गुरुवार, 22 अप्रैल 2021
रमज़ान का पैग़ाम:10(22-04-2021)
खुलुस, अमन और सौहार्द की मिसाल है रमज़ान का रोज़ा
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। मुकद्दस रमज़ान का महीना हिन्दू-मुस्लिम एकता और सौहार्द की मिसाल है। रमजान के रोज़े के बहाने एक दस्तरखान पर दोनों कौम के लोग एक-दूसरे के नज़दीक आते हैं, मुस्लिम कल्चर और तहज़ीब में वो टोपी, कुर्ता पहन कर इस तरह से घुल मिल जाते हैं कि उनमें यह पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि कौन मुस्लिम है या कौन हिन्दू। यही नहीं बहुत से ऐसे हिन्दू हैं जो रोज़ा रखते हैं, बहुत से ऐसे गैर मुस्लिम है जो रोज़ा रखने के साथ ही साथ मुस्लिम भाईयों को रोज़ा इफ्तार की दावत देते हैं। ये सिलसिला रमज़ान के बाद बंद नहीं होता बल्कि ये पूरे साल किसी न किसी रूप में जारी रहता है, चाहे वो ईद हो बकरीद हो, दशहरा, दीपावली व होली आदि, इन त्योहारों को तमाम लोग एक साथ मनाते हैं। पता ये चला कि हक़ की जिन्दगी जीने की रमज़ान हमे तौफीक देता है। आखिर क्या वजह है कि रमज़ान में ही इतनी इबादत की जाती है? दरअसल इस महीने को अल्लाह ने अपना महीना करार दिया है, रब कहता है कि 11 महीना बंदा अपने तरीक़े से तो गुज़ारता ही हैतो एक महीना माहे रमज़ान को वो मेरे लिए वक्फ कर दे। यही वजह है कि एतेकाफ से लेकर तमाम इबादतों में सोने को भी रब ने इबादत में शामिल किया है। ऐ मेरे पाक परवर दिगारे आलम, तू अपने हबीब के सदके में हम सब मुसलमानों को रोज़ा रखने, दीगर इबादत करने, और हक की जिंदगी जीने की तौफीक दे और हम सबकी हर नेक तमन्ना व जायज़ ख्वाहिशात को पूरा कर दे..आमीन।
जुबैर अहमद
(युवा समाजसेवी, वाराणसी)
बुधवार, 21 अप्रैल 2021
रमज़ान का पैगाम-9(21-04-2021)
ख्वाहिशाते दुनिया को भुलाने का नाम है माहे रमज़ान
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। हिजरी साल के 12 महीने में रमजान 9 वा महीना है। यह महीना मुसलमानों के लिए ख़ास मायने रखता है। इसलिए भी कि इस महीने को रब ने अपना महीना कहा है, इस महीने को संयम और समर्पण के साथ ही खुदा की इबादत का महीना माना जाता है। माहे रमज़ान में अल्लाह का हर नेक बंदा रूह को पाक करने के साथ अपनी दुनियावी हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में ही समर्पित हो जाता है। रमजान में खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है। इसमें सुुुुबह सहर से शाम मगरिब कि अज़ान होने तक रोज़ेदार खानपान सहित सभी ख्वाहिशाते दुनिया को भुला कर खुद पर न सिर्फ संयम रखता है, बल्कि तमाम बुराईयो से माफी-तलाफी भी करता है इसे अरबी में सोंम कहा जाता है।
यूं तो रब की इबादत जितनी भी कि जाये कम है मगर रमजान में खुदा की इबादत मोमिनीन और तेज़ कर देता है, क्यो कि रमज़ान के दिनों में इबादत का खास महत्व है। यही वजह है कि इस माहे मुबारक में रोज़ेदार जकात देता है, जकात का अपना महत्व है, जकात अपनी कमाई में से ढाई प्रतिशत गरीबों में बांटने को कहते है, जकात देने से खुदा बन्दे के कारोबार और माल में बरकत के साथ ही उसकी हिफाज़त भी करता है, इस्लाम में नमाज़, रोज़ा, हज समेत पांच फराईज़ है। माहे रमज़ान न सिर्फ रहमतों, बरकतो की बारिश का महीना हैं, बल्कि समूचे मानव जाति को इंसानियत, भाईचारा, प्रेम, मोहब्बत और अमन-चैन का भी पैगाम देता है। नमाज़ के बाद रमज़ान मुसलमानों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। इस्लाम के मुताबिक रमज़ान को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला 10 दिन का अशरा रहमत का होता है इसमें रोज़ा नमाज़ इबादत करने वाले बन्दों पर अल्लाह अपनी रहमत अता करता है। दूसरा अशरा मगफिरत का होता है इसमें बन्दे कि गुनाहों को रब माफ कर देता है रमज़ान में रब से माफ़ी मांगने, तोबा करने कि तमाम लोग खूब कसरत करते है, तो अल्लाह उसे जल्दी माफ़ कर देता है। तीसरा अशरा जहन्नुम से आज़ादी का है, यानी जिसने रमज़ान का 30 रोज़ा मुक्म्मल किया रब उसे जहन्नुम से आज़ाद कर देता है। इसलिए सभी मोमिनीन को रमज़ान को मुक्म्मल इबादत में गुज़ारना चाहिए।ऐ पाक परवरदिगार तमाम आलम के लोगों को रमज़ान की नेकियों से माला माल कर दे...आमीन।
मौलाना अमरुलहोदा
अल अंसार, मिल्कीपुर, रामनगर
बाहुबली को भी हुआ कोरोना
तिहाड़ जेल में बंद पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन अस्पताल में भर्ती
दिल्ली (दिल इंडिया लाइव)। कोरोना वायरस से फैले संक्रमण ने आम और क्या खास सभी को अपनी जद में ले रखा है। जेल में बंद कैदी भी सुरक्षित नहीं हैं। ताजा मामला दिल्ली के अति सुरक्षित तिहाड़ जेल में बंद बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कल रात को हालत खराब होने पर पूर्व सांसद को डीडीयू अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तिहाड़ प्रशासन के मुताबिक, फिलहाल शहाबुद्दीन की हालत ठीक है। दिल्ली में कोरोना संक्रमण के खतरनाक तरीके से फैलाव ने देश की सबसे सुरक्षित जेल को भी अपनी चपेट में ले लिया है। आपको बता दें कि पूर्व बाहुबली सांसद शहाबुद्दीन से पहले भी तिहाड़ जेल में बंद कई कैदियों में कोरोना का संक्रमण पाया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो दिन पहले ही जेल में बंद 90 से ज्यादा कैदियों में वायरस का संक्रमण पाए जाने से हड़कंप मच गया। इससे पहले इस महीने की शुरुआत में ही तिहाड़ केंद्रीय कारागार के 50 से ज्यादा कैदी कोरोना संक्रमित पाए गए थे। जिसके बाद तिहाड़ जेल प्रशासन ने हाई अलर्ट जारी किया था। अब इस जद में शाहबुददीन भी आ गये हैं।
रमज़ान हेल्प लाइन: आपके सवालों का जवाब दे रहे हैं मुफ्ती साहब
मां रोज़े की हालत में अपने बच्चे को दूध पिला सकती है या नहीं?
वाराणसी (दिल इंडिया लाइव)। रोज़े की हालत में मां अपने बच्चे को दूध पिला सकती है या नहीं? यह सवाल शमीम अंसारी ने बजरडीहा से रमज़ान हेल्प लाइन में किया। जवाब में हेल्प लाईन से कहा गया कि बच्चे को दूध पिलाने से रोज़ेदार मां का रोज़ा नहीं टूटता है। बेशक ख्वातीन अपने बच्चे को रोज़े की हालत में दूध पिला सकती हैं। रमज़ान में रोज़ा रखकर सोना ठीक है या नहीं? रहीम ने यह सवाल किया बेनिया से, इस सवाल पर, मुफ्ती बोर्ड के सदर मुफ्ती मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी व सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अजहरूल कादरी ने जवाब में कहा कि रोज़ेदार का रमज़ान में सोना भी इबादत में शुमार है, मगर इसका ये मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए कि फर्ज़ छोड़कर नमाज़ के वक्त भी लगातार रोज़ेदार सोया रहे और अपनी नमाज़े कज़ा करें। इसलिए वक्त से सोये और नमाज़ के वक्त बेदार होकर नमाज़े अदा करें।
रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद है, इन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483
सहरी का वक्त हो गया रोजेदारो उठो कुछ खां लो...
रोजेंदारों को जगाने कभी आती थी टोलियां
आईआईटी खड़गपुर के पूर्व प्रोफेसर मानस मंडल का ऑनलाइन विशिष्ट व्याख्यान
असफलता के बाद ही सफलता का मार्ग होगा प्रशस्त- प्रो. मानस
वाराणसी(दिल इडिया लाइव)। डीएवी पीजी कॉलेज के फैकल्टी डिस्कसन फोरम के तत्वावधान में डीआरडीओ के लाइफ साइंस के पूर्व निदेशक एवं आईआईटी खड़गपुर के पूर्व प्रोफेसर मानस मंडल का ऑनलाइन विशिष्ट व्याख्यान आयोजित हुआ। जीवन मे लचीलापन और भलाई विषय पर आयोजित व्याख्यान में प्रोफेसर मानस मंडल ने कहा कि जीवन मे हार नाम का कोई शब्द नही होता है, हम कोशिश और अपनी तैयारियों के बूते जीवन मे बड़ी से बड़ी सफलता प्राप्त कर सकते है। असफलता के बाद ही सफलता का मार्ग प्रशस्त होता है। प्रोफेसर मंडल ने कहा कि वर्तमान शिक्षण पद्धति केवल अच्छे मार्क्स के इर्दगिर्द घूमती दिखलायी पड़ती है जबकि वास्तविक जीवन मे शिक्षा का महत्व लक्ष्य आधारित तरीके से अध्ययन करने और सकारात्मक तरीके से आगे बढ़ने से है। उन्होंने यह भी कहा कि आज लोग सिर्फ कैरियर पर ध्यान देते है जिससे वे अपने जीवन का आनंद लेना ही भूल जाते है। जीवन में खुशियाँ लानी है तो पेशे से इतर स्वयं को आत्मसात करना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के वरिष्ठ अध्यापक प्रोफेसर शिव बहादुर सिंह ने किया। संयोजिका डॉ. पूनम सिंह ने स्वागत एवं डॉ. कल्पना सिंह ने संचालन किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. समीर कुमार पाठक, डॉ. मुकेश सिंह सहित विभीन्न विभागों के अध्यापक एवं छात्र छात्राएं जुड़े रहे।
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