मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

ख़त्म हो गई एक यात्रा....


कोरोना से लड़ते हुए हीरालाल ने तोड़ दिया दम

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)।आखिर हीरालाल यादव जी ने भी आगरा मेडिकल कॉलेज में 10 दिनों तक कोरोना से लड़ते हुए दम तोड़ दिया। पर्यावरण संरक्षण से लेकर, नशा उन्मूलन, बेटियों को बचाने तक के लिए उन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी लम्बी-लम्बी साइकिल यात्राएं कर लोगों को जागरूक किया। सबसे रोचक तो यह था कि वे यह यात्राएँ बिना सीट वाली साइकिल से करते थे। जब मैं अण्डमान - निकोबार द्वीप समूह में था, उस दौरान उन्होंने मुझसे पहली बार बात की। उसके बाद वे अण्डमान भी आये और उनके चित्रों की एक प्रदर्शनी भी वहाँ लगवाई गई। फिर तो लगभग जहाँ भी पोस्टेड रहा, वे वहाँ आते रहे, मुलाकातें होती रहीं। बेहद मस्तमौला, मिलनसार, जिंदादिल और लोगों को अपना बनाने की कला उनमें बखूबी थी। उनका सामाजिक दायरा भी कभी विस्तृत था। कभी वे स्व. कल्पना चावला के पिताजी से बात कराते तो कभी सबसे कम आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव जैसे वीरों से, तो कभी सुदूर क्षेत्रों में काम कर रहे किसी पर्यावरण प्रेमी और समाज सेवी से। वे अक्सर स्कूलों में जाते और विद्यार्थियों से देश प्रेम, पर्यावरण सुरक्षा, नशा निषेध जैसे मुद्दों पर संवाद करते।  गोरखपुर से निकलकर मुम्बई तक उन्होंने जीवन के विभिन्न अनुभवों को आत्मसात किया, गरीबी को नजदीकी से देखा, पर उनका हौसला सदैव बुलंद रहा। फेसबुक पर कोरोनाग्रस्त होने के बाद उन्होंने अपनी अंतिम पोस्ट में लिखा- "मैं जीना चाहता हूँ".....पर आजीवन पर्यावरण की रक्षा हेतु घूम-घूम कर वृक्ष लगाने वाले हीरालाल यादव जी को भी कोरोना अपना ग्रास बना गया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति दें। !! ॐ शान्ति ॐ !!

(पोस्ट मास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के फेसबुक वाल से)


#HiralalYadav #Cyclist #environmentalist

रमज़ान का पैग़ाम-14 (27-04-2021)


आओ खुशी मनाओ, ये जश्न है 
जन्नत के सरदार’ का

वाराणसी (दिल इंडिया ल़इव)। रमज़ान का चांद होते ही शैतान गिरफ्तार कर लिया जाता है और जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं। यह भी रमज़ान की खासियत है कि इसमें नबी-ए-करीम (स.) के बड़े नवासे जन्नत के सरदारशेरे खुदा मौला अली व बीबी फातेमा के साहबज़ादे इमाम हसन की पैदाइश 15 रमज़ान सन् हिजरी को मदीना मुनव्वरा में हुई थी। यही वजह है कि जन्नत के सरदार का हम जश्न मनाते हैं। 

ऐसे ही मुकद्दस रमज़ान की 21 तारीख को ही मुश्किलकुशा हजरत मौला अली की मस्जिदें कुफा में शहादत हुई थी। हज़रत अली काबा में पैदा हुए और मस्जिद में शहीद हुए। मुश्किलकुशा हजरत अली फरमाते हैं कि जब रोज़ेदार इफ्तार के वक्त दुआ करता है तो वो ज़रुर कुबुल होती है और रोज़ा जिस्म की ज़कात है। परवरदिगार फरमाता है कि माहे रमज़ान कितना बरकतों और रहमतो का महीना है इसका अंदाजा बंदा इसी से लगा ले कि इस महीने में हमने दुनिया की सबसे मुकद्दस किताब कुरान मजीद नाज़िल फरमाया है। 

छठवें इमाम ज़ाफर सादिक ने फरमाया कि जिन चीज़ों से रोज़ा टूटता है उसमें झूठगीबतचुगलखोरीदो मोमिन के बीच लड़ाई करानाकिसी के लिए गलत नज़र रखनाझूठी कसम खाना शामिल है। रोज़ा तकवे का सबब और अल्लाह की नज़दीकी हासिल करने का ज़रिया है। रोज़ा जहन्नुम से बचाने की ढाल है और जन्नत में दाखिले का ज़रिया है। ऐ अल्लाह तू हम सबको सही राह दिखा। परवरदिगार हम सबको रमज़ान के रोज़े रखने की तौफीक दे और रोज़े की कामयाबी पर सभी को ईद की खुशियां दे...आमीन 

              सैयद फरमान हैदर

       {प्रवक्ताशिया जामा मस्जिद वाराणसी}

सोमवार, 26 अप्रैल 2021

रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

खजूरकिशमिशमुनक्के पर भी निकाल सकते हैं फितरा

-ईद की नमाज़ के पहले अदा कर दें सदका-ए-फित्र

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान में फितरा कितना निकाला जाना चाहिए हैयह सवाल नसीम ने दालमंडी से किया। जवाब में उलेमा ने कहा कि किलो 45 ग्राम वो गेंहू जिस क्वालिटी का मोमिनीन खाने में इस्तेमाल करते है उस के हिसाब से एक आदमी को अपना फितरा निकालना है। इसका खास ध्यान रखने की ज़रुरत है कि हम किस क्वालिटी का गेंहू खाते हैं। मसलन आप अगर 20 रुपये किलों का गेंहू खाते हैं तो यह रकम तकरीबन 45 रुपये आती है। शब्बीर ने रामनगर से फोन किया कि गेंहू के अलावा और भी कुछ निकाला जा सकता हैइस पर उलेमा ने कहा कि जो अमीर है वो जौखजूरकिशमिश व मुनक्का जिस क्वालिटी का खाते हैं उस पर भी फितरा दें तो ज्यादा अफज़ल होगा। क्यों कि गेंहू सबसे सस्ता हैजो लोग केवल गेहूं पर डिपेंड है उनके लिए तो ठीक है मगर जो अमीर हैजौखजूरकिशमिश व मुनक्का भी लगातार इस्तेमाल करते हैं उन्हें चाहिए कि इसमें से किसी एक के बराबर फितरा निकाल कर गरीब को ईद की नमाज़ के पहले अदा कर दें। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।


इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाईके लिए उलेमा मौजूद हैं। मोबाइल नम्बर-: 9415996307, 9450349400, 9026118428,  9554107483

रमजान में नाजिल हुई थीं आसमानी किताबें



रमज़ान का पैग़ाम -13 

(26-04-2021)

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) यूं तो साल का सारा दिन और सारी रात अल्लाह के बनाये हुए हैंलेकिन रमज़ान महीने के दिन व रात को कुछ खास खुसूसियत हासिल है। इसकी वजह यह है कि मुकद्दस रमज़ान महीने के एक-एक पल को अल्लाह ने अपना बताया है। यह महीना बरकतों और रहमतों का है। इस महीने में इबादतों का सवाब कई गुना ज्यादा खुदा अता फरमाता है। इस महीने में मुकद्दस कुरान शरीफ नाज़िल हुई। रमज़ान में एक रात ऐसी भी है जो हज़ार महीनों की इबादत से बेहतर है। इसे शबे कद्र कहते हैं। इस रात हज़रत जिबरीले अमीन दूसरे फरिश्तों के साथ अर्श से ज़मी पर रहमतें लेकर नाज़िल हुए थे। यह वो महीना है जिसमें तोहफे हजरते इब्राहिम (हजरत इब्राहिम की पाक किताब) नाज़िल हुई। इसी महीने में हजरते मूसा की किताब तौरेत का भी नुज़ूल हुआ और यही वो महीना है जिसमें हजरते ईसा की किताब इंजील आसमान से उतारी गयी। इस महीने में बहुत सी मुबारक बातें पेश आयीं जिनसे इसकी फज़ीलत में चार चांद लग गया है। नज़ीर के तौर पर रसूले इस्लाम के पौत्र इमाम हसन मुजतबा पन्द्रह रमज़ान को पैदा हुए। इस्लामी लश्कर ने बद्र और हुनैन जैसी जंगों को इसी महीने में जीता। मुकद्दस रमज़ान में ही मुश्किलकुशा मौला अली की शहादत हुई जिससे पूरी दुनिया में उनके मानने वाले गमज़दा हुए मगर हज़रत अली ने इसे अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी कामयाबी बताया। हज़रत अली मुश्किलकुशा कहते हैं कि रोज़ा इसलिए जरूरी किया गया है ताकि बंदे के एखलाक को आज़माया जा सके और उनके खुलूस का इम्तेहान लिया जा सके और यही सच्चाई है कि दूसरे सारे फर्ज़ में इंसान कुछ करके अल्लाह ताला के हुक्म पर अमल करता है मगर रोज़े में कुछ चीज़ों को अंजाम न देकर अपने फर्ज़ को पूरा करके खुदा के हुक्म को मानता है। दूसरे किसी भी अम्ल में दिखावे की संभावना रहती है मगर रोज़े में ऐसा नहीं हो सकता। अल्लाह का कोई बंदा जब खुलूसे नीयत के साथ उसे खुश करने के लिए रोज़ा रखता है तो उसके बदले में खुदा भी उसकी दुआओं को क़ुबूल करता है। जैसा की रसूले अकरम (स.) और उनके मासूम वारिसों ने फरमाया है कि रोज़ेदार इफ्तार के वक्त कोई दुआ करता है तो उसकी दुआ वापस नहीं होती। ऐ पाक परवरदिगार हमें रोज़ा रखने की तौफीक दे। ताकि हमारी दुआओं में असर पैदा हो सके और खुदा के फैज़ से हमारी ईद हो जाये..आमीन। 

                    मौलाना नदीम असगर

शिया आलिम (जव्वादिया अरबी कालेजवाराणसी)

रविवार, 25 अप्रैल 2021

प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र का निधन

डीएवी के पुरातन छात्र थे पंडित राजन मिश्र

वााराणसी(दिल इंडिया लाइव)। पद्म भूषण शास्त्रीय गायक पंडित राजन मिश्र का कोरोना से दिल्ली के सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल में निधन हो गया। अस्पताल में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। बनारस घराने के प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र के निधन की खबर जैसे ही काशी पहुँची।लोग शोकाकुुल हो गये। यही नही देश दुनिया के तमाम संगीत प्रेमियों में इस महान शास्त्री गायक के जाने का ग़म है। 


वाराणसी के डीएवी पीजी कालेज में पूर्व छात्र एवं प्रख्यात शास्त्रीय गायक पण्डित राजन मिश्र के आकस्मिक निधन पर डीएवी पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्यदेव सिंह ने गहरा दुःख व्यक्त किया। अपने शोक संदेश में डॉ. सिंह ने कॉलेज के पुरातन छात्र पद्म भूषण पंडित राजन मिश्र के योगदान को याद करते हुए कहा कि महाविद्यालय को जब भी उनकी आवश्यकता हुई, वे हर मौके पर उपलब्ध रहे। उनके निधन से सम्पूर्ण महाविद्यालय में शोक की लहर है। उनके निधन से कॉलेज परिवार की व्यक्तिगत क्षति हुई है, जिसकी भरपाई कभी नही हो सकती है। महाविद्यालय के मंत्री/प्रबंधक श्री अजीत कुमार सिंह ने भी अपने निकट सम्बन्ध को याद करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है।

ज़कात का पैसा निकालो तो फौरन हक़दार को अदा करो

रमज़ान हेल्प लाईन: आपके सवालों का जवाब दे रहें हैं मुफ्ती साहब

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मैंने ज़कात का पैसा निकाला ही था कि एक अज़ीज ने उधार माग लिया कि, 15 दिन में दे देंगे मगर रमज़ान बीतने वाला हैअब तक ज़कात का पैसा नन्हीं मिला। मेरे लिए मुफ्ती साहब क्या हुक्म हैरमज़ान हेल्प लाईन में सरैया के वसीम अहमद के इस सवाल के जवाब में उलेमा ने कहा कि ज़कात की जब नियत कर ली थी तो ज़कात का पैसा निकालने के बाद उस पर आपका भी कोई हक़ नहीं रहा, किसी को देने का तो सवाल ही नहीं उठता। ये सरासर गलत हैक्यों कि जब ज़कात का पैसा निकाला जाये तो उसे फौरन हक़दार को दे दिया जाये। उलेमा ने कहा कि जब वो शख्स रकम देगा तो ज़कात देना है अगर उसने वक्त पर रकम नहीं दी तो आपको ताबान देना होगायानी अपने पास से रकम देना होगा। जब वो दे दे तो उसे रख लें। रोज़ेदार रोज़ा पहले खोले की पहले दुआ पढ़ी जायेमो. रज़ा ने यह सवाल किया 

लोहता से
जिस पर उलेमा ने कहा कि पहले बिस्मिल्लाह करके रोज़ा खोले फिर रोज़े की दुआ पढ़े। रमज़ान हेल्प लाइन में आये इन सवालों का जवाब मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबीसेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मदरसा खानमजान के उस्ताद मौलाना अज़हरुल कादरी ने दिया।

इन नम्बरों पर होगी रहनुमाई

9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

रमज़ान का पैग़ाम-12(25-04-2021)

 सब्र व एखलाक में नरमी सिखाता है रमजान


वाराणसी (दिल इंडिया लाइव) मुकद्दस रमज़ान हमें सब्र करने के साथ ही अपने एखलाक में नरमी की सीख भी देता है। रमज़ान दूसरे मज़हब के साथ मिल्लत का पैगाम देता है। इसकी वजह यह है कि एक रोज़ेदार को रमज़ान में अल्लाह ने हर उस काम से बचने का हुक्म दिया हैजिसकी इजाज़त शरीयत नहीं देती। इसी के चलते 12 महीनों में इस एक महीने का अपना अलग मुकाम है। रमज़ान इबादत और अदब का महीना तो है ही साथ ही इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही बेशुमार इबादत करते हुए तमाम तरह का सब्र अख्तियार करता है। मेरे प्यारे नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। रमज़ान में मासूम बच्चों व नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लोयह महीना इबादत और अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि रमज़ान आते ही बंदियों को रिहा कर दो। इस महीने में झगड़ा और फसाद को सख्ती से मना फरमाया गया है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि मारपीटबहसलड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करें। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छा समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथदूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करेपड़ोसी मुसलमान हो या हिन्दू या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाए। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम करार दिया गया है। मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने वाली हरकतों से बचना चाहिए। यह महीना बक्शीश का महीना है। इसलिए बंदों को चािहए कि अल्लाह और उसके रसूल से अपने तमाम गुनाहों के लिए रो-रोकर माफी मांगे। देर रात तक खूब इबादत करे। ऐ परवरदिगार तू नबी-ए-करीम के सदके में हम सबको रोज़ा रखनेइबादत करने की तौफीक दे ताकि हम सबकी जिन्दगी कामयाब हो जाये.. आमीन।

           

               मो. शाहिद खां

{सदरहिन्दुस्तानी तहजीब वाराणसी}

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...