दर्द भरे नौहों संग निकली कुम्हार की ताजिया, हुआ मातम
Varanasi (dil india live). जैदी दरे हुसैन पर झुकती है कायनात... नासिर हुसैन जैदी के इस दर्द भरे नौहे के साथ चार मोहर्रम को कुम्हार के ताजिये का जुलूस शिवाला में आलीम हुसैन रिजवी के इमामबाड़े से उठा। जुलूस गौरीगंज स्थित काजिम रिजवी के इमामबाड़े पर पहुंच कर समाप्त हुआ। जुलूस में रास्ते भर अंजुमनों ने नौहाखवानी व मातम का नजराना पेश किया। जुलूस की अगुवाई सैयद आलिम हुसैन रिजवी कर रहे थे।
चार मोहर्रम को ही चौहट्टा में इम्तेयाज हुसैन के मकान से दिन में जुलूस उठकर इमामबाड़ा तक गया। चौथी मुहर्रम को ही तीसरा जुलूस अलम व दुलदुल का चौहट्टा लाल खाँ इमामबाड़ा से रात में उठकर अपने कदीमी रास्तों से होता हुआ सदर इमामबाड़ा पहुंचकर समाप्त हुआ।
पांचवीं मोहर्रम को वक्फ मस्जिद व इमामबाड़ा मौलाना मीर इमाम अली, छत्तातला, गोविंदपुरा से अलम का जुलूस उठया जाएगा, जिसमें मुजफ्फरपुर के मर्सिया ख्वां वज्जन खां के बेटे सवारी पढ़ेंगे। इसके अलावा जुलूस में भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां के परिजन शहनाई पर मातमी धुन पेश करेंगे। ऐ से ही छठवीं मोहर्रम को विश्व प्रसिद्द 40 घंटे तक चलने वाले दुलदुल का जुलूस कच्ची सराय (दालमंडी) इमामबाड़े से शाम 5 बजे उठेगा। इस जुलूस में हाथी, घोड़ा, ऊंट के साथ कई मश्शूर बैंड भी मौजूद रहते हैं जो मातमी धुन बजाते हैं। यह जुलूस कच्चीसराय से उठकर लल्लापुरा स्थित दरगाह फातमान जाता है। उसके बाद वापस आकर चौक होता हुआ मुकीमगंज, प्रह्लादघाट, कोयला बाजार, चौहट्टा होते हुए लाट सरैया जाता है और फिर वहां से 8 मोहर्रम की सुबह वापस आकर कच्ची सराय के इमामबाड़े में ही समाप्त होता है। यह जुलूस लगातार 6 से 8 मोहर्रम तक चलता रहता है।
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