एंग्लो ओरिएंटल मुस्लिम इण्टर कालेज, लल्लापुरा का चुनाव
इसके अतिरिक्त सदस्यगण अफजाल अहमद खां, मोईनुद्दीन अहमद, आजर अजीज, मो. अहमद सिद्दीकी, सगीर अशरफ, मेराज अहमद व राशिद परवेज चुने गए। निर्वाचन अधिकारी एखलाक अहमद एडवोकेट व मुमताज अहमद एडवोकेट थे।
Varanasi (dil India live). मां की दुआ लेकर जब घर से निकलते हैं, महसूस में होता है जन्नत में टहलते हैं...। मशहूर शायर अहमद आज़मी ने कभी यह कलाम अपनी मां की मोहब्बत में लिखा था मगर यह अशरार आज हर बेटे की जुबां पर है। दरअसल जब बात मां की आती है, तो मां से बेहतर कोई नहीं दिखाई देता है, यही वजह है कि मदर्स डे पर उसे या आपके जीवन की किसी भी अन्य विशेष महिला को पहचानना बहुत ज़रूरी है। आखिरकार, मां ही सब कुछ करती हैं। वे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धियों का जश्न मनाने में आपकी मदद करने के लिए मौजूद हैं, मुश्किल समय में सहारा देने के लिए कंधा देती हैं और बीच के हर पल में साथ देती हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपकी मां, सौतेली मां, दादी, पत्नी, बहन या बेटी को वह सारा प्यार मिले जिसकी वह हकदार हैं। एक मां का आँचल अपनी संतान के लिए कभी छोटा नहीं पड़ता। मां का प्रेम अपनी संतान के लिए इतना गहरा और अटूट होता है कि मां अपने बच्चे की खुशी के लिए सारी दुनिया से लड़ लेती है। मां का हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। मां बिना ये दुनियां अधूरी है।
कब हुई मदर्स डे की शुरुआत
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मदर्स डे की शुरुआत 1870 के दशक के अंत में हुई थी,जब “बैटल हाइम ऑफ द रिपब्लिक” की लेखिका जूलिया वार्ड होवे ने गृहयुद्ध के बाद “शांति के लिए मदर्स डे” की स्थापना की वकालत की थी।
हालांकि इस विचार को कुछ लोगों ने अपनाया, लेकिन यह वास्तव में कई सालों बाद ही जड़ पकड़ पाया। तभी अन्ना जार्विस नाम की एक महिला ने अपनी मां और कार्यकर्ता, एन जार्विस को सम्मानित करने का बीड़ा उठाया, जिन्होंने होवे की तरह ही गृहयुद्ध के बाद शांति और उपचार की तलाश की थी, साथ ही अपने समुदाय में रहने की स्थिति में सुधार किया था।
मई 1905 में एन जार्विस की मृत्यु के बाद, अन्ना ने मई के दूसरे रविवार को राष्ट्रीय मातृ दिवस के रूप में घोषित करके अपनी मां के प्रयासों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने अपनी बात कांग्रेस तक पहुंचाई और 1914 में इस दिवस को आधिकारिक बना दिया गया। मां शब्द में मातृत्व है प्यार है दुलार है। मां 9 माह अपने बच्चों को अपने पेट में रखकर अपने शरीर के एक एक बूंद से सुरक्षित रखते हुए जन्म देने के बाद अपना सर्वस्व न्यौछावर कर देती है संतान को कभी कष्ट न हो इसके लिए अपना जीवन भी कुर्बान करने का आमादा रखती है। लात खाकर भी भोजन देने का नाम है मां और जब बच्चा के पेशाब से कड़कती ठंड में विस्तर गीला हो जाता है तो वह मां ही है जो खुद गीले विस्तर पर सोकर बच्चे को सुखे विस्तर पर सुला कर रात काट लेती है।इतना धैर्य और निःस्वार्थ केवल मां बिना किसी इच्छा और लालच के करती रहती है। आज समय बदला और लोग बदले मां की ममता के सम्मान को न समझने की धारणा पनपी जिसकी पणिनीत हुई कि जिसने लाट दुलार और प्यार में जिंदगी मिटा दी उन्हीं संतानों नें मां को घर से बाहर कर अनाथालय और वृद्धाश्रम तक पहुंचा दिया। फिर भी धन्य है मां इतने के बाद भी अपनी संतान के प्रति अपार लगाव व सदा खुश रहने की दुआयें करती रहती हैं। मां के प्रति सदैव लगाव प्यार और उसकी ममता को कभी भुलाया नहीं जा सकता। मातृत्व दिवस पर सभी को संकल्पबद्ध होना चाहिए कि जब मां को जब संतान की आवश्यकता हो तो उससे साथ सदैव खड़ें रहे देखभाल करें व खुशहाल रहे।
लेखक- रामाश्रय यादव
Varanasi (dil India live). Mother's day (मातृ दिवस) ये खास दिन है माताओं के प्रति आभार और प्रेम प्रकट करने का। इस विशेष दिन को काशी प्रबुद्ध महिला मंच ने चेतमणि चौराहा स्थित एक होटल में "एक शाम मां के नाम" से आयोजित किया। मंच की अध्यक्ष अंजलि अग्रवाल ने इस मौके पर मौजूद सभी माताओं को सम्मानित किया।
इस विशेष दिन पर सभी सदस्यों ने अपनी अपनी मां के साथ जुड़ी यादें न सिर्फ ताज़ा की बल्कि अपनी मां से मिली उनकी सीख सभी के सामने साझा की। रेनू कैला के संचालन में मंच की सदस्यों ममता जायसवाल ,चंद्रा शर्मा , ममता तिवारी, नूतन, शालिनी सिंह, ममता पांड्या, गीता, देवश्री ने अपनी कविताओं व गीतों से सभी को भाव विभोर कर दिया। नीतू सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। इस दौरान सभी ने खूब मस्ती भी की।
Varanasi (dil India live)। आल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री वहीदुल्ला खां सईदी बहुप्रतिष्ठित एंग्लो ओरिएंटल मुस्लिम इंटर कालेज लल्लापुरा के निर्विरोध अध्यक्ष चुने गए हैं। एंग्लो ओरिएंटल मुस्लिम इण्टर कालेज लल्लापुरा, वाराणसी के प्रबन्ध समिति का चुनाव 11 मई दिन रविवार को होना है। वहीदुल्ला खां सईदी ने अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी की मगर उनके खिलाफ चुनाव मैदान में कोई खड़ा नहीं हुआ जिसके चलते वो चुनाव से पूर्व ही निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए। उनके अध्यक्ष चुने जाने पर लोगों में खुशी की लहर है तमाम लोग उन्हें मुबारकबाद दे रहे हैं।
एंग्लो ओरिएंटल मुस्लिम इण्टर कालेज लल्लापुरा, वाराणसी के प्रबन्ध समिति के अन्य पदों उपाध्यक्ष, महामंत्री, संयुक्त मंत्री, कोषाध्यक्ष आदि का चुनाव कल रविवार को एलेक्शन आफिसर एखलाक अहमद एडवोकेट व जनाब मुमताज़ अहमद एडवोकेट की निगरानी में ए०ओ० मुस्लिम इण्टर कालेज, लल्लापुरा वाराणसी में सम्पन्न होगा।
दरअसल प्रबन्ध समिति का कार्यकाल 29.09.2024 को समाप्त हो चुका है। इसलिए 13.04.2025 को समिति की बैठक में श ए०ओ० मुस्लिम इण्टर कालेज लल्लापुरा, वाराणसी की प्रबन्ध समिति का गठन करने के लिए 11.05 2025 को चुनाव कराने का निर्णय लिया गया है। रविवार को सुबह 9 बजे से 2 बजे तक मतदान व मतगणना इसी दिन 3 बजे दोपहर से परिणाम घोषित होने तक जारी रहेगी।
वाराणसी। बड़ी बाजार के एक स्कूल के प्रांगण में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन 2025 के अंतर्गत एक दिवसीय निःशुल्क टीकाकरण का आयोजन किया गया। जिसमें स्कूल के करीब 85 बच्चों को टेटनस व डिप्थीरिया का टीका लगाया गया, और साथ ही साथ बच्चों के शरीर का परीक्षण कर उन्हें उचित सलाह भी दिया गया। इस अवसर पर शिविर में आए हुए चिकित्साधिकारी डा .वीरेंद्र सिंह ने बच्चों व अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि समय समय पर बच्चों उचित टीकाकरण करना बच्चों के स्वास्थ के लिए बेहद जरूरी है, आज भारत पोलियों जैसी बीमारी को पीछे छोड़ चुका है वजह सिर्फ टीकाकरण। इसी लिए गंभीर बीमारी से बचने के लिए टीकाकरण जरूर कराएं।
स्कूल के प्रधानाचार्य ने कहा कि स्कूल में नियमित जांच टीम आती रहती है और समय समय पर बच्चों का निःशुल्क परीक्षण व टीकाकरणभी कराया जाता है, ताकि बच्चों में स्वास्थ संबंधी बीमारी का नियमित निराकरण हो सके। इस अवसर पर शिविर में ए एन एम सुनीता यादव, आशा शैव्या श्रीवास्तव, सोफिया अहमद, रहमत अली, यासीन, अंकित, संकेत के अलावा गणमान्य लोग उपस्थित थे।
Varanasi (dil India live). स्माइल मुनिया के तत्वाधान में मां तुझे सलाम कार्यक्रम लंका स्थित एक रेस्टोरेंट में सम्पन्न हुआ। संस्थापिका अध्यक्ष अंजलि अग्रवाल ने सभी को मातृ दिवस की बधाई देते हुए कहा कि ममता की मूरत कहें या जीवन की आशा, बेजोड़ साथी कहें या प्यार की परिभाषा, मां के लिए एक शब्द ही पर्याप्त है। इससे छोटा या इससे बड़ा कोई शब्द नहीं। सदस्याओं ने गीत, कविता के माध्यम से मां को सलाम किया। निशा अग्रवाल ने मनोरंजक गेम कराए। रेणु, ममता, सलोनी, शालिनी, जयंती, प्रीति ने खूबसूरत फिल्मी गीतों से सभी का मन मोह लिया। संचालन चंद्रा शर्मा एवं धन्यवाद सरोज राय ने किया। शाइस्ता, रागिनी, विनीता, गीता इत्यादि की महत्वपूर्ण भागीदारी रही। अंजलि अग्रवाल ने सभी माताओं का सम्मान कर उनकी श्रेष्ठता को प्रदर्शित करने का प्रयास किया।
Varanasi (dil India live). पूर्व क़ाज़ी ए शहर बनारस मरहूम मौलाना गुलाम यासीन साहब (र.) का पहला सालाना उर्स अमन, मिल्लत की दुआओं संग सम्पन्न हो गया। इस दौरान उलेमा ने कहा कि पूर्व शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब अहले सुन्नत वल जमात के सच्चे रहनुमा थे। आजादी के आंदोलन में उनका योगदान था। मिशन आला हज़रत को उन्होंने पूरी ईमानदारी के साथ आगे बढ़ाया।
चम्पारण बिहार से आए मौलाना इरशाद रब्बानी ने दिल इंडिया लाइव से कहा कि कौमी यकजहती और देश की तरक्की के लिए पूर्व शहर काजी मौलाना गुलाम यासीन साहब सदैव तत्पर रहते थे। विभिन्न अवसरों पर उन्होंने दीन और कौम की तरक्की के साथ ही देश और दुनिया में मिल्लत पर भी जोर दिया। उनके कई बड़े फतवे बनारस ही नहीं दूसरे शहरों और राज्यों में भी असरकारी साबित हुआ। यही वजह है कि वह आज हम लोगों के बीच नहीं हैं मगर कई राज्यों और शहरों के लोग, पड़ोसी मुल्क नेपाल तक से उन्हें याद करने एकजुट हुए हैं।
इससे पहले पूर्व शहर काजी बनारस के उर्स में हाजिरी लगाने लोगों का हुजूम उमड़ा। उनसे अकीदत रखने वाले व अहले सुन्नत बनारस के लोगों ने उनकी याद में फातेहा कराया। उनके मुरीदों और मानने वालों ने अपने अपने घरों में भी फातेहा कराया। इसके साथ ही शहर काजी मौलाना जमील अहमद कादरी रिजवी की सरपरस्ती में उनकी बजरडीहा सिथत मजार पर चादरपोशी की गई। मगरिब की नमाज़ के बाद क़ुल शरीफ़ और लंगर का एहतमाम किया गया तो इशा की नमाज के बाद तकरीर, नात और मनकबत में लोगों का हुजूम उमड़ा।