कोरोना से लड़ते हुए हीरालाल ने तोड़ दिया दम
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)।आखिर हीरालाल यादव जी ने भी आगरा मेडिकल कॉलेज में 10 दिनों तक कोरोना से लड़ते हुए दम तोड़ दिया। पर्यावरण संरक्षण से लेकर, नशा उन्मूलन, बेटियों को बचाने तक के लिए उन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी लम्बी-लम्बी साइकिल यात्राएं कर लोगों को जागरूक किया। सबसे रोचक तो यह था कि वे यह यात्राएँ बिना सीट वाली साइकिल से करते थे। जब मैं अण्डमान - निकोबार द्वीप समूह में था, उस दौरान उन्होंने मुझसे पहली बार बात की। उसके बाद वे अण्डमान भी आये और उनके चित्रों की एक प्रदर्शनी भी वहाँ लगवाई गई। फिर तो लगभग जहाँ भी पोस्टेड रहा, वे वहाँ आते रहे, मुलाकातें होती रहीं। बेहद मस्तमौला, मिलनसार, जिंदादिल और लोगों को अपना बनाने की कला उनमें बखूबी थी। उनका सामाजिक दायरा भी कभी विस्तृत था। कभी वे स्व. कल्पना चावला के पिताजी से बात कराते तो कभी सबसे कम आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव जैसे वीरों से, तो कभी सुदूर क्षेत्रों में काम कर रहे किसी पर्यावरण प्रेमी और समाज सेवी से। वे अक्सर स्कूलों में जाते और विद्यार्थियों से देश प्रेम, पर्यावरण सुरक्षा, नशा निषेध जैसे मुद्दों पर संवाद करते। गोरखपुर से निकलकर मुम्बई तक उन्होंने जीवन के विभिन्न अनुभवों को आत्मसात किया, गरीबी को नजदीकी से देखा, पर उनका हौसला सदैव बुलंद रहा। फेसबुक पर कोरोनाग्रस्त होने के बाद उन्होंने अपनी अंतिम पोस्ट में लिखा- "मैं जीना चाहता हूँ".....पर आजीवन पर्यावरण की रक्षा हेतु घूम-घूम कर वृक्ष लगाने वाले हीरालाल यादव जी को भी कोरोना अपना ग्रास बना गया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति दें। !! ॐ शान्ति ॐ !!
(पोस्ट मास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव के फेसबुक वाल से)
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Afsosh
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