बुधवार, 24 मार्च 2021

अली अकबर की विलादत् पर सजी मेहफिलें

कई जगह हुई दुआख्वानी, दिलाई गयी फातेहा

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। शहीदे करबला इमाम हुसैन के बेटे जनाबे अली अकबर की विलादत् का जश्न शहर भर मे जोश ओ खरोश के साथ मनाया गया। उनकी जयंती का १४०० साल हुआ पुरा। जनाबे अली अकबर के बारे मे ये मशहूर है के उनकी शक्ल हज़रत मुहम्मद (स.) से मिलती थी। इमाम हुसैन कहा करते थे के जब मुझे मेरे नाना हज़रत मुहम्मद को देखना होता तो मैं अपने बेटे अली अकबर को देख लिया करता। ये वही अली अकबर है जिन्होंने करबला मे अपनी शहादत पेश की थी। केवल १८ वर्ष के थे अली अकबर। आज सुबह से ही मेहफ़िलों का सिलसिला शुरू हो गया। मदनपुर, भेलूपुरा, बजरडीहा, रामनगर, दोषीपुरा, दलमंडी, चौक, पठानी टोला, कच्चीबगा, लल्लापुरा, आदि शेत्रो मे महफ़िलों का दौर चला। कई शायरो ने कलाम पेश किये। जिसमे मुख्य रूप से प्रोफेसर अज़ीज़ हैदर बनारसी, रिजवान बनारसी, अथर बनारसी, रोशन बनारसी, मेहंदी बनारसी, अंसार बनारसी, वफा बनारसी, आदि लोग शामिल रहे। कई नए उभरते हुए नौजवानों ने भी कलाम पेश किया जिसमे आशूर बनारसी, नक़वी बनारसी, अमीर बनारसी, आदि लोग शामिल रहे। कई जगह ओल्मा ने तक़रीर भी की। जिसमे मुख्य रूप से मौलाना अक़ील हुसैनी, मौलाना ज़मीरुल हसन, मौलाना इकबाल हैदर, मौलाना ज़ाएर हुसैन, आदि लोग शामिल रहे। शिया मस्जिद के परोवक्ता हाजी फरमान हैदर करबालाई ने बताया के जनाबे अली अकबर  ९ रजब को सन ४२ हिजरी मदीने मे पैदा हुए थे। उनकी माँ का नाम उम्मे लैला था। इस दौरान सभी लोगों ने आज उन्हे याद किया और फातेहा दिलाई, और लोगों मे फल, मेवा, मिठाई, आदि का तबर्रूक तकसीम किया गया।

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