रविवार, 30 मई 2021

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का



"गले मिलकर हाथ मिलाने का

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का


है हुनर इंसानों में बाक़ी अभी

मुश्किलों में सम्भल जाने का

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का


चराग़ उम्मीदों के जलाए रखना

है वक़्त ये हिम्मत दिखाने का

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का


फिर होंगी महफ़िलें यारों की

क़िस्सा वही रूठने मनाने का

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का


ख़ामोशियाँ को है इन्तज़ार

कुछ सुनने का,गुनगुनाने का

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का


सो गए हैं जो ख़्वाब राहों में

सवेरा होगा उन्हें जगाने का

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का


ग़मों की उमस ख़त्म हो जाएगी

अब्र आएगा ख़ुशियाँ बरसाने का

दौर फिर आएगा मुस्कुराने का।"

                           शायर: आमिर (वाराणसी)

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