रमज़ान का पैगाम-5(17-04-2021)
रोज़ेदार करता है रमज़ान में अपनी नफ्स पर कंट्रोल
वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। रब फरमाता है रमज़ान मेरा महीना है। इसका बदला मैं ही दूंगा। यही वजह है कि बंदा ग्यारह महीना तो अपनी तरह गुज़ारता है मगर एक महीना वो पूरी तरह अल्लाह के बताये तरीक़ों और रास्तों पर चलकर गुज़ारता है तो रब भी राज़ी हो जाता है। इसलिए मोमिनीन को चाहिए कि वो किसी को दुख न दें, पूरे महीने इबादत करें। यह पाक महीना कसरत से नमाज़ अदा करने, कुरान की तेलावत, लोगों की गलतियां माफ करने में गुज़ारना चाहिए, साथ ही इस महीने में ज़कात, खैरात व फितरा देकर इबादतगुज़ार अपना रोज़ा पाक-साफ तो करता ही है साथ ही दूसरों की मदद करके गरीब मोमिन की ईद भी हंसी-खुशी करा देता हैं। यह महीना नेकी का महीना है। इबादत के साथ ही इस महीने में रोज़दार की सेहत भी दुरुस्त हो जाती है और वो बुरे कामों से बचा रहता है। रोज़ेदार रमज़ान में अपनी नफ्स पर कट्रोल करता है, दुनिया की तमाम लज़्ज़तो से बचता हुआ अपने रब के लिए दिन भर भूखा प्यासा रहता है और शाम में रोज़ा इफ्तार करके रब का शुक्र अदा करता है। रोज़ा रोज़ेदार की इस्लाह करता है और नेकी की राह दिखाता है। नबी-ए-करीम (स.) ने इसे इबादत और सब्र का महीना बताया। रमज़ान के रोज़े सौहार्द की मिसाल हैं। इस महीने मुस्लिम के साथ ही बड़ी तादाद में गैर मुस्लिम भी रोज़ा रखते हैं। रहमत, मगफिरत और जहन्नुम से आज़ादी के 10-10 दिन के रब ने तीन अशरे तय किये हैं। इन अशरों में बंदा अपने रब की खूब इबादत करता हैं। इसलिए इसे फायदे और मुनाफे का भी महीना कहते हैं। जो अक्लमंद हैं वो पूरे महीनें बड़ी संजीदगी से रोज़ा रखने, इबादत करने और गरीबों को खैरात, जकात, फितरा देने में गुज़ारता है। अल्लाह का नेक बंदा किसी भी तरह से इबादत करके मुनाफा लेना चाहता है। वो समझता हैं कि इस महीने अपने मुनाफे में बढ़ोतरी करें, क्यों कि इस महीने में अल्लाह रब्बुल इज्ज़त इबादत के फायदे 70 गुना तक ज्यादा कर देता हैं। तो फिर जानबुझ कर कोई बंदा क्यों अपना घाटा करेगा। जो शक्स पूरे महीने इबादत करेगा, अपनी नमाज़े वक्त पर अदा करेगा, तहज्जुद में उठकर नमाज़े अदा करेगा, तरावीह पढ़ेगा और सब्र करेगा, उसे इनाम के तौर पर जिंदगी में ईद अता फरमाई जायेगा व आखिरत में उसे जन्नत में जगह मिलेगी। क्यों कि ईद उसी की है जिसने पूरे महीने इबादत की, नफ्स पर कंट्रोल किया। किसी को दुख नहीं दिया, किसी तरह का झगड़ा नहीं किया। या रब नबी-ए-करीम के सदके और तुफैल में हम सबको रमज़ान का रोज़ा रखने और पांचों वक्त नमाज अदा करने की तौफीक अता फरमा..आमीन।
हाफिज़ नसीम अहमद बशीरी
(इमाम शाही मस्जिद ढाई कंगूरा, वाराणसी)
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