20 से शुरू होगा अब इस्लामिक नया साल
शिया अजाखानों में शुरू हुई मजलिसे इस्तेकबालिया
Lucknow (dil India live). इस्लामी साल मुहर्रम का चांद लखनऊ समेत कई जगहों पर १८ जुलाई को नहीं दिखाई दिया। लिहाजा मोहर्रम की शुरुआत १९ जुलाई का चांद देखकर २० जुलाई से होगी। इस बात की जानकारी मरकजी चांद कमेटी ने एक बयान जारी करके दी है। कमेटी ने कहा है, “मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल के सदर और इमाम ईदगाह लखनऊ मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ‘काजी-ए-शहर’ ने ऐलान किया है कि आज (18 जुलाई) को मोहर्रम का चांद दिखाई नहीं दिया है। इसलिए मुहर्रम की 01 तारीख 20 जुलाई को होगी और यौमे आशूरा 29 जुलाई 2023 को होगा। हालांकि शिया अजाखाने सजा दिए गए। मजलिसे इस्तेकबालिया बनारस, जौनपुर, लखनउ, आजमगढ, मउ व गाजीपुर आदि में होने की खबर मिली है।
दरअसल मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक साल का पहला महीना है। इसी महीने के साथ इस्लामिक नए साल की शुरुआत होती है। वैसे तो ये एक महीना है लेकिन इस महीने में मुसलमान खास तौर पर शिया मुसलमान पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन समेत कर्बला में शहीद हुए ७२ लोगों की शहादत का गम मनाते हैं। सन 61 हिजरी (680 ईस्वी) में इराक के कर्बला में पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन को उनके 72 साथियों के साथ यजीदी सेना ने शहीद कर दिया था। मुहर्रम में इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का गम मनाते हैं। मातम करते हैं।
इस दौरान मस्जिदों में एक से दस मुहर्रम तक सुन्नी मुसलमान शहादतनामा पढते हैं’ तकरीर होती है तो शिया मुसलमान इमाम हुसैन की शहादत का जिक्र करते हैं. उनका गम मनाने के लिए मजलिसें करते हैं। मजलिसों में इमाम हुसैन की शहादत बयान की जाती है। मजलिस में तकरीर (स्पीच) करने के लिए ईरान से भी आलिम (धर्मगुरू) आते हैं और जिस इंसानियत के पैगाम के लिए इमाम हुसैन ने शहादत दी थी उसके बारे में लोगों को विस्तार से बताया जाता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें