सोमवार, 21 मार्च 2022

भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की मनाई गई 106 वी जयंती

बिस्मिल्लाह खां की जयंती पर दरगाह-ए-फातमान पर चढ़े अकीदत के फूल 

वाराणसी 21 मार्च (दिल इंडिया लाइव)। दरगाह-ए-फातमान में सोमवार को शहनाई सम्राट भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां की 106 वी जयंती मनाई गई। इस मौक़े पर मौजूद उस्ताद के अजीजों, कद्रदानो ने उनकी मजार पर अकीदत के फूल चढ़ाएं और दुआ मांगी। इसके पूर्व उनके मकबरे पर फातिहा पढ़कर लोगों ने रब से मगफिरत की दुआएं मांगी।

कार्यक्रम संयोजक शकील अहमद जादूगर व अब्बास मुर्तजा शम्सी ने कहा कि उस्ताद बिस्मिल्लाह खां गंगा-जमुनी तहजीब के प्रतीक व भारत के सच्चे सपूत थे। इतने महान कलाकार होते हुए भी उन्होंने हमेशा फकीरी की जिंदगी गुजारी। बिस्मिल्ला खां का जन्म पैगम्बर खां और मिट्ठन बाई के यहां बिहार के डुमरांव में हुआ था। वह भारत मां के सच्चे सपूत थे। जंयती समरोह के मौके पर उस्ताद की बड़ी बेटी जरीना फातिमा, नतनी कहकशां, पोते परवेज हसन के अलावा आफाक हैदर, जावेद व गाजी अब्बास समेत अन्य कद्रदान मौजूद रहे।

उस्‍ताद बिस्मिल्‍लाह खां का जन्‍म 21 मार्च को बिहार के डुमरांव में एक पारंपरिक मुस्लिम परिवार में हुआ था। हालांकि, उनके जन्‍म के वर्ष के बारे में मतभेद है। कुछ लोगों का मानना है कि उनका जन्‍म 1913 में हुआ था और कुछ 1916 मानते हैं। उनका नाम कमरुद्दीन खान था। वे ईद मनाने मामू के घर बनारस गए थे और उसी के बाद बनारस उनकी कर्मस्थली बन गई। उनके मामू और गुरु अली बख्श साहब बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते थे और वहीं रियाज भी करते थे। यहीं पर उन्‍होंने बिस्मिल्‍लाह खां को शहनाई सिखानी शुरू की थी।

उस्ताद से शहनाई, शहनाई से उस्ताद

कहा जाता है शहनाई और उस्ताद एक दूसरे के पूरक थे। करीब 70 साल तक बिस्मिल्लाह साहब अपनी शहनाई के साथ संगीत की दुनिया पर राज करते रहे। आजादी के दिन लाल किले से और पहले गणतंत्र दिवस पर शहनाई बजाने से लेकर उन्होंने हर बड़ी महफिल में तान छेड़ी। उन्होंने एक हिंदी फिल्म ‘गूंज उठी शहनाई’ में भी शहनाई बजाई, लेकिन उन्हें फिल्म का माहौल पसंद नहीं आया। बाद में एक कन्नड़ फिल्म में भी शहनाई बजाई। ज्यादातर बनारसियों की तरह वे इसी शहर में आखिरी सांस लेना चाहते थे। 17 अगस्त 2006 को वे बीमार पड़े। उन्हें वाराणसी के हेरिटेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। वे 21 अगस्त को दुनिया से रुखसत हो गए।

नींव की ईट........


मस्जिद अंबर की तामीर में सौहार्द की नज़ीर "हिंदू ईट"

लखनऊ २१ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। लखनऊ में अंबर मस्जिद में अब महिलाओं के लिए अलग मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें नीव की एक ईट रखने   का मुझे भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। निश्चित रूप से बचपन से मेरे मन में ही नहीं आपके मन में भी यह विचार आता होगा कि यदि मस्जिदों में मुस्लिम पुरुष इबादत कर सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं???? पर इसका जवाब आज तक नहीं मिला। एक दिन अचानक ऑल इंडिया मुस्लिम वुमन पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMWPLB) की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर जी द्वारा महिलाओं के नमाज हेतु मस्जिद में स्थान बनाने की चर्चा हुई और इस कार्यक्रम में 2 फ़रवरी 2022 मुझे आमंत्रित किया। निश्चित रूप से किसी मुस्लिम इबादत गाह में यह मेरा पहला कदम था।  नीव की ईट का सहयोग देना भगत सिंह अमर रहे ,विवेकानंद की जय हो ,इत्यादि के नारों के साथ वाकई रोमांचकारी अनुभव सिद्ध हुआ। 

         भारत देश विविधताओं का देश है यदि यहां मंदिर के घंटों से सुबह की शुरुआत होती है तो अजान की गुहार को हम नकार नहीं सकते। आज हिंदू मुस्लिम नफरत के हर संभव प्रयास के बीच हिंदू मुस्लिम एकता का एक छोटा सा उदाहरण बनी नीव की ईट।

           बता दें अंबर मस्जिद की स्थापना 1997 में शाइस्ता अंबर ने की थी. शाइस्ता जी ने बताया की अब तक महिलाओं को छत के नीचे और परिसर में टेंट के पीछे अस्थायी व्यवस्था पर नमाज पढ़नी पड़ती थी जिससे महिला नमाजियों को धूप और बरसात में काफी दिक्कतें आती थी। महिलाओं के लिए प्रस्तावित अलग हॉल एक मंजिला संरचना है, जिसे 3 लाख रुपये से अधिक की लागत से बनाया जाएगा। इस ऐतिहासिक निर्माण में आप भी आर्थिक सहयोगी  बन सकते हैं ।

               निर्माण कार्य जोरों पर है उम्मीद है कि रमजान तक, जो अप्रैल में है,  महिलाओं के लिए एक उचित हॉल होगा जहां वे न केवल नमाज अदा करेंगे बल्कि तरावीह, हदीस, उपदेश, जुमा खुतबा और अन्य धार्मिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेंगी। महिला सशक्तिकरण की बात करना तो आसान है पर उनके लिए हक और अधिकार दिलाने की जद्दोजहद में कुछ करके दिखा देना शायद इसी को कहते हैं।


                     आमतौर पर शिया और सुन्नी मसलक के लोग अलग-अलग मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं, लेकिन पीजीआई के पास स्थित अंबर मस्जिद में ऐसी कोई बंदिश या अलगाव नहीं है और अब महिलाएं भी नमाज पढ़ने की अधिकारी बनेगी।  यहां शिया-सुन्नी एकता के पीछे  महिलाओं का बड़ा योगदान है।

                पीजीआई ट्रॉमा सेंटर के पास स्थित अंबर मस्जिद का निर्माण साल 1997 में हुआ। मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अंबर बताती हैं कि मस्जिद बनवाने के लिए उन्होंने जेवर बेचकर जमीन खरीदी। इस मस्जिद के मेन गेट पर संगमरमर पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कि यहां सभी मसलक के लोग नमाज पढ़ें, इस्तकबाल है। आज यहां सवा सौ से ज्यादा शिया-सुन्नी रोजेदार नमाज पढ़कर एक साथ रोजा खोलते हैं।

            शाइस्ता जी ने दोनों मसलक के लोगों के लिए इस शर्त पर मस्जिद की तामीर करवाई कि वे एक साथ यहां अल्लाह की इबादत करेंगे। अंबर मस्जिद का उद्‌घाटन 2 फरवरी, 1997 को मौलाना अली मियां ने किया था। शाइस्ता जी के मुताबिक, सौर ऊर्जा के पैनल से लैस इस मस्जिद में मिलाद शरीफ के साथ शोहदा-ए-कर्बला का भी जिक्र होता है। मस्जिद के कैंपस में 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडारोहण भी होता है। 

           सामाजिक समरसता का उदाहरण प्रस्तुत करती है मस्जिद जहां रामनामी दुपट्टा, रुद्राक्ष की माला, गुरु ग्रंथ साहब , आचार्य शर्मा जी द्वारा रचित शांतिकुंज की महत्वपूर्ण पुस्तकें वा लेख के साथ-साथ बाइबल की उपलब्धता सभी धर्मों के सम्मान क जीता जाता उदाहरण प्रस्तुत करती है।

             निश्चित रूप से मस्जिद के अंदर पहला कदम रखने का यह मेरा पहला अनुभव यादगार रहा इबादत आप किसी भी धर्म की करिए पर सम्मान सभी धर्मों का हो यह भारत की सहिष्णुता सभ्यता और संस्कार को बनाए रखने के लिए बहुत ही जरूरी है।

“ कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी। सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-ज़माँ हमारा।। यूनान-ओ- मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से । ..

......... महिलाओं के हक अधिकार के लिए लड़ती एक महिला निश्चित रूप से हम सभी के स्नेह और श्रद्धा का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करती शाइस्ता अंबर चाहे तीन तलाक जैसे कुरीति को खत्म करने की लड़ाई हो या महिलाओं के लिए पूजा स्थानों में जगह दिलाने की बात पूरी मुस्तैदी से अपने कर्तव्य में लगी है निश्चित रूप से यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है इस ऐतिहासिक जद्दोजहद में मुझे मेरे नाम की नीव की ईट रखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।


(जैसा कि सामाजिक दर्पण की अगुआ, रीना त्रिपाठी, ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया)

रविवार, 20 मार्च 2022

पोलियो खुराक देने के लिए घर-घर पहुंचेगी टीम

सघन पल्स पोलियो अभियान शुरू

  • अपर निदेशक (स्वास्थ्य) ने किया शुभारंभ
  • पहले दिन आयोजित हुये 1800 ‘बूथ दिवस’ 
  • जिले के 2.80  लाख बच्चों को दी पोलियो की खुराक 



वाराणसी 20 मार्च (dil India live )। सघन पल्स पोलियो अभियान रविवार को शुरू हो गया है। अभियान के पहले दिन ‘बूथ दिवस’ का आयोजन कर जिले के 2.80 लाख से अधिक बच्चों को पोलियो की खुराक दी गयी। सोमवार से टीमें घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलायेंगी।

सघन पल्स पोलियो अभियान का उद्घाटन कबीरचौरा स्थित जिला महिला चिकित्सालय में वाराणसी मण्डल के अपर निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) डॉ शशिकांत उपाध्याय ने बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाकर किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हम सभी को एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाना है, ताकि हमारे नौनिहाल पोलियो की बीमारी का कभी शिकार न हो सकें। इसके लिए अभियान में लगे स्वास्थ्यकर्मी व अन्य विभागों के अलावा सामाजिक संगठनों के साथ हर नागरिक को इस बात का ध्यान रखना होगा कि पोलियो की खुराक लेने में शून्य से पाँच वर्ष तक का कोई बच्चा छूटने न पाये। उन्होंने कहा कि यदि घर में या आस-पड़ोस में पांच वर्ष तक का बच्चा है तो नजदीकी पोलियो बूथ पर ले जाकर उसे पोलियो की खुराक पिलाएँ जिससे उसे इस बीमारी से प्रतिरक्षित किया जा सके।

  जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ वी. एस. राय ने कहा कि रविवार से शुरू हुआ यह अभियान शुक्रवार तक चलेगा। उन्होंने बताया कि अभियान के पहले दिन रविवार को ‘बूथ दिवस’ का आयोजन किया गया। इसके तहत जिले के ग्रामीण व नगरीय इलाकों में कुल 1800 बूथ बनाये गये जहां पाँच वर्ष तक के 2.80 लाख बच्चों को पोलियो की खुराक दी गई। डॉ राय ने बताया कि सोमवार से टीमें घर-घर जाकर छूटे हुए बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाएंगी। इसके लिए जिले में 1265 टीमों का गठन कर लिया गया है। सोमवार से यह टीमें निर्धारित क्षेत्र के सभी घरों में जायेंगी और वहां पाँच वर्ष के छूटे हुए बच्चों की जानकारी लेकर उसे पोलियो की खुराक देंगी। इसके साथ ही रेलवे स्टेशन, बस स्टैण्ड, व अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भी टीमों की तैनाती की जा रही है जो बच्चों को पोलियो की खुराक देंगी। इस अवसर पर अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एके मौर्य, जिला महिला चिकित्सालय के एसआईसी डा. एके श्रीवास्तव, उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डा. सुरेश सिंह, वरिष्ठ चिकित्सक डा. एके पाण्डेय, डब्ल्यूएचओ के डा. जयशीलन, डा. सतरूपा, यूनीसेफ के डा. शाहिद अख्तर के अलावा स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।

आदर्श ब्लॉक सेवापुरी में भी हुई शुरुआत -

 आदर्श ब्लॉक सेवापुरी के ठठरा गाँव में मौलाना खलील हाफिज ने बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाकर पोलियो बूथ दिवस का शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होने समुदाय से अपील की कि अपने पाँच साल तक के बच्चों को दो बूंद पोलियो की खुराक अवश्य पिलाएँ और उन्हें पोलियो बीमारी से बचाएं। इस मौके पर एएनएम शांति राय, आशा कार्यकर्ता खुशनुमा व विनोद कुमार उपस्थित थे। इसके साथ सेवापुरी के ही प्राथमिक विद्यालय भीषमपुर पर पोलियो बूथ दिवस का उदघाटन प्रधान संघ के अध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने किया। इस मौके पर बीपीएम अनूप कुमार मिश्रा, पोलियो सुपरवाजर, एएनएम, अध्यापक, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मौजूद रहे। इसके अलावा चिरईगांव ब्लॉक के सियो गाँव में ग्राम प्रधान सविता देवी ने पोलियो बूथ दिवस का शुभारंभ किया। इस मौके पर यूनीसेफ के डॉ शाहिद, एएनएम, आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं अन्य लोग मौजूद रहे।

5.49 लाख बच्चों को पोलियो खुराक पिलाने का लक्ष्य

25 मार्च तक चलेगा पल्स पोलियो अभियान

हिमांशु राय

ग़ाज़ीपुर,20 मार्च (दिल इंडिया लाइव)। पल्स पोलियो अभियान जो रविवार 20 मार्च से शुरू होकर 25 मार्च तक पूरे जनपद में एक वृहद अभियान के रूप में चलाया जाएगा। इस अभियान का शुभारंभ नगरीय स्वास्थ्य केंद्र हाथीखाना पर प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ के के वर्मा के द्वारा 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को जिंदगी के दो बूद की खुराक देकर शुभारंभ किया गया। 25 मार्च तक चलने वाले इस अभियान के लिए जनपद में 5.49 लाख बच्चों को टारगेट किया गया है। जिन्हें पल्स पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी।


प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ के के वर्मा ने बताया कि यह कार्यक्रम 0 से 5 साल तक के बच्चों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस खुराक के पीने से बच्चों को पोलियो व अन्य बीमारियों से आसानी से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस बार इजराइल में एक केस मिलने के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन एक बार फिर से पूरे जोशो खरोश के साथ पल्स पोलियो कार्यक्रम के माध्यम से पोलियो को जड़ से खत्म करने का ठाना है।

उन्होंने बताया कि कोविड-19 महामारी के चलते लगातार दो साल से पल्स पोलियो कार्यक्रम स्थगित रहा। ऐसे में शासन के निर्णय के अनुसार रविवार से जनपद में टारगेट 5.49 लाख बच्चों को पल्स पोलियो के तहत जिंदगी के दो बूद देने का कार्यक्रम शुरू किया गया है । जो आज जनपद के 2009 बूथ के माध्यम से कार्यक्रम चलाया जाएगा। साथ ही सोमवार से शुक्रवार तक घर घर जाकर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी वही छूटे हुए बच्चों को 28 मार्च को स्पेशल कार्यक्रम के तहत पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी। डब्ल्यूएचओ के एसएमओ विनय शंकर दूबे ने बताया पोलियो या पोलियोमेलाइटिस एक गंभीर और खतरनाक बीमारी है जो वायरस से होती है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलता है। साथ ही यह वायरस जिस भी व्यक्ति में प्रवेश करता है उसके मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है जिसकी वजह से लकवा भी हो सकता है। उन्होने बताया 2014 से अभी तक भारत में पोलियो के एक भी रोगी नहीं देखे गए लेकिन सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष कम से कम 4 बार पोलियो अभियान चलाया जाता है। यह दवा पाँच वर्ष से कम उम्र के सभी बच्चों के लिये आवश्यक है। यह दवा जन्म के समय, छठे, दसवें व चौदहवें सप्ता्ह में दी जाती है इसके बाद 16 से 24 माह की आयु में बूस्टर की खुराक दी जाती है। पाँच वर्ष तक की आयु के बच्चों को बार-बार खुराक पिलाने से पूरे क्षेत्र में इस बीमारी से लड़ने की क्षमता बढ़ती है, जिससे पोलियो के विषाणु को पनपने से रोका जा सकता है। 

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ उमेश कुमार ने बताया कि इस चरण के लिए  जन्म से पाँच वर्ष तक के 5.49 लाख सम्भावित बच्चों को पोलियो रोधी दवा पिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि इस चरण के लिए जिले भर में 2009 बूथ बनाए गए हैं। साथ ही 64 मोबाइल टीम भी बनाई गई है जिसके माध्यम से बूथ स्तर पर पोलियो अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही अभियान के 948 टीमें बनाए गए हैं जो 21 मार्च से तक घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने का काम करेंगे। साथ ही बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर पोलियो की खुराक पिलाने के लिए 85 टीम ने बनाई गई हैं। पल्स पोलियो के कार्यक्रम को सकुशल निपटाने के लिए एएनएम, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ती इसमें अपना सहयोग करेंगी।

कार्यक्रम में डब्ल्यूएचओ के एसएमओ विनय शंकर दुबे, डीपीएम प्रभुनाथ, डॉ ईशानी वर्धन, अर्बन आशा निर्मला देवी ,प्रवीण उपाध्याय और अर्बन क्वाडीनेटर अशोक कुमार ,अभय कुमार, वरिष्ठ सहायक अमित राय के साथ व्यापार मंडल के विजय शंकर वर्मा और सरदार दर्शन सिंह भी मौजूद रहे।

शनिवार, 19 मार्च 2022

खुद को क्यो दरोगा ने मारी गोली

काफूर हो गई दरोगा के घर वालों कि होली कि खुशियां

गोरखपुर के तिवारीपुर थाने की घटना


गोरखपुर १९ (दिल इंडिया लाइव)। गोरखपुर में एक दरोगा के परिवार की होली खराब हो गई। जब पूरा जिला होली की खुशियां मनाते हुए एक दूसरे को रंगों से सराबोर कर रहा था तो दूसरी तरफ गोरखपुर के तिवारीपुर थाने में तैनात दरोगा हरेंद्र प्रताप सिंह ने शनिवार की सुबह अपने आवास में गोली मारकर खुदकुशी कर ली। गोली चलने की आवाज सुनकर पहुंचे पुलिसकर्मी और थानेदार जमीन पर खून से लथपथ पड़े दरोगा को बीआरडी मेडिकल कालेज ले गए जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। 2017 बैच के दारोगा 30 वर्षीय हरेंद्र प्रताप सिंह अयोध्या जिले के रहने वाले थे। एक साल से उनकी तैनाती तिवारीपुर थाने में बतौर सेकेंड अफसर थी। हरेंद्र थाना परिसर में स्थित सरकारी आवास में ही रहते थे।

शनिवार की सुबह 6 बजे बजे थाने में तैनात पुलिसकर्मी घंटाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह की शोभायात्रा में ड्यूटी करने के लिए निकल रहे थे। इसी दौरान सरकारी आवास की तरफ गोली चलने की आवाज सुनाई दी। सिपाहियों के साथ थानेदार राजेन्द्र प्रताप सिंह पहुंचे तो दरोगा हरेंद्र प्रताप सिंह अपने आवास में फर्श पर खून से लथपथ पड़े थे। कमरे में ही उनकी सरकारी पिस्टल पड़ी थी। सरकारी जीप से ही अचेतावस्था में हरेंद्र को थानेदार राजेंद्र प्रताप सिंह बीआरडी मेडिकल कालेज ले गए जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।

घटना की जानकारी होते ही एसएसपी डॉ. विपिन ताडा, एसपी सिटी सोनम कुमार फोर्स के साथ मेडिकल कालेज पहुंच गए और थानेदार से घटना की जानकारी ली। प्रभारी निरीक्षक तिवारीपुर राजेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि दरोग़ा को गोली कैसे लगी इसकी जांच चल रही है।

हरेंद्र प्रताप सिंह के दाएं कनपटी के पास लगी गोली पार हो गई है। जिसकी वजह से हरेंद्र के खुदकुशी करने की बात कही जा रही है। जिस कमरे में घटना हुई है उसे सील कर दिया गया है। फोरेंसिक टीम मामले की जांच कर रही है। थाने में तैनात पुलिसकर्मी चर्चा कर रहे थे कि पारिवारिक विवाद में दरोगा ने खुद को गोली मारी है। पिछले कई दिनों से हरेंद्र परेशान चल रहे थे।

शबे बरात की इबादत संग रखा नफिल रोज़ा

कई जगहों पर इज्तेमा, पूरी रात मोमिनीन ने की इबादत




वाराणसी १९ मार्च (दिल इंडिया लाइव)। शब-ए-बारात पर पूरी रात जागकर मोमिनीन ने इबादत की व अलसहर सहरी खाकर नफिल रोज़ा रखा। इससे पहले अकीदतमंद दिन भर शबे बरात की तैयारियों में जुटे रहे। मस्जिदों व कब्रिस्तानों में प्रकाश की समुचित व्यवस्था की गई। शाम होते ही हर तरफ मस्जिदों व कब्रिस्तान विद्युतीय रोशनी से जगमगा उठा। अकीदतमंदों ने रात भर इबादत कर रब से अपने अज़ीज़ो व पुरखों के लिए मगफिरत की दुआएं मांगी।

वाराणसी में दावते इस्लामी की ओर से विभिन्न मस्जिदों व मदरसों में इज्तेमा का एहतमाम किया गया था, जिसमें पूरी रात जहां नबी की सुन्नतों पर उलेमा ने रोशनी डाली वहीं शबे बरात की खास नमाज़े अदा की गई। इबादत का दौर शाम से पूरी रात भर चला। दावते इस्लामी से जुड़े डॉ साजिद ने बताया कि हिजरी कैलेंडर के आठवें महीने की 15 वीं रात को अकीदतमंदों ने रात भर इबादत में गुजारा। रात की इबादत को देखते हुए मस्जिदों व कब्रिस्तानों में रौशनी किया गया था। शाम होते ही इबादतगुजार की संख्या बढ़ने लगी। इशा की नमाज के बाद से शुरू हुई इबादत सुबह नमाज के बाद खत्म हुई। इस दौरान अकीदतमंदों ने नमाज, नवफिल, कुरान पाक की तिलावत, तसबीह के साथ अन्य इबादत किया। इबादत व मगफिरत की इस रात में इबादत कर लोगों ने अपनी व अपने अज़ीज़ो, वालिदैन के लिए मगफिरत की दुआएं की। इस दौरान जहन्नुम से निजात के साथ जन्नत की रब से दुआ मांगी। उलेमाओं का कहना है कि इस रात अल्लाह पाक हर दुआ को कुबुल कर लेता है। हर इंसान की गुनाहों को माफ़ कर देता है।

अकीदतमंदों ने बनाया विशेष पकवान

शब-ए-बारात के मौके पर लोगों ने घरों में पकवान बनाया। घरों में महिलाओं ने चने, सूजी व अन्य प्रकार का हलवा बनाया। इस विशेष पकवान को लोगों ने फातेहा के बाद एक दूसरे को बतौर तबर्रुक खिलाया। शबे बरात पर लोगों ने शाम के समय गरीबों को खाना खिलाया, सदाका निकला, दिल खोल कर खैरात दिया। 

मजारों व कबिगस्तानों पर भीड़

शब-ए-बारात के मौके पर मजारों व कब्रिस्तान को झालरों से सजाया गया था। कब्रिस्तान की सजावट किया गया था। इस दौरान अकीदतमंदों ने कब्रिस्तान व मजार पर पहुंचकर फतिहा पढ़ीं।

15 दिन बाद शुरू होगा माह-ए-रमजान

जौनपुर के मौलाना करामत अली ने बताया कि शब-ए-बारात, माह-ए-रमजान आने की खबर करता है। शब-ए-बारात के 15 दिन बाद मुसलमानों के लिए मुकद्दस महीना माह-ए-रमाजान शुरू होगा। उन्होंने बताया कि रमजान चांद पर आधारित है। यही कारण है कि रमजान कब से है कुछ कहा नहीं जा सकता। हां तीन अप्रैल से रमजान सम्भावित है। 

शुक्रवार, 18 मार्च 2022

आज लोकतांत्रिक मूल्य कटघरे में खड़े हैं : राजेश चौबे

संवैधानिक मूल्यों को लागू करना सरकारों की पहली प्राथमिकता  हो: रामनाथ 



रॉबर्ट्सगंज १८ मार्च (दिल इंडिया लाइव)।जिस समतामूलक समाज का सपना आजादी के आंदोलन के दौरान परवान चढ़ा था आज वह बर्बाद हो रहा है। मुल्क नफरत, गैर बराबरी और कारपोरेट फासीवाद की आग में झुलस रहा है, यदि समय रहते  स्वतन्त्रता, समता,बंधुता और इंसाफ पर आधारित संवैधानिक मूल्यों के लिए संघर्ष नहीं किया जाएगा तो हमारी बसुधैव कुटुम्बकम की विरासत खतरे में पड़ जाएगी। आज जरूरत है कि संविधान की प्रस्तावना को आत्मसात कर उसे सुदूर ग्रामीण अंचलों तक पहुंचाने का प्रयास किया जाए ,जिससे जन मानस को न सिर्फ संवैधानिक मूल्यों की जानकारी हासिल हो बल्कि इन मूल्यों पर आधारित समाज निर्मित करने में भी आसानी हो।उक्त बातें राबेर्टसगंज के डिजायर सभागार में राइज एंड एक्ट प्रोग्राम के तहत आयोजित राष्ट्रीय एकता,शांति एवं न्याय विषयक सम्मेलन में वक्ताओं ने कही।

  मुख्य वक्ता रामनाथ शिवेंद्र ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की आत्मा है इसे बचाये रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।आज प्रतिगामी ताकते न केवल संवैधानिक मूल्यों को चुनौती दे रही है बल्कि सदियों से स्थापित विश्व में हमारी पहचान के लिए भी खतरा पैदा कर रही हैं।धार्मिक पहचान को महत्व दिए जाने से विभिन्न समाजों के बीच टकराव की स्थिति पैदा होगी। यह भारत जैसे विविधता वाले मुल्क के लिए ठीक नहीं है इससे सावधान रहने की जरूरत है।

        वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजेश चौबे ने कहा कि सदियों से भारतीय समाज मेल-जोल से रहने का हामी रहा है। हमने पूरी दुनिया को सिखाया है कि विभिन्नता हमारी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत है।आज दुनियां भर में राजनीति के आयाम बदले हैं और लोकतांत्रिक मूल्य कटघरे में खड़े हैं। हमारा मुल्क भी इससे प्रभावित हुआ है।बावजूद इसके यह सोच लेना कि सभी  सरकार की सोच के साथ है ठीक नहीं है।हमारी एक बड़ी जमात आज भी मौजूद खतरों के बीच जनता और मुल्क के सवालों को उठा रही है।

      रामजनम कुशवाहा ने कहा कि हमारी कोशिश छोटी है पर समाप्त नही हुई है।हम सरकार से तब तक लड़ते रहेंगे जब तक   एक बेहतर समाज का निर्माण न हो जाये।हमारी कोशिश को सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में देखा जा सकता है।

             काशी हिंदू विश्वविद्यालय की शोध छात्रा अर्शिया खान ने कहा की आज   सियासत लोगों को जोड़ने की जगह बांटनें का काम कर रही है।हम एक ऐसे भारत की ओर बढ़ रहे है जो नफरती उन्माद से परिपूर्ण है जब कि भारतीय समाज और राष्ट्र  प्रेम और अहिंसा पर आधारित रहा है।उन्होंने कहा कि आज बिना किसी अपराध के आदिवासियों को जेलों में डाल दिया जा रहा है जबकि बड़े बड़े घपले घोटाले करने वालों को तमाम छूट मिली हुई है।आज सियासत हमे तोड़ रही है जोड़ नहीं रही है।हमें सोचना पड़ेगा की वे कौन लोग हैं जो इस साझी विरासत के खिलाफ हैं।

      नाहिदा आरिफ ने कहा कि आजादी के आंदोलन और उससे भी सैकड़ों साल पहले से भारत साझी विरासत और मेल जोल की परंपरा को समेटे हुए निर्मित हुआ है जिसे आज कुछ ताकतें खत्म कर देना चाहती है. हमें इनसे सावधान रहना होगा।

   द्वितीय सत्र में जिलेवार प्रतिनिधियों को समूह मे बाँट कर दलीय चर्चा द्वारा स्थानीय समस्याओं को जानने की कोशिश की गई तथा राइज एंड एक्ट कैसे समतामूलक समाज निर्माण करने में उनकी मदद कर सकता है।

  गोष्ठी को विभिन्न सामाजिक वर्गों के प्रतिनिधियों रामजनम कुशवाहा,सतीश सिंह,फजलुर्रहमान अंसारी,श्रुति नागवंशी,लक्ष्मण प्रसाद,हरिश्चंद्र बिंद, रीता पटेल अयोध्या प्रसाद, कृष्ण भूषण मौर्य,रामकृत,राजेश्वर,जयप्रकाश बौद्ध, आदि ने भी सम्बोधित किया। गोष्ठी में पूर्वांचल के अनेक जिलों के लोग उपस्थित रहे।

  कार्यक्रम का विषय स्थापना डॉ मोहम्मद आरिफ, संचालन कमलेश कुमार धन्यवाद ज्ञापन अयोध्या प्रसाद और स्वागत कृष्णभूषण मौर्य ने किया।

शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...