सोमवार, 31 मई 2021

हौसले की जीत

बनारस के बुनकर पीरवार की कहानी

वाराणसी(दिल इंडिया लाइव)। असलम गरीब है, और वो गरीबी में रहते हुए भी अपनी बच्ची को खूब पढ़ाना चाहता है। उसकी सोच है कि बच्ची उसकी अधिकारी बनाने। किसी भी तरह बड़ी मुश्किल से परिवार का गुज़र बसर होता था, पर असलम यह ठान कर बैठ गया था कि वह अपनी बच्ची को जरुर बड़ा आदमी बनाएगा। किसी भी तरह कम फीस वाले स्कूल में बच्ची का एडमिशन (Admission)  तो करा दिया पर वह फीस देने में असमर्थ रहा।

बच्ची का नाम रुकैया अंसारी है , अब वह क्लास 6 में पहुच चुकी है तथा वह हर क्लास में प्रत्येक वर्ष टॉप पे टॉप (1ST Rank) करती गयी, और अपने माता पिता का नाम मोहल्ले में रोशन करती गयी। मोहल्ले में सभी रोकैय्या कि तारीफ़ करते गये, स्कूल के मास्टर भी तारीफ़ करने और इनाम देने से नही चुके जिसके चलते स्कूल में रोकैय्या और अब्बू का बहुत नाम हुआ|

क्लास 6 के बाद रोकैय्या को Drawing बनाने का शोक हुआ, कम उम्र में रोकैय्या Artist (Designer) बन चुकी थी। आर्ट में मन तो उसका अब लगता मगर पढ़ाई में नहीं। पीरणाम यह हुआ कि वो क्लास 10th में टाप नहीं कर पायी और 12th में फेल ही हो गई। अब असलम की समाज में, स्कूल में, जितनी इज्जत बनी थी सब पर पानी फिर गया। असलम की चारो ओर बुराई होने लगी, लोग आपस में बात करने लगे कि “चले थे अधिकारी बनाने” देखो कितनी बुरी तरह से फेल हो गई |

असलम ने रोकैय्या को प्यार से समझाया कि बेटा तुम्हे और मेहनत करने कि जरूरत है, कहते ही असलम बाहर चला गया और रोकैय्या उसी समय Drawing बनाने बैठ गई थोड़ी देर बाद असलम वापस घर आया देखा कि रोकैय्या Drawing बना रही है, असलम को गुस्सा आया रोकैय्या कि कापी ली और फाड़ दी, और बोले कि इसी कि वजह से तुम फ़ैल हो गई |

ये Drawing जीवन में कभी काम नहीं आने वाली, रुकैय्या रोने लगी और असलम बाहर चला गया , एक सप्ताह बाद असलम के घर पर दो अंग्रेज कपल आये। अंग्रेज को विदेश में साड़ी का शो रूम खोलना था जहा हिन्दुस्तानी लोग रहते है, वह साड़ी की खरीदारी करने बनारस आया था,बनारस कि साड़िया विश्व भर में बहुत मशहूर होती है, अंग्रेज असलम से जिस Design कि साड़ी कि मांग कर रहे थे, उसे असलम समझ नही पा रहा था , उसी समय रोकैय्या चाय लेके आती है, असलम बोला कि बेटा तुम इनकी बात समझ पा रही हो ? रोकैय्या बोली “हाँ ” 

अंग्रेज Design बताना शुरू किया ही था कि रोकैय्या ने उसे रोक दिया और अपने बेग में से Drawing कि कापी निकाली , ये देख कर असलम को गुस्सा आया पर चुप था, अंग्रेज बोलता गया , रोकय्या Design Scatch करती गयी | जब Design पूरी हुई तो अंग्रेज बोला “Yes This is” असलम बोला तैयार हो जाएगा, एक माह के अन्दर। अंग्रेज 50,000 हजार रु. असलम को Advance दिया और बोला कि बाकी भुगतान माल पूरा होने पर मिलेगा “ok” असलम बोला “ok”. अंग्रेज कपल वापस चले गये असलम के हाथ में रुपया तो आया ही साथ ही आंखो में आँसू भी छलक पड़े। दरअसल रोकय्या घर की गरीबी से परेशान हुनर सीख पैसा कमाना चाहती थी और उसमें वो सफल भी हो गई।

असलम रुपया लिए बाजार चला गया और करीब 20 Copy Drawaing की रोकैय्या को ला कर दिया और बोला बेटा मै गलत था। मैंने तुम्हारी Drawaing कि कॉपी फाड़ दी, मैंने सोचा था कि तुम्हे अधिकारी बनाऊंगाँ। लेकिन तुम्हे जो बनना है, वो तो तुम कब का बन चुकी मगर मैं ही बेवकूफ था जिसे इतनी देर में पता चला। दोनों की आंखे खुशी और उम्मीद के आंसूओ से भर गये। अब असलम गरीब नही रहा न तो पैसो से, और न ही सोच से।

 (कहानीकार: जफर)

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