शुक्रवार, 23 अप्रैल 2021

सुझावों पर हो अमल, नही तो जनता के बीच जाएगा नागरिक

12 सूत्रीय मांग और सुझाव को लेकर मंडलायुक्त से मिला नागरिक समाज


वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। आज 23 अप्रैल को नागरिक समाज का एक प्रतिनिधिमंडल कोविड के सवालों और सुझावों को लेकर मंडलायुक्त से मिला और कहा कि आपदा के इस भयावह समय में जिस तरह भय और अव्यवस्था फैली है, बनारस में लोग व्यवस्था और जानकारी के अभाव के चलते अफरा-तफरी के माहौल में जी रहे है, इसको तत्काल ठीक करने की जरूरत है, प्रतिनिधिदल के सदस्यों ने कहा कि रोज शाम को ज़िला-प्रशासन प्रेसवार्ता के जरिये  रोज की वास्तविक अपडेट जनता को बताए जिससे कि कुछ हद तक अफरा-तफरी को रोका जा सके, इसको लेकर नागरिक समाज ने मंडलायुक्त यह मांग किया कि...

1- इस आपदा से लड़ने  के लिए सभी राजनैतिक पार्टियों, नागरिक समाज व अन्य को साथ व भरोसे में लेकर जिला प्रशासन काम करे।

2- 03 माह के लिए सभी निजी अस्पतालों को सरकारी घोषित किया जाए।

3- सभी स्कूल व कालेजो को अस्पताल में तब्दील किया जाए, जिससे दूरदराज के गांव के  लोगो को मरीज लेकर भटकना न पड़े।

4- बनारस में ही दर्जनभर ऐसे अस्पताल है जो मानवसेवा के लिए बने है, उन अस्पतालों से भी तत्काल वार्ता कर उन्हें भी इस कोविड की लड़ाई से जोड़ा जाए।

5- सभी अस्पतालों में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाई जाए, जिससे डॉक्टरों के अभाव में मौतें न हो।

6- कोविड के अलावा अन्य जो गंभीर बीमारी के मरीज है ना ही उन्हें भर्ती किया जा रहा न ही उनका उपचार हो रहा, उन्हें भर्ती करने से लेकर उचित चिकित्सा व्यवस्था मुहैया कराई जाए।

7- ऑक्सीजन की कमी को दूर किया जाए और जो भी ऑक्सीजन की अवैध भंडारण कर रहे उन्हें चिन्हित कर उनके ऊपर कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।

8- सबको चिकित्सा आसानी से और सस्ती उपलब्ध हो इसकी गारंटी की जाए।

9- जो हेल्पलाइन नंबर जिला प्रशासन ने जारी किया है, वो किसी भी तरह से मददगार नही है, इसको ठीक किया जाए और एक कॉमन हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाए जो ये बता सके कि किस अस्पताल में बेड खाली है, कहा ऑक्सीजन उपलब्ध है, कहा कोविड की जांच हो रही, वैक्सिनशन  कहा हो रहा, बनारस सारी चीजों की ठोस जानकारी लोगो को मिल सके जिससे अफरा-तफरी को रोका जा सके और मरीज के परिवार को मरीज लेकर इधर-उधर न भटकना पढ़े, और मरीज का सही समय पर इलाज हो सके।

10- बनारस के लोगो को बनारस की वास्तविक जानकारी न होने की वजह से भी अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है, जिला प्रशासन को रोज शाम प्रेसवार्ता कर बनारस की जनता को वास्तविक जानकारी से अवगत कराना चाहिए। 

11- वैक्सिनेशन की प्रक्रिया को पोलियो ड्राप के तर्ज पर गांव-गांव, मोहल्ले मोहल्ले पहुचाने की गारंटी की जाए।

12- आर टी पी सी आर जांच की गति को बढ़ाया जाए, निजी लैब को भी सरकारी दर पर जांच करने का निर्देश दिया जाए, और जो भी ऐसे मरीज है जिनको कोविड के सारे लक्षण होने के बावजूद धनाभाव या अन्य कारणों से जांच सेंटर तक पहुचने की क्षमता नही है उनका भी घर से ही सैम्पल कलेक्ट कर उचित चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने की गारंटी दी जाए।।प्रतिनिधिदल ने कहा कि बनारस की दुर्दशा को देखते हुए मजबूर होकर हमे बाहर निकलना पड़ रहा है, यदि तत्काल हमारी मांगो और सुझावों को लागू नही किया गया तो मजबूरन हमे इन सभी सुझवो को लेकर जनता के बीच जाना पड़ेगा।।प्रतिनिधिदल में मुख्यरूप से मनीष शर्मा, सागर गुप्ता, जुबैर खान, करीम रंगरेज, सुनिल गुप्ता, अर्शलान अली, आकाश सोनकर, वैभव गुप्ता, प्रमोद पटेल आदि लोग शामिल थे।

कोरोना का टीका लगवाने से नहीं टुटेगा रोज़ा?

रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवाल का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान हेल्प लाइन बजरडीहा से शकील अंसारी ने पूछा कि कोरोना का टीका लगवाना चाहते है? टीका लगवाने से रोज़ा रहेगा या टूट जायेगा? जवाब में उलेमा ने कहा कि कोरोना या कोई भी टीका लागवाने से रोज़ा नहीं टूटेगा। आप आराम से रोज़ा रख कर टीका लगवा सकते हैं। अलईपुरा से नसीम ने फोन किया, सहरी में नींद नहीं खुली, उठा तो अज़ान हो रही थी मैं रोज़ा बिना सहरी के रह गया मेरा रोज़ा होगा या नहीं?  इस सवाल पर मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अजहरूल कादरी ने जवाब दिया। कहा बेशक आपका रोज़ा होगा। रोज़े के लिए सहरी शर्त नहीं बल्कि सहरी सुन्नत है। जानबूझकर सहरी नहीं छोड़ना चाहिए, और अगर सहरी छूट भी गई तो रोज़ा फर्ज है उसे रखना ही है।

रमज़ान के लिए अगर आपके जेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद हैइन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

कोरोना के खात्मे को उठें नन्हें रोज़ेदार का हाथ

जी हाँ हम हैं नन्हे रोजेदार


वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। मदरसा मतलउल उलूम में कक्षा 6 का छात्र अजीमुश शान इन दिनों इस्लामी रंग में डूबा हुआ है। अल सहर सहरी करना, नमाज़ फजर अदा करना और कुरान की तेलावत करना अजीमुशशान का रोज़ का मामूल हैं। वो कहता है कि उसने पूरे माह का रोजा रखने को ठान रखा है। नन्हे अजीमुश शान के इस हौसले को सभी सलाम कर रहे हैं।जमालुद्दीन पूरा के बुनकर पिता मुमताज़ अली के लाख मना करने पर भी अज़ीमुशशान लगातार रोज़ा रख रहा है। नन्हे हाथों से दुआ मांगते हुए ये नन्हा रोज़ेदार कहता है कि ऐ अल्लाह हमारे देश को, समूची दुनिया को कोरोना जैसी महामारी से छुटकारा दे दे, और सभी प्रकार की मुसीबत से हम निजात दे।

गुरुवार, 22 अप्रैल 2021

रमज़ान का पहला अशरा कल होगा मुकम्मल


रहमत के बाद शुरु होगा मगफिरत का अशरा

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मस्जिदों से जैसे ही अज़ान कि सदाएंअल्लाह हो, अकबर, अल्लाहो अकबर...फिज़ा में गूंजी। रोज़दारों ने खजूर और पानी से रमज़ान का 9 वां रोज़ा जुमेरात को खोला। इसी के साथ अब रमज़ान का पहला अशरा पूरा होने में महज एक दिन ही बचा है। जुमे को रोज़ेदार सहरी करके दसवां रोज़ा रखेंगे और शाम में दस रोज़ा मुकम्मल करने के साथ ही रहमत का पहला अशरा जहां पूरा हो जायेगा, वही मगफिरत का दूसरा जुमे की शाम से शुरु हो जायेगा। 

इससे पहले जुमेरात को इफ्तार के दस्तरखान पर तमाम लज़ीज़ इफ्तारी के साथ ही भीषण गर्मी से निजात दिलाने और गला तर करने के लिए फलों और शर्बत पर लोगों का ज्यादा ज़ोर रहा। परम्परागत इफ्तारी चने की घुघनीपकौड़ी के अलावा अलग-अलग घरों में तरह-तरह की इफ्तारियां सजायी गयी थी। भीषण गर्मी से निजात के लिए खरबूजातरबूजरुह आफ्ज़ानीबू का शर्बत आदि का भी लोगों ने लुत्फ लिया। रोज़ेदारों ने इन इफ्तारियों का लुत्फ लेने के बाद नमाज़े मगरिब अदा की। इस दौरान रब की बारगाह में सभी ने हाथ फैलाकर कोरोना महामारी के खात्मे के लिए दुआएं की। शहर के दालमंडीनईसड़कमदनपुरारेवड़ीतालाबगौरीगंजशिवालाबजरडीहाकश्मीरीगंजकोयला बाज़ारपठानी टोलाचौहट्टा लाल खांजलालीपुरासरैयापीलीकोठीकच्चीबागबड़ी बाज़ारअर्दलीबाज़ारपक्कीबाज़ाररसूलपुरानदेसरलल्लापुरा आदि इलाकों में रमज़ान की खास चहल पहल दिखाई दी। इस दौरान मुस्लिम इलाकों में असर की नमाज़ के बाद और मगरिब के बाद लोग खरीदारी करने उमड़े हुए थे।

रमज़ान हेल्प लाईन:आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब

मुफ्ती साहब ज़कात किसे दिया जाये?

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान हेल्प लाइन में गुडडू ने नई सड़क से फोन किया कि ज़कात किसे दिया जा सकता है? क्या भाई को ज़कात दिया जा सकता है? इसके जवाब में उलेमा ने कहा कि अगर भाई साहिबे निसाब नहीं है (इस्लाम के नज़रिये से गरीब है) तो जकात भाई को दिया जा सकता है। "ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशे वालों को। वसीम ने पठानी टोला से फोन कि क्या स्टूडेंट को ज़कात दिया जा सकता है? मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अजहरूल कादरी ने जवाब दिया, ऐसे छात्र को "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। जकात तभी दी जायेगी जब वो गरीब हो, मालिके निसाब न हो।

रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद हैइन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483

रमज़ान का पैग़ाम:10(22-04-2021)


खुलुस
अमन और सौहार्द की मिसाल है रमज़ान का रोज़ा

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमज़ान का महीना हिन्दू-मुस्लिम एकता और सौहार्द की मिसाल है। रमजान के रोज़े के बहाने एक दस्तरखान पर दोनों कौम के लोग एक-दूसरे के नज़दीक आते हैंमुस्लिम कल्चर और तहज़ीब में वो टोपीकुर्ता पहन कर इस तरह से घुल मिल जाते हैं कि उनमें यह पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन मुस्लिम है या कौन हिन्दू। यही नहीं बहुत से ऐसे हिन्दू हैं जो रोज़ा रखते हैंबहुत से ऐसे गैर मुस्लिम है जो रोज़ा रखने के साथ ही साथ मुस्लिम भाईयों को रोज़ा इफ्तार की दावत देते हैं। ये सिलसिला रमज़ान के बाद बंद नहीं होता बल्कि ये पूरे साल किसी न किसी रूप में जारी रहता हैचाहे वो ईद हो बकरीद होदशहरादीपावली व होली आदिइन त्योहारों को तमाम लोग एक साथ मनाते हैं। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे तौफीक देता है। आखिर क्या वजह है कि रमज़ान में ही इतनी इबादत की जाती हैदरअसल इस महीने को अल्लाह ने अपना महीना करार दिया हैरब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। यही वजह है कि एतेकाफ से लेकर तमाम इबादतों में सोने को भी रब ने इबादत में शामिल किया है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलमतू अपने हबीब के सदके में हम सब मुसलमानों को रोज़ा रखनेदीगर इबादत करनेऔर हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे और हम सबकी हर नेक तमन्ना व जायज़ ख्वाहिशात को पूरा कर दे..आमीन।

         जुबैर अहमद

(युवा समाजसेवीवाराणसी)

बुधवार, 21 अप्रैल 2021

रमज़ान का पैगाम-9(21-04-2021)

ख्वाहिशाते दुनिया को भुलाने का नाम है माहे रमज़ान

 

वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। हिजरी साल के 12 महीने में रमजान वा महीना है। यह महीना मुसलमानों के लिए ख़ास मायने रखता है। इसलिए भी कि इस महीने को रब ने अपना महीना कहा हैइस महीने को संयम और समर्पण के साथ ही खुदा की इबादत का महीना माना जाता है। माहे रमज़ान में अल्लाह का हर नेक बंदा  रूह को पाक  करने के साथ अपनी दुनियावी हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में ही समर्पित हो जाता है। रमजान में खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। इसमें सुुुुबह सहर से शाम मगरिब कि अज़ान होने तक रोज़ेदार खानपान सहित सभी ख्वाहिशाते दुनिया को भुला कर खुद पर न सिर्फ संयम रखता है, बल्कि तमाम बुराईयो से माफी-तलाफी भी करता है इसे अरबी में सोंम कहा जाता है।

 यूं तो रब की इबादत जितनी भी कि जाये कम है मगर रमजान में खुदा की इबादत मोमिनीन और तेज़ कर देता हैक्यो कि रमज़ान के दिनों में इबादत का खास महत्व है। यही वजह है कि इस माहे मुबारक में रोज़ेदार जकात देता हैजकात का अपना महत्व हैजकात अपनी कमाई में से ढाई प्रतिशत गरीबों में बांटने को कहते है,  जकात ‌देने से खुदा बन्दे ‌के कारोबार और माल में बरकत के साथ ही उसकी हिफाज़त भी करता हैइस्लाम में नमाज़रोज़ाहज समेत पांच फराईज़ है। माहे रमज़ान न सिर्फ  रहमतों, बरकतो की बारिश का महीना हैं, बल्कि समूचे मानव जाति को इंसानियतभाईचाराप्रेममोहब्बत और अमन-चैन का भी पैगाम देता है। नमाज़ के बाद रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस्लाम के मुताबिक रमज़ान को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला 10 दिन का अशरा रहमत का होता है इसमें रोज़ा नमाज़ इबादत करने वाले बन्दों पर अल्लाह अपनी रहमत अता करता है। दूसरा अशरा मगफिरत का होता है इसमें बन्दे कि गुनाहों को रब माफ कर देता है रमज़ान में रब से माफ़ी मांगनेतोबा करने कि तमाम लोग खूब कसरत करते हैतो अल्लाह उसे जल्दी माफ़ कर देता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का हैयानी जिसने रमज़ान का 30 रोज़ा मुक्म्मल किया रब उसे जहन्नुम से आज़ाद कर देता है। इसलिए सभी मोमिनीन को रमज़ान को मुक्म्मल इबादत में गुज़ारना चाहिए।ऐ पाक परवरदिगार तमाम आलम के लोगों को रमज़ान की नेकियों से माला माल कर दे...आमीन।

मौलाना अमरुलहोदा

अल अंसार, मिल्कीपुर, रामनगर




शेख़ अली हजी को दिखता था बनारस का हर बच्चा राम और लक्ष्मण

बरसी पर याद किए गए ईरानी विद्वान शेख़ अली हजी  Varanasi (dil India live)। ईरानी विद्वान व दरगाहे फातमान के संस्थापक शेख मोहम्मद अली हजी ईरान...