रमज़ान हेल्प लाईन में आए सवालों का ये है खास जवाब
वाराणसी 08 अप्रैल (दिल इंडिया लाइव)। रमज़ान हेल्प लाइन में जावेद ने दालमंडी से फोन किया कि ज़कात किसे दिया जा सकता है? क्या भाई को ज़कात दिया जा सकता है? इसके जवाब में उलेमा ने कहा कि अगर भाई साहिबे निसाब नहीं है (इस्लाम के नज़रिये से गरीब है) तो जकात भाई को दिया जा सकता है। "ज़कात" में अफ़ज़ल यह है कि इसे पहले अपने भाई-बहनों को दें, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर चचा और फुफीयों को, फ़िर उनकी औलाद को, फ़िर मामू और ख़ाला को, फ़िर उनकी औलाद को, बाद में दूसरे रिश्तेदारों को, फ़िर पड़ोसियों को, फ़िर अपने पेशे वालों को। वसीम ने पठानी टोला से फोन कि क्या स्टूडेंट को ज़कात दिया जा सकता है? मुफ्ती बोर्ड के सदर मौलाना अब्दुल हादी खां हबीबी, सेक्रेटरी मौलाना हसीन अहमद हबीबी व मौलाना अजहरूल कादरी ने जवाब दिया, ऐसे छात्र को "ज़कात" देना अफ़ज़ल है, जो "इल्मे दीन" हासिल कर रहा हो। जकात तभी दी जायेगी जब वो गरीब हो, मालिके निसाब न हो।
रमज़ान के लिए अगर आपके ज़ेहन में कोई सवाल है तो आपकी रहनुमाई के लिए उलेमा मौजूद है, इन नम्बरों पर करे सम्पर्क: 9415996307, 9450349400, 9026118428, 9554107483
1 टिप्पणी:
Bahot hi sa jankari dia aapne shukriya
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