बुधवार, 24 मार्च 2021

अली अकबर की विलादत् पर सजी मेहफिलें

कई जगह हुई दुआख्वानी, दिलाई गयी फातेहा

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। शहीदे करबला इमाम हुसैन के बेटे जनाबे अली अकबर की विलादत् का जश्न शहर भर मे जोश ओ खरोश के साथ मनाया गया। उनकी जयंती का १४०० साल हुआ पुरा। जनाबे अली अकबर के बारे मे ये मशहूर है के उनकी शक्ल हज़रत मुहम्मद (स.) से मिलती थी। इमाम हुसैन कहा करते थे के जब मुझे मेरे नाना हज़रत मुहम्मद को देखना होता तो मैं अपने बेटे अली अकबर को देख लिया करता। ये वही अली अकबर है जिन्होंने करबला मे अपनी शहादत पेश की थी। केवल १८ वर्ष के थे अली अकबर। आज सुबह से ही मेहफ़िलों का सिलसिला शुरू हो गया। मदनपुर, भेलूपुरा, बजरडीहा, रामनगर, दोषीपुरा, दलमंडी, चौक, पठानी टोला, कच्चीबगा, लल्लापुरा, आदि शेत्रो मे महफ़िलों का दौर चला। कई शायरो ने कलाम पेश किये। जिसमे मुख्य रूप से प्रोफेसर अज़ीज़ हैदर बनारसी, रिजवान बनारसी, अथर बनारसी, रोशन बनारसी, मेहंदी बनारसी, अंसार बनारसी, वफा बनारसी, आदि लोग शामिल रहे। कई नए उभरते हुए नौजवानों ने भी कलाम पेश किया जिसमे आशूर बनारसी, नक़वी बनारसी, अमीर बनारसी, आदि लोग शामिल रहे। कई जगह ओल्मा ने तक़रीर भी की। जिसमे मुख्य रूप से मौलाना अक़ील हुसैनी, मौलाना ज़मीरुल हसन, मौलाना इकबाल हैदर, मौलाना ज़ाएर हुसैन, आदि लोग शामिल रहे। शिया मस्जिद के परोवक्ता हाजी फरमान हैदर करबालाई ने बताया के जनाबे अली अकबर  ९ रजब को सन ४२ हिजरी मदीने मे पैदा हुए थे। उनकी माँ का नाम उम्मे लैला था। इस दौरान सभी लोगों ने आज उन्हे याद किया और फातेहा दिलाई, और लोगों मे फल, मेवा, मिठाई, आदि का तबर्रूक तकसीम किया गया।

कुपोषण के दर्द को पोस्टर में किया अभिव्यक्त

डीएवी का ऑनलाइन एनएसएस शिविर 

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। डीएवी पीजी काॅलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना की आठों इकाईयों द्वारा चल रहे सप्ताहव्यापी विशेष शिविर के चौथे दिन पोषण आहार पर केन्द्रित रहा। आनलाइन चल रहे शिविर में बुधवार को स्वयंसेवकों ने पोषण आहार और सरकार द्वारा चलायें जा रहे पोषण कार्यक्रम पर पोस्टर एवं स्लोगन के जरियें कुपोषण से बचाने का संदेश दिया। इसके साथ ही भाषण प्रतियोगिता में भी बच्चों और महिलाओं को कुपोषण से बचाने के तरीकों पर प्रकाश डाला गया। विभिन्न सत्रों में आयोजित शिविर में पहले सत्र में बीएचयू के डेयरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. विनोद कुमार पासवान ने सर्वोत्तम पोषण आहार का उल्लेख करते हुए स्वयंसेवकों को बतलाया कि प्रोटीन युक्त भोजन ही सबसे उपयुक्त है, जिससे शरीर की सभी पोषण सम्बन्धी आवश्यकताए पूरी हो पाती है। उन्होंने आहार में तले भूने पदार्थ को छोड़ने और फल, हरी सब्जियों के प्रयोग को बढ़ाने का भी सुझाव दिया। दूसरे सत्र में मुख्य वक्ता बीएचयू के ही नेशनल फैसिलिटी सेन्टर के वैज्ञानिक डाॅ. सत्य प्रकाश पाण्डेय ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए गतिविधियों को सीमित करने की आवश्यकता है और ज्यादातर आयोजन सामाजिक दूरी को दृष्टिगत रखते हुए आनलाइन मंचों के माध्यम से ही करना चाहिए। तीसरे सत्र में स्वयंसेवकों ने पोषण आहार, कुपोषण से बचाव के तरीकों सहित कोविड-19 से बचाव एवं प्रभाव के तरीकों पर पोस्टर बनाया तथा भाषण प्रतियोगिता में प्रतिभाग किया। संचालन कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. प्रतिमा गुप्ता, डाॅ. शशिकान्त यादव, डाॅ. नजमूल हसन, स्वागत डाॅ. मीनू लाकड़ा, डाॅ. अखिलेन्द्र सिंह, डाॅ. शिवनारायण ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. सिद्धार्थ सिंह एवं डाॅ. राकेश कुमार मीना ने दिया।

मंगलवार, 23 मार्च 2021

गांधी जी भगत सिंह के मार्ग अलग लेकिन लक्ष्य एक था

युगों तक युवाओं को प्रेरणा देगा भगत सिंह का जीवन

एनएसएस का तीसरा दिन रहा शहीदों के नाम

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। डीएवी पीजी काॅलेज की राष्ट्रीय सेवा योजना की आठों इकाईयों द्वारा चल रहे सप्ताहव्यापी विशेष शिविर के तीसरे दिन विभिन्न सत्रों में आनलाइन व्याख्यान आयोजित हुए, उसके साथ ही स्वयंसेवकों द्वारा काव्यपाठ एवं भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ। प्रथम सत्र में सामाजिक कार्यकर्ता एवं आरटीआई एक्टिविस्ट डाॅ. धनंजय त्रिपाठी ने शहीद दिवस की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि गांधी और भगत सिंह के मार्ग अवश्य अलग थे लेकिन दोनों का लक्ष्य एक ही था। दोनों ने देश को स्वाधीन देखने के लिए साधना की। भगत सिंह का जीवन युवाओं के लिए युगों युगों तक आदर्श और प्रेरणा प्रदान करने वाला रहेगा।

द्वितीय सत्र में हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. राकेश कुमार द्विवेदी ने स्वतंत्रता संघर्ष और हिन्दी पत्रकारिता विषय पर स्वयंसेवकों को विस्तृत जानकारी से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि आजादी के पूर्व पत्रकारिता का मूल उद्देश्य ही स्वतंत्रता आन्दोलन का नेतृत्व करना था। महात्मा गांधी, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, प्रताप नारायण मिश्र, मुंशी प्रेमचन्द्र आदि विभूतियों ने साहित्य के साथ साथ पत्रकारिता को भी स्वाधीनता आन्दोलन का बड़ा हथियार बनाया। तीसरे सत्र में स्वयंसेवको द्वारा शहीदों को समर्पित काव्यपाठ एवं भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजन कार्यक्रम अधिकारी डाॅ. मीनू लाकड़ा ने किया। स्वागत डाॅ. अखिलेन्द्र कुमार सिंह, डाॅ. प्रतिमा गुप्ता एवं डाॅ. शिवनारायण ने किया। संचालन डाॅ. शशिकान्त यादव एवं राकेश कुमार मीना तथा धन्यवाद ज्ञापन डाॅ. सिद्धार्थ सिंह तथा डाॅ. नजमूल हसन ने दिया।

सोमवार, 22 मार्च 2021

मुख्यमंत्री ने कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के सम्बन्ध में उच्च स्तरीय बैठक की

बिना पूर्वानुमति के कोई भी जुलूस व समारोह नहीं

कोविड वैक्सीनेशन कार्य पूरी प्रतिबद्धता के साथ हो

कक्षा-1 से 8 तक के सभी विद्यालयों में 24 से 31 तक होली अवकाश 

लखनऊ(दिल इंडिया लाइव)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होली सहित अन्य पर्वों व त्योहारों, पंचायत चुनाव तथा देश के विभिन्न राज्यों में कोविड संक्रमण के बढ़ने की स्थिति के दृष्टिगत उत्तर प्रदेश में विशेष सतर्कता और सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना से बचाव व उपचार की व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करते हुए संक्रमण की स्थिति को रोकने के सभी उपाय सुनिश्चित किए जाएं। 

मुख्यमंत्री जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के सम्बन्ध में उच्च स्तरीय बैठक की। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर तथा शहरों में वॉर्ड स्तर पर नोडल अधिकारी या कर्मचारी की तैनाती के निर्देश दिए हैं। यह नोडल अधिकारी सुनिश्चित करेंगे कि उनके क्षेत्र में अन्य राज्यों से आने वाले व्यक्तियों की जांच की जाए। संदिग्ध पाए जाने पर उनके क्वारण्टीन की व्यवस्था और आर0टी0पी0सी0आर0 जांच कराते हुए कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार कार्यवाही की जाए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जनपद में एक-एक डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल की उपलब्धता सुनिश्चित रहे। आवश्यक मानव संसाधन और उपकरणों की व्यवस्था भी की जाए। पर्व और त्योहारों पर कोई रोक नहीं है, लेकिन कोविड संक्रमण के दृष्टिगत लोगों को जागरूक किया जाए। बिना स्थानीय प्रशासन की पूर्वानुमति के कोई भी जुलूस तथा कार्यक्रम या सार्वजनिक समारोह आयोजित न किए जाएं। इन आयोजनों में हाई रिस्क कैटेगरी जैसे-10 वर्ष की उम्र से कम के बच्चों, 60 वर्ष से अधिक के वृद्धजन तथा कोमॉर्बिडिटी अर्थात 01 से अधिक गम्भीर बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों आदि को शामिल होने से बचाया जाए। अनुमति के पूर्व यह सुनिश्चित किया जाए कि आयोजनों में कोविड प्रोटोकॉल, मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग आदि का पूर्णतः पालन हो। कहा कि कक्षा-1 से 8 तक के सभी परिषदीय एवं निजी विद्यालयों में 24 से 31 मार्च तक होली अवकाश रहेगा। इनके अलावा, शेष शिक्षण संस्थानों में जहां पर परीक्षाएं आयोजित नहीं हो रही हैं, यह अवकाश दिनांक 25 से 31 मार्च, 2021 तक होगा। जिन शिक्षण संस्थानों में परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं, उन्हें पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कोविड प्रोटोकॉल का पूर्णतः पालन करते हुए सम्पन्न कराया जाए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड वैक्सीनेशन का कार्य पूरी प्रतिबद्धता के साथ किया जाए। उन्होंने इसके लिए लोगों को प्रोत्साहित व प्रेरित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि वैक्सीन का वेस्टेज हर हाल में रोका जाए। इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सेण्टर में प्रतिदिन कोविड-19 सम्बन्धी समीक्षाएं अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित की जाएं। टेªनिंग इंस्टीट्यूट आदि में बाहरी आवागमन पर नियंत्रण हो। जेलों में कोविड के दृष्टिगत पर्याप्त सुरक्षा प्रबन्ध रहें। पेशी के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का माध्यम अपनाया जाए। पब्लिक एड्रेस सिस्टम का भरपूर उपयोग करते हुए लोगों को जागरूक किया जाए। जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार सम्बन्धी सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएं। 

बैठक में स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री सतीश चन्द्र द्विवेदी, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त श्री संजीव कुमार मित्तल, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, पुलिस महानिदेशक श्री हितेश सी0 अवस्थी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव माध्यमिक शिक्षा श्रीमती आराधना शुक्ला, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्रीमती मोनिका गर्ग, सचिव मुख्यमंत्री आलोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। 

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बरेलवी उलेमा की एक झलक पाने को लोग रहे बेताब



बनारस में विभिन्न आयोजनों में शिरकत करेंगे मौलाना असजद रज़ा बरेलवी

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)।  बरेलवी मसलक के प्रमुख धर्म गुरु ताजुशरिया मुफ़्ती मुहम्मद अख्तर रज़ा खान कादरी (अज़हरी मियां) के साहबज़ादे मौलाना असजद रज़ा खान इन दिनों वाराणसी प्रवास पर हैं। बनारस पहुँचने पर खानदाने आला हज़रत के इस चशमो चिराग की एक झलक पाने को लोग बेताब नज़र आये। बीती रात अशफाक नगर में उनकी सरपरस्ती व शहर काज़ी मौलाना गुलाम यासीन साहब की मौजूदगी में जलसा हुआ। आज दोपहर में हजरत ने लल्लापुरा में हुए आयोजन में शिरकत किया।बनारस में तकरीबन एक सप्ताह के प्रवास के दौरान विभिन्न आयोजनों में हजरत असजद रजा शिरकत करेंगे।

खाइये ब्राउन राइस, ये नहीं करेगा आपको बीमार

ब्राउन राइस बढ़ाता है रोग प्रतिरोधक क्षमता

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। बढ़ते वजन के डर से यदि चावल नहीं खाते हैं तो अब आप का यह डर समाप्त हो जाएगा। ब्राउन राइस न सिर्फ आपके आहार में चावल की कमी को पूरा करेगा, बल्कि वजन कम करने में भी मदद करेगा। चावल का बिना रिफाइंड किया हुआ प्राकृतिक रूप ब्राउन राइस कहलाता है। इसके भूरे रंग के कारण ही इसे ‘ब्राउन राइस’ कहा जाता है। यह सफेद चावल के मुकाबले पकने में ज्यादा समय लेता है और स्वाद में भी थोड़ा अलग होता है। सफेद चावल की तुलना में इसमें ज्यादा पोषक तत्व होते हैं, क्योंकि यह किसी रिफाइन या पॉलिश प्रक्रिया से नहीं गुजरता। प्रति सौ ग्राम ब्राउन राइस में पानी 70.27 ग्राम, ऊर्जा 123 कैलोरी, प्रोटीन 2.74 ग्राम, फैट 0.97 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 25.58 ग्राम, फाइबर 1.6 ग्राम, शुगर 0.24 ग्राम, कैल्शियम 3 मिलीग्राम, आयरन 0.56 मिलीग्राम, मैग्नीशियम 39 मिलीग्राम, फास्फोरस 103 मिलीग्राम, पोटैशियम 86 मिलीग्राम, सोडियम 4 मिलीग्राम, जिंक 0.71 मिलीग्राम, नियासिन 2.561 मिलीग्राम पाया जाता है।

- ब्राउन राइस रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर करने में मददगार है। इसमें विटामिन-ई मौजूद होता है, जो एंटी-ऑक्सीडेंट का काम करता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है और विभिन्न बीमारियों से बचना आसान हो जाता है। 

- ब्राउन राइस खाने के फायदे ये हैं कि इससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में कैलोरी मिलती है। साथ ही यह फाइबर, विटामिन और मिनरल्स का एक अच्छा स्रोत हैं।

- ब्राउन राइस में प्रोटीन, मैग्नीशियम, पोटैशियम व फास्फोरस जैसे मिनरल पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं। त्वचा और बालों के लिए भी ब्राउन राइस फायदेमंद है। 

- कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ने से ह्रदय रोग हो सकता है। कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने के लिए ब्राउन राइस जैसे साबुत अनाज खाने की सलाह दी जाती है।

- ब्राउन राइस में कुछ मात्रा फाइबर की होती है जो खाने को धीरे-धीरे पचाने में मदद करता है, जिससे भूख कम लगती है और कोलेस्ट्रोल को खून में धीरे-धीरे घुलने में मदद करता है। 

- ब्राउन राइस टाइप 2 मधुमेह को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है। इसमें फाइबर, प्रोटीन, फाइटोकेमिकल्स और मिनरल्स की अच्छी मात्रा पाई जाती है। व्हाइट राइस की तुलना में इसमें लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है, जो शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को कम रखता है। 

- ब्राउन राइस खाने से भूख कम लगता है। इसमें फाइबर होता है, जो वजन नियंत्रित करने में मदद करता है। फाइबर धीरे-धीरे पचता है, जिसके चलते भूख कम लगती है। इससे फैट की मात्रा कम होती है। 

- हड्डियों को तंदुरुस्त रखने के लिए मैग्नीशियम बहुत फायदेमंद मिनरल है और यह ब्राउन राइस में भरपूर मात्रा में पाया जाता है। यह बोन मिनरल डेंसिटी को बढ़ाने में मदद करता है। 

- ब्राउन राइस का सेवन करने से आंतों की कार्यप्रणाली बेहतर होती है। ब्राउन राइस पर मौजूद ब्रान लेयर और फाइबर पाचन शक्ति को बेहतर बनाते हैं।  

ऐसे पकाए ब्राउन राइस

चावल को अच्छी तरह धोकर साफ कर लें। साफ बाउल में पानी भरें और उसमें चावल भिगो दें। चावल को 45 मिनट तक भिगो कर रखें। इस दौरान इसके पोषक तत्व पानी में घुल जाएंगे। उसी पानी मंे चावल को पकाए। सामान्य सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस को पकने में थोड़ा ज्यादा समय लगाता है। 

ब्राउन राइस बनाने की विधि (4 लोगों के लिए)

250 ग्राम ब्राउन राइस

500 मिली लीटर पानी

एक सॉस पैन

दो चम्मच घी

विधि

सॉस पैन में पानी उबलने के लिए रख दें। जब पानी अच्छी तरह से उबल जाए, तो उसमें ब्राउन राइस डाल दें और मध्यम आंच पर 30 मिनट के लिए पकाएं।

अच्छी तरह पक जाने पर आंच बंद कर दें और चावल को 10 से 15 मिनट के लिए ढक कर रख दें। फिर चावल पर घी डालकर परोसें। इसके अलावा, आप ब्राउन राइस से वेजिटेबल पुलाव तथा खीर भी बना सकते हैं। 

आर्गेनिक हाट नंदनगर करौदी में जैविक व केमिकल फ्री खाद्य उपलब्ध है। हाँट के संचालक आनंद मिश्रा बताते हैं कि


यहां ब्राउन व ब्लैक राइस, आर्गेनिक धनिया पाउडर, बाजरे का आटा व चावल, तिल का तेल, सरसो तेल, मडुवा का आटा, देशी चीनी, गुड़ से बना बूंदी लड्डू तथा बताशा जैसे खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं। 

रविवार, 21 मार्च 2021

शहनाई से उस्ताद नहीं, उस्ताद से शहनाई

‘भारत रत्न’ बिस्मिल्लाह खां का क्या कहना



वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मिली जुली संस्कृति का मुल्क हिंदुस्तान अपने भीतर तमाम खूबिया समेटे हुए है, और इस पाक सरज़मी पर तमाम ऐसी हस्तियो ने जन्म लिया जिस पर समूची दुनिया नाज़ करती है, इसी फेहरिस्त में आते है शहनाईवादक ‘भारत रत्न’ उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, उनके जैसी शख्सियतों से ही देश कि मिली-जुली संस्कृति दुनिया मेंं जानी जाती है, उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने अपनी सारी उम्र संगीत को ही अपना सबकुुुुछ माना, वो ताउम्र जात-पात को नहीं संगीत के ही रियाज में लगे रहे उन्हे नाज़ था कि वो बनारस में रहते है जहाँ गंगा बहती है, आज उस्ताद को दुनिया से गये अर्सा हो गया मगर वो आज भी देश-दुनिया में वैसे ही जाने जाते है जैसे पहले जाने जाते थे।, यह कहा जाये कि शहनाई से उस्ताद नहीं, उस्ताद से शहनाई जानी जाती थी, जानी जाती हैं तो गलत नहीं होगा।
देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाज़े गए उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है, क्योंकि मुल्क का बच्चा-बच्चा उनके नाम, शोहरत और उनकी आजीवन साधना से परिचित है। संगीत के क्षेत्र में उनकी साधना के कायलों की तादाद हिन्दुस्तान ही नही विश्व भर मेें है। जिसका संगीत से कोई सरोकार नही है वो भी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान कि शहनाई की तान सुन झूम उठता था। वो खुशी के साज पर गम का तराना बजाते थे, बिस्मिल्लाह खां जब मोहर्रम में अपनी शहनाई से आंसुओ का नज़राना पेश करते थे तो सभी कि आंखो में आंसु आ जाता था। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान बिहार में मुस्लिम परिवार में पैैैैदा हुए। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान बहुत छोटी उम्र में ही अपने पिता पैगम्बर बख्श खान के साथ बनारस आकर बस गए थे, जहां उन्होंने अपने मामा अली बख्श ‘विलायत’ से शहनाई बजाना सीखा, जो काशी के बाबा विश्वनाथ मन्दिर में स्थायी रूप से शहनाई-वादन किया करते थे। अपने मामा के इंतकाल के बाद उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने भी बरसों बाबा विश्वनाथ मंदिर में शहनाई बजाई।
पीएम नेहरू के कहने पर बजाई थी शहनाई
15 अगस्त 1947 में जब देश आजाद हुआ तो देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के लाल किला पर तिरंगा फहराने के बाद उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने देशवासियों को बधाई देने के लिए लाल किले से शहनाई बजाई। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने पीएम जवाहर लाल नेहरू के कहने पर शहनाई बजाई थी। 1997 में आजादी की 50 वीं वर्षगांठ पर भारत सरकार के आमंत्रण पर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने दूसरी बार लाल किले के दीवाने-आम से शहनाई बजाई। यह भी एक मिसाल है कि 1992 में ईरान के तेहरान में एक बड़ा ऑडिटोरियम बनाया गया, जिसका नाम उस्ताद बिस्मिल्लाह खान के नाम पर रखा गया, ‘तालार मौसीकी उस्ताद बिस्मिल्लाह खान’ उन्होंने कन्नड़ फिल्म में साउथ के सुपरस्टार राजकुमार कि फिल्म ‘शादी अपन्ना’ के लिए शहनाई बजाई थी। यह फिल्म ब्लॉकबस्टर थी। ऐसे ही उस्ताद बिस्मिल्लाह खान ने सत्यजीत रे की फिल्म ‘जलसाघर’ में नजर आए थे और 1959 की फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ में भी उस्ताद ने ही शहनाई बजाई थी और ‘रॉकस्टार’ फिल्म में भी उनकी शहनाई बजी थी। भारत के पहले गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 1950) पर उन्होंने लाल किले से राग कैफी की प्रस्तुति दी थी। उस्ताद बिस्मिल्लाह खान का बचपन का नाम कमरूद्दीन था लेकिन वो  बिस्मिल्लाह खान के नाम से मशहूर हुुुए।

लखनऊ में नई सियासी पैतरेबाजी

भाजपा कार्यालय पर सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव की तस्वीर  Lucknow (dil India live)। लखनऊ से नई सियासी पैतरेबाजी की खबर है। दरअसल भाजपा कार्...