शनिवार, 23 जुलाई 2022

Ajay Rai को मुख्तार अंसारी से जान का खतरा

पूर्व मंत्री अजय राय की सुरक्षा की कांग्रेस ने उठाया मांग

पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट को सौंपा मांग पत्र


Varanasi (dil india live). उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग का एक प्रतिनिधि मंडल कांग्रेस विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक सिंह एडवोकेट के नेतृत्व में पूर्व मंत्री अजय राय की सुरक्षा का मांग पत्र पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट को सौंपते हुए कहा कि मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश में एक ख़तरनाक अपराधी है, जिसका भय जनमानस में इतना व्याप्त है कि गवाह उसके विपक्ष में गवाही देने से मुकर जाते हैं। यहां तक कि कृष्णानंद राय हत्याकांड जो उत्तर प्रदेश का एक चर्चित हत्याकांड था जिसके सभी गवाह या पैरवी कार या तो स्वत: मर गये या मार दिए गए और मुख्तार अंसारी बरी हो गया । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कल ही मुख्तार अंसारी के ऊपर टिप्पणी करते हुए कहा है कि" लोगों के दिल व दिमाग में मुख्तार अंसारी का भय है" प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह एडवोकेट ने कहा कि ऐसे अपराधी के खिलाफ अवधेश राय हत्याकांड में अजय राय जी गवाह के साथ साथ एक मात्र पैरवी कार है साथ में मुख्तार अंसारी को यह पता है कि अजय राय को रास्ते से हटा देने पर उपरोक्त मुकदमा में कोई पैरवी करने वाला नहीं है।पूर्व विधायक अजय राय की सुरक्षा व्यवस्था केवल तारीख के दिन ही नहीं जब तक अवधेश राय हत्याकांड का मुकदमा विचाराधीन है तब तक रात दिन तत्काल प्रभाव से उनकी सुरक्षा बढ़ाई जाय। अन्यथा मुख्तार अंसारी किसी भी समय घटना घटित करा सकता है। प्रतिनिधिमंडल में कल्पना शर्मा, अशोक कुमार, परमहंस शास्त्री सिराज अहमद, संजय कुमार, अमित विश्वकर्मा, साहिल खान मुख्य थे।

व्यवहारिकता में बहुत लचीले लेकिन मूल्यों के प्रति बहुत कठोर हैं गांधी

Dr mohd arif

Varanasi (dil india live). गांधीजी एक बहुत सधे हुए क्रांतिकारी थे।  वे हर व्यक्ति के साथ अपना जुड़ाव महसूस  करते थे। सभी के लिए उनमें जुड़ाव है पर एक जगह पर आकर वे कठोर भी हैं ।जहां पर तुम उसकी आस्था बदलने की कोशिश करते हो। वहां वे बहुत कठोर है। इसी लिए आस्था बदलने के मुद्दे पर गांधी पहाड़ की तरह अडिग दिखाई देते हैं। कई लोग कहते हैं कि गांधीजी बहुत जिददी थे लेकिन जब हम इसे समझने की कोशिश करते हैं तो पता चलता हैं कि गांधी उन चीजों के लिए जिद्दी हैं जहाँ कोई उनके मूल्यों को बदलने की कोशिश करे। उन जगहों पर वे बहुत लचीले हैं जहां बात  व्यवहारिक हो। 

गांधी लोगों से केवल इस प्रकार व्यवहार नहीं करते थे कि वे किसी समुदाय के सदस्य हैं बल्कि उनके साथ काम करने वालों का यह कहना है कि  वे हर किसी से एक व्यक्ति के रूप में रिश्ता कायम करते थे। हर कोई अलग व्यक्ति है, उसकी  जरूरतें अलग हैं और वे उन जरूरतों का ख्याल रखते थे।अपने आग्रहों को छोड़ते हुए। आश्रम में रहने आये बहुत से लोगों से वे कहते थे कि तुम यह करो हालांकि आश्रम का नियम यह है और आश्रम वाले इसको कभी नहीं समझेंगे लेकिन तुम अपना ख्याल छोड़ना मत। यह जो सोच है गांधी की क़ि व्यक्ति को बुनियाद मानना यह गांधी के चिंतन की एक मजबूत बुनियाद है।

एक बार एक इंग्लैंड की ईसाई लड़की गांधीजी के अहमदाबाद आश्रम पर उनसे मिलने आई लेकिन इसी बीच कुछ ऐसा हुआ कि गांधीजी को पुलिस गिरफ्तार करके ले गयी। गांधी जाते जाते उस लड़की से कह गए कि तुम अपना ख्याल खुद रखना। आश्रम के नियम बहुत कठोर हैं लेकिन तुम अपना ख्याल रखना। गांधी, आश्रम के लोगों से भी कह गए कि ये लड़की जैसे रहना चाहे इसे रहने देना। आश्रम के नियम इस पर लागू मत करना। जब बहुत महीनों तक गांधीजी की जेल से रिहाई नहीं हुई तो उस लड़की ने गांधीजी को पत्र लिखा कि महात्मा जी मेरा दुर्भाग्य है कि मैं आपसे नहीं मिल सकी अब मैं वापस इंग्लैंड जा रही हूँ। गांधीजी ने जो जवाबी  पत्र लिखा उसमें उन्होंने लिखा कि मुझे अफसोस है कि तुमसे मेरी मुलाकात नहीं हो सकी लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि तुम मेरे आश्रम से जब निकलोगी तो तुम एक बहुत अच्छे ईसाई की तरह वर्ताब व व्यवहार करोगी।तुम एक अच्छी इंसान बनकर मेरे आश्रम से निकलोगी।

गांधी खुद आधी धोती पहनते थे। ज्यादा ठंड पड़ती थी तो एक चादर ओढ़ लेते थे। लेकिन उन्होंने कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में ऐसा कोई नियम नहीं बनाया कि सभी आधी धोती पहनें। गांधी के बगल में नेहरू बैठते थे जो पायजामा और अचकन पहनते थे। उसमें गुलाब का फूल भी लगाते थे। दूसरी ओर मौलाना आजाद बैठते थे  और कांग्रेस वर्किंग कमेटी के एकमात्र सदस्य थे जो गांधीजी के सामने सिगार पीते थे। गांधीजी का लचीलापन देखिए कि उनके सामने कोई सिगरेट पिये इसके लिए उसको हिम्मत की जरूरत होगी  क्योंकि वे तो मना नहीं करते।

एक बार नेहरू क्यूबा यात्रा पर गए वहां किसी ने उन्हें सिगार का पैकिट भेंट में दिया। क्यूबा की सिगार बड़ी बेशकीमती है। जब वे वहां से लौटकर आये तो वे गांधी को दिखाते हैं कि देखो बापू  मुझे क्या मिला गिफ्ट में, और उन्होंने गांधीजी को  सिगार का पैकिट दिखाया।  गांधीजी ने तुरन्त पैकिट उठा लिया और कहा कि इस पैकिट को मैं  अपने पास रख लेता हूँ  और मौलाना को दे दूंगा, उन्हें बहुत पसंद है सिगार। गांधीजी ये ध्यान रखते हैं कि ये चीज मौलाना को पसंद है।

इसी प्रकार जब सीमांत गांधी खान अब्दुल गफ्फार खान  सेवाग्राम आश्रम में आये तो गांधीजी ने बाजार से उनके लिए मांसाहारी भोजन मंगवाया। उन्होंने कहा कि ये आदमी रात को खाना कैसे खायेगा? इसको तो आदत है यही खाने की। जबकि आश्रम में मांसाहार वर्जित था। लेकिन सीमान्त गांधी के लिए उन्होंने इस नियम को लचीला बना दिया। व्यक्ति के बारे में कितना लचीलापन है यह समझने की जरुरत है।

महाराष्ट्र के एक बड़े नेता थे जो कांग्रेस की कमेटी में मौजूद थे। कुछ लोगों ने गांधीजी से कहा कि आपने किसको वर्किंग कमेटी में ले रखा है? ये तो शराब पीता है। तो गांधी ने पूछा कि शराब कब पीता है? रात में पीता है न। तो दिन में उससे काम लिया जा सकता है न । हर आदमी का इस्तेमाल है मेरे पास। कल को वह शराब छोड़ देगा तो मैं रात को भी उससे काम ले सकूंगा। और बड़ी जगह हो जाएगी उनके लिए।  क्योंकि वे बड़े वकील भी थे। इतना लचीलापन है उनमें।

दूसरी ओर इतनी कठोरता है कि वे अपनी बात से एक इंच भी इधर से उधर होने को तैयार नहीं। दिल्ली के अंतिम उपवास के समय जब सरदार पटेल गांधीजी से कहते हैं कि आप अपना उपवास स्थगित कर दें तो वे कहते हैं कि सरदार तुम दिल्ली की कानून व्यवस्था देखो क्योंकि ये तुम्हारी नैतिक जिम्मेदारी है। मैं वही कर रहा हूँ जो इस समय मुझ जैसे अहिंसक व्यक्ति को करना चाहिए। आमरण अनशन में मैं खुद अपनी देह दांव पर लगा रहा हूँ , यही ईश्वर की इच्छा है। 

ये सब बात समझना इसलिए जरूरी है कि इनके बिना गांधी को समझने में दिक्कत होगी। इसीलिए मैंने लिखा किगांधीजी एक बहुत सधे हुए क्रांतिकारी थे।  वे हर व्यक्ति के साथ अपना जुड़ाव महसूस  करते थे। सभी के लिए उनमें जुड़ाव है पर एक जगह पर आकर वे कठोर भी हैं ।जहां पर तुम उसकी आस्था बदलने की कोशिश करते हो। वहां वे बहुत कठोर है। इसी लिए आस्था बदलने के मुद्दे पर गांधी पहाड़ की तरह अडिग दिखाई देते हैं। कई लोग कहते हैं कि गांधीजी बहुत जिददी थे लेकिन जब हम इसे समझने की कोशिश करते हैं तो पता चलता हैं कि गांधी उन चीजों के लिए जिद्दी हैं जहाँ कोई उनके मूल्यों को बदलने की कोशिश करे। उन जगहों पर वे बहुत लचीले हैं जहां बात व्यवहारिक हो। 

(लेखक:  गांधीवादी व इतिहासकार हैं, लेखक के फेसबुक वॉल से। )

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गुरुवार, 21 जुलाई 2022

गर्भाशय के मुख में वर्षों छिपा रहता है सर्वाइकल कैंसर का वायरस

दो मिनट की जांच कराएं , सर्वाइकल कैंसर का पता लगाएं

जितना जल्दी पता लग जाएगा उतनी जल्दी इलाज संभव

सभी सरकारी अस्पतालों में  निःशुल्क जांच व उपचार की व्यवस्था

महज 15 मिनट की थेरेपी  से मिलती है  वायरस से मुक्ति



Varanasi (dil india live). शिवपुर की रहने वाली 45 वर्षीया ममता (परिवर्तित नाम) की जांच रिपोर्ट देखने के बाद पं. दीनदयाल उपाध्याय चिकित्सालय में चिकित्सक ने गर्भाशय के मुख के कैंसर से पीड़ित होने की जानकारी  पति को दी तो  पता चलते ही ममता फफक कर रोने लगी। ममता को अफसोस इस बात का था कि अनियमित रक्तस्राव  से पीड़ित होने पर पांच वर्ष पूर्व जब वह इसी अस्पताल में दिखाने के लिए आयी थीं  तभी डाक्टर ने अगाह करते हुए जांच कराने की सलाह दी थी। घरेलू जिम्मेदारियों को निभाने के चक्कर में उसने अगर खुद के प्रति लापरवाही न बरती होती और महज दो मिनट की जांच कराकर उपचार कराया होता तो वह निश्चित रूप से इस गंभीर बीमारी से बच सकती थी। पं. दीन दयाल चिकित्सालय में स्थित ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ की प्रभारी डा. जाह्नवी सिंह कहती हैं कि ममता की ही तरह अपने स्वास्थ्य के प्रति अन्य महिलाओं के भी लापरवाह रहने का ही नतीजा है कि गर्भाशय के मुख कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। महिलाएं  परेशानियों की अनदेखी करते हुए चिकित्सक के पास अधिकतर तब जाती हैं  जब वह या तो कैंसर की चपेट में आ चुकी होती हैं अथवा उनके गर्भाशय के मुख में हुआ संक्रमण कैंसर में तब्दील होने की स्थिति में होता है।

 क्या है सर्वाइकल कैंसर 

डॉ. जाह्नवी बताती हैं  कि गर्भाशय के मुंख का कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) के कारण होता है। शारीरिक सम्पर्क के दौरान यह वायरस गर्भाशय के मुख तक पहुंच जाता है और उसे धीरे-धीरे संक्रमित करना शुरू कर देता है। खास बात यह है कि गर्भाशय के मुख में एचपीवी से हुए संक्रमण को कैंसर में तब्दील होने में सामान्यतः दस से बीस वर्ष या इससे अधिक का समय लग जाता है। ऐसे में अगर समय रहते जांच कराकर संक्रमण का उपचार करा लिया जाए  तो बच्चेदानी के मुंख के कैंसर से पूरी तरह बचा जा सकता है। लिहाजा 30 से 60 वर्ष तक की महिलाओं को समय-समय पर जांच अवश्य करानी चाहिए ताकि उन्हें एचपीवी संक्रमण है तो उपचार कर उसे फौरन खत्म किया जा सके। निःशुल्क जांच व उपचार की सुविधा पं.दीन दयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय के एमसीएच विंग में बने ‘सम्पूर्णा क्लीनिक’ में उपलब्ध है। महिलाओं को इसका लाभ उठाना चाहिए। इसके अलावा अन्य सरकारी अस्पतालों में भी यह जांच  करायी जा सकती है।

 दो मिनट की जांच, साथ ही फौरन उपचार

डा. जाह्नवी बताती हैं कि गर्भाशय का मुख  एचपीवी से संक्रमित है या नहीं इसकी जांच वीआर्इए विधि से मात्र दो मिनट में होती है। संक्रमण का पता चलते ही उसी समय गर्भाशय के मुख की ठंडी सिकार्इ (क्रायोथैरेपी) की जाती है जिससे संक्रमण के साथ ही सर्वाइकल कैंसर का खतरा खत्म हो जाता है। इस उपचार के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत भी नहीं होती। जांच व थैरेपी में लगे 20 मिनट से भी कम समय के बाद वह घर जा सकता है।

छह माह में 86 रोगियों को प्री कैंसर /कैंसर के खतरे से किया दूर

पं. दीन दयाल चिकित्सालय के एमसीएच विंग में संचालित सम्पूर्णा क्लीनिक की प्रभारी डा. जाह्नवी बताती हैं कि इस वर्ष अब तक 2206 महिलाओं की वीआर्इए जांच की गयी इनमें संक्रमित 86 महिलाओं की क्रयोथैरेपी कर उन्हें सर्वाइकल कैंसर होने के खतरे से दूर कर दिया गया जबकि चार केस ऐसे जिन्हें यह कैंसर हो चुका था, उन्हें उपचार के लिए उच्च  संस्थानों में रेफर कर दिया गया।

 सर्वाइकल कैंसर के लक्षण

मैनोपोज के बाद भी ब्लीडिंग

पीरियड  खत्म होने के बाद भी रक्तस्राव 

यौन सम्बन्ध के बाद रक्तस्राव

कफ़न पर भी जीएसटी, शर्म आनी चाहिए: अशोक सिंह

कांग्रेस ने जीएसटी पर मोदी सरकार को घेरा

Varanasi (dil india live). देश की जनता मंहगाई से पहले ही त्रस्त है उपर से आटा, दाल, दही, लस्सी, दूध, पनीर, छांछ, चावल पर जीएसटी लगा कर मोदी सरकार ने जनता के प्रति अपनी असंवेदनशीलता को दर्शाया है। हद तो तब हो गई जब कफ़न पर भी जीएसटी लागू कर दिया गया। 

उपरोक्त बातें उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी विधि विभाग के प्रदेश उपाध्यक्ष अशोक कुमार सिंह एडवोकेट ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहीं। उन्होंने कहा कि उपरोक्त खाने पीने की वस्तुओं पर मोदी सरकार ने जीएसटी लगा कर मंहगाई से जूझ रही देश की गरीब जनता के उपर मंहगाई का एक और बोझ बढ़ा दिया है। मनमोहन सिंह के समय जरा सी मंहगाई बढ़ती थी तो पूरी की पूरी भाजपा सड़कों पर भांगड़ा नृत्य करने उतर आती थी। लेकिन आज जब मंहगाई आसमान छू रही है तो भाजपा के नेता थेथरई बतियाने लगते हैं, और मंहगाई का आरोपी कांग्रेस को बताने लगते हैं। मोदी सरकार देश में मंहगाई लाकर जनता का उत्पीडन कर रही है, लेकिन जनता सब देख रही है और समझ भी रही है, 2024 में जनता इनको सबक सिखायेगी और इन्हें उखाड़ फेंकेगी।

बुधवार, 20 जुलाई 2022

अब ऐप से चेहरे की पहचान कर दर्ज होगी चिकित्साकर्मियों की उपस्थिति

सभी सरकारी अस्पतालों में लागू होगी व्यवस्था 

चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने के लिए सीएमओ ने दिया निर्देश

शहर के 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर लागू हो चुकी है यह व्यवस्था


Varanasi (dil india live). चिकित्सा सेवा को बेहतर बनाने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इसके तहत जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में अब ऐप से चेहरे की पहचान कर चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों की उपस्थिति दर्ज की जायेगी। इसके लिए निर्देश जारी कर दिये गये हैं । जल्द ही इस व्यवस्था पर अमल शुरू हो जायेगा।

 मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने निर्देश दिये थे कि सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों व चिकित्साकर्मियों की उपस्थिति फेस रिकग्नाइजेशन एण्ड जीयोफेस ऐप के जरिये दर्ज की जाए । इस निर्देश के बाद शहर के 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में यह व्यवस्था लागू कर दी गयी है । वहां इस ऐप के जरिये ही चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मियों की उपस्थिति दर्ज की जा रही है। सीएमओ ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देश के अनुपालन के क्रम में अब इस व्यवस्था को जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में लागू किया जा रहा है। इसके लिए मण्डलीय अस्पताल के प्रमुख अधीक्षक, लालबहादुर शास्त्री चिकित्सालय (रामनगर), पं. दीन दयाल  उपाध्याय चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, जिला महिला चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक के अलावा जिले के सभी अधीक्षक/ प्रभारी चिकित्सा अधिकारियों को पत्र भेजकर इस व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि वह  अपने अधीन कार्यरत समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों की उपस्थिति ‘फेस रिकग्नाइजेशन एण्ड जीयो फेस के माध्यम से कराना सुनिश्चित करें। इस सम्बन्ध में होने वाला व्यय ‘रोगी कल्याण  समिति’ में उपलब्ध धनराशि से किया जा सकता है। हर हाल में यह व्यवस्था एक सप्ताह के अंदर लागू कर दी जाय।

कैसे काम करेगा यह सिस्टम

‘फेस रिकग्नाइजेशन एण्ड जीयो फेस ऐप जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों, चिकित्सकाकर्मियों के मोबाइल फोन में स्टाल होगा। इसके पूर्व उनके चेहरे को स्कैन कर डेटा के रूप में ऐप में फीड किया जायेगा। अपने कार्यस्थल पर पहुंचते ही मोबाइल में स्टाल यह ऐप सक्रिय हो जायेगा और उपस्थिति  दर्ज हो जायेगी। खास बात यह है कि इस ऐप के जरिये किसी भी चिकित्साकर्मी उपस्थित/अनुपस्थित होने का विवरण सम्बन्धित अधिकारी कहीं से भी देख सकते हैं। यह भी  आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि वह ड्यूटी पर समय से पहुंचा अथवा नहीं। ड्यूटी से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों का विवरण भी ऐप में स्वतः दर्ज हो जायेगा।

16 लाख बच्चों एवं किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाने का अभियान शुरू

प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में मना राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस

नहीं खा पाएं कृमि मुक्ति की दवा तो मापअप राउंड में खा लें



Varanasi (dil india live). जिले में बुधवार को राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस (एनडीडी) पर नगर व ग्रामीण क्षेत्र के विभिन्न प्राथमिक व जूनियर स्कूलों में बच्चों एवं किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा खिलाकर अभियान का शुभारंभ किया गया। यह दवा 1 वर्ष से 19 वर्ष उम्र तक के सभी लोगों को खानी है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी ने बताया कि जिले में 16 लाख से अधिक बच्चों और किशोरों को कृमि मुक्ति की दवा यानि पेट से कीड़े निकालने की दवा खिलाने के उद्देश्य से कृमि मुक्ति अभियान शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य केन्द्रों और पंजीकृत स्कूलों, ईंट भट्ठों पर कार्य करने वाले श्रमिकों और घुमन्तू लोगों को दवा खिलाई जा रही है। उन्होंने बताया कि किसी कारण आज जो बच्चे दवा नहीं खा पाए हैं उनको मॉपअप राउंड में खिलाई जाएगी। जनपद में मॉपअप राउंड 25 जुलाई से 27 जुलाई तक चलेगा। शिक्षक, आंगनबाड़ी व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह दवा अपने सामने ही खिलाने के निर्देश हैं। 

जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीपीएम) रमेश प्रसाद वर्मा ने बताया कि कुछ खाकर ही यह दवा खानी है। 3 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को यह दवा पीसकर पिलानी है जबकि 3 वर्ष से ऊपर के बच्चों को यह दवा चबाकर खानी है। उन्होंने बताया कि पेट से कीड़े निकलने की दवा एल्बेन्डाजॉल बहुत ही स्वादिष्ट बनाने की कोशिश की जाती है। इससे बच्चे आसानी से खा लेते हैं। पहले यह दवा वनीला और मैंगो फ्लेवर में उपलब्ध थी जबकि इस बार यह स्ट्राबेरी फ्लेवर में मिल रही है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता निशा पाल व सरला गुप्ता ने बताया कि हम लोगों को दवा खिलाने के लिए प्रशिक्षित किया गया था। हम सब कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दवा खिला रहे हैं। जो लोग दवा नहीं खा सके हैं, उनको मॉपअप राउंड में दवा खिलाने का प्रयास करेंगे। 

लाभार्थी शिवा ने पिता ने बताया कि मेरे बच्चे को आज उसके स्कूल में कृमि मुक्ति की दवा खिलाई गई है। दवा सेवन के दौरान और उसके बाद भी कोई दिक्कत नहीं हुई है।

क्यों खाएं दवा

डीसीपीएम ने बताया कि बच्चे अक्सर कुछ भी उठाकर मुंह में डाल लेते हैं या फिर नंगे पांव ही संक्रमित स्थानों पर चले जाते हैं। इससे उनके पेट में कीड़े विकसित हो जाते हैं। इसलिए एल्बेन्डाजॉल खाने से यह कीड़े पेट से बाहर हो जाते हैं। अगर यह कीड़े पेट में मौजूद हैं तो बच्चे के आहार का पूरा पोषण कृमि हजम कर जाते हैं। इससे बच्चा शारीरिक व मानसिक रूप से कमजोर होने लगता है। बच्चा धीरे-धीरे खून की कमी (एनीमिया) समेत अनेक बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है। कृमि से होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए यह दवा एक बेहतर उपाय है। जिन बच्चों के पेट में पहले से कृमि होते हैं उन्हें कई बार कुछ हल्के प्रतिकूल प्रभाव हो सकते हैं। जैसे हल्का चक्कर, थोड़ी घबराहट, सिर दर्द, दस्त, पेट में दर्द, कमजोरी, मितली, उल्टी या भूख लगना। इससे घबराना नहीं है। दो से चार घंटे में स्वतः ही समाप्त हो जाती है। आवश्यकता पड़ने पर आशा या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मदद से चिकित्सक से संपर्क करें। उन्होंने बताया कि कृमि मुक्ति दवा बच्चे को कुपोषण, खून की कमी समेत कई प्रकार की दिक्कतों से बचाती है।

छात्रों को एल्बेंडाजोल खिलाकर शुरू हुआ राज्य कृमि मुक्ति दिवस


Ghazipur (dil india live). स्वास्थ्य विभाग द्वारा 01 साल से 19 साल के युवाओं को कृमि संक्रमण से बचाने के लिए पूरे प्रदेश में कृमि मुक्ति अभियान बुधवार से शुरू किया गया। बंधवा स्थित माउंट लिट्रा जी स्कूल में छात्र छात्राओं को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाकर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने कार्यक्रम की शुरुआत किया। इस दौरान उन्होंने छात्र छात्राओं को एल्बेंडाजोल की गोली क्यों खिलाई गई है इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दिया। डॉ उमेश कुमार ने बताया कि यह कार्यक्रम बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के आंगनबाड़ी केंद्र जनपद में चलने वाले प्राथमिक विद्यालयों के स्कूल के साथ ही माध्यमिक शिक्षा परिषद के स्कूलों के छात्र-छात्राओं और स्कूल जाने वाली और स्कूल ना जाने वाली किशोरियों को जिनकी उम्र 19 साल हो चुकी है उन्हें गोली खिलाई जाएगी। इसके अलावा ईट भट्टों पर कार्य करने वाले श्रमिक एवं घुमंतू लाभार्थियों को आंगनबाड़ी केंद्र पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के माध्यम से यह कार्यक्रम चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह कार्यक्रम बुधवार से पूरे जनपद में चलाया जा रहा है। जिसमें अधिक से अधिक छात्र छात्राओं को एल्बेंडाजोल 400 मिलीग्राम की पूरी गोली खिलाई जानी है। इस गोली को चबाकर या चुरा बनाकर खाया जा सकता है। इसके अलावा जो बच्चे इस गोली को खाने से वंचित रह जाएंगे उन बच्चों को मापअप दिवस 25 से 27 जुलाई के मध्य स्कूलों एवं आंगनबाड़ी केंद्रों पर दवा खिलाए जाने की व्यवस्था की जाएगी।

डीसीपीएम अनिल वर्मा ने बताया कि कृमि संक्रमण से बच्चों के स्वास्थ्य पर कई प्रकार के हानिकारक प्रभाव होते हैं। इससे बच्चा कुपोषण, खून की कमी, भूख न लगना, बेचैनी, पेट में सूजन और उल्टी दस्त से परेशान रहता है। ऐसे में अभियान के माध्यम से जिले में कृमि संक्रमण से बचाव के लिए कृमि नियंत्रण की दवाई एल्बेंडाजोल की टेबलेट्स स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से निशुल्क दी जाएगी। अभियान के तहत डोर टू डोर के माध्यम से भी इसे लोगों तक पहुंचाया जाएगा। स्कूल के डायरेक्टर मोहित श्रीवास्तव ने बताया कि आज कुल 35 छात्र छात्राओं को एल्बेंडाजोल की गोली खिलाकर कृमि मुक्ति अभियान का शुरुआत किया गया है वही उनके विद्यालय में करीब 1000 छात्र-छात्राएं हैं और उनकी पूरी कोशिश होगी कि सभी छात्र छात्राओं को या गोली खिलाया जाए। इस कार्यक्रम में डॉक्टर के के सिंह, डॉ मनोज सिंह, डॉ सुजीत कुमार मिश्रा, डीपीएम प्रभुनाथ, एहतेशाम खान, स्कूल के प्रिंसिपल राजेश कुकरान, अर्बन कोऑर्डिनेटर अशोक कुमार के साथ ही स्कूल के टीचर और छात्र-छात्राएं शामिल रहे।

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