शनिवार, 17 अप्रैल 2021
कोरोना का काशी में कहर
शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021
ये है दो दिन के लिए गाइड लाइन
दूध, ब्रेड, फल की दुकाने 10 बजे तक रहेगी खुली
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। वाराणसी में शनिवार और रविवार की बंदी में केवल दूध, ब्रेड, सब्जी, फल की दुकानें सुबह 10 बजे तक खुलेंगी। डीएम कौशल राज शर्मा की ओर से जारी आदेश के अनुसार जिन लोगों ने पारिवारिक कार्यक्रमों की अनुमति पूर्व में ली हैं। वे इस प्रतिबंध से मुक्त रहेंगे।
इस दौरान यात्री, मरीज, कोविड टेस्ट कराने वाले तथा वैक्सीनेशन कराने वालों के आवागमन व इनके वाहनों/टैक्सी/ऑटो/ई-रिक्शा पर प्रतिबंध नहीं होगा। अब वाहनों का आवागमन व जनसामान्य का घर से बाहर निकलना व सभी व्यापारिक व व्यवसायिक गतिविधियों को रात आठ बजे से सुबह सात बजे तक प्रतिबंधित किया गया है। वही रविवार का लाकडाउन 15 मई तक जारी रहेगा।2002 कोरोना पाजीटिव
रमज़ान का पैगाम-4(16-4-2021)
इबादत ही नही अदब भी सिखाता है रमज़ान
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान इबादत ही नही अदब भी सिखाता है, रमजान का महीना बेशुमार नेमतो वाला है। इस पूरे महीने एक रोज़ेदार नफ्स पर कंट्रोल के साथ ही इबादत और सब्र करता है। नबी (स.) ने फरमाया है कि ये महीना सब्र का है और सब्र का बदला जन्नत है। इस महीने के अंदर बाल-बच्चों और नौकरों से ज्यादा मेहनत व कड़े काम न लो, यह महीना इबादत के साथ ही अदब व एहतराम का भी महीना है। इस महीने में जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते हैं और जहन्नुम के दरवाज़े बंद कर दिये जाते हैं। रमज़ान में अल्लाह के रसूल का हुक्म है कि बंदियों को इस महीने में रिहा कर दो, रमज़ान में झगड़ा और फसाद से सख्ती से बचो। मोमीन को चाहिए कि मारपीट, बहस, लड़ाई-झगड़ा छोड़कर अमन और मिल्लत की नज़ीर पेश करे। जैसा हमारा रब चाहता है हमारे नबी (स.) चाहते हैं। नबी (स.) ने इरशाद फरमाया कि कोई रोज़े की हालत में गाली दे दे या तुम्हें मारने पर अमादा हो जाये तो उसे बता दो कि मैं रोज़ा हूं और मैं झगड़ा नहीं चाहता। रोज़ेदार रमज़ान का रोज़ा रख कर जहां ज़ाति तौर पर अपनी इस्लाह करता है वहीं वो एक अच्छे मोआशरे यानी बेहतर समाज भी बनाता है। ऐसे तो हर महीने हर दिन हर घंटे इंसान को पड़ोसियों के साथ, दूसरे मज़हब के साथ नरमी का हुक्म है मगर रमज़ान में खुसूसियत के साथ एक परिवार दूसरे परिवार का हक अदा करें, पड़ोसी मुसलमान हो या दूसरे मजहब का उसके साथ नरमी बरती जाये। यूं तो हर दिन झगड़ा करना हराम है मगर इस बरकत वाले महीने की बरकत हासिल करने के लिए पूरे महीने रोज़दार को अपनी और दूसरों को तकलीफ पहुंचाने वाली हरकतों से बचना चाहिए। और अपनी पिछली गुनाहों से माफी मांगनी चाहिए। यह महीना बक्शीश का महीना है। इस महीने में जहां पर उनके गुनाहों की माफी होगी वहीं रोज़ा उसकी गुनाहों के लिए कफ्फारा भी है। अल्लाह हम सबको रमज़ान की नेयमत अता करे, और सबको ईद की खुशियां दे.. आमीन
मुफ्ती मौलाना हारुन रशीद नक्श्बंदी
{प्रमुख उलेमा वाराणसी}
मधुमेह पीड़ित भी रख सकते है रोज़ा, लज़ीज पकवानों का ले सकते है लुत्फ
मधुमेह से हैं पीड़ित तो मीठे को करे बाय बाय
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। मुसिलमों के सबसे बड़े त्योहार ईद की बुनियाद रमज़ान है। पहले रमजान आता है जिसमें पूरे महीने मोमिनीन रोज़ा रखते हैं। रमज़ान का आगाज़ हो चुका है। रमज़ान मुकम्मल होने पर ईद आयेगी। जब तक ईद नहीं आती तब तक पूरा महीना रमज़ान जोश-ओ-खरोश के मनाया जाता है। लोग अपने घरों में तरह तरह के पकवान बनाते हैं और एक दूसरे के साथ मिल बांटकर दिन भर रोज़ा रखने के बाद शाम में लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठाते हैं। काफी लोग यह सोचते है कि रमज़ान का पकवान मधुमेह से पीड़ित नही ले सकते है इसलिए काफी मधुमेह पीड़ित रोज़ा रखने से भी बचते है, जबकि चिकित्सको का कहना है कि मधुमेह से पीड़ित हैं तो भी आप रोज़ा रख सकते है और लज़ीज पकवानों का लुत्फ उठा सकते है, बस आपको बचना है, मीठे से। रमज़ान के साथ आपकी ईद भी हंसी-खुशी बीत जाये इसके लिए हमें रमज़ान में खास ख्याल रखना पड़ेगा। खास कर ऐसे मौकों पर जब घर में लज़ीज मीठे पकवान बनते हैं तो डायबिटीज के मरीजों के लिए बड़ी दिक्कत हो जाती है। क्यों कि इन लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका लेने से इफ्तार में वो अपने को रोक नहीं पाता, या तो कोई उसे खिला देता है या फिर वो खुद मीठे पकवान खा लेता है। बेहतर हो कि आप अपनी केस हिस्ट्री लेकर नज़दीकी चिकित्सक से सम्पर्क करे और उनसे उचित सलाह ले कर रोज़ा रखे, मीठे से बचते हुए लज़ीज इफ्तारी का ज़ायका ले और ईद भी मनाये है।
खुद ही अपने स्वास्थ्य का रखना पड़ेगा ध्यान
जनता सेवा हास्पिट्ल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. अकबर अली की माने तो रमज़ान में मधुमेह के मरीज़ों को खुद ही अपने स्वास्थ का ध्यान रखना पड़ेगा। क्योंकि अगर कोई मुश्किल आ गई तो रमज़ान का रोज़ा तो जायेगा ही साथ ही उसके ईद का भी मज़ा फीक़ा हो सकता है। इसलिए डायबिटीज़ के मरीज़ों को थोड़ा ख्याल रखने और एहतेयाद की ज़रूरत है। चिकित्सक डा. गुफरान जावेद की माने तो रोजे के दौरान शाम में इफ्तार के वक्त हर हाल में मीठे शर्बत व मीठें पकवान से परहेज़ करें तो मुश्किल टल सकती है, और ईद की खुशियां दुगनी हो सकती है।
क्या है हाइपरगिलेसेमिया ?
रोजे के दौरान मधुमेह के मरीज़ों को ग्लूकोज में अचानक गिरावट होने से हाइपोगिलेसेमिया हो सकती है इसमें मरीज को चक्कर और बेहोशी आने लगती है। हाथ-पांव ठंडे पड़ जाते हैं। रोजे के दौरान मरीज के खून में शुगर की मात्रा अधिक हो सकती है जिसे हाइपरगिलेसेमिया कहा जाता है। जिसमें मरीजों की आंखों के सामने धुंधलापन, बेहोशी, कमजोरी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती है। ऐसी स्थिति में रोज़ा रखने से पूर्व अपने चिकित्सकों से परामर्श ज़रूर ले कि उन्हें सहरी में क्या खाना है और इफ्तार व खाने में उन्हें रात को क्या लेना है।
इन बातों को न करें नजरअंदाज
-जिन फलों में मीठा अधिक हो उनका सेवन ना करें।
-जितनी भूख हो उतना ही खाएं, रोजा समझकर ज्यादा ना खाएं।
-मीठे चीजों को एकदम दूरी बनाएं रखें।
-अपने आहार में रस भरे फल, सब्जियां, जूस और दही में चीनी का सेवन ना करें।
-भोजन और सोने के बीच दो घंटे का अंतराल रखें।
-सोने से पहले किसी भी कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार का सेवन ना करें।
-अधिक तले भोजन से परहेज करें, रोटी और चावल में स्टार्च होता है इसलिए इनका भोजन भी कम ही करें।
रमज़ान हेल्प लाइन
इन नम्बरों पर होगी आपकी रहनुमाई
रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद हैं। इन नम्बरों पर बात करके आप अपनी दुश्वारी का हल निकाल सकते हैं। मोबाइल नम्बर ये है-: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483
गुरुवार, 15 अप्रैल 2021
रमज़ान का पैगाम : 3 (15-4-2021)
रमज़ान जरुरतमंदों बेसहारों की मदद का महीना
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमजान है, मुस्लिम वर्ग इस माहे रमज़ान को परम पवित्र मानता है। मुसलमानों के अकीदे (विश्वास) के अनुसार इसी माह मुसलमानों को सबसे पवित्र किताब कुरान मिली। रमज़ान का महीना चांद के हिसाब से कभी 29 व कभी 30 दिनों का होता है। कुरान के सूरा 2 आयत 183,184 में है की हर मोमिन को इस पाक महीने में अहले सुबह से लेकर शाम तक सूरज डूबने तक कुछ भी खाने-पीने की मनाही रहती है इस माह अल्लाह रोजेदारों वह इबादतगारो की हर मुराद को अन्य दिनों की बनिस्बत जल्दी पूरी करता है। इस पवित्र माह में गुनाहों से बख्शीश मिलती है यह महीना समाज के गरीब बेसहारा जरूरतमंदों के साथ हमदर्दी का है। इस् माह रोजेदारों को बेशुमार नेयमते मिलती है, इस महीने तमाम गुनाह माफ होती है। यह महीना मुसतहक लोगों की मदद का महीना है। रमजान के ताल्लुक से हमें बेशुमार हदीसे मिलती है लेकिन क्या हम इस पर अमल करते हैं। जब अल्लाह की राह में देने की बात आती है तो हमें कंजूसी नहीं करनी चाहिए अल्लाह की राह में खर्च करना अफज़ल है। जकात, फितरा, खैरात जरूरतमंदों की मदद करना जरूरी है। अपनी जरूरीयात को कम कर दूसरों की जरुरीयात को पूरा करना इस माहे मुबारक कि ही तालीम हैैै।माहे रमज़ान में तमाम मोमिनीन इबादतो के ज़रिये अपने गुनाहों को माफ करा कर नेकियों में शामिल हो जाता है। यह महीना बुरी बातो से बचने, नेकी के रास्ते पर चलने कि तमाम लोगो को दावत देता है, अब हमारे उपर है कि हम इस माहे मुबारक का कितना फायदा उठाते है, कितना नेकी कि बातो पर हम सब अमल करते है। मौला हर मुसलमान को नेकी कि राह दिखा…आमीन।
सै० सबील हैदर वाराणसी
{नेशनल फुटबालर}
रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद है, इन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483
रमज़ान का पैगाम-2 (14-4-2021)
रमजान की रूहानी चमक से फिर रोशन हुई दुनिया
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। बंदे को हर बुराई से दूर रखकर अल्लाह के नजदीक लाने का मौका देने वाले पाक महीना रमजान की रूहानी चमक से दुनिया एक बार फिर रोशन हो चुकी है, और फिजा में घुलती अजान और दुआओं में उठते हाथ खुदा से मुहब्बत के जज्बे कि मिसाल पेश कर रहे हैं। दौड़-भाग और खुदगर्जी भरी जिंदगी के बीच इंसान को अपने अंदर झांकने और खुद को अल्लाह की राह पर ले जाने की प्रेरणा देने वाले रमजान माह में भूख-प्यास समेत तमाम शारीरिक इच्छाओं तथा झूठ बोलने, चुगली करने, खुदगर्जी, बुरी नजर जैसी सभी बुराइयों पर लगाम लगाने की मुश्किल कवायद रोजेदार को अल्लाह के बेहद करीब पहुंचा देती है। वाराणसी के युवा पत्रकार मो. रिज़वान का नज़रिया देखे...
रमजान की फजीलत
माहे रमजान में रोजेदार अल्लाह के नजदीक आने की कोशिश के लिए भूख-प्यास समेत तमाम इच्छाओं को रोकता है। बदले में अल्लाह अपने उस इबादत गुजार रोजेदार बंदे के बेहद करीब आकर उसे अपनी रहमतों और बरकतों से नवाजता है, इस्लाम की पांच बुनियादों में रोजा भी शामिल है और इस पर अमल के लिए ही अल्लाह ने रमजान का महीना मुकर्रर किया है। खुद अल्लाह ने कुरान शरीफ में इस महीने का जिक्र किया है। रमजान इंसान के अंदर जिस्म और रूह है। आम दिनों में उसका पूरा ध्यान खाना-पीना और दीगर जिस्मानी जरूरतों पर रहता है लेकिन असल चीज उसकी रूह है। इसी की तरबीयत और पाकीजगी के लिए अल्लाह ने रमजान बनाया है रमजान में की गई हर नेकी का सवाब कई गुना बढ़ जाता है। इस महीने में एक रकात नमाज अदा करने का सवाब 70 गुना हो जाता है। साथ ही इस माह में दोजख के दरवाजे भी बंद कर दिए जाते हैं, जन्नत के दरवाज़े खोल दिये जाते है।
रमज़न के तीन अशरे
अमूमन 30 दिनों के रमजान माह को 10-10 दिन केे तीन अशरों में बांटा गया है। पहला अशरा ‘रहमत’ का है। इसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमत की दौलत लुटाता है। दूसरा अशरा ‘बरकत’ का है जिसमें खुदा बरकत नाजिल करता है जबकि तीसरा अशरा ‘मगफिरत’ का है। इस अशरे में अल्लाह अपने बंदों को गुनाहों से पाक कर देता है।
इस माह की विशेषताएं
महीने भर के रोज़े रखना, रात में तरावीह की नमाज़ पढना, क़ुरान की तिलावत करना, एतेकाफ़ में बैठना, अल्लाह से दुआ मांगना, ज़कात देना, अल्लाह का शुक्र अदा करना। इसीलिये इस माह को नेकियों और इबादतों का महीना माना जाता है। तरावीह की नमाज़ में महीना भर कुरान पढना। जिससे क़ुरान पढना न आने वालों को क़ुरान सुनने का सबाब ज़रूर मिलता है।रमजान को नेकियों का मौसम-ए-बहार कहा गया है। रमजान को नेकियों का मौसम भी कहा जाता है। इस महीने में मुसलमान अल्लाह की इबादत ज्यादा करता है। अपने अल्लाह को खुश करने के लिए रोजो के साथ, कुरआन, दान धर्म करता है यह महीना समाज के गरीब और जरूरतमंद बंदों के साथ हमदर्दी का है, इस महीने के गुज़रने के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद उल-फ़ित्र मनाते हैं। यानी जिसने माह भार रोज़ा रखा ईद उसी की है। या हर मुुसलमान को रोज़ा रखने कि तौफीक देेे…आमीन।
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