शनिवार, 14 मई 2022

Baba hardev singh ko kiya naman

संत निरंकारी मण्डल ने मनाया बाबा  हरदेव सिंह को समर्पित समर्पण दिवस



Varanasi (dil India live)। युगदृष्टा बाबा हरदेव सिंह का दिव्य सर्वप्रिय स्वभाव व उनकी विशाल अलौंकिक सोच मानव कल्याण के लिए समर्पित थी। उन्होंने पूर्ण समर्पण सहनशीलता एव विशालता वाले भावो से युक्त होकर ब्रह्मज्ञान रूपी सत्य के संदेश को जन जन तक पहुंचाया और विश्व बंधुत्व की परिकल्पना को वास्तविक रूप प्रदान किया। उक्त बातें समर्पण दिवस के अवसर पर वाराणसी जोन के जोनल इंचार्ज सिद्धार्थ शंकर सिंह ने संबोधित करते हुए कही। सत्संग की सारी व्यवस्था सेवादल के अधिकारियों के देख रेख में सेवादल के जवानों एव बहनों ने किया। संत निरंकारी सत्संग भवन मलदहिया वाराणसी पर जिलास्तरीय विशाल सत्संग में सैकड़ों निरंकारी भक्तों ने बाबा हरदेव सिंह महाराज के प्रेरक संदेश की कुछ भी बनो मुबारक है, पर पहले इंसान बनो, दीवार रहित संसार, एक को जानो, एक को मानो, एक हो जाओ आदि संदेशों से प्रेरणा लेते हुए सत्संग का आनन्द प्राप्त किया।

वक्ताओं ने कहा कि बाबा ने मानवता का दिव्य स्वरूप बनाने निरंकारी संत समागमों की अविरल श्रृंखला को निरंतर आगे बढ़ाया, जिसमें उन्होंने सभी को ज्ञानरुपी धागे में पिरोकर प्रेम एव नम्रता जैसे दिव्य गुणों से परिपूर्ण किया। इंसानियत ही मेरा धर्म है इस कथन को चरितार्थ करते हुए संत निरंकारी मिशन की शिक्षा को छोटे छोटे कस्बों से लेकर दूर देशों तक बाबा जी ने विस्तृत किया। उन्होंने सदैव यही समझाया कि भक्ति की धारा जीवन में निरंतर बहती रहनी चाहिए।

         बाबा हरदेव सिंह जी को मानव मात्र की सेवाओं में अपना उत्कृष्ट योगदान देने के लिए देश विदेश में सम्मानित भी किया गया। उन्हें 27यूरोपीय देशों की पार्लियामेंट ने विशेष तौर पर सम्मानित किया और मिशन को सयुक्त राष्ट्र यूएन का मुख्य सलाहकार भी बनाया गया। साथ ही विश्व में शांति स्थापित करने हेतु अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सम्मानित किया गया।

          सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज बाबा हरदेव सिंह की सिखलाइयो का जिक्र करते हुए कहती है की बाबा ने अपना सम्पूर्ण जीवन ही मानव मात्र की सेवा में अर्पित कर दिया। मिशन का 36 वर्षो तक नेतृत्व करते हुए उन्होंने प्रत्येक भक्त को मानवता का पाठ पढ़ाकर उनका कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया। सतगुरु माता जी अक्सर कहते है की हम अपने कर्म रूप में एक सच्चे इंसान बनकर प्रतिपल समर्पित भाव से अपना जीवन जिए यही सही मायने में बाबा जी के प्रति हमारा सबसे बड़ा समर्पण होगा, और उनके शिक्षाओं पर चलते हुए हम उन्हे सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते है।

         

शुक्रवार, 13 मई 2022

Ghazi miya ki shadi: पलंग पीढ़ी बहराइच रवाना

गाज़ी मियां की मेदनी के जुलूस में उमड़ा जनसैलाब




Varanasi (dil India live)। शुक्रवार को बड़ी बाजार, सलारपुरा स्थित प्रसिद्ध सूफी संत हज़रत सैयद सलार मसूद गाजी‌ रहमतुल्लाह अलैह गाजी मियां की पलंग-पीढ़ी (मेदनी) का जुलूस गाजी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी के नेतृत्व में उठाया गया। 
दरअसल गाजी मियां की शादी 22 मई को होना है। शादी के सवा महीने पहले से ही शादी की रस्में शुरू हो जाती है। इसी क्रम में आज मेदनी का जुलूस निकाला गया। जुलूस चौकाघाट तक दरगाह कमेटी के ओहदेदारानो की अगुवाई में निकाला गया। जुलूस में हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान, नोमान अहमद, अब्दुल अब्दुल्लाह, जीशान अहमद, मो.शमीम के साथ तमाम बनारस जिले से आये जायरीन के हुजूम के साथ सरकार के कोविड नियमों का पालन करते हुए बहराईच दरगाह के लिये रवाना किया गया। 
जुलूस में दरगाह कमेटी के प्रतिनिधिगण निजामुद्दीन (कोड़े बरदार), मो. छोटक (निशान बरदार), मो. आरिफ हाशमी गुड्डू (डंकेबरदार), मुन्ना फुहारा वाले (जमेदार) को अपने कदीमी रास्तों से होते हुए बहराईच दरगाह भेजा गया। जुलूस को इंस्पेक्टर जैतपुरा मथुरा राय ने आगे बढ़ाया। दरगाह कमेटी के सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने प्रशासन के लोगों का और जायरीन का शुक्रिया अदा किया।

गुरुवार, 12 मई 2022

13 may को दुनिया को अलविदा कह गए थे बाबा

ऐसे थे निरंकारी मिशन के बाबा हरदेव सिंह

नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारा चाहते थे बाबा



Aman 

Varanasi (dil India live)।नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारा हो, लोग एक दूसरे से प्यार करें, अहिंसा का अंत हो। यह मिशन था संत निरंकारी मिशन प्रमुख बाबा हरदेव सिंह महाराज का। वो निरंकारी मिशन के चौथे प्रमुख थे। इनका जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली में पिता गुरबचन सिंह (बाबा जी) व माता कुलवंत कौर (राज माता) के यहां हुआ। इनका विवाह सविंदर कौर (सतगुरु माता) के साथ हुआ। बचपन से ही ये माता-पिता के साथ देश-विदेश की आध्यात्मिक यात्राएं किया करते थे।

24 अप्रैल, 1980 को बाबा गुरबचन सिंह के बलिदान के बाद इन्होंने मिशन की बागडोर संभाली और अपने पहले प्रवचनों में ही संगतों को नफरत त्याग कर, विश्व में प्रेम और भाईचारे की भावना को फैलाने के लिए यत्न करने को कहा। युवाओं को अच्छे कार्यों के प्रति प्रेरित करने के लिए इन्होंने रक्तदान शिविरों की शुरूआत की और नारा दिया ‘खून नालियों में नहीं नाड़ियों में बहना चाहिए।’ 24 अप्रैल 1986 से लगातार हर वर्ष देश-विदेश में रक्तदान शिविर लगने लगे जो आज भी जारी हैं और निरंकारी मिशन के नाम पर रक्तदान का वल्र्ड रिकार्ड बना। इन्होंने जात-पात, नशों के सेवन और दाज दहेज के नाम पर समाज में व्याप्त बुराइयों को अपने उपदेशों द्वारा मानव जीवन से निकालने का भरपूर प्रयास किया।

इन्होंने 36 वर्ष तक मिशन का नेतृत्व किया और ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को खत्म करने के लिए अपने अनुयाइयों को वृक्षारोपण करने का आदेश दिया। इनके जन्म दिवस पर इनके अनुयायी सड़कों, सरकारी अस्पतालों, स्कूलों, रेलवे स्टेशनों आदि पर बड़े स्तर पर सफाई करते तथा वृक्ष भी लगाते हैं। इसके साथ ही मिशन द्वारा विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के आने पर राहत कार्य भी किए जाते हैं। इन्होंने अपना सारा जीवन मानवता की भलाई में काम करते हुए विश्व में अमन, चैन, शांति व भाइचारे की स्थापना के लिए समर्पित कर दिया।

13 मई को दुर्घटना में हुआ था निधन

13 मई 2016 की सुबह बाबा हरदेव सिंह महाराज पंचतत्व शरीर को छोड़ कर बिछोड़ा दे गए। उनका निधन एक दुर्घटना में हुआ था। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 13 मई को विश्व भर में मिशन के श्रद्धालुओं द्वारा समर्पण दिवस के तौर पर मना कर उनकी सराहनीय देन को याद किया जाएगा।

मानव सेवा ही मिशन

बाबा के देवलोग गमन के बाद सतगुरु माता सुदीक्षा मानवता की सेवा में जुटी हैं। समूचे विश्व में कोरोना महामारी के चलते लॉकडाऊन जब लगा था, उस कठिन समय में माता सुदीक्षा के आदेश पर निरंकारी मिशन के सभी भक्त पूरे भारत में जरूरतमंदों की मदद को आगे आए थे।


माता सुदीक्षा ने पंजाब के निरंकारी भवनों को शेल्टर होम्स के रूप में उपयोग करने की पेशकश की थी। इसके अलावा पूरे विश्व में निरंकारी मिशन के स्वयं सेवकों द्वारा लॉकडाऊन के दौरान प्रशासन के दिशनिर्देशों के तहत जरूरतमंदों को राशन, लंगर, मास्क, सैनीटाइजर, दस्ताने, पी.पी. ई किट्स व हैड शील्ड किट्स आदि दान किया गया था।

एएनएम मनोरमा के काम से प्रभावित होकर स्टेट टीम ने किया ट्वीट

मनोरमा की तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल से किया ट्वीट



Himanshu rai
Ghazipur (dil India live)। स्वास्थ्य विभाग में नवजात शिशु से लेकर गर्भवती को समय-समय पर टीकाकरण करने वाली एएनएम जो स्वास्थ्य विभाग की निचली और सबसे महत्वपूर्ण कड़ी होती है। ऐसी ही एक एएनएम को डॉ मनोज शुक्ला जीएमआरआई लखनऊ ने उसके कार्यों से प्रभावित होकर उसकी तस्वीर अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया है। साथ ही एनएचएम यूपी,डिजिटल इंडिया एवं आयुष्मान डीएचएम को टैग भी किया है। और इस ट्वीट को मिशन निदेशक अपर्णा यू ने रिट्वीट करते हुए लिखा है जब गाजीपुर की एएनएम  कर सकती है तो अन्य क्यों नहीं।

दरअसल जनपद में चल रहे सघन मिशन इंद्रधनुष 4.0 के तीसरे चरण का स्थलीय निरीक्षण करने स्टेट से डॉ मनोज शुक्ला जीएमआरआई लखनऊ और डॉ विजय अग्रवाल यूनिसेफ लखनऊ ने गाजीपुर का दौरा 9 मई को किया। जनपद के कई स्वास्थ्य केंद्रों के साथ ही कोल्ड चैन के रखरखाव की बहुत ही बारीकी से निरीक्षण किया। इस दौरान यह टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बिरनो के भड़सर उपकेंद्र पर पहुंचा जहां पर एएनएम मनोरमा के द्वारा टीकाकरण का कार्य किया जा रहा था। उसके कार्य करने का तरीका देखकर निरीक्षण करने वाली टीम काफी प्रभावित हुई। क्योंकि मनोरमा टीकाकरण करने के साथ ही ऑफलाइन रिकॉर्ड मेंटेन के साथ ही ई कवच पोर्टल पर तत्काल ऑनलाइन भी कर रही थी। जो निरीक्षण करने वाली टीम को पूरे जनपद में यही मिली। जिससे प्रभावित होकर टीम ने एएनएम मनोरमा की फोटो अपने टि्वटर हैंडल से ट्वीट किया।

इसके अलावा डिस्ट्रिक्ट कोल्ड चैन का भी निरीक्षण किया और वहां के रखरखाव और व्यवस्था से प्रभावित हर।साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मोहम्मदाबाद पर भी टीम गई। जहां पर कम जगह होने के बाद भी कोल्ड चैन रूम को अच्छे तरीके से रखने का प्रबंध किया गया था। और इनके फील्ड की एएनएम प्रीति गुप्ता का प्रदर्शन ठीक भी रहा। जिसे टीम ने सराहा।

जीवन में आये तूफान से भी नहीं रुके सेवा भाव के कदम

अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस (12 मई) पर विशेष


 • हौसलों के उड़ान की मिसाल हैं   नर्सिंग सेवा में जुटीं यह  महिलाएं

 • मरीजों को परिवार का सदस्य मानकर सेवा करना है इनके जीवन का लक्ष्य





Varanasi (dil India live)। रात के अंधेरे में लालटेन लेकर घायलों की सेवा करने के साथ-साथ महिलाओं को नर्सिंग की ट्रेनिंग देने वाली फ्लोरेंस  नाइटेंगल को भला कौन नहीं जानता। क्रीमिया युद्ध में घायल सैनिकों के उपचार में अहम भूमिका निभाने वाली फ्लोरेंस नाइटेंगल को ‘लेडी विद द लैम्प’ के नाम से भी जाना जाता है। हर वर्ष उनकी याद में 12 मई  को ‘अन्तर्राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाया जाता है। फ्लोरेंस  नाइटेंगल तो अब इस दुनिया  में नहीं हैं  लेकिन उनके पदचिन्हों पर चलते हुए नर्सिंग सेवा कर रहीं  महिलाओं की संख्या अनगिनत है।  आध्यात्मिक नगरी काशी में भी नर्सिंग सेवा में जुटी ऐसी ही महिलाओं ने अपनी अलग पहचान बना रखी है।

 *फिर भी नहीं रुके कदम-* 

मरीजों की सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना चुकीं  सुनीता के जीवन में आये तमाम तूफान भी उनके कदमों को रोक न सके। कोविड काल में अपनी जान पर खेल कर मरीजों के लिए किये गये योगदान को जहां एक नजीर के तांैर पर देखा जाता है वहीं किसी भी मरीज की अपने परिवार के सदस्य की तरह सेवा करना सुनीता को औरों से अलग पहचान दिलाता है। मण्डलीय चिकित्सालय में नर्स सुनीता बताती हैं कि बचपन से ही उनके मन में मरीजों की सेवा करने का भाव था। यही कारण था कि उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई  की ताकि अपने सपनों को वह साकार कर सकें। उनका सपना सच होता भी नजर आया जब उन्हें नर्स की नौकरी मिल गयी। ड्यूटी को वह पूजा मान मरीजों की सेवा में जुट गयीं । शेष समय वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने में गुजार देती थी। सबकुछ अच्छा चल रहा था। परिवार में बेटा निशांत और बेटी तृप्ति के साथ वह खुशहाल जीवन गुजार रही थी। तभी उनके जीवन में अचानक तूफान आ गया। वर्ष 2013 में उनके पति आशीष सिंह की हार्ट अटैक से हुई मौत ने उनका सारा  सुख-चैन छीन लिया। इस हादसे से वह काफी दिनों तक सदमें में रहीं। लगा कि सबकुछ छिन गया। लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने हिम्मत जुटाई और जीवन को पटरी पर धीरे-धीरे लाने का प्रयास करने के साथ ही पुनः मरीजों की सेवा में जुट गयी। मरीजों की सेवा वह इस भावना के साथ करती है, जैसे वह उनके परिवार का ही सदस्य हो।

 *मरीजों की सेवा ही जीवन का लक्ष्य-* 

गाजीपुर जिले की रहने वाली पूनम चौरसिया राजकीय महिला जिला चिकित्सालय में स्टाफ  नर्स है। पूनम बताती हैं कि पढ़ार्इ में वह शुरू से ही अव्वल रहीं। उनके सामने अन्य क्षेत्रों में भी कार्य करने के अवसर थे पर बचपन से ही उन्होंने नर्स बनने का सपना देख रखा था। इन्सान की सेवा को ही सबसे बड़ा धर्म मानने वाली पूनम बताती है कि नर्स की नौकरी पाने के बाद यह सपना साकार हो गया। वह जिला महिला चिकित्सालय के सर्जरी वार्ड में ड्यूटी करती हैं। आपरेशन के बाद दर्द से कराहती प्रसूताओं की सेवा करने से उन्हें एक अलग तरह का सुख मिलता है। वह बताती है कि कभी-कभी ऐसी भी प्रसूताएं उनके वार्ड में भर्ती होती है, जिनके परिवार में कोर्इ भी नहीं होता। तब उनकी जिम्मेदारी और भी बढ जाती है। ऐसे मरीजों का उन्हें अलग से ख्याल रखना होता है। मरीज और नर्स के बीच शुरू हुआ ऐसा रिश्ता बाद में ऐसे आत्मीय रिश्ते में बदल जाता है कि अस्पताल से घर जाने के बाद भी मरीज और उसके परिवार के लोग उनके सम्पर्क में रहते हैं।

 परिवार की जिम्मेदारियों के साथ-साथ समाज सेवा भी 

 सुनीता शादमान राजकीय महिला जिला चिकित्सालय में स्टाफ  नर्स हैं। उनकी डयूटी अधिकांशतः आपरेशन थियेटर में रहती है। वह बताती है कि यही एक ऐसी नौकरी है जिसमें परिवार की जिम्मेदारियों को संभालने के साथ-साथ समाज सेवा का भी भरपूर अवसर मिलता है। सुनीता शादमान कहती है कि यही वजह थी कि उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की और इस सेवा में जुट गयी। वह बताती है कि आपरेशन थियेटर में घबरा रही महिलाओं को ढांढस देना। वहां उन्हें अपने परिवार के सदस्य जैसा माहौल देकर उसकी पीड़ा को कम करने का प्रयास करती है। उनकी पूरी कोशिश होती है कि मरीज उनके सेवा व समर्पण भाव को याद रखे।

मंगलवार, 10 मई 2022

छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध दें, और कुछ नहीं

सीडीओ ने किया ‘पानी नहीं, केवल स्तनपान अभियान’ की शुरुआत 

30 जून तक चलेगा अभियान

सभी कंवर्जेंस विभागों के सहयोग से सफलतापूर्वक संचालित हो अभियान - सीडीओ

कहा - आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समुदाय को जागरूक करने में निभाएं अहम भूमिका 



Varanasi (dil India live)। आयुक्त सभागार में मंगलवार को 'पानी नहीं, केवल स्तनपान' अभियान का शुभारंभ मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) अभिषेक गोयल ने किया । अभियान के प्रथम दिन जनपद के समस्त विकास खंडों की बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) एवं सुपरवाइजर का अभिमुखीकरण किया गया । इस दौरान अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (एसीएमओ) डॉ एके मौर्य, जिला कार्यक्रम अधिकारी (डीपीओ) डीके सिंह एवं यूनीसेफ के मंडल समन्वयक अंजनी कुमार राय ने ' छह माह तक शिशु को सिर्फ मां का दूध' के महत्व के बारे में विस्तार से बताया।

      मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि अभियान के दौरान प्रत्येक ग्राम में सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ भ्रमण का गर्भवती एवं धात्री महिलाओं को स्तनपान के संबंध में प्रशिक्षित करें । इस अवसर पर पोस्टर का प्रारूप भी जारी किया गया । उन्होंने कहा कि शासन के निर्देश के क्रम में अभियान के तहत बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग विभिन्न बैठकों में अभियान की कार्य योजना बनाए और व्यापक रूप से प्रचार - प्रसार करे। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग संस्थागत प्रसव के प्रत्येक मामले में शिशु जन्म के बाद लाभार्थी परिवार को केवल स्तनपान पर अनिवार्य परामर्श दिया जाए। आशा कार्यकर्ता अधिक से अधिक लाभार्थी परिवारों तक परामर्श देने का प्रयास करें। ग्राम विकास विभाग स्वयं सहायता समूह की मासिक बैठकों में अभियान के संदेशों को प्रचारित करने में मदद करे। पंचायती राज विभाग लक्षित लाभार्थियों के यहां गृह भ्रमण कर अभियान के संदेशों का प्रचार-प्रसार कराए। बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग सरकारी एवं अनुदानित विद्यालयों में अध्यापकों द्वारा अभियान के संदेशों को विद्यार्थियों के माध्यम से प्रचारित कराने में सहयोग करे। खाद्य एवं रसद विभाग कोटेदारों के सहयोग से अभियान के संदेशों का प्रचार-प्रसार तथा लक्षित लाभार्थियों को परामर्श दिया जाए। डेवलपमेंट पार्टनर्स चिह्नित कार्य क्षेत्र में आईसीडीएस विभाग को प्रचार-प्रसार में सहयोग करे। सूचना, शिक्षा तथा संचार माध्यमों के प्रयोग से अभियान में सहभागी बनेंगे। 

       एसीएमओ डॉ एके मौर्य ने कहा कि शिशु की छह माह की आयु तक "केवल स्तनपान" उसके जीवन की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है, लेकिन जागरूकता की कमी से समाज में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं व मिथकों के कारण छह माह तक "केवल स्तनपान सुनिश्चित नहीं हो पाता है। परिवार के सदस्यों द्वारा शिशु को घुट्टी, शहद, चीनी का घोल, पानी आदि का सेवन करा दिया जाता है, जिसके कारण शिशुओं में कई प्रकार के संक्रमण हो जाते हैं, जोकि शिशु के स्वस्थ जीवन के लिए घातक सिद्ध होता है। शिशु के प्यासा रहने की आशंका मे उसे पानी देने का प्रचलन गर्मियों में बढ़ जाता है। माँ के दूध में अन्य पौष्टिक तत्वों के साथ-साथ पानी भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है और शिशु की पानी की आवश्यकता केवल स्तनपान से पूरी हो जाती है। अतः शिशु को छः माह तक, ऊपर से पानी देने की बिलकुल आवश्यकता नहीं होती है। ऊपर से पानी देने से शिशुओं में संक्रमण होने की सम्भावना बढ़ जाती है। 

      डीपीओ डीके सिंह ने बताया कि यह अभियान 30 जून तक चलेगा। अभियान के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा समुदाय में छह माह तक के शिशुओं में केवल स्तनपान सुनिश्चित करना है। इसके साथ समुदाय में व्याप्त मिथक एवं भ्रांतियों को भी दूर किया जाएगा।

Ghazi miya ki shadi:जुमे को बहराइच जाएगी पलंग पीढ़ी

गाज़ी मियां की शादी: 22 को लगेगा मेला, मनेगा उर्स



Varanasi (dil India live) बड़ी बाजार स्थित हजरत सैयद सलार मसूद गाजी मियां रहमतुल्लाह अलैह की शादी की शादी की रस्म कोविड काल के बाद इस बार धूमधाम से अदा की जाएगी। शादी से पहले पलंग पीढ़ी, मेंहदी वो जोड़ा बनारस से बहराइच रवाना होगा।

गाज़ी मियां की शादी की रस्म के साथ शादी पर उर्स और मेले की तैयारियां भी अब तेज़ हो गई है। दरगाह हजरत गाज़ी मियां के सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने बताया कि 22 मई को गाज़ी मियां की बारात निकलेगी। इस दौरान तीन दिनों तक मेला लगेगा। बारात के पूर्व 13 मई को पलंग-पीढ़ी और जोड़े का जुलूस दरगाह से निकलेगा जो बहराइच रवाना होगा। उन्होंने कहा कि इस दौरान कोरोना महामारी से निजात की दुआएं भी मांगी जाएगी। उन्होंने कहा कि गाजी मियां की लग्न सवा महीने पहले ही अदा की जा चुकी है। गाजी मियां की शादी की रस्म की शुरूआत लग्न से ही हो जाती है। दरगाह गाजी मियां के गद्दीनशीन/सेक्रेटरी हाजी एजाजुद्दीन हाशमी ने कहा कि रगाह कमेटी के सदर हाजी सिराजुद्दीन अहमद, नियाजुद्दीन हाशमी, डा. अजीजुर्रहमान,  अब्दुल अब्दुल्लाह, व नोमान अहमद हाशमी की अगुवाई में फातिहा और चादर पोशी की रस्म उर्स के दौरान अदा की जाएगी।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...