New Delhi (dil india live). दो दिवसीय राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मेलन-2022 के दूसरे दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कई मुद्दों पर चर्चा की। इस दौरान राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और सीएपीएफ के शीर्ष पुलिस अधिकारी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को इस सम्मेलन का उद्घाटन किया था। इस दौरान उन्होंने एनसीआरबी द्वारा विकसित राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (एनएएफआईएस) को भी लॉन्च किया था। यह प्रणाली केंद्रीकृत फिंगर प्रिंट डेटाबेस की मदद से मामलों को त्वरित और आसानी से निपटाने में मदद करेगी।
सम्मेलन के दूसरे दिन गुरुवार को गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि "प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2014 से डीजीपी सम्मेलन का स्वरूप बदलने का प्रयास किया है और इसका विश्लेषण करने पर हम देखते हैं कि कई समस्याओं का समाधान ढूंढने में हमें सफलता प्राप्त हुई है। सभी राज्यों को चाहिए कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को शीर्ष प्राथमिकता दें, ये देश और युवाओं के भविष्य की लड़ाई है जिसके लिए हमें एक दिशा में एक साथ लड़कर हर हालत में जीतना है। गृह मंत्री ने कहा कि सीमाव्रती राज्यों के DGPs सीमा क्षेत्र में हो रहे डेमोग्राफिक परिवर्तन पर सजग निगरानी रखें। राज्यों के पुलिस महानिदेशकों की ज़िम्मेदारी है कि वे अपने राज्यों में, विशेषकर सीमांत ज़िलों में, सभी तकनीकी और रणनीतिक महत्व की जानकारियां नीचे तक पहुंचाएं।
उन्होंने आगे कहा 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेन्द्र मोदी ने ना सिर्फ़ देश की आंतरिक सुरक्षा पर थ्रस्ट दिया, बल्कि चुनौतियों का सामना करने के लिए तंत्र को भी मज़बूत किया। आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, उत्तरपूर्व में विभिन्न उग्रवादी गुटों और वामपंथी उग्रवाद के रूप में जो तीन नासूर थे, उन्हें ख़त्म करने की दिशा में हमने बहुत बड़ी सफलता हासिल की है, इसके लिए मोदी के नेतृत्व में हमने कई नए कानून बनाए, राज्यों के साथ समन्वय बढ़ाया, बजटीय आवंटन बढ़ाया और तकनीक का अधिकतम उपयोग किया।
राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (NAFIS) का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश में पहली बार एक ऐसा सिस्टम डेवलप हुआ है, हमें इसे निचले स्तर तक परकोलेट करना चाहिए। सिर्फ कन्साइनमेन्ट को पकड़ना काफी नहीं है, ड्रग्स के नेटवर्क को समूल उखाड़ना और इसके स्रोत और डेस्टिनेशन की तह तक पहुंचना बेहद ज़रूरी है। हर राज्य के अच्छे इन्वेस्टिगेटिड केसेस की हमें डिटेल्ड अनालिसिस करनी चाहिए।
NCORD की ज़िलास्तरीय नियमित बैठकें सुनिश्चित की जानी चाहिएं और इनका उपयोग नीचे तक पहुंचाना चाहिए। आधुनिक इंटेलिजेंस एजेंसी का आधारभूत सिद्धांत "Need to know" नहीं, बल्कि “Need To Share” एवं "Duty To Share" होना चाहिए क्योंकि जब तक अप्रोच में बदलाव नहीं आएगा तब तक हमें सफलता नहीं मिलेगी।"
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