 2 लाख रुपये की मांग यह संगठन दिनांक २३ मई को तथा इसके पूर्व भी कर चुका है। सरकार की अपील पर गत वर्ष शिक्षको ने मुख्यमंत्री सहायता कोष में दिया।इसके अतिरिक्त कोविड 19 से बचाव के लिए माह जनवरी 2020, जुलाई 2020 व जनवरी 2021 से मंहगाई भत्ता की किस्तो की धनराशि का भुगतान भी रोक दिया गया है इस प्रकार बेसिक शिक्षको के अनावश्यक रूप से रोके गए महंगाई भत्ते की क़िस्त तकरीबन 22000 करोड़ से अधिक सरकार के कोष में आज़ भी जमा है।

शिक्षको द्वारा अपने कर्त्तव्यो का सत्यनिष्ठा से पालन करने के साथ कोरोना महामारी में निरंतर आर्थिक रूप से सहयोग भी किया है किंतु दुख का विषय है कि जिन शिक्षको ने कोरोना जैसे भयंकर महामारी में तन मन धन से अपने जान की बाज़ी लगाकर सरकार के कार्यो में जनता के बीच निरंतर  सहयोग करने का काम किया।ऐसे वैश्विक महामारी में यह जानते हुए की संक्रमण से मृत्यु होना संभावित है बावजूद उसके उन्हें बिना किसी युक्तियुक्त सुरक्षा सामग्री  पंचायत के चुनाव में लगाया गया परिणामस्वरूप अब तक तकरीबन 1630 से ज्यादा शिक्षकों की मृत्यु भी हो गयी है तथा अभी भी निरंतर कोरोना से मरने की सूचना अन्य जनपदों से प्राप्त हो रहीं है जो दुर्भाग्यपूर्ण है दूसरी तरफ बेसिक शिक्षा मंत्री द्वारा एलानिया तौर पर दिनांक 19/5/2021 को मात्र 03 शिक्षको की कोरोना से मृत्यु होने का बयान तमाम मीडिया चैनलों पर दिया गया जो अत्यंत दुःखद शर्मनाक और अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने की नापाक कोशिश है, जिसे कामयाब नही होने दिया जाएगा।सरकार द्वारा कोष में जमा धनराशि के बावजूद मृतक पीड़ित परिवार को अभी तक मुआवजा की धनराशि उपलब्ध नही कराई है जो कष्टप्रद है उन्होंने आगे कहा कि कतिपय स्वयंभू संगठन द्वारा दिवंगत शिक्षकों शिक्षा मित्रों अनुदेशकों व कर्मचारियों के हित को दर किनार करने की साजिश के साथ प्रदेश के बेसिक शिक्षकों के एक दिन के वेतन कटौती का फरमान बिना किसी अध्यापक की सहमति के जारी करना किसी भी दशा में न्याय संगत और समीचीन नही है ऐसे संघठनों का इतिहास रहा है कि पहले संघर्ष की घोषणा की जाती है और बाद में शिक्षक हित को ताक पर रखकर संघर्ष को गुपचुप तरीके से वापस लेने की प्रक्रिया अपनाते हुए शिक्षको की  भावनाओ के साथ खिलवाड़ किया जाता है जो किसी भी दशा में सर्वमान्य नही है और न ही किसी भी दशा में होने का सवाल ही उठता है उन्होंने आगे कहा कि यदि कोई शिक्षक स्वेच्छा से अपने  शिक्षक परिवार की मदद कर रहे है तो ये उनकी अपनी मर्ज़ी है किन्तु कोई भी शिक्षक अपने वेतन से ऐसे किसी के उदघोष पर इस प्रकरण में अपने एक दिन के वेतन की कटौती पर सहमत नही है। उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग की हठ धर्मिता गलत और तुगलकी आदेश के अनुपालन में ही प्रदेश में 1630 से ज्यादा कर्मी  काल के गाल में समा गए है उनको कमपनसेट करने आर्थिक सहायता मुआवजा एवम योग्यतानुसार आश्रित परिवार के एक सदस्य को प्राथमिकता के आधार पर नौकरी देने की वैधानिक रूप से सम्पूर्ण जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व निर्वाचन आयोग की बनती है। प्रदेश अध्यक्ष साहू ने इस आशय का पत्र बेसिक शिक्षा महानिदेशक को लिखकर जनपद के समस्त जिलों के वित्त एवम लेखाधिकारी को शिक्षको के वेतन से इस परिप्रेक्ष्य में किसी भी प्रकार की कटौती न किये जाने के लिए आदेश जारी करने  तथा बिना किसी युक्तियुक्त कारण से विगत 18 माह से शिक्षकों एवम कर्मचारियों पर लागू किये जाने वाले एस्मा कानून को वापस लिए जाने की मांग की है इस आशय का पत्र उन्होंने राज्य निर्वाचन आयोग को भी प्रेषित कर रखा है।

मझवा से पहले SP मुखिया अखिलेश यादव का बनारस में जोरदार स्वागत

Varanasi (dil India live). सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव रविवार को बनारस पहुंचे। बनारस के लाल बहादुर शास्त्री अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट ...