बनकर तैयार है 50 बेड का मल्टी-स्पेसियालिटी हास्पिटल
स्त्री व प्रसूति रोग के साथ अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की होगी तैनाती
पंचकर्म, क्षारसूत्र व योग के जरिए भी होगा जटिल बीमारियों का उपचार
वाराणसी10 अक्टूबर (दिल इंडिया लाइव)| जिले को एक और आयुर्वेदिक अस्पताल का तोहफा शीघ्र मिलने वाला है। 50 बेड के इस मल्टी-स्पेसियालिटी अस्पताल का भवन मोहन सराय के समीप स्थित भद्रासी में बनकर तैयार है। जल्द ही यहां स्त्री व प्रसूति रोग के साथ ही अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम तैनात की जाएगी। इसके साथ ही मरीज यहां की चिकित्सकीय सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे।
मोहन सराय के पास मातलदेयी मार्ग पर भद्रासी गांव में बनाये गये इस अस्पताल का निर्माण राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत कराया गया है। क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी भावना द्विवेदी ने बताया कि भद्रासी में बनकर तैयार 50 बेड के इस मल्टी-स्पेसियालिटी अस्पताल में मरीजों को आउटडोर के साथ ही इनडोर की चिकित्सा सुविधाएं भी मिलेंगी। अस्पताल में स्त्री एवं प्रसूति रोग चिकित्सकों के अलावा अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक मरीजों का उपचार करेंगे। अस्पताल में सामान्य रोगों के साथ ही गठिया, पाइल्स, सर्वाइकल, सुगर जैसे रोगो के उपचार की भी व्यवस्था होगी। यहां नेत्र रोगों का भी उपचार होगा।
पंचकर्म एवं क्षारसूत्र से भी होगा उपचार
इस आयुर्वेदिक अस्पताल में क्षारसूत्र एवं पंचकर्म विधि से भी उपचार की व्यवस्था होगी। गठिया, सर्वाइकल व व पाइल्स जैसी बीमारियों से पीड़ित मरीज इस अस्पताल की सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे।
योग के जरिए भी बनेंगे निरोग
अस्पताल परिसर में एक योग कक्ष भी बनाया गया है। यहां तैनात होने वाले योग प्रशिक्षक लोगों को योग के जरिए निरोग रहने का हुनर सिखाएंगे। साथ ही कुछ रोगों का उपचार योग के जरिए भी किया जाएगा।
हर्वल गार्डेन में लगेंगी जड़ी-बूटियां
क्षेत्रीय आयुर्वेदिक एवं यूनानी अधिकारी भावना द्विवेदी ने बताया कि अस्पताल परिसर की खाली जमीन पर हर्वल गार्डेन बनाने की भी योजना है। यहां जड़ी-बूटियों के पौधे लगाये जाएंगे जो मरीजों के उपचार में तो काम आयेंगे ही अस्पताल के वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने में सहयोग करेगे ।
वाराणसी 10 अक्टूबर (दिल इंडिया लाइव)। किसान न्याय रैली को लेकर कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा इंडियो एयरलाइंस के विमान से रविवार को वाराणसी पहुंचीं। लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट से सीधे श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के लिए रवाना हुईं। यहां से दर्शन-पूजन के बाद दुर्गाकुंड में मां कूष्मांडा मंदिर पहुंचीं। जगतपुर में पार्टी की किसान न्याय रैली में को संबोधित करते हुए कहा कि लखीमपुर में किसानों से मिलने प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री अभी तक नहीं गए। दुनिया के कोने-कोने तक पीएम घूम सकते हैं, देश-देश भ्रमण कर सकते हैं लेकिन अपने देश के किसानों से भेंट करने नहीं जा सकते। किसान आन्दोलन में अब तक 600 किसानों की मौत हुई लेकिन अभी भी आंदोलन जारी है क्योंकि किसानों को पता है कि हमारे फसल की कीमत उचित नहीं मिलेगी।
सब पूंजीपतियों के हाथ में चला जायेगा
सबकुछ पूंजीपतियों के हाथ में चला जायेगा। मोदी जी ने आंदोलन कर रहे किसानों को आन्दोलन जीवी कहा, आतंकी कहा। योगी ने किसानों को उपद्रवी कहा। लखीमपुर में देखा कि देश 6 किसानों को निर्ममता से कुचल दिया। पीड़ित किसानों ने न्याय की मांग की। मैं रात में वहां जाने की कोशिश की तो पुलिस की घेरेबंदी कर मुझे रोकने का प्रयास किया गया। लेकिन अपराधी को पकड़ने को पुलिस नहीं भेजा गया। आरोपी को पुलिस ने निमंत्रण दिया, इतिहास में कभी आपने देखा और सुना नहीं होगा।
आजादी का अमृत महोत्सव जो मनाया जा रहा है वो आजादी हमें किसानों ने दिया है, किसान के बेटों ने दिया है। पुलिस प्रशासन विपक्ष के नेताओं को रोकने की कोशिश की।पीड़ित परिवार को नजरबंद किया गया। अपराधियों पर कोई लगाम नहीं है। जिसके बेटे ने ऐसा काम किया उसको बचाने का काम सरकार कर रही है। जो सीएम लखीमपुर जा सकते थे वे उनके हाथ पकड़ने और आंशु पोछने नहीं पहुंचे। इस सरकार में न दलित सुरक्षित हैं, न अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं, न महिला सुरक्षित हैं, न नौजवान सुरक्षित हैं। इस देश में केवल प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और उनसे जुड़े लोग और उनके खरबपति मित्र सुरक्षित हैं।
रुपया नहीं न्याय चाहिए
प्रियंका ने कहा कि जो मैंने दो वर्षों में देखा उसका जिक्र कर रही हूं। सोनभद्र में नरसंहार हुआ जिसमें 13 लोगों को मारा गया, जब मैं मिलने गयी तो बहुत कष्ट हुआ। लोग मुझसे बोले मुझे रुपये नहीं न्याय चाहिए। उसके बाद मैं उन्नाव में गयी वहां भी इसी तरह का घटना हुआ। उस मामले में भाजपा के पूर्व विधायक और भाजपा से जुड़े लोग शामिल थे। कोरोना के समय सरकार मदद नहीं की। अस्पतालों में ऑक्सीजन खत्म हो गया था, लोग काफी परेशान हुए। कोरोना के समय रिपोर्ट आई कि हर जगह समस्या है। सरकार ने मदद नहीं की उसके बाद हाथरस कांड हुआ जिसमें एक बेटी को न्याय नहीं मिला। एक पिता से उसके बेटी का दाह संस्कार नहीं करने दिया गया। मुझसे परिवार ने बोला था कि दीदी न्याय चाहिए।
प्रियंका ने कहा कि अपने अंतरतम में झांकिए एक सवाल पूछिये। तरक्की आयी है। विकास आपके द्वार आया कि नहीं। जीवन में तरक्की नहीं हुई तो मेरे साथ कंधा से कंधा मिलाकर सरकार को बदलिए। जो आपको आतंकवादी कहते हैं उनको न्याय देने के लिए मजबूर करिये, कांग्रेस के नेता कार्यकर्ता किसी से नहीं डरते हैं। हमें जेल में डालिये, कुंचलिये लेकिन जबतक न्याय नहीं मिलेगा हम लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे, लड़ते रहेंगे। चुनाव की बात नहीं है, अब देश की बात है।समय आ गया है अब। ये देश आपका देश है इस देश को कौन बचाएगा,आप किसान हो इस देश की आत्मा हो। जो आपको आंदोलनकारी कहते है उनको न्याय के लिए मजबूर करिये। कांग्रेस के कार्यकर्ता किसी से नहीं डरते। हम कांग्रेस के कार्यकर्ता है हमें कोई चुप नहीं करा सकता। कोरोना के समय तमाम छोटे व्यपारी को रोजगार बंद करना पड़ा। सरकार ने राहत नहीं दी। प्रधानमंत्री ने दो हवाई जहाज खरीदे। एक हवाई जहाज आठ हजार करोड़ के खरीदे। अपने दोस्तों को बेच दी एयरलाइन। 16 हजार करोड़ का दो हवाई जहाज खरीद और अपने दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार ने पूरी एयर इंडिया को 15 हजार करोड़ में ही अपने पूंजीपति और खरबपति मित्र को बेच दी।
बिजली नहीं मिल रही, बिजली का बिल मिल रहा
बिजली नहीं मिल रही है, फिर भी बिजली के बिल मिल रहे हैं, क्या पीएम ने ये देखा है? खेती किसानी के सामानों पर भी सरकार ने जीएसटी लगाया है। पेट्रोल, डीजल महंगा है 1000 से ऊपर रसोई गैस काम दाम। प्रियंका ने कहा कि ने मुझे बताया की, किसी ने एमए, किसी ने बीए, किसी ने इंजीनियरिंग और उसमें ही कुछ ऐसे ही पढ़े लिखे लोग सफाईकर्मी थे। यह बताता है कि बेरोजगारी चरम पर है। बेरोजगारी चरम पर है। लखनऊ की बस्ती में गई थी। योगी जी ने सफाई करने वालों के प्रति अपशब्द कहे।2.35 से 3.04 तक करीब आधे घंटे तक चला प्रियंका का संबोधन। अंत में लोगों को धन्यवाद देते हुए नवरात्रि की शुभकामनाएं दी। जय माता दी, जय हिंद, जय किसान, जय जवान, जय हिन्द के नारे से खत्म हुआ प्रियंका का संबोधन। प्रियंका अब वापस बाबतपुर एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गई।
इनकी रही खास मौजूदगी
छत्तीसगढ़ के सीएम भपेश बघेल, राष्ट्रीय सचिव राजेश तिवारी, सलमान खुर्शीद, राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी, आराधना मिश्रा मोना, अजय कुमार लल्लू, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पीएल पुनिया, इमरान प्रतापमढ़ी, देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, पूर्व सांसद डॉ. राजेश मिश्रा, पूर्व विधायक अजय राय, नदीम जावेद,डा. ज़फरुल्लाह ज़फर, जिलाध्यक्ष राजेश्वर पटेल, राघवेन्द्र चौबे, सतीश राय, मुनाज़िर हुसैन मंजू, सतीश चौबे, अफसर खां, हाजी ओकास अंसारी, सलीम खां, सीता राम केसरी, रमज़ान अली, अफज़ाल अंसारी, हसन मेहंदी कब्बन, बेलाल अहमद, सैयद फसाहत हुसैन बाबू, कुशल रौशनी जायसवाल, शकील अहमद जादूगर आदि मौजूद थे।
पीएम के संसदीय क्षेत्र काशी में प्रियंका ने दिखाया दम
प्रियंका की एक झलक पाने के लिए लोग रहे बेताब
पुष्प वर्षा और भीड़ देखकर गदगद हुई प्रियंका
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। किसान न्याय यात्रा रैली में शामिल होने पहुंची कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने दर्शन, पूजन और जगह-जगह स्वागत के ज़रिये कांग्रेसियों में उत्साह और गजब का जोश भर दिया। प्रियंका गांधी की एक झलक पाने के लिए लोग बेताब दिखाई दिये। जिस-जिस रास्तों से प्रियंका गुज़री, उन्हें देखने की होड मच गई। गगनभेदी नारों के बीच प्रियंका गांधी लोगों का हाथ जोड़कर और अपने ही अंदाज़ में हाथ हिलाकर अभिवादन स्वीकार करती दिखीं। इस दौरान पुष्पवर्षा और लोगों की भीड़ देखकर प्रियंका गदगद दिखाई दी।
इस दैरान श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर व अन्नपूर्णा मंदिर में प्रियंका गांधी ने पूजन अर्चन किया। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने उन्हे दर्शन पूजन कराया। यहां मंदिर से निकली तो गगनभेदी नारा, अब नहीं होगा अन्याय, दीदी दिलायेंगी किसानों को न्याय...जैसी गूंज सुनाई दी।
इससे पहले अपने तय समय पर प्रियंका गांधी व छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सुबह सवा 11 बजे एयरपोर्ट पहुंच गये। एयरपोर्ट पर कांग्रेसजनों ने अपनी नेता का गगनभेदी नारों से ज़ोरदार स्वागत किया। स्वागत के बाद प्रियंका गांधी व भूपेश बघेल बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शनपूजन के लिए सड़क मार्ग से पहुंची। इस दौरान रास्ते भर प्रियंका गांधी का स्वागत कांग्रेसजन कर रहे थे। विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के बाद प्रियंका गांधी वहां से रोड शो करते हुए मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कूष्मांडा के दर्शन करने दुगार्कुंड मंदिर पहुंची। प्रियंका गांधी को वहां से लंका होते हुए बीएचयू सिंह द्वार पर लगी महामना पं. मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना था मगर अंतिम समय में उनका कार्यक्रम सुरक्षा कारणों से बदल गया और वो रैली के लिए जगतपुर रवाना हो गयी। उनके पहुंचने से पहले वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सफाई अभियान चलाया और प्रतिमा के आसपास सफाई की।
कांग्रेस की रैली के चलते लम्बे समय के बाद सड़क पर कांग्रेस की सक्रियता और हलचल देखने को मिली। इस दौरान लोग अपने मोबाइल से प्रियंका गांधी की तस्वीर और वीडियों बनाते दिखाई दिये। जो सेल्फी ले सकता था उसने काफिले के साथ खुद की सेल्फी ली और सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। एयरपोर्ट से प्रियंका गांधी का काफिला काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचा। मंदिर से दुगार्कुंड स्थित मां कूष्मांडा मंदिर में दर्शन पूजन के बाद उनका काफिला सीधे रोहनिया के जगतपुर इंटर कॉलेज मैदान पर किसान न्याय रैली को संबोधित करने पहुंच गया।
वाराणसी 08 अक्तूबर (दिल इंडिया लाइव)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को वाराणसी के सिगरा स्टेडियम में आयोजित नेशनल दिव्यांग टी-20 क्रिकेट टूर्नामेंट के खिलाड़ियों को पुरस्कृत किया। इस मौके पर अपने संबोधन में सीएम योगी ने बड़ा एलान किया। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार टोक्यो पैरालंपिक में पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को जल्द ही सम्मानित करेगी। उन्हें एक बड़ी धनराशि भी दी जाएगी।
सिगरा स्थित डॉ. संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने दिव्यांगजनों की हौसला अफजाई की। कहा कि आप सभी ने अपने खेल के आगे अपनी दिव्यांगता को आड़े नहीं आने दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ दिव्यांग नाम ही नहीं दिया है बल्कि वह दिव्यांगों के सर्वांगीण विकास के लिए लगातार काम भी कर रहे हैं।
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने जनप्रतिनिधि के तौर पर प्रधानमंत्री को 20 साल पूरे करने के लिए काशी और काशीवासियों की ओर से बधाई दी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में प्रदेशवासियों को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक बधाई के साथ-साथ विजयादशमी की अग्रिम शुभकामनाएं भी दीं। इस दौरान खेल मंत्री अनिल राजभर, बीएसए राकेश सिंह, प्राथामिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष महेन्द्र बहादुर सिंह समेत तमाम शिक्षक-शिक्षिकाएं व खेल प्रतिभाएं मौजूद थी।
देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में डाक विभाग की अहम भूमिका - पोस्टमास्टर जनरल कृष्ण कुमार यादव
वाराणसी 08 अक्टूबर (दिल इंडिया लाइव)।डाक विभाग देश के सबसे पुराने विभागों में से एक है जो कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह एक ऐसा संगठन है जो न केवल देश के भीतर बल्कि देश की सीमाओं से बाहर अन्य देशों तक पहुँचने में भी हमारी मदद करता है। पूरे विश्व में हर वर्ष 9 अक्टूबर को "अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस" और उसी क्रम में 9-16 अक्टूबर तक भारत में राष्ट्रीय डाक सप्ताह मनाया जायेगा। उक्त जानकारी वाराणसी परिक्षेत्र के पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने दी। इस दौरान 'आजादी के अमृत महोत्सव' के संबंध में भी लोगों को जागरूक किया जायेगा।
इसलिए मनाया जाता है विश्व डाक दिवस
9 अक्टूबर को "अंतर्राष्ट्रीय डाक दिवस" मनाये जाने के बारे में पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि 'एक विश्व-एक डाक प्रणाली' की अवधारणा को साकार करने हेतु 9 अक्टूबर, 1874 को 'यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन' की स्थापना बर्न, स्विटजरलैण्ड में की गई, जिससे विश्व भर में एक समान डाक व्यवस्था लागू हो सके। भारत प्रथम एशियाई राष्ट्र था, जो कि 1 जुलाई 1876 को इसका सदस्य बना। कालांतर में वर्ष 1969 में टोकियो, जापान में सम्पन्न यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन कांग्रेस में इस स्थापना दिवस को 'विश्व डाक दिवस' के रूप में मनाने हेतु घोषित किया गया। तब से पूरी दुनिया में इस दिन को प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। विश्व डाक दिवस के क्रम में ही पूरे सप्ताह को राष्ट्रीय डाक सप्ताह के रूप में मनाया जायेगा, जिस दौरान तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
राष्ट्रीय डाक सप्ताह का आयोजन
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि परिक्षेत्र के विभिन्न डाक मंडलों में भी 'विश्व डाक दिवस' और तदन्तर 9 से 16 अक्टूबर तक 'राष्ट्रीय डाक सप्ताह' का आयोजन किया जा रहा है। इस क्रम में 9 अक्टूबर को 'विश्व डाक दिवस', 11 अक्टूबर को बैंकिंग दिवस, 12 अक्टूबर को डाक जीवन बीमा दिवस, 13 अक्टूबर को फिलेटली दिवस, 14 अक्टूबर को व्यवसाय विकास दिवस और 16 अक्टूबर को मेल दिवस के रूप में मनाया जायेगा।
पोस्टमास्टर जनरल श्री यादव ने कहा कि 'आजादी के अमृत महोत्सव' के परिप्रेक्ष्य में इस दौरान क्षेत्रीय, मंडलीय कार्यालय और प्रधान डाकघरों को रोशनी से सुसज्जित करने के साथ-साथ उन पर अमृत महोत्सव का बोर्ड भी प्रदर्शित किया जायेगा। सेवाओं के व्यापक प्रचार-प्रसार एवं राजस्व अर्जन में वृद्धि पर जोर दिया जायेगा, वहीं उत्कृष्टता हेतु डाक कर्मियों का सम्मान, कस्टमर मीट, डाक सेवाओं की कार्य-प्रणाली को समझने हेतु स्कूली बच्चों द्वारा डाकघरों का भ्रमण, माई स्टैम्प, पेंटिंग व क्विज प्रतियोगिता, बचत बैंक, सुकन्या समृद्धि योजना, इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक व डाक जीवन बीमा मेला, आधार कैम्प इत्यादि तमाम कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
वाराणसी में डाक सेवाएं
पोस्टमास्टर जनरल श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वाराणसी में डाक सेवाओं का पुराना इतिहास रहा है। आजादी के पहले से ही डाक सेवाओं ने यहाँ के सामाजिक-आर्थिक परिवेश को प्रभावित किया है। वाराणसी डाक क्षेत्र के अधीन वाराणसी पूर्वी, वाराणसी पश्चिमी, गाजीपुर, जौनपुर और बलिया डाक मंडल अवस्थित हैं। वाराणसी में डाक सेवाओं की महत्ता के मद्देनजर ही वर्ष 2016 में यहाँ पोस्टमास्टर जनरल का पद सृजित किया गया, उससे पहले यहाँ का डाक प्रशासन पोस्टमास्टर जनरल, इलाहाबाद परिक्षेत्र के अधीन था। वाराणसी परिक्षेत्र में कुल 1699 डाकघर हैं, जिनमें से 6 मंडलों के अधीन कुल 6 प्रधान डाकघर, 268 उपडाकघर और 1425 शाखा डाकघर हैं। अकेले वाराणसी जनपद में कुल 252 डाकघर हैं। आज भी वाराणसी प्रधान डाकघर और वाराणसी सिटी डाकघर हेरिटेज भवनों में संचालित हैं। वाराणसी सिटी डाकघर सम्पूर्ण महिला डाकघर के रूप में कार्यरत है। विशेश्वरगंज स्थित प्रधान डाकघर में आज भी आजादी से पहले का लेटर बॉक्स धरोहर रूप में लगाया गया है, वहीं डाक बाँटने हेतु डाकियों द्वारा इस्तेमाल किये गए भाले इत्यादि भी सुरक्षित रखे गए हैं। प्रधान डाकघर में स्थित फिलेटलिक ब्यूरो डाक टिकट संग्रह के शौकीनों हेतु प्रमुख स्थल है, जहाँ तमाम नए-पुराने डाक टिकट प्रदर्शित हैं। डाक विभाग से तमाम मशहूर हस्तियों का भी नाता रहा है। उपन्यास सम्राट के नाम से प्रसिद्ध मुंशी प्रेमचंद के पिताजी भी डाक विभाग में ही कार्य करते थे।
वाराणसी, 7 अक्टूबर (दिल इंडिया लाइव)। वन स्टॉप सेंटर के सभागार में बृहस्पतिवार को विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित इस शिविर में महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के साथ ही उनको सम्बंधित कानूनों से भी अवगत कराया गया।
शिविर में पाक्सो एक्ट, एसिड अटैक, दहेज निवारण अधिनियम, लैंगिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा से सम्बन्धित कानूनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की विधिक सलाहकार रेखा श्रीवास्तव ने शिविर में शामिल महिलाओं से कहा कि सम्बन्धित कानूनों की जानकारी उन्हें इन समस्याओं से छुटकारा दिला सकती है। यदि किसी महिला का उत्पीड़न हो रहा हो तो उसे कानून का सहारा लेना चाहिए।
वन स्टॉप सेंटर की प्रभारी रश्मि दुबे ने कहा कि यह एक ऐसा केन्द्र है जहां एक ही छत के नीचे महिलाओं की सभी समस्याओं के निदान की व्यवस्था है। उन्हें विधिक परामर्श देने के साथ ही उनको स्वावलम्बी बनाने का भी प्रयास किया जाता है। कोर्इ भी महिला घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर दुर्व्यवहार जैसी अपनी समस्याओं के निराकरण के लिए इस केन्द्र की मदद ले सकती हैं । शिविर में महिला शक्ति केन्द्र की जिला समन्वयक रेखा श्रीवास्तव ने मिशन शक्ति अभियान के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से महिलाओं और बच्चों के लिए चलायी जा रहीं योजनाओं के बारे में महिलाओं को अवगत कराया। चोलापुर की रहने वाली सुनीता ने बताया कि वह घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं । शिविर में शामिल होकर उन्हें लाभप्रद जानकारियां मिली हैं। अब वह अपने साथ हो रहे उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ेगी। रोहनिया की रहने वाली कुसमा ने बताया कि शिविर में आने से उन्हें अपने अधिकारों के बारे में पता चला। शिविर में बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।
स्वस्थ भोजन, बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए अग्रणी लोगों ने की अपील
वाराणसी 7 अक्टूबर(दिल इंडिया लाइव) | सभी प्रसंस्कृत और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों तथा पेय पर सबूत आधारित पोषण मानकों और उपभोक्ता अनुकूल चेतावनी लेबल को अपनाने के संघर्ष को जारी रखते हुए, पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्युमन राइट्स (पीवीसीएचआर) ने फाउंडेशन ऑफ ससटेनेबल डेवलपमेंट इंडिया तथा सावत्री बाई फुले महिला पंचायत के साथ मिलकर एक साझे कंसलटेशन का आयोजन वाराणसी में किया। इसमें इस बात को नोट किया गया कि बच्चों में मोटापा बढ़ने, कम उम्र में ही कार्डियो वस्कुलर बीमारी, डायबिटीज की शुरुआत तथा गैर संक्रामक बीमारियों के संपूर्ण बोझ के कारणों और इन्हें इससे जोड़ने के लिए पर्याप्त अनुसंधान हैं।
इस कंसलटेशन में आस्था से जुड़े लोगों, बाल अधिकारों और अभिभावकों के समूह ने संयुक्त अपील की कि भारत में पोषण लेबल और मानकों को अपनाने के काम में तेजी लाई जाए, इसे सर्वोच्च प्राथमिकता कहा गया। विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को मिसाल बनना चाहिए और दुनिया भर के उन देशों में शामिल होना चाहिए जिन्होंने फूड लेबलिंग को जरूरी बना दिया है और नुकसानदेह अवयवों पर डब्ल्यूएचओ निर्धारित सीमा तय की है। चिली और ब्राजील जैसे देशों से आने वाले सबूतों ने स्पष्ट संकेत दिए हैं कि चेतावनी लेबल शैली के सामान्य और आवश्यक एफओपीएल जैसे नमक/चीनी सैचुरैटेड फैट ज्यादा है वाले चेतावनी लेबल जन स्वास्थ्य की बेहतरी पर दुष्प्रभाव छोड़ते हैं। इससे अस्वास्थ्यकर भोजन की खपत कम होती है, उपभोक्ता की प्राथमिकता बदलती है और उद्योग को रीफॉर्मूलेट करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
मजबूत फूड लेबल को अपनाना तेज करने के लिए एक राष्ट्रीय जमीनी पहल, पीपल (पीपुल्स इनीशिएटिव फॉर पार्टिसिपेटरी ऐक्शन ऑन फूड लेबलिंग) की शुरुआत के मौके पर अपने विचार रखते हुए वाराणसी के संकट मोचन मंदिर के महंत और आईआईटी-बीएचयू के इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो विश्वम्भर नाथ मिश्र ने इस बात पर जोर दिया कि बच्चों को मोटापे और घातक बीमारियों की चपेट में आने से बचाने की तत्काल जरूरत है। “क्या बच्चे जो खाते हैं, उसपर उनका या उनके परिवार का नियंत्रण हैं ? यह जानते हुए कि हम क्या खाते हैं, हम अपने बच्चों को जो भोजन देते हैं, उसमें क्या है, यह एक ऐसा अधिकार है जिसकी हमें रक्षा करनी चाहिए | हमारे देश के अधिक से अधिक लोग जंक या प्रसंस्कृत भोजन का सेवन कर रहे हैं और यह एक सुस्थापित है कि इनमें से अधिकांश खाद्य पदार्थों में हानिकारक तत्व या नमक और चीनी अनुशंसित सीमा से कई गुना अधिक होती है | स्पष्ट रूप से निर्धारित सीमा के साथ एक आसानी से पढ़ने के लिए एफओपी लेबल है कि बच्चों और माता पिता को चेतावनी देते है एक प्राथमिकता होनी चाहिए।
इसे एक महत्वपूर्ण पहल कहते हुए, प्रसिद्ध गांधीवादी इतिहासकार और इस्लामिक चिंतक डॉ. मोहम्मद आरिफ ने कहा, समुदाय के नेताओं के रूप में हम सभी सामाजिक-आर्थिक स्तरों के लोगों के लिए एक स्वस्थ भोजन प्रणाली की मांग करते हैं। उन्हें स्वास्थकर विकल्पों में से चुनने का अधिकार होना चाहिए। खाने के एक पैकेट पर एक व्याख्यात्मक लेबल उपभोक्ताओं, माता पिता और बच्चों का मार्गदर्शन कर सकते है चुनने में सक्षम होना चाहिए। हमें पिपल के साथ हाथ मिलाने में खुशी हो रही है ताकि भारत के लिए ऐसा हो सके।”
बीएचयू के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में कम्युनिटी मेडिसिन की प्रमुख डॉ संगीता कंसल के मुताबिक, “14 मिलियन से ज्यादा मोटे या ओवरवेट लोगों के साथ भारतीय बच्चे को अस्वस्थ भविष्य का सामना करना पड़ रहा है और उनके वयस्क होने में एनसीडी का खतरा ज्यादा है | हम वही हैं जो हम खाते हैं और इसलिए हमें उस भोजन पर बारीक नजर रखना चाहिए जो हमारे बीच बेचे जा रहे हैं | नियामक कदम जैसे पोषण की सीमा जो उद्योग के लिए यह आवश्यक बने कि वे अपने उत्पादों को वैश्विक और वैज्ञानिक मानकों के अनुसार स्वास्थ्यकर बनाएं | यह मोटापे या डायबिटीज की महामारी को रोकने में काफी मददगार होगा |”
भारत खाद्य और पेय उद्योग में वैश्विक स्तर पर अग्रणी देशों में से एक है जहां बिक्री परिमाण 34 मिलियन टन है | यूरोमॉनिटर के आंकड़ों के पूर्वानुमान के अनुसार, चीन और अमेरिका के बाद भारत 2020 तक दुनिया में पैकेज्ड फूड के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार बनकर उभरने के लिए तैयार था | अध्ययनों से पता चला है कि भारत में, शहरी और ग्रामीण परिवारों में 53% बच्चों ने चिप्स और इंस्टैंट नूडल्स जैसे नमकीन पैकेज्ड भोजन का सेवन किया, 56% बच्चों ने चॉकलेट और आइसक्रीम जैसी मीठी चीज का सेवन किया और 49% बच्चों ने सप्ताह में औसतन दो बार चीनी से मीठा बनाए गए डिब्बाबंद पदार्थों का सेवन किया | एनसीडी से लड़ने के उपायों के एक सरल, व्याख्यात्मक और अनिवार्य फ्रंट-ऑफ-पैक लेबल को उपायों की श्रृंखला का महत्वपूर्ण घटक माना जाता है और यह अपने बच्चों के लिए स्वस्थ कल सुनिश्चित करने के लिए भारत की जीत की रणनीति हो सकती है |
कंज्यूमर वॉयस के सीओओ श्री अशीम सान्याल के अनुसार, “खपत की यह शैली और चिंता का विषय है क्योंकि अधिकांश प्रसंस्कृत और पैकेज्ड खाद्य पदार्थों में नमक, चीनी और वसा की मात्रा इतनी होती है जो भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा 2018 में अपने मसौदा लेबलिंग और प्रदर्शन विनियमों या डब्ल्यूएचओ सीरो एनपीएम मॉडल द्वारा प्रस्तावित थ्रेसहोल्ड से कई गुना अधिक है | 2019 में एफएसएसएआई द्वारा प्रकाशित मसौदा विनियम इन उत्पादों के स्वास्थ्य नुकसान को कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था | उद्योग द्वारा पीछे कर दिए जाने के परिणामस्वरूप एक निर्णय वर्षों से लंबित है |”
स्वास्थ्य संबंधी प्रभावों की गंभीरता को देखते हुए मानव अधिकार कार्यकर्ता और पीवीसीएचआर (पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स) के सीईओ डॉ लेनिन रघुवंशी ने जोर देकर कहा कि पीपल - नीति निर्माताओं, पोषण के क्षेत्र के अग्रणी लोगों और उद्योग को यह याद दिलाने का प्रयास था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण का अधिकार है | संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकारों के कन्वेंशन के अनुसार अच्छा पोषण एक मौलिक अधिकार है | इसलिए यह सुनिश्चित करने का समय है कि बच्चों को उनका अधिकार दिया जाए, उनकी भलाई को गंभीरता से लिया जाए | पीपल चिंता के साथ नोट करता है कि महामारी के दौरान भी, खाद्य कंपनियों को अपने व्यापार बढ़ने के लिए जारी रखा और अल्ट्रा प्रसंस्कृत भोजन के विज्ञापनों पर करोड़ों डॉलर खर्च किए।
एफओपीएल को अपनाने में तेजी लाने और उपभोक्ताओं, माता-पिता को एक स्वस्थ विकल्प की ओर ले जाने के अपने प्रयासों में, पीपल राष्ट्रव्यापी जागरूकता पैदा करेगा खास कर भिन्न उपभोक्ताओं समूहों विशेष रूप से माता-पिता और बच्चों के साथ काम करने वालों के बीच | यह नागरिक समाज समूहों, स्वास्थ्य और नागरिक अधिकारों के अधिवक्ताओं, उपभोक्ता समूहों के लिए एक शिक्षण मंच के रूप में भी काम करेगा जो खाद्य लेबलिंग और पोषण थ्रेसहोल्ड पर सर्वोत्तम प्रथाओं और शिक्षाओं में रुचि रखते हैं।