सोमवार, 3 मई 2021
शबे कद्र की है रात, जाग रहे रोज़ेदार
पूरी रात होगी इबादत, मांगी जायेगी खुसूसी दुआएं
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। आज शबे कद्र की रात है, आज पूरी रात इबादत होगी, रोज़ेदार पूरी रात जागकर इबादत में मशगूल रहेंगे। दरअसल माहे रमजान के आखिरी दस दिनों की पांच रातों में से कोई एक रात शबे कद्र की रात होती है। इस रात में लोग जागकर रब की इबादत करते हैं। इस्लाम में इस रात को हजार रातों से अफजल बताया गया है। इसलिए रोजेदार ही नहीं बल्कि हर कोई इस रात में इबादत कर अल्लाह से खुसूसी दुआ मांगता है।
हज़ार रातों से अफज़ल है शबे कद्र की रात
रमज़ान महीने के आखरी अशरे के दस दिनों में पांच रातें ऐसी होती हैं जिन्हें ताक रातें कहा जाता है। ये हैं रमज़ान की 21, 23, 25, 27, 29 शब। इममें से कोई एक शबेकद्र की रात होती है। यह रात हजार महीनों से बेहतर मानी जाती है। इस रात में मुस्लिम मस्जिदों व घरों में अल्लाह की कसरत से इबादत करते हैं। इसमें महिलाएं और बच्चे भी घरों में इबादत करते दिखाई देते हैं। मौलाना निज़ामुददीन चतुर्वेदी कहते हैं कि कुरान में बताया गया है कि तुम्हारे लिए एक महीना रमजान का है, जिसमें एक रात है जो हजार महीनों से अफजल है। कहा कि जो शख्स इस रात से महरूम रह गया वो भलाई और खैर से दूर रह गया। जो शख्स इस रात में जागकर ईमान और सवाब की नीयत से इबादत करता है तो उसके पिछले सभी गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि यह रात बड़ी बरकतों वाली रात होती है। यह रात बड़ी ही चमकदार होती है व सुबह सूरज बिना किरणों के ही निकलता है। इस रात को मांगी गई दुआ हर हाल में कुबूल होती है।
दो अशरा हुआ पूरा
रमज़ान महीने को तीन अशरों में बांटा गया है। पहले अशरा रहमत, दूसरे को मगफिरत व तीसरे अशरे को जहन्नुम से आजादी का अशरा कहा जाता है। प्रत्येक अशरा दस दिन का होता है। आज 20 रोज़ा पूरा होने के साथ ही दूसरा अशरा मगफ़िरत का भी मुकम्मल हो गया और तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का शुरु हो गया।
ये है ज़कात देने का सही वक्त
रमज़ान का पैग़ाम (03-05-2021)
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। इस्लाम में जकात फर्ज हैं। जकात पर मजलूमों, गरीबों, यतीमों, बेवाओं का ज्यादा हक है। इस वक्त दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है। ऐसे में जल्द से जल्द हकदारों तक ज़कात पहुंचा दें ताकि वह रमजान व ईद की खुशियों में शामिल हो सकें। ये ज़कात देने का सही वक्त है। जकात फर्ज होने की चंद शर्तें है। मुसलमान अक्ल वाला हो, बालिग हो, माल बकदरे निसाब (मात्रा) का पूरे तौर का मालिक हो। मात्रा का जरुरी माल से ज्यादा होना और किसी के बकाया से फारिग होना, माले तिजारत (बिजनेस) या सोना चांदी होना और माल पर पूरा साल गुजरना जरुरी हैं। सोना-चांदी के निसाब (मात्रा) में सोना की मात्रा साढ़े सात तोला (87 ग्राम 48 मिली ग्राम ) है जिसमें चालीसवां हिस्सा यानी सवा दो माशा जकात फर्ज है।
सोना-चांदी के बजाय बाजार भाव से उनकी कीमत लगा कर रुपया वगैरह देना जायज है। जिस आदमी के पास साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या उसकी कीमत का माले तिजारत हैं और यह रकम उसकी हाजते असलिया से अधिक हो। ऐसे मुसलमान पर चालीसवां हिस्सा यानी सौ रुपये में ढ़ाई रुपया जकात निकालना जरुरी हैं। दस हजार रुपया पर ढ़ाई सौ रुपया, एक लाख रुपया पर ढ़ाई हजार रुपया जकात देनी हैं। सोना-चांदी के जेवरात पर भी जकात वाजिब होती है। तिजारती (बिजनेस) माल की कीमत लगाई जाए फिर उससे सोना-चांदी का निसाब (मात्रा) पूरा हो तो उसके हिसाब से जकात निकाली जाए। अगर सोना चांदी न हो और न माले तिजारत हो तो कम से कम इतने रूपये हों कि बाजार में साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना खरीदा जा सके तो उन रूपर्यों की जकात वाजिब होती है।
-इन्हें दी जा सकती हैं जकात
"ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशा वालों को। ऐसे छात्र को भी "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। ऊपर बताये गये लोगों को जकात तभी दी जायेगी जब सब गरीब हो, मालिके निसाब न हो।
अगर आप "मालिके निसाब" हैं, तो हक़दार को "ज़कात" ज़रुर दें, क्योंकि "ज़कात" ना देने पर सख़्त अज़ाब का बयान कुरआन शरीफ में आया है। जकात हलाल और जाइज़ तरीक़े से कमाए हुए माल में से दी जाए। क़ुरआन शरीफ में हलाल माल को खुदा की राह में ख़र्च करने वालों के लिए ख़ुशख़बरी है, जैसा कि क़ुरआन में अल्लाह तआला फ़रमाता है कि... "राहे ख़ुदा में माल ख़र्च करने वालों की मिसाल ऐसी है कि जैसे ज़मीन में किसी ने एक दाना बोया, जिससे एक पेड़ निकला, उसमें से सात बालियां निकलीं, उन बालियों में सौ-सौ दाने निकले। गोया कि एक दाने से सात सौ दाने हो गए। अल्लाह इससे भी ज़्यादा बढ़ाता है। जिसकी नीयत जैसी होगी, वैसी ही उसे बरकत देगा"।
रविवार, 2 मई 2021
रो पड़ा बनारस का सिख समुदाय
नहीं रहे गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सब्बरवाल
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी, वाराणसी के अध्यक्ष जसबीर सब्बरवाल का मेदांता अस्पताल में निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर सोमवार की सुबह बनारस पहुँचेगा। उनके निधन की खबर से बनारस का सिख पंथ शोक में डूब गया। वे अपने पीछे पत्नी, दो पुत्र व एक पुत्री का भरा परिवार छोड़ गये हैं।
जसबीर सब्बरवाल 2010 से लगातार बनारस के गुरुद्वारा प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष थे। आज ही मेदांता में ह्रदय गति रुकने से उनका निधन हो गया। सोमवार को उनका पार्थिव शरीर निवास पहुँचेगा जहां से गुरुद्वारा गुरुबाग व गुरुद्वारा नीचीबाग ले ज़ाया जायेगा। इसके बाद उनका अंतिम संस्कार होगा।
रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे
रमज़ान का पैग़ाम
(02-05-2021)
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान की नेमतों और रहमतों का क्या कहना। रमज़ान तमाम अच्छाइयां अपने अंदर समेटे है। रमज़ान का रोज़ा रोज़ेदारों के लिए रहमत व बरकत का सबब बनकर आता है। इसमें तमाम परेशानियां और दुश्वारियां बंदे की दूर हो जाती हैं। नेकी का रास्ता ऐसे खुला रहता है कि फर्ज़ और सुन्नत के अलावा नफ्ल इबादत और मुस्तहब इबादतों की भी बंदा कसरत करता है। रोज़ा कितनी तरह का होता है इसे कम ही लोग जानते हैं। तो रमज़ान के रोज़े को तीन तरह से समझे। मसलन पहला, आम आदमी का रोज़ा: जो खाने पीने और जीमाह से रोकता है। दूसरा खास लोगों का रोज़ा: इसमें खाने पीने और जीमाह के अलावा अज़ा को गुनाहों से रोज़ेदार बचाकर रखता है, मसलन हाथ, पैर, कान, आंख वगैरह से जो गुनाह हो सकते हैं, उनसे बचकर रोज़ेदार रहता है। तीसरा रोज़ा खवासुल ख्वास का होता है जिसे खास में से खास भी कहते हैं। वो रोज़े के दिन जिक्र किये हुए उमूर पर कारबन भी रहते हैं और हकीकतन दुनिया से अपने आपको बिलकुल जुदा करके सिर्फ और सिर्फ रब की ओर मुतवज्जाह रखते हैं। रमज़ान की यह भी खसियत है कि जब दूसरा अशरा पूरा होने वाला रहता है तो, 20 रमज़ान से ईद का चांद होने तक मोमिनीन मस्जिद में खुद को अल्लाह के लिए वक्फ करते है। जिसका नाम एतेकाफ है। एतेकाफ सुन्नते कैफाया है यानि मुहल्ले का कोई एक भी बैठ गया तो पूरा मुहल्ला बरी अगर किसी ने नहीं रखा तो पूरा मुहल्ला गुनाहगार। पूरे मोहल्ले पर अज़ाब नाज़िल होगा। रमज़ान में एतेकाफ रखना जरूरी। एतेकाफ नबी की सुन्नतों में से एक है। एतेकाफ का लफ्ज़ी मायने, अल्लाह की इबादत के लिए वक्फ कर देना। हदीस और कुरान में है कि एतेकाफ अल्लाह रब्बुल इज्ज़त को राज़ी करने के लिए रोज़ेदार बैठते है। एतेकाफ सुन्नते रसूल है। हदीस व कुरान में है कि हजरत मोहम्मद रसूल (स.) ने कहा कि एतेकाफ खुदा की इबादत में रोज़ेदार को मुन्हमिक कर देता है और बंदा तमाम दुनियावी ख्वाहिशात से किनारा कर बस अल्लाह और उसकी इबादतों में मशगूल रहता है। इसलिए जिन्दगी में एक बार सभी को एतेकाफ पर बैठना चाहिए। या अल्लाह ते अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने और दीगर इबादतों को पूरा करने की तौफीक दे।..आमीन।
शनिवार, 1 मई 2021
हक़ की जिन्दगी जीने की हमे तौफीक देता है रमज़ान
रमज़ान का पैगाम-17 (01-05-2021)
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। हिजरी कलैंडर का 9 वां महीना रमज़ान है, ये वो महीना जिसके आते ही फिज़ा में नूर छा जाता है, चोर चोरी से दूर होता है, बेहया अपनी बेहयाई से रिश्ता तोड़ लेता है, मस्जिदें नमाज़ियों से भर जाती हैं। लोगों के दिलों दिमाग में बस एक ही बात रहती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा इबादत की जाये। फर्ज़ नमाज़ों के साथ ही नफ्ल और तहज्जुद पर भी लोगों का ज़ोर रहता है, अमीर गरीबों का हक़ अदा करते हैं, पास वाले अपने पड़ोसियों का, कोई भूखा न रहे, कोई नंगा न रहे इस महीने में इस बात का खास ख्याल रखा जाता है। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे जहां तौफीक देता है। वहीं गरीबो, मिसकीनों, लाचारों, बेवा, और बेसहरा वगैरह की ईद कैसे हो, कैसे उन्हें उनका हक़ और अधिकार मिले यह रमज़ान ने पूरी दुनिया को दिखा दिया। यही वजह है कि रमज़ान का आखिरी अशरा आते आते हर साहिबे निसाब अपनी आमदनी की बचत का ढ़ाई फीसद जक़ात निकालता है तो दो किलों 45 ग्राम वो गेंहू जो वो खाता है उसका फितरा।
सदका-ए-फित्र ईद की नमाज़ से पहले हर हाल में मोमिनीन अदा कर देता है ताकि उसका रोज़ा रब की बारगाह में कुबुल हो जाये, अगर नहीं दिया तो तब तक उसका रोज़ा ज़मीन और आसमान के दरमियान लटका रहेगा जब तक सदका-ए-फित्र अदा नहीं कर देता। रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। परवरदिगारे आलम इरशाद फरमाते है कि माहे रमज़ान कितना अज़ीम बरकतों और रहमतो का महीना है इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि इस पाक महीने में कुरान नाज़िल हुआ।इस महीने में बंदा दुनिया की तमाम ख्वाहिशात को मिटा कर अपने रब के लिए पूरे दिन भूखा-प्यासा रहकर रोज़ा रखता है। नमाज़े अदा करता है। के अलावा तहज्जुद, चाश्त, नफ्ल अदा करता है इस महीने में वो मज़हबी टैक्स ज़कात और फितरा देकर गरीबों-मिसकीनों की ईद कराता है।अल्लाह ने हदीस में फरमया है कि सिवाए रोज़े के कि रोज़ा मेरे लिये है इसकी जज़ा मैं खुद दूंगा। बंदा अपनी ख्वाहिश और खाने को सिर्फ मेरी वजह से तर्क करता है। यह महीना नेकी का महीना है इस महीने से इंसान नेकी करके अपनी बुनियाद मजबूत करता है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सबको रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे ..आमीन।
रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब
बेरोज़ेदार को भी खुलेआम खाने पीने की इजाज़त नहीं
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। शरीयत ने जिन लोगों को रोजा न रखने की इजाजत दी है या जो बेरोज़ेदार हैं क्या वो खुलेआम सबके सामनेे खा पी सकते है ? यह सवाल रेवड़ीतालाब से शमीम ने रमज़ान हेल्पलाइन में किया तो जवाब में उलेेमा ने कहा कि बेरोज़ेदार को भी खुलेआम खाने पीने की इजाज़त शरीयत में नहीं दी गयी है। चाहे उसे शरीयत रोज़ा न रखने की छुट देता हो या न देता हो। रमज़ान अली ने सवाल किया, रमजान के रोजे की नीयत किस तरह से की जाती है। इस पर उलेमा ने जवाब दिया, नीयत दिल के इरादे का नाम है मगर जुबान से कह लेना अफज़ल है अगर रात में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म गदन लिल्लाहि तआला मिन फ रजि रमजान" और दिन में नीयत करें तो यूं कहे "नवैतु अन असू म हाजल यौम लिल्लाहि तआला मिन फरजिरमाजना"।
रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।
इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई
9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483
38000 Students को राहत देने की टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया की मांग
कामिल व फाज़िल मदरसा छात्रों को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से सम्बद्ध किया जाए-हाजी दीवान साहेब ज़मा - मदरसा नियमावली से अगे बढ...
-
मुकम्मल की कुरान तो हाफिज साहेब को मिला इनाम में Varanasi (dil India live). अमूमन मस्जिदों में मुक़द्दस रमजान की खास नमाज़ तरावीह मुकम्मल कर...
-
सुल्तान ने 275 लोगों का किया स्वास्थ्य परीक्षण निःशुल्क दवा वितरित की गई व 25 गुमशुदा बच्चों को अभिभावकों से मिलाया गया Varanasi (dil India...
-
असामाजिक तत्वों से समाज का सभी वर्ग संयुक्त रुप से करे मुकाबला : हाफिज़ उबैदुल्लाह सांप्रदायिक तत्व देश के विकास में हैं बाधक, ऐसे तत्वों के...